Haryana State Board HBSE 6th Class Science Solutions Chapter 8 शरीर में गति Textbook Exercise Questions and Answers.
Haryana Board 6th Class Science Solutions Chapter 8 शरीर में गति
HBSE 6th Class Science शरीर में गति InText Questions and Answers
बूझो/पहेली
प्रश्न 1.
बुझो पौधों की गति को लेकर आश्चर्यचकित है। वह जानता है कि पौधे एक स्थान से दूसरे स्थान तक गति नहीं करते, परन्तु क्या वे किसी दूसरे प्रकार की गति प्रदर्शित करते हैं?
उत्तर:
हाँ, पौधे रोशनी की ओर झुकते हैं।
प्रश्न 2.
जन्तु एक स्थान से दूसरे स्थान तक कैसे गमन करते हैं?
उत्तर:
सारणी-एक स्थान से दूसरे स्थान तक जन्तुओं का गमन-
जन्तु | गमन में प्रयुक्त होने वाला भाग/अंग | जन्तु कैसे गमन करते हैं? |
(i) गाय | पैर पैर | चलकर |
(ii) मनुष्य | सम्पूर्ण शरीर | चलकर |
(iii) साँप | पंख | रेंगकर |
(iv) पक्षी | पंख | उड़कर |
(v) कीट | पंख/चप्रू | उड़कर |
(vi) मछली | पाद | तैरकर |
(vii) घोंघा | शूक | रेंगकर |
(viii) केंचुआ | गमन में प्रयुक्त होने वाला भाग/अंग | रेंगकर |
HBSE 6th Class Science शरीर में गति Textbook Questions and Answers
प्रश्न 1.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
(क) अस्थियों की संधियाँ शरीर को …………… में सहायता करती हैं।
(ख) अस्थियाँ एवं उपास्थि संयुक्त रूप से शरीर का …………… बनाते हैं।
(ग) कोहनी की अस्थियाँ …………… संधि द्वारा जुड़ी होती हैं।
(घ) गति करते समय …………… के संकुचन से अस्थियाँ खिंचती हैं।
उत्तर:
(क) गति करने
(ख) कंकाल
(ग) हिंज
(घ) पेशियों।
प्रश्न 2.
निम्न कथनों के आगे सत्य (T) तथा असत्य (F) को इंगित कीजिए
(क) सभी जन्तुओं की गति एवं चलन बिल्कुल एक समान होता है। ( )
(ख) उपास्थि अस्थि की अपेक्षा कठोर होती है।। ( )
(ग) अंगुलियों की अस्थियों में संधि नहीं होती। ( )
(घ) अग्रभुजा में दो अस्थियाँ होती हैं। (ङ) तिलचट्टों में बाह्य कंकाल पाया जाता है। ( )
उत्तर:
(क) असत्य
(ख) असत्य
(ग) असत्य
(घ) सत्य
(ङ) सत्य।
प्रश्न 3.
कॉलम 1 में दिए गए शब्दों का संबंध कालम 2 के एक अथवा अधिक कथन से जोड़िए
कॉलम – 1 | कॉलम – 2 |
ऊपरी जबड़ा | शरीर पर पंख होते हैं। |
मछली | बाह्य-कंकाल होता है। |
पसलियाँ | हवा में उड़ सकता है। |
घोघा | एक अचल संधि है। |
तिलचट्टा | हृदय की सुरक्षा करती है। |
बहुत धीमी गति से चलता है। | |
का शरीर धारा रेखीय होता है। |
उत्तर:
ऊपरी जबड़ा – एक अचल संधि है।
मछली – शरीर पर पंख होते हैं। इस का शरीर धारा रेखीय होता है।
पसलियाँ – हृदय की सुरक्षा करती हैं।
घोंघा – बहुत धीमी गति से चलता है।
तिलचट्टा – बाह्य कंकाल होता है, हवा में उड़ सकता है।
प्रश्न 4.
निम्न प्रश्नों के उत्तर दीजिए
(क) कंदुक-खल्लिका संधि क्या है?
(ख) कपाल की कौन-सी अस्थि गति करती है?
(ग) हमारी कोहनी पीछे की ओर क्यों नहीं मुड़ सकती?
उत्तर:
(क) एक अस्थि का गेंद वाला हिस्सा दूसरी अस्थि की कटोरी रूपी गुहिका में घुसा हुआ होता है। इस प्रकार की संधि सभी दिशाओं में गति प्रदान करती है।
(ख) निचला जबड़ा।
(ग) कोहनी पीछे की ओर नहीं मुड़ सकती क्योंकि इसमें हिन्ज संधि होती है जिसमें केवल आगे और पीछे एक ही दिशा में गति हो सकती है।
HBSE 6th Class Science शरीर में गति Important Questions and Answers
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
I. बहुविकल्पी प्रश्न : निम्नलिखित प्रश्नों में सही विकल्प का चयन कीजिए
1. संधियाँ जोड़ती हैं-
(क) हड्डियों को हड्डियों से
(ख) त्वचा को हड्डी से
(ग) पेशियों को
(घ) त्वचा से बालों को
उत्तर:
(क) हड्डियों को हड्डियों से
2. दरवाजे के कब्जे की भाँति कार्य करती है-
(क) कन्दुक खल्लिका संधि
(ख) धुराग्र संधि
(ग) हिन्ज संधि
(घ) अचल संधि
उत्तर:
(ग) हिन्ज संधि
3. ऊपरी जबड़े एवं कपाल के बीच संधि होती है-
(क) सचल संधि
(ख) अचल संधि
(ग) हिन्ज संधि
(घ) ये सभी
उत्तर:
(ख) अचल संधि
4. पसली पिंजर पाया जाता है, हमारे
(क) कपाल भाग में
(ख) वक्ष भाग में
(ग) उदर भाग में
(घ) श्रोणि भाग में
उत्तर:
(ख) वक्ष भाग में
II. रिक्त स्थान : निम्नलिखित वाक्यों में रिक्त स्थान भरिए
1. गर्दन तथा सिर को जोड़ने वाली संधि ………. है।
2. धुराग्र संधि में …………. एक छल्ले में घूमती है।
3. शरीर की समस्त अस्थियाँ मिलकर हमारा आंतरिक …………… बनाती है।
4. हमारे वक्ष भाग में लम्बी अस्थियों का शंकुरूपी बक्सा ……………कहलाता है।
उत्तर:
1. धुराग्र संधि,
2. बेलनाकार अस्थि
3. कंकाल
4. पसली पिंजर।
III. सुमेलन : कॉलम ‘A’ के शब्दों का मिलान कॉलम ‘B’ के शब्दों से कीजिए-
कॉलम ‘A | कॉलम ‘B’ |
1. मेरूदण्ड | (क) वक्षीय भाग में अस्थियों का बना बॉक्स |
2. पसली पिंजर | (ख) अस्थि जैसे नर्म अंग |
3. उपास्थि | (ग) संकुचन एवं शिथिलन करने वाली रचना |
4. पेशी | (घ) छोटी-छोटी अस्थियों से बनी संरचना |
उत्तर:
कॉलम ‘A | कॉलम ‘B’ |
1. मेरूदण्ड | (घ) छोटी-छोटी अस्थियों से बनी संरचना |
2. पसली पिंजर | (क) वक्षीय भाग में अस्थियों का बना बॉक्स |
3. उपास्थि | (ख) अस्थि जैसे नर्म अंग |
4. पेशी | (ग) संकुचन एवं शिथिलन करने वाली रचना |
IV. सत्य/असत्य : निम्नलिखित वाक्यों में सत्य एवं असत्य कथन छाँटिए
1. जांघ की अस्थि हमारे शरीर की सबसे लम्बी अस्थि होती
2. हमारी कोहनी में हिन्ज संधि होती है।
3. एक शिशु में मेरुदण्ड 33 कशेरुकाओं का बना होता है।
4. कपाल अस्थियों का बना होता है।
उत्तर:
1. सत्य
2. सत्य
3. सत्य
4. सत्य।
अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
जब आप अपनी नोटबुक पर लिखते हैं, तब आपके शरीर के कौन से भाग गति करते हैं?
उत्तर:
अंगुलियां, अंगूठा, कलाई, आँखें।
प्रश्न 2.
अपनी कोहनी के जोड़ पर पैमाना बाँधकर क्या आपकी कोहनी गति कर सकती है? (क्रियाकलाप)
उत्तर;
नहीं, हम कोहनी को नहीं मोड़ पाते हैं।
प्रश्न 3.
संधि किसे कहते हैं?
उत्तर:
शरीर के विभिन्न भागों को उसी स्थान से मोड़ अथवा घुमा सकते हैं, जहाँ पर दो हिस्से एक-दूसरे से जुड़े हो, उन स्थानों को सन्धि कहते हैं।
प्रश्न 4.
संधियाँ कितने प्रकार की होती है?
उत्तर:
संधियाँ दो प्रकार की होती हैं- चल संधि तथा अचल संधि।
प्रश्न 5.
कंधे और भुजा के बीच कौन-सी संधि पायी जाती है?
उत्तर:
कंदुक-खल्लिका संधि।
प्रश्न 6.
गर्दन तथा सिर को जोड़ने वाली संधि का नाम लिखिए।
उत्तर:
धुरान संधि।
प्रश्न 7.
कोहनी में हिंज जोड़ होता है। क्या आप ऐसे जोड़ों के अन्य दो उदाहरण दे सकते हैं?
उत्तर:
घुटने की संधि, उँगलियों की संधि।
प्रश्न 8.
हिंज संधि की गति कन्दुक-खल्लिका संधि से किस प्रकार भिन्न है? (क्रियाकलाप)
उत्तर;
हिंज संधि में केवल दो दिशाओं में गति होती है, जबकि कन्दुक खल्लिका संधि में विभिन्न दिशाओं में गति होती है।
प्रश्न 9.
अचल संधि किसे कहते हैं? ये कहाँ पायी जाती हैं?
उत्तर:
जब संधि वाली अस्थियाँ हिल नहीं सकती तो ऐसी संधि अचल संधि कहलाती है। जैसे-खोपड़ी की संधियाँ।
प्रश्न 10.
अचल संधि का उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
ऊपरी जबड़े तथा कपाल की संधि।
प्रश्न 11.
ऊपरी जबड़े एवं कपाल के बीच कौन-सी संधि होती?
उत्तर:
अचल संधि होती है।
प्रश्न 12.
हमें शरीर की अस्थियों का कैसे पता चलता है?
उत्तर:
एक्स-रे द्वारा हमें शरीर की अस्थियों का पता चलता है।
प्रश्न 13.
गहरी सांस भरकर इसे कुछ समय तक रोकिए, अपने वक्ष और पीठ को हल्के से दबाकर अपनी अस्थियों का अनुभव करके बताइए कि आपकी पसलियों की संख्या कितनी है? (क्रियाकलाप)
उत्तर:
12 जोड़ी।
प्रश्न 14.
घोंघा के चलन अंग का नाम लिखिए।
उत्तर:
पेशीय पाद घोंघा के चलन अंग होते हैं।
प्रश्न 15.
केंचुए के चलन अंग क्या हैं?
उत्तर:
शूक केंचुए के चलन अंग होते हैं।
प्रश्न 16.
अस्थि को कौन गति प्रदान करता है?
उत्तर:
पेशियाँ अस्थि को गति प्रदान करती हैं।
प्रश्न 17.
केंचुआ चिकनी सतह पर गति क्यों नहीं कर (क्रियाकलाप)
उत्तर;
चिकनी सतह पर केंचुआ के शूक बैस नहीं पाते, जिससे वह गति करने में असमर्थ होता है।
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
विभिन्न प्रकार की संधियों के नाम तथा उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
संधियाँ दो प्रकार की होती हैं-
1. अचल संधि-जैसे-खोपड़ी की संधियाँ।
2. चल संधि-ये निम्न प्रकार की होती हैं
- कंदुक खल्लिका संधि – बाँह के साथ कंधे की संधि।
- हिन्ज संधि – कोहनी का जोड़।
- धुराग्र संधि – गर्दन तथा सिर की संधि।
प्रश्न 2.
कंकाल किसे कहते हैं? इसमें कौन-कौन सी अस्थियाँ होती हैं? कंकाल के कार्य लिखिए।
उत्तर:
शरीर के अन्दर अनेक अस्थियों से मिलकर बना एक ढाँचा जो शरीर को एक आकार देता है, कंकाल कहलाता है। कंकाल में खोपड़ी, पसलियाँ, उरोस्थि, मेरुदण्ड, भुजाओं की अस्थियाँ तथा पैरों की अस्थियाँ सम्मिलित हैं।
कार्य-कंकाल शरीर को एक निश्चित आकृति प्रदान करता है तथा अन्दरूनी अंगों की रक्षा करता है।
प्रश्न 3.
कंदुक खल्लिका संधि क्या है ? चित्र बनाकर उदाहरण लिखिए।
उत्तर:
जब किसी अस्थि का गेंद वाला भाग दूसरी अस्थि की/ कटोरी जैसी आकृति में फंसा होता है तो ऐसी संधि को कंदुक खल्लिका संधि कहते हैं। श्रोणिमेखला में जाँघ की अस्थि इसी प्रकार जुड़ी होती है।
प्रश्न 4.
धुराग्र सन्धि किसे कहते हैं? यह संधि कहाँ पायी जाती है?
उत्तर:
गर्दन तथा सिर को जोड़ने वाली संधि धुराग्र संधि होती है। इस प्रकार की संधि में एक अस्थि स्थिर होती है तथा इस पर दूसरी अस्थि इधर-उधर या आगे-पीछे गति कर सकती है। इसी संधि के कारण हम अपना सिर इधरउधर घुमा सकते हैं।
प्रश्न 5.
हिन्ज संधि क्या है? इसका चित्र बनाकर उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
हिन्ज संधि एक कब्जे की तरह कार्य करती हैं। इस सन्धि में अस्थियाँ केवल एक ही दिशा में गति कर सकती हैं। कोहनी तथा घुटने में इसी प्रकार की संधियाँ होती हैं।
प्रश्न 6.
मानव कंकाल का चित्र बनाइए।
उत्तर:
मानव का कंकाल
चित्र: मानव कंकाल
प्रश्न 7.
उपास्थि किसे कहते हैं? कुछ ऐसे अंगों के नाम लिखिए जिनमें उपास्थि पायी जाती है।
उत्तर:
उपास्थि कंकाल के अतिरिक्त कुछ अन्य अंग भी हैं, जो हड्डियों जितने कठोर नहीं होते और जिन्हें मोड़ा जा सकता है, उन्हें उपास्थि कहा जाता है।
बाह्य कर्ण, नासा गुहा, पसलियों के किनारे आदि अंगों में उपास्थि पायी जाती है।
प्रश्न 8.
पेशी किसे कहते हैं? पेशियाँ कैसे कार्य करती हैं? चित्र बनाकर लिखिए।
उत्तर:
पेशी विशेष प्रकार के मांस तन्तु होते हैं, जो विभिन्न अंगों के बीच गति को आसान बनाते हैं। उदाहरण के लिए जब हमें अपना हाथ मोड़ना होता है तो हाथ की पेशियाँ सिकुड़ती हैं और जब हाथ को फैलाना होता है तो पेशियाँ फैलती हैं जैसा कि चित्र में दिखाया गया है।
चित्र : अस्थि को गति प्रदान करने में दो पेशियाँ संयुक्त रूप से कार्य करती हैं।
प्रश्न 9.
पक्षियों के कंकाल की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
पक्षियों का शरीर उड़ने, चलने एवं जल पर तैरने के अनुकूल होता है। उनकी अस्थियों में वायु प्रकोष्ठ होते हैं, जिनके कारण उनकी अस्थियाँ हल्की परन्तु मजबूत होती हैं। पश्चपाद की अस्थियाँ चलने व बैठने के लिए अनुकूलित होती हैं। अग्रपाद की अस्थियाँ रूपान्तरित होकर पक्षी के पंख बनाती हैं। कंधे की अस्थियाँ मजबूत होती हैं। वक्ष की अस्थियाँ उड़ने वाली पेशियों को जकड़े रखने के लिए विशेष रूप से रूपान्तरित होती हैं तथा पंखों को ऊपर-नीचे करने में सहायक होती हैं।
प्रश्न 10.
मछलियों में गति किस प्रकार होती है ? चित्र द्वारा दर्शाइए।
उत्तर:
मछलियों का शरीर धारा-रेखीय होता है अर्थात् मछली का सिर व पूँछ उसके मध्य भाग की अपेक्षा पतला एवं नुकीला होता है।
चित्र : मछली में गति
इस विशेष आकृति के कारण जल इधर-उधर निकल जाता है और मछली जल में सरलता से तैर सकती है। तैरने की प्रक्रिया में शरीर का अग्न भाग एक ओर मुड़ जाता है तथा पूँछ विपरीत दिशा में जाती है। यह क्रिया मछली में बार-बार होती है जिससे वह आगे बढ़ती है।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
हमारे शरीर के विभिन्न भागों की गतियों का विवरण सारणीबद्ध कीजिए। (क्रियाकलाप)
उत्तर:
तालिका – हमारे शरीर में गतियाँ
प्रश्न 2.
आप कागज और प्लास्टिक की गेंद से कन्दुक खल्लिका संधि कैसे बना सकते हैं? समझाइए। (क्रियाकलाप)
उत्तर:
कागज़ की एक पट्टी को एक बेलन (सिलिंडर) के रूप में मोड़िए। रबड़ अथवा प्लास्टिक की एक पुरानी गेंद में एक छेद करके (किसी के निरीक्षण में) उसमें मोड़े हुए कागज के बेलन को डालिए, जैसा कि चित्र में दशोया गया है। आप कागज के बेलन को गेंद पर भी चिपका सकते हैं। गेंद को एक छोटी कटोरी में रखकर चारों ओर घुमाने का प्रयास कीजिए। क्या गेंद कटोरी में स्वतंत्र रूप से घूमती है। यह कन्दुक-खल्लिका संधि की भांति ही कार्य करती है।
प्रश्न 3.
मनुष्य का पसली-पिजर तथा मेरुदण्ड का चित्र बनाकर संक्षिप्त विवरण दीजिए।
उत्तर:
मनुष्य का पसली-पिंजर-
मनुष्य के वक्ष भाग में पसलियों का बना हुआ बक्से जैसा भाग पसली-पिंजर कहलाता है। इसमें हृदय, फेफड़े, यकृत आदि अंग सुरक्षित रहते हैं।
मनुष्य का मेरुदण्ड-
यह गर्दन से प्रारम्भ होकर पीठ के नीचे तक फैली एक दण्ड समान संरचना होती है। यह छोटी-छोटी अनेक हड्डियों की बनी होती है। पसली-पिंजर भी वक्ष क्षेत्र में इन अस्थियों से जुड़ा रहता है। मेरुदण्ड शरीर को सीधा खड़ा रखने तथा शरीर को मोड़ने में सहायता करता है।
चित्र : मेरुदण्ड
प्रश्न 4.
निम्नलिखित के चित्र बनाकर इनका कार्य लिखिए
(क) कंधे की अस्थियाँ
(ख) श्रोणि अस्थियाँ
(ग) मानव खोपड़ी।
उत्तर;
(क) कंधे की अस्थियाँ : ये हाथ की अस्थियों को जोड़ती हैं तथा अनेक अंगों की रक्षा करती हैं।
कंधे की अस्थियाँ
(ख) श्रोणि अस्थियाँ : ये पादों की अस्थियों को जोड़ती हैं तथा उदर के अंगों की रक्षा करती हैं।
श्रोणि अस्थियाँ
(ग) मानव खोपड़ी : यह मस्तिष्क की रक्षा करती है तथा अनेक मुखीय अंग इसमें स्थित होते हैं।
चित्र : मानव खोपड़ी
प्रश्न 3.
सर्प कैसे गति करते हैं? चित्र द्वारा दर्शाइए।
उत्तर:
सर्प का मेरुदण्ड लम्बा होता है। शरीर की पेशियाँ क्षीण एवं असंख्य होती हैं। वे परस्पर जुड़ी होती हैं
चाहे वे दूर क्यों न हों। पेशियों मेरुदण्ड, पसलियों एवं त्वचा को भी जोड़ती हैं। सर्प का शरीर अनेक वलय में मुड़ा होता है। इसी प्रकार सर्प का प्रत्येक वलय उसे आगे की ओर धकेलता है। इसका शरीर अनेक वलय बनाता है और प्रत्येक वलय आगे को धक्का देता है। इस कारण सर्प बहुत तेज गति से आगे की ओर चलता है परन्तु सरल रेखा में नहीं चलता।
→ हमारे शरीर में स्वतः ही अनेक गतियाँ निरन्तर होती रहती हैं। चलना, टहलना, दौड़ना, उड़ना, रेंगना, तैरना, कूदना इत्यादि जन्तुओं के एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाने के कुछ तरीके हैं।
→ हमारे शरीर की ये गतियाँ कंकाल एवं पेशियों द्वारा सम्पन्न होती हैं।
→ अस्थि एवं उपास्थि मानव का कंकाल बनाते हैं। कंकाल शरीर का पिंजर बनाता है और एक आकृति भी देता है। कंकाल चलने में सहायक है और आंतरिक अंगों की सुरक्षा करता है।
→ मानव कंकाल खोपड़ी, मेरुदण्ड, पसलियों, वक्ष की अस्थि, कंधे एवं श्रोणि मेखला तथा हाथ एवं पैर की अस्थियों से बनता है।
→ पेशियों के जोड़े के एकान्तर क्रम में सिकुड़ने एवं फैलने से अस्थियाँ गति करती हैं।
→ अस्थियाँ एक-दूसरे से विभिन्न प्रकार की संधियों द्वारा जुड़ती हैं।
→ अस्थियों की संधियाँ अनेक प्रकार की होती हैं। यह संधियाँ अस्थि की प्रकृति एवं गति की दिशा पर निर्भर करती हैं।
→ पक्षियों की दृढ़ पेशियाँ तथा हल्की अस्थियाँ मिलकर उन्हें उड़ने में सहायता करती हैं। पक्षी पंखों को फड़फड़ा कर उड़ते हैं।
→ मछली शरीर के दोनों ओर एकान्तर क्रम में वलय बनाकर जल में तैरती है।
→ सर्प अपने शरीर के दोनों ओर एकान्तर क्रम में वलय बनाते हुए भूमि पर वलयाकार गति करता हुआ आगे की ओर फिसलता है। बहुत सारी अस्थियाँ एवं उसमें जुड़ी पेशियाँ शरीर को आगे की ओर धक्का देती हैं।
→ तिलचट्टे का शरीर एवं पैर कठोर आवरण से ढंके होते हैं जो बाह्य कंकाल बनाता है। वक्ष की पेशियाँ तीन जोड़ी पैरों एवं दो जोड़ी पंखों से जुड़ी होती हैं जो तिलचट्टे को चलने एवं उड़ने में सहायता करती हैं।
→ केंचुए में गति शरीर की पेशियों के बारी-बारी से विस्तारण एवं संकुचन से होती है। शरीर की अधः सतह पर शूक केंचुए को भूमि पर पकड़ बनाने में सहायक है।
शरीर में गति Class 6 HBSE Notes in Hindi
→ घोंघा पेशीय पाद की सहायता से चलता है।
→ संधि – दो हड्डियों के जुड़ने के स्थान को संधि कहते हैं।
→ कंदुक खल्लिका संधि – एक अस्थि का गेंद वाला गोल हिस्सा दूसरी अस्थि की कटोरी रूपी गुहिका में फँसा हुआ हो तो वह कंदुक खल्लिका संधि कहलाती है। इस प्रकार की संधि – सभी दिशाओं में गति कर सकती है।
→ धरान संधि – गर्दन तथा सिर को जोड़ने वाली संधि।
→ हिन्ज संधि – अस्थियों का ऐसा जोड़ जो केवल एक दिशा में गति होने देता है जैसे-कोहनी की संधि।
→ अचल संधि – अस्थियों का जोड़ जो गति नहीं कर सकता
→ कंकाल – हमारे शरीर की सभी अस्थियाँ शरीर को एक निश्चित ढाँचा प्रदान करती हैं। इस ढाँचे को कंकाल कहते हैं।
→ पसली पिंजर – पसलियाँ, वक्ष की अस्थि एवं मेरुदण्ड से जुड़कर एक बक्से की रचना करती हैं। इस शंकुरूपी बक्से को पसली पिंजर कहते हैं।
→ मेरुदण्ड – गर्दन से लेकर पीठ से नीचे की ओर जाने वाली छोटी-छोटी अस्थियों से मिलकर बनी एक लम्बी दण्ड रूपी संरचना मेरुदण्ड कहलाती है।
→ कंधे की अस्थियाँ – कंधों के समीप दो उभरी हुई अस्थियाँ कंधे की अस्थियाँ कहलाती हैं।
→ श्रोणि अस्थियाँ – यह बॉक्स के समान एक ऐसी संरचना होती है जो उदर के नीचे के अंगों की रक्षा करती है।
→ उपास्थि – अस्थि के समान किन्तु मुलायम कंकाल।
→ पेशी – अस्थियों को गति प्रदान करने में सहायक संरचनाएँ।
→ जन्तुओं की चाल – जन्तुओं का चलने का तरीका।
→ शूक – बाल जैसी सख्त संरचना।
→ बाह्य कंकाल – मनुष्य के नाखून, तिलचट्टे का कठोर आवरण, गाय के सींग बाह्य कंकाल होते हैं।
→ धारारेखीय – शरीर की ऐसी आकृति जिसमें सिर एवं पूँछ मध्य भाग की अपेक्षा पतला एवं नुकीला होता है।