Class 10

HBSE 10th Class Social Science Solutions Civics Chapter 6 राजनीतिक दल

Haryana State Board HBSE 10th Class Social Science Solutions Civics Chapter 6 राजनीतिक दल Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 10th Class Social Science Solutions Civics Chapter 6 राजनीतिक दल

HBSE 10th Class Civics राजनीतिक दल Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
लोकतंत्र में राजनीतिक दलों की विभिन्न भूमिकाओं की चर्चा कीजिए।
उत्तर-
लोकतंत्र में राजनीतिक दलों की अनेक प्रकार की भूमिकाएँ होती हैं। इन भूमिकाओं को निम्नलिखित बताया जा सकता है:

  • राजनीतिक दल लोकतंत्र की सफलता हेतु चुनावों की व्यवस्था को सम्भव बनाते हैं।
  • वे चुनावों के लिए चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों को लोगों के समक्ष लाते तथा चुनावी कार्यक्रम को पूरा करने में सहायता करते हैं।
  • वे चुनावों के पश्चात्, सरकार के गठन व उसके विपक्ष बनाने में भूमिका निभाते हैं।
  • वे लोकतांत्रिक व्यवस्था को पूरा रूप देने के लिए में सहयोग देते हैं अर्थात सरकार के संचालन में मदद करते हैं।
  • लोकतंत्र के सफल संचालन हेतु राजनीतिक दल लोगों में राजनीतिक चेतना जाग्रत करते हैं।
  • शासक दल शासन करतो है तथा विपक्ष शासक दल की नीतियों व सरकार की आलोचना करते हैं।

प्रश्न 2.
राजनीतिक दलों के सामने क्या चुनौतियाँ हैं? .
उत्तर-
राजनीतिक दलों के सामने की चुनौतियों को निम्नलिखित बताया जा सकता है: पहली चुनौती है पार्टी के अन्दर आन्तरिक लोकतंत्र को बनाना। अब यह प्रवृत्ति बन गई है कि सारी ताकत एक या कुछेक नेताओं के हाथ में सिमट जाती है। पार्टियों के पास न सदस्यों की खुली सूची होती है, न नियमित रूप से सांगठनिक बैठकें होती हैं। इनके आंतरिक चुनाव भी नहीं होते। कार्यकर्ताओं से वे सूचनाओं का आदान-प्रदान भी नहीं करते। सामान्य कार्यकर्ता अनजान ही रहता है कि पार्टी के अंदर क्या चल रहा है। उसके पास न तो नेताओं से जुड़कर फैसलों को प्रभावित करने की ताकत होती है न ही कोई और माध्यम। परिणामस्वरूप पार्टी के नाम पर सारे फैसले लेने का अधिकार उस पार्टी के नेता हथिया लेते हैं। चूँकि कुछेक नेताओं के पास ही असली ताकत होती है इसलिए जो उनसे असहमत होते हैं उनका पार्टी में टिके रह पाना मुश्किल हो जाता है। पार्टी के सिद्धांतों और नीतियों से निष्ठा की जगह नेता से निष्ठा ही ज्यादा महत्त्वपूर्ण बन जाती है।

दूसरी चुनौती पहली चुनौती से ही जुड़ी है-यह है वंशवाद की चुनौती। चूँकि अधिकांश दल अपना कामकाज पारदर्शी तरीके से नहीं करते, इसलिए सामान्य कार्यकर्ता के नेता बनने और ऊपर आने की गुंजाइश काफी कम होती है। जो लोग नेता होते हैं वे अनुचित लाभ लेते हुए अपने नजदीकी लोगों और यहाँ तक कि अपने ही परिवार के लोगों को आगे बढ़ाते हैं। अनेक दलों में शीर्ष पद पर हमेशा एक ही परिवार के लोग आते हैं। यह दल के अन्य सदस्यों के साथ अन्याय है। यह बात लोकतंत्र के लिए भी अच्छी नहीं है क्योंकि इससे अनुभवहीन और बिना जनाधार वाले लोग ताकत वाले पदों पर पहुँच जाते हैं। यह प्रवृत्ति कुछ पहले के लोकतांत्रिक देशों सहित कमोबेश पूरी . दुनिया में दिखाई देती है।

तीसरी चुनौती दलों में, (खासकर चुनाव के समय) पैसा और अपराधी तत्वों की बढ़ती घुसपैठ की है। चूँकि पार्टियों की सारी चिंता चुनाव जीतने की होती है, अतः इसके लिए कोई भी जायज-नाजायज तरीका अपनाने से वे परहेज नहीं करतीं। वे ऐसे ही उम्मीदवार उतारती हैं जिनके पास काफी पैसा हो या जो पैसे जुटा सकें। किसी पार्टी को ज्यादा धन देने वाली कंपनियाँ और अमीर लोग उस पार्टी की नीतियों और फैसलों को भी प्रभावित करते है। कई बार पार्टियाँ चुनाव जीत सकने वाले अपराधियों का समर्थन करती हैं या उनकी मदद लेती हैं। दुनिया भर में लोकतंत्र के समर्थक लोकतांत्रिक राजनीति में अमीर लोग और बढी कंपनियों की बढ़ती भूमिका को लेकर चिंतित हैं।

चौथी चुनौती पार्टियों के बीच विकल्पहीनता की स्थिति की है। सार्थक विकल्प का मतलब होता है कि विभिन्न पार्टियों की नीतियों और कार्यक्रमों में महत्त्वपूर्ण अंतर हो। हाल के वर्षों में दलों के बीच वैचारिक अंतर कम होता गया है और यह प्रवृत्ति दुनिया भर में दिखती है। जैसे, ब्रिटेन की लेबर पार्टी और कंजरवेटिव पार्टी के बीच अब बड़ा कम अंतर रह गया है। दोनों दल बुनियादी मसलों पर सहमत हैं और उनके बीच अंतर बस ब्यौरों का रह गया है कि नीतियाँ कैसे बनाई जाएँ और उन्हें कैसे लागू किया जाए। अपने देश में भी सभी बड़ी पार्टियों के बीच आर्थिक मसलों पर बड़ा कम अंतर रह गया है। जो लोग इससे अलग नीतियाँ चाहते हैं उनके लिए कोई विकल्प उपलब्ध नहीं है। कई बार लोगों के पास एकदम नया नेता चुनने का विकल्प भी नहीं होता क्योंकि वही थोड़े से नेता हर दल में आते-जाते रहते हैं।

प्रश्न 3.
राजनीतिक दल अपना कामकाज बेहतर ढंग से करे, इसके लिए उन्हें मजबूत बनाने के कुछ सुझाव दें।
उत्तर-
राजनीतिक दल अपना कामकाज बेहतर ढंग से करे, इसके लिए उन्हें मजबूत बनाने के कुछ सुझाव निम्नलिखित दिए जा सकते हैं:

  • दल की लोकतांत्रिक प्रकार की रचना की जाए।
  • दल में सदस्यों की संख्या का ठीक-ठीक ब्यौरा रखा जाए।
  • दल में सामाजिक चुनाव कराएँ जाने चाहिए।
  • दल व लोगों के बीच संपर्क बनाए रखा जाना चाहिए।
  • दल की नीतियाँ व सिद्धांतों की अवहेलना करने वालों के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही की जानी चाहिए।

प्रश्न 4.
दल का क्या अर्थ होता है?
उत्तर-
राजनीतिक व सार्वजनिक मामलों पर एक से विचार रखने वाले लोगों का ऐसा संगठन जो अपने संयुक्त व सांझे प्रयत्नों द्वारा सरकार की सत्ता को संवैधानिक व शांतिपूर्ण ढंग से प्राप्त कर अपनी घोषित नीतियों को लागू करताहै। राजनीतिक दल के तीन मुख्य तत्व होते हैं : दल का नेता, सक्रिय सदस्य व अनुयायी अर्थात समर्थक।

प्रश्न 5.
किसी भी राजनीतिक दल में क्या गुण होते
उत्तर-
राजनीतिकदलों के गुणों को, संक्षेप में, निम्नलिखित बताया जा सकता है:

  • लोकतंत्र के संचालन व उसकी सफलता में सहायक;
  • सरकार के निर्माण व उसके संचालन में सहयोग;
  • लोगों में राजनीतिक चेतना में वृद्धि में मदद;
  • सरकार व लोगों के बीच कड़ी का कार्य करना;
  • सरकार में सत्ता के हस्तांतरण का शांतिपूर्ण तरीका प्रदान करना।

प्रश्न 6.
चुनाव लड़ने और सरकार में सत्ता सँभालने के लिए एकजुट हुए लोगों के समूह को ………. कहते हैं।
उत्तर-
राजनीतिक दल।

प्रश्न 7.
पहली सूची [ संगठन/दल ] और दूसरी सूची [गठबंधन/मोर्चा] के नामें का मिलान करें और नीचे दिए गए कूट नामों के आधार पर सही उत्तर ढूँढ़ें:

सूची-I — सूची-II

1. काँग्रेस पार्टी — (क) राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन
2. भारतीय जनता पार्टी — (ख) प्रांतीय दल
3. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) — (ग) संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन
4. तेलुगुदेशम पार्टी — (घ) वाम मोर्चा

HBSE 10th Class Social Science Solutions Civics Chapter 6 राजनीतिक दल 1
उत्तर-‘ग’ सही है।

प्रश्न 8.
इनमें से कौन बहुजन समाज पार्टी का संस्थापक
(क) कांशीराम
(ख) साहू महाराज
(ग) बी.आर.अम्बेडकर
(घ) ज्योतिबा फूले
उत्तर-
(क) कांशीराम

प्रश्न 9.
भारतीय जनता पार्टी का मुख्य प्रेरक सिद्धांत क्या है?
(अ) बहुजन समाज
(ब) क्रांतिकारी-लोकतंत्र
(स) सांस्कृतिक राष्ट्रवाद
(द) आधुनिकता
उत्तर-
सांस्कृतिक राष्ट्रवाद।

प्रश्न 10.
पार्टियों के बारे में निम्नलिखित कथनों पर गौर करें:
(अ) राजनीतिक दलों पर लोगों का ज्यादा भरोसा नहीं है।
(ब) दलों में अक्सर बड़े नेताओं के घोटलों की गूंज सुनाई देती है।
(स) सरकार चलाने के लिए पार्टियों का होना जरूरी नहीं।
इन कथनों में से कौन सही है?
(क) अ, ब और स
(ख) अ और ब
(ग) ब और स
(घ) अ और स
उत्तर-
(ग) ‘ब’ तथा ‘स’ सही है।

प्रश्न 11.
निम्नलिखित उदाहरण को पढें और नीचे दिए गए प्रश्नों का जवाब दें:
मोहम्मद यूनुस बांग्लादेश के प्रसिद्ध अर्थशास्त्री हैं। गरीबों के आर्थिक और सामाजिक विकास के प्रयासों के लिए उन्हें अनेक अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार मिले हैं। उन्हें और उनके द्वारा स्थापित ग्रामीण बैंक को संयुक्त रूप से वर्ष 2006 का नोबेल शांति पुरस्कार दिया गया। फरवरी 2007 में उन्होंने एक राजनीतिक दल बनाने और संसदीय चुनाव लड़ने का फैसला किया। उनका उद्देश्य सही नेतृत्व को उभारना, अच्छा शासन देना और नए बांगलादेश का निर्माण करना है। उन्हें लगता है कि पारंपरिक दलों से अलग एक नए राजनीतिक दल से ही नई राजनीतिक संस्कृतिक पैदा हो सकती है। उनका दल निचले स्तर से लेकर ऊपर तक लोकतांत्रिक होगा। नागरिक शक्ति नामक इस नये दल के गठन से बांग्लादेश में हलचल मच गई है। उनके फैसले को काफी लोगों ने पंसद किया तो अनेक को यह अच्छा नहीं लगा। एक सरकारी अधिकारी शाहेदुल इस्लाम ने कहा, “मुझे लगता है कि अब बांग्लादेश में अच्छे और बुरे के बीच चुनाव करना संभव हो गया है। अब एक अच्छी सरकार की उम्मीद की जा सकती है। यह सरकार न केवल भ्रष्टाचार से दूर रहेगी बल्कि भ्रष्टाचार और काले धन की समाप्ति को भी अपनी प्राथमिकता बनाएगी।”
पर दशकों से मुल्क की राजनीति में रुतबा रखने वाले पुराने दलों के नेताओं में संशय है। बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी के एक बड़े नेता का कहना है: “नोबेल पुरस्कार जीतने पर क्या बहस हो सकती है पर राजनीति एकदम अलग चीज है। एकदम चुनौती भरी और अक्सर विवादास्पद।” कुछ अन्य लोगों का स्वर
और कड़ा था। वे उनके राजनीति में आने पर सवाल उठाने लगे। एक राजनीतिक प्रेक्षक ने कहा, “देश से बाहर की ताकतें उन्हें राजनीति पर थोप रही हैं।” ।

क्या आपको लगता है कि यूनुस ने नयी राजनीतिक पार्टी बनाकर ठीक किया?

क्या आप विभिन्न लोगों द्वारा जारी बयानों और अंदेशों से सहमत हैं? इस पार्टी को दूसरों से अलग काम करने के लिए खुद को किस तरह संगठित करना चाहिए?
अगर आप इस राजनीतिक दल के संस्थापकों में एक होते तो इसके पक्ष में क्या दलील देते?
उत्तर-
यूनुस द्वारा नयी राजनीतिक पार्टी बनाना कोई गलत नहीं है यूनुस द्वारा बनायी गयी पार्टी के विरुद्ध बांग्लादेश के कई नेताओं ने जो बयान दिए हैं मिले-जुले हैं। लोकतंत्र में किसी भी व्यक्ति को दल बनाने का अधिकार होता है। यदि हम ऐसे दल के संस्थापकों में होते तो हम दल का गठन लोकतांत्रिक रूप से करते तथा लोक-कल्याण व विकास के लिए दल की नीतियाँ बनाते।

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HBSE 10th Class Social Science Solutions Civics Chapter 5 जन-संघर्ष और आंदोलन

Haryana State Board HBSE 10th Class Social Science Solutions Civics Chapter 5 जन-संघर्ष और आंदोलन Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 10th Class Social Science Solutions Civics Chapter 4 जन-संघर्ष और आंदोलन

HBSE 10th Class Civics जन-संघर्ष और आंदोलन Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
दबाव-समूह और आन्दोलन राजनीति को किस तरह प्रभावित करते हैं?
उत्तर-
दबाव-समूह और आन्दोलन राजनीति को अनेक तरह से प्रभावित करते हैं। दबाव समूह व जन-आन्दोलन दोनां चुनावी मुकाबले में सीधे भागीदारी नहीं करते, अपितु राजनीति को प्रभावित अवश्य करते हैं। राजनीति पर इन के प्रभाव को निम्नलिखित बताया जा सकता है:
(i) दबाव-समूह और आन्दोलन अपने लक्ष्य तथा गतिविधि यों के लिए जनता का समर्थन और सहानुभूति हासिल करने की कोशिश करते हैं। इसके लिए सूचना अभियान चलाना, बैठक आयोजित करना अथवा अर्जी दायर करने जैसे तरीकों का सहाया लिया जाता है। ऐसे अधिकतर समूह मीडिया को प्रभावित करते की कोशिश करते हैं तोकि उनके मसलों पर मीडिया ज्यादा ध्यान दे।

(ii) ऐसे समूह अक्सर हड़ताल अथवा सरकारी कामकाज में बाधा पहुँचाने जैसे उपायों का सहारा लेते हैं। मजदूर संगठन, कर्मचारी संघ तथा अधिकतर आन्दोलनकारी समूह अक्सर ऐसी युक्तियों का इस्तेमाल करते हैं कि सरकार उनकी माँगों की तरफ ध्यान देने के लिए बाध्य हो।

(iii) व्यवसाय-समूह अक्सर पेशेवर ‘लॉबिस्ट’ नियुक्त करते हैं अथवा महँगे विज्ञापनों को प्रायोजित करते है। दबाव-समूह अथवा आन्दोलनकारी समूह के कुछ व्यक्ति सरकार को सलाह देने वाली समितियों और आधिकारिक निकायों में शिरकत कर सकते हैं। यह दबाव-समूह और आन्दोलन दलय राजनीति में सीधे भाग नहीं लेते लेकिन वे राजनीतिक दलों पर असर डालना चाहते हैं। अधिकतर आन्दोलन किसी राजनीतिक दल से संबद्ध नहीं होते लेकिन उनका एक राजनीतिक पक्ष होता है। आन्दोलनों की राजनीतिक विचारधारा होती है और बड़े मुद्दों पर उनका राजनीतिक पक्ष होता है।

(iv) कुछ मामलों में दबाव-समूह राजनीतिक दलों द्वारा ही बनाए गए होते हैं अथवा उनका नेतृत्व राजनीतिक दल के नेता करते हैं। कुछ दबाव-समूह राजनीतिक दल की एक शाखा के रूप में काम करते हैं। उदाहरण के लिए भारत के अधिकतर मजदूर-संगठन और छात्र-संगठन या तो बड़े राजनीतिक दलों द्वारा बनाए गए हैं अथवा उनकी संबद्धता राजनीतिक दलों से है। ऐसे दबाव-समूहों के अधिकतर नेता अमूमन किसी-न-किसी राजनीतिक दल के कार्यकर्ता और नेता होते हैं।

(v) कभी-कभी आन्दोलन राजनीतिक दल का रूप अख्तियार कर लेते हैं। उदाहरण के लिए ‘विदेशी’ लोगों के विरुद्ध छात्रों ने ‘असम आन्दोलन’ चलाया और जब इस आन्दोलन की समाप्ति हुई तो इस आन्दोलन ने ‘असम गण परिषद्’ का रूप ले लिया। सन् 1930 और 1940 के दशक में तमिलनाडु में समाज सुधार आन्दोलन चले थे। डी.एम.के. और ए.आई.ए.डी. एम.के. जैसी पार्टियों की जड़ें इन समाज सुधार आन्दोलनों में ढूँढी जा सकती हैं।

(vi) अधिकांशतया दबाव-समूह और आन्दोलन का राजनीतिक दलों से प्रत्यक्ष संबंध नहीं होता। दोनों परस्पर विरोध पक्ष लेते हैं। फिर भी इनके बीच संवाद कायम रहता है और सुलह की बातचीत चलती रहती है। आन्दोलनकारी समूहों ने नए-नए मुद्दे उठाए हैं और राजनीतिक दलों ने इन मुद्दों को आगे बढ़ाया है। राजनीतिक दलों के अधिकतर नए नेता दबाव-समूह अथवा आन्दोलनकारी समूहों से आते हैं।

प्रश्न 2.
दबाव-समूहों व राजनीतिक दलों के आपसी सम्बन्धों का स्वरूप कैसा होता है? वर्णन करें।
उत्तर-
दबाव-समूहों व राजनीतिक दलों के लक्ष्यों में भेद होता है। दबाव-समूह अपने स्वरूप में राजनीतिक नहीं होते, वह राजनीतिक चुनावों में भाग भी नहीं लेते। परन्तु उनके राजनीतिक दलों के साथ सम्बन्ध होता है। दबाव-समूह राजनीतिक दलों की चुनावों में, चुनावी अभियानों में तथा चुनावी कार्यों में सहायता करते हैं। राजनीतिक दलों के अधिकांश कार्यकर्ता दबाव-समूहों से आते हैं। दूसरी ओर राजनीतिक दल दबाव-समूहों को उनकी माँगों में सहमति देते हैं। कुछेक दबाव-समूहों का सम्बन्ध सीध राजनीतिक दलों से होता है। विद्यार्थियों का एन.एस.यू.आई. संगठन काँग्रेस से तथा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् का सम्बन्ध भारतीय जनता पार्टी से है।

प्रश्न 3.
दबाव-समूहों की गतिविधियाँ लोकतांत्रिक सरकार के कामकाज में कैसे उपयोगी होती हैं?
उत्तर-
दबाव-समूह की गतिविधियाँ लोकतांत्रिक सरकार के कामकाज में खासी उपयोगी होती है। यह दबाव-समूह अपनी माँगों को सरकार तक पहुँचाने में सहायक होते हैं। उनकी माँगें सरकार तक सुनिश्चित ढंग से पहुँच पाती है। इस प्रकार सरकार को लोगों की माँगों का लोकतांत्रिक ढंग से ब्यौरा मिलता रहता है। दबाव-समूह समाज में किसी वर्णन व्यवसाय व आकांक्षा का प्रतिनिधित्व करते हैं। लोकतंत्र में सभी प्रकार के समूहों व संगठनों की माँगें सरकार तक पहुँचे व सरकार उनके सम्बन्धि त कारगर कार्यवाही करे, अपने आप में लोकतांत्रिक बात होती

प्रश्न 4.
दबाव-समूह क्या है? कुछ उदाहरण बताइए।
उत्तर-
किन्हीं माँगों की पूर्ति के लिए सरकार पर डाले जाने वाले संगठित समूह का दबाव को दबाव-समूह कहा जाता है। दबाव-समूह एक प्रकार से हित समूह होते हैं। इन दोनों में अंतर यह होता है कि हित-समूह सरकार पर दबाव नहीं बना पाते, दबाव-समूह सरकार पर दबाव बना पाते हैं। मजदूर संघ, विद्यार्थी संगठन, व्यापारियों का संगठित समूह, किसानों के संगठन दबाव-समूहों के उदाहरण हैं।

प्रश्न 5.
दबाव-समूह और राजनीतिक दल में क्या अन्तर होता है?
उत्तर-

(1) दबाव-समूह अपने स्वरूप में राजनीतिक नहीं होते, राजनीतिक दल अपने स्वरूप में राजनीतिक होते हैं।
(2) दबाव-समूह चुनावों आदि में चुनाव नहीं लड़ते, परन्तु वह दलों की चुनावों में सहायता करते हैं; राजनीतिक दल चुनावी राजनीति करते हैं।
(3) दबाव-समूह राजनीतिक दलों की सहायता से सरकार पर दबाव डालते हैं; राजनीतिक दल दबाव-समूहों की सहायता से सरकार की सत्ता प्राप्त करते हैं।

प्रश्न 6.
जो संगठन विशिष्ट सामाजिक वर्ग जैसे मजदूर, कर्मचारी, शिक्षक और वकील आदि के हितों को बढ़ावा देने की गतिविधियाँ चलाते हैं उन्हें ………. कहा जाता है।
उत्तर-
दबाव-समूह।

प्रश्न 7.
निम्नलिखित में किस कथन से स्पष्ट होता है कि दबाव-समूह और राजनीतिक दल में अंतर होता है
(क) राजनीतिक दल राजनीतिक पक्ष लेते हैं, जबकि दबाव-समूह राजनीतिक मसलों की चिंता नहीं करते।
(ख) दबाव-समूह कुछ लोगों तक ही सीमित होते हैं जबकि राजनीतिक दल का दायरा ज्यादा लोगों तक फैला होता है।
(ग) दबाव-समूह सत्ता में नहीं आना चाहते जबकि राजनीतिक दल सत्ता हासिल करना चाहते हैं। __ (घ) दबाव-समूह लोगों की लामबंदी नहीं करते जबकि राजनीतिक दल ऐसा करते हैं।
उत्तर-
(ग) सही है।

प्रश्न 8.
सूची -I (संगठन और संघर्ष) का मिलान सूची-II से कीजिए और सूचियों के नीचे दी गई सारणी से सही उत्तर चुनिए:
HBSE 10th Class Social Science Solutions Civics Chapter 5 जन-संघर्ष और आंदोलन 1 HBSE 10th Class Social Science Solutions Civics Chapter 5 जन-संघर्ष और आंदोलन 2
उत्तर-
(ख) सही है।

प्रश्न 9.
सूची-I का सूची-II से मिलान करें जो सूचियों के नीचे दी गई सारणी से सही उत्तर हो चुनें:
HBSE 10th Class Social Science Solutions Civics Chapter 5 जन-संघर्ष और आंदोलन 3
उत्तर-
(अ) सही है।

प्रश्न 10.
दबाव-समूहों और राजनीतिक दलों के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
(क) दबाव-समूह समाज के किसी खास तबके के हितों की संगठित अभिव्यक्ति होते हैं।
(ख) दबाव-समूह राजनीतिक मुद्दों पर कोई-न-कोई पक्ष लेते हैं।
(ग) सभी दबाव-समूह राजनीतिक दल होते हैं। अब नीचे दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प चुनें
(अ) क, ख और ग
(ब) क और ख
(स) ख और ग
(द) क और ग
उत्तर-
(ब) ‘क’ तथा ‘ख’ सही है।

प्रश्न 11.
मेवात हरियाणा का सबसे पिछड़ा इलाका है। यह गुड़गाँव और फरीदाबाद जिले का हिस्सा हुआ करता था। मेवात के लोगों को लगा कि इस इलाके को अगर अलग जिला बना दिया जाए तो इस इलाके पर ज्यादा ध्यान जाएगा। लेकिन, राजनीतिक दल इस बात में कोई रुचि नहीं ले रहे थे। सन् 1996 में मेवात एजुकेशन एंड सोशल आर्गेनाइजेशन तथा मेवात साक्षरता समिति ने अलग जिला बनाने की मांग उठाई। बाद में सन् 2000 में मेवात विकास सभा की स्थापना हुई। इसने एक के बाद एक कई जन-जागरण अभियान चलाए। इससे बाध्य होकर बड़े दलों यानी काँग्रेस और इंडियन नेशनल लोकदल को इस मुद्दे को अपना समर्थन देना पड़ा। उन्होंने फरवरी 2005 में होने वाले विधान सभा के चुनाव से पहले ही कह दिया कि नया जिला बना दिया जाएगा। नया जिला सन् 2005 की जुलाई में बना। – इस उदाहरण में आपको आन्दोलन, राजनीतिक दल और सरकार के बीच क्या रिश्ता नजर आता है। क्या आप कोई ऐसा उदाहरण दे सकते हैं जो इससे अलग रिशता हो?
उत्तर-
उपर्युक्त घटना आरम्भ में एक आन्दोलन तथा बाद में यह राजनीतिक दल द्वारा एक माँग का रूप धारण कर लेता है। मेवात हरियाणा का एक जिला बनाया जाना राजनीतिक दलों द्वारा सरकार पर दबाव डालना होता है। लोकतंत्र में किसी पिछड़े क्षेत्र को विवाद की ओर ले जाने के लिए प्रायः ऐसे आन्दोलन चलाए जाते हैं।

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HBSE 10th Class Social Science Solutions Civics Chapter 4 जाति, धर्म और लैंगिक मसले

Haryana State Board HBSE 10th Class Social Science Solutions Civics Chapter 4 जाति, धर्म और लैंगिक मसले Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 10th Class Social Science Solutions Civics Chapter 4 जाति, धर्म और लैंगिक मसले

HBSE 10th Class Civics जाति, धर्म और लैंगिक मसले Textbook Questions and Answers

प्रश्न-1.
जीवन के उन विभिन्न पहलुओं का जिक्र करें जिनमें भारत में स्त्रियों के साथ भदेभाव होता है। या वे कमजोर स्थिति में होती हैं।
उत्तर-
भारत जैसे पुरुष-प्रधान समाजों में स्त्रियों के साथ अनेकों प्रकार का भेदभाव होता है। इनमें मुख्यतया निम्नलिखित का उल्लेख किया जा सकता है :

  • परिवार में लड़कों की अपेक्षा लड़कियों को कम सुविध पएँ दी जाती हैं;
  • पारिवारिक कानून अधिकांशतः पुरुषों के पक्ष में होते
  • प्रायः परिवारों में लड़कियों की शिक्षा पर कम ध्यान दिया जाता हैं;
  • अनेकों परिवारों में उन्हें बोझ समझा जाता हैं; उनके विरुद्ध उत्पीड़न के उदाहहरण हम देख सकते हैं।
  • समाज में स्त्रियों की स्थिति चार-दिवारी में सिमट कर रह गयी हैं;
  • सार्वजनिक क्षेत्र में उनकी भूमिका निम्नतर समझी जाती

प्रश्न-2.
विभिन्न तरह की साम्प्रदायिक राजनीति का ब्यौरा दें और एक-एक उदाहरण भी दें।
उत्तर-
साम्प्रदायिकता धर्म का नकारात्मक रूप है। इसे राजनीतिक लक्ष्यों की प्राप्ति का साधन कहा जा सकता है। साम्प्रदायिक राजनीति के अनेक उदाहरण सामने आए हैं। राजनीतिक दल चुनावों में उम्मीदवारों को धर्म के आधार पर टिकट देते हैं। चुनाव-अभियान में धर्म अक्सर सहारा लिया जाता है। राज्यतंत्र में पंथ-निरपेक्षता के जोश में धार्मिक प्रतिनिधित्व छिपे जाने के उदाहरण मिलते हैं। लोक-सेवाओं में भी साम्प्रदायिकता की भूमिका देखी जा सकती हैं।

प्रश्न-3.
बताइए कि भारत में किस तरह अभी भी जातिगत असमानताएँ हैं?
उत्तर-
भारत में जाति के अस्तित्व व उसकी भूमिका को भूलाया नहीं जा सकता। संविधान में छुआछूत के उन्मूलन के बावजूद भी तथा अनेकों कानूनों के चलते जो जाति के आध र पर भेदभाव की समाप्ति से जुड़े हैं, आज भी हमारे देश में जातिगत असमानताएँ हैं। अनुसूचित जातियों के साथ आज भी दुव्यवहार के अनेकों उदाहरण देखे जा सकते हैं। गरीब व उतपीड़न निम्न स्तर की जातियों के लोग आज भी राजनीतिक संरक्षण की मांग करते दिखायी पड़ते हैं। उच्चतर जाति के लोग निम्नतर जाति के लोगों के साथ सौतेला व्यवहार करते हैं।

प्रश्न-4.
दो कारण बताएँ कि क्यों सिर्फ जाति के आधार पर भारत में चुनावी नतीजे तय नहीं हो सकते।
उत्तर-
(क) जाति हमारे समाज के आधारभूत तत्वों के नींव में बस चुकी हैं।
(ख) भारत जैसे देश में आज भी समाज, अर्थव्यवस्था, राज्यतंत्र में जाति के आधार पर निर्णय किए जाते हैं।

प्रश्न-5.
भारत की विधायिकाओं में महिलाओं के प्रतिनिधित्व की क्या स्थिति हैं?
उत्तर-
एक अनुमान के अनुसार, भारत में विधायिकओं में महिलाओं के प्रतिनिधित्व केवल 8.3% हैं। स्थानीय स्वशासी इकाईयों में महिलाओं के लिए कुल सीटों का एक तिहाई आरक्षण अवश्य हे। राज्यों की विधानसभओं में स्त्रियों का प्रतिनिधित्व 5% से भी कम है। लोकसभा में महिलओं के प्रतिनिधित्व को लेकर सहमति नहीं हो पायी है।

प्रश्न-6.
किन्ही दो प्रावधानों का जिक्र करें जो भारत की धर्म-निरेपक्षता बनाते हैं;
उत्तर-
(क) भारत में किसी भी धर्म को राजकीय धर्म के रूप में अंगीकार नहीं किया गया है।
(ख) भारत का संविधान सभी नागरिकों और समुदायों को किसी भी धर्म का पालन करने व प्रचार करने की स्वंतत्रता देता

प्रश्न-7.
जब हम लैंगिक विभाजन की बात करते हैं तो हमारा अभिप्राय होता है :
(क) स्त्री और पुरुष के बीच जैविक अंतर
(ख) समाज द्वारा स्त्री और पुरुष को दी गई असमान भूमिकाएं
(ग) बालक और बालिकाओं की संख्या का अनुपात।
(घ) लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में महिलाओं को मतदान का अधिकार न मिलना।
उत्तर-
(ख) समाज द्वारा स्त्री और पुरुष को दी गयी असमान भमिकाएँ।

प्रश्न-8.
भारत में यहां औरतों के लिए आरक्षण की व्यवस्था हैं :
(क) लोकसभा (ख) विधानसभा (ग) मंत्रिमंडल (घ) पंचायती राज की संस्थनाएँ
उत्तर
(घ) पंचायती राज की संस्थाएँ

प्रश्न-9.
सांप्रदायिक राजनीति के अर्थ संबंधी निम्नलिखित कथनों पर गौर करें। सांप्रदायिक राजनीति इस धारणा पर आधारित हैं कि : .
(अ) एक धर्म दूसरों से श्रेष्ठ हैं।
(ब) विभिन्न धर्मों के लोग समान नागरिक के रूप में खुशी-खुशी साथ रह सकते हैं।
(स) एक धर्म के अनुयायी एक समुदाय बनाते हैं।
(द) एक धार्मिक समूह का प्रभुत्व बाकी सभी धर्मों पर कायम करने में शासन की शक्ति का प्रयोग नहीं किया जा सकता।
इनमें से कौन या कौन-सा-कौन कथन सही हैं?
उत्तर-
(ग) ‘अ’ और ‘स’ सही हैं।

प्रश्न-10.
भारतीय संविधान के बारे में इनमें कौर-सा कथन गलत हैं?
(क) यह धर्म के आधार पर भेदभाव की मनाही करता हैं।
(ख) यह एक धर्म को राजकीय धर्म बताता है।
(ग) सभी लोगों को कोई भी धर्म मानने की आजादी देता है।
(घ) किसी धार्मिक समुदाय में सभी नागरिकों को बराबरी का अधिकार देता है।
उत्तर-
(ख) सही है।

प्रश्न-11.
……….. पर आधारित सामाजिक विभाजन भारत में ही है।
उत्तर-
जाति।

प्रश्न-12.
सूची
उत्तर सूची I और सूची II का मेल कराएँ और नीचे दिए गए कोड के आधार पर सही जवाब खोजें।
HBSE 10th Class Social Science Solutions Civics Chapter 4 जाति, धर्म और लैंगिक मसले 1
उत्तर-
‘रे’ ख, क, घ, ग सही है।

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HBSE 10th Class Social Science Solutions Civics Chapter 3 लोकतंत्र और विविधता

Haryana State Board HBSE 10th Class Social Science Solutions Civics Chapter 3 लोकतंत्र और विविधता Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 10th Class Social Science Solutions Civics Chapter 3 लोकतंत्र और विविधता

HBSE 10th Class Civics लोकतंत्र और विविधता Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
सामाजिक विभाजनों की राजनीति के परिणाम तय करने वाले तीन कारकों की चर्चा करें।
उत्तर-
सामाजिक विभाजनों की राजनीति के परिणाम तय करने वाले तीन कारकों की चर्चा निम्नलिखित की जा सकती
1. लोगों में अपनी पहचान के प्रति आग्रह की भावना। अगर लोग खुद को सबसे विशिष्ट और अलग मानने लगते हैं तो उनके लिए दूसरों के साथ तालमेल बैठाना बहुत मुश्किल हो जाता है। जब तक उत्तरी आयरलैंड के लोग खुद को सिर्फ प्रोटेस्टेंट या कैथोलिक के तौर पर देखते रहेंगे तब तक उनका शांत हो पाना संभव नहीं है। अगर लोग अपनी बहुस्तरीय पहचान के प्रति सचेत हैं और उन्हें राष्ट्रीय पहचान का हिस्सा या सहयोगी मानते हैं तब कोई समस्या नहीं होती। जैसे, बेल्जियम के अधिकतर लोग खुद को बेल्जिमाई ही मानते हैं, भले ही वे डच या जर्मन बोलते हों। इस नजरिए से उन्हें साथ-साथ रहने में मदद मिलती है।

2. किसी समुदाय की माँगों को राजनीतिक दल कैसे उठा रहे हैं? संविधान के दायरे में आने वाली और दूसरे समुदाय को नुकसान न पहुँचाने वाली माँगों को मान लेना आसान है। श्रीलंका में श्रीलंका केवल सिंहालियों के लिए’ की माँग तमिल समुदाय की पहचान और हितों के खिलाफ थी। यूगोस्लाविया में, विभिन्न समुदायों के नेताओं ने अपने जातीय समूहों की तरफ से ऐसी माँगें रख दी जिन्हें एक देश की सीमा के भीतर पूरा करना असंभव था।

3. सरकार का रुख। सरकार इन मांगों पर क्या प्रतिक्रिया व्यक्त करती है, यह भी महत्त्वपूर्ण है। बेल्जियम और श्रीलंका के उदाहरणों से स्पष्ट है कि अगर शासन सत्ता में साझेदारी करने को तैयार हो और अल्पसंख्यक समुदाय की उचित माँगों को पूरा करने का प्रयास ईमानदारी से किया जाए तो सामाजिक विभाजन मुल्क के लिए खतरा नहीं बनते। अगर सरकार राष्ट्रीय एकता के नाम पर किसी ऐसी माँग को दबाना शुरू कर देती है तो अक्सर उलटे और नुकसानदेह परिणाम ही निकलते हैं। ताकत के दम पर एकता बनाए रखने की कोशिश अक्सर विभाजन की ओर ले जाती है।

प्रश्न 2.
सामाजिक अंतर कब और कैसे सामाजिक विभाजनों का रूप ले लेते हैं?
उत्तर-
जब सामाजिक अंतरो को मेल-मिलाप व सहयोग की भावनाओं से नहीं सुलझाया जाता, तब ऐसे अंतर सामाजिक विभाजनों का रूप धारण कर लेते हैं। एक जाति व एक भाषा व एक क्षेत्र के लोगों को परस्पर अंतरों को हवा देने की बजाए एक-दूसरे के साथ सामंजस्य पैदा करने का प्रयास करना चाहिए। तब यह अंतर सामाजिक विभाजन का रूप नहीं होते।

प्रश्न 3.
सामाजिक विभाजन किस तरह से राजनीति को प्रभावित करते हैं? दो उदाहरण भी दीजिए।
उत्तर-
सामाजिक अंतर राजनीति को नकारात्मक व सकारात्मक तरीकों से प्रभावित कर सकते हैं! यदि एक सामाजिक समूह अपने से विपरीत के सामाजिक समूह के साथ अपने अंतर के बूते पर अड़ा रहता है तो दोनों समूहों में तनाव हो सकते हैं। श्रीलंका में सिंहालियों व तमिलों में ऐसा ही तनाव देखा जा सकता है। बेल्जियम में दोनों समूह अलग-अलग भाषी होने के बावजूद भी एक-दूसरे के साथ सहयोग करते हैं।

प्रश्न 4.
………… सामाजिक अंतर गहरे सामाजिक विभाजन औरप तनावों की स्थिति पैदा करते हैं। .. ……… सामाजिक अंतर सामान्य तौर पर टकराव की स्थिति तक नहीं जाते।
उत्तर-
विरोधी, परस्पर।

प्रश्न 5.
सामाजिक विभाजनों को सँभालने के संदर्भ में इनमें से कौन-सा बयान लोकतांत्रिक व्यवस्था पर लागू नहीं होता?
(क) लोकतंत्र में राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के चलते सामाजिक विभाजनों की छाया राजनीति पर भी पड़ती है।
(ख) लोकतंत्र में विभिन्न समुदायों के लिए शांतिपूर्ण ढंग से अपनी शिकायतें जाहिर करना संभव है।
(ग) लोकतंत्र सामाजिक विभाजनों को हल करने का सबसे अच्छा तरीका है।
(घ) लोकतंत्र सामाजिक विभाजनों के आधार पर समाज को विखंडन की ओर ले जाता है।
उत्तर-
(घ) लोकतंत्र सामाजिक विभाजनों के आधार पर समाज को विखंडन की ओर ले जाता है।

प्रश्न 6.
निम्नलिखित तीन बयानों पर विचार करें:
(अ) जहाँ सामाजिक अंतर एक-दूसरे से टकराते हैं वहाँ सामाजिक विभाजन होता है।
(ब) यह संभव है कि एक व्यक्ति की कई पहचान हो।
(स) सिर्फ भारत जैसे बड़े देशों में ही सामाजिक विभाजन होते हैं। इन बयानों में से कौन-कौन-से बयान सही हैं।
(क) अ, ब और स (ख) अ और ब (ग) ब और स (घ) सिर्फ स
उत्तर-
(ख) ‘अ’ और ‘ब’ सही हैं।

प्रश्न 7.
निम्नलिखित बयानों को तार्किक क्रम से लगाएँ और नीचे दिए गए कोड के आधार पर सही जवाब
(अ) सामाजिक विभाजन की सारी राजनीतिक
(ब) हर देश में किसी-न-किसी तरह के सामाजिक विभाजन रहते ही हैं।
(स) राजनीतिक दल सामाजिक विभाजनों के आध र पर राजनीतिक समर्थन जुटाने का प्रयास करते हैं।
(द) कुछ सामाजिक अंतर सामाजिक विभाजनों का रूप ले सकते हैं।
(क)द, ब, स, अ
(ख) द, ब, अ, स
(ग) द, अ, स, ब
(घ) अ, ब, स, द
उत्तर-
(ख) द, ब, अ, स का तार्किक क्रम सही है।

प्रश्न 8.
निम्नलिखित में किस देश को धार्मिक और जातीय पहचान के आधार पर विखंडन का सामना करना पड़ा?
(क) बेल्जियम
(ख) भारत
(ग) यूगोस्लाविया
(घ) नीदरलैड
उत्तर-
यूगोस्लाविया को।

प्रश्न 9.
मार्टिन लूथर किंग जूनियर के 1963 के प्रसिद्ध भाषण के निम्नलिखित अंश को पढ़ें। वे किस सामाजिक विभाजन की बात कर रहे हैं? उनकी उम्मीदें और आशंकाएँ क्या-क्या थीं? क्या आप उनके बयान और मैक्सिको ओलंपिक की उस घटना में कोई संबंध देखते हैं जिसका जिक्र इस अध्याय में था?
“मेरा एक सपना है कि मेरे चार नन्हें बच्चे एक दिन ऐसे ‘मुल्क में रहेंगे जहाँ उन्हें चमड़ी के रंग के आधार पर नहीं, बल्कि उनक चरित्र के असल गुणों के आधार पर परखा जाएगा। स्वतंत्रता को उसके असली रूप में आने दीजिए। स्वतंत्रता तभी कैद के बाहर आ पाएगी जब यह हर बस्ती, हर गाँव तक पहुँचेगी, हर राज्य और हर शहर में होगी और हम उस दिन को ला पाएँगेजब ईश्वर की सारी संतानें-अश्वेत स्त्री-पुरुष, गोरे लोग, यहूदी तथा गैर-यहूदी, प्रोटेस्टेंट और कैथोलिक-हाथ में हाथ डालेंगी और इस पुरानी नीग्रो प्रार्थना को गाएँगी-‘मिली आजादी, मिल आजादी! प्रभु बलिहारी, मिली आजादी!’ मेरा एक सपना है कि एक दिन यह देश उठ खड़ा होगा और अपने वास्तविक स्वभाव के अनुरूप कहेगा, “हम इस स्पष्ट सत्य को मानते हैं कि सभी लोग समान हैं।” .
उत्तर-
वह संयुक्त राज्य अमेरिका में अश्वेत-श्वेतों के सामाजिक विभाजन बात कर रहे हैं। वह चाहते थे कि अमेरिका में त्वचा के रंग पर लोगों की योग्यता नहीं आंकी जानी चाहिए; योग्यता का आधार ज्ञान, बुद्धि व चरित्र होना चाहिए। उनके ब्यान व मैक्सिको ओलंपिक में हुई घटनाओं में सम्बन्ध है। ओलंपिक खेलों में दो एफ्रो-अमरीकी खिलाड़ियों ने रंग-भेद का विरोध किया था।

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HBSE 10th Class Social Science Solutions Civics Chapter 2 संघवाद

Haryana State Board HBSE 10th Class Social Science Solutions Civics Chapter 2 संघवाद Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 10th Class Social Science Solutions Civics Chapter 2 संघवाद

HBSE 10th Class Civics वैश्वीकरण और भारतीय अर्थव्यवस्था Textbook Questions and Answers

प्रश्नावली

प्रश्न 1.
भारत के खाली राजनीतिक नक्शे पर इन राज्यों की उपस्थिति दर्शाएँ: मणिपुर, सिक्किम, छत्तीसगढ़ और गोवा।
HBSE 10th Class Social Science Solutions Civics Chapter 2 संघवाद 1
उनर-
भारत का मानचित्र देखें: संकेत :
(1) मणिपुर,
(2) सिक्किम,
(3) छत्तीसगढ़,
(4) गोवा।

प्रश्न 2.
विश्व के खाली राजनीतिक मानचित्र पर भारत के अलावा संघीय शासन वाले तीन देशों की अवस्थिति बताएँ और उनमे नक्शे को रंग से भरें।
उत्तर-
संकेत : ऑस्ट्रेलिया, संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस।
HBSE 10th Class Social Science Solutions Civics Chapter 2 संघवाद 2

प्रश्न 3.
भारत की संघीय व्यवस्था में बेल्जियम से मिलती-जुलती एक विशेषता और उससे अलग एक विशेषता को बताएँ।
उत्तर-
भारत तथा बेल्जियम में मिलती संघीय व्यवस्था की एक विशेषता यह है कि दोनों देशों में जातीय विविधता है। दोनों देशों की संघीय व्यवस्था में एक अलग विशेषता यह है कि बेल्जियम एक सामुदायिक संघ है जबकि भारत एक केन्द्रकृत संघ है।

प्रश्न 4.
शासन के संघीय और एकात्मक स्वरूपों में क्या-क्या मुख्य अंतर है? इसे उदाहरणों के माध्यम से स्पष्ट करें।
उत्तर-
संघात्मक स्वरूप में सरकार दो अथवा दो से अधि …क स्तर की होती है जबकि एकात्मक स्वरूप में सरकार का एक स्तर होता है। भारतीय संघात्मक स्वरूप में एक संघीय सरकार है, उसके अधीन स्तर पर प्रान्तीय सरकारें हैं तथा उससे भो अध तीन आगे स्थानीय (पंचायतें व नगर इकाईयाँ) सरकारें हैं। ब्रिटेन जैसे एकात्मक स्वरूप में सरकार का स्तर एक है अर्थात् वहाँ एक केन्द्रीय सरकार है जो पूरे देश पर शासन करती है। स्थानीय सरकारों को केन्द्रीय सरकार द्वारा कुछेक अधिकार प्राप्त हैं।

प्रश्न 5.
1992 के संविधान संशोधन के पहले और बाद के स्थानीय शासन के दो महत्त्वपूर्ण अंतरों को बताएँ।
उत्तर-
1992 के संविधान संशोधन से पहले ग्रामीण व शहरी स्थानीय इकाईयों को कोई संवैधानिक दर्जा प्राप्त नहीं था; इन इकाईयों पर राज्य सरकार का खासा नियन्त्रण रहता था। 1992 के संशोधन के पश्चात इन स्थानीय इकाईयों (पंचायतों व नगर स्वशासकीय सरकारों) को संवैधानिक स्तर प्राप्त है, प्रत्येक राज्य में राज्य वित्त आयोग व राज्य निर्वाचन आयोग की व्यवस्था की गयी है।

प्रश्न 6.
रिक्त स्थानों को भरें:
चूँकि अमरीका ……………. तरह का संघ है इसलिए वहाँ सभी इकाइयों को समान अधिकार है। संघीय सरकार – के मुकाबले प्रांत ……………. हैं। लेकिन भारत की संघीय
प्रणाली …………. की है और यहाँ कुछ राज्यों को औरों से ज्यादा शक्तियाँ प्राप्त हैं।
उत्तर-
केन्द्रोन्मुखी, ताकतवर, केन्द्रविमुखी।

प्रश्न 7.
भारत की भाषा नीति पर नीचे तीन प्रतिक्रियाएँ दी गई हैं। इनमें से आप जिसे ठीक समझते हैं उसके पक्ष में तर्क और उदाहरण दें।
संगीता : प्रमुख भाषाओं को समाहित करने की नीति ने राष्ट्रीय एकता को मज़बूत किया है।
अरमान : भाषा के आधार पर राज्यों के गठन ने हमें बाँट दिया है। हम इसी कारण अपनी भाषा के प्रति सचेत हो गए हैं।
हरीश: इस नीति ने अन्य भाषाओं के ऊपर अंग्रेजी के प्रभुत्व को मजबूत करने भर का काम किया है।
उत्तर-
इन तीन प्रतिक्रियाओं में संगीता द्वारा भारत की भाषा नीति की प्रतिक्रिया सही है। भारत विविधताओं में एकता का प्रतीक है। हमारी संस्कृति सामुदायिक रूप की है। अतः हम एक-दूसरे के प्रति सम्मान व आदर की नीति का अनुसरण करते हैं। हम अपनी मातृभाषा के अध्ययन के साथ भारत में प्रचलित अन्य भाषाओं का अध्ययन भी करते हैं तथा उनका आदर भी।

प्रश्न 8.
संघीय सरकार की एक विशिष्टता है:
(क) राष्ट्रीय सरकार अपने कुछ अधिकार प्रांतीय सरकारों को देती है।
(ख) अधिकार विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच बँट जाते हैं।
(ग) निर्वाचित पदाधिकारी ही सरकार में सर्वोच्च ताकत का उपयोग करते हैं।
(घ) सरकार की शक्ति शासन के विभिन्न स्तरों के बीच बँट जाती है।
उत्तर-
(घ) सरकार की शक्ति के विभिन्न स्तरों के बीच बँट जाती है।

प्रश्न 9.
भारतीय संविधान की विभिन्न सूचियों में दर्ज कुछ विषय यहाँ दिए गए हैं। इन्हें नीचे दी गई तालिका में संघीय सूची, राज्य सूची और समवर्ती सूची वाले समूहों में लिखें।
(क) रक्षा; (ख) पुलिस; (ग) कृषि; (घ) शिक्षा, (ङ) बैंकिंग; (च) वन; (छ) संचार; (ज) व्यापार; (झ) विवाह।
संघीय सूची
राज्य सूची
समवर्ती सूची
उत्तर-
संघीय सूची : रक्षा, बैंकिंग, संचार राज्य सूची : पुलिस, कृषि, व्यापार समवर्ती सूची : शिक्षा, वन विवाह

प्रश्न 10.
नीचे भारत में शासन के विभिन्न स्तरों और उनके कानून बनाने के अधिकार-क्षेत्र के जोड़े दिए गए हैं। इनमें से कौन-सा जोड़ा सही मेल वाला नहीं है?
(क) राज्य सरकार – राज्य सूची
(ख) केंद्र सरकार – संघीय सूची
(ग) केंद्र और राज्य सरकार – समवर्ती सूची
(घ) स्थानीय सरकार- अवशिष्ट अधिकार
उत्तर-
(क) राज्य सरकार : राज्य सूची
(ख) केंद्र सरकार : संघीय सूची
(ग) केंद्र और राज्य सरकार : समवर्ती सूची
(घ) केंद्र सरकार – अवशिष्ट अधिकार

प्रश्न 11.
सूची I और सूची II में मेल ढूँढें और नीचे दिए गए कोड के आधार पर सही उत्तर चुनें।
HBSE 10th Class Social Science Solutions Civics Chapter 2 संघवाद 3
उत्तर-
‘गा’ उत्तर सही है।

प्रश्न 12.
इन बयानों पर गौर करें:
(अ) संघीय व्यवस्था में संघ और प्रांतीय सरकारों के अधिकार स्पष्ट रूप से तय होते हैं।
(ब) भारत एक संघ है क्योंकि केंद्र और राज्य सरकारों के अधिकार संविधान में स्पष्ट रूप से दर्ज हैं और अपने-अपने विषयों पर उनका स्पष्ट अधिकार है।
(स) श्रीलंका में संघीय व्यवस्था है क्योंकि उसे प्रांतों में बाँट दिया गया है।
(द) भारत में संघीय व्यवस्था नहीं रही क्योंकि राज्यों के कुछ अधिकार स्थानीय शासन इकाईयों में बाँट दिए गए हैं।
ऊपर दिए गए बयानों में कौन-कौन सही हैं।
(सा) अ, ब और स
(रे) अ, स और द
(गा) अ और ब
(मा) ब और स .
उत्तर-
‘गा’ (अ और ब) सही हैं।

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HBSE 10th Class Social Science Solutions Civics Chapter 1 सत्ता की साझेदारी

Haryana State Board HBSE 10th Class Social Science Solutions Civics Chapter 1 सत्ता की साझेदारी Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 10th Class Social Science Solutions Civics Chapter 1 सत्ता की साझेदारी

HBSE 10th Class Civics सत्ता की साझेदारी Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
आधुनिक लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में सत्ता की साझेदारी के अलग-अलग तरीके क्या हैं? इनमें से प्रत्येक का एक उदाहरण भी दें।
उनर-
आधुनिक लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में सत्ता की साझेदारी के अनेक तरीकों में निम्नलिखित का उल्लेख किया जा सकता है:

  • सत्ता का सरकार के विभिन्न अंगों द्वारा प्रयोग किया जाना-सरकार के तीन अंगों-विधानपालिका कार्यपालिका व न्यायपालिका-में सत्ता की बाँट सत्ता की साझेदारी का एक तरीका है: विधानपालिका कानून बनाती है, कार्यपालिका उन कानूनों को कार्य रूप देती है तथा न्यायपालिका कानूनों की अवहेलना करने वालों को दण्ड देती है। प्रायः सभी लोकतांत्रिक देशों में ऐसी व्यवस्था पायी जाती है।
  • सत्ता को सरकार की किन्हीं इकाईयों में बाँट-सत्ता का कुछ भाग केन्द्रीय सरकार के पास तथा दूसरा भाग प्रान्तीय सरकारों को देने की व्यवस्था सत्ता की साझेदारी का एक अन्य तरीका है। संघीय राष्ट्रों जैसे भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका आदि देशों में सत्ता की बाँट की ऐसी ही व्यवस्था है।
  • सत्ता को विभिन्न सामाजिक समूहों में बँटवारा-संविध नि द्वारा सत्ता को समाज के विभिन्न समूहों में बाँटने की व्यवस्था सत्ता के साझेदारी का एक अन्य तरीका है। बेल्जियम में केन्द्रीय सरकार के मन्त्रियों में आधे मंत्री फ्रेंच-भाषायी व आधे मंत्री डच-भाषायी मंत्री हैं।
  • सत्ता को कुछेक दलों व समूहों व आन्दोलनों में बाँटना-जब किसी लोकतांत्रिक व्यवस्था में किसी राजनीतिक दल को सरकार बनाने हेतु पूर्ण बहुमत नहीं मिलता, तब कुछेक राजनीतिक दल गठबंधन सरकार की रचना करते हैं। भारत में 2004 तथा उससे पूर्व 1999 में बनी सरकारें मिली-जुली सरकारों का उदाहरण थीं। ऐसी गठबंधनीय सरकारों पर अनेकों समूहों का प्रभाव सदैव रहता है।

प्रश्न 2.
भारतीय संदर्भ में सत्ता की हिस्सेदारी का एक उदाहरण देते हुए इसका एक युक्तिपरक और एक नैतिक कारण बताएँ।
उत्तर-
‘युक्तिपरक’ तत्व का अर्थ होता है : समझ से काम लेना तथा तर्क के आधार पर कार्य करना; नैतिक तत्व में युक्तिपरक तर्क नहीं होता, अपितु अंतर्भूत महत्त्व का तत्व होता है। भारत में केन्द्र में बनी सरकार (1999 से 2004 के संदर्भ में) युक्तिपरक आधार पर बनी हुई है। इन दोनों वर्षों में लोकसभा चुनावों में किसी भी राजनीतिक दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला था। अतः समझदारी इस तथ्य में थी कि गठबंधन द्वारा मिली-जुली सरकार बनायी जाए। तो, ऐसी सरकार बनायी गयी। सत्ता की हिस्सेदारी के इस युक्तिपरक कारण के साथ एक नैतिक कारण भी जोड़ी जा सकता है : विभिन्न क्लों के माध्यम से सरकार का निर्माण इस नैतिक इस नैतिक तत्व का संकेत है कि जिस दल को जितना समर्थन प्राप्त हो, उसे सरकार में उतना प्रतिनिधि त्व मिलना चाहिए।

प्रश्न 3.
इस अध्याय को पढ़ने के बाद तीन छात्रों ने अलग-अलग निष्कर्ष निकाले। आप इनमें से किससे सहमत हैं और क्यों? अपना जवाब करीब 50 शब्दों में दें।
थम्मन-जिन समाजों में क्षेत्रीय, भाषायी और जातीय आधार पर विभाजन हो सिर्फ वहीं सत्ता की साझेदारी जरूरी है।
मथाई-सत्ता की साझेदारी सिर्फ ऐसे बड़े देशों के लिए उपयुक्त है जहाँ क्षेत्रीय विभाजन मौजूद होते हैं।
औसेफ-हर समाज में सत्ता की साझेदारी की ज़रूरत होती है भले ही वह छोटा हो या उसमें सामाजिक विभाजन न हों।
उत्तर-
औसेफ द्वारा दिए गए निष्कर्ष से सहमति हो सकती है। लोकतंत्र लोगों की सरकार होती है तथा लोगों द्वारा अथवा उनके प्रतिनिधित्वों द्वारा संचालित की जानी चाहिए। समाज में सत्ता का केन्द्रीकरण लोकतंत्र के विरुद्ध माना गया है। सत्ता की साझेदारी में सत्ता का विकेन्द्रित भाव होता है। समाज में प्रत्येक छोटे-बड़े सामाजिक समूह को सत्ता में हिस्सेदारी मिलनी चाहिए।

प्रश्न 4.
बेल्जियम में ब्रूसेल्स के निकट स्थित शहर मर्चटेम के मेयर ने अपने यहाँ के स्कूलों में फ्रेंच बोलने पर लगी रोक को सही बताया है। उन्होंने कहा कि इससे डच भाषा न बोलने वाले लोगों को इस फ्लेमिश शहर के लोगों से जुड़ने में मदद मिलेगी। क्या आपको लगता है कि यह फैसला बेल्जियम की सत्ता की साझेदारी की व्यवस्था की मूल भावना से मेल खाता है? अपना जवाब करीब 50 शब्दों में लिखें।
उत्तर-
मर्चटेम के मेयर द्वारा वहाँ के स्कूलों में फ्रेंच बोलने पर रोक लगाकर जो तर्क दिया वह बेल्जियम की सत्ता की साझेदारी की व्यवस्था की मूल भावना से मूल खाता है। जहाँ सामाजिक प्रजातियाँ होती हैं, समझदारी इस तथ्य में है कि मेल-मिलाप की भावना अनुसार सामाजिक एकता को बनाए रखते हुए सत्ता में साझेदारी पर जोर दिया जाना चाहिए, यदि ऐसा न किया जाए तो सामाजिक तनाव व हिंसक गतिविधियाँ बढ़ सकती हैं तथा समाज ग्रहयुद्ध की ओर बढ़ सकता है।

प्रश्न 5.
नीचे दिए गए उदाहरण को गौर से पढ़ें और इसमें सत्ता की साझेदारी के जो युक्तिपरक कारण बताए गए हैं उसमें से किसी एक का चुनाव करें।
“महात्मा गाँधी के सपनों को साकार करने और अपने संविधान निर्माताओं की उम्मीदों को पूरा करने के लिए हमें पंचायतों को अधिकार देने की ज़रूरत है। पंचायती राज ही वास्तविक लोकतंत्र की स्थापना करता है। यह सत्ता उन लोगों के हाथों में सौंपता है जिनके हाथों में इसे होना चाहिए। भ्रष्टाचार कम करने और प्रशासनिक कुशलता को बढ़ाने का एक उपाय पंचायतों को अधिकार देना भी है। जब विकास की योजनाओं को बनाने और लागू करने में लोगों की भागीदारी होगी तो इन योजनाओं पर उनका नियंत्रण बढ़ेगा। इससे भ्रष्ट बिचौलियों को खत्म किया जा सकेगा। इस प्रकार पंचायती राज लोकतंत्र की नींव को मजबूत करेगा।”
उत्तर-
ग्रामीण क्षेत्रों में स्थानीय लोगों के हाथों में सत्तादिया जाना सत्ता की साझेदारी का युक्तिपरक तर्क होता है। स्थानीय लोगों को अपने स्थान के प्रशासन का अधिकार दिया जाना ही समझदारी है।

प्रश्न 6.
सत्ता के बँटवारे के पक्ष और विपक्ष में कई तरह के तर्क दिए जाते हैं। इनमें से जो तर्क सत्ता के बँटवारे के पक्ष में हैं उनकी पहचान करें और नीचे दिए गए कोड से अपने उत्तर का चुनाव करें।
सत्ता की साझेदारीः
(क) विभिन्न समुदायों के बीच टकराव को कम करती है।
(ख) पक्षपात का अंदेशा कम करती है। (ग) निर्णय लेने की प्रक्रिया को अटका देती है। (घ) विविधताओं को अपने में समेट लेती है। (ङ) अस्थिरता और आपसी फूट को बढ़ाती है। (च) सत्ता में लोगों की भागीदारी बढ़ाती है। (छ) देश की एकता को कमजोर करती है।
(सा) क ख घ च
(रे) क ग ङ च
(गा) क ख घ छ
(मा) ख ग च छ
उत्तर-
‘सा’ कोड सही है।

प्रश्न 7.
बेल्जियम और श्रीलंका की सत्ता में साझेदारी की व्यवस्था के बारे में निम्नलिखित बयानों पर विचार करें:
(क) बेल्जियम में डच-भाषी बहुसंख्यकों ने फ्रेंच-भाषी अल्पसंख्यकों पर अपना प्रभुत्व जमाने का प्रयास किया।
(ख) सरकार की नीतियों ने सिंहली-भाषी बहुसंख्यकों का प्रभुत्व बनाए रखने का प्रयास किया।
(ग) अपनी संस्कृति और भाषा को बचाने तथा शिक्षा तथा रोजगार में समानता के अवसर के लिए श्रीलंका के तमिलों ने सत्ता को संघीय ढाँचे पर बाँटने की माँग की।
(घ) बेल्जियम में एकात्मक ‘सरकार की जगह संघीय शासन व्यवस्था लाकर मुल्क को भाषा के आधार पर टूटने से बचा लिया गया।
ऊपर दिए गए बयानों में से कौन-से सही हैं?
(सा) क, ख, ग और घ (रे) क, ख और घ (गा) ग और घ (मा) ख, ग और घ
उत्तर-
‘मा’ कोड सही है।

प्रश्न 8.
सूची 1 [सत्ता के बँटवारे के स्वरूप] और सूची’2 [शासन के स्वरूप] में मेल कराएँ और नीचे दिए गए कोड का उपयोग करते हुए सही जवाब दें:
HBSE 10th Class Social Science Solutions Civics Chapter 1 सत्ता की साझेदारी 1
उत्तर-
‘सा’ सही कोड है।

प्रश्न 9.
सत्ता की साझेदारी के बारे में निम्नलिखित दो बयानों पर गौर करें और नीचे दिए गए कोड के आध र पर जवाब दें:
(अ) सत्ता की साझेदारी लोकतंत्र के लिए लाभकर
(ब) इससे सामाजिक समूहों में टकराव का अंदेशा घटता है।
इस बयानों में कौन सही है और कौन गलत?
(क) अ सही है लेकिन ब गलत है।
(ख) अ और ब दोनों सही हैं।
(ग) अ और ब दोनों गलत हैं।
(घ) अ गलत है लेकिन ब सही है।
उत्तर-
‘ग’ सही है जबकि अन्य सभी गलत हैं।

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HBSE 10th Class Social Science Solutions Geography Chapter 7 राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की जीवन रेखाएँ

Haryana State Board HBSE 10th Class Social Science Solutions Geography Chapter 7 राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की जीवन रेखाएँ Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 10th Class Social Science Solutions Geography Chapter 7 राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की जीवन रेखाएँ

HBSE 10th Class Geography राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की जीवन रेखाएँ Textbook Questions and Answers

1. बहुवैकल्पिक प्रश्न

(i) निम्न से कौन-से दो दूरस्थ स्थित स्थान पूर्वी-पश्चिमी गलियारे से जुड़े हैं?
(क) मुंबई तथा नागपुर
(ख) मुंबई और कोलकाता
(ग) सिलचर तथा पोरबंदर
(घ) नागपुर तथा सिलिगुड़ी
उत्तर-
(ग) सिलचर तथा पोरबंदर

(ii) निम्नलिखित में से परिवहन का कौन-सा साधन वहनांतरण हानियों तथा देरी को घटाता है?
(क) रेल परिवहन
(ख) पाइपलाइन
(ग) सड़क परिवहन
(घ) जल परिवहन
उत्तर-
(ख) पाइपलाइन

(iii) निम्न में से कौन-सा राज्य हजीरा-विजयपुर-जगदीशपुर पाइप लाइन से नहीं जुड़ा है?
(क) ममय प्रदेश
(ग) महाराष्टं
(ख) गुजरात
(घ) उनर प्रदेश
उत्तर-
(ख) गुजरात

(iv) इनमें से कौन-सा पत्तन पूर्वी तट पर स्थित है जो अंतः स्थलीय तथा अधिकतम गहराई का पत्तन है तथा पूर्ण सुरक्षित है?
(क) चेन्नई
(ग) पारादीप
(ख) तूतीकोरिन
(घ) विशाखापट्नम
उत्तर-
(घ) विशाखापट्नम

(v) निम्न में से कौन-सा परिवहन साधन भारत में प्रमुख साधन है?
(क) पाइपलाइन
(ख) बाहरी व्यापार
(ग) रेल परिवहन
(घ) स्थानीय व्यापार
उत्तर-
(ग) रेल परिवहन

(vi) निम्न से कौन-सा शब्द दो या अधिक देशों के व्यापार को दर्शाता है
(क) आंतरिक व्यापार
(ख) बाहरी व्यापार
(ग) अंतर्राष्टीय व्यापार
(घ) स्थानीय व्यापार
उत्तर-
(ग) अंतर्राष्टीय व्यापार

2. निम्नलिखित प्रश्नों के उनर लगभग 30 शब्दों में दीजिए।

(i) सड़क परिवहन के तीन गुण बताए।
उत्तर-
सड़कों के निर्माण में ला गत काम लगती है

(ii) रेल परिवहन कहाँ पर अत्यधिक सुविधाजनक परिवहन साधन है तथा क्यों?
उत्तर-
दुर्गम इलाकों में भी सड़कों का निर्माण संभव है।

(iii) सीमांत सड़कों का महत्त्व बताए।
उत्तर-
यह हर गलीकूचों तक पहुंच सकती है। सीमांत सड़कों के विकास से दुर्गम क्षेत्रों में आवागमन बढ़ी है तथा उत्तर-पूर्वी क्षेत्रों के आर्थिक विकास में वृद्धि हुई है।

(iv) व्यापार से आप क्या समझते हैं? स्थानीय व अंतर्राष्टीय व्यापार में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर-
राज्यों व देशों के बीच वस्तुओं का आदान-प्रदान व्यापार कहलाता है। दो देशों के मध्य व्यापार अंतर्राष्ट्रीय व्यापार कहलाता है। स्थानीय शहरों, कस्बों व गांवों में होता है।

3. निम्नलिखित प्रश्नों के उनर लगभग 120 शब्दों में दीजिए।

(i) परिवहन तथा संचार के साधन किसी देश की जीवन रेखा तथा अर्थव्यवस्था क्यों कहे जाते हैं?
उत्तर-
किसी भी देश में अर्थव्यवस्था के विकास के लिए परिवहन और संचार साधनों का पूर्ण विकास अत्यन्त आवश्यक
परिवहन के साधन लोगों के आवागमन वाणिज्य एवं व्यापार खाद्यान्न और रोजमर्रा की वस्तुओं की आपूर्ति में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं इसी तरह. संचार माध्यमों के विकास से विचारों का आदान-प्रदान और व्यापार में आसनी होती है। इससे समय की बचत होती है। और कार्य कुशलता भी बढ़ती है।

(ii) पिछले पंह वर्षों में अंतर्राष्टीय व्यापार की बदलती प्रवृत्ति पर एक लेख लिखें।
उत्तर-
भारत कृषि उत्पादों का आवश्यकता से अधिक उत्पादन करने में सक्षम है, इसलिए इनका निर्यात किया जा सकता है।
मशीनों का आयात किया जाता है ताकि उत्पादन बढ़ाया जा सके व संसाधनों का कुशलतापूर्वक इस्तेमाल किया जा सके।

लगभग 9.12% खनिज व अयस्क का निर्यात किया जाता है। जबकि 94.17% कोयला, कोक तथा कोयले का आयात किया जाता है।
लगभग 67.01% उर्वरक आयात किए जाते हैं।

प्रश्न पहेली

1. उत्तरी-दक्षिणी गलियारे (corridor) का उत्तरी छोर।
2. राष्टीय राजमार्ग संख्या-2 का नाम।
3. दक्षिण रेलवे खंड का मुख्यालय।
4. 1.676 मीटर चौड़ाई वाले रेल मार्ग का नाम।
5. राष्टीय राजमार्ग संख्या-7 का दक्षिणतम किनारा।
6. एक नदीय पत्तन
7. उत्तरी भारत का व्यस्ततम रेलवे जंक्शन।

क्रियाकलाप

क्षैतिज, ऊर्ध्वाधर तथा विकर्ण रूप से शुरू करते हुए देश के विभिन्न गतव्यों को चिह्नित करें।
नोट : पहेली के उत्तर अंग्रेजी के शब्दों में हैं।

HBSE 10th Class Social Science Solutions Geography Chapter 7 राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की जीवन रेखाएँ 1

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HBSE 10th Class Social Science Solutions Geography Chapter 6 विनिर्माण उद्योग

Haryana State Board HBSE 10th Class Social Science Solutions Geography Chapter 6 विनिर्माण उद्योग Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 10th Class Social Science Solutions Geography Chapter 6 विनिर्माण उद्योग

HBSE 10th Class Geography विनिर्माण उद्योग Textbook Questions and Answers

1. बहुवैकल्पिक प्रश्न

(1) निम्न से कौन-सा उद्योग चूना पत्थर को कच्चे माल के रूप में प्रयुक्त करता है?
(क) एल्यूमिनियम
(ख) चीनी
(ग) सीमेंट
(घ) पटसन
उत्तर-
(ग) सीमेंट

(ii) निम्न से कौन-सी एजेंसी सार्वजनिक क्षेत्र में स्टील को बाज़ार में उपलब्ध कराती है?
(क) हेल (HAIL)
(ख) सेल (SAIL)
(ग) टाटा स्टील
(घ) एम एन सी सी (MNCC)
उत्तर-
सेल (SAIL)

(iii) निम्न से कौन-सा उद्योग बॉक्साइट को कच्चे माल के रूप में प्रयोग करता है?
(क) एल्यूमिनियम
(ख) सीमेंट
(ग) पटसन
(घ) स्टील
उत्तर-
(क) एल्यूमिनियम

(iv) निम्न से कौन-सा उद्योग दूरभाष, कंप्यूटर आदि संयंत्र निर्मित करते है?
(क) स्टील
(ख) एल्यूमिनियम
(ग) इलैक्ट्रानिक
(घ) सूचना प्रौद्योगिकी
उत्तर-
(ग) इलैक्ट्रानिक

2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए।

(i) विनिर्माण क्या है?
उत्तर-
विनिर्माण-कच्चे पदार्थ को मूल्यवान उत्पादन में परिवर्तित कर अधिक मात्रा में वस्तुओं के उत्पादन को विनिर्माण अथवा वस्तु निर्माण कहलाता है। उदाहरणार्थ-कागज लकड़ी से, चीनी गन्ने से. लोहा-इस्पात लौह-अयस्क से तथा एल्यूमिनियम बॉक्साइड निर्मित होता है।

(ii) उद्योगों की अवस्थिति को प्रभावित करने वाले तीन भौतिक कारक बताएँ।
उत्तर-
उद्योगों की अवस्थिति को प्रभावित करने वाले तीन भौतिक कारक निम्नलिखित है
(क) कच्चे की उपलब्धता
(ख) शक्ति के साधन
(ग) जल तथा जलवायिक दशाएँ विनिर्माण उद्योग की स्थापना हेतु वही स्थान उपयुक्त है जहाँ ये कारक उपलब्ध हो।

(iii) औद्योगिक अवस्थिति को प्रभावित करने वाले तीन मानवीय कारक बताएँ।
उत्तर-
उद्योगों की अवस्थिति को प्रभावित करने वाले तीन मानवीय कारक निम्नलिखित हैं-
(क) काम करने वाले मजदूर
(ख) बाज़ार की उपलब्धता
(ग) धन की आवश्यकता

औद्योगिक प्रक्रिया के प्रारम्भ होने के साथ-साथ नगरीकरण प्रारम्भ होता है। कभी-कभी उद्योग शहरों के समीप या शहरों में लगाये जाते हैं। इस प्रकार औद्योगीकरण तथा नवीकरण साथ-साथ चलते हैं। नगर उद्योगों का बाजार तथा सेवाए उपलब्ध कराते हैं।

(iv) आधारभूत उद्योग क्या है? उदाहरण देकर बताएँ।
उत्तर-
आधारभूत उद्योग-ऐसे उद्योग जो खनिज व ध तुओं को कच्चे माल के रूप में प्रयोग करते हैं, आधारभूत उद्योग कहलाते हैं, उदाहरणार्थ-लोहा तथा इस्पात उद्योग, सीमेंट उद्योग आदि आधारभूत उद्योग है।

3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 120 शब्दों में दीजिए।

(i) समंवित इस्पात उद्योग मिनी इस्पात उद्योगों से कैसे भिन्न है? इस उद्योग की क्या समस्याएँ हैं? किन सुधारों के अंतर्गत इसकी उत्पादन क्षमता बढ़ी है?
उत्तर-
समन्वित इस्पात अर्थात् संकलित इस्पात उद्योग एक बड़ा संयत्र होता है। जिसमें कच्चे माल को एक स्थान पर इकट्ठा करने से लेकर इस्पात बनाने उसे ढालने और उसे आकार देने तक का प्रत्येक कार्य किया जाता है। जबकि मिनी इस्पात उद्योग छोटे संयत्र है जिनमें विद्युत भट्टी, रद्दी इस्पात व स्पंज आयरन का प्रयोग होता है। इनमें रि-रोलर्स होते हैं जिनमें इस्पात सिल्लियों का प्रयोग के मृदु व मिश्रित इस्पात का उत्पादन करते हैं।

इस्पात उद्योग की संरचना-इस उद्योग में उच्च लागत तथा कोकिंग कोयले की सीमित उपलब्धता, कम श्रमिक ___ उत्पादकता ऊर्जा की अनियमित पूर्ति तथा अविकसित अवसंरचना जैसी अनेक समस्याएँ हैं। .
किये गये सुधार-निजी क्षेत्र में उद्यमियों के प्रत्येक से तथा उदारीकरण व प्रत्यक्ष विदेशी निवेश ने इस्पात उद्योग को प्रोत्साहित किया। इस उद्योग को अधिक स्पर्धावान बनाने हेतु अनुसंधान और विकास के संसाधनों को निश्चित करने की आवश्यकता है।

(ii) उद्योग पर्यावरण को कैसे प्रदूषित करते हैं?
उत्तर-
उद्योग चार प्रकार से पर्यावरण को प्रदूषित करते हैं। ये चार प्रकार निम्नलिखित हैं-

(1) वायु प्रदूषण-अधिक अनुपात में अनैच्छिक गैसों की उपस्थिति( जैसे-सल्फर डाइऑक्साइड तथा कार्बन मोनोऑक्साइड वायु को प्रदूषित करते हैं। रसायन व कागज उद्योग, ईंटों के भट्टे, तेलशोधनशालएँ, प्रगलन उद्योग, जीवाश्म ईंधन दहन और छोटे-बड़े कारखाने प्रदूषण के निममों का उल्लंघन करते हुए धुआँ निष्कासित करते हैं। जहरीली गैसों के रिसाव जैसे दुष्परिणाम होते हैं( जैसे-भोपाल गैस त्रासदी में हुआ था जिसका दुष्प्रभाव लगभग 20 वर्ष व्यतीत के पश्चात् भी आज महसूस किया जा रहा है।

(2) जल प्रदूषण-उद्योगों द्वारा कार्बनिक तथा अकार्बनिक अपशिष्ट पदार्थों को नदी में छोड़ने से जल प्रदूषित होता है। कागज, लुग्दी, रसायन, वस्त्र तथा रंगाई उद्योग, तेल शोधन शालएँ, चमड़ा उद्योग तथा इलेक्ट्रोप्लेटिंग ऐसे उद्योग हैं, जो रंग. अपमार्जक, अम्ल, लवण, सीसा, पारा आदि जल में बहते हैं और जल प्रदूषण का कारण बनते हैं।

(3) तापीय प्रदूषण-कारखानों द्वारा गर्म पानी नदियों में छोड़ने से जलीय जीवन पर बुरा असर पड़ता है। परमाणु ऊर्जा संयंत्रों के अपशिष्ट व परमाणु शस्त्र उत्पादक कारखानों से कैंसर और जन्मजात विकार जैसे रोग फैलते हैं। मलबे के ढेर मिट्टी को अनुपजाऊ बनाते हैं। वर्षा जल के साथ प्रदूषक जमीन में रिसते हुए भूमिगत जल तक पहुँचकर उसे भी प्रदूषित कर देते हैं।

(4) ध्वनि प्रदूषण-औद्योगिक तथा निर्माण कार्य और कारखानों के उपकरणों के द्वारा कोलाहल उत्पन्न होने से ध्वनि प्रदूषण होता है जो श्रवण अक्षमता, हृदय गति, रक्त चाप आदि में वृद्धि करता है।

(iii) उद्योगों द्वारा पर्यावरण निम्नीकरण को कम करने हेतु उठाये गए विभिन्न उपायों की चर्चा करें?
उत्तर-
उद्योगों द्वारा पर्यावरण निम्नीकरण को कम करने हेतु उठाये गये विभिन्न उपाय
(क) विभिन्न प्रक्रियाओं में जल का न्यूनतम उपयोग तथा जल का दो या अधिक उत्तरोत्तर अवस्थाओं में पुनर्चक्रण द्वारा पुन: उपयोग। . (ख) जल की आवश्यकता पूर्ति हेतु वर्षा जल का संग्रहण नदियों व तालाबों में गर्म जल तथा अपशिष्ट पदार्थों को प्रवाहित करने से पूर्व उनका शोधन करना।
औद्योगिक अपशिष्ट का शोधन निम्नलिखित चरणों में किया जा सकता है।

  • यान्त्रिक साधनों द्वारा प्राथमिक शोधन। इसके अन्तर्गत अपशिष्ट पदार्थों की छंटाई, उनके छोटे-छोटे टुकड़े करना ढकना तथा तलछट जमाव आदि शामिल है।
  • जैविक प्रक्रियाओं द्वारा द्वितीयक शोधन।
  • जैविक, रासायनिक तथा भौतिक प्रक्रियाओं द्वारा तृतीयक शोधन। इसमें उपशिष्ट जल को पुनर्चक्रण द्वारा दोबारा प्रयोग योग्य बनाया जाता है।
  • जहाँ भूमिगत जल का स्तर कम हैं, वहाँ उद्योगों द्वारा इसके निष्कासन पर कानूनी प्रतिबन्ध होना चाहिए।
  • वायु में निलंबित प्रदूषण को कम करने हेतु कारखानों में ऊँची चिमनियाँ, उनमें एलेक्ट्रोस्टैटिक अवक्षेपण, स्क्रबर उपकरण तथा गैसीय प्रदूषक पदार्थों को जड़त्वीय रूप से अलग करने हेतु उपकरण होना चाहिए।
  • कारखानों में कोयले की अपेक्षा तेल व गैस के प्रयोग से धुंए के निष्कासन में कमी लायी जा सकती है।

HBSE 10th Class Social Science Solutions Geography Chapter 6 विनिर्माण उद्योग 1

फरीदाबाद में यमुना एक्शन प्लान के
अंतर्गत वाहित मल उपचार संयंत्र

  • मशीनों व उपकरणों का उपयोग किया जा सकता है तथा जेनेटरों में साइलेंसर (Silencers) लगाया जा सकता है।
  • ऐसी मशीनरी का प्रयोग किया जाए जो ऊर्जा सक्षम हों तथा कम ध्वनि प्रदुषण करे।
  • ध्वनि अवशोषित करने वाले उपकरणों के इस्तेमाल के साथ कानों पर शोर नियंत्रण उपकरण भी पहनने चाहिये।

क्रियाकलाप

उद्योगों के संदर्भ में प्रत्येक के लिए एक शब्द दें (संकेतिक अक्षर संख्या कोष्ठक में दी गई है तथा उत्तर अंग्रेजी के शब्दों में हैं)

  1. मशीनरी चलाने में प्रयुक्त — (5) POWER
  2. कारखानों में काम करने वाले व्यक्ति — (6) WORKER
  3. उत्पाद को जहाँ बेचा जाता है — (6) MARKET
  4. वह व्यक्ति जो सामान बेचता है — (8) RETAILER
  5. वस्तु उत्पादन — (7) PRODUCT
  6. निर्माण या उत्पादन — (11) MANUFACTURE
  7. भूमि, जल तथा वायु अवनयन — (9) POLLUTION

प्रोजेक्ट कार्य

अपने क्षेत्र के एक कृषि आधारित तथा एक खनिज आधारित उद्योग को चुनें।
(i) ये कच्चे माल के रूप में क्या प्रयोग करते हैं?
(ii) विनिर्माण प्रक्रिया में अन्य निवेश क्या हैं जिनसे परिवहन लागत बढ़ती है।
(iii) क्या ये कारखाने पर्यावरण नियमों का पालन करते हैं?
उत्तर-
विद्यार्थी अपने शिक्षक की सहायता से स्वयं करें।

क्रियाकलाप

निम्न वर्ग पहेली में क्षैतिज अथवा ऊमर्वामार अक्षरों को जोड़ते हुए निम्न प्रश्नों के उत्तर दें।
नोट : पहेली के उत्तर अंग्रेज़ी के शब्दों में हैं।
HBSE 10th Class Social Science Solutions Geography Chapter 6 विनिर्माण उद्योग 2

(i) वस्त्र, चीनी, वनस्पति तेल तथा रोपण उद्योग जो कृषि से कच्चा माल प्राप्त करते हैं, उन्हें कहते हैं.
(ii) चीनी उद्योग में प्रयुक्त होने वाला कच्चा पदार्थ।
(iii) इस रेशे को गोल्डन फाइबर (Golden Fibre) भी कहते हैं।
(iv) लौह-अयस्क, कोकिंग कोयला तथा चूना पत्थर इस उद्योग के प्रमुख कच्चे माल हैं।
(v) छत्तीसगढ़ में स्थित सार्वजनिक क्षेत्र का लोहा-इस्पात उद्योग।
(vi) उत्तर प्रदेश में इस स्थान पर डीज़ल रेलवे इंजन बनाए जाते हैं।

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HBSE 10th Class Social Science Solutions Geography Chapter 5 खनिज और ऊर्जा संसाधन

Haryana State Board HBSE 10th Class Social Science Solutions Geography Chapter 5 खनिज और ऊर्जा संसाधन Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 10th Class Social Science Solutions Geography Chapter 5 खनिज और ऊर्जा संसाधन

HBSE 10th Class Geography खनिज और ऊर्जा संसाधन Textbook Questions and Answers

1. बहुवैकल्पिक प्रश्न

(i) निम्नलिखित में से कौन-सा खनिज अपक्षयित पदार्थ के अवशिष्ट भार को त्यागता हुआ चमकानों के अपघटन से बनता है?
(क) कोयला
(ख) बॉक्साइट
(ग) सोना
(घ) जस्ता
उत्तर-
(ख) बॉक्साइड

(ii) झारखंड में स्थित कोडरमा निम्नलिखित से किस खनिज का अग्रणी उत्पादक है?
(क) बॉक्साइट
(ख) अभ्रक
(ग) लौह अयस्क
(घ) ताँबा
उत्तर-
(ख) अभ्रक

(iii) निम्नलिखित चमकानों में से किस चमकान के स्तरों में खनिजों का निक्षेपण और संचयन होता है?
(क) तलछटी चमकानें
(ग) आग्नेय चमकानें
(ख) कायांतरित चमकानें
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(क) तलछटी चमकानें

(iv) मोनाजाइट रेत में निम्नलिखित में से कौन-सा खनिज पाया जाता है?
(क) खनिज तेल
(ख) यूरेनियम
(ग) थोरियम
(घ)कोयला
उत्तर-
(ग) थोरियम

2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए।

(i) निम्नलिखित में अंतर 30 शब्दों से अधिक न दें।
(अ) लौह और अलौह खनिज
(ब) परंपरागत तथा गैर परंपरागत ऊर्जा सामान
उत्तर-
(अ) लौह खनिज

  1. ये धातु रूप में प्राप्त होते हैं
  2. ये प्रायः कठोर होते हैं
  3. इनमें चमक होती है
  4. इन्हें तारों अथवा चादारों के रूप में तैयार किया जा सकता है।

अलौह खनिज:

  1. धातु पदार्थ प्राप्त नहीं होते
  2. ये प्रायः नरम होते हैं।
  3. इनमें चमक नहीं होती
  4. इन्हें तारों अथवा चादरों के रूप में परिवर्तित नहीं किया जा सकता।

(ब) परम्परागत तथा गैर परम्परागत ऊर्जा संसाधन परम्परागत संसाधन-इनमें लकड़ी, उपले, कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस तथा विद्युत (दोनों जलविद्युत व ताप विद्युत) शामिल हैं। ये (कोयला व पेट्रोलियम) अनवीकरणीय है ओर भविष्य में इनकी कमी की संभावना है। जीवाश्मी ईंधनों का प्रयोग पर्यावरणीय समस्याएँ उत्पन्न करता है।

गैर परम्परागत संसाधन-इनमें सौर, पवन, ज्वारीय भू-तापीय, बायोगैस तथा परमाणु ऊर्जा शामिल किये जाते हैं। ये नवीकरणीय है। इनके प्रयोग से पर्यावरणीय समस्या नहीं उपजती।

(ii) खनिज क्या हैं?
उत्तर-
भू-वैज्ञानिकों के अनुसार खनिज पर प्राकृतिक रूप से विद्यमान समरूप तत्त्व है जिसकी एक निश्चित आन्तरिक – संरचना है। खनिज प्रकृति में विविध रूपों में विद्यमान है। जिसमें कठोर हीरा वनरम चना तथा शामिल है।

(iii) आग्नेय तथा कायांतरित चमकानों में खनिजों का निर्माण कैसे होता है?
उत्तर-
आग्नेय तथा कायांतरिक चट्टानों में खनिजों का निर्माण दरारों, जोड़ों, भ्रंशों व विदरों में होता है। यह छोटे जमाम शिराओं के रूप में और बृहत जमाव परत के रूप में पाए जाते हैं। इनका निर्माण भी अधिकतर उस समय होता है जब ये सरल अथवा गैसीय अवस्था में दरारों के सहारे भू-पृष्ठ की ओर धकेले जाते हैं। ऊपर आते हुए ये ठंडे होकर जम जाते हैं। उदाहरणार्थ-मुख्य धात्विक खनिज( जैसे-जस्ता, ताँबा, जिंक
और सीसा आदि इसी तरह शिराओं व जमाओं के रूप में प्राप्त होते हैं।

(iv) हमें खनिजों के संरक्षण की क्यों आवश्यकता है?
उत्तर-
हम सभी को उधोग और कृष्जि की खनिज निक्षेपों – और उनसे विनिर्मित पदार्थों पर भारी निर्भरता सुप्रेक्षित है। खनन योग्य निक्षेप की कुल राशि असार्धक अंश है। जिन खनिजों के निर्माता व सांदण में सैकड़ों वर्ष लगे है, उनका हम शीघ्रता से उपभोग कर रहे हैं। इनके निर्माण की भूगभिक प्रक्रियाएँ बहुत धीमी है। संसाधन सीमित तथा अनवीकरणीय है।

3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 120 शब्दों में दीजिए।

(i) भारत में कोयले के वितरण का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
भारत में कोयले का वितरण-भारत में कोयला दो प्रमुख भूगर्भिक युगों के शैल क्रम में प्राप्त होता है-एक
गोंडवाना जिसकी आयु 200 लाख वर्ष से कुछ अधिक है और – दूसरा टरशियरी निक्षेप जो लगभग 55 लाख वर्ष पुराने है। गोंडवाना कोयले, जो धातुशोधन कोयला है, के प्रमुख संसाध न दामोदर घाटी (पश्चिमी बंगाल तथा झारखण्ड) झरिया, रानीगंज, बोकारों में स्थित है जो महत्त्वपूर्ण कायेला क्षेत्र है। गोदावरी, महानदी, सोन व वर्धा नदी घाटियों में भी कोयले के जमाव पाये जाते हैं।

टरशियरी कोयला क्षेत्र उत्तर-पूर्वी राज्यों-मेघालय असम, अरुणाचल प्रदेश व नागालैण्ड में पाया जाता है। कोयला एक स्थूल पदार्थ है। जिसका प्रयोग करने पर भार घटता है क्योंकि यह राख में परिवर्तित हो जाता है। इसी कारण भारी उद्योग तथा ताप विद्युत गृह कोयला क्षेत्रों या उनके समीप ही स्थापित किये जाते हैं।

(ii) भारत में सौर ऊर्जा का भविष्य उज्जवल है। क्यों?
उत्तर-
भारत एक उष्ण-कटिबंधीय देश है। इसलिये यहाँ सौर ऊर्जा के दोहन की असीम संभावनाएँ। फोटोवोल्टाइक प्रौद्योगिकी द्वारा धूप को सीधे विद्युत में परिवर्तित किया जाता – है। भारत के ग्रामीण तथा सुदूर क्षेत्रों में सौर ऊर्जा तीव्रता से लोकप्रिय हो रही है। भारत का सबसे बड़ा सौर ऊर्जा संयत्र भुज के समीप माधोपुर में स्थित है, जहाँ सौर ऊर्जा से दुग्ध के बड़े बर्तनों को कीटाणुमुक्त किया जाता है। ऐसा अपेक्षित है कि सौर ऊर्जा के प्रयोग से ग्रामीण घरों में उपलों तथा लकड़ी पर निर्भरता को न्यूनतम किया जा सकेगा। परिणामस्वरूप यह पर्यावरण संरक्षण में योगदान देना और कृषि में भी प्राकृतिक अर्थात् गोबर खाद्य की पर्याप्त आपूर्ति होगी।
इस प्रकार संभवतः भारत में भारत में सौर ऊर्जा का भविष्य उज्जवल है।

क्रियाकलाप

नीचे दी गई वर्ग पहेली में उपयुक्त खनिजों का नाम भरेंनोट : पहेली के उत्तर अंग्रेजी के शब्दों में हैं।
HBSE 10th Class Social Science Solutions Geography Chapter 5 खनिज और ऊर्जा संसाधन 1

क्षैतिज

1. एक लौह खनिज (9)
2. सीमेंट उद्योग में प्रयुक्त कच्चा माल (9)
3. चुंबकीय गुणों वाला सर्वश्रेष्ठ लोहा (10)
4. उत्कृष्ट कोटि का कठोर कोयला (10)
5. इस अयस्क से एल्यूमिनियम प्राप्त किया जाता है। (7)
6. इस खनिज के लिए खेतरी खदानें प्रसिद्ध हैं। (6)
7. वाष्पीकरण से निर्मित (6)

ऊर्ध्वाधर

1. प्लेसर निक्षेपों से प्राप्त होता है।
2. बेलाडिला में खनन किया जाने वाला लौह-अयस्क (8)
3. विद्युत उद्योग में अपरिहार्य (4)
4. उत्तरी-पूर्वी भारत में मिलने वाले कोयले की भूगर्भिक आयु (8)
5. शिराओं तथा शिरानिक्षेपों में निर्मित (3)

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HBSE 10th Class Social Science Solutions Geography Chapter 4 कृषि

Haryana State Board HBSE 10th Class Social Science Solutions Geography Chapter 4 कृषि Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 10th Class Social Science Solutions Geography Chapter 4 कृषि

HBSE 10th Class Geography कृषि Textbook Questions and Answers

1. बहुवैकल्पिक प्रश्न

(i) निम्नलिखित में से कौन-सा उस कृषि प्रणाली को दर्शाता है जिसमें एक ही फसल लंबे-चौड़े क्षेत्र में उगाई जाती है?
(क) स्थानांतरी कृषि
(ख) रोपण कृषि
(ग) बागवानी
(घ) गहन कृषि
उत्तर-
(ख)रोपण कृषि

HBSE 10th Class Social Science Solutions Geography Chapter 4 कृषि

(ii) इनमें से कौन-सी रबी फसल है?
(क) चावल
(ख) मोटे अनाज
(ग) चना
(घ) कपास
उत्तर-
(ग) चना

(iii) इनमें से कौन-सी एक फलीदार फसल है?
(क) दालें
(ख) मोटे अनाज
(ग) ज्वार तिल
(घ) तिल
उत्तर-
(ख) दालें

(iv) सरकार निम्नलिखित में से कौन-सी घोषणा फसलों को सहायता देने के लिए करती है?
(क) अधिकतम सहायता मूल्य
(ख) न्यूनतम सहायता मूल्य
(ग) मध्यम सहायता मूल्य
(घ) प्रभावी सहायता मूल्य
उत्तर-
(ख) न्यूनतम सहायता मूल्य

2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए।

(i) एक पेय फसल का नाम बताएँ तथा उसको उगाने के लिए अनकल भौगोलिक परिस्थितियों का विवरण दें।
उत्तर-

  1. चाय एक पेय पदार्थ की फसल है। यह पौधा उष्ण और उपोष्ण कटिबंधीय जलवायु, ह्यूमस और जीवांश युक्त गहन मृदा तथा सुगम जल निकास वाले ढलवां क्षेत्रों उगाया जाता है। वर्ष भर समान रूप से होने वाली वर्षा की आवश्यकता होती है।
  2. चाय की झाड़ियों को उगाने के लिए वर्ष भर कोष्ण नम और पालरहित जलवायु की आवश्यकता होती है।?
  3. वर्ष भर समान रूप से होने वाली वर्षा की बौछारे इसकी कोमल पत्तियों के विकास में सहायक होती है।
  4. चाय एक श्रम-सघन उद्योग है। इसके लिए प्रचुर मात्रा में सस्ता और कुशल श्रम चाहिए।

(ii) भारत की एक खाद्य फसल का नाम बताएँ और जहाँ यह पैदा की जाती है उन क्षेत्रों का विवरण दें।
उत्तर-
भारत में अधिकांश लोगों का खाद्यान्न चावल है। यह उत्तर और उत्तर-पूर्वी मैदानों, तटीय क्षेत्रों और डेल्टाई प्रदेशों में उगाया जाता है। नहरों के जाल और नलकूपों की अधिकता के कारण पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तरप्रदेश और राजस्थान के कुछ कम वर्षा वाले क्षेत्रों में चावल की फसल उगाना सम्भव हो सका है।

(iii) सरकार द्वारा किसानों के हित में किए गए संस्थागत सुधार कार्यक्रमों की सूची बनाएँ।
उत्तर-
सरकार द्वारा कृषकों के हित में किये गये संस्थागत सुधार कार्यक्रम निम्नलिखित है-

  • जीवों की चकबन्दी, सहकारिता तथा जमींदारी आदि समाप्त करने की प्राथमिकता दी गई
  • पैकेज टेक्नोलॉजी पर आधारित हरित क्रान्ति तथा श्वेत क्रान्ति जैसी रणनीतिया आरम्भ की गई
  • 1980 तथा 1990 के दशकों में विस्तृत भूमि विकास कार्यक्रम का आरम्भ
  • फसल बीमा प्रावधान तथा कृषकों को कम दर पर ऋण
  • किसान क्रेडिट कार्ड और व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा योजना
  • आकाशवाणी और दूरदर्शन पर कृषि दर्शन

(iv) दिन-प्रतिदिन कृषि के अंतर्गत भूमि कम हो रही है। क्या आप इसके परिणामों की कल्पना कर सकते
उत्तर-
(क) दिन-प्रतिदिन कृषि के अंतर्गत भूमि कम होने से निम्नलिखित दुष्परिणाम हो सकते हैं-

  • देश की बढ़ती जनसंख्या के कारण कृषि के अन्तर्गत भूमि कम होने से देश में सभी लोगों को खाद्यान्न उपलब्ध कराना संभव नहीं होगा।
  • उत्पादन बढ़ाने के लिए रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग करना पड़ेगा जिससे भूमि की उर्वरा-शक्ति कम हो जाएगी।
  • कम उत्पादन के कारण मंहगाई बढ़ेगी।
  • कृषि में छुपी बेरोजगारी भी बढ़ जाएगी।
  • खाद्यान्न उत्पादन में कमी होने पर विदेशों से खाद्यान्न का आयात करना पड़ेगा जिससे विदेशी मुद्रा भंडार में कमी आ सकती है।

HBSE 10th Class Social Science Solutions Geography Chapter 4 कृषि

3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 120 शब्दों में दीजिए।

(i) कृषि उत्पादन में वृद्धि सुनिश्चित करने के लिए सरकार द्वारा किए गए उपाय सुझाइए।
उत्तर-
कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी है कृषि के महत्त्व को समझते हुए कृषि उत्पादन में वृद्धि सुनिश्चित करने हेतु सरकार द्वारा किये गये उपाय निम्नलिखित है-

  • सरकार द्वारा खेतों की चकबन्दी की गई ताकि भूमि पुश्तेंगी अधिकार के कारण भूमि टुकड़ों में न बँटती रहे।
  • कृषकों को कम दर पर ऋण सुविधाएँ प्रदान करने हेतु ग्रामीण बैंकों, सहकारी समितियों और बैंकों की स्थापना की गई।
  • भारतीय कृषि में सुधार हेतु भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद व कृषि विश्वविद्यालयों की स्थापना, पशु चिकित्सा सेवाएँ और प्रजनन केन्द्र की स्थापना, बागवानी विकास, मौसम विज्ञान और मौसम के पूर्वानुमान के क्षेत्र में अनुसंधान और विकास को वरीयता दी गई।
  • सिंचाई परियोजनाओं का निर्माण किया गया जिससे कृषि हेतु सिंचाई का उचित प्रबन्ध हो सके।

(ii) भारतीय कृषि पर वैश्वीकरण के प्रभाव पर टिप्पणी लिखें।
उत्तर-

  • भारतीय कृषि पर वैश्वीकरण का प्रभाव-वैश्वीकरण से तात्पर्य किसी उत्पादन का विश्व के देशों के समक्ष प्रदर्शन करना ताकि विश्व बाजार में यह प्रतिस्पर्धा हो सके।
  • ब्रिटिश काल में अंग्रेज व्यापारी भारत के पास को वस्त्र उद्योग हेतु आयात करते थे। मैनचेस्टर ओर लिवरपुल में सूती वस्त्र उद्योग भारत में पैदा होने वाली उत्तम किस्म की उपलब्धता पर फलीफूली।
  • 1917 में बिहार में चम्पारन आन्दोलन की शुरूआत इसलिये कि इस क्षेत्र में कृषकों पर नील की कृषि करने हेतु दवाब डाला गया था। नील ब्रिटेन के सूती वस्त्र उद्योग के लिए कच्चा माल था। इसके फलस्वरूप किसान भड़के क्योंकि उन्हें अपने उपभोग हेतु अनाज उगाने से मना कर दिया गया था।
  • 1990 के पश्चात्, वैश्वीकरण के दौरान भारतीय कृषकों को कई नई समस्याओं का सामना करने के लिये विवश होना पड़ा है। चावल, कपास, रबड़, चाय, कॉफी, जूट और मसालों का मुख्य उत्पादक होने के बावजूद भारतीय कृषि विश्व के विकसित देशों में स्पर्धा करने में असमर्थ है क्योंकि उन देशों में कृषि को अत्यधिक सहायिकी दी जाती है।

(iii) चावल की खेती के लिए उपयुक्त भौगोलिक परिस्थितियों का वर्णन करें।
उत्तर-
चावल उत्पादन हेतु भौगोलिक परिस्थितियाँ-भारत चीन के दूसरा बड़ा चावल उत्पादक देश है।

  • यह खरीफ की फसल है जिसे उगाने के लिए उच्च तापमान (25 डिग्री सेल्सियस से ऊपर) और अधिक आर्द्रता (100 सेमी. से अधिक वर्षा) की आवश्यकता होती है। कम वर्षा वाले क्षेत्रों में इसे सिंचाई करके उगाया जाता है।
  • चावल उत्पादन के लिए जलोढ़ मृदा सबसे उपयुक्त होती है।
  • चावल उत्तर और उत्तर-पूर्वी मैदानों, तटीय क्षेत्रों और डेल्टाई प्रदेशों में उगाया जाता है।
  • चावल का उत्पादन पश्चिमी बंगाल, उड़ीसा, आन्द्रप्रदेश तथा बिहार में अधिक होता है।

नहरों के जाल और नलकूपों की सघनता के कारण पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तरप्रदेश और राजस्थान के कुछ वर्षा होने वाले क्षेत्रों में चावल की फसल उगाना सम्भव हो सका है।

परियोजना कार्य

1. किसानों की साक्षरता विषय पर एक सामूहिक वाद-विवाद प्रतियोगिता का आयोजन करें।
उत्तर-
विद्यार्थी अपने शिक्षक की सहायता से सामूहिक वाद-विवाद प्रतियोगिता का आयोजन कर सकते हैं।

2. भारत के मानचित्र में गेहूँ उत्पादन क्षेत्र दर्शाइए।
उत्तर-
HBSE 10th Class Social Science Solutions Chapter 4 कृषि 4

HBSE 10th Class Social Science Solutions Geography Chapter 4 कृषि

क्रियाकलाप

ऊपर-
नीचे और दायें-बायें चलते हुए वर्ग पहेली को . सुलझाएँ और छिपे उत्तर ढूँढ़ें।
HBSE 10th Class Social Science Solutions Chapter 4 कृषि 1

(i) भारत की दो खाद्य फसलें।
उत्तर-
गेहूँ, (Wheat), चावल (Rice),

(ii) यह भारत की ग्रीष्म फसल ऋतु है।
उत्तर-
खरीफ (Kharif)।

(iii)अरहर, मूंग, चना, उड़द जैसी दालों से… मिलता
उत्तर-
प्रोटीन (Protein)।

(vi) यह एक मोटा अनाज है।
उत्तर-
ज्वार (Jowar)|

(v) भारत की दो महत्त्वपूर्ण पेय फसल हैं
उत्तर-
चाय, (Tea) कॉफी (Coffee)।

(vi) काली मिट्टी पर उगाई जाने वाली चार रेशेदार फसलों में से एका
उत्तर-
कपास (Cotton)।

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