HBSE 10th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 6 यह दंतुरहित मुस्कान और फसल

Haryana State Board HBSE 10th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 6 यह दंतुरहित मुस्कान और फसल Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 10th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 6 यह दंतुरहित मुस्कान और फसल

HBSE 10th Class Hindi यह दंतुरहित मुस्कान और फसल Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
‘बच्चे की दंतुरित मुसकान’ का कवि के मन पर क्या प्रभाव पड़ता है? [H.B.S.E. 2018, 2019 (Set-A)]
उत्तर-
बच्चे की दंतरित मुसकान को देखकर कवि का मन प्रसन्न हो उठता है। उसके निराश और उदास मन में पुनः स्फूर्ति आ जाती है। उसे ऐसा लगता है मानों उसकी झोपड़ी में कमल के फूल खिल उठे हों। मानों उसके मन में स्नेह की धारा प्रवाहित हो गई हो या फिर बबूल व बाँस के वृक्ष से मानों शेफालिका के फूल झड़ने लगे हों। कहने का भाव है कि कवि का मन बच्चे की दंतुरित मुसकान से अत्यधिक प्रभावित हुआ था।

प्रश्न 2.
बच्चे की मुसकान और एक बड़े व्यक्ति की मुसकान में क्या अंतर है?
उत्तर-
बच्चे की मुसकान निश्छल एवं स्वाभाविक होती है। उसके मन में किसी प्रकार का छल-कपट नहीं होता, किंतु बड़े व्यक्ति की मुसकान में छल-कपट व दिखावा हो सकता है। उसे न चाहते हुए भी मुसकाना पड़ता है। बड़ों की मुसकान उनके मन की स्वाभाविक गति न होकर लोक व्यवहार का अंग भी हो सकती है।

प्रश्न 3.
कवि ने बच्चे की मुसकान के सौंदर्य को किन-किन बिंबों के माध्यम से व्यक्त किया है?
उत्तर-
कवि ने बच्चे की मुसकान को निम्नलिखित बिंबों के माध्यम से व्यक्त किया है(क) बच्चे की मुसकान से मृतक भी प्राणवान् हो जाता है। (ख) बच्चे की मुसकान ऐसी लगती है मानों झोंपड़ी में कमल का फूल खिल गया हो। (ग) बच्चे की मुसकान से मानों चट्टानों ने पिघलकर जलधारा का रूप धारण कर लिया हो। (घ) मानों बाँस व बबूल के वृक्षों से शेफालिका के फूल झड़ने लगे हों।

प्रश्न 4.
भाव स्पष्ट कीजिए
(क) छोड़कर तालाब मेरी झोपड़ी में खिल रहे जलजात।
(ख) छू गया तुमसे कि झरने लग पड़े शेफालिका के फूल बाँस था कि बबूल?
उत्तर-
(क) कवि को ऐसा लगा कि उस छोटे बच्चे की मुसकान तो ईश्वरीय वरदान के समान थी। वह धूल-धूसरित अंग-प्रत्यंगों वाला तो जैसे तालाब में खिले कमल के समान मोहक और मनोरम था जो उसकी झोंपड़ी में आकर बस गया था।
(ख) नन्हें बालक का रूप ऐसा मनोरम था कि चाहे कोई कितना भी निर्मम क्यों न हो, उसे देख मन-ही-मन प्रसन्नता से भर . उठता था। चाहे बाँस के समान हो या बबूल के समान, पर उसकी सुंदरता से प्रभावित हो वह उसकी ओर देख मुसकराने के लिए विवश हो जाता था।

HBSE 10th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 6 यह दंतुरहित मुस्कान और फसल

रचना और अभिव्यक्ति

प्रश्न 5.
मुसकान और क्रोध दो भिन्न-भिन्न भाव हैं। इनकी उपस्थिति से बने वातावरण की भिन्नता का चित्रण कीजिए।
उत्तर-
मुसकान और क्रोध दोनों ही मानव मन में उत्पन्न होने वाले भाव हैं। मुसकान एक सुखद भाव है, जबकि क्रोध एक मनोविकार है जिसका उत्पन्न होना अधिकतर हानिकारक होता है। मुसकान सुखद है। इससे हँसी-खुशी का वातावरण बनता है। आपस में प्रेम भाव का संचार होता है। समाज में मेल-जोल बढ़ता है। इसके विपरीत क्रोध उन सबको कष्ट पहुंचाता है जो क्रोध करने वाले व्यक्ति के समीप होते हैं। क्रोध में लिए गए, निर्णय का परिणाम कभी लाभदायक नहीं होता। मुसकान से हर व्यक्ति के हृदय को जीता जा सकता है, किंतु क्रोध से सदा शत्रुता बढ़ती है।

प्रश्न 6.
दंतरित मुसकान से बच्चे की उम्र का अनुमान लगाइए और तर्क सहित उत्तर दीजिए।
उत्तर-
इस कविता को पढ़कर अनुमान लगाया जा सकता है कि बच्चे की आयु 7 और 9 मास के बीच रही होगी, क्योंकि इसी आयु में ही बच्चों के दूध के दाँत निकलने आरंभ होते हैं। इसी आयु में बच्चा अपने माता-पिता को भी पहचानने लगता है।

प्रश्न 7.
बच्चे से कवि की मुलाकात का जो शब्द-चित्र उपस्थित हुआ है, उसे अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर-
कवि कई मास के पश्चात् घर लौटने पर बच्चे से मिला। बच्चा उन्हें देखकर मुसकाने लगता है। बच्चे की नए-नए दाँतों वाली मुसकान को देखकर कवि का मन प्रसन्नता से खिल उठा। नन्हें बच्चे की भोली-सी मुसकान को देखकर उसके निराश जीवन में मानो प्राण आ गए। कवि को लगा कि कमल का सुंदर फूल उनकी झोंपड़ी में उग आया हो। उसके बूढ़े व नीरस शरीर को ऐसा प्रतीत हुआ मानो बबूल के पेड़ पर शेफालिका के फूल खिल गए हों। आरंभ में बालक कवि को अजनबी की भाँति देखता रहा किंतु बच्चे की माँ ने दोनों के बीच माध्यम बनकर दोनों का परिचय कराया। बच्चा कवि को तिरछी नज़रों से देखकर मुँह फेरने लगा। किंतु माँ के द्वारा परिचय करवाने पर दोनों में स्नेह बढ़ने लगा। बच्चा मुस्करा पड़ा और उसके नए-नए उगे हुए दो दाँत दिखाई देने लगे। .

पाठेतर सक्रियता

आप जब भी किसी बच्चे से पहली बार मिलें तो उसके हाव-भाव, व्यवहार आदि को सूक्ष्मता से देखिए और उस अनुभव . को कविता या अनुच्छेद के रूप में लिखिए।
उत्तर-
छात्र स्वयं करें।

एन०सी०ई०आर०टी० द्वारा नागार्जुन पर बनाई गई फिल्म देखिए।
उत्तर-
विद्यार्थी विद्यालय की ओर से फिल्म मँगवाकर देख सकते हैं।

फसल

प्रश्न 1.
कवि के अनुसार फसल क्या है?
उत्तर-
कवि के अनुसार, फसल मनुष्य और प्रकृति के सम्मिलित प्रयासों का परिणाम है। फसल अनेक नदियों के जल का जादू, करोड़ों लोगों के हाथों के स्पर्श अथवा परिश्रम की गरिमा तथा भूरी, काली व संदली मिट्टी का गुण धर्म है। फसल सूर्य की किरणों का रूपांतरण भी है, जिसे हवा नचाती व लहराती है।

प्रश्न 2.
कविता में फसल उपजाने के लिए आवश्यक तत्त्वों की बात कही गई है वे आवश्यक तत्त्व कौन-कौन से हैं?
उत्तर-
कवि के अनुसार फसल के लिए आवश्यक तत्त्व हैं-मिट्टी, खाद, पानी, सूर्य की किरणें और हवा।

प्रश्न 3.
फसल को ‘हाथों के स्पर्श की गरिमा’ और ‘महिमा’ कहकर कवि क्या व्यक्त करना चाहता है?
उत्तर-
कवि बताना चाहता है कि फसल पैदा करने के लिए घर के सभी व्यक्तियों को परिश्रम करना पड़ता है। किसान का पूरा परिवार फसल को पैदा करने में जुटा रहता है। फसल से अनेक लोगों का पेट पलता है। यह एक नहीं अनेक हाथों की महिमा है। अतः स्पष्ट है कि कवि ने किसान के परिश्रम के. महत्त्व को प्रतिपादित करने का सफल प्रयास किया है।

प्रश्न 4.
भाव स्पष्ट कीजिए(क) रूपांतर है सूरज की किरणों का सिमटा हुआ संकोच है हवा की थिरकन का!
उत्तर-कवि ने स्पष्ट किया है कि ये फसलें और कुछ नहीं सूरज की किरणों का बदला हुआ रूप हैं। फसलों की हरियाली सूरज की किरणों के प्रभाव के कारण आती है तथा सूर्य की गर्मी से ही फसलें पकती हैं। फसलों को बढ़ाने में हवा की थिरकन का भी भरपूर योगदान है। मानों हवा सिमट-सिकुड़कर फसलों में समा जाती है।

HBSE 10th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 6 यह दंतुरहित मुस्कान और फसल

रचना और अभिव्यक्ति

प्रश्न 5.
कवि ने फसल को हज़ार-हज़ार खेतों की मिट्टी का गुण-धर्म कहा है।
(क) मिट्टी के गुण-धर्म को आप किस तरह परिभाषित करेंगे?
(ख) वर्तमान जीवन शैली मिट्टी के गुण-धर्म को किस-किस तरह प्रभावित करती है?
(ग) मिट्टी द्वारा अपना गुण-धर्म छोड़ने की स्थिति में क्या किसी भी प्रकार के जीवन की कल्पना की जा सकती है?
(घ) मिट्टी के गुण-धर्म को पोषित करने में हमारी क्या भूमिका हो सकती है?
उत्तर-
(क) मिट्टी के गुण-धर्म से तात्पर्य उसकी उपजाऊ शक्ति से है जो उसमें मिले विभिन्न तत्त्वों के कारण होती है। उन तत्त्वों के कारण ही मिट्टी विभिन्न रंगों को प्राप्त करती है। मिट्टी के तत्त्व ही फसल को उगाने व विकसित करने में सहायक होते हैं।
(ख) वर्तमान जीवन-शैली मिट्टी को प्रदूषित कर रही है। उसके सहज-स्वाभाविक गुणों को नष्ट कर रहे हैं। आज रासायनिक पदार्थों के अधिक प्रयोग से मिट्टी के स्वाभाविक गुणों में परिवर्तन आ रहा है। तरह-तरह के कीटनाशक व खरपतवार नाशक मिट्टी को हानि पहुंचाते हैं। इनके प्रयोग से भले ही हमें फसल अधिक मिलती हो किंतु इनके दूरगामी परिणाम बहुत ही हानिकारक हैं।
(ग) यदि मिट्टी अपना मूल गुण-धर्म और स्वभाव छोड़ देगी तो जीवन का स्वरूप विकृत हो जाएगा अर्थात् मिट्टी में फसल नहीं उग सकेगी। शायद जीवन तो नष्ट न हो किंतु वह विद्रूप अवश्य हो जाएगा।
(घ) मिट्टी के गुण-धर्म को पोषित करने में हम बहुत कुछ कर सकते हैं। सबसे पहली बात हम सचेत हों। हम मिट्टी के . . गुण-धर्म को प्रभावित करने वाले कारकों के बारे में जानें। इससे हम स्वयमेव जागरूक हो जाएँगे। हम स्वयं जागकर अन्य लोगों को जगाने का कार्य भी कर सकते हैं तथा मिट्टी को पहुँचने वाली हानि को रोक सकते हैं।

पाठेतर सक्रियता

इलेक्ट्रॉनिक एवं प्रिंट मीडिया के माध्यमों द्वारा आपने किसानों की स्थिति के बारे में बहुत कुछ सुना, देखा और पढ़ा होगा। एक सुदृढ़ कृषि-व्यवस्था के लिए आप अपने सुझाव देते हुए अखबार के संपादक को पत्र लिखिए।
उत्तर-
सेवा में,
संपादक महोदय,
दैनिक ट्रिब्यून,
चंडीगढ़।

विषय : सुदृढ़ कृषि व्यवस्था हेतु कुछ सुझाव।
आदरणीय महोदय,

मैं आपके सुप्रसिद्ध समाचार-पत्र के माध्यम से सुदृढ़ कृषि-व्यवस्था पर कुछ सुझाव कृषकों तक पहुँचाना चाहता हूँ जो किसान व उनके खेतों के लिए निश्चित रूप से लाभदायक सिद्ध होंगे। हमारा देश कृषि प्रधान देश है। कृषि व किसानों के हित में सोचना हम सबका नैतिक कर्त्तव्य है।

कृषि व्यवस्था को समुचित बनाने हेतु हमें कृषि करने योग्य भूमि पर समय पर फसल की बिजाई कर देनी चाहिए। कृषि करने के परंपरागत तरीकों के स्थान पर नई-नई कृषि पद्धतियों व विधियों को निःसंकोच अपनाना चाहिए। फसल की बिजाई करने से पहले हमें अपने खेत की मिट्टी की जाँच अवश्य करवा लेनी चाहिए ताकि यह पता चल सके कि उसमें कौन-सी फसल उगानी चाहिए जिससे अच्छी-से-अच्छी फसल हो सके। यदि हमारे खेत की मिट्टी में किसी तत्त्व की कमी हो तो हमें उसे दूर कर लेना चाहिए। हमें श्रेष्ठ श्रेणी के बीजों का प्रयोग करना चाहिए। उन्नत किस्म के बीजों को हमें सरकारी एजेंसी से ही प्राप्त करना चाहिए। हमें फसलों को बदल-बदलकर बोना चाहिए। एक ही प्रकार की फसल बोने से जमीन की उपजाऊ शक्ति कम हो जाती है। खरपतवार नाश करने वाली और कीटनाशकों का प्रयोग एक निश्चित सीमा तक रहकर करना चाहिए। सारा खेत समतल होना चाहिए और उसकी सिंचाई भी एक बार में ही करनी चाहिए। गोबर की खाद का प्रयोग भी बीच-बीच में करते रहना चाहिए। इससे पृथ्वी की उपजाऊ शक्ति बढ़ती है और फसल भी अच्छी होती है।
आशा है कि आप अपने सुप्रसिद्ध समाचार-पत्र में इन सुझावों को प्रकाशित करके मुझे अनुगृहीत करेंगे।

भवदीय
अविनाश कुमार

फसलों के उत्पादन में महिलाओं के योगदान को हमारी अर्थव्यवस्था में महत्त्व क्यों नहीं दिया जाता है? इसके बारे में . कक्षा में चर्चा कीजिए।
उत्तर-
यह प्रश्न परीक्षोपयोगी नहीं है। विद्यार्थी अपने अध्यापक व अध्यापिका की सहायता से स्वयं करेंगे।

HBSE 10th Class Hindi यह दंतुरहित मुस्कान और फसल Important Questions and Answers

विषय-वस्तु संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
‘यह दंतुरित मुसकान’ कविता में शिशु के भोलेपन एवं सौंदर्य को व्यक्त किया गया है-सिद्ध कीजिए।
उत्तर-
‘यह दंतुरित मुसकान’ नामक कविता में कवि ने शिशु के भोलेपन का वर्णन किया है। शिश कवि को अपरिचित की भाँति देखता है। उसे पहचानने के प्रयास से उसकी ओर निरंतर देखता रहता है। इसी प्रकार शिशु की मनमोहक छवि को देखकर कवि भी प्रभावित हुए बिना न रह सका। बालक के नए-नए उगे हुए दो दाँतों को देखकर कवि उनकी प्रशंसा किए बिना न रह सका। नन्हा शिशु जब हँसता है तो उसके नए-नए दो दाँत अत्यंत सुंदर लगते हैं। उसकी हँसी की सुंदरता में ऐसा प्रभाव है कि उन्हें देखकर पत्थर दिल व्यक्ति भी पिघल जाता है। इस प्रकार कवि ने नन्हें बच्चे के भोलेपन एवं सौंदर्य का उल्लेख किया गया है।

प्रश्न 2.
‘यह दंतुरित मुसकान’ कविता में बाँस और बबूल किसे और क्यों कहा गया है?
उत्तर-
‘यह दंतुरित मुसकान’ कविता में कवि ने नन्हें बालक की हँसी के प्रभाव का वर्णन करते हुए कहा है कि उसकी हँसी का प्रभाव ऐसा है कि जिसे देखकर बाँस और बबूल के वृक्षों से भी शेफालिका के फूल झड़ने लगते हैं। यहाँ बाँस और बबूल का प्रयोग बुरे व्यक्तियों के लिए किया गया है। कहने का तात्पर्य है कि समाज के बुरे-से-बुरे लोग भी नन्हें बच्चे की हँसी को देखकर हँसने लगते हैं। उनके मन में भी बच्चे के प्रति अच्छी भावना जागृत हो जाती है।

HBSE 10th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 6 यह दंतुरहित मुस्कान और फसल

प्रश्न 3.
शिशु किसी अनजान व्यक्ति को एकटक क्यों देखने लगता है?
उत्तर-
जब शिशु किसी अनजान व्यक्ति से मिलता है तो उसे पहचानने का प्रयास करता है। इसीलिए वह उसकी ओर एकटक देखता रहता है। मानों वह उसके मन के भावों को पढ़ने का प्रयास करता है। कभी-कभी ऐसा भी अनुभव होता है कि वह अजनबी व्यक्ति को देखते-देखते थक-सा गया है।

प्रश्न 4.
‘फसल’ नामक कविता में कवि ने फसल उगाने के संबंध में मिट्टी की किस विशेषता का उल्लेख किया है?
उत्तर-
‘फसल’ नामक कविता में कवि ने मिट्टी या धरती के उन गुणों का उल्लेख किया है जिसके कारण वह फसल उगाने में सहायक होती है। कवि के अनुसार मिट्टी ‘भूरी’, ‘काली’, ‘संदली’ आदि कई प्रकार की होती है। विभिन्न प्रकार की मिट्टी पर अलग-अलग प्रकार की फसलें उगाई जाती हैं। मिट्टी में मिले तत्त्वों के कारण ही मिट्टी के गुण अलग-अलग होते हैं। मिट्टी की उपजाऊ शक्ति के कारण ही फसलें उगाई जाती हैं। यदि मिट्टी में यह शक्ति न होती तो फसलों के उगने की कल्पना भी नहीं की जा सकती थीं।

संदेश/जीवन-मूल्यों संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न 5.
‘यह दंतुरित मुसकान’ क्या-क्या कर सकती है?
उत्तर-
कवि के अनुसार ‘दंतुरित मुसकान’ में बहुत कुछ करने की क्षमता है। दंतुरित मुसकान कठोर-से-कठोर हृदय वाले व्यक्ति के मन में कोमलता का संचार कर सकती है। ‘दंतुरित मुसकान’ निराश एवं उदास लोगों के हृदयों में प्रसन्नता एवं खुशी के भाव उत्पन्न कर सकती है। जो व्यक्ति इस संसार से विमुख हो चुका है जब वह नन्हें शिशु की निश्छल हँसी को देखेगा तो वह मुसकराए बिना नहीं रह सकेगा। दंतुरित मुसकान का प्रभाव इतना अधिक है कि वह मृतक में भी प्राण फूंक सकती है। कहने का तात्पर्य है कि ‘दंतुरित मुसकान’ अत्यधिक प्रभावशाली है। ..

प्रश्न 6.
‘यह दंतुरित मुसकान’ कविता का उद्देश्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
प्रस्तुत कविता में कवि का उद्देश्य छोटे बच्चे की मनोहारी मुसकान के प्रभाव का चित्रण करना है। छोटे बच्चे के मुख में उगे हुए नए-नए दाँतों वाली हँसी को देखकर कवि के मन में जो भाव उमड़ते हैं, उन्हें कवि ने विभिन्न बिंबों की योजना के द्वारा व्यक्त किया है जो कविता का प्रमुख लक्ष्य है। कवि का यह मानना है कि बच्चे की इस निश्छल हँसी में जीवन का संदेश छिपा हुआ है। इस दंतुरित मुसकान की सुंदरता का प्रभाव ऐसा है कि उसे देखकर कठोर-से-कठोर हृदय भी पिघल जाता है। दंतुरित मुसकान की सुंदरता को उस समय चार चाँद लग जाते हैं जब उसके साथ बच्चे की नज़रों का बाँकपन भी जुड़ जाता है। अतः स्पष्ट है कि प्रस्तुत कविता का लक्ष्य नन्हें बच्चे की निश्छल एवं मनमोहक हँसी के प्रभाव का उल्लेख करना है।

प्रश्न 7.
कवि ने ‘फसल’ के द्वारा किन-किन में आपसी सहयोग का भाव अभिव्यक्त किया है? .
उत्तर-
कवि ने ‘फसल’ कविता के माध्यम से फसल के उगाने में मनुष्य के शारीरिक बल और परिश्रम तथा प्रकृति में निहित अथाह ऊर्जा के पारस्परिक सहयोग के भाव को अभिव्यक्त किया है। कवि के अनुसार जब मनुष्य का परिश्रम और प्रकृति का सहयोग आपस में मिल जाते हैं तो फसलें उत्पन्न होती हैं। अकेली मानवीय परिश्रम की शक्ति या अकेली प्राकृतिक शक्ति कुछ नहीं कर सकती। इनके सहयोग में ही महान शक्ति छिपी हुई है। इसी सहयोग की शक्ति को प्रस्तुत कविता में अभिव्यक्त करने का सफल प्रयास किया गया है।

प्रश्न 8.
‘फसल’ शीर्षक कविता के प्रतिपाय पर प्रकाश डालिए।
उत्तर-
प्रस्तुत कविता का प्रमुख प्रतिपाद्य किसानों के परिश्रम के साथ-साथ प्राकृतिक तत्त्वों के प्रभाव का सम्मान करना है। कवि ने स्पष्ट करने का प्रयास किया है कि जिन फसलों से उत्पन्न अन्न को हम खाते हैं उसके लिए किसी एक व्यक्ति, नदी या प्राकृतिक तत्त्व को श्रेय नहीं दिया जा सकता, अपितु सभी नदियों के जल, सब खेतों की विविध प्रकार की मिट्टियों के गुणों, सूर्य की गर्मी, वायु और किसानों के श्रम के सामूहिक सहयोग से ही फसलें उगाई जाती हैं। अतः इन सब पर सबका सहज अधिकार होना चाहिए।

अति लघुत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
श्री नागार्जुन का जन्म कब हुआ था?
उत्तर-
श्री नागार्जुन का जन्म सन् 1911 में हुआ था।

प्रश्न 2.
‘पाषाण पिघलने’ से क्या तात्पर्य है?
उत्तर-
पाषाण पिघलने’ से तात्पर्य है कठोर हृदय में दया उत्पन्न होना।

प्रश्न 3.
‘फसल’, कविता के रचयिता कौन हैं?
उत्तर-
‘फसल’, कविता के रचयिता नागार्जुन हैं।

प्रश्न 4.
‘दंतरित मुसकान’ कविता में कवि के ध्यानाकर्षण का केन्द्र कौन है?
उत्तर-
दंतुरित मुसकान’ कविता में कवि के ध्यानाकर्षण का केन्द्र उसका नन्हा बालक है।

HBSE 10th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 6 यह दंतुरहित मुस्कान और फसल

प्रश्न 5.
किसके कोटि-कोटि हाथों के स्पर्श की गरिमा बताई गई है?
उत्तर-
किसान के कोटि-कोटि हाथों के स्पर्श की गरिमा बताई गई है।

प्रश्न 6.
कवि ने किसे हाथों के स्पर्श की महिमा कहा है?
उत्तर-
कवि ने फसल को हाथों के स्पर्श की महिमा कहा है।

प्रश्न 7.
यह दंतुरित मुसकान’ कविता में तालाब छोड़कर जलजात कहाँ खिलने की बात कही है?
उत्तर-
‘यह दंतुरित मुसकान’ कविता में तालाब छोड़कर जलजात कवि की झोंपड़ी में खिलने की बात कही है।

बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
श्री नागार्जुन किस राज्य के रहने वाले थे?
(A) हरियाणा
(B) पंजाब
(C) उत्तर प्रदेश
(D) बिहार
उत्तर-
(D) बिहार

प्रश्न 2.
श्री नागार्जुन का वास्तविक नाम क्या था?
(A) रामचंद्र
(B) मेघनाद
(C) वैद्यनाथ मिश्र
(D) रामनरेश मिश्र
उत्तर-
(C) वैद्यनाथ मिश्र

प्रश्न 3.
कवि ने श्रीलंका में जाकर कौन-सा धर्म अपना लिया था?
(A) हिंदू
(B) मुस्लिम
(C) सिक्ख
(D) बौद्ध
उत्तर-
(D) बौद्ध

प्रश्न 4.
श्री नागार्जुन का देहांत कब हुआ था?
(A) सन् 1998 में
(B) सन् 1996 में
(C) सन् 1995 में
(D) सन् 1994 में
उत्तर-
(A) सन् 1998 में

प्रश्न 5.
नागार्जुन कृत कविता का नाम है
(A) संगतकार
(B) कन्यादान
(C) फसल
(D) उत्साह
उत्तर-
(C) फसल

प्रश्न 6.
‘दंतुरित मुसकान’ में कवि के ध्यानाकर्षण का केन्द्र है-
(A) शेर का बच्चा
(B) खरगोश का बच्चा
(C) कवि का नन्हा बच्चा
(D) छोटा बच्चा
उत्तर-
(C) कवि का नन्हा बच्चा

प्रश्न 7.
बच्चे की दंतुरित मुसकान किसमें भी जान डाल देगी?
(A) रोगी में
(B) पक्षी में
(C) कमजोर में .
(D) मृतक में
उत्तर-
(D) मृतक में

प्रश्न 8.
कवि की झोपड़ी में क्या खिल रहे थे?
(A) जलजात
(B) गेंदा
(C) गुलाब
(D) जूही
उत्तर-
(A) जलजात

प्रश्न 9.
‘चिर प्रवासी मैं इतर’ वाक्यांश में ‘चिर प्रवासी’ कौन है?
(A) कवि
(B) पुत्र
(C) माता
(D) श्रोता
उत्तर-
(A) कवि

प्रश्न 10.
किसके प्राणों का स्पर्श पाकर कठिन पाषाण पिघल गया होगा?
(A) कवि के
(B) माता के
(C) बच्चे के
(D) पिता के
उत्तर-
(C) बच्चे के

प्रश्न 11.
दही, घी, शहद, जल और दूध का योग, जो देवता और अतिथि के सामने रखा जाता है, उसे ‘यह दंतुरित मुसकान’
कविता में कहा है-
(A) प्रसाद
(B) मधुपर्क
(C) इत्र
(D) गव्य
उत्तर-
(B) मधुपर्क

प्रश्न 12.
‘अनिमेष देखना’ का अर्थ है-
(A) रुक-रुक कर देखना
(B) कभी-कभी देखना
(C) लगातार देखना
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(C) लगातार देखना

HBSE 10th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 6 यह दंतुरहित मुस्कान और फसल

प्रश्न 13.
मधुपर्क किसकी उँगलियाँ करती हैं?
(A) पिता की
(B) माँ की
(C) कवि की
(D) भाई की
उत्तर-
(B) माँ की

प्रश्न 14.
छोटे बच्चे के स्पर्श-मात्र से कौन-से फूल झड़ने लगे थे?
(A) शेफालिका
(B) कमल
(C) गुलाब
(D) चंपा
उत्तर-
(A) शेफालिका

प्रश्न 15.
कठिन पाषाण पिघलकर क्या बन गया होगा?
(A) जल
(B) सुंदरता
(C) नदी
(D) झरना
उत्तर-
(A) जल

प्रश्न 16.
प्रस्तुत कविता में किसकी आँखें चार होने की बात कही है?
(A) माँ और बच्चे की
(B) कवि और बच्चे की
(C) कवि और बच्चे की माँ की
(D) कवि और पाठक की
उत्तर-
(B) कवि और बच्चे की

प्रश्न 17.
‘कवि ने फसल को कितनी नदियों का जादू कहा है?
(A) एक
(B) दो
(C) ढेर सारी
(D) अनेक
उत्तर-
(C) ढेर सारी

प्रश्न 18.
‘फसल’ में किसकी प्रधानता है?
(A) आत्मा की
(B) परमात्मा की
(C) प्रकृति की
(D) माया की
उत्तर-
(C) प्रकृति की

प्रश्न 19.
फसल के लिए जादू का काम कौन करता है?
(A) नदियों का पानी.
(B) तालाब का पानी
(C) वर्षा का पानी
(D) गड्ढे का पानी
उत्तर-
(A) नदियों का पानी

प्रश्न 20.
फसल कितने हाथों के स्पर्श की गरिमा होती है?
(A) करोड़ों
(B) दर्जनों
(C) हज़ारों
(D) सैकड़ों
उत्तर-
(A) करोड़ों

प्रश्न 21.
फसल किसके स्पर्श की महिमा है?
(A) मिट्टी की
(B) हवा की
(C) जल की
(D) हाथों की
उत्तर-
(D) हाथों की

प्रश्न 22.
फसल कविता की भाषा की विशिष्टता है
(A) बोलचाल की
(B) भाव प्रधान
(C) व्यंग्यात्मक
(D) ओज गुण संपन्न
उत्तर-
(A) बोलचाल की

प्रश्न 23.
फसल को किसका सिमटा हुआ संकोच कहा गया है?
(A) नदियों के पानी का
(B) हवा की थिरकन का
(C) सूरज की किरणों का
(D) उपर्युक्त सभी का
उत्तर-
(B) हवा की थिरकन का

प्रश्न 24.
फसल किसका रूपांतरण है?
(A) वायु का
(B) वर्षा की बूंदों का
(C) सूर्य की किरणों का
(D) किसान की सोच का
उत्तर-
(C) सूर्य की किरणों का

HBSE 10th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 6 यह दंतुरहित मुस्कान और फसल

यह दंतुरहित मुस्कान और फसल पद्यांशों के आधार पर अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर

[1] तुम्हारी यह दंतुरित मुसकान
मृतक में भी डाल देगी जान
धूलि-धूसर तुम्हारे ये गात…
छोड़कर तालाब मेरी झोपड़ी में खिल रहे जलजात
परस पाकर तुम्हारा ही प्राण,
पिघलकर जल बन गया होगा कठिन पाषाण
छू गया तुमसे कि झरने लग पड़े शेफालिका के फूल
बाँस था कि बबूल? [पृष्ठ 39-40]

शब्दार्थ-दंतुरित = बच्चों के नए-नए दाँत। मृतक = मरा हुआ। जान डाल देना = जीवित कर देना। धूलि-धूसर = धूल में सना हुआ। गात = शरीर। जलजात = कमल का फूल। परस = स्पर्श । कठिन पाषाण = कठोर पत्थर।।

प्रश्न-
(क) कवि एवं कविता का नाम लिखिए।
(ख) प्रस्तुत पद्यांश का प्रसंग स्पष्ट कीजिए।
(ग) प्रस्तुत पद्यांश की व्याख्या कीजिए।
(घ) ‘दंतुरित मुसकान’ किसकी है?
(ङ) बच्चे का शरीर किससे सना हुआ है?
(च) कवि की झोंपड़ी में नन्हा बच्चा किस रूप में है?
(छ) मृतक में जान डालने का सामर्थ्य किसमें है? मृतक में जान डालने का क्या अभिप्राय है?
(ज) धूल से सने बच्चे को देखकर कवि को क्या अनुभव हुआ?
(झ) “पिघलकर जल बन गया होगा कठिन पाषाण’ पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।
(अ) शेफालिका के फल क्यों और किससे झरने लगे?
(ट) ‘बाँस और बबूल’ किसको कहा गया है?
(3) प्रस्तुत पयांश का भाव-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
(ड) प्रस्तुत पद्यांश में निहित शिल्प-सौंदर्य पर प्रकाश डालिए।
(ट) प्रस्तुत काव्यांश में प्रयुक्त भाषा की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर-
(क) कवि का नाम-नागार्जुन। कविता का नाम यह दंतुरित मुसकान।

(ख) प्रस्तुत काव्य-पंक्तियाँ हिंदी की पाठ्यपुस्तक ‘क्षितिज’ भाग 2 में संकलित ‘यह दंतुरित मुसकान’ नामक कविता में से · ली गई हैं। इस कविता के रचयिता श्री नागार्जुन हैं। इस कविता में उन्होंने छोटे बच्चे के प्रति अपने भावों को विविध बिंबों के माध्यम से व्यक्त किया है। जब कवि ने अपने छोटे-से बच्चे के मुसकराते हुए मुख में दो दाँत देखे तो उसकी खुशी का ठिकाना न रहा। कवि ने उन भावों को ही इन शब्दों में व्यक्त किया है।

(ग) कवि अपने छोटे-से मुस्कुराते हुए बच्चे को देखकर कहता है कि तुम्हारी मुसकान इतनी मनमोहक है कि वह मुर्दे में भी जान डाल देती है अर्थात् यदि कोई जीवन से निराश हुआ व्यक्ति भी तुम्हारी इस भोली-सी हँसी को देख ले तो वह भी प्रसन्न हो उठेगा। मैं जब तुम्हारे इस धूल से सने हुए शरीर को देखता हूँ तो ऐसा लगता है कि कमल का जो फूल तालाब के जल में खिलता है वह मानों तालाब के जल को छोड़कर मेरी झोंपड़ी में खिल गया है। कवि के कहने का भाव है कि धूल में सना हुआ यह नन्हा-सा बालक कमल के फूल के समान कोमल एवं सुंदर है।

कवि पुनः कहता है कि हे शिशु! तुम ऐसे प्राणवान एवं सुंदर हो कि तुम्हें छूकर ही ये कठोर चट्टानें पिघलकर जल की धारा बनकर बहने लगी हैं। कवि के कहने का अभिप्राय है कि बच्चे की मधुर एवं निश्छल हँसी को देखकर कठोर एवं निर्दयी व्यक्ति का हृदय भी द्रवित हो जाता है। इस शिशु के सामने चाहे बाँस का पेड़ हो अथवा बबूल का वृक्ष, शेफालिका के फूल बरसाने लगता है। कहने का भाव है कि बच्चे की मुसकान के सामने बुरे-से-बुरा व्यक्ति भी सरस बन जाता है। एक क्षण के लिए वह भी अपनी बुराई त्यागकर मुसकाने लगता है।

(घ) दंतुरित मुसकान उस छोटे बच्चे की है जिसके मुख में अभी-अभी दो नए दाँत उगे हों। (ङ) बच्चे का शरीर धूल मिट्टी से सना हुआ है। (च) कवि की झोपड़ी में नन्हा बच्चा कमल के समान सुंदर एवं कोमल फूल के रूप में है।

(छ) नए-नए दाँत निकालने वाले नन्हें बच्चे की हँसी में मृतक में जान डालने की शक्ति व सामर्थ्य होता है। मृतक में जान डालने का अभिप्राय है-निराश और उदास व्यक्ति के मन में प्रसन्नता को उत्पन्न करना।

(ज) धूल से सने बच्चे को देखकर कवि को ऐसा अनुभव हुआ मानो उसकी झोंपड़ी में कमल का फूल खिल उठा हो। कहने का भाव है कि बच्चे की सुकोमलता को देखकर कवि का मन प्रसन्न हो उठता है।

(झ) कवि ने नन्हें से बच्चे की पावन हँसी को देखकर कल्पना की है कि छोटे बच्चे की हँसी में इतना आकर्षण होता है कि पत्थर की भाँति कठोर हृदय वाले व्यक्ति के मन में भी बच्चे की इस हँसी को देखकर सहज एवं सरस भाव उत्पन्न हो जाते हैं। वह उसे देखकर अपनी कठोरता व निर्दयता को कुछ क्षणों के लिए त्याग देता है।

(ञ) नन्हें शिशु के स्पर्श से बाँस व काँटेदार वृक्ष बबूल के समान बुरे व्यक्ति के मन में शेफालिका के फूल के समान सरस एवं सुंदर भाव उत्पन्न हो जाते हैं।

(ट) कवि ने यहाँ बाँस व बबूल नीरस, रूखे, निर्दयी एवं कठोर स्वभाव वाले पुरुष को कहा है।

(ठ) प्रस्तुत पद में कवि की बच्चे के प्रति अत्यंत कोमल एवं सरस भावों की कलात्मक अभिव्यक्ति हुई है। कवि अपने बच्चे के मुसकाने पर उसके मुख में उत्पन्न दो नए-नए उगे हुए दाँतों को देखकर अत्यंत प्रसन्न हो उठता है। पिता के अपने नन्हें से बच्चे के प्रति अत्यंत कोमल भावों का मनोरम वर्णन किया गया है। बच्चे की मधुर, निश्छल एवं पावन हँसी के प्रभाव का अत्यंत सजीव चित्रण भी देखते ही बनता है। कवि को अनुभव होता है कि बच्चे की कोमल हँसी में अपार सुंदरता एवं प्रभाव छुपा हुआ है।

(ड)

  • कवि ने अपने कोमल भावों को कल्पना के सहयोग से अत्यंत मधुर वाणी में व्यक्त किया है। .
  • तद्भव एवं तत्सम शब्दावली के मिश्रित प्रयोग से भाषा अत्यंत रोचक एवं व्यावहारिक बन पड़ी है।
  • अभिधा शब्द-शक्ति का प्रयोग किया गया है।
  • प्रतीकों एवं बिंबों का सुंदर प्रयोग किया गया है।
  • प्रश्न, अनुप्रास एवं अतिशयोक्ति अलंकारों का प्रयोग हुआ है।
  • अतुकांत छंद है।

(ढ) प्रस्तुत काव्यांश में कविवर नागर्जुन ने शुद्ध साहित्यिक हिंदी भाषा का प्रयोग किया है। यहाँ भाषा के बोल-चाल रूप का प्रयोग किया गया है। जनवादी कवि होने के कारण ही भाषा में ग्रामीण एवं देशज शब्दों का अधिक प्रयोग किया गया है। कोमलकांत शब्दों के कारण भाषा अत्यन्त रोचक एवं व्यावहारिक बन पड़ी है।

[2] तुम मुझे पाए नहीं पहचान?
देखते ही रहोगे अनिमेष!
थक गए हो?
आँख लूँ मैं फेर?
क्या हुआ यदि हो सके परिचित न पहली बार?
यदि तुम्हारी माँ न माध्यम बनी होती आज
मैं न सकता देख
मैं न पाता जान
तुम्हारी यह दंतुरित मुसकान [पृष्ठ 40]

शब्दार्थ-अनिमेष = निरंतर देखना, बिना पलक झपकाए देखना। परिचित = जाने-पहचाने। माध्यम = साधन।

प्रश्न-
(क) कवि एवं कविता का नाम लिखिए।
(ख) इस कवितांश का प्रसंग लिखें।
(ग) इस पद की व्याख्या कीजिए।
(घ) कवि ने ऐसा क्यों कहा कि ‘तुम मुझे पाए नहीं पहचान’ ?
(ङ) कवि नन्हें बालक को क्यों नहीं पहचान पाया?
(च) कवि बालक की मधुर मुसकान किसके माध्यम से देख सका?
(छ) नन्हा बालक कवि की ओर एकटक क्यों देख रहा था?
(ज) इस काव्यांश का भाव-सौंदर्य लिखिए।
(झ) उपर्युक्त पद्यांश के शिल्प-सौंदर्य को स्पष्ट कीजिए।
(ञ) इन काव्य पंक्तियों में प्रयुक्त भाषा की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
(क) कवि का नाम-नागार्जुन। कविता का नाम यह दंतरित मुसकान।

(ख) प्रस्तुत कवितांश श्री नागार्जुन द्वारा रचित सुप्रसिद्ध कविता ‘यह दंतुरित मुसकान’ से लिया गया है। कवि जब कई मास के पश्चात् घर लौटता है तो उनकी दृष्टि अपने छोटे बच्चे की निश्छल मसकान पर पड़ती है। कवि उस मुसकान से अत्यंत प्रभावित होता है। कवि के मन में वात्सल्य भाव जागृत होते हैं, जिनका वर्णन इन पंक्तियों में किया गया है।

HBSE 10th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 6 यह दंतुरहित मुस्कान और फसल

(ग) कवि अपने नन्हें बालक को देखकर उससे पूछता है कि क्या तुम मुझे पहचान गए हो? क्या तुम मुझे इस प्रकार एकटक देखते ही रहोगे। क्या तुम इस प्रकार मेरी ओर निरंतर देखते हुए थक गए हो? क्या मैं तुम्हारी ओर से अपना मुँह फेर लूँ अर्थात् वह बच्चे की ओर न देखे। कवि पुनः कहता है कि क्या हुआ कि यदि वह मुझे पहली बार न पहचान सका। कहने का तात्पर्य है कि वह अभी बहुत छोटा है किंतु बहुत भोला और सुंदर है।
कवि पुनः कहता है कि हे सुंदर दाँतों वाले मेरे बच्चे! यदि तुम्हारी माँ मेरे और तुम्हारे बीच माध्यम न बनी होती तो मैं कभी भी तुम्हारे सुंदर कोमल रूप और तुम्हारी मधुर मुसकान को देख न पाता। कवि के कहने का भाव है कि संतान और पिता के बीच संबंध जोड़ने का माध्यम माँ ही होती है। यदि वह बच्चे की माँ होती है तो पिता की पत्नी भी होती है।

(घ) नन्हा बच्चा अनजान व्यक्ति को सामने पाकर उसे टकटकी लगाकर देखने लगा। बच्चे की आँखों में उत्सुकता और अजनबीपन का भाव था। इसलिए कवि ने बच्चे के इस अनोखे भाव को देखकर ये शब्द कहे थे।

(ङ) कवि लंबे समय के पश्चात् घर लौटा था। बच्चे का जन्म उसकी अनुपस्थिति में हुआ होगा और कवि ने पहली बार बच्चे को देखा होगा इसलिए कवि बच्चे को पहचान नहीं पाया था।

(च) कवि शिशु की मधुर मुसकान शिशु की माँ के माध्यम से ही देख पाया था। जब तक बच्चा कवि के लिए अनजान था तब तक मौन एवं स्थिर बना रहा, किंतु जब उसकी माँ ने बच्चे का कवि से परिचय करवाया तभी वह मुसकाने लगा।

(छ) नन्हें बालक ने कवि को पहली बार देखा था। वह कवि को पहचानने का प्रयास कर रहा था। कवि कई मास के पश्चात् घर लौटा था। इसलिए बच्चा उसे अजनबी समझकर उसे पहचानने का प्रयास कर रहा था।

(ज) कवि अपनी घुमक्कड़ प्रवृत्ति के कारण अपने परिवार के प्रति अपनी जिम्मेदारियों का निर्वाह भली-भाँति नहीं कर पाया था। इसलिए कवि के मन का अपराध बोध व्यक्त हो रहा है। दूसरी ओर, बालक की मधुर एवं निश्छल मुसकान के प्रभाव का भी सजीव चित्रण हुआ है।

(झ)

  • प्रस्तुत कवितांश में कवि ने अपने भावों का उल्लेख अत्यंत सरल भाषा में किया है।
  • भाषा सरल, सहज, आडंबरहीन एवं भावाभिव्यक्ति में पूर्णतः सक्षम है।
  • संबोधन शैली के कारण विषय रोचक बन पड़ा है।
  • संस्कृतनिष्ठ शब्दावली के साथ-साथ तद्भव एवं देशज शब्दों का भी सार्थक प्रयोग किया गया है।

(ञ) इन काव्य पंक्तियों में कवि ने सरल एवं सहज भाषा का प्रयोग किया है। कविवर नागार्जुन ने अपने छोटे बच्चे की मधुर एवं पावन मुसकान को प्रभावशाली भाषा में अभिव्यक्त किया है। ग्राम्यभाषा अथवा लोकभाषा के शब्दों के प्रयोग के कारण भाषा में व्यावहारिकता का समावेश हुआ है। छोटे-छोटे शब्दों की आवृत्ति के कारण भाषा में लयात्मकता का समावेश हुआ है।

[3] धन्य तुम, माँ भी तुम्हारी धन्य!
चिर प्रवासी मैं इतर, मैं अन्य!
इस अतिथि से प्रिय तुम्हारा क्या रह संपर्क
उँगलियाँ माँ की कराती रही है मधुपर्क
देखते तुम इधर कनखी मार
और होती जब कि आँखें चार
तब तुम्हारी दंतुरित मुसकान
मुझे लगती बड़ी ही छविमान! [पृष्ठ 40]

शब्दार्थ-धन्य = सम्मान के योग्य, भाग्यशाली। चिर प्रवासी = देर तक घर से बाहर दूर देश में रहने वाला। इतर = अन्य, दूसरा। संपर्क = संबंध। मधुपर्क = दही, घी, शहद, जल और दूध का मिश्रण, जिसे पंचामृत कहा जाता है, आत्मीयता से परिपूर्ण वात्सल्य। कनखी मार = तिरछी नज़रों से। आँखें चार होना = प्रेम होना, नज़रें मिलना। छविमान = सुंदर।

प्रश्न-
(क) कवि एवं कविता का नाम बताइए।
(ख) प्रस्तुत कवितांश का प्रसंग लिखिए।
(ग) प्रस्तुत पद्यांश की व्याख्या कीजिए।
(घ) कवि ने किसे और क्यों धन्य कहा है?
(ङ) कवि ने अपने आपको चिर प्रवासी क्यों कहा है?
(च) मधुपर्क से क्या अभिप्राय है? मधुपर्क का सांकेतिक अर्थ क्या है?
(छ) कविता में किस-किसकी आँखें चार हुई हैं?
(ज) कवि को क्या छविमान लगती है?
(झ) प्रस्तुत काव्यांश का भाव-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
(ञ) इस पद्यांश में निहित शिल्प-सौंदर्य पर प्रकाश डालिए।
(ट) उपर्युक्त काव्यांश में प्रयुक्त भाषा की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर-
(क) कवि का नाम-नागार्जुन। कविता का नाम यह दंतुरित मुसकान।

(ख) प्रस्तुत कवितांश हिंदी की पाठ्यपुस्तक ‘क्षितिज’ भाग 2 में संकलित ‘यह दंतरित मुसकान’ से उद्धृत है। इस कविता के रचयिता नागार्जुन हैं। इस कविता में कवि ने एक नन्हें बालक की मधुर मुसकान के प्रति उत्पन्न भावों को सशक्त अभिव्यक्ति प्रदान की है। कवि लंबे समय के पश्चात् घर लौटता है। उसने अपने बच्चे के मुँह में उगे हुए नए-नए दाँतों की चमक से शोभायमान मुसकान को देखा था। इससे उसे असीम खुशी प्राप्त हुई थी।

(ग) कवि शिशु को संबोधित करता हुआ कहता है कि तुम सौभाग्यशाली हो और तुम्हारी माँ भी अत्यंत सौभाग्यशाली है। मैं तुम दोनों के प्रति आभारी हूँ। मैं तो बहुत लंबे समय से घर से बाहर रहा हूँ इसलिए मैं तो बाहर वाला व कोई दूसरा हूँ। मेरे प्रिय बच्चे मैं तो तुम्हारे लिए किसी अतिथि की भाँति हूँ। तुम्हारे लिए मेरा कोई संबंध नहीं रहा। तुम्हारे लिए तो मैं अनजान-सा ही हूँ। मेरी लंबे समय की अनुपस्थिति में तुम्हारी माँ ही आत्मीयतापूर्ण तुम्हारा पालन-पोषण करती रही है। तुम्हें अपनी स्नेह देती रही। वह तुम्हें पंचामृत चटाकर तुम्हारा पोषण करती रही। तुम मेरी ओर बड़ी हैरानी से कनखियों में से देख रहे थे। जब भी अचानक तुम्हारी और मेरी नज़रें मिल जाती थीं तो मुझे तुम्हारे चमकते हुए दातों से युक्त मुसकान दिखाई दे जाती है। वास्तव में, मुझे तुम्हारी दुधिया दाँतों से सजी हुई मुसकान बहुत ही सुंदर लगती है। मैं तुम्हारी इस निश्छल मुसकान पर मुग्ध हूँ।

(घ) कवि ने अपनी पत्नी और बेटे को धन्य कहा है क्योंकि उनके कारण उसे अपार प्रसन्नता प्राप्त हुई थी। वह स्वयं को भी धन्य मानने के योग्य बना था।

(ङ) कवि ने अपने-आपको चिर प्रवासी इसलिए कहा है कि क्योंकि वह अधिकतर घर से बाहर ही रहता था और इस समय भी वह कई महीनों के पश्चात् घर आया था।

(च) मधुपर्क दूध, दही, घी, शहद और जल के मिश्रण को कहते हैं। यहाँ मधुपर्क का सांकेतिक अर्थ है-माँ की आत्मीयता भरा वात्सल्य।

(छ) कविता में कवि और नन्हें शिशु की आँखें चार हुई हैं अर्थात् कवि की ओर शिशु टकटकी लगाए देखता रहा। शिशु कवि को देखकर मुसकराने लगता है।

(ज) कवि को शिशु की नए-नए दाँतों वाली मधुर मुसकान छविमान लगती है जिससे देखकर कवि का हृदय गद्गद् हो उठता है।

(झ) प्रस्तुत पद्यांश में माँ और बच्चे के आत्मीय संबंध की महिमा का उल्लेख किया गया है। नए-नए उगे हुए दाँतों वाले नन्हें बच्चे की मुसकान, उसकी तिरछी नज़रों से देखना और प्रेम व्यक्त करना आदि भावों का मनोरम चित्रण किया गया है।

(ञ)

  • कवि ने नन्हें शिशु की मधुर मुसकान से संबंधी भावों को अत्यंत सजीवतापूर्वक व्यक्त किया है।
  • भाषा मुहावरेदार है। ‘आँखें चार होना’ मुहावरे का सफल प्रयोग देखते ही बनता है।
  • संस्कृतनिष्ठ शब्दावली का सार्थक प्रयोग हुआ है।
  • तुकांत छंद का प्रयोग किया गया है।
  • अनुप्रास अलंकार का सहज एवं स्वाभाविक प्रयोग है।

(ट) प्रस्तुत काव्य पंक्तियों में कवि ने सरल एवं सहज भाषा का प्रयोग किया है। ‘आँख चार होना’ आदि मुहावरों के प्रयोग से भाषा में सारगर्भिता एवं रोचकता का समावेश हुआ है। संस्कृत के तत्सम शब्दों के साथ-साथ तद्भव तथा देशज शब्दों के प्रयोग से भाषा में व्यावहारिकता का समावेश हुआ है। अलंकारों के सफल प्रयोग से भाषा को अलंकृत रूप में प्रस्तुत किया गया है।

फसल

कविता का सार

प्रश्न-
‘फसल’ नामक कविता का सार लिखिए।
उत्तर-
‘फसल’ शब्द के सुनते ही लहलहाती फसल का चित्र आँखों के सामने आ जाता है। प्रस्तुत कविता ‘फसल’ में कवि ने बताया है कि फसल को उत्पन्न करने में विभिन्न तत्त्वों का योगदान रहता है। उनके अनुसार फसल उगाने में नदियों के पानी का, अनेक मनुष्य के हाथों की मेहनत का तथा खेतों की उपजाऊ मिट्टी का योगदान रहता है। इनके अतिरिक्त फसलों को उत्पन्न करने में , सूरज की किरणों और हवा का भी योगदान अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। साथ ही कवि ने स्पष्ट किया है कि प्रकृति और मनुष्य के सहयोग से ही सृजन संभव है। आज के उपभोक्तावादी संस्कृति के युग में कवि ने कृषि-संस्कृति का जोरदार शब्दों में समर्थन किया है।

पद्यांशों के आधार पर अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर

[1] एक के नहीं,
दो के नहीं,
ढेर सारी नदियों के पानी का जादू :
एक के नहीं,
दो के नहीं,
लाख-लाख कोटि-कोटि हाथों के स्पर्श की गरिमा :
एक की नहीं,
दो की नहीं,
हज़ार-हज़ार खेतों की मिट्टी का गुण धर्म : [पृष्ठ 40-41]

शब्दार्थ-पानी का जादू = पानी का प्रभाव। कोटि = करोड़ों। स्पर्श = छूना। गरिमा = गौरव।

प्रश्न-
(क) कवि एवं कविता का नाम लिखिए।
(ख) इस पद्यांश का प्रसंग स्पष्ट कीजिए।
(ग) प्रस्तुत काव्यांश की व्याख्या कीजिए।
(घ) ‘एक के नहीं, दो के नहीं’ से कवि का क्या तात्पर्य है?
(ङ) ‘कोटि-कोटि हाथों के स्पर्श की गरिमा’ का भाव स्पष्ट कीजिए।
(च) ‘मिट्टी का गुण धर्म’ से कवि का क्या तात्पर्य है?
(छ) इस पद्यांश का भाव-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
(ज) प्रस्तुत पद्यांश के शिल्प-सौंदर्य का उल्लेख कीजिए।
(झ) प्रस्तुत काव्यांश के भाषा वैशिष्ट्य पर प्रकाश डालें।
उत्तर-
(क) कवि का नाम-नागार्जुन। कविता का नाम-फसल।

(ख) प्रस्तुत कवितांश हिंदी की पाठ्यपुस्तक ‘क्षितिज’ भाग 2 में संकलित ‘फसल’ नामक कविता से उद्धृत है। इसके रचयिता नागार्जुन हैं। इस कविता में कवि ने बताया है कि फसल उत्पन्न करने के लिए मनुष्य एवं प्रकृति एक-दूसरे का सहयोग करते हैं।
(ग) कवि कहता है कि फसल उत्पन्न करने के लिए अनेक नदियों के पानी का अपना जादू जैसा प्रभाव दिखाई देता है अर्थात् नदियों से प्राप्त पानी से ही फसलें उगाई जाती हैं। पानी से उगकर फसलें बड़ी होती हैं। फसल को उगाने के लिए करोड़ों व्यक्तियों का सहयोग होता है अर्थात् फसल उगाने के लिए करोड़ों लोग काम करते हैं। यह करोड़ों लोगों के परिश्रम का फल होता है। इसमें अनेक खेतों की उपजाऊ मिट्टी के गुणों का योगदान भी होता है। इसके पीछे मिट्टी के गुण धर्म भी छिपे रहते हैं।

(घ) कवि के इस कथन का तात्पर्य है कि फसल उगाने के लिए अनेक नदियों के जल का सहयोग रहता है। इसी प्रकार एक दो व्यक्तियों के सहयोग से नहीं, अपितु अनेकानेक लोगों की मेहनत से फसल उगाई जाती है। इसी तरह अनगिनत खेतों का भी योगदान रहता है। .

(ङ) इस पंक्ति का भाव है कि फसल उगाने में देश के करोड़ों किसान अपने हाथ से काम करते हैं। फसल उगाने में करोड़ों किसानों के श्रम का गौरव सम्मिलित है।

(च) ‘मिट्टी का गुण धर्म’ का तात्पर्य है कि मिट्टी की उपजाऊ शक्ति व विशेषताएँ। हमारे देश में कई प्रकार की मिट्टी पाई जाती है तथा हर प्रकार की मिट्टी की विशेषताएँ व गुण अलग-अलग होते हैं। इसलिए मिट्टी के इन्हीं गुणों के कारण यहाँ भिन्न-भिन्न प्रकार की फसलें होती हैं।

(छ) प्रस्तुत काव्यांश में कवि ने फसल उगाने अथवा कृषि के क्षेत्र में किए जाने वाले श्रम के महत्त्व को उजागर किया है। कवि ने देश की विभिन्न नदियों, विभिन्न प्रकार की मिट्टी, वातावरण एवं मानव श्रम से संबंधित अपने भावों को सशक्त भाषा में अभिव्यक्त किया है।

(ज)

  • प्रस्तुत कविता में कवि ने फसलें उगाने वाली सभी शक्तियों व साधनों का काव्यात्मक उल्लेख किया है।
  • ‘एक नहीं दो नहीं’ की आवृत्ति के कारण, जहाँ कविता की भाषा में प्रवाह का संचार हुआ है वहाँ भाव को सर्वव्यापकता भी मिली है।
  • ‘पानी का जादू’ प्रयोग से पानी के महत्त्व व गुणों की ओर संकेत किया गया है।
  • पुनरुक्ति प्रकाश एवं अनुप्रास अलंकारों का सहज एवं सफल प्रयोग किया गया है।
  • भाषा सरल, सहज एवं विषयानुकूल है।
  • तत्सम, तद्भव एवं देशज शब्दों का प्रयोग किया गया है।

HBSE 10th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 6 यह दंतुरहित मुस्कान और फसल

(झ)

प्रस्तुत काव्यांश में कविवर नागार्जुन ने सरल एवं सहज भाषा का प्रयोग किया है। छोटे-छोटे शब्दों के सफल प्रयोग से जहाँ विषय को रोचकतापूर्ण भाषा में स्पष्ट किया है, वहीं भाषा भी प्रभावशाली बन पड़ी है। आदि से अन्त तक भाषा का प्रवाह बना हुआ है। शब्दों की आवृत्ति के कारण भाषा में लयात्मकता का समावेश हुआ है।

[2] फसल क्या है?
और तो कुछ नहीं है वह
नदियों के पानी का जादू है वह
हाथों के स्पर्श की महिमा है
भूरी-काली-संदली मिट्टी का गुण धर्म है
रूपांतर है सूरज की किरणों का
सिमटा हुआ संकोच है हवा की थिरकन का! [पृष्ठ 41]

शब्दार्थ-महिमा = यश। संदली = एक विशेष प्रकार की मिट्टी। रूपांतर = बदला हुआ रूप। संकोच = सिमटा हुआ रूप। थिरकन = नाचना, लहराना।

प्रश्न-
(क) कवि एवं कविता का नाम लिखिए।
(ख) प्रस्तुत पद्यांश का प्रसंग लिखिए।
(ग) प्रस्तुत काव्यांश की व्याख्या कीजिए।
(घ) प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने किसका वर्णन किया है?
(ङ) ‘हाथों के स्पर्श की महिमा’ किसे कहा है और क्यों?
(च) फसलों को सूर्य की किरणों का रूपांतर कहना कहाँ तक उचित है?
(छ) मिट्टी के लिए ‘संदली’ शब्द का प्रयोग किस संदर्भ में किया गया है?
(ज) प्रस्तुत काव्यांश का भाव-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
(झ) इस पद्यांश में निहित शिल्प-सौंदर्य पर प्रकाश डालिए।
(ञ) उपर्युक्त काव्यांश की भाषागत विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
(क) कवि का नाम-नागार्जुन। कविता का नाम-फसल।

(ख) प्रस्तुत काव्यांश हिंदी की पाठ्यपुस्तक ‘क्षितिज’ भाग 2 में संकलित ‘फसल’ नामक कविता से उद्धृत है। इस कविता के रचयिता श्री नागार्जुन हैं। उन्होंने बताया है कि फसल उगाना मनुष्य और प्रकृति का सम्मिलित प्रयास है।

(ग) कवि प्रश्न करता है कि आखिर फसल क्या है? कवि अपने आप इस प्रश्न का उत्तर देता हुआ कहता है कि ये फसलें और कुछ नहीं हैं, वे तो नदियों के पानी से सिंचकर पुष्ट हुई हैं। इन फसलों पर नदियों के जल का जादू जैसा प्रभाव होता है। किसानों के हाथों का स्पर्श और श्रम पाकर फसलें खूब फलती-फूलती हैं। कवि के कहने का भाव है कि फसलों को उगाने और उनके फलने-फूलने में नदियों का पानी और किसानों की मेहनत ही काम करती है। किसानों की मेहनत से ही फसलें फली-फूली हैं। ये फसलें विभिन्न प्रकार की मिट्टी में उगती हैं। कहीं काली व भूरी मिट्टी है तो कहीं संदली मिट्टी है। हर प्रकार की मिट्टी में अपना-अपना गुण होता है, उसी के अनुसार उनमें फसलें उगाई जाती हैं। कहने का भाव है कि मालिटी के गुण, स्वभाव और विशेषताएँ भी छिपी रहती हैं। ये फसलें सूरज की किरणों का बदला हुआ रूप हैं। सूत्र को किरणों की गर्मी से ही फसलें पकती हैं। इसलिए कहा जा सकता है कि फसलें सूर्य की किरणों का बदला हुआ रूप हैं। ऐसा लगता है कि हवाओं की थिरकन सिमटकर इन फसलों में समा गई है अर्थात् हवा के चलने पर खेतों में खड़ी फसलें लहलहाने लगती हैं। कहने का तात्पर्य है कि फसलों को उगाने में हवाओं का भी महत्त्वपूर्ण योगदान रहता है।

(घ) इस पद्यांश में कवि ने फसलों पर विचार करते हुए उनके उगाने में पानी, किसान के परिश्रम, विभिन्न प्रकार की मिट्टी, सूर्य की गर्मी और हवाओं की भूमिका का वर्णन किया है।

(ङ) ‘हाथों के स्पर्श की महिमा’ किसान के द्वारा किए गए परिश्रम के महत्त्व को कहा गया है। किसान दिन-रात परिश्रम करता है, तब कहीं जाकर फसलें उगती हैं। बिना परिश्रम के फसलें नहीं उगाई जा सकतीं। अतः किसान की मेहनत के महत्त्व को उजागर करने के लिए ये शब्द कहे गए हैं।

(च) फसलें सूर्य की किरणों का रूपांतर अर्थात् बदला हुआ रूप हैं। सूर्य की किरणों की गर्मी से फसलें पकती हैं। अतः इन्हें सूर्य की किरणों का रूपांतर कहना उचित है।

(छ) संदली का अर्थ है-चंदन। ऐसी मिट्टी जिसमें सौंधी-सौंधी-सी गंध आती हो। ऐसी मिट्टी फसल उगाने के लिए अत्यंत उपयुक्त होती है। कवि ने मिट्टी की इसी विशेषता को प्रकट करने के लिए ‘संदली’ शब्द का प्रयोग किया है।

(ज) प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने फसलों को उगाने वाले सभी तत्त्वों के प्रभाव और उनके महत्त्व को सफलतापूर्वक अभिव्यंजित किया है। कवि ने किसान के परिश्रम, पानी के महत्त्व, सूर्य की गर्मी के प्रभाव, हवाओं की भूमिका आदि का फसलों के संदर्भ में उल्लेख किया है।

(झ)

  • कवि ने सरल, सहज एवं प्रवाहमयी भाषा का प्रयोग करके विषय को अत्यंत ग्रहणीय बनाया है।
  • ‘पानी का जादू’ आदि लाक्षणिक प्रयोग देखते ही बनते हैं।
  • प्रश्नोत्तर शैली के प्रयोग से विषय रोचक बन पड़ा है।
  • संस्कृत के शब्दों के साथ तद्भव शब्दों का प्रयोग भी किया गया है।
  • तुकांत छंद का प्रयोग किया गया है।

(ञ) श्री नागार्जुन ने इन काव्य पंक्तियों में सरल एवं सहज भाषा का प्रयोग किया है। छोटे-छोटे वाक्यों का सफल प्रयोग किया गया है। तद्भव व तत्सम शब्दावली का प्रयोग विषयानुकूल किया गया है। प्रवाहमयता, रोचकता तथा भावाभिव्यक्ति की क्षमता भाषा की अन्य प्रमुख विशेषताएँ हैं।

यह दंतुरहित मुस्कान और फसल Summary in Hindi

यह दंतुरहित मुस्कान और फसल कवि-परिचय

प्रश्न-
कविवर नागार्जुन का संक्षिप्त जीवन-परिचय, रचनाओं, काव्यगत विशेषताओं और भाषा-शैली का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
1. जीवन-परिचय-सुप्रसिद्ध जनवादी कवि नागार्जुन का वास्तविक नाम वैद्यनाथ मिश्र था। आपका जन्म बिहार प्रदेश के दरभंगा जिले के सतलखा नामक गाँव में सन् 1911 में हुआ। अल्पायु में ही इनकी माँ का देहांत हो गया। एक रूढ़िवादी ब्राह्मण परिवार में इनका लालन-पालन हुआ। इनकी प्रारंभिक शिक्षा स्थानीय संस्कृत विद्यालय में हुई। सन् 1936 में श्रीलंका में जाकर इन्होंने बौद्ध धर्म में दीक्षा ले ली। राजनीतिक गतिविधियों में भाग लेने के कारण अनेक बार उनको जेल भी जाना पड़ा। संस्कृत, पाली, प्राकृत तथा हिंदी सभी भाषाओं का इन्होंने गहरा अध्ययन किया। बाल्यावस्था में कष्टों और पीड़ाओं को भोगने के कारण इनके काव्य में पीड़ा का अधिक महत्त्व है। वैसे ये स्वभाव से फक्कड़, मस्तमौला तथा अपने मित्रों में नागा बाबा के नाम से जाने जाते हैं। सन् 1998 में उनका देहांत हो गया।

2. प्रमुख रचनाएँ-1) काव्य–’युगधारा’, ‘प्यासी पथराई आँखें’, ‘सतरंगे पंखों वाली’, ‘प्यासी परछाई’, ‘तालाब की मछलियाँ’, ‘हजार-हजार बाँहों वाली’, ‘तुमने कहा था’, ‘पुरानी जूतियों का कोरस’, ‘खून और शोले’, ‘चना जोर गर्म’ तथा ‘भस्मांकुर’ (खंडकाव्य)।
(ii) उपन्यास-‘वरुण के बेटे’, ‘हीरक जयंती’, ‘बलचनमा रतिनाथ की चाची’, ‘नई पौध’, ‘कुंभीपाक और उग्रतारा’ । __ आपने दीपक (हिंदी मासिक) तथा विश्वबंधु (साप्ताहिक) का संपादन भी किया। मैथिली में रचित काव्य रचना पर इनको साहित्य अकादमी का पुरस्कार भी मिला है।

3. काव्यगत विशेषताएँ-नागार्जुन एक जनवादी कवि हैं, अतः इनका काव्य मानव-जीवन से संबद्ध है। इनका काव्य वैविध्यपूर्ण है। इनकी कुछ कविताओं में मानव मन की रागात्मक अनुभूति का सुंदर वर्णन हुआ है। कुछ रचनाओं में इन्होंने सामाजिक विषमताओं तथा राजनीतिक विद्रूपताओं पर व्यंग्य किया है। इस प्रकार प्रगतिवादी विचारधारा के साथ-साथ प्रेम और सौंदर्य का चित्रण भी इनके काव्य में हुआ है। अन्यत्र ये प्रकृति वर्णन में भी रुचि लेते हुए दिखाई देते हैं। इनके समूचे काव्य में देश-प्रेम की भावना विद्यमान है। पुनः नागार्जुन ने वर्तमान व्यवस्था के प्रति आक्रोश प्रकट करते हुए समाज की रूढ़ियों और जड़ परंपराओं पर भी प्रहार किया है।

4. भाषा-शैली-नागार्जुन की भाषा खड़ी बोली है, लेकिन इन्होंने खड़ी बोली के बोलचाल रूप को ही अपनाया है। जनवादी कवि होने के कारण इनकी भाषा में ग्रामीण और देशज शब्दों का अधिक प्रयोग हुआ है। कुछ स्थलों पर अंग्रेज़ी शब्दों का प्रयोग भी मिलता है। इन्होंने अपनी कविताओं में शृंगार, वीर तथा करुण तीनों रसों को समाविष्ट किया है, इससे भाषा में भी सरलता, कोमलता तथा कठोरता आ गई है। जहाँ आक्रोश तथा व्यंग्यात्मकता का पुट है, वहाँ अलंकारों का बहुत कम प्रयोग हुआ है। शब्द की तीनों शक्तियों-अभिधा, लक्षणा तथा व्यंजना का सार्थक प्रयोग हुआ है। अलंकारों का स्वाभाविक प्रयोग है। कुछ स्थलों पर प्रतीक विधान तथा बिंब योजना भी देखी जा सकती है।

HBSE 10th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 6 यह दंतुरहित मुस्कान और फसल

यह दंतुरहित मुस्कान और फसल कविता का सार

प्रश्न-
‘यह दंतुरित मुसकान’ नामक कविता का सार लिखें।
उत्तर-
“यह दंतुरित मुसकान’ नागार्जुन की प्रमुख कविता है। इसमें उन्होंने छोटे बच्चे की अत्यंत आकर्षक मुसकान को देखकर मन में उमड़े हुए भावों को विविध बिंबों के माध्यम से अभिव्यक्त किया है। कवि के मतानुसार इस सुंदरता में जीवन का संदेश है। बच्चे की उस मधुर मुसकान के सामने कठोर-से-कठोर हृदय भी पिघल जाता है। उसकी मुसकान में अद्भुत शक्ति है जो किसी मृतक में भी नया जीवन फूंक सकती है। धूल मिट्टी में सना हुआ बच्चा तो ऐसा लगता है मानो वह कमल का कोमल फूल है जो तालाब का जल त्यागकर उसकी झोंपड़ी में खिल उठा हो। उसे छूकर तो पत्थर भी जल बन जाता है। उसे छूकर शेफालिका के फूल झड़ने लगते हैं। छोटा-सा शिशु कवि को पहचान नहीं सका। इसलिए वह उसकी ओर टकटकी लगाकर देखता रहता है। कवि मानता है कि वह उस मोहिनी सूरत वाले बालक और उसके सुंदर दाँतों को उसकी माँ के कारण ही देख सका था। वह माँ धन्य है और बालक की मधुर मुसकान भी धन्य है। वह इधर-उधर घूमने वाले प्रवासी के समान था। इसलिए उसकी पहचान नन्हें बच्चे के साथ नहीं हो सकी थी। जब वह कनखियों से कवि की ओर देखता तो उसकी छोटे-छोटे दाँतों से सजी मुसकान कवि का मन मोह लेती थी।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *