HBSE 10th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 5 उत्साह और अट नहीं रही

Haryana State Board HBSE 10th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 5 उत्साह और अट नहीं रही Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 10th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 5 उत्साह और अट नहीं रही

HBSE 10th Class Hindi उत्साह और अट नहीं रही Textbook Questions and Answers

1. उत्साह

प्रश्न 1.
कवि बादल से फुहार, रिमझिम या बरसने के स्थान पर ‘गरजने’ के लिए कहता है, क्यों?
उत्तर-
निश्चय ही बादल अपने जल से इस पृथ्वी के प्राणियों की प्यास बुझाता है और उन्हें प्रसन्न करता है। यही बादल विध्वंस और विप्लव भी मचा सकता है। कवि बादल को गरजने के लिए इसलिए कहता है ताकि सोई हुई आत्माएँ जाग जाएँ तथा उनके मन में क्रांति का संचार हो सके। क्रांति व परिवर्तन से ही नए युग का निर्माण हो सकता है। इसलिए कवि बादल को बरसने की अपेक्षा ‘गरजने’ के लिए कहता है।

प्रश्न 2.
कविता का शीर्षक उत्साह क्यों रखा गया है?
उत्तर-
प्रस्तुत कविता एक आह्वान गीत है जिसमें कवि ने उत्साहपूर्वक विधि से प्रगतिवादी स्वर को मुखरित किया है। कवि बादल से गरजने के लिए कहता है। ‘गरजन’ बादल की शक्ति को व्यक्त करता है। इसलिए कवि बादल का गरज-गरजकर नई प्रेरणा देने के लिए आह्वान करता है। अतः कवि ने बादल के इस विशेष गुण के आधार पर इस कविता का शीर्षक ‘उत्साह’ रखा है जो अत्यंत उचित एवं सार्थक है।

प्रश्न 3.
कविता में बादल किन-किन अर्थों की ओर संकेत करता है?
उत्तर-
कविता में बादल कवि की कल्पना शक्ति और क्रांति की भावना की ओर संकेत करता है। बादल एक ओर पीड़ित लोगों की आशाओं और कामनाओं को पूरा करने वाला है तो दूसरी ओर जन-जन के मन में उत्साह और संघर्ष के भाव भरने वाला भी है।

प्रश्न 4.
शब्दों का ऐसा प्रयोग जिससे कविता के किसी खास भाव या दृश्य में ध्वन्यात्मक प्रभाव पैदा हो, नाद-सौंदर्य कहलाता है। उत्साह कविता में ऐसे कौन-से शब्द हैं जिनमें नाद-सौंदर्य मौजूद है, छाँटकर लिखें।
उत्तर-
कविता में निम्नलिखित शब्दों में नाद-सौंदर्य मौजूद है
घेर घेर घोर गगन।
ललित ललित।
काले धुंघराले।
बाल कल्पना के-से पाले।

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रचना और अभिव्यक्ति

प्रश्न 5.
जैसे बादल उमड़-घुमड़कर बारिश करते हैं वैसे ही कवि के अंतर्मन में भी भावों के बादल उमड़-घुमड़कर कविता के रूप में अभिव्यक्त होते हैं। ऐसे ही किसी प्राकृतिक सौंदर्य को देखकर अपने उमड़ते भावों को कविता में उतारिए।
उत्तर-
यह प्रश्न परीक्षोपयोगी नहीं है। छात्र इसे स्वयं करें।

पाठेतर सक्रियता:

बादलों पर अनेक कविताएँ हैं। कुछ कविताओं का संकलन करें और उनका चित्रांकन भी कीजिए।
उत्तर-
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से बादल संबंधी कविताओं का संकलन करें।

2. अट नहीं रही है

प्रश्न 1.
छायावाद की एक खास विशेषता है अंतर्मन के भावों का बाहर की दुनिया से सामंजस्य बिठाना। कविता की किन पंक्तियों को पढ़कर यह धारणा पुष्ट होती है? लिखिए।
उत्तर-
अंतर्मन के भावों का बाहर की दुनिया से सामंजस्य बिठाने की धारणा कविता की निम्नांकित पंक्तियों से व्यक्त होती है
आमा फागुन की तन
सट नहीं रही है।
x x x x
कहीं साँस लेते हो,
घर-घर भर देते हो,
उड़ने को नभ में तुम
पर-पर कर देते हो,

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प्रश्न 2.
कवि की आँख फागुन की सुंदरता से क्यों नहीं हट रही है?
उत्तर-
फागुन मास का प्राकृतिक सौंदर्य अत्यंत आकर्षक है। चारों ओर हरियाली छा गई है। वृक्ष हरे-भरे पत्तों और रंग-बिरंगे फूलों से लद गए हैं। पूरा वातावरण मधुर एवं सुगंधित बन गया है। फागुन का यह सौंदर्य प्रकृति में समा नहीं रहा है अर्थात् पूरा वातावरण सौंदर्य से परिपूर्ण है। इसलिए कवि फागुन मास के ऐसे अद्भुत सौंदर्य में पूर्णतः तल्लीन हो गया है और वह अपनी आँख ऐसे सौंदर्य से हटाना नहीं चाहता।

प्रश्न 3.
प्रस्तुत कविता में कवि ने प्रकृति की व्यापकता का वर्णन किन रूपों में किया है? अथवा प्रस्तुत कविता के आधार पर प्रकृति के सौन्दर्य का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
कवि ने प्रकृति की शोभा को वैभवशाली बताया है क्योंकि उसमें सुंदरता रूपी विविध प्रकार की निधियाँ समाहित हैं। कवि ने बताया है कि फागुन मास में वन, उपवन, बाग, बगीचे आदि सभी स्थानों पर, पेड़ों पर हरे-भरे पत्ते लद गए हैं तथा उन पर तरह-तरह के फूल भी खिल गए हैं जिससे संपूर्ण वातावरण आकर्षक बन गया है। चारों ओर फूलों की सुगंध व्याप्त है। फूलों से लदे हुए पेड़ ऐसे लग रहे हैं मानों उन्होंने अपने गले में सुगंधित फूलों से बनी मालाएँ पहन ली हों।

प्रश्न 4.
फागुन में ऐसा क्या होता है जो बाकी ऋतुओं से भिन्न होता है?
उत्तर-
फागुन का महीना बसंत ऋतु में आता है। इस मास के आने पर सभी पेड़-पौधों के पुराने पत्ते झड़ जाते हैं और उनके स्थान पर नए पत्ते उग आते हैं। सर्दी की ऋतु समाप्त हो जाती है। मौसम अत्यंत आकर्षक बन जाता है। खेतों में दूर-दूर तक फैली । हुई पीली-पीली सरसों ऐसी लगती है कि मानों धरती पीली चादर ओढ़कर सज गई हो। सभी बाग-बगीचों में खड़े पेड़ भी फूलों से लद जाते हैं। वातावरण पूर्णतः सुगंधित एवं सुहावना बन जाता है पक्षियों की मधुर ध्वनियाँ सुनाई देने लगती हैं। मानव-जीवन में भी स्फूर्ति का संचार होने लगता है। सभी प्राणियों में नया उत्साह भर जाता है। इसलिए फागुन मास अन्य ऋतुओं से भिन्न होता है।

प्रश्न 5.
इन कविताओं के आधार पर निराला के काव्य-शिल्प की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर-
निराला जी छायावाद के प्रमुख कवि थे। उनकी इन कविताओं में छायावादी काव्य की सभी प्रमुख विशेषताएँ एक साथ देखने को मिलती हैं। उनकी भाषा में मधुर शब्दावली की योजना, संगीतात्मकता, लाक्षणिकता, चित्रात्मकता तथा प्रकृति का मानवीकरण बेजोड़ है। भावपक्ष की भाँति ही उनके काव्य का कलापक्ष भी अत्यंत समृद्ध है। शिल्प के क्षेत्र में उनका विद्रोही रूप भी देखने को मिलता है। उन्होंने छंदमुक्त काव्य-शैली का प्रयोग किया है। अतः स्पष्ट है किं विषय-वस्तु के साथ-साथ निराला जी ने काव्य के शिल्प पक्ष में नवीनता का समावेश किया है। बादल निराला जी को बहुत प्रिय रहा है इसलिए नहीं कि वह सुंदर है बल्कि इसलिए भी कि वह शक्ति का प्रतीक है। ‘उत्साह’ कविता में ललित कल्पना और क्रांति का स्वर समांतर बना हुआ है। ‘अट नहीं रहा है। शीर्षक कविता में देशज शब्दों का प्रयोग भी देखते ही बनता है। निराला जी लघु-लघु शब्दों का प्रयोग इस प्रकार करते हैं कि भाषा की प्रवाहमयता देखते ही बनती है।

रचना और अभिव्यक्ति

प्रश्न 6.
होली के आसपास प्रकृति में जो परिवर्तन दिखाई देते हैं, उन्हें लिखिए।
उत्तर-
छात्र स्वयं करें।

पाठेतर सक्रियता

फागुन में गाए जाने वाले गीत जैसे होरी, फाग आदि गीतों के बारे में जानिए।
उत्तर-
यह परीक्षोपयोगी नहीं है।
इस कविता में भी निराला फागुन के सौंदर्य में डूब गए हैं। उनमें फागुन की आभा रच गई है, ऐसी आभा जिसे न शब्दों से अलग किया जा सकता है, न फागुन से।
फूटे हैं आमों में बौर
भौंर वन-वन टूटे हैं।
होली मची ठौर-ठौर,
सभी बंधन छूटे हैं।
फागुन के रंग राग,
बाग-वन फाग मचा है,
भर गये मोती के झाग,
जनों के मन लूटे हैं। ,
माथे अबीर से लाल,
गाल सेंदुर के देखे,
आँखें हुई हैं गुलाल,
गेरू के ढेले कूटे हैं।

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HBSE 10th Class Hindi उत्साह और अट नहीं रही Important Questions and Answers

विषय-वस्तु संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
‘उत्साह’ कविता के आधार पर बादल की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
उत्तर-
‘उत्साह’ कविता में कवि ने बादल के मंगलमय रूप को चित्रित किया है। साथ ही बादल के सौंदर्य को भी उजागर किया है। बादल को कवि ने ‘ललित ललित काले बादल’ कहकर उसकी सुंदरता की ओर संकेत किया है। बादल को ‘बाल कल्पना के-से पाले’ बताकर बादल की कोमलता एवं माधुर्य पर प्रकाश डाला है। बादल को बिजली की सुंदरता को हृदय में धारण करने वाला, हृदय में वज्र छुपाने वाला बताकर उसके शक्तिशाली रूप को उजागर किया है। ‘तप्त धरा को जल से फिर शीतल कर दो’ के माध्यम से बादल के मंगलमय रूप को प्रदर्शित किया है। इसी प्रकार ‘उत्साह’ कविता में बादल को नव-जीवन देने वाला बताया गया। है, क्योंकि उसके जल से ही प्राणी मात्र के जीवन में नया उत्साह व सुख मिलता है।

प्रश्न 2.
‘उत्साह’ नामक कविता में ‘नवजीवन वाले’ किसे और क्यों कहा गया है?
उत्तर-
‘उत्साह’ कविता में ‘नवजीवन वाले’ विशेषण का प्रयोग बादल और कवि दोनों के लिए किया गया है। बादल को नवजीवन वाले इसलिए कहा गया है क्योंकि वह अपने जल से मुरझाई हुई-सी धरती को पुनः हरा-भरा करके उसमें नव-जीवन का संचार कर देता है। इसी प्रकार कवि भी अपनी कविता के माध्यम से सोई हुई मानवता को जगाकर उसमें नए-नए विचारों का संचार करता है और नव-जीवन का संदेश देता है।

प्रश्न 3.
फागुन के मदमाते वातावरण का मानव-जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर-
फागुन मास मदभरा मास माना जाता है क्योंकि इस मास में चारों ओर प्राकृतिक सौंदर्य छा जाता है। चारों ओर हरियाली छा जाती है। फूलों की सुगंध से वातावरण सुगंधित बन जाता है। सर्दी की ऋतु के पश्चात् बसंत का आगमन हो जाता है। इस सारे वातावरण का मानव-जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। मानव-मन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो जाता है। उसका मन उत्साह से भर जाता है। वह आकाश में उड़ने की उमंग भरने लगता है। वह प्राकृतिक सौंदर्य को देखने में इतना तल्लीन हो जाता है कि अपनी दृष्टि उससे हटाना नहीं चाहता। फागुन मास के आते ही लोग मस्ती से भर उठते हैं और फागुन के गीत गाने लगते हैं। चारों ओर उत्साह का अद्भुत वातावरण बन जाता है।

संदेश/जीवन-मूल्यों संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न 4.
‘उत्साह’ कविता के केंद्रीय भाव का उल्लेख कीजिए। अथवा
‘उत्साह’ कविता के मूल उद्देश्य का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
‘उत्साह’ कविता में कविवर निराला ने बादल को उत्साह के प्रतीक के रूप में चित्रित किया है। कवि बादल से अनुरोध करता है कि वह सारे आकाश में छा जाए और खूब वर्षा करे ताकि तपती हुई धरती को शीतलता मिल सके। वह किसी संघर्षशील कवि के समान सबके जीवन में उत्साह भर दे। वह अपनी गर्जन से सोई हुई मानवता को जगा दे। उसमें नया जोश व उत्साह भर दे। जब सारी धरा पर लोग व्याकुल व अनमने हों तो बादल जल की धारा बनकर सबको शीतलता प्रदान करें।

प्रश्न 5.
‘अट नहीं रही है’ कविता का प्रतिपाद्य अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर-
‘अट नहीं रही है’ शीर्षक कविता में कवि ने छायावादी शैली में प्रकृति की मनोरम छटा का उल्लेख किया है। कवि ने बताया है कि फागुन मास की शोभा अपने आप में समा नहीं रही है। इसलिए वह अनंत शोभा-सी लगती है। हर तरफ हरियाली छाई हुई है। फूलों की सुगंध वातावरण में मिलकर वातावरण को मधुर बना रही है। संपूर्ण प्राकृतिक दृश्य अत्यंत आकर्षक बने हुए हैं। कवि का मन इन सुंदर दृश्यों में इतना तल्लीन है कि वह एक क्षण के लिए भी अपनी आँखों को उनसे हटाना नहीं चाहता।

प्रश्न 6.
‘उत्साह’ कविता में कवि और बादल में क्या समानता दिखाई देती है?
उत्तर-
‘उत्साह’ कविता में बादल एक ओर पीड़ित लोगों की आशाओं और कामनाओं को पूरा करने वाला है तो दूसरी ओर जन-जन के मन में उत्साह और संघर्ष के भाव भरने वाला है। ठीक इसी प्रकार कवि भी दुःखी लोगों के प्रति सहानुभूति रखता है और शोषण के विरुद्ध क्रांति की भावना के विकास के लिए प्रेरित करता है। बादल गरजता है तो कवि कविता के माध्यम से जन-जन को ललकारता है।

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अति लघुत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
किसकी आभा अट नहीं रही है?
उत्तर-
फागुन की आभा अट नहीं रही है।

प्रश्न 2.
निराला जी का निधन कब हुआ?
उत्तर-
निराला जी का निधन सन् 1961 में हुआ।

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प्रश्न 3.
कवि बादलों के माध्यम से मानव को क्या प्रदान करना चाहता है?
उत्तर-
कवि बादलों के माध्यम से मानव को जीवन की नई-नई प्रेरणाएँ प्रदान करना चाहता है।

प्रश्न 4.
निराला जी का प्रतिकार किसके प्रति व्यक्त हुआ है?
उत्तर-
निराला जी का प्रतिकार शोषक वर्ग के प्रति व्यक्त हुआ है।

प्रश्न 5.
‘तप्त धरा’ का सांकेतिक अर्थ क्या है?
उत्तर-
‘तप्त धरा’ का सांकेतिक अर्थ सांसारिक दुखों से पीड़ित पृथ्वी है।

प्रश्न 6.
फागुन मास के आते ही वृक्ष कैसे लगने लगते हैं?
उत्तर-
फागुन मास के आते ही वृक्ष हरे-भरे लगने लगते हैं।

प्रश्न 7.
कवि की आँख कहाँ से नहीं हट रही है?
उत्तर-
कवि की आँख प्राकृतिक सुंदरता से नहीं हट रही है।

प्रश्न 8.
‘अट नहीं रही है’ कविता में किस मास का वर्णन किया गया है?
उत्तर-
‘अट नहीं रही है’ कविता में फागुन मास का वर्णन किया गया है।

बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
‘निराला’ जी मूलतः किस राज्य के रहने वाले थे?
(A) पंजाब
(B) उत्तर प्रदेश
(C) हरियाणा
(D) मध्य प्रदेश
उत्तर-
(B) उत्तर प्रदेश

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प्रश्न 2.
निराला की आरंभिक शिक्षा कहाँ हुई?
(A) बनारस में
(B) लखनऊ में
(C) महिषादल में
(D) कोलकाता में
उत्तर-
(C) महिषादल में

प्रश्न 3.
निराला जी के जीवन में सबसे बड़ा दुख क्या था?
(A) गरीब होना
(B) बीमार पड़ना
(C) समाज द्वारा ठुकराया जाना
(D) पत्नी तथा बेटा-बेटी की मृत्यु
उत्तर-
(D) पत्नी तथा बेटा-बेटी की मृत्यु

प्रश्न 4.
निराला जी ने सबसे पहले किस छंद का प्रयोग किया था?
(A) सवैया
(B) दोहा
(C) चौपाई
(D) मुक्त
उत्तर-
(D) मुक्त

प्रश्न 5.
‘उत्साह’ किस प्रकार का गीत है?
(A) प्रेम
(B) विरह
(C) आह्वान
(D) उत्साह
उत्तर-
(C) आह्वान

प्रश्न 6.
‘उत्साह’ कविता में कवि ने किसका आह्वान किया है?
(A) बादल का
(B) पवन का
(C) सूर्य का
(D) वर्षा का
उत्तर-
(A) बादल का

प्रश्न 7.
“उत्साह’ नामक कविता में बादलों में क्या छिपा हुआ है?
(A) गर्जन
(B) वज्र
(C) जल
(D) कालापन
उत्तर-
(B) वज्र

प्रश्न 8.
‘उत्साह’ कविता में किस दिशा से अनंत के घन आने की बात की गई है?
(A) पश्चिम
(B) अज्ञात
(C) पूर्व
(D) ज्ञात
उत्तर-
(B) अज्ञात

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प्रश्न 9.
कवि ने बादल को किसके प्रतीक के रूप में चित्रित किया है?
(A) संदेशवाहक
(B) सैनिक
(C) क्रांतिकारी पुरुष
(D) स्वार्थी व्यक्ति
उत्तर-
(C) क्रांतिकारी पुरुष

प्रश्न 10.
कवि ने बादलों को किसकी कल्पना के समान बताया?
(A) बालकों की
(B) कवि की
(C) सैनिक की
(D) व्यापारी की
उत्तर-
(A) बालकों की

प्रश्न 11.
‘विश्व के निदाघ के सकल जन’, यहाँ सकल का अर्थ है-
(A) सुंदर
(B) सब
(C) अच्छे
(D) दुष्ट
उत्तर-
(B) सब

प्रश्न 12.
वज्र किसके हृदय में छिपा रहता है?
(A) बादल
(B) पवन
(C) सूर्य
(D) आकाश
उत्तर-
(A) बादल

प्रश्न 13.
प्रस्तुत कविता में बादल से किसको शीतल करने की बात कही गई है?
(A) विकल जन
(B) तप्त धरा
(C) विद्युत
(D) जीवन
उत्तर-
(A) विकल जन ।

प्रश्न 14.
विश्व के जन क्यों व्याकुल एवं परेशान थे?
(A) भूख के कारण
(B) बीमारी के कारण
(C) प्रियजनों से दूर जाने के कारण
(D) भयंकर गर्मी के कारण
उत्तर-
(D) भयंकर गर्मी के कारण

प्रश्न 15.
कवि ने बादलों के हृदय में कैसी छवि बताई है?
(A) सुनहरी
(B) काली
(C) सफेद
(D) विद्युत
उत्तर-
(D) विद्युत

प्रश्न 16.
पत्तों से लदी डाल पर कौन-कौन से रंगों की छटा बिखरी हुई है?
(A) हरी, पीली
(B) लाल, पीली
(C) हरी, लाल
(D) पीली, भूरी
उत्तर-
(C) हरी, लाल

प्रश्न 17.
‘अट नहीं रही है’ कविता के कवि का क्या नाम है?
(A) जयशंकर प्रसाद
(B) तुलसीदास
(C) महादेवी वर्मा
(D) सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’
उत्तर-
(D) सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’

प्रश्न 18.
‘अट नहीं रही है’ कविता में कवि ने किस मास की मादकता का वर्णन किया है?
(A) फागुन मास की
(B) कार्तिक मास की
(C) सावन मास की
(D) आषाढ़ मास की
उत्तर-
(A) फागुन मास की

प्रश्न 19.
किसकी आभा ‘अट’ नहीं रही है?
(A) धूप
(B) फागुन
(C) बसंत
(D) हवा
उत्तर-
(B) फागुन

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प्रश्न 20.
कवि के अनुसार घर-घर में क्या भर जाता है?
(A) धुआँ
(B) जल
(C) फागुन मास की शोभा
(D) वर्षा का पानी
उत्तर-
(C) फागुन मास की शोभा

प्रश्न 21.
‘अट नहीं रही है’ नामक कविता में पाट-पाट पर क्या बिखरी है?
(A) उज्ज्वलता
(B) शोभा-श्री
(C) सुगंध
(D) हरीतिमा
उत्तर-
(B) शोभा-श्री

प्रश्न 22.
‘अट’ शब्द से तात्पर्य है
(A) नष्ट
(B) अटकना
(C) प्रविष्ट
(D) अटना
उत्तर-
(C) प्रविष्ट

प्रश्न 23.
‘अट नहीं रही है’ नामक कविता में हटाने पर भी क्या नहीं हट रही है?
(A) आभा
(B) रोशनी
(C) जाला
(D) आँख
उत्तर-
(D) आँख

प्रश्न 24.
‘मंद-गंध-पुष्प-माल’ का धारक किसे कहा गया है?
(A) चैत्र
(B) बैसाख
(C) जेठ
(D) फागुन
उत्तर-
(D) फागुन

प्रश्न 25.
फागुन मास में कौन-सी ऋतु होती है?
(A) वर्षा
(B) बसंत
(C) ग्रीष्म
(D) सर्दी
उत्तर-
(B) बसंत

उत्साह और अट नहीं रही पद्यांशों के आधार पर अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर

[1] बादल, गरजो:
घेर घेर घोर गगन, धाराधर ओ!
ललित ललित, काले धुंघराले,
बाल कल्पना के-से पाले,
विद्युत-छबि उर में, कवि, नवजीवन वाले!
वज छिपा, नूतन कविता
फिर भर दो
बादल, गरजो! [पृष्ठ 33]

शब्दार्थ-घोर = भयंकर। धाराधर = जल की धारा धारण करने वाले। ललित = सुंदर। विद्युत-छबि = बिजली के समान सुंदरता। उर = हृदय। वन = कठोर, भीषण। नूतन = नई।

प्रश्न-
(क) कवि एवं कविता का नाम लिखिए।
(ख) प्रस्तुत पद्यांश का प्रसंग स्पष्ट कीजिए।
(ग) प्रस्तुत काव्यांश की व्याख्या कीजिए।
(घ) कवि ने बादल का गरजने के लिए आह्वान क्यों किया है?
(ङ) यहाँ बादलों को किसके प्रतीक के रूप में चित्रित किया गया है?
(च) बादल किसकी कल्पना के समय पाले गए हैं?
(छ) बादल मानव-जीवन और कवि को क्या प्रदान करते हैं?
(ज) कवि बादलों से बरसकर क्या करने को कहता है?
(झ) ‘वज्र छिपा’ में निहित व्यंग्यार्थ को स्पष्ट कीजिए।
(अ) प्रस्तुत काव्यांश का भाव-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
(ट) प्रस्तुत पद्यांश में निहित शिल्प-सौंदर्य पर प्रकाश डालिए।
(ठ) प्रस्तुत काव्यांश में प्रयुक्त भाषा की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर-
(क) कवि का नाम-सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’। कविता का नाम-उत्साह।

(ख) प्रस्तुत पद्यांश हिंदी की पाठ्यपुस्तक ‘क्षितिज’ भाग 2 में संकलित ‘उत्साह’ नामक कविता से उद्धृत है। इसके रचयिता सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ हैं। कवि ने उत्साह एवं शक्ति के प्रतीक बादलों का आह्वान किया है कि वे पीड़ित, दुःखी एवं प्यासे लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करें। कवि ने बादलों को अंधविश्वास के अंकुर के विध्वंसक एवं क्रांति की चेतना को जागृत करने वाला कहा है।

HBSE 10th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 5 उत्साह और अट नहीं रही

(ग) कवि ने क्रांति के प्रतीक बादल को संबोधित करते हुए कहा है कि हे बादल! तुम खूब गरजो। तुम सारे आकाश को घेरकर खूब बरसो। घनघोर वर्षा करो। हे बादल! तुम बहुत ही सुंदर हो। तुम्हारा रूप घने काले और धुंघराले बालों के समान है। तुम अबोध बालकों की मधुर कल्पना के समान पाले हुए हो। तुम अपने हृदय में बिजली की शोभा रखे हुए हो। तुम नई सृष्टि की रचना करने वाले हो। तुम अपने जल द्वारा नया जीवन देने वाले हो। तुम्हारे भीतर वज्र की शक्ति विद्यमान् है। हे बादल! तुम इस संसार को नई-नई प्रेरणा और जीवन प्रदान करने वाले हो। हे बादल! तुम खूब गरजो और सबमें एक बार फिर नया जीवन भर दो।

(घ) कवि ने बादलों का आह्वान गरजने के लिए इसलिए किया है क्योंकि कवि वातावरण में जोश और क्रांति की भावना भर देना चाहता है। बादल की गर्जन को सुनकर सबमें जोश भर जाता है।

(ङ) यहाँ बादलों को क्राँति उत्पन्न करने वाले साहसी व उत्साही वीर पुरुष के प्रतीक के रूप में चित्रित किया गया है।

(च) बादल नन्हें अबोध बालकों की कल्पना के समान पाले गए हैं। वे अत्यंत सुंदर एवं कोमल हैं।

(छ) बादल मानव-जीवन और कवि को नई-नई प्रेरणाएँ प्रदान करते हैं। (ज) कवि बादलों को जल बरसाकर प्राणियों को सुख प्रदान करने के लिए कहते हैं। .

(झ) ‘वज्र छिपा’ का तात्पर्य है कि बादलों के भीतर बिजली की कड़क छिपी हुई है। दूसरे शब्दों में, कवि के हृदय में भी उथल-पुथल करने वाली क्रांति की भावना छिपी हुई है।

(ञ) प्रस्तुत काव्यांश में कवि ने प्यासे और पीड़ित लोगों के हृदय की पीड़ा को दूर करके उनकी कामनाओं को पूरा करने . का आह्वान किया है। कवि को बादलों की गर्जन प्रिय है क्योंकि उसमें शक्ति की भावना समाहित है। कवि समाज में क्रांति लाना . चाहता है ताकि समाज में व्याप्त रूढ़िबद्ध परंपराएँ समाप्त हो जाएँ और समाज विकास के मार्ग पर अग्रसर हो सके।

(ट)

  • प्रस्तुत पद में कवि ने ओजस्वी वाणी में क्रांति के स्वर को मुखरित किया है।
  • संस्कृतनिष्ठ शब्दावली का सार्थक प्रयोग किया गया है।
  • लघु शब्दों की आवृत्ति के कारण जहाँ भाव प्रभावशाली बन पड़े हैं, वहीं कविता में प्रवाह का समावेश भी हुआ है।
  • संबोधन शैली का प्रयोग किया गया है।
  • ‘ललित ललित काले धुंघराले’ में अनुप्रास अलंकार है।
  • ‘घेर-घेर, ललित-ललित’ में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।
  • ‘बाल कल्पना के-से पाले’ में उपमा अलंकार है।
  • ‘बादल गरजो’ में मानवीकरण अलंकार है।

(ठ) कविवर ‘निराला’ ने अपने काव्य में तत्सम प्रधान भाषा का प्रयोग किया है। इस पद्यांश में भी उन्होंने तत्सम प्रधान और ओजस्वी भाषा का प्रयोग किया है। लघु शब्दों की आवृत्ति से भाषा में गति एवं एक लय का समावेश हुआ है। भाषा ओजगुण संपन्न है।

[2] विकल विकल, उन्मन थे उन्मन
विश्व के निदाघ के सकल जन,
आए अज्ञात दिशा से अनंत के घन!
तप्त धरा, जल से फिर
शीतल कर दो
बादल, गरजो! [पृष्ठ 33]

शब्दार्थ-विकल = बेचैन। उन्मन = अनमना। निदाघ = तपती गर्मी। सकल = सारा। जन = मनुष्य। अज्ञात = अनजान। अनंत = असीम अज्ञान। घन = बादल। तप्त = तपी हुई। धरा = पृथ्वी।

प्रश्न-
(क) कवि तथा कविता का नाम लिखिए।
(ख) प्रस्तुत कवितांश का प्रसंग लिखिए।
(ग) प्रस्तुत पद्यांश की व्याख्या कीजिए।
(घ) कवि बादल से क्या प्रार्थना करता है?
(ङ) पृथ्वी पर लोग क्यों बेचैन हो रहे थे?
(च) ‘निदाघ’ किसके प्रतीक के रूप में प्रयुक्त हुआ है?
(छ) बादल कहाँ से आकर आकाश में छा जाते हैं? ।
(ज) ‘तप्त धरा’ का शाब्दिक व सांकेतिक अर्थ लिखिए।
(झ) प्रस्तुत पद का भाव-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
(ञ) इस पद्यांश में निहित शिल्प-सौंदर्य पर प्रकाश डालिए।
(ट) प्रस्तुत काव्य-पंक्तियों में प्रयुक्त भाषा की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर-
(क) कवि का नाम-सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’।
कविता का नाम-उत्साह।

(ख) प्रस्तुत कवितांश हिंदी की पाठ्यपुस्तक ‘क्षितिज’ भाग 2 में संकलित ‘उत्साह’ शीर्षक कविता से लिया गया है। इसके रचयिता सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ हैं। इस कविता में कवि ने बादलों का दुःख से पीड़ित मानवता को सुख प्रदान करने के लिए आह्वान किया है।

(ग) कवि कहता है कि चारों ओर व्याकुलता और बेचैनी थी। सब लोग परेशान थे तथा सबके मन अनमने व उचाट हो रहे थे। विश्व के सभी लोग भीषण गर्मी से दुःखी एवं पीड़ित थे। तब न जाने किस अज्ञात दिशा से बादल आकाश में छा गए। कवि बादलों को संबोधित करता हुआ कहता है कि हे बादलो! तुम खूब बरसो और गर्मी से पीड़ित लोगों को शीतलता प्रदान करो। खूब बरसो और जन-जन को ठंडक पहुँचाओ। हे बादल! तुम खूब गरजो।

(घ) कवि बादल से प्रार्थना करता है कि वे गर्मी से तपी हुई धरती पर खूब जल बरसाओ और उसे शीतलता प्रदान करो।

(ङ) संपूर्ण पृथ्वी के लोग कष्टों व दुःखों रूपी गर्मी के कारण बेचैन व व्याकुल थे।

(च) कवि ने ‘निदाघ’ अर्थात् भीषण गर्मी का प्रयोग संसार के कष्टों के प्रतीकार्य किया है।

(छ) बादल न जाने असीम आकाश के किस कोने से आकर चारों ओर छाया की भाँति छा जाते हैं।

(ज) ‘तप्त धरा’ का शाब्दिक अर्थ है-गर्मी से तपती हुई धरती तथा इसका सांकेतिक अर्थ है-सांसारिक दुःखों से पीड़ित मानव-जीवन।

(झ) प्रस्तुत कविता में कवि ने बादलों का मानवता को सुख देने के लिए आह्वान किया है। इस धरती पर सांसारिक कष्टों व पीड़ाओं से पीड़ित मनुष्य को सुख प्रदान करके उसे शांति व शीतलता प्रदान करनी चाहिए। ठीक उसी प्रकार जिस प्रकार गर्मी से तपती हुई धरती को बादल वर्षा करके ठंडक प्रदान करते हैं। .

(ञ)

  • कवि ने बादलों का मानवीकरण करके विषय को रोचक बना दिया है।
  • भाषा सरल एवं सहज है।
  • ‘अनंत’ के दो अर्थ हैं-ईश्वर और आकाश। इसलिए श्लेष अलंकार है।
  • नाद-सौंदर्य विद्यमान है।
  • ओजगुण सर्वत्र देखा जा सकता है।
  • शब्द-योजना अत्यंत सार्थक एवं सटीक बन पड़ी है।

(ट) संस्कृतनिष्ठ शब्दावली का प्रयोग किया गया है। छोटे-छोटे शब्दों के सार्थक प्रयोग से भाषा में प्रवाह बना हुआ है। संबोधन शैली के प्रयोग से कविता में रोचकता का समावेश हुआ है। भाषा ओजगुण संपन्न है।

[3] अट नहीं रही है
आमा फागुन की तन
सट नहीं रही है।
कहीं साँस लेते हो,
घर-घर भर देते हो,
उड़ने को नभ में तुम
पर-पर कर देते हो,
आँख हटाता हूँ तो
हट नहीं रही है।
पत्तों से लदी डाल
कहीं हरी, कहीं लाल,
कहीं पड़ी है उर में
मंद-गंध-पुष्प-माल
पाट पाट शोभा-श्री
पट नहीं रही है। [पृष्ठ 34]

शब्दार्थ-अट = समाना, प्रविष्ट करना। आभा = सुंदरता। नभ = आकाश। उर = हृदय। मंद-गंध = धीमी-धीमी सुगंध। पुष्प-माल = फूलों की माला। पाट-पाट = जगह-जगह। शोभा-श्री = सुंदरता से परिपूर्ण। पट = न समाना।

HBSE 10th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 5 उत्साह और अट नहीं रही

प्रश्न-
(क) कवि एवं कविता का नाम लिखिए।
(ख) प्रस्तुत पद्यांश का प्रसंग लिखिए।
(ग) प्रस्तुत काव्यांश की व्याख्या कीजिए।
(घ) कवि ने किस मास की प्राकृतिक सुंदरता का वर्णन किया है?
(ङ) घर-घर में क्या भर जाता है और क्यों?
(च) कौन किसको उड़ने के लिए प्रेरित करता है?
(छ) कवि की आँख किससे नहीं हटती और क्यों?
(ज) वृक्षों पर किस प्रकार के पत्ते लद गए हैं?
(झ) बन में क्या पट नहीं रही है?
(अ) फागुन के कारण वन-उपवन कैसे लग रहे हैं?
(ट) प्रस्तुत पद का भाव-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
(ठ) इस पयांश में निहित शिल्प-सौंदर्य पर प्रकाश डालिए।
(ड) प्रस्तुत काव्यांश में प्रयुक्त भाषा की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
(क) कवि का नाम-सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’। कविता का नाम-अट नहीं रही है।

(ख) प्रस्तुत कवितांश हमारी पाठ्यपुस्तक ‘क्षितिज’ भाग 2 में संकलित ‘अट नहीं रही है’ नामक कविता से अवतरित है। प्रस्तुत कविता में कविवर सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ ने फागुन मास की प्राकृतिक छटा का मनोरम चित्रण किया है। कवि ने अपने अनंत प्रिय को संबोधित करते हुए कहा है कि यह सब तुम्हारी शोभा का प्रकाश है जो समा नहीं रहा है।

(ग) कवि कहता है कि फागुन की सुंदरता व चमक कहीं भी समा नहीं रही है। प्रकृति का तन इस फागुनी सुंदरता से जगमगा रहा है। तुम पता नहीं कहाँ से साँस लेते हो और अपनी साँसों की सुगंध से घर भर देते हो अर्थात् कवि को हर जगह अपने प्रिय की साँसों की सुगंध अनुभव होती है। वे तुम्ही हो जो मन को ऊँची कल्पनाओं में उड़ने की प्रेरणा प्रदान करते हो। चारों ओर तुम्हारे सौंदर्य की आभा ही चमक रही है। मैं चाहकर भी इस सौंदर्य से आँख नहीं हटा सकता। कवि का मन प्राकृतिक सौंदर्य से बंधकर रह जाता है।
कवि पुनः कहता है कि फागुन मास में वन एवं उपवन के वृक्ष हरे-भरे, नए-नए पत्तों से लद गए हैं। इन वृक्षों पर विभिन्न रंगों के फूल खिले हुए हैं। कहीं कंठों में मंद सुगंधित पुष्पमालाएँ पड़ गई हैं। हे प्रिय! तुमने तो इस प्रकृति में इस सौंदर्य रूपी वैभव को इस प्रकार भर दिया है कि यह इस प्रकृति में समा नहीं रहा है।

(घ) कवि ने फागुन मास की प्राकृतिक सुंदरता का वर्णन किया है।

(ङ) घर-घर में फागुन मास की शोभा और मस्ती भर जाती है। चारों ओर सुंदरता एवं मधुरता का वातावरण बन जाता है। .

(च) फागुन मास पक्षियों को उड़ने की प्रेरणा देता है अर्थात् फागुन मास के आते ही पक्षियों के जीवन में भी क्रियाशीलता अधिक . तीव्रता से उत्पन्न हो जाती है। फागुन मास में मनुष्यों के मनों में भी ताज़गी भर जाती है और वे भी क्रियाशील हो उठते हैं।

(छ) कवि की आँख प्राकृतिक छटा से नहीं हटती क्योंकि कवि को फागुन मास की प्राकृतिक छटा देखना अत्यंत प्रिय लगता है। (ज) फागुन मास के आते ही वृक्षों पर हरे-भरे व लाल-लाल पत्ते लद जाते हैं।

(झ) वन में प्राकृतिक छटा पट (समा) नहीं रही है।

(ञ) फागुन मास के कारण वन-उपवन सब महक उठे हैं। पेड़ों पर हरे-भरे व नए-नए पत्ते लद जाते हैं तथा तरह-तरह के फूल खिल जाते हैं। फूलों से लदे पेड़ ऐसे लगते हैं मानों उन्होंने फूलों से बनी हुई मालाएँ पहन रखी हों। वन-उपवनों में फागुन मास की छटा पट नहीं रही है।

(ट) प्रस्तुत काव्यांश में कवि ने फागुन मास के अपूर्व एवं असीम सौंदर्य का अत्यंत मनोरम चित्रण किया है। कवि के अनुसार प्रकृति की अनंत सुंदरता व शोभा का कोई छोर नहीं है अर्थात् उसे सीमाओं में नहीं बाँधा जा सकता। फागुन मास में प्रकृति का सौंदर्य ऐसा बन जाता है जो बरबस लोक लोचनों को बाँध लेता है।

(ठ)

  • भाषा सरल, सहज एवं विषयानुकूल है।
  • अट, सट, पट, पाट आदि लघु-लघु शब्दों के सार्थक प्रयोग से भाषा में प्रवाहमयता बनी हुई है।
  • देशज शब्दों का अत्यंत सुंदर प्रयोग देखते ही बनता है।
  • भाषा माधुर्यगुण संपन्न है।
  • कोमलकांत पदावली है।
  • यमक, पुनरुक्ति प्रकाश, अनुप्रास, रूपक, उपमा आदि अलंकारों का प्रयोग किया गया है।

(ड) ‘अट नहीं रही है’ शीर्षक कविता में कवि ने शुद्ध साहित्यिक भाषा का प्रयोग किया है। लघु शब्दों की आवृत्ति के कारण भाषा में जहाँ प्रवाह बना रहता है वहीं लय भी उत्पन्न हुई है, इन काव्य-पंक्तियों में प्रयुक्त भाषा की अन्य विशेषता यह है कि इसमें देशज शब्दों का प्रयोग किया गया है जिससे भाषा में व्यावहारिकता का समावेश हुआ है तथा विशेष वातावरण का निर्माण भी हुआ है।

उत्साह और अट नहीं रही Summary in Hindi

उत्साह और अट नहीं रही कवि-परिचय

प्रश्न-
सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ का संक्षिप्त जीवन-परिचय, रचनाओं, काव्यगत विशेषताओं एवं भाषा-शैली का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
1. जीवन-परिचय-सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ का आधुनिक हिंदी कवियों में सर्वश्रेष्ठ स्थान है। वे वास्तव में ही ‘निराला’ थे। निराला जी ने आधुनिक हिंदी काव्य को एक नई दिशा प्रदान की है। उनका जन्म बंगाल के महिषादल नामक रियासत में मेदिनीपुर नामक स्थान पर सन् 1899 में हुआ था। उनके पिता इस राज्य में एक प्रतिष्ठित पद पर कार्य करते थे। उनका बचपन यहीं व्यतीत हुआ। निराला जी की आरंभिक शिक्षा महिषादल में ही संपन्न हुई। संस्कृत, बांग्ला और अंग्रेजी भाषाओं का अध्ययन उन्होंने घर पर ही किया। दर्शन और संगीत में भी उनकी गहरी रुचि थी। निराला जी का जीवन आरंभ से अंत तक संघर्षों से परिपूर्ण रहा। शैशवावस्था में ही उनकी माता जी का देहांत हो गया। विवाह के कुछ वर्ष पश्चात उनकी पत्नी चल बसी। तत्पश्चात पिता, चाचा तथा चचेरे भाई भी चल बसे। पुत्री सरोज की मृत्यु से उनका हृदय विदीर्ण हो गया। इस प्रकार, संघर्षों से जूझते-जूझते सन् 1961 में निराला जी की जीवन-लीला समाप्त हो गई। निराला जी जीवन के संघर्षों से जूझते हुए भी निरंतर साहित्य सृजन में लगे रहे।

2. प्रमुख रचनाएँ-निराला जी महान साहित्यकार थे। उन्होंने साहित्य की विभिन्न विधाओं पर सफलतापूर्वक लेखनी चलाई। उनकी प्रमुख रचनाएँ निम्नलिखित हैं
काव्य-‘अनामिका’, ‘परिमल’, ‘गीतिका’, ‘तुलसीदास’, ‘अणिमा’, ‘कुकुरमुत्ता’, ‘बेला’, ‘अर्चना’, ‘आराधना’, ‘गीतागूंज’, ‘नए पत्ते’ ‘जूही की कली’ आदि।
उपन्यास-‘अप्सरा’, ‘अलका’, ‘प्रभावती’, ‘निरुपमा’ ‘चमेली’ आदि।
कहानी-संग्रह ‘लिली’, ‘सखी’, ‘सुकुल की बीवी’ आदि।
रेखाचित्र-‘कुल्ली भाट’, ‘बिल्लेसुर बकरिहा’ आदि।
जीवनी-साहित्य-‘महाराणा प्रताप’, ‘प्रह्लाद’, ‘ध्रुव’, ‘शकुंतला’, ‘भीष्म’ आदि।
आलोचना और निबंध-‘पद्म-प्रबंध’, ‘प्रबंध-प्रतिमा’, ‘प्रबंध-परिचय’ आदि।

3. काव्यगत विशेषताएँ-निराला जी के काव्य की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं
(i) मानवतावादी दृष्टिकोण-महाकवि निराला जी के मन में दीन-दुखियों के प्रति अत्यधिक सहानुभूति थी। संसार में व्याप्त अव्यवस्था तथा सामाजिक एवं आर्थिक विषमता को देखकर निराला जी बहुत दुःखी होते थे। उनकी ‘भिक्षुक’ और ‘वह तोड़ती पत्थर’ नामक कविताएँ उनके मानवतावादी विचारों को प्रकट करती हैं।
(ii) राष्ट्रीयता-निराला जी अपने युग के एक सचेत कवि थे। उन्होंने अपनी रचनाओं में अपने युग में व्याप्त राजनीतिक, सामाजिक एवं आर्थिक विषमता को बड़ी यथार्थता से चित्रित किया। उन्होंने तत्कालीन कुप्रथाओं पर जमकर प्रहार किए। उनके साहित्य से एक स्वस्थ समाज बनाने की प्रेरणा मिलती है। अतः कहा जा सकता है कि निराला जी सच्चे अर्थों में राष्ट्रीय भावना के कवि थे।
(iii) प्रगतिवादी चेतना-निराला जी ने अपने काव्य में एक ओर दीन-दुखियों के जीवन का मार्मिक चित्रण किया तो दूसरी ओर शोषकों के प्रति आक्रोश से भरी आवाज़ बुलंद की

, “अबे सुन बे गुलाब, भूल मत जो पाई खुशबू, रंगो-आब,
खून चूसा खाद का तूने अशिष्ट, डाल पर इतराता है कैपिटलिस्ट।”

(iv) रहस्यवादी दृष्टिकोण-निराला जी के रहस्यवाद का मूल आधार वेदांत है। वे आत्मा और परमात्मा के प्रणय संबंधों पर बल देते हैं। उनके रहस्यवाद में भावना और चिंतन का सुंदर समन्वय है। निराला जी के रहस्यवाद में व्यावहारिकता अधिक है। उनके रहस्यवादी दर्शन के निष्कर्ष शक्ति, करुणा, सेवा, त्याग आदि हैं।

(v) प्रकृति-चित्रण-अन्य छायावादी कवियों की ही भाँति निराला जी ने भी प्रकृति के विविध रूपों को बड़ी सूक्ष्मता से चित्रित किया है। उनके प्रकृति-चित्रण में प्रकृति के भयानक और मनोरम, दोनों ही रूपों के दर्शन होते हैं। उन्होंने भावनाओं को उद्दीप्त करने वाले प्राकृतिक रूप को अधिक चित्रित किया है।

HBSE 10th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 5 उत्साह और अट नहीं रही

(vi) प्रेम और श्रृंगार का वर्णन-निराला जी के आरंभिक काव्य में प्रेम और शृंगार का खूब वर्णन हुआ है लेकिन उनके शृंगार-वर्णन में ऐंद्रियता का अभाव है। ‘जूही की कली’ आदि कविताओं में तो शृंगार स्थूल है लेकिन अन्य कविताओं में यह पावन एवं उदात्त है। उनका प्रेम निरूपण लौकिक होने के साथ-साथ अलौकिक भी है। ऐसे स्थलों पर निराला रहस्यवादी कवि प्रतीत होने लगते हैं। ‘तुम और मैं’, ‘यमुना के प्रति’, ‘कौन तम के पार रे कह!’ आदि कविताओं में उनकी रहस्यवादी भावना व्यक्त हुई है।

4. भाषा-शैली-कविवर निराला ने अपने काव्य में तत्सम प्रधान शुद्ध साहित्यिक भाषा का प्रयोग किया है। उन्होंने कोमलकांत पदावली के प्रयोग से अपनी काव्य-भाषा को खूब सजाया है। निराला जी अपने सूक्ष्म प्रतीकों, लाक्षणिक पदावली तथा नवीन उपमानों के लिए प्रसिद्ध हैं। उनके काव्य में संगीतात्मकता के सभी अनिवार्य तत्त्व उपलब्ध हैं।

निराला जी ने अपने काव्य में शब्दालंकार एवं अर्थालंकार, दोनों का सफल प्रयोग किया है। उनकी रचनाओं में पुनरुक्ति प्रकाश, अनुप्रास, उपमा, रूपक, यमक, उत्प्रेक्षा आदि अलंकारों का प्रयोग देखते ही बनता है।
निराला जी का संपूर्ण काव्य मुक्त छंद में रचित है। मुक्त छंद उनकी काव्य को बहुत बड़ी देन है। अतः स्पष्ट है कि निराला जी का काव्य भाव तथा भाषा दोनों दृष्टियों से अत्यंत सक्षम एवं संपन्न है। निश्चय ही वे आधुनिक हिंदी साहित्य के महान एवं निराले कवि थे।

उत्साह और अट नहीं रही कविता का सार

1. उत्साह

प्रश्न-
‘उत्साह’ शीर्षक कविता का सार लिखिए।
उत्तर-
“उत्साह’ शीर्षक कविता में कवि ने समाज में नई चेतना और सामाजिक परिवर्तन के लिए आह्वान किया है। कवि ने जीवन को व्यापक एवं समग्र दृष्टि से देखते हुए अपने मन की कल्पना और क्रांति की चेतना को समानांतर रूप से ध्यान में रखा है। कवि बादलों को गरज-गरजकर बरसने की बात कहता है। सुंदर और काले बादल बालकों की कल्पना के समान हैं। वे नई सृष्टि की रचना करते हैं। उनके भीतर वज्रपात की शक्ति छिपी हुई है। कवि बादलों का आह्वान करता है कि वे पानी बरसाकर तप्त धरती की तपन दूर करके उसे शीतलता प्रदान करें।

2. अट नहीं रही है।

प्रश्न-
‘अट नहीं रही है’ शीर्षक कविता का सार लिखिए।
उत्तर-
प्रस्तुत कविता में कवि ने फागुन के महीने की प्राकृतिक सौंदर्य से उत्पन्न मादकता का वर्णन किया है। कवि फागुन की सर्वव्यापक सुंदरता को कई संदर्भो में देखता है। कवि का मत है कि जब व्यक्ति के मन में प्रसन्नता हो तो उस समय उसे सारी प्रकृति में सुंदरता फूटती नज़र आती है। हर तरफ से सुगंध अनुभव होती है। मन में तरह-तरह की कल्पनाएँ फूट पड़ती हैं। वनों के सभी पेड़ नए-नए पत्तों से लद जाते हैं। तरह-तरह के सुगंधित फूल भी खिल जाते हैं। सारे वन में प्राकृतिक छटा का दृश्य अत्यंत मनमोहक बन पड़ा है।

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