HBSE 8th Class Hindi Vyakaran शब्द-निर्माण

Haryana State Board HBSE 8th Class Hindi Solutions Hindi Vyakaran Shabd-Nirman शब्द-निर्माण Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 8th Class Hindi Vyakaran शब्द-निर्माण

हम जान चुके हैं कि मूल शब्दों से कुछ शब्दांशों या शब्दों को जोड़कर नए शब्दों का निर्माण किया जाता है। यह शब्द निर्माण तीन प्रकार से होता है
1. उपसर्ग (Prefix)
2. प्रत्यय द्वारा (Suffix)
3. समास द्वारा (Compound)

1. उपसर्ग (Prefix) :
वे लघुतम शब्दांश हैं जो शब्द के प्रारंभ में लगकर नए शब्दों का निर्माण करते हैं। जैसे-
अ + धर्म = अधर्म
बे + ईमान = बेईमान
क + पूत = कपूत
सु + पुत्र = सुपुत्र।

हिन्दी में तीन प्रकार के उपसर्ग हैं :
(क) तत्सम उपसर्ग
(ख) तद्भव उपसर्ग
(ग) आगत उपसर्ग

HBSE 8th Class Hindi Vyakaran शब्द-निर्माण

(क) तत्सम उपसर्ग : ये उपसर्ग संस्कृत से आए हैं और तत्सम शब्दों में ही लगते हैं। नीचे कुछ प्रचलित तत्सम उदाहरण सहित दिए जा रहे हैं:

उपसर्गअर्थउदाहरण
अधि-ऊपर, श्रेष्ठअधिनायक, अधिवक्ता, अधिपति।
अनु-पीछे, समानअनुभव, अनुकरण, अनुवाद, अनुमान।
अप-बुरा, हीनअपयश, अपमान, अपशब्द।
आ-तक, पर्यंतआजीवन, आमरण, आदान।
उत्-श्रेष्ठ, ऊपरउत्थान, उद्गम, उद्योग, उत्कर्ष।
दुर/दुस-बुरा, कठिनदुस्साहस, दुर्भाग्य, दुर्गुण, दुस्साध्य, दुष्कर।
निर/निस्-नहीं, रहितनिष्काम, निस्संदेह, निर्दोष, निर्जीव, निर्विकार, नीरोग, नीरव।
प्र-अधिक, आगेप्रसिद्ध, प्रयोग, प्रचार, प्रबंध, प्रस्थान।
वि-विदेशविशिष्ट, विदेश, विज्ञान, विक्रय, वियोग।
सम्-समान, संयोगसम्मान, सम्पत्ति, संभव, सम्मेलन, संयम।
सु-अच्छा, श्रेष्ठसुबोध, सुगम, सुपुत्र, स्वागत।
अ/अन्-अभावअभाव, अज्ञान, अधर्म, अनादि, अनुचित, अनधिकार।
कु-बुराकुपुत्र, कुकर्म, कुरूप, कुयोग, कुमति।

(ख) तद्भव उपसर्ग : हिंदी के अपने कुछ उपसर्ग विकसित हुए हैं। हिंदी के अधिकांश तद्भव उपसर्ग संस्कृत के तत्सम उपसा से ही विकसित हुए हैं :

उपसर्गअर्थउदाहरण
अ/अननिषेध, नहींअछूत, अनपढ़, अनहोनी।
निबुरा, कमनिडर, निहत्था।
दुबुरा, कपदुबला, दुसाध्या

(ग) आगत उपसर्ग : विदेशी भाषाओं के शब्दों के आने के साथ-साथ विदेशी भाषाओं के कुछ उपसर्ग भी हिंदी में आ गए हैं। हिंदी में आगत उपसर्ग मुख्यतः अरबी-फारसी के हैं।

उपसर्गअर्थउदाहरण
ब-से, के साथबखूबी, बदौलत, बनाम।
बा-के साथबाअदब, बाकायदा।
बे-बिनाबेअदब, बेवफ़ा।
बद-बुराबदसूरत, बदतमीज़, बदन।
ला-नहीं, अभावलापता, लाजवाब, लापरवाही।
हम-साथ-साथहमसफर, हमजोली, हमराह, हमदम।
सर-मुख्यसरपंच, सरहद।

2. प्रत्यय (Suffix) : प्रत्यय भाषा के वे लघुतम सार्थक खंड हैं जो शब्द के अंत में जुड़कर नए शब्दों का निर्माण करते हैं। प्रत्यय दो प्रकार के होते हैं :
(क) कृत प्रत्यय : क्रिया के मूल रूप (धातु) से जुड़ कर संज्ञा अथवा विशेषण बनाते हैं। कृत् प्रत्यय से बने शब्दों को कृदंत कहते हैं। उदाहरण :

प्रत्ययशब्द
हार-खेलनहार, होनहार।
ऐया-गवैया, खिवैया, पढ़या।
अक्कड़-भुलक्कड़, पियक्कड़, घुमक्कड़
ऊ-खाऊ, उड़ाऊ, स्टू।
दार-देनदार, लेनदार
आलू-झगड़ालू
इयल-सड़ियल, अड़ियल
नी-चटनी, संघनी, ओढ़नी
ई-हँसी, बोली
आई-पढ़ाई, भलाई

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(क) तद्धित प्रत्यय : जो प्रत्यय संज्ञा, विशेषण, सर्वनाम और अव्यय के बाद लगते हैं और संज्ञा तथा विशेषण शब्द बनाते हैं वे तद्धित प्रत्यय कहलाते हैं।
संज्ञा से संज्ञा :
-आर – सोना-सुनार, लोहा-लुहार।
-इया – डिब्बा-डिबिया, खाट-खाटिया, लठ-लठिया।
-ई – पहाड़-पहाड़ी, रस्सा-रस्सी, खेत-खेती।
-कार – कला-कलाकार, पत्र-पत्रकार, चित्र-चित्रकार, साहित्य-साहित्यकार।
-गर – जादू-जादूगर, बाजी-बाजीगर।
-दार – किराया-किराएदार, दुकान-दुकानदार।

विशेषण से संज्ञा :
-आस – मीठा-मिठास, खट्टा-खटास।
-आई – अच्छा-अच्छाई, बुरा-बुराई, भला-भलाई।
-आहट – कड़वा-कड़वाहट, गरम-गरमाहट।
-ई – अमीर-अमीरी, गरीब-गरीबी।
-ता/त्व – ला-लघुता, लघुत्व, प्रभु-प्रभुता, प्रभुत्व।
पा/काल – कालापन, बड़ा-बड़प्पन।
-पन मोटा – मोटापा, बूढा-बुढ़ापा।

संज्ञा से विशेषण :
-ई – गुलाब-गुलाबी, पंजाब-पंजाबी।
-ईला – रस-रसीला, चमक-चमकीला।
-ऊ – बाज़ार-बाज़ारू, पेट-पेटू, ढाल-ढालू।
-इक – धर्म-धार्मिक, समाज-सामाजिक, नीति-नैतिक।

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3. समास (Compound): जिस प्रकार किसी शब्द में प्रत्यय और/अथवा उपसर्ग लगाकर नए शब्द बनते हैं, उसी प्रकार दो या दो से अधिक शब्दों के मेल से भी नए शब्द बनते हैं। शब्द निर्माण की इस विधि को समास कहते हैं; जैसे :
विश्राम + गृह = विश्रामगृह – विश्राम के लिए गृह।
घोड़ा. + सवार = घुड़सवार – घोड़े पर सवार।

सामासिक शब्द में प्राय: दो पद होते हैं। पहले पद को पूर्वपद तथा दूसरे पद को उत्तरपद कहते हैं और समास प्रक्रिया से बने पद को समस्त पद कहते हैं। समस्त पद के दोनों पदों को अलग-अलग करने की प्रक्रिया को समास विग्रह कहते हैं; जैसे’गंगाजल’ समस्त पद में दो पद हैं ‘गंगा’ और ‘जल’। इसका विग्रह होगा ‘गंगा का जल’।

समास के भेद : समास के छह भेद होते हैं :
1. तत्पुरुष समास (Determinative Compound)
2. कर्मधारय समास (Appositional Compound)
3. द्विगु समास (Numeral Compound)
4. बहुव्रीहि समास (Attributive Compound)
5. वंद्व समास (Coupulative Compound)
6. अव्ययीभाव समास (Adverbial Compound)

1. तत्पुरुष समास : इस समास में उत्तरपद प्रधान होता है और पूर्वपद गौण होता है। तत्पुरुष समास की रचना में समस्त पदों के बीच में आने वाले परसों जैसे- का, से, पर आदि का लोप हो जाता है युद्ध क्षेत्र – युद्ध + क्षेत्र – युद्ध का क्षेत्र
राजकुमार – राज + कुमार – राजा का कुमार
रसोईघर – रसोई + घर – रसोई के लिए घर
इस्तलिखित – हस्त • लिखित – हस्त (हाथ) से लिखित
पुस्तकालय – पुस्तक + आलय – पुस्तक का आलय
ध्यानमग्न – ध्यान + मग्न – ध्यान में मग्न

2. कर्मधारय समास : कर्मधारय समास में पूर्वपद विशेषण तथा उत्तरपद विशेष्य होता है अथवा पूर्वपद और उत्तरपद में उपमेय-उपमान का संबंध होता है; जैसे-

(i)समस्तपदविशेषण + विशेष्यविग्रह
नीलकमलनील + कमलनीला कमल
कालीमिर्चकाली + मिर्चकाली मिर्च
पनचक्कीपानी + चक्कीपानी से चलने वाली चक्की
नीलगगननील + गगननीला गगन
महाराजामहान + राजामहान राजा
(ii)समस्तपदउपमेय + उपमानविग्रह
कमलनयननयन + कमलकमल के समान नयन
मुखचंद्रमुख + चंद्रचंद्र के समान मुख

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3. द्विगु समास : जिन समासों का पूर्वपद संख्यावाची शब्द हो, वहाँ द्विगु समास होता है। अर्थ की दृष्टि से यह समास प्रायः समूहवाची होता है। जैसे :
तिरंगा – तीन रंगों का समाहार
चौमासा – चौ (चार) मासों का समाहार

4. बहुब्रीहि समास : बहुव्रीहि समास में दोनों पद गौण होते हैं तथा ये दोनों मिलकर किसी अन्य पद के विषय में कुछ संकेत करते हैं। अन्य पद ही ‘प्रधान’ होता है; जैसे –

समस्त पदगौण पद + गौण पदविग्रहअन्य पद
पीतांबरपीत + अंबरपीला है अंबर (वस्त्र) जिसका= कृष्ण/विष्णु
दशाननदश + आननदस हैं आनन जिसके= रावण

5. वंदव समास : इस समास में दोनों ही पद प्रधान होते हैं तथा दोनों पदों को जोड़ने वाले समुच्चय बोधक अव्यय का लोप हो जाता है। जैसे:

समस्त पदविग्रह
भाई-बहनभाई और बहन
पाप-पुण्यपाप और पुण्य
सुख-दुखसुख और दुख
भला-बुराभला या बुरा

6. अव्ययीभाव समास : इस समास में पूर्वपद अव्यय होता है और समस्त पद भी अव्यय (क्रिया विशेषण) का काम करता है, जैसे-प्रतिदिन, यथाशक्ति। पुनरुक्त शब्दों में समास होने पर भी अव्ययीभाव समास होता है:
जैसे :
साफ-साफ, जल्दी-जल्दी, दिनॉदिन।

समस्त पदविग्रह
प्रत्येकप्रति-एक
आजन्मजन्म से लेकर
यथाशक्तिशक्ति के अनुसार
साफ-साफबिल्कुल स्पष्ट

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