HBSE 10th Class Science Solutions Chapter 15 हमारा पर्यावरण

Haryana State Board HBSE 10th Class Science Solutions Chapter 15 हमारा पर्यावरण Textbook Exercise Questions, and Answers.

Haryana Board 10th Class Science Solutions Chapter 15 हमारा पर्यावरण

HBSE 10th Class Science हमारा पर्यावरण Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
निम्न में से कौन से समूहों में केवल जैव निम्नीकरणीय पदार्थ हैं?
(a) घास, पुष्प तथा चमड़ा
(b) घास, लकड़ी तथा प्लास्टिक
(c) फलों के छिलके, केक एवं नीबू का रस
(d) केक, लकड़ी एवं घास।
उत्तर-(c) एवं (d)।

प्रश्न 2.
निम्न में से कौन आहार श्रृंखला का निर्माण करते हैं?
(a) घास, गेहूँ तथा आम
(b) घास, बकरी तथा मानव
(c) बकरी, गाय तथा हाथी
(d) घास, मछली तथा बकरी
उत्तर-
(b) घास, बकरी तथा मानव।

प्रश्न 3.
निम्न में से कौन पर्यावरण-मित्र व्यवहार कहलाते हैं?
(a) बाजार जाते समय सामान के लिए कपड़े का थैला ले जाना।
(b) कार्य समाप्त हो जाने पर लाइट (बल्ब) तथा पंखे का स्विच बंद करना।
(c) माँ द्वारा स्कूटर विद्यालय छोड़ने की बजाय तुम्हारा विद्यालय तक पैदल जाना।
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर-
(d) उपर्युक्त सभी।

प्रश्न 4.
क्या होगा यदि हम एक पोषी स्तर के सभी जीवों को समाप्त कर दें (मार डाले)?
उत्तर-
एक पोषी स्तर के सभी जीवों को समाप्त कर देने से पारिस्थितिक असंतुलन उत्पन्न हो जाएगा। प्रकृति में सभी आहार श्रृंखलाएँ अनेक कड़ियों से मिलकर बनी हैं। इसकी प्रत्येक कड़ी एक पोषी स्तर कहलाती है। यदि आहार श्रृंखला की किसी भी कड़ी (पोषी स्तर) को समाप्त कर दें तो उससे पहले के पोषी स्तर में जीवों की संख्या अत्यधिक बढ़ जाएगी और उसके बाद के पोषी स्तर के लिए भोजन अनुपलब्ध होने के कारण संख्या घट जाएगी। उदाहरण के लिए यदि हम प्रथम पोषी स्तर (हरी घास) को नष्ट कर दें तो इन पर निर्भर करने वाले सभी जीव भूखे मर जाएँगे।

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प्रश्न 5.
क्या किसी पोषी स्तर के सभी सदस्यों को हटाने का प्रभाव भिन्न-भिन्न पोषी स्तरों के लिए अलगअलग होगा? क्या किसी पोषी स्तर के जीवों को पारितंत्र को प्रभावित किए बिना हटाना संभव है ?
उत्तर-
नहीं, यदि एक पोषी स्तर के जीवों को नष्ट कर दिया जाए तो पहले तथा बाद के पोषी स्तरों में आने वाले जीवधारी प्रभावित होंगे और पहले तीव्रता से तत्पश्चात् धीमी गति से सभी पोषी स्तर प्रभावित होंगे। किसी भी पोषी स्तर (trophic level) के सभी जीवधारी पारितंत्र में बिना किसी हानि के अथवा क्षति के समाप्त नहीं होते।

प्रश्न 6.
जैविक आवर्धन (Biological Magnification) क्या है ? क्या पारितंत्र के विभिन्न स्तरों पर जैव आवर्धन का प्रभाव भी भिन्न-भिन्न होगा?
उत्तर-
फसलों में अनेक रसायनों जैसे-कीटनाशी, पीड़कनाशी, शाकना ी तथा उर्वरकों का प्रयोग किया जाता है। इनका कुछ भाग मृदा में मिल जाता है जो पौधों द्वारा ग्रहण कर लिया जाता है. जबकि इनका कछ भाग वर्षा जल के साथ घुल कर जलाशयों में चला जाता है। जलीय पौधे इन्हें अवशोषित करते हैं जिससे यह खाद्य श्रृंखला में प्रवेश कर जाते हैं। ये रसायन अजैव निम्नीकरणीय होते हैं जो आहार श्रृंखला के विभिन्न पोषीस्तरों में संचित होते जाते हैं, इस प्रक्रम को जैव आवर्धन कहते हैं। हाँ, विभिन्न पोषी स्तरों में रसायनों की सान्द्रता भिन्न-भिन्न होती है। जैसे-जैसे आहार श्रृंखला की श्रेणी बढ़ती जाती है रसायनों की सांद्रता में भी अधिकता होती रहती है और उसका प्रभाव भी बढ़ता जाता है।

प्रश्न 7.
हमारे द्वारा उत्पादित अजैव निम्नीकरणीय कचरे से कौन-कौन सी समस्याएँ उत्पन्न होती हैं ? .
उत्तर-
हमारे द्वारा उत्पादित अजैव निम्नीकरणीय पदार्थों जैसे-प्लास्टिक, चमड़ा, काँच, डी. डी. टी. आदि से युक्त कचरे से अनेक समस्याएँ उत्पन्न होती हैं-

  • प्लास्टिक जैसे पदार्थों को निगल लेने से शाकाहारी जन्तुओं की मृत्यु हो सकती है।
  • नाले-नालियों में अवरोध उत्पन्न होता है।
  • मृदा प्रदूषण बढ़ता है।
  • जीवधारियों में जैविक आवर्धन होता है।
  • जल एवं वायु प्रदूषण बढ़ता है।
  • पर्यावरण अस्वच्छ होता है।
  • पारिस्थितिक संतुलन में अवरोध उत्पन्न होता है।
  • भूमि की उत्पादकता कम होती है।

प्रश्न 8.
यदि हमारे द्वारा उत्पादित सारा कचरा जैव निम्नीकरणीय ही, तो क्या इनका हमारे पर्यावरण पर कोई प्रभाव पड़ेगा?
उत्तर-
यदि हमारे द्वारा (उत्पादित) सारा कचरा जैव निम्नीकरणीय हो तो निपटान आसानी से कर दिया जाएगा। जैव निम्नीकरणीय पदार्थ सरलता से सूक्ष्म जीवों द्वारा अपघटित कर दिए जाते हैं। अतः इनसे हमारे पर्यावरण पर कोई हानिकारक प्रभाव नहीं पड़ेगा।

प्रश्न 9.
ओजोन परत की क्षति हमारे लिए चिंता का विषय क्यों है ? इस क्षति को सीमित करने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं ? (CBSE 2016)
उत्तर-
ओजोन परत सूर्य की पराबैंगनी किरणों से पृथ्वी पर जीवन की रक्षा करती है। यह सूर्य से आने वाले हानिकारक विकिरण को सोख लेती है। यह विकिरण हमारे शरीर में विभिन्न व्याधियों जैसे-कैंसर, त्वचा रोग, आँखों के रोग आदि उत्पन्न कर सकता है। रेफ्रिजरेशन वक्स, एरोसोल, जेट यानों आदि से उत्सर्जित रसायन जैसे-क्लोरोफ्लुओरो कार्बन्स (CFCs) ओजोन परत का क्षरण करते हैं जिससे सूर्य की पराबैगनी किरणों (UV-rays) के पृथ्वी पर आने की सम्भावना बढ़ रही है अतः ओजोन परत की क्षति हमारे लिए चिन्ता का विषय है।

ओजोन परत की क्षति को रोकने के लिए 1987 में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) में सर्वसम्मति से यह पारित हुआ कि क्लोरोफ्लुओरो कार्बन का उत्पादन 1986 के स्तर पर सीमित रखा जाए। मांट्रियल प्रोटोकॉल में 1987 में यह पारित हुआ कि 1998 तक इसके प्रयोग में 50% तक की कमी लायी जाए। धीरे-धीरे सभी देश इस समस्या से निपटने के लिए अग्रसर हो रहे हैं।

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(पाठ्य-पुस्तक पृ. सं. 292)

प्रश्न 1.
पोषी-स्तर क्या है? एक आहार श्रृंखला का उदाहरण दीजिए तथा इसमें विभिन्न पोषी स्तर बताइए। (RBSE 2016) (नमूना प्रश्न पत्र 2012)
उत्तर-
पोषी-स्तर (Trophic Level) हरे पौधे सौर ऊर्जा की सहायता से अपना भोजन बनाते हैं। इन पौधों को शाकाहारी प्राणियों द्वारा खाया जाता है जिन्हें मांसाहारी प्राणियों द्वारा भोजन के रूप में ग्रहण किया जाता है। इस प्रकार से खाद्य के आहार के अनुसार विभिन्न प्राणियों में एक श्रृंखला निर्मित होती जाती है जिसे आहार श्रृंखला कहते है। आहार श्रृंखला की प्रत्येक कड़ी पोषी स्तर कहलाती है। एक आहार श्रृंखला नीचे दी गई है-
घास → कीट → मेंढ़क → सर्प → बाज

उपरोक्त आहार श्रृंखला में पाँच पोषी स्तर हैं –

  • प्रथम पोषी स्तर घास है जो कि स्वयंपोषी है और उत्पादक कहलाती है।
  • द्वितीय पोषी स्तर कीट है जो शाकाहारी है और प्राथमिक उपभोक्ता कहलाता है।
  • तृतीय पोषी स्तर मेंढ़क है जो मांसाहारी है और द्वितीयक उपभोक्ता कहलाता है।
  • चतुर्थ पोषी स्तर सर्प है जो मांसाहारी है और तृतीयक उपभोक्ता कहलाता है।
  • पंचम पोषी स्तर बाज़ है जो मांसाहारी है और चतुर्थ उपभोक्ता कहलाता है।

प्रश्न 2.
पारितंत्र में अपमार्जकों की क्या भूमिका है ?
उत्तर-
पारितंत्र में अपमार्जकों (scavengers) का प्रमुख स्थान है। जीवाणु तथा अन्य सूक्ष्म जीव अपमार्जकों का कार्य करते हैं। ये पेड़-पौधों एवं जीव-जन्तुओं के मृत शरीरों पर आक्रमण कर जटिल कार्बनिक पदार्थों को सरल पदार्थों में बदल देते हैं। इसी प्रकार कचरा जैसे- सब्जियों एवं फलों के छिलके, जन्तुओं के मल-मूत्र, पौधों के सड़े-गले भाग अपमार्जकों द्वारा ही विघटित कर दिए जाते हैं। इस प्रकार पदार्थों के पुनः चक्रण में अपमार्जक सहायता करते हैं और वातावरण को स्वच्छ रखते हैं।

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(पाठ्य-पुस्तक पृ. सं. 295)

प्रश्न 1.
क्या कारण है कि कुछ पदार्थ जैव निम्नीकरणीय होते हैं तथा कुछ अजैव-निम्नीकरणीय ?
उत्तर-
ऐसे अपशिष्ट पदार्थ जो सूक्ष्म जीवधारियों द्वारा अपघटित होकर अपेक्षाकृत सरल एवं अहानिकारक पदार्थों में बदल दिए जाते हैं, जैव निम्नीकरणीय पदार्थ कहलाते हैं। उदाहरण के लिए शाक-सब्जियों, फलों आदि के अवशेष तथा मल-मूत्र आदि पदार्थों को सूक्ष्म जीवों द्वारा अपघटित कर दिया जाता है। कुछ पदार्थ ऐसे होते हैं जो इन सूक्ष्म जीव धारियों द्वारा अपघटित नहीं किये जा सकते हैं। ये लम्बे समय तक प्रकृति में बने रहते हैं। यह पदार्थ अजैव निम्नीकरणीय पदार्थ कहलाते हैं जैसे-प्लास्टिक, पॉलीथीन, काँच, डी. डी. टी. आदि।

प्रश्न 2.
ऐसे दो तरीके सुझाइए जिनमें जैव निम्नीकरणीय पदार्थ पर्यावरण को प्रभावित करते हैं।
उत्तर-
जैव निम्नीकरणीय पदार्थ निम्न प्रकार से पर्यावरण को प्रभावित करते हैं-

  • जैव निम्नीकरणीय पदार्थों के सूक्ष्म जीवों द्वारा विघटन से मुक्त विषाक्त एवं दुर्गन्धमय गैसें पर्यावरण को प्रदूषित करती हैं।
  • कार्बनिक जैव निम्नीकरणीय पदार्थों की अधिकता से ऑक्सीजन की कमी हो जाने से सूक्ष्म जीव नष्ट हो जाते हैं। इसके फलस्वरूप अपघटन क्रिया प्रभावित होती है और पर्यावरण प्रदूषित हो जाता है।

प्रश्न 3.
ऐसे दो तरीके बताइए जिनमें अजैव निम्नीकरणीय पदार्थ पर्यावरण को प्रभावित करते हैं।
उत्तर-
अजैव निम्नीकरणीय पदार्थ निम्न प्रकार से पर्यावरण को प्रभावित करते हैं-

  • अजैव निम्नीकरणीय पदार्थ लम्बे समय तक पर्यावरण को प्रदूषित करते हैं। ये पदार्थ विभिन्न पदार्थों के चक्रण में रुकावट उत्पन्न करते हैं।
  • अनेक कीटनाशक तथा पीड़कनाशक रसायन खाद्य श्रृंखला के माध्यम से जीवधारियों तथा मनुष्य के शरीर में पहुँचकर उसे क्षति पहुचाते हैं।

(पाठ्य-पुस्तक पृ. सं. 296)

प्रश्न 1.
ओजोन क्या है तथा यह किसी पारितंत्र को किस प्रकार प्रभावित करती है ? (CBSE 2016)
उत्तर-
ओजोन एक गैस है जिसका अणुसूत्र ‘o,’ है तथा इसका प्रत्येक अणु ऑक्सीजन के तीन परमाणुओं से मिलकर बनता है। ओजोन गैस की परत वायुमंडल के समताप मण्डल में पायी जाती है। यह सूर्य से आने वाली हानिकारक पराबैंगनी किरणों को रोकती है। अतः पृथ्वी के जीवों को पराबैंगनी किरणों के घातक प्रभाव से बचाती है। पराबैंगनी किरणें ऑक्सीजन अणुओं को विघटित करके स्वतंत्र ऑक्सीजन (Nascent Oxygen; O) परमाणु बनाती हैं। ऑक्सीजन के ये स्वतंत्र परमाणु संयुक्त होकर ओजोन बनाते हैं।
HBSE 10th Class Science Solutions Chapter 15 हमारा पर्यावरण 1
यदि वायुमण्डल में ओजोन परत नहीं होती तो हानिकारक पराबैंगनी किरणें पृथ्वी पर पहुँच जाती और मानव सहित विभिन्न जीवधारियों में घातक रोग जैसे कैंसर, आँख के रोग आदि उत्पन्न करती।

प्रश्न 2.
आप कचरा निपटान की समस्या कम करने में क्या योगदान कर सकते हैं ?
उत्तर-
कचरा निपटान की समस्या कम करने में हम निम्नलिखित योगदान कर सकते हैं-

  • हमें जैव निम्नीकरणीय तथा अजैव निम्नीकरणीय कचरे को अलग-अलग कर लेना चाहिए। अजैव निम्नीकरणीय पदार्थों को पुनः चक्रण हेतु कारखाने भेज देना चाहिए जिससे इन्हें पुनः प्रयोग में लाया जा सके।
  • जैव निम्नीकरणीय पदार्थों का प्रयोग ह्यूमस या खाद बनाने के लिए करना चाहिए जिससे पौधों को उच्च कोटि की खाद उपलब्ध हो सके।

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क्रियाकलाप 15.1. (पा. पु. पृ. सं. 289)

प्रश्न 1.
जल जीवशाला बनाते समय हमें किन बातों का ध्यान रखना होगा ?
उत्तर-
मछलियों को तैरने के लिए स्थान, जल, ऑक्सीजन एवं भोजन।

प्रश्न 2.
यदि हम इसमें कुछ पौधे लगा दें तो यह एक स्व निर्वाह तंत्र बन जाएगा। क्या आप सोच सकते हैं कि यह कैसे होता है ?
उत्तर-
पौधे प्रकाश संश्लेषण की क्रिया में 02 निकाल कर जल को स्वच्छ बनाते रहेंगे तथा श्वसन में छोड़ी गई CO2, को भोजन बनाने में काम लेते रहेंगे।

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प्रश्न 3.
क्या हम जल जीवशाला बनाने के उपरान्त इसे ऐसे ही छोड़ सकते हैं ? कभी-कभी इसकी सफाई की क्या आवश्यकता है ?
उत्तर-
नहीं, हमें जलजीवशाला की समय-समय पर देख-रेख करनी होगी। इसमें जीवाणु उत्पन्न हो सकते हैं जिन्हें हटाने के लिए कभी-कभी जल भी बदलना होगा।

प्रश्न 4.
क्या हमें इसी प्रकार तालाबों एवं झीलों की सफाई भी करनी चाहिए ? क्यों और क्यों नहीं ?
उत्तर-
तालाबों एवं झीलों की भी यदि सम्भव हो तो सफाई करनी चाहिए, क्योंकि तालाबों एवं झीलों में सुपोषण (eutrophication) की संभावना बनी रहती है।

क्रियाकलाप 15.2. (पा. पु. पृ. सं. 289)

प्रश्न 1.
जल जीवशाला बनाते समय क्या आपने इस बात का ध्यान रखा कि ऐसे जन्तुओं को साथ न रखें जो दूसरों को खा जाएँ।
उत्तर-
माँसाहारी मछलियाँ अन्य मछलियों को खा जाएँगी। कृत्रिम पारितंत्र में वे अपनी वंश वृद्धि भी नहीं कर सकती हैं।

प्रश्न 2.
समूह बनाइए तथा चर्चा करें कि उपर्युक्त समूह एक दूसरे पर निर्भर करते हैं?
उत्तर-
मछलियाँ भोजन खाती हैं। उत्सर्जन करती हैं जिससे जलीय पादपों और काई का पोषण होता है और वे मछलियों का भोजन बनते हैं। इससे वे एक-दूसरे पर निर्भर हैं।

प्रश्न 3.
जलीय जीवों के नाम उसी क्रम में लिखिए जिसमें एक जीव दूसरे जीव को खाता है तथा एक ही श्रृंखला की स्थापना कीजिए जिसमें कम से कम तीन चरण हों।
उत्तर-
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प्रश्न 4.
क्या आप किसी एक समूह को सबसे अधिक महत्व का मानते हैं? क्यों एवं क्यों नहीं ?
उत्तर-
सभी समूह महत्वपूर्ण हैं परन्तु उत्पादक (पादप) सबसे महत्वपूर्ण हैं। उनके बिना अन्य प्राणियों का जीवन संभव नहीं है।

क्रियाकलाप 15.3. (पा. पु. पृ. स. 292)

प्रश्न 1.
समाचार पत्रों में, तैयार सामग्री अथवा भोज्य पदार्थों में पीड़क एवं रसायनों की मात्रा के विषय में अक्सर ही समाचार छपते रहते हैं। कुछ राज्यों ने इन पदार्थों पर रोक भी लगा दी है। इस प्रकार की रोक के औचित्य पर चर्चा कीजिए।
उत्तर-
पीड़कनाशी जैव आवर्धन द्वारा आहार श्रृंखला में प्रवेश कर जाते हैं और अन्ततः मानव में प्रवेश करके अनेक बीमारियों का कारण बनते हैं। विभिन्न प्रकार के शीतल पेय पदार्थों में इनकी उपस्थिति प्रायः समाचार पत्रों में छपती रहती है। अनेक राज्यों ने इनके प्रयोग पर रोक लगा दी है।

प्रश्न 2.
आपके विचार में इन खाद्य पदार्थों में पीड़क नाशियों का स्रोत क्या है ? क्या यह पीड़कनाशी अन्य खाद्य स्त्रोतों के माध्यम से हमारे शरीर में पहुँच सकते हैं ?
उत्तर-
खेत-खलिहानों में फसलों की सुरक्षा की दृष्टि से विभिन्न कीटनाशकों का प्रयोग किया जाता है। ये फसल के माध्यम से धान्यों में पहुँच जाते हैं, साथ ही पशुओं द्वारा खाये गये ‘चारे से उनके मांस एव दूध में भी पहुँच जाते हैं। फल, सब्जियाँ, दालों आदि में भी इनकी मात्रा संचित हो जाती है। जब ये वस्तुएँ मानव द्वारा खायी जाती हैं तो मानव के शरीर में वे संचित हो जाते हैं।

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प्रश्न 3.
किन उपायों द्वारा शरीर में इन पीड़कनाशियों की मात्रा कम की जा सकती है ? चर्चा कीजिए।
उत्तर-
फलों एवं सब्जियों को भली भाँति धो लेने से, इन्हें छीलकर इस्तेमाल करने से इन कीटनाशकों से कुछ बचाव किया जा सकता है। विभिन्न स्रोतों से प्राप्त खाद्य पदार्थों के प्रयोग से भी कुछ बचाव हो सकता है।

क्रियाकलाप 15.4. (पा. पु. पृ. सं. 293)

प्रश्न 1.
पुस्तकालय, इंटरनेट अथवा समाचार-पत्रों से पता लगाइए कि वे कौन से रसायन हैं जो ओजोन परत की क्षीणता के लिए उत्तरदायी हैं ?
उत्तर-
क्लोरो-फ्लुओरो कार्बन, नाइट्रोजन ऑक्साइड तथा हाइड्रोकार्बन, ओजोन परत की क्षीणता के लिए उत्तरदायी हैं |

प्रश्न 2.
पता लगाइए इन पदार्थों के उत्पादन एवं उत्सर्जन के नियमन संबंधी कानून ओजोन क्षरण कम करने में सफल रहे हैं? क्या पिछले कुछ वर्षों में ओजोन छिद्र के आकार में कुछ परिवर्तन आया है?
उत्तर-
रेफ्रिजरेटर्स, अग्निशामकों, ऐरोसोल आदि से उत्सर्जित क्लोरो-फ्लुओरो कार्बन के कारण ओजोन क्षरण होता है। मांट्रियल प्रोटोकोल के प्रयासों से पिछले कुछ वर्षों में ओजोन-छिद्र के आकार में कुछ परिवर्तन आया है।

क्रियाकलाप 15.5. (पा. पु. पृ. सं. 294)

प्रश्न 1.
वे कौनसे पदार्थ हैं जो लम्बे समय बाद भी अपरिवर्तित रहते हैं ?
उत्तर-
लंबे समय तक दूध की खाली थैलियाँ, दवा की खाली बोतलें, स्ट्रिप्स, टूटे जूते आदि अजैव निम्नीकरणीय पदार्थ अपरिवर्तित रहते हैं।

प्रश्न 2.
वे कौन-से पदार्थ हैं जिनके स्वरूप व संरचना में परिवर्तन होता है ?
उत्तर-
संदूषित भोजन, सब्जियों के छिलके, चाय की उपयोग की गयी पत्तियाँ, रद्दी कागज आदि पदार्थों की संरचना में परिवर्तन होते हैं।

प्रश्न 3.
जिन पदार्थों के स्वरूप में समय के साथ परिवर्तन आया है, कौन-से पदार्थ अल्पतम समय में अतिशीघ्र परिवर्तित हुए हैं ?
उत्तर-
सबसे कम समय में सूती कपड़े, सब्जियों के छिलके, संदूषित भोजन और चाय की उपयोग की गई पत्तियों का स्वरूप परिवर्तित हुआ है।

क्रियाकलाप 15.6 (पा. पु. पृ. सं. 294)

प्रश्न 1.
अजैव निम्नीकरणीय पदार्थ कितने समय तक पर्यावरण में इसी रूप में बने रह सकते हैं ?
उत्तर-
जैव और अजैव निम्नीकरणीय पदार्थों को अपनी संरचना बदलने में अलग-अलग समय लगता है। सूती कपड़ों के चीथड़े प्रायः 1-6 माह, कागज 2-6 माह, फलों व सब्जियों के छिलके 6 माह, ऊनी कपड़े 1-5 वर्ष, लेमिनेटेड डिब्बे 5 वर्ष, चमड़े के जूते 25-40 वर्ष, नाइलॉन/टेरीलीन 30-40 वर्ष, धातुएँ 50 से 100 वर्ष और काँच की बोतलें/बर्तन दस लाख वर्ष में अपनी संरचना बदल लेते हैं। प्लास्टिक का सामान कभी भी विकृत नहीं होता है।

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प्रश्न 2.
आजकल ‘जैव निम्नीकरणीय प्लास्टिक’ उपलब्ध हैं। इन पदार्थों के विषय में अधिक जानकारी प्राप्त कीजिए तथा पता लगाइए कि क्या उनसे पर्यावरण को हानि हो सकती है अथवा नहीं।
उत्तर-
गेहूँ, मकई या आलू से प्राप्त स्टार्च की लैक्टिक अम्ल से जीवाणुओं की उपस्थिति में क्रिया से जैव निम्नीकरणीय प्लास्टिक बनाया जा रहा है। इसे पॉलीलैक्टाइड (Polylactide) कहते हैं। इनसे पर्यावरण की हानि नहीं होती।

क्रियाकलाप 15.7. (पा. पु. पृ.सं. 295)

प्रश्न 1.
पता लगाइए कि घरों में उत्पादित कचरे का क्या होता है? क्या किसी स्थान से इसे एकत्र करने का कोई प्रबन्ध है?
उत्तर-
आमतौर पर घरों से उत्पन्न कूड़ा-कर्कट किसी बन्द बाल्टी में एकत्र कर लिया जाता है जिसे स्थानीय निकायों के कर्मचारी किसी बड़े स्थान पर ले जाते हैं।

प्रश्न 2.
पता लगाइए कि स्थानीय निकायों (पंचायत, नगर पालिका, आवास कल्याण समिति ‘RWA’) द्वारा इसका निपटान किस प्रकार किया जाता है?
उत्तर-
स्थानीय निकाय एकत्र किए गए कचरे को गाड़ियों द्वारा व्यर्थ भूमि के भराव के लिए या खाद बनाने के लिए भेजते हैं।

प्रश्न 3.
क्या वहाँ जैव अपघटित तथा अजैव अपघटित कचरे को अलग-अलग करने की व्यवस्था है?
उत्तर-
हाँ। जैव निम्नीकरणीय कचरे को खाद निर्माण के लिए तथा अजैव निम्नीकरणीय कचरे को पुनः चक्रण हेतु भेज दिया जाता है।

प्रश्न 4.
गणना कीजिए कि एक दिन में घर से कितना कचरा उत्पादित होता है ?
उत्तर-
सामान्यतया एक दिन में घर से 2 से 3 किग्रा कचरा उत्पन्न होता है।

प्रश्न 5.
इसमें से कितना कचरा जैव निम्नीकरणीय है?
उत्तर-
इसका अधिकांश भाग जैव निम्नीकरणीय है।

प्रश्न 6.
गणना कीजिए कि कक्षा में प्रति दिन कितना कचरा उत्पादित होता है ?
उत्तर-
कक्षा में उत्पन्न कचरा प्रायः फटे कागज, धूल, बचे-खुचे खाद्य पदार्थ, पेंसिल की छीलन, चॉक के टुकड़े आदि होता है।

प्रश्न 7.
इसमें कितना कचरा जैव निम्नीकरणीय है और कितना अजैव निम्नीकरणीय है ?
उत्तर-
अधिकांश भाग जैव निम्नीकरणीय होता है।

प्रश्न 8.
इस कचरे से निपटने के कुछ उपाय सुझाइए।
उत्तर-
कचरे को स्कूल में बगीचे में गड्ढा खोदकर दबा देना चाहिए।

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क्रियाकलाप 15.8. (पा. पु. पृ. सं. 295)

प्रश्न 1.
पता लगाइए कि आपके क्षेत्र में मल व्ययन की क्या व्यवस्था है? क्या वहाँ इस बात का प्रबंध है कि स्थानीय जलाशय एवं जल के अन्य स्रोत जल मल से प्रभावित न हों?
उत्तर-
हमारे क्षेत्र में मल व्ययन के लिए भूमिगत सीवरेज की व्यवस्था है। सड़क के एक ओर जलवाही पाइप लाइनें हैं तो दूसरी ओर सीवेज पाइपलाइनें हैं इसलिए पेय जल मल प्रभावित नहीं हो सकता।

प्रश्न 2.
अपने क्षेत्र में पता लगाइए कि स्थानीय उद्योग अपने अपशिष्ट (कूड़े-कचरे एवं तरल अपशिष्ट) के निपटान का क्या प्रबन्ध करते हैं? क्या वहाँ इस बात का प्रबन्धन है जिससे सुनिश्चित हो सके कि इन पदार्थों से भूमि तथा जल का प्रदूषण नहीं होगा।
उत्तर-
गंदे प्रदूषित जल को साफ करके विभिन्न रासायनिक पदार्थों द्वारा उपचारित किया जाता है और नदी में प्रवाहित कर दिया जाता है।

क्रियाकलाप 15.9. (पा. पु. पृ. सं. 296)

प्रश्न 1.
इंटरनेट अथवा पुस्तकालय की सहायता से पता लगाएँ कि इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं के निपटान के समय किन खतरनाक वस्तुओं से आपको सुरक्षापूर्वक छुटकारा पाना है। यह पदार्थ पर्यावरण को किस प्रकार प्रभावित करते हैं?
उत्तर-
इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं में सीसा, कैडमियम, सिलिकॉन, प्लास्टिक आदि आते हैं जो मृदा को प्रदूषित करते हैं। इसका हमारे स्वास्थ्य तथा अन्य जीवों पर कुप्रभाव पड़ता है।

प्रश्न 2.
पता लगाइए कि प्लास्टिक का पुनः चक्रण किस प्रकार होता है? क्या प्लास्टिक के पुनः चक्रण का पर्यावरण पर कोई प्रभाव होता है ?
उत्तर-
प्लास्टिक को पिघलाकर खिलौने, मग, कंघे, बाल्टियाँ आदि तैयार किए जाते हैं। पुनः चक्रण के समय प्लास्टिक से अनेक हानिकारक गैसें उत्पन्न होती हैं जो वाय को प्रदूषित करती हैं। प्रदूषित वायु से हमारे स्वास्थ्य तथा अन्य जीवों पर बुरा प्रभाव होता है।

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