Haryana State Board HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 5 नाना साहब की पुत्री देवी मैना को भस्म कर दिया गया Textbook Exercise Questions and Answers.
Haryana Board 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 5 नाना साहब की पुत्री देवी मैना को भस्म कर दिया गया
HBSE 9th Class Hindi नाना साहब की पुत्री देवी मैना को भस्म कर दिया गया Textbook Questions and Answers
प्रश्न 1.
बालिका मैना ने सेनापति ‘हे’ को कौन-कौन से तर्क देकर महल की रक्षा के लिए प्रेरित किया?
उत्तर-
बालिका मैना ने सर्वप्रथम तर्क देते हुए सेनापति ‘हे’ से कहा कि इस मकान को गिराने में आपका क्या उद्देश्य है ? दूसरा तर्क देते हुए मैना ने कहा कि जिन लोगों ने आपके विरुद्ध शस्त्र उठाए थे, वे दोषी हैं; परंतु इस जड़ पदार्थ मकान ने क्या अपराध किया है ? इसके अतिरिक्त अंतिम बात जो मैना ने कही और जो सेनापति ‘हे’ को अत्यधिक प्रभावित कर गई वह थी कि मैना और ‘हे’ की बेटी ‘मेरी’ दोनों सखियाँ थीं और दोनों सहपाठिनें भी थीं। ‘मेरी’ का एक पत्र उस समय भी उसके पास था। यह सब सुनकर सेनापति ‘हे’ उसके महल की रक्षा का प्रयास करने लगा था।
a
प्रश्न 2.
मैना जड़ पदार्थ मकान को बचाना चाहती थी पर अंग्रेज़ उसे नष्ट करना चाहते थे। क्यों?
उत्तर-
मैना उस मकान में रहती थी। उसके लिए वह केवल मकान नहीं, अपितु उसका घर था जिसमें पलकर वह बड़ी हुई थी। इसलिए उस मकान के प्रति उसके मन में अथाह प्रेम था। यही कारण था कि वह उस मकान को बचाना चाहती थी। दूसरी ओर, अंग्रेज़ अधिकारी नाना साहब से बदला लेने के लिए उससे संबंधित हर वस्तु को मिटा देना चाहते थे, क्योंकि उनके मन में बदले की आग जल रही थी। वे नाना साहब को तो गिरफ्तार न कर सके थे, किंतु उनके वंश के प्राणियों और मकान आदि को नष्ट करके अपने गुस्से व घृणा को शांत करना चाहते थे।
प्रश्न 3.
सर टामस ‘हे’ के मैना पर दया-भाव के क्या कारण थे?
उत्तर-
वस्तुतः सर टामस ‘हे’ को अंग्रेज़ सरकार का आदेश था कि नाना साहब का कोई वंशज मिल जाए तो उसे मार डाला जाए। उसकी सारी संपत्ति को भी नष्ट कर दिया जाए। अंग्रेज़ होने के नाते उसे भी नाना साहब पर क्रोध था, किंतु देवी मैना ने उसे बताया कि उसकी बेटी ‘मेरी’ और उसके बीच मित्रता का संबंध था और वे दोनों एक-दूसरे को बहुत चाहती थीं। उसे ‘मेरी’ की मृत्यु के समाचार से बहुत दुःख हुआ था। “आप भी हमारे यहाँ पहले कई बार आ चुके हैं। उसका एक पत्र मेरे पास अब तक है।” यह सब सुनकर सेनापति ‘हे’ अत्यंत प्रभावित हुआ तथा मैना के प्रति दया के भाव दिखाने लगा और कहा कि यद्यपि मैं सरकारी नौकर हूँ और सरकार की आज्ञा पालन करना मेरा कर्तव्य है, किंतु फिर भी मैं तुम्हारी रक्षा करने का प्रयास करूँगा।
प्रश्न 4.
मैना की अंतिम इच्छा थी कि वह उस प्रासाद के ढेर पर बैठकर जी भरकर रो ले लेकिन पाषाण हृदय वाले जनरल ने किस भय से उसकी इच्छा.पूर्ण न होने दी?
उत्तर-
एक बार अर्द्ध रात्रि की चाँदनी में देवी मैना स्वच्छ एवं उज्ज्वल वस्त्र पहनकर नाना साहब के महल के मलबे के ढेर पर बैठी रो रही थी। उसकी आवाज सुनकर अनेक अंग्रेज़ सैनिक और जनरल अउटरम वहाँ आ पहुँचे। जनरल अउटरम ने उसे पहचान लिया और कहा कि यह नाना साहब की बेटी मैना है। उसने उसे तुरंत गिरफ्तार कर लिया। तब मैना ने कहा कि मुझे कुछ समय दीजिए, जिसमें आज मैं यहाँ जी भरकर रो लूँ। यही उसकी अंतिम इच्छा थी, किंतु पाषाण हृदय जनरल अउटरम ने उसे ऐसा नहीं करने दिया क्योंकि उसे भय था कि कहीं मैना फिर आलोप न हो जाए और उसकी बदनामी होगी कि वह एक बालिका को गिरफ्तार नहीं कर सका। ऐसा करके वह सरकार की नज़रों में भी अच्छा बनना चाहता था।
प्रश्न 5.
बालिका मैना के चरित्र की कौन-कौन सी विशेषताएँ आप अपनाना चाहेंगे और क्यों?
उत्तर-
बालिका मैना एक वीर और देशभक्त बालिका थी। वह इतनी बड़ी संख्या में अंग्रेज़ी सेना की उपस्थिति में तनिक नहीं डरी। उसके मन में अपने देश और अपने घर के प्रति अत्यधिक प्रेम था। इसलिए उसने अपने अकाट्य तर्कों के बल पर सेनापति ‘हे’ को भी अपने मकान और जीवन की रक्षा के लिए सहमत कर लिया था। कहने का भाव यह है कि बालिका मैना एक वीर, निडर, देशभक्त और तर्कशील कन्या थी। यही उसके चरित्र की प्रमुख विशेषताएँ हैं जिन्हें हम अपने जीवन में अपनाना चाहेंगे ताकि हम भी उसकी भाँति वीर, निडर, देशभक्त और तर्कशील कहलवा सकें।
प्रश्न 6.
‘टाइम्स’ पत्र ने 6 सितंबर को लिखा था- ‘बड़े दुख का विषय है कि भारत सरकार आज तक उस दुर्दात नाना साहब को नहीं पकड़ सकी।’ इस वाक्य में ‘भारत सरकार’ से क्या आशय है?
उत्तर-
पत्र के ‘भारत सरकार’ शब्द से आशय है-तत्कालीन ईस्ट इंडिया कंपनी, जो भारत में शासन चला रही थी, वह नाना साहब को गिरफ्तार नहीं कर सकी थी।
रचना और अभिव्यक्ति
प्रश्न 7.
स्वाधीनता आंदोलन को आगे बढ़ाने में इस प्रकार के लेखन की क्या भूमिका रही होगी?
उत्तर-
कहा गया है कि जो शक्ति तोप और तलवार में नहीं होती, वह शक्ति साहित्य में होती है। जो काम हम शक्ति का भय दिखाकर नहीं कर सकते, वही कार्य साहित्य सहज ही कर डालता है। कहने का भाव यह है कि ऐसे लेखन का जन-साधारण पर बहुत प्रभाव पड़ता है। वे देवी मैना जैसी कन्या के महान त्याग और बलिदान से प्रेरणा लेकर स्वतंत्रता आंदोलन में कूद पड़े होंगे अथवा जो पहले से स्वतंत्रता आंदोलन में भाग ले रहे होंगे, उन्हें नई प्रेरणा व शक्ति मिली होगी और उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन की गति को तीव्र कर दिया होगा जिससे देश को स्वतंत्रता प्राप्त हुई है। अतः निष्कर्ष रूप में कहा जा सकता है कि ऐसे लेखन की स्वतंत्रता आंदोलन को आगे बढ़ाने में मुख्य भूमिका रही होगी।
प्रश्न 8.
कल्पना कीजिए कि मैना के बलिदान की यह खबर आपको रेडियो पर प्रस्तुत करनी है। इन सूचनाओं के आधार पर आप एक रेडियो समाचार तैयार करें और कक्षा में भावपूर्ण शैली में पढ़ें।
उत्तर-
यह प्रश्न परीक्षोपयोगी नहीं है, इसलिए विद्यार्थी इसे स्वयं तैयार करेंगे।
प्रश्न 9.
इस पाठ में रिपोर्ताज के प्रारंभिक रूप की झलक मिलती है लेकिन आज अखबारों में अधिकांश खबरें रिपोर्ताज की शैली में लिखी जाती हैं। आप
(क) कोई दो खबरें किसी अखबार से काटकर अपनी कॉपी में चिपकाइए तथा कक्षा में पढ़कर सुनाइए।
(ख) अपने आसपास की किसी घटना का वर्णन रिपोर्ताज शैली में कीजिए।
उत्तर-
ये प्रश्न परीक्षोपयोगी नहीं हैं।
प्रश्न 10.
आप किसी ऐसे बालक/बालिका के बारे में एक अनुच्छेद लिखिए जिसने कोई बहादुरी का काम किया हो।
उत्तर-
दिनेश मेरे स्कूल की छठी कक्षा का विद्यार्थी है। उसे इस वर्ष गणतंत्र दिवस पर बहादुरी के लिए राष्ट्रपति ने पुरस्कार दिया है, जिसे सुनकर न केवल नगर के अपितु पूरे राज्य के लोग उस पर गर्व करने लगे हैं। हुआ यह था कि एक दिन जब वह स्कूल से लौट रहा था तो एक घर में रोने-चिल्लाने की आवाजें आ रही थीं। ये आवाजें सुनकर उसने उस घर की घंटी बजाई तो भयंकर शक्ल वाला आदमी उसे डाँटने लगा। दिनेश ने यह समझ लिया था कि यह कोई चोर है। उसने कहा अंकल मुझे बड़ी प्यास लगी है, मुझे पानी पीना है। पानी के बहाने वह मना करने पर भी अंदर चला गया। उसने वहाँ देखा कि दो आदमी मकान मालिक की पत्नी का गला दबा रहे थे। दिनेश ने अपनी जान खतरे में डालकर एक आदमी की पीठ पर जोर से मुक्का मारा। वह आदमी औरत को छोड़कर उसे पकड़ने के लिए उसके पीछे दौड़ा, तब तक बाहर खड़ा आदमी भी दिनेश को पकड़ने में उसकी मदद करने के लिए आ गया, किंतु दिनेश इतनी तेजी से दौड़ा था कि उनकी पकड़ में नहीं आया और बाहर आकर उसने ‘चोर-चोर’ कहकर शोर मचा दिया। उसकी आवाज सुनकर रास्ते पर चलने वाले और आस-पड़ोस के लोग एकत्रित हो गए और चोरों पर टूट पड़े। दो चोर भागने में सफल हो गए, किंतु तीसरे को पकड़ लिया गया और पुलिस के हवाले कर दिया। इससे उस महिला की जान बच गई। दिनेश को उसकी इस बहादुरी के लिए पुरस्कार मिला।
भाषा-अध्ययन
प्रश्न 11.
भाषा और वर्तनी का स्वरूप बदलता रहता है। इस पाठ में हिंदी गय का प्रारंभिक रूप व्यक्त हुआ है जो लगभग 75-80 वर्ष पहले था। इस पाठ के किसी पसंदीदा अनुच्छेद को वर्तमान मानक हिंदी रूप में लिखिए।
“इके बाद कराल रूपधारी जनरल अउटरम भी वहाँ पहुँच गया। वह उसे तुरंत पहिचानकर बोला-“ओह! यह नाना की लड़की मैना है!” पर वह बालिका किसी ओर न देखती थी और न अपने चारों ओर सैनिकों को देखकर ज़रा भी डरी। जनरल अउटरम ने आगे बढ़कर कहा,-“अंगरेज़ सरकार की आज्ञा से मैंने तुम्हें गिरफ्तार किया।”
उत्तर-
इसके पश्चात भयंकर रूपधारी अउटरम भी वहाँ पहुँच गया। वह उसे तुरंत पहचान कर बोला, “ओह! यह नाना की बेटी मैना है। पर वह बालिका किसी की ओर नहीं देख रही थी और न ही चारों ओर खड़े सैनिकों को देखकर ज़रा भी डरी। जनरल अउटरम ने आगे बढ़कर कहा,-“अंग्रेज सरकार की आज्ञा से मैं तुम्हें गिरफ्तार करता हूँ।”
पाठेतर सक्रियता
अपने साथियों के साथ मिलकर बहादुर बच्चों के बारे में जानकारी देने वाली पुस्तकों की सूची बनाइए।
इन पुस्तकों को पढ़िए-
‘भारतीय स्वाधीनता संग्राम में महिलाएँ’-राजम कृष्णन, नेशनल बुक ट्रस्ट, नई दिल्ली।
‘1857 की कहानियाँ’-ख्वाजा हसन निज़ामी, नेशनल बुक ट्रस्ट, नई दिल्ली।
नोट-विद्यार्थी यह कार्य स्वयं करेंगे।
अपठित गद्यांश को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
आज़ाद भारत में दुर्गा भाभी को उपेक्षा और आदर दोनों मिले। सरकारों ने उन्हें पैसों से तोलना चाहा। कई वर्ष पहले पंजाब में उनके सम्मान में आयोजित एक समारोह में तत्कालीन मुख्यमंत्री दरबारा सिंह ने उन्हें 51 हज़ार रुपए भेंट किए। भाभी ने वे रुपए वहीं वापस कर दिए। कहा-“जब हम आज़ादी के लिए संघर्ष कर रहे थे, उस समय किसी व्यक्तिगत लाभ या उपलब्धि की अपेक्षा नहीं थी। केवल देश की स्वतंत्रता ही हमारा ध्येय था। उस ध्येय पथ पर हमारे कितने ही साथी अपना सर्वस्व निछावर कर गए, शहीद हो गए। मैं चाहती हूँ कि मुझे जो 51 हज़ार रुपए दिए गए हैं, उस धन से यहाँ शहीदों का एक बड़ा स्मारक बना दिया जाए, जिसमें क्रांतिकारी आंदोलन के इतिहास का अध्ययन और अध्यापन हो, क्योंकि देश की नई पीढ़ी को इसकी बहुत आवश्यकता है।”
मुझे याद आता है सन 1937 का ज़माना, जब कुछ क्रांतिकारी साथियों ने गाज़ियाबाद तार भेजकर भाभी से चुनाव लड़ने की प्रार्थना की थी। भाभी ने तार से उत्तर दिया-“चुनाव में मेरी कोई दिलचस्पी नहीं है। अतः लड़ने का प्रश्न ही नहीं उठता।”
मुल्क के स्वाधीन होने के बाद की राजनीति भाभी को कभी रास नहीं आई। अनेक शीर्ष नेताओं से निकट संपर्क होने के बाद भी वे संसदीय राजनीति से दूर ही बनी रहीं। शायद इसलिए अपने जीवन का शेष हिस्सा नई पीढ़ी के निर्माण के लिए अपने विद्यालय को उन्होंने समर्पित कर दिया।
(1) स्वतंत्र भारत में दुर्गा भाभी का सम्मान किस प्रकार किया गया ?
(2) दुर्गा भाभी ने भेंट स्वरूप प्रदान किए गए रुपए लेने से इंकार क्यों कर दिया ?
(3) दुर्गा भाभी संसदीय राजनीति से दूर क्यों रहीं ?
(4) आज़ादी के बाद उन्होंने अपने को किस प्रकार व्यस्त रखा ?
(5) दुर्गा भाभी के व्यक्तित्व की कौन-सी विशेषता आप अपनाना चाहेंगे?
उत्तर-
(1) स्वतंत्र भारत में दुर्गा भाभी का सम्मान उन्हें पंजाब के मुख्यमंत्री द्वारा 51 हजार रुपए भेंट करके व अनेक बड़े नेताओं द्वारा चुनाव लड़ने के लिए निमंत्रण देकर किया गया।
(2) दुर्गा भाभी ने भेंट स्वरूप प्रदान किए गए रुपए लेने से यह कहकर इंकार कर दिया कि उसने स्वतंत्रता आंदोलन में व्यक्तिगत लाभ के लिए भाग नहीं लिया था। इन रुपयों से यहाँ शहीदों का एक बड़ा स्मारक बना दिया जाए जिसमें क्रांतिकारी आंदोलन के इतिहास का अध्ययन और अध्यापन हो, जिसको नई पीढ़ी के लोग पढ़कर क्रांतिकारी आंदोलन से अवगत होंगे।
(3) दुर्गा भाभी संसदीय राजनीति से इसलिए दूर रहना चाहती थी ताकि वह अपने जीवन का शेष समय नई पीढ़ी के निर्माण में लगा सके।
(4) आजादी के पश्चात उन्होंने अपने-आपको व्यस्त रखने के लिए एक विद्यालय आरंभ किया था जहाँ वह नई पीढ़ी के निर्माण के लिए रात-दिन लगी रहती थी।
(5) दुर्गा भाभी के जीवन की सबसे बड़ी विशेषता यह थी कि उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में व्यक्तिगत लाभ के लिए नहीं, अपितु देश को स्वतंत्र करवाने के लिए भाग लिया था। इसलिए हमें भी सर्वप्रथम देश के हित की बात सोचनी चाहिए, न कि व्यक्तिगत हित की।
यह भी जानें
हिंदू-पंच-अपने समय की चर्चित पत्रिका हिंदू पंच का प्रकाशन 1926 में कलकत्ता से हुआ। इसके संपादक थे-ईश्वरीदत्त शर्मा। 1930 में इसका ‘बलिदान’ अंक निकला जिसे अंग्रेज़ सरकार ने तत्काल जब्त कर लिया। चाँद के ‘फाँसी’ अंक की तरह यह भी आज़ादी का एक महत्त्वपूर्ण दस्तावेज़ है। इस अंक में देश और समाज के लिए अपनी जान न्योछावर करने वाले व्यक्तियों के बारे में बताया गया है।
HBSE 9th Class Hindi नाना साहब की पुत्री देवी मैना को भस्म कर दिया गया Important Questions and Answers
प्रश्न 1.
‘नाना साहब की पुत्री देवी मैना को भस्म कर दिया गया’, नामक पाठ के उद्देश्य (प्रतिपाद्य) को अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर-
निश्चय ही यह पाठ महान उद्देश्य को लेकर लिखा गया है। मातृभूमि की स्वतंत्रता और उसकी रक्षा के लिए जिन्होंने अपने प्राण न्योछावर कर दिए, उनके जीवन का उत्कर्ष हमारे लिए गौरव और सम्मान की बात है। बहुत-से ऐसे वीर पुरुष व महिलाएँ हैं जिन्होंने अपना सब कुछ देश को स्वतंत्र करवाने में लगा दिया था। यहाँ तक कि अपने प्राणों की बाजी भी लगा दी। किंतु इतिहास में उन्हें कहीं कोई स्थान नहीं मिला। प्रस्तुत पाठ में नाना साहब की बेटी मैना के बलिदान का उल्लेख करके उनके प्रति श्रद्धा एवं सम्मान व्यक्त करना ही इसका प्रमुख लक्ष्य है। मैना चाहती तो समझौता करके आराम का जीवन जी सकती थी, किंतु वह एक वीर बालिका थी। उसने अंग्रेज़ों से जरा भी भय अनुभव नहीं किया और न ही अपने प्राणों की भीख ही माँगी। उसे अपने देश और अपनी आन से पूर्ण लगाव था। इसलिए उसने एक वीर बालिका की भाँति अपने जीवन का बलिदान किया। लेखिका ने इस पाठ के माध्यम से देश की नई पीढ़ी को अपने देश को आजाद करवाने वाले शहीदों के प्रति श्रद्धा एवं आदर का भाव रखने की प्रेरणा दी है। यही इस पाठ का प्रमुख लक्ष्य है जिसे व्यक्त करने में लेखिका को पूर्ण सफलता प्राप्त हुई है।
प्रश्न 2.
‘नाना साहब की पुत्री देवी मैना को भस्म कर दिया गया’ नामक पाठ को पढ़ने पर अंग्रेज़ों के प्रति जो आपकी धारणा बनती है, उसे अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर-
प्रस्तुत पाठ में सन 1857 के प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के वर्णन के साथ-साथ देवी मैना के महान त्याग और बलिदान का उल्लेख किया गया है। इस पाठ में बताया गया है कि कानपुर की लड़ाई में असफल होने पर नाना साहब इतनी जल्दी में वहाँ से भाग निकले कि अपनी बेटी मैना को अपने साथ न ले जा सके। उनके जाने के बाद कानपुर के विद्रोह का दमन करने के पश्चात तत्कालीन अंग्रेज जनरल अउटरम ने नाना साहब के बिठूर वाले भवन को तहस-नहस इसलिए कर दिया कि वह नाना साहब का था। इतना ही नहीं, उनकी निर्दोष एवं निरीह बालिका मैना को उसकी इच्छा के विरुद्ध गिरफ्तार करके कानपुर के किले में कैद ही नहीं किया, अपितु उसे जलती हुई भीषण आग में जीवित जला डाला। यह सब कुछ बदले की भावना से किया गया था यद्यपि देवी मैना निर्दोष थी। इस प्रकार पाठ में वर्णित घटना से पता चलता है कि अंग्रेज़ लोग अत्यंत संकीर्ण एवं निर्दयी थे। बदले की भावना में वे मानवता को भी भूल गए थे।
प्रश्न 3.
पठित पाठ के आधार पर बालिका मैना का चरित्र-चित्रण सार रूप में कीजिए।
उत्तर-
प्रस्तुत पाठ में मैना के महान बलिदान का चित्रण किया गया है। पाठ के पढ़ने पर पता चलता है कि बालिका मैना अत्यंत सुंदर व्यक्तित्व की स्वामिनी थी। लेखिका ने कहा है कि जब अंग्रेज़ सैनिकों ने महल को गिराने के लिए वहाँ तोपें लगाईं तो महल के बरामदे में एक अत्यंत सुंदर बालिका आकर खड़ी हो गई। इसी प्रकार इतिहासकार महादेव चिटनवीस ने भी उसे अनुपम बालिका कहा है। इससे सिद्ध है कि देवी मैना अत्यंत सुंदर बालिका थी।
देवी मैना के मन में अपने घर के प्रति अत्यंत स्नेह था। इसलिए उसने सेनापति ‘हे’ को उसे न गिराने का अनुरोध ही नहीं किया, अपितु अपने तर्कों द्वारा उसे सहमत भी कर लिया था।
उसके मन में अंग्रेज़ों द्वारा अपने परिवार एवं देश के लोगों को मार देने का दुःख था। इसलिए वह अपने महल के मलबे के ढेर पर बैठकर जी भरकर रोना चाहती थी। यही उसकी अंतिम इच्छा भी थी।
देवी मैना वीर एवं निडर थी। वह अंग्रेज़ सेनाधिकारी व सैनिकों को इतनी बड़ी संख्या में देखकर जरा भी नहीं डरी, अपितु उसने साहसपूर्वक अपनी बात उनके सामने रखी। मौत का भय दिखाने पर भी वह अपने इरादे से टस-से-मस न हुई।
मैना एक तर्कशील युवती थी। उसने अपने तर्कों के द्वारा सेनापति ‘हे’ को परास्त कर दिया था और वह महल और उसके जीवन की रक्षा के लिए तैयार ही नहीं हो गया था, अपितु उसने गवर्नर को तार भी लिख भेजा था।
बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
‘नाना साहब की पुत्री देवी मैना को भस्म कर दिया गया’ पाठ की लेखिका का क्या नाम है?
(A) चपला देवी
(B) महादेवी वर्मा
(C) हजारी प्रसाद द्विवेदी
(D) हरिशंकर परसाई
उत्तर-
(A) चपला देवी
प्रश्न 2.
नाना साहब का पूरा नाम क्या है?
(A) नाना साहब
(B) धुंधूपंत नाना साहब
(C) श्रीपंत नाना साहब
(D) पंत नाना साहब
उत्तर-
(B) धुंधूपंत नाना साहब
प्रश्न 3.
मैना किसकी पुत्री थी?
(A) मंगल पाण्डेय
(B) गंगाधर राव
(C) धुंधूपंत नाना साहब
(D) गजराजपंत
उत्तर-
(C) धुंधूपंत नाना साहब
प्रश्न 4.
कानपुर में भीषण हत्याकांड करने के बाद अंग्रेज़ों का सैनिक दल किस ओर गया था?
(A) बिठूर की ओर
(B) झाँसी की ओर
(C) लखनऊ की ओर
(D) बनारस की ओर
उत्तर-
(A) बिठूर की ओर
प्रश्न 5.
अंग्रेज़ अधिकारियों को किसको बरामदे में खड़े देखकर हैरानी हुई थी?
(A) नाना साहब को
(B) मैना देवी को
(C) झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई को
(D) नाना साहब की पत्नी को
उत्तर-
(B) मैना देवी को
प्रश्न 6.
मैना ने अंग्रेज़ी अधिकारी से क्या करने के लिए कहा था?
(A) उसे रिहा करने को
(B) सेना को वापस ले जाने को
(C) महल पर गोले न बरसाने को
(D) उसकी रक्षा करने को
उत्तर-
(C) महल पर गोले न बरसाने को
प्रश्न 7.
मैना ने अंग्रेज़ अधिकारी से क्या प्रश्न किया था?
(A) क्या आप कृपा कर इस महल की रक्षा करेंगे
(B) क्या आप कृपा कर मेरी रक्षा करेंगे.
(C) क्या आप भारत छोड़कर नहीं जाएंगे।
(D) क्या तुम्हें निरीह प्राणियों पर दया आती है
उत्तर-
(A) क्या आप कृपा कर इस महल की रक्षा करेंगे
प्रश्न 8.
“कर्त्तव्य के अनुरोध से मुझे यह मकान गिराना ही होगा।”-ये शब्द किसने कहे थे?
(A) अउटरम ने
(B) सेनापति ‘हे’ ने
(C) लार्ड केनिंग ने
(D) सेनापति टोमस ने
उत्तर-
(B) सेनापति ‘हे’ ने
प्रश्न 9.
“नाना का स्मृति-चिह्न तक मिटा दिया जाए।”-ये शब्द किसने कहे थे?
(A) लॉर्ड केनिंग ने
(B) सेनापति ‘हे’ ने
(C) लंडन के मंत्रीमंडल ने
(D) सेनाध्यक्ष अउटरम ने
उत्तर-
(C) लंडन के मंत्रीमंडल ने
प्रश्न 10.
उस समय लंडन का प्रसिद्ध अखबार कौन-सा था?
(A) नेशनल हेराल्ड
(B) टॉइम्स
(C) टॉइम्ज इंडिया
(D) हिन्दुस्तान टाइम्स
उत्तर-
(B) टाइम्स
प्रश्न 11.
“नाना की जिस कन्या के प्रति ‘हे’ ने दया दिखाई है, उसे उन्हीं के सामने फाँसी पर लटका देना चाहिए।” ये शब्द किसने कहे हैं?
(A) लंडन की महारानी ने
(B) लॉर्ड केनिंग ने
(C) हाउस ऑफ लार्ड्स ने
(D) भारतमंत्री ने
उत्तर-
(C) हाउस ऑफ लार्ड्स ने
प्रश्न 12.
नाना के भग्नावशिष्ट प्रासाद के ढेर पर बैठकर कौन रो रहा था?
(A) नाना साहब का बेटा
(B) नाना साहब की पत्नी
(C) नाना साहब का भाई
(D) नाना साहब की बेटी मैना
उत्तर-
(D) नाना साहब की बेटी मैना
प्रश्न 13.
मैना ने जनरल अउटरम के सामने अपनी कौन सी अंतिम इच्छा व्यक्त की थी?
(A) जी भरकर रोने की
(B) जी भरकर सोने की
(C) जी भरकर अपने नष्ट हुए महल को देखने की
(D) कुछ समय के लिए प्रार्थना करने की
उत्तर-
(A) जी भरकर रोने की
प्रश्न 14.
मैना की मृत्यु का समाचार किस अखबार में प्रकाशित हुआ था?
(A) मिलाप
(B) भारत मित्र
(C) बाखर
(D) टाइम्स
उत्तर-
(C) बाखर
प्रश्न 15.
लोगों ने जलती हुई मैना को देखकर उसे क्या समझकर प्रणाम किया था?
(A) देवी
(B) वीर पुत्री
(C) देशभक्त
(D) निडर भारतीय नारी
उत्तर-
(A) देवी
प्रश्न 16.
प्रस्तुत पाठ में नाना साहब के चरित्र की किस विशेषता को उजागर किया गया है?
(A) महान् योद्धा थे
(B) महान् देशभक्त थे
(C) महान् शासक थे
(D) महान् दानी थे
उत्तर-
(B) महान् देशभक्त थे
नाना साहब की पुत्री देवी मैना को भस्म कर दिया गया प्रमुख गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या/भाव ग्रहण
1. सन 1857 ई० के विद्रोही नेता धुंधूपंत नाना साहब कानपुर में असफल होने पर जब भागने लगे, तो वे जल्दी में अपनी पुत्री मैना को साथ न ले जा सके। देवी मैना बिठूर में पिता के महल में रहती थी; पर विद्रोह दमन करने के बाद अंगरेज़ों ने बड़ी ही क्रूरता से उस निरीह और निरपराध देवी को अग्नि में भस्म कर दिया। उसका रोमांचकारी वर्णन पाषाण हृदय को भी एक बार द्रवीभूत कर देता है। [पृष्ठ 51]
शब्दार्थ-विद्रोही = क्रांतिकारी। दमन = समाप्त। क्रूरता = निर्दयता। निरीह = बेसहारा। निरपराध = बेकसूर। रोमांचकारी = रोंगटे खड़े कर देने वाला। पाषाण = पत्थर। द्रवीभूत = भावुक होना, पिघला देना।।
प्रसंग-प्रस्तुत गद्यावतरण हिंदी की पाठ्यपुस्तक ‘क्षितिज’ भाग 1 में संकलित ‘नाना साहब की पुत्री देवी मैना को भस्म कर दिया गया’ नामक पाठ से उद्धृत है। इसकी लेखिका चपला देवी हैं। यह पाठ वस्तुतः एक रिपोर्ट है। इसमें देवी मैना के बलिदान का रोमांचकारी उल्लेख किया गया है। इन पंक्तियों में नाना साहब की विवशता और देवी मैना के बलिदान का एक साथ उल्लेख किया गया है।
व्याख्या/भाव ग्रहण-लेखिका ने बताया है कि सन 1857 में हुए प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में नाना साहब का महान योगदान था। वे अनेक मोर्चों पर लड़े थे। वे कानपुर की लड़ाई में असफल होने पर जब भागने लगे तो उनके पास इतना समय नहीं था कि वे अपनी पुत्री को महल से अपने साथ ले आते। देवी मैना बिठूर में अपने पिता के महल में रहती थी। अंग्रेजों ने कानपुर में क्रांति को दबाने के पश्चात बड़ी निर्दयतापूर्ण उस बेसहारा और बेकसूर देवी को आग में जलाकर भस्म कर दिया था। वह दृश्य ऐसा दर्दनाक था कि उसका वर्णन मात्र ही पत्थर हृदय वाले व्यक्तियों को भावुक बना देता है। उनके हृदय पिघल जाते हैं। कहने का भाव है कि देवी मैना को अत्यंत क्रूरतापूर्वक जलाया गया था।
विशेष-
- देवी मैना के महान बलिदान का उल्लेख अत्यंत भावनात्मकतापूर्ण शैली में किया गया है।
- लेखिका की देश-भक्ति और देवी मैना के प्रति श्रद्धा-भावना का बोध होता है।
- भाषा-शैली एक साधारण रिपोर्ताज जैसी है। – उपर्युक्त गद्यांश पर आधारित अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर
प्रश्न-
(1) मैना बिठूर के महल में कैसे रह गई ?
(2) मैना को जीवित जला डालने की सजा क्यों दी गई थी ?
(3) निरीह और निरपराध किसे और क्यों कहा गया है ?
(4) “उसका रोमांचकारी वर्णन पाषाण हृदय को भी एक बार द्रवीभूत कर देता है।” वाक्य का आशय स्पष्ट करें।
उत्तर-
(1) जब नाना साहब कानपुर में रहकर स्वतंत्रता संग्राम का संचालन कर रहे थे तब उनकी बेटी मैना बिठूर के राजमहल में रह रही थी। नाना साहब कानपुर में असफल होने पर जब भागने लगे, तो वे जल्दी में अपनी पुत्री मैना को साथ न ले जा सके। इस कारण वह बिठूर के महल में रह गई।
(2) मैना का कसूर बस इतना था कि वह स्वतंत्रता सेनानी नाना साहब की बेटी थी। नाना साहब से बदला लेने के लिए उनकी बेटी मैना को जीवित ही आग में जला दिया गया था। यह अंग्रेज़ों का अमानवीय एवं नीच कर्म था।
(3) निरीह और निरपराध मैना को कहा गया है। उसे निरीह इसलिए कहा गया है कि वह महल में अकेली रह गई थी। निरपराध उसे इसलिए कहा गया है कि उसने कभी किसी को पीड़ा तक नहीं पहुँचाई थी। न ही किसी को उससे किसी प्रकार का भय था।
(4) इस वाक्य के माध्यम से लेखक ने बताया है कि नाना साहब की शत्रुता का बदला उसकी मासूम बेटी को जीवित आग में भस्म करके लेना अंग्रेज़ों की कायरता का सबसे बड़ा प्रमाण है।
2. आपके विरुद्ध जिन्होंने शस्त्र उठाए थे, वे दोषी हैं; पर इस जड़ पदार्थ मकान ने आपका क्या अपराध किया है ? मेरा उद्देश्य इतना ही है, कि यह स्थान मुझे बहुत प्रिय है, इसी से मैं प्रार्थना करती हूँ, कि इस मकान की रक्षा कीजिये। [पृष्ठ 52]
शब्दार्थ-विरुद्ध = खिलाफ। दोषी = कसूरवार। जड़ पदार्थ = निर्जीव। अपराध = कसूर।
प्रसंग-प्रस्तुत गद्यांश हिंदी की पाठ्यपुस्तक ‘क्षितिज’ भाग 1 में संकलित ‘नाना साहब की पुत्री देवी मैना को भस्म कर दिया गया’ शीर्षक पाठ से उद्धृत है। इसकी लेखिका चपला देवी हैं। इस पाठ में देवी मैना की अंग्रेज़ सेनाधिकारी जनरल अउटरम द्वारा निर्ममतापूर्ण हत्या का वर्णन किया गया है। इन पंक्तियों में देवी मैना के अपने महल के प्रति स्वाभाविक स्नेह को अभिव्यक्त किया गया है।
व्याख्या/भाव ग्रहण-जब अंग्रेज सेनाधिकारी सर टामस ‘हे’ नाना साहब के बिठूर वाले महल को तोपों के गोलों से नष्ट करने वाले थे, तभी देवी मैना महल के बरामदे में आकर उनसे कहती है कि मैं मानती हूँ कि जिन लोगों ने अंग्रेज़ शासन के विरुद्ध शस्त्र उठाए थे अर्थात युद्ध किया वे कसूरवार हैं, आपके अपराधी हैं, किंतु इस जड़ पदार्थ मकान ने कौन-सा अपराध किया है जो आप इसे नष्ट करने पर तुले हुए हो। मेरी तो आपसे इतनी-सी प्रार्थना है कि आप इस मकान की रक्षा कीजिए। मेरे कहने का उद्देश्य यह है कि मुझे यह स्थान बहुत प्रिय है। इसलिए आप इसे नष्ट न करें।
विशेष-
- देवी मैना का अपने पैतृक मकान के प्रति स्वाभाविक लगाव का वर्णन किया गया है।
- देवी मैना की तर्कशीलता देखते ही बनती है।
- भाषा-शैली भावानुकूल एवं प्रभावशाली है।
उपर्युक्त गद्यांश पर आधारित अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर
प्रश्न-
(1) ये शब्द किसने किससे कहे हैं ?
(2) प्रस्तुत पंक्तियों में मैना की किस भावना का बोध होता है ?
(3) अंग्रेजों द्वारा महल को गिराना उनकी किस भावना को उजागर करता है ?
(4) नाना साहब का यह महल कहाँ स्थित था ?
उत्तर-
(1) ये शब्द नाना साहब की बेटी मैना द्वारा अंग्रेज़ सेनापति ‘हे’ को कहे गए हैं।
(2) इन पंक्तियों में मैना की महल के प्रति स्नेह भावना एवं तर्कशीलता का पता चलता है।
(3) अंग्रेज़ों द्वारा नाना साहब के महल को गिराना उनकी क्रूरता एवं बदले की भावना को दर्शाता है।
(4) नाना साहब का यह महल बिठूर में स्थित था।
3. बड़े दुःख का विषय है, कि भारत सरकार आज तक उस दुर्दात नाना साहब को नहीं पकड़ सकी, जिस पर समस्त अंगरेज़ जाति का भीषण क्रोध है। जब तक हम लोगों के शरीर में रक्त रहेगा, तब तक कानपुर में अंगरेज़ों के हत्याकांड का बदला लेना हम लोग न भूलेंगे। [पृष्ठ 54]
शब्दार्थ-दुर्वांत = निडर। भीषण = भयंकर। हत्याकांड = किसी को मारने की घटना।
प्रसंग-प्रस्तुत गद्यांश हिंदी की पाठ्यपुस्तक ‘क्षितिज’ भाग 1 में संकलित ‘नाना साहब की पुत्री देवी मैना को भस्म कर दिया गया’ नामक पाठ से उद्धृत है। इसमें लेखिका चपला देवी ने देवी मैना के महान बलिदान और नाना साहब के अंग्रेज़ सत्ता पर छाए आतंक को चित्रित किया है। ये पंक्तियाँ तत्कालीन इंग्लैंड के प्रसिद्ध समाचार पत्र ‘टाइम्स’ में प्रकाशित हुई थीं। इन पंक्तियों में अंग्रेज़ जाति के नाना साहब पर किए गए क्रोध को दर्शाया गया है।
व्याख्या/भाव ग्रहण-कानपुर में अंग्रेज़ सेना और भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों में संघर्ष हुआ था। उसमें भारतीय सेनाएँ हार गई थीं और विद्रोह को दबा दिया गया था, किंतु इसकी कीमत अंग्रेज़ों को बहुत महँगी पड़ी थी। उसमें उनके स्त्री, पुरुष और बच्चे भी मारे गए थे। इसलिए अंग्रेज़ नाना साहब को अपना सबसे बड़ा शत्रु मानने लगे थे। तत्कालीन भारत में अंग्रेज़ी सरकार नाना साहब को पकड़ नहीं सकी थी। इसलिए समाचार-पत्र में उनके ये विचार प्रकाशित हुए थे कि बड़े दुःख का विषय है कि भारत सरकार आज तक दुर्दात नाना साहब को पकड़ नहीं सकी, जिस पर समस्त अंग्रेज़ जाति का भयंकर क्रोध व्यक्त हो रहा था। उनका कहना था कि जब तक लोगों के शरीर में रक्त का प्रवाह रहेगा, तब तक कानपुर में हुए अंग्रेज़ों के हत्याकांड का बदला लेना हम लोग नहीं भूलेंगे।
विशेष-
- नाना साहब की देशभक्ति और बहादुरी का उल्लेख किया गया है। नाना साहब अंग्रेजों की आँख का काँटा बन गया था।
- भाषा सरल, सहज एवं स्वाभाविक है।
उपर्युक्त गद्यांश पर आधारित अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर
प्रश्न-
(1) अंग्रेज़ जाति नाना साहब को दुर्दात क्यों मानती थी ?
(2) ये शब्द किसने और क्यों कहे थे ?
(3) इन पंक्तियों से अंग्रेजों की किस विशेषता का पता चलता है ?
(4) इन पंक्तियों में नाना साहब के जीवन की किस विशेषता का परिचय मिलता है ?
उत्तर-
(1) सन 1857 के संग्राम में कानपुर में अंग्रेज़ नर-नारियों की क्रूर हत्या की गई थी। इस हत्याकांड के लिए अंग्रेज़ लोग क्रांतिकारियों को दोषी मानते थे। अंग्रेज़ नाना साहब को क्रांतिकारियों का नेता समझते थे। इस हत्याकांड के लिए अंग्रेज़ नाना साहब को ही दोषी मानते थे। इसलिए वे उसे दुर्दीत अर्थात अत्याचारी कहते थे।
(2) ये शब्द ‘हाउस ऑफ़ लार्डस’ के सदस्यों द्वारा कहे गए थे जिन्हें तत्कालीन प्रमुख समाचार-पत्र ‘टाइम्स’ में प्रकाशित किया गया था।
(3) इन पंक्तियों से अंग्रेज़ जाति में बदले की भावना का पता चलता है। बदला लेने के लिए वे किसी भी सीमा तक जा सकते हैं।
(4) इन पंक्तियों से पता चलता है कि नाना साहब एक महान देशभक्त थे। वे देश को स्वतंत्र करवाना चाहते थे। शत्रु भी उनके नाम से डरता था।
5. “कल कानपुर के किले में एक भीषण हत्याकांड हो गया। नाना साहब की एकमात्र कन्या मैना धधकती हुई आग में जलाकर भस्म कर दी गई। भीषण अग्नि में शान्त और सरल मूर्ति उस अनुपमा बालिका को जलती देख, सबने उसे देवी समझ कर प्रणाम किया।” [पृष्ठ 55]
शब्दार्थ-भीषण = भयंकर। हत्याकांड = हत्या का घृणित कार्य। अनुपमा = जिसकी कोई उपमा न हो।
प्रसंग-प्रस्तुत गद्य-पंक्तियाँ हिंदी की पाठ्यपुस्तक ‘क्षितिज’ भाग 1 में संकलित चपला देवी द्वारा रचित ‘नाना साहब की पुत्री देवी मैना को भस्म कर दिया गया’ शीर्षक पाठ से उद्धृत हैं। इस पाठ में देवी मैना के देश-प्रेम और महान बलिदान का उल्लेख किया गया है। ये पंक्तियाँ महाराष्ट्र के सुप्रसिद्ध इतिहासकार महादेव चिटनवीस द्वारा प्रकाशित ‘बाखर’ नामक समाचार पत्र में प्रकाशित हुई थीं जिन्हें लेखिका ने उद्धृत किया है।
व्याख्या/भाव ग्रहण-श्री महादेव चिटनवीस ने लिखा है कि कल कानपुर के किले में एक भयंकर हत्याकांड हो गया अर्थात अग्नि में जलाकर मार देने की घटना घटित हुई। नाना साहब की एकमात्र कन्या मैना को धधकती हुई आग में जलाकर राख कर डाला। भीषण आग में बिना चिल्लाए शांत और सरल मूर्ति उस अत्यंत सुंदर बालिका को आग में जलते हुए देखकर सबने उसे देवी मानकर श्रद्धा भाव से प्रणाम किया। कहने का तात्पर्य है कि निरपराध बालिका को जीते जी आग में जलाने जैसा अमानवीय कार्य करना अंग्रेज़ जाति की संकीर्ण मनोवृत्ति को दर्शाता है।
विशेष-
- इस समाचार के माध्यम से देवी मैना के महान बलिदान का वर्णन किया गया है, साथ ही अंग्रेज़ शासन की क्रूरता को भी अभिव्यंजित किया गया है।
- भाषा-शैली भावों को अभिव्यंजित करने में पूर्णतः सक्षम है।
उपर्युक्त गद्यांश पर आधारित अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर
प्रश्न-
(1) प्रस्तुत पंक्तियाँ किस समाचार-पत्र में प्रकाशित हुई थीं ?
(2) मैना को किस प्रकार मार डाला गया था ?
(3) कानपुरवासियों ने किसे देवी समझकर प्रणाम किया था ?
(4) इस गद्यांश के आधार पर अंग्रेज़ों की क्रूरता का उल्लेख कीजिए।
उत्तर-
(1) प्रस्तुत पंक्तियाँ महादेव चिटनवीस के समाचार-पत्र ‘बाखर’ में प्रकाशित हुई थीं।
(2) मैना को धधकती हुई आग में जलाकर भस्म कर दिया गया था। इस प्रकार उसकी निर्ममतापूर्ण हत्या की गई थी।
(3) कानपुरवासियों ने नाना साहब की पुत्री मैना को धधकती हुई आग में भस्म होते हुए देखा। उन्होंने उस बालिका को देवी समझकर प्रणाम किया था।
(4) इस गद्यांश से पता चलता है कि अंग्रेज़ अत्यंत क्रूर एवं निर्दयी हैं। उन्होंने एक भोली-भाली बालिका मैना को धधकती हुई आग में भस्म कर डाला। उसका इतना-सा दोष था कि वह नाना साहब की बेटी थी। इससे यह भी पता चलता है कि अंग्रेज़ बदले की भावना से भी ग्रस्त थे।
नाना साहब की पुत्री देवी मैना को भस्म कर दिया गया Summary in Hindi
नाना साहब की पुत्री देवी मैना को भस्म कर दिया गया लेखक-परिचय
प्रश्न-
चपला देवी का संक्षिप्त जीवन-परिचय देते हुए उनके साहित्य की प्रमुख विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
अथवा
चपला देवी का संक्षिप्त साहित्यिक परिचय दीजिए।
उत्तर-
चपला देवी द्विवेदी युग की लेखिका थीं। उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व के विषय में कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है। इतना अवश्य है कि स्वतंत्रता आंदोलन के समय पुरुष लेखकों व साहित्यकारों के साथ-साथ अनेक महिलाओं ने भी अपनी-अपनी साहित्यिक रचनाओं व अन्य लेखों से स्वतंत्रता आंदोलन को गति प्रदान की थी। उन्हीं महिला लेखिकाओं में से चपला देवी भी एक हैं। कई बार अनेक साहित्यकार इतिहास में स्थान नहीं पा सकते। चपला देवी भी उन्हीं साहित्यकारों में से एक हैं।
यह एक ऐतिहासिक सच्चाई है कि सन 1857 की क्रांति के विद्रोही नेता धुंधूपंत नाना साहब ने देश को आजाद करवाने में अपना सब कुछ दाँव पर लगा दिया था। बालिका मैना देवी नाना साहब की पुत्री थी जिसे क्रूर अंग्रेज़ों ने जिंदा जला दिया था। उस बालिका मैना देवी के महान बलिदान की कहानी को चपला देवी ने इस गद्य रचना में अभिव्यक्त किया है। यह गद्य रचना रिपोर्ताज का आरंभिक रूप है।
प्रस्तुत रचना को पढ़कर पता चलता है कि लेखिका चपला देवी ने इसमें अत्यंत सरल, सहज एवं व्यावहारिक भाषा का प्रयोग किया है। वाक्य-रचना कुछ स्थलों को छोड़कर व्याकरण की दृष्टि से सही है। तद्भव शब्दावली का सुंदर एवं सार्थक प्रयोग किया गया है। भावात्मक शैली का प्रयोग किया गया है। रिपोर्ताज में बालिका के बलिदान का चित्र सजीव हो उठता है। यही इस पाठ की सबसे बड़ी विशेषता है।
नाना साहब की पुत्री देवी मैना को भस्म कर दिया गया पाठ-सार/गद्य-परिचय
प्रश्न-
‘नाना साहब की पुत्री देवी मैना को भस्म कर दिया गया’ शीर्षक पाठ का सार/गद्य-परिचय अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर-
मातृभूमि को स्वतंत्र करवाने के लिए जिन देशभक्तों ने अपने प्राणों की आहति दी थी, उनमें देवी मैना का नाम भी सदा आदर से लिया जाएगा। प्रस्तुत पाठ को पाठ्यपुस्तक में रखने का प्रमुख लक्ष्य नई पीढ़ी के लोगों को देश को स्वतंत्र करवाने वाले बलिदानियों के विषय में जानकारी देना है। सन 1857 में जब नाना साहब कानपुर में भीषण नरसंहार में असफल होकर वहाँ से निकलने लगे तो अपनी बेटी मैना को साथ न ला सके। देवी मैना बिठूर में अपने पिता के महल में रहती थी। विद्रोह के दमन के पश्चात अंग्रेज़ सैनिक अधिकारियों ने निरीह एवं निरपराध देवी को जीवित ही आग में जला डाला। उस दृश्य को देखकर तो कठोर दिल वालों का भी हृदय पिघल गया होगा।
कानपुर पर कब्जा करने के पश्चात अंग्रेज़ सेना बिठूर के महल की ओर बढ़ी। वहाँ उन्होंने महल को लूटा, किंतु वहाँ उनके हाथ बहुत कम संपत्ति लगी। बाद में उस महल पर तोपों के गोले दागकर नष्ट करने की योजना बनाई गई। तब महल के बरामदे में एक सुंदर बालिका आकर खड़ी हो गई। उसने अंग्रेज़ सेना अधिकारी को गोले बरसाने से मना कर दिया और तर्क देते हुए कहा कि महल तो जड़ है। उसने किसी का क्या बिगाड़ा है। उसने अंग्रेज सेनापति ‘हे’ से महल की रक्षा करने के लिए कहा। किंतु सेनापति ने अपने कर्त्तव्य की दुहाई देते हुए अपनी असमर्थता व्यक्त की। देवी मैना ने एक अन्य तर्क देते हुए कहा कि उसकी बेटी ‘मेरी’, जो अब इस दुनिया में नहीं रही और उसमें बहत प्रेम था, उसका एक पत्र भी उसके पास है। यह सुनकर सेनापति का हृदय पसीज गया तथा उसने देवी मैना को पहचान भी लिया। उसने उसकी रक्षा के प्रयास करने का वचन भी दिया। किंतु उसी समय वहाँ प्रधान सेनापति जनरल अउटरम आ पहँचा। उसने बिगड़कर पूछा कि अभी तक महल क्यों नहीं उड़ाया गया। सेनापति ‘हे’ ने उससे महल को न उड़ाने का अनुरोध किया। किंतु जनरल अउटरम ने कहा कि नाना के वंश व महल पर दया दिखाना असंभव है। तभी उसने सेना को महल का द्वार तोड़कर अंदर घुसने के लिए आदेश दिया। ‘हे’ के चले जाने के बाद मैना छुप गई। सैनिक प्रयास करने पर भी उसे ढूँढ न सके। उसी समय लंडन के मंत्रिमंडल का तार भी आ गया कि वहाँ (लंडन की) की आज्ञा के विरुद्ध वे कुछ नहीं कर सकते। तभी तोपों के गोलों ने देखते-ही-देखते महल को मलबे के ढेर में बदल डाला, किंतु मैना का कहीं पता न चल सका।
उस समय लंडन के सुप्रसिद्ध समाचार पत्र ‘टाइम्स’ में 6 सितंबर, 1857 को एक लेख में लिखा गया था कि अत्यंत खेद का विषय है कि नाना साहब को आज तक भारत सरकार नहीं पकड़ सकी। संपूर्ण अंग्रेज़ जाति का उस पर भयंकर क्रोध है। वे उससे बदला लेना नहीं भूलेंगे। उस दिन पार्लमेंट की ‘हाउस ऑफ लार्ड्स’ की सभा में सर टामस ‘हे’ की उस रिपोर्ट का मज़ाक उड़ाया गया जिसमें उसने नाना की बेटी को क्षमा करने के लिए कहा था। इस रिपोर्ट को उन्होंने ‘हे’ का प्रेमालाप कहकर उसे अस्वीकार कर दिया।
सन 1857 की सितंबर मास की आधी रात के समय चाँदनी में एक बालिका स्वच्छ वस्त्र पहने हुए नाना साहब के महल के मलबे के ढेर पर बैठी हुई रो रही थी। उसकी रोने की आवाज सुनकर अंग्रेज़ सैनिक वहाँ आ गए। वह उनके किसी प्रश्न का उत्तर न देकर केवल रोती रही। उसी समय जनरल अउटरम भी वहाँ आ गया और उसने मैना को पहचान लिया तथा उसे गिरफ्तार कर लिया। वह सैनिकों के बीच घिरी हुई होने पर भी डरी नहीं। उसने इतना ही कहा कि मुझे जी भरकर रो लेने दीजिए। किसी ने उसकी नहीं सुनी और उसे कानपुर के किले में लाकर कैद कर दिया। उस समय के महान महाराष्ट्रीय इतिहासकार महादेव चिटनवीस के ‘बाखर’ नामक समाचार पत्र में छपा था, “कल कानपुर के किले में एक भीषण हत्याकांड हो गया। नाना साहब की एकमात्र कन्या मैना धधकती हुई आग में जलाकर भस्म कर दी गई। भीषण अग्नि में शांत और सरल मूर्ति उस अनुपमा बालिका को जलती देख, सबने उसे देवी समझकर प्रणाम किया।”
कठिन शब्दों के अर्थ –
[पृष्ठ-51] : विद्रोही = क्रांतिकारी। दमन करना = समाप्त करना। निरीह = बेसहारा। निरपराध = बेकसूर। अग्नि = आग। भस्म करना = जलाकर राख कर देना। पाषाण हृदय = पत्थर दिल, कठोर दिल। द्रवीभूत करना = पिघला देना। आश्चर्य = हैरानी। करुणापूर्ण = दयापूर्ण। अल्पवयस = कम उम्र।
[पृष्ठ 52] : उद्देश्य = लक्ष्य । वासस्थान = रहने का स्थान। विध्वंस = नष्ट। हृदय से चाहना = अत्यधिक प्रेम करना। होश उड़ना = अत्यधिक हैरान होना। सहचरी = सखी, सहेली। फिक्र = चिंता, सोच।
[पृष्ठ-53] : असंभव = जो हो न सके। फाटक = मुख्य द्वार। आशय = भाव, अर्थ। स्मृति-चिह्न = याद की पहचान। आज्ञा = आदेश। विरुद्ध = विपरीत। क्रूर = निर्दयी। मिट्टी में मिला देना = नाश कर देना।
[पृष्ठ-54-55] : भारत सरकार = उस समय के भारत में अंग्रेज़ी शासन को भारत सरकार कहा गया है। दुर्दीत = निडर। भीषण = भयंकर। कलंक = दोष । संहार करना = मार देना। वृद्धावस्था = बुढ़ापा। मोहित होना = आकृष्ट होना। प्रेमालाप = प्रेम की बातें। भग्नावशिष्ट = खंडहर। प्रासाद = महल। कराल = भयंकर। रूपधारी = रूप धारण करने वाला। कैद कर देना = बंदी बना देना। इतिहासवेत्ता = इतिहास को जानने वाला। हत्याकांड = किसी को मारने की घटना। अनुपमा = जिसकी कोई उपमा न हो।