Haryana State Board HBSE 12th Class Hindi Solutions Aroh Chapter 16 नमक Textbook Exercise Questions and Answers.
Haryana Board 12th Class Hindi Solutions Aroh Chapter 16 नमक
HBSE 12th Class Hindi नमक Textbook Questions and Answers
पाठ के साथ
प्रश्न 1.
सफिया के भाई ने नमक की पुड़िया ले जाने से क्यों मना कर दिया?
उत्तर:
सफ़िया पाकिस्तान से सिख बीबी को भेंट के रूप में नमक की पुड़िया देने के लिए हिंदुस्तान में ले जाना चाहती थी। लेकिन सफ़िया का भाई स्वयं पुलिस अधिकारी था। उसने नमक की पुड़िया साथ ले जाने से अपनी बहन को मना कर दिया। वह इस बात को जानता था कि पाकिस्तान से हिंदुस्तान में नमक ले जाना गैर-कानूनी था। यदि सफ़िया नमक की पुड़िया ले जाती तो भारत-पाक सीमा पार करते समय कस्टम अधिकारी उसे पकड़ लेते। ऐसा होने पर सफिया और उसके परिवार का अपमान होता। यही कारण है कि सफ़िया के भाई ने उसे नमक की पुड़िया ले जाने से मना कर दिया।
‘प्रश्न 2.
नमक की पुड़िया ले जाने के संबंध में सफिया के मन में क्या द्वंद्व था?
उत्तर:
भाई द्वारा यह कहने पर कि पाकिस्तान से हिंदुस्तान में नमक ले जाना गैर-कानूनी है। सफ़िया के मन में द्वंद्व छिड़ गया, परंतु वह सिख बीबी को निराश नहीं करना चाहती थी। वह सोचने लगी कि किस तरह नमक को सीमा पार ले जाए परंतु यह काम आसान नहीं था। नमक के पकड़े जाने पर वह भी पकड़ी जा सकती थी। पहले तो उसने नमक की पुड़िया को कीनू की टोकरी में छिपाया। नमक ले जाने के अन्य तरीकों के बारे में भी वह सोचने लगी। परंतु अंत में इस द्वंद्व को समाप्त करते हुए उसने यह निर्णय लिया कि वह कस्टम अधिकारी को नमक दिखाकर ले जाएगी, चोरी से नहीं ले जाएगी।
प्रश्न 3.
जब सफिया अमृतसर पुल पर चढ़ रही थी तो कस्टम ऑफिसर निचली सीढ़ी के पास सिर झुकाए चुपचाप क्यों खड़े थे?
उत्तर:
जब सफ़िया अमृतसर के पुल पर चढ़ रही थी तो कस्टम अधिकारी निचली सीढ़ी के पास सिर झुकाए खड़े थे। सिख बीबी का प्रसंग आने पर उस अफसर को अपने वतन ढाका की याद आने लगी। वह सफ़िया और सिख बीबी की भावनाओं के कारण संवेदनशील हो चुका था। उन्हें लगा कि भारत-पाकिस्तान की यह सीमा बनावटी है जबकि लोगों के दिल आपस में जुड़े हुए हैं। जो लाहौर में पैदा हुए थे वे लाहौर के लिए तरसते हैं, जो दिल्ली में पैदा हुए थे वे दिल्ली के लिए तरसते हैं तथा जो ढाका में पैदा हुआ था वह ढाका के लिए तरस रहा था। कस्टम अधिकारी मन-ही-मन सोच रहा था कि उसे उसके वतन से अलग क्यों कर दिया गया है।
प्रश्न 4.
लाहौर अभी तक उनका वतन है और देहली मेरा या मेरा वतन ढाका है जैसे उद्गार किस सामाजिक यथार्थ का संकेत करते हैं?
उत्तर:
पाकिस्तानी कस्टम अधिकारी का यह कथन है कि लाहौर अभी तक सिख बीबी का वतन है, दिल्ली मेरा वतन है लेकिन सुनील दासगुप्त ने कहा मेरा वतन ढाका है। ये उद्गार इस सामाजिक यथार्थ का उद्घाटन करते हैं कि देशों की सीमाएँ लोगों के मनों को विभक्त नहीं कर सकतीं। मानव तो क्या पक्षी भी अपनी जन्मभूमि से प्रेम करते हैं। स्वदेश प्रेम कोई ऐसा पौधा नहीं है जिसे मनमर्जी से गमले में उगाया जा सके। जिस देश में जिस व्यक्ति का जन्म होता है वह उससे हमेशा प्रेम करता है। यदि मानचित्र पर लकीरें खींचकर भारत-पाक विभाजन कर दिया गया तो ये लकीरें लोगों को अलग-अलग नहीं कर सकती। प्रत्येक मनुष्य स्वाभाविक रूप से अपनी जन्मभूमि से प्रेम करता है। यही कारण है कि जिन लोगों का जन्म पाकिस्तान में हुआ है आज भी यदाकदा उसे याद कर उठते हैं। जिन पाकिस्तानियों का जन्म भारत में हुआ है वे भारत को याद करते रहते हैं। इसलिए भारत-पाक विभाजन कृत्रिम है। यह लोगों के दिलों को विभक्त नहीं कर सकता।
प्रश्न 5.
नमक ले जाने के बारे में सफिया के मन में उठे द्वंद्वों के आधार पर उसकी चारित्रिक विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
नमक ले जाने के बारे में सफ़िया के मन में जो द्वंद्व उत्पन्न होता है उसके आधार पर सफिया के चरित्र की निम्नलिखित उल्लेखनीय विशेषताएँ हैं
(1) सफ़िया एक साहित्यकार है इसलिए बातचीत करते समय वह किसी प्रकार का संकोच नहीं करती। वह एक स्पष्ट वक्ता है। भाई से बहस हो जाने पर भी वह किसी प्रकार का संकोच न करके नमक ले जाने के लिए अड़ जाती है। अंततः उसका भाई हारकर चुप हो जाता है।
(2) यही नहीं सफ़िया एक निडर स्त्री भी है। उसका भाई उसे समझाता है कि कस्टमवाले किसी की नहीं सुनते। पाकिस्तान से भारत में नमक ले जाना गैर-कानूनी है। यदि तुम्हारा भेद खुल गया तो तुम मुसीबत में फँस जाओगी। लेकिन वह भाई की बातों से डरती नहीं। कस्टम अधिकारियों के समक्ष निडर होकर कहती है ‘देखिए मेरे पास नमक है थोड़ा-सा’ मैं अपनी मुँह बोली माँ के लिए ले जा रही हूँ।
(3) सफ़िया में दृढ़-निश्चय है उसने बहुत पहले यह निश्चय कर लिया था कि वह सिख बीबी के लिए नमक ले जाएगी। अपना वचन निभाते हुए वह सरहद के पार नमक लेकर आई। भले ही यह काम गैर-कानूनी था।
(4) यही नहीं सफ़िया एक ईमानदार स्त्री है। उसके भाई ने कहा था कि जब वह नमक लेकर सरहद से गुजरेगी तो कस्टमवाले उसे पकड़ लेंगे। तब उसने अपनी ईमानदारी का परिचय देते हुए कहा था-“मैं क्या चोरी से ले जाऊँगी? छिपाके ले जाऊँगी? मैं तो दिखा के, जता के ले जाऊँगी।
(5) सफ़िया में मानवता के गुण भी हैं। वह सोचती है कि भले ही भारत पाकिस्तान दो देश बन गए हों, परंतु यहाँ एक जैसी जमीन है, एक जुबान है, एक-सी सूरतें और लिबास हैं। फिर ये दो देश कैसे बन गए हैं। अपने भाई को टोकती हुई कहती है कि तुम बार-बार कानून की बात करते हो क्या सब कानून हुकूमत के होते हैं, कुछ मुहब्बत, मुरौवत, आदमियत, इंसानियत के नहीं होते? आखिर कस्टमवाले भी इंसान होते हैं कोई मशीन तो नहीं होते।
प्रश्न 6.
मानचित्र पर एक लकीर खींच देने भर से ज़मीन और जनता बँट नहीं जाती है उचित तर्कों व उदाहरणों के जरिए इसकी पुष्टि करें।
उत्तर:
मानचित्र पर लकीर खींच देने से न तो ज़मीन बँट जाती है न ही जनता। यह कथन कुछ सीमा तक सत्य है। नमक कहानी के द्वारा हमें लेखिका यह संदेश देना चाहती है कि सिख बीबी लाहौर को अपना वतन मानती है। पाकिस्तानी कस्टम अधिकारी दिल्ली को अपना वतन मानता है और हिंदुस्तानी कस्टम अधिकारी ढाका को अपना वतन मानता है। परंतु सच्चाई यह है कि जो लोग पाकिस्तान भारत और बांग्ला देश में रहते हैं, उनकी एक-सी जमीन है, एक जुबान है, एक-सी सूरतें और लिबास हैं।
हैरानी की बात यह है कि भारत-पाक विभाजन हुए लंबा समय बीत चुका है, लेकिन सिख बीबी आज भी लाहौर को अपना वतन कहती है। उसे अपने वतन से बड़ा लगाव है इसलिए वह लाहौर का नमक चाहती है। भारतीय कस्टम अधिकारी ढाका के नारियल के पानी को लाजवाब मानता है। पाकिस्तानी कस्टम अधिकारी दिल्ली की जामा मस्जिद की सीढ़ियों को अपना सलाम भेजता है। वह कहता भी है-“जामा मस्जिद की सीढ़ियों को मेरा सलाम कहिएगा। उन खातून को यह नमक देते वक्त मेरी तरफ से कहिएगा कि लाहौर अभी तक उनका वतन है और देहली मेरा, तो बाकी सब रफ्ता-रफ्ता ठीक हो जाएगा।”
प्रश्न 7.
नमक कहानी में भारत व पाक की जनता के आरोपित भेदभावों के बीच मुहब्बत का नमकीन स्वाद घुला हुआ है, कैसे?
उत्तर:
यह सत्य है कि सत्ता के भूखे कुछ लोगों ने भारत-पाक का विभाजन कर दिया। परंतु वे लोग इन दोनों देशों के नागरिकों के स्नेह और प्रेम का विभाजन नहीं कर सके। ये भेदभाव मात्र आरोपित है। सफिया के भाई के व्यवहार में भारत-पाक का भेदभाव स्पष्ट देखा जा सकता है। इस आरोपित भेदभाव के बावजूद सिख बीबी और सफिया और पाकिस्तानी कस्टम अधिकारी तथा सुनील दासगुप्त तथा सफ़िया के व्यवहार में जो स्नेह और प्रेम दिखाई देता है, उससे दोनों देशों की जनता के बीच मुहब्बत का नमकीन स्वाद घुला हुआ है। यह स्वाद इस पूरी कहानी में विद्यमान है। भारत और पाकिस्तान के लोगों के दिल आज भी जुड़े हुए हैं। आज भी जन्मभूमि की याद उन्हें व्याकुल कर देती है। सिख बीबी हो या पाकिस्तानी कस्टम अधिकारी या भारतीय कस्टम अधिकारी सभी के बीच मुहब्बत का नमकीन स्वाद घुला हुआ है।
क्यों कहा गया
प्रश्न 1.
क्या सब कानून हुकूमत के ही होते हैं, कुछ मुहब्बत, मुरौवत, आदमियत और इंसानियत के नहीं होते?
उत्तर:
सभी कानून हमेशा हुकूमत के ही होते हैं। जो लोग सत्ता प्राप्त करते हैं वही कानून बनाते हैं और उन कानूनों को लागू करते हैं। जो लोग उन कानूनों का पालन नहीं करते उन्हें सत्ता द्वारा दण्डित किया जाता है। यह कानून हुकूमत की सुविधा के लिए बनाए जाते हैं और उसमें प्रेम, मुहब्बत इंसानियत, आदमियत की कोई कीमत नहीं होती। यही कारण है कि आज सत्ता द्वारा बनाए गए कानून हुकूमत के गुलाम बनकर रह गए हैं।
प्रश्न 2.
भावना के स्थान पर बुद्धि धीरे-धीरे उस पर हावी हो रही थी।
उत्तर:
भावना मानव के हृदय से संबंधित है और बुद्धि मस्तिष्क से। जब किसी मनुष्य में भावना उत्पन्न होती है तो उसकी बुद्धि काम करना बंद कर देती है। सफिया इन्हीं भावनाओं के आवेश के कारण ही नमक की पुड़िया को सरहद पार ले जाना चाहती है। क्योंकि वह भावनाओं से काम कर रही थी और उसकी बुद्धि ठीक से नहीं सोच रही थी। इन्हीं भावनाओं में आने के कारण उसने अपने भाई की बात भी नहीं मानी। परंतु गुस्सा उतरने पर कस्टम का ध्यान आते ही उसकी बुद्धि भावनाओं पर हावी हो रही थी और वह नमक की पुड़िया को भारत लाने के लिए अन्य उपाय सोचने लगी।
प्रश्न 3.
मुहब्बत तो कस्टम से इस तरह गुज़र जाती है कि कानून हैरान रह जाता है।
उत्तर:
अकसर देखने में आया है कि कानून को लागू करने वाले अधिकारी भावनाहीन होते हैं परंतु वे भी मानव ही होते हैं। अनेक बार उनकी भावनाएँ उनकी बुद्धि पर हावी हो जाती हैं। ऐसी स्थिति में कस्टम के कठोर नियम भी टूट कर बिखर जाते हैं। यही कारण है कि कस्टम अधिकारी ने सफिया से यह कहा कि मुहब्बत तो कस्टम से इस तरह गुज़र जाती है कि कानून हैरान रह जाता है। कस्टम के दोनों अधिकारियों ने गैर-कानूनी नमक को सीमा के पार जाने दिया। मानवीय भावनाओं के प्रवाह के कारण नमक मानो उनके हाथों से फिसलकर भारत चला गया।
प्रश्न 4.
हमारी ज़मीन हमारे पानी का मज़ा ही कुछ और है!
उत्तर:
यह कथन भारतीय कस्टम अधिकारी सुनील दासगुप्त का है जो ढाका को अपना वतन मानता है। यह अपने देश, अपनी जन्मभूमि की ज़मीन तथा उसके पानी की प्रशंसा करता है। इसका प्रमुख कारण यही है कि सभी प्राणियों को अपनी जन्मभूमि प्रिय लगती है। लंका छोड़ते समय राम ने भी अपने भाई लक्ष्मण से कहा था-
अपि स्वर्णमयी लंका न मे लक्ष्मण रोचते।
जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी
समझाइए तो ज़रा
प्रश्न 1.
फिर पलकों से कुछ सितारे टूटकर दूधिया आँचल में समा जाते हैं।
उत्तर:
सिख बीबी लाहौर का नाम सुनकर सफ़िया के पास आकर बैठ गई। उसे लाहौर याद आने लगा, क्योंकि उसका वतन लाहौर है। लाहौर की याद में वह भावुक हो उठी और उसकी आँखों से आँसू रूपी सितारे टूटकर उसके सफेद मलमल के दुपट्टे में समा गए।
प्रश्न 2.
किसका वतन कहाँ है वह जो कस्टम के इस तरफ है या उस तरफ।
उत्तर:
भारत लौटने पर सफ़िया अमृतसर स्टेशन के पुल पर चली जा रही थी। वह मन में सोचने लगी कि पाकिस्तानी कस्टम अधिकारी का वतन देहली है। सुनील दासगुप्त का वतन ढाका है। सिख बीबी का वतन लाहौर है। राजनीतिक दृष्टि से इनके वतन पाकिस्तान और भारत हैं। उनके शरीर कहीं हैं और दिल कहीं हैं। अतः यह निर्णय करना कठिन है कि किसका वतन कहाँ है? सच्चाई तो यह है कि सत्ता के भूखे लोगों ने ये सरहदें बना दी हैं परंतु लोगों की भावनाएँ इन सरहदों को नहीं मानतीं।
पाठ के आसपास
प्रश्न 1.
‘नमक’ कहानी में हिंदुस्तान-पाकिस्तान में रहने वाले लोगों की भावनाओं, संवेदनाओं को उभारा गया है। वर्तमान संदर्भ में इन संवेदनाओं की स्थिति को तर्क सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
प्रस्तुत कहानी में सिख बीबी, भारतीय कस्टम अधिकारी, पाकिस्तानी कस्टम अधिकारी तथा सफ़िया के द्वारा दोनों देशों में रहने वाले लोगों की भावनाओं और संवेदनाओं को उभारा गया है परंतु भारत और पाकिस्तान में कुछ ऐसी समस्याएँ हैं जिनके कारण हमेशा तनाव बना रहता है। भारत-पाक के बीच तीन बार युद्ध हो चुका है, दोनों ओर से हजारों सैनिक वीरगति को प्राप्त हो चुके हैं, परंतु सियाचिन और कश्मीर विवाद आज तक नहीं सुलझ पाए। दोनों देशों के राजनेता भड़काऊ बयान देकर लोगों की भावनाओं से खेलते रहते हैं परंतु यदि भारत और पाकिस्तान के लोग सभ्य मन से चाहें तो दोनों देशों के संबंधों में सुधार हो सकता है। पाकिस्तान के लोगों को अपने राजनेताओं को शान्तिमय वातावरण बनाने के लिए मजबूर करना चाहिए। इसी प्रकार भारत के लोगों को भी अपनी सरकार पर दबाव डालना चाहिए। यदि दोनों देशों की समस्याओं का हल निकल आता है तो लोगों को व्यर्थ के तनाव, भय और आशंका से मक्ति मिल सकेगी। इसके साथ-साथ उग्रवाद भारत का हो या पाकिस्तान का उसकी नकेल कसनी भी जरूरी है।
प्रश्न 2.
सफिया की मनःस्थिति को कहानी में एक विशिष्ट संदर्भ में अलग तरह से स्पष्ट किया गया है। अगर आप सफिया की जगह होते/होती तो क्या आपकी मनःस्थिति भी वैसी ही होती? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
सफ़िया के मन में धर्म को लेकर किसी प्रकार की साम्प्रदायिकता नहीं थी। वह अपने पड़ोसी के घर कीर्तन में भाग लेती है और प्रसाद लेकर घर लौटती है। यही नहीं सिख बीबी को अपनी माँ की हमशक्ल देखकर उन्हें अपनी माँ के समान मान लेती है। वह उससे नमक लाने का वादा भी करती है और उसे अच्छी तरह निभाती है। अगर मैं उसकी जगह होती तो मैं उसे स्पष्ट कह देती कि वह मेरी माँ हैं और मैं उसकी बेटी। यही नहीं मैं भी लाहौर से सिख बीबी के लिए नमक लेकर आती। भले ही मैं वह उपाय न अपनाती जिसे सफिया ने अपनाया था। मैं समझती हूँ कि सफिया और मेरी मनःस्थिति में कोई विशेष अंतर न होता। कोई भी संवेदनशील व्यक्ति सफ़िया के समान ही आचरण करता।
प्रश्न 3.
भारत-पाकिस्तान के आपसी संबंधों को सुधारने के लिए दोनों सरकारें प्रयासरत हैं। व्यक्तिगत तौर पर आप इसमें क्या योगदान दे सकते/सकती हैं?
उत्तर:
भारत और पाकिस्तान के आपसी संबंधों को सुधारने के लिए व्यक्तिगत तौर पर अनेक प्रकार के उपाय अपनाए जा सकते हैं। सर्वप्रथम हमें अपने मन से पाकिस्तान के प्रति शत्रु भाव को त्यागना होगा। यदि कोई पाकिस्तानी नागरिक किसी प्रसंग में भारत आता है तो हमें उसे उचित स्नेह और सम्मान देना चाहिए ताकि वह भारत के प्रति मन में सकारात्मक धारणा लेकर जाए। पाकिस्तान से आने वाले कलाकारों का हमें व्यक्तिगत तौर पर स्वागत और सत्कार करना चाहिए। विशेषकर वहाँ से आने वाले खिलाड़ियों का उत्साह बढ़ाना चाहिए। यदि हमें पाकिस्तान जाने का मौका मिले तो हमें वहाँ के लोगों को प्रेम और भाईचारे का पैगाम देना चाहिए। इसी प्रकार इंटरनेट के प्रयोग द्वारा पाकिस्तान में अपने मित्र बनाएँ और उन्हें भारत-पाक मैत्री का संदेश दें। इसी प्रकार हम एक दूसरे के देश के बारे में राजनीतिक, सामाजिक तथा सांस्कृतिक जानकारियों का आदान-प्रदान कर सकते हैं। अंततः पिछली कड़वी बातों को भुलाकर हमें पाकिस्तानियों के प्रति भाईचारे का व्यवहार करना चाहिए। हम चाहें तो दोनों देशों के बीच गीत-संगीत के कार्यक्रमों का आयोजन भी कर सकते हैं।
प्रश्न 4.
लेखिका ने विभाजन से उपजी विस्थापन की समस्या का चित्रण करते हुए सफिया व सिख बीबी के माध्यम से यह भी परोक्ष रूप से संकेत किया है कि इसमें भी विवाह की रीति के कारण स्त्री सबसे अधिक विस्थापित है। क्या आप इससे सहमत हैं?
उत्तर:
प्रस्तुत कहानी से यह स्पष्ट नहीं होता कि सिख बीबी विवाह की रीति के कारण ही विस्थापित होकर भारत में आई है तथा न ही सफिया विवाह के बाद विस्थापित होकर भारत आई है। परंतु इतना निश्चित है कि विवाह के बाद स्त्री को विस्थापित होना पड़ता है। अपने देश में स्त्री विवाह के बाद ससुराल के नगर में जाकर बसती है। कभी-कभी उसे विदेश में भी जाकर रहना पड़ता है लेकिन इन दोनों प्रकार की विस्थापनाओं में बहुत बड़ा अंतर है। विवाह के बाद का विस्थापन इतना अधिक पीड़ादायक नहीं होता परंतु देश विभाजन के कारण विस्थापन प्रत्येक व्यक्ति को पीड़ा पहुँचाता है भले ही वह नारी हो अथवा पुरुष हो।
प्रश्न 5.
विभाजन के अनेक स्वरूपों में बँटी जनता को मिलाने की अनेक भूमियाँ हो सकती हैं-रक्त संबंध, विज्ञान, साहित्य व कला। इनमें से कौन सबसे ताकर पर है और क्यों?
उत्तर:
निश्चय से विभाजन के अनेक स्वरूपों में बँटी जनता को मिलाने की अनेक भूमियाँ हो सकती हैं। ये भूमियाँ रक्त संबंध, विज्ञान, साहित्य तथा कला से जुड़ी हो सकती हैं, परंतु इनमें सबसे ताकतवर रक्त संबंध है। साहित्य तथा कला भले ही एक दूसरे को जोड़ते हैं परंतु सभी लोग न तो साहित्य प्रेमी होते हैं, न ही कला प्रेमी। इस प्रकार विज्ञान के अनेक उपकरण दूरदर्शन, रेडियो, इंटरनेट आदि लोगों को एक-दूसरे के नजदीक ला सकते हैं। लेकिन बुरे इरादे वाले लोग इनका दुरुपयोग भी कर सकते हैं। साहित्य भी पड़ोसी देशों को आपस में जोड़ने का काम कर सकता है परंतु ये सभी साधन रक्त संबंध की बराबरी नहीं कर सकते। जिस व्यक्ति के अपने सगे-संबंधी पाकिस्तान में रहते हैं, वह मन से कभी भी पाकिस्तान का अहित नहीं सोच सकता। इसी प्रकार जिस पाकिस्तानी का भाई, बहन अथवा मामा दिल्ली तथा हैदराबाद में रहते हैं वह यह कभी नहीं चाहेगा कि इन नगरों का अहित हो।
आपकी राय
प्रश्न-
मान लीजिए आप अपने मित्र के पास विदेश जा रहे हैं/रही हैं। आप सौगात के तौर पर भारत की कौन-सी चीज ले जाना पसंद करेंगे/करेंगी और क्यों?
उत्तर:
हम भारत से निम्नलिखित वस्तुएँ सौगात के तौर पर अपने विदेशी मित्र के लिए ले जा सकते हैं-
- ताज महल की प्रतिकृति
- रुद्राक्ष की माला
- कलाकृतियाँ
- नटराज की मूर्ति
- खादी के वस्त्र
भाषा की बात
प्रश्न 1.
नीचे दिए गए वाक्यों को ध्यान से पढ़िए
(क) हमारा वतन तो जी लाहौर ही है।
(ख) क्या सब कानून हुकूमत के ही होते हैं?
सामान्यतः ‘ही’ निपात का प्रयोग किसी बात पर बल देने के लिए किया जाता है। ऊपर दिए गए दोनों वाक्यों में ‘ही’ के प्रयोग से अर्थ में क्या परिवर्तन आया है? स्पष्ट कीजिए। ‘ही’ का प्रयोग करते हुए दोनों तरह के अर्थ वाले पाँच-पाँच वाक्य बनाइए।
उत्तर:
प्रथम (क) वाक्य में ‘ही’ के प्रयोग से यह परिवर्तन हुआ है कि हमारा वतन तो केवल लाहौर है और कोई नहीं। भले ही हम भारत में अपना व्यापार चला रहे हैं और अपना घर बनाकर रह रहे हैं परंतु वतन तो लाहौर को ही कहेंगे।
- यह घर तो मेरा ही है।
- मेरा जन्मस्थान लाहौर ही है।
- हमारा भोजन तो दाल-चावल ही है।
- उनका मकान लाल रंग का ही है।
- यह पुस्तक गीता की ही है।
(ख) वाक्य में ‘ही’ के प्रयोग से यह पता चलता है कि सारे कानून हुकूमत के नहीं होते। उनसे परे भी कुछ नियम होते हैं जिन पर हुकूमत का कानून भी प्रभावी नहीं हो सकता।
- क्या सब नियम सरकार के ही हैं।
- क्या सब लड़के आपके कहे अनुसार ही चलेंगे।
- क्या तुम मुझे अपने ही घर में भोजन नहीं खिलाओगे।
- क्या क्रिकेट की टीम में सारे खिलाड़ी हरियाणवी ही होंगे।
- क्या तुम यहाँ अंग्रेज़ी पढ़ने ही आते हो।
प्रश्न 2.
नीचे दिए गए शब्दों के हिंदी रूप लिखिए मुरौवत, आदमियत, अदीब, साडा, मायने, सरहद, अक्स, लबोलहजा, नफीस।
उत्तर:
- मुरौवत = संकोच
- आदमियत = मानवता
- अदीब = साहित्यकार
- साडा = हमारा
- मायने = अर्थ
- सरहद = सीमा
- अक्स = बिम्ब, प्रतिछाया
- लबोलहजा = बोलचाल का ढंग
- नफीस = सुरुचिपूर्ण।
प्रश्न 3.
‘पंद्रह दिन यों गुज़रे कि पता ही नहीं चला’-वाक्य को ध्यान से पढ़िए और इसी प्रकार के (यों, कि, ही से युक्त पाँच वाक्य बनाइए।)
उत्तर:
- शिमला में दो महीने यों बीत गए कि पता ही नहीं चला।
- यों तो हम दिल्ली जाने ही वाले थे कि अचानक मामा जी परिवार सहित आ गए।
- आपने यों ही कह दिया कि पन्द्रह तारीख के लिए टिकट बुक करा दो।
- हम मेहमान का स्वागत यों करेंगे कि वे आजीवन याद ही करते रहेंगे।
- पिता जी ने यों ही कह दिया कि कल हम घूमने जाएँगे।
सजन के क्षण
प्रश्न-
‘नमक’ कहानी को लेखक ने अपने नज़रिये से अन्य पुरुष शैली में लिखा है। आप सफिया की नज़र से/उत्तम पुरुष शैली में इस कहानी को अपने शब्दों में कहें।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।
इन्हें भी जानें
1. महर्रम-इस्लाम धर्म के अनसार साल का पहला महीना, जिसकी दसवीं तारीख को इमाम हसैन शहीद हुए।
2. सैयद-मुसलमानों के चौथे खलीफा अली के वंशजों को सैयद कहा जाता है।
3. इकबाल-सारे जहाँ से अच्छा के गीतकार
4. नज़रुल इस्लाम-बांग्ला देश के क्रांतिकारी कवि
5. शमसुल इस्लाम-बांग्ला देश के प्रसिद्ध कवि
6. इस कहानी को पढ़ते हुए कई फिल्म, कई रचनाएँ, कई गाने आपके जेहन में आए होंगे। उनकी सूची बनाइए किन्हीं दो (फिल्म और रचना) की विशेषता को लिखिए। आपकी सुविधा के लिए कुछ नाम दिए जा रहे हैं।
- फिल्में – रचनाएँ
- 1947 अर्थ – तमस (उपन्यास – भीष्म साहनी)
- मम्मो – टोबाटेक सिंह (कहानी – मंटो)
- ट्रेन टु पाकिस्तान – जिंदगीनामा (उपन्यास – कृष्णा सोबती)
- गदर – पिंजर (उपन्यास – अमृता प्रीतम)
- खामोश पानी – झूठा सच (उपन्यास – यशपाल)
- हिना – मलबे का मालिक (कहानी – मोहन राकेश)
- वीर ज़ारा – पेशावर एक्सप्रेस (कहानी – कृश्न चंदर)
7. सरहद और मज़हब के संदर्भ में इसे देखें-
तू हिंदू बनेगा न मुसलमान बनेगा,
इंसान की औलाद है, इंसान बनेगा।
मालिक ने हर इंसान को इंसान बनाया,
हमने उसे हिंदू या मुसलमान बनाया।
कुदरत ने तो बख्शी थी हमें एक ही धरती,
हमने कहीं भारत कहीं, ईरान बनाया ॥
जो तोड़ दे हर बंद वो तूफान बनेगा।
इंसान की औलाद है इंसान बनेगा।
-फिल्म : धूल का फूल, गीतकार : साहिर लुधियानवी
HBSE 12th Class Hindi नमक Important Questions and Answers
प्रश्न 1.
सफिया का लाहौर में कैसा सम्मान हुआ और उसके सामने क्या समस्या उपस्थित हुई?
उत्तर:
सफ़िया लाहौर में केवल पंद्रह दिन के लिए ही ठहरी। उसके ये पंद्रह दिन किस प्रकार गुजर गए उसे पता ही नहीं चला। जिमखाना की शामें, दोस्तों की मुहब्बत, भाइयों की खातिरदारियाँ उसे आनंद प्रदान कर रही थीं। दोस्तों और भाइयों का बस चलता तो विदेश में रहने वाली बहन के लिए वे कुछ भी कर देते। उसके दोस्त और रिश्तेदारों की यह हालत थी कि वे तरह-तरह के तोहफे ला रहे थे। उसके लिए यह समस्या उत्पन्न हो गई कि वह उन तोहफों को किस प्रकार पैक करे और किस प्रकार उन्हें भारत ले जाए। परंतु सफ़िया के लिए सबसे बड़ी समस्या बादामी कागज़ की पुड़िया थी जिसमें एक सेर के लगभग लाहौरी नमक था। जिसे वह अपनी मुँहबोली माँ सिख बीबी के लिए भारत ले जाना चाहती थी।
प्रश्न 2.
सफिया ने अपनी माँ किसे कहा है और क्यों?
उत्तर:
सफिया ने सिख बीबी को अपनी माँ कहा है क्योंकि उसने जब पहली बार सिख बीबी को कीर्तन में देखा तो वह हैरान रह गई। वह उसकी माँ से बिलकुल मिलती-जुलती थी। उनका भी भारी-भरकम जिस्म तथा छोटी-छोटी चमकदार आँखें थीं जिनमें नेकी, मुहब्बत और रहमदिली की रोशनी जगमगा रही थी। उसका चेहरा भी सफ़िया की माँ के समान खुली किताब जैसा था। उसने वैसा ही सफेद बारीक मलमल का दुपट्टा ओढ़ रखा था जैसा उसकी अम्मा मुहर्रम में ओढ़ा करती थी। सफ़िया ने मुहब्बत से उस सिख बीबी की ओर देखा।
प्रश्न 3.
सफिया ने नमक की पुड़िया कहाँ और किस प्रकार छिपाई? उस समय वह क्या सोच रही थी?
उत्तर:
सफ़िया ने टोकरी के कीनू कालीन पर उलट दिए तथा टोकरी को खाली करके नमक की पुड़िया उसकी तह में रख दी। उसने एक बार झाँक कर पुड़िया की ओर देखा उसे ऐसा अनुभव हुआ कि वह किसी प्रियजन को कब्र की गहराई में उतार रही है। कुछ देर तक उकई बैठकर वह नमक की पुड़िया को देखती रही। उसने उन कहानियों को भी याद किया जो उसने बचपन में अपनी अम्मा से सुनी थीं। कैसे एक शहजादे ने अपनी रान को चीरकर उसमें हीरा छुपा लिया था वह देवों, भूतों तथा राक्षसों के सामने से होता हुआ सीमाओं से पार गुजर गया था। वह सोचने लगी कि क्या इस जमाने में कोई ऐसा तरीका नहीं हो सकता वरना वह भी अपना दिल चीरकर उसमें नमक छिपाकर ले जाती।
प्रश्न 4.
सफिया और उसके भाई के विचारों में क्या अंतर था ? नमक पाठ के आधार पर बताइए।
उत्तर:
सफ़िया और उसके भाई के विचारों में बहुत अंतर था। साहित्यकार होने के कारण सफिया हृदय प्रधान नारी थी परंतु पुलिस अधिकारी होने के कारण उसका भाई बुद्धि प्रधान व्यक्ति था। सफिया मनुष्य को ही अधिक महत्त्व देती थी। परंतु उसका भाई सरकारी कानून और अपनी जिम्मेदारी को ही सब कुछ समझता था। इसी प्रकार सफ़िया कानून से बढ़कर मानवता पर विश्वास करती थी परंतु उसका भाई कस्टम अधिकारियों के कर्तव्यों पर विश्वास रखता था। सफिया का भाई जानता था कि पाकिस्तान से भारत में नमक ले जाना गैर-कानूनी है। इसलिए वह अपनी बहन को यह सलाह देता है कि वह लाहौरी नमक भारत में न ले जाए। अन्यथा कस्टम अधिकारियों के सामने उसका अपमान होगा। परंतु सफिया वादा निभाने को अधिक महत्त्व प्रदान करती थी और उसने अपने ढंग से वादा निभाया।
प्रश्न 5.
सिख बीबी ने सफिया को अपने बारे में क्या बताया?
उत्तर:
कीर्तन के समय सफ़िया ने सिख बीबी से पूछा कि माता जी आपको यहाँ आए बहुत साल हो गए होंगे। तब उत्तर में सिख. बीबी ने कहा कि जब ‘हिंदुस्तान बना था तब हम यहाँ आ गए थे। यहाँ हमारी कोठी बन गई है। व्यापार भी है। और सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा है पर हमें लाहौर बहुत याद आता है। हमारा वतन तो लाहौर ही है। जब सिख बीबी यह बता रही थी तो उसकी आँखों से आँसू निकलकर उसके दूधिया आँचल में समा गए और भी बातें हुईं पर सिख बीबी घूमकर उसी बात पर आ जाती थी कि ‘साडा लाहौर’ अर्थात् उसने कहा कि हमारा वतन तो लाहौर ही है।
प्रश्न 6.
इस कहानी में किन बातों को उभारा गया है?
अथवा
नमक कहानी का मूलभाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
प्रस्तुत कहानी में लेखिका ने भारत तथा पाकिस्तान में रहने वाले लोगों की संवेदनाओं तथा भावनाओं की अभिव्यक्ति की है। संवेदनाएँ हमेशा मानवीय रिश्ते से जुड़ी हुई होती हैं। राजनीति से इनका कोई संबंध नहीं होता। जिन लोगों का जन्म पाकिस्तान में हुआ था और विभाजन के बाद वे भारत में आ गए आज भी वे बार-बार अपनी जन्मभूमि को याद कर उठते हैं। यही स्थिति पाकिस्तान में रहने वाले उन लोगों की है जिनका जन्म भारत में हुआ था। पाकिस्तान से कई लोग इलाज के लिए भारत आते हैं। पाकिस्तान के लोग भारत की लड़कियों से विवाह करते हैं तथा भारत के लोग पाकिस्तान की लड़कियों से विवाह करते हैं। इन दोनों देशों के कलाकार और खिलाड़ी एक दूसरे के देश में जाते रहते हैं। ये बातें यह सिद्ध करती हैं कि दोनों देशों के लोगों की संवेदनाओं में बहुत बड़ी समानता है और संवेदनाओं की समानता ही उन्हें आपस में जोड़ती है।
प्रश्न 7.
सफिया ने रात के वातावरण का वर्णन किस प्रकार किया है?
उत्तर:
जब सफ़िया टोकरी की तह में नमक की पुड़िया रखकर उस पर कीनू सजा कर लेट गई उस समय रात के तकरीबन डेढ बजे थे। मार्च की सहानी हवा खिडकी की जाली से आ रही थी। बाहर चाँदनी साफ और ठण्डी थी। खिडकी के करीब चम्पा का एक घना वृक्ष लगा हुआ था। सामने की दीवार पर उस पेड़ की पत्तियों की प्रतिछाया पड़ रही थी। कभी किसी तरफ से किसी की दबी हुई खाँसी की आहट आ रही थी और दूर से किसी कुत्ते के भौंकने तथा रोने की आवाज सुनाई दे रही थी। चौंकीदार की सीटी बजती थी और फिर सन्नाटा छा जाता था। परंतु यह पाकिस्तान था।
प्रश्न 8.
सफिया ने भाई से क्या पूछा और उसने क्या उत्तर दिया?
उत्तर:
सफ़िया अपने भाई से नमक ले जाने के बारे में पूछती है। उसका भाई आश्चर्यचकित होकर कहता है कि ‘नमक’। पाकिस्तान से भारत नमक ले जाना तो गैर-कानूनी है परंतु आप नमक का क्या करेंगी ? आप लोगों के हिस्से में तो हमसे ज्यादा नमक आया है। सफिया ने झुंझलाते हुए कहा कि आया होगा हमारे हिस्से में नमक, मेरी माँ ने तो यही लाहौरी नमक मँगवाया है। सफ़िया का भाई कुछ समझ नहीं पा रहा था। वह सोचने लगा कि माँ तो बटवारे से पहले ही मर चुकी थीं। सफ़िया का भाई उसे कहता है कि देखो आपको कस्टम पार करके जाना है और अगर उन्हें नमक के बारे में पता चल गया तो आपका सामान मिट्टी में मिला देंगे।
प्रश्न 9.
सफिया के भाई ने अदीबों (साहित्यकारों) पर क्या व्यंग्य किया और सफिया ने क्या जवाब दिया?
उत्तर:
सफ़िया का भाई साहित्यकारों पर व्यंग्य करते हुए कहने लगा कि आप से कोई बहस नहीं कर सकता। आप अदीब ठहरी और सभी अदीबों का दिमाग थोड़ा-सा तो जरूर ही घूमा हुआ होता है। वैसे मैं आपको बताए देता हूँ कि आप नमक ले नहीं जा पाएँगी और बदनामी मुफ्त में हम सबकी भी होगी। आखिर आप कस्टम वालों को कितना जानती हैं?
सफ़िया ने गुस्से में जवाब दिया, “कस्टमवालों को जानें या न जाने पर हम इंसानों को थोड़ा-सा जरूर जानते हैं और रही दिमाग की बात सो अगर सभी लोगों का दिमाग हम अदीबों की तरह घूमा हुआ होता तो यह दुनिया कुछ बेहतर ही जगह हो जाती, भैया।”
प्रश्न 10.
अमृतसर में सफिया को जो कस्टम ऑफिसर मिला वह कहाँ का रहने वाला था तथा उसने किताब दिखाकर क्या बताया?
उत्तर:
अमृतसर में सफिया को जो कस्टम अधिकारी मिला था वह ढाका का रहने वाला था। उसका नाम सुनील दास गुप्त था। सन् 1946 में उसके मित्र शमसुलइसलाम ने बड़े प्यार से उसे किताब भेंट की थी। सुनील दास गुप्त ने लेखिका को किताब दिखाकर यह बताया कि जब भारत-पाक विभाजन हुआ तब मैं भारत आ गया था, परंतु मेरा वतन ढाका है। मैं उस समय 12-13 साल का था परंतु नज़रुल और टैगोर को हम लोग बचपन में पढ़ा करते थे। जिस रात हम यहाँ आ रहे थे उसके ठीक एक साल पहले मेरे सबसे पुराने, सर्वाधिक प्रिय बचपन के मित्र ने मुझे यह किताब दी थी। उस दिन मेरी सालगिरह थी फिर हम कलकत्ता में रहे, पढ़े और फिर मुझे नौकरी भी मिल गई। परंतु हम अपने वतन आते-जाते रहते थे।
प्रश्न 11.
राजनीतिक सीमा तथा राजनीतिज्ञों के कारण भले ही भारत और पाकिस्तान के लोग धार्मिक दुराग्रह के शिकार बने हुए हैं लेकिन फिर भी हिंदुस्तान-पाकिस्तान के दिल मिलने के लिए आतुर रहते हैं। प्रस्तुत पाठ के आधार पर इस कथन का विवेचन कीजिए।
अथवा
‘नमक’ पाठ के आधार पर वतन की स्मृति का विश्लेषण कीजिए।
उत्तर:
आम लोगों के हृदयों में कोई दुश्मनी नहीं है। सामान्य जनता धर्म या क्षेत्र के आधार पर संघर्ष नहीं करना चाहती। बल्कि दोनों देशों के लोग अच्छे पड़ोसियों के समान रहना चाहते हैं। प्रस्तुत कहानी से पता चलता है कि सिख बीबी लाहौर को अपना वतन मानती है और वहाँ के नमक की सौगात चाहती है। पाकिस्तानी कस्टम अधिकारी दिल्ली को अपना वतन मानता है। यही नहीं वह जामा मस्जिद की सीढ़ियों को अपना सलाम भेजता है। वह सिख बीबी को यह संदेशा भी भेजता है कि लाहौर अभी तक उसका वतन है और दिल्ली मेरा वतन है। बाकी सब धीरे-धीरे ठीक हो जाएगा। इसी प्रकार भारतीय कस्टम अधिकारी सुनील दास गुप्त ढाका को अपना वतन मानता है। वहाँ के नारियल को कोलकाता के नारियल से श्रेष्ठ मानता है। वह ढाका के बारे में कहता है कि हमारी जमीन और हमारे पानी का मजा ही कुछ ओर है। कहानी के इन प्रसंगों से पता चलता है कि भारतवासियों और पाकिस्तानियों के दिलों में किसी प्रकार का भेदभाव नहीं है।
प्रश्न 12.
इस कहानी के आधार पर सफिया के भाई का चरित्र-चित्रण कीजिए।
उत्तर:
सफ़िया का भाई एक पाकिस्तानी पुलिस अधिकारी है। अतः उसके व्यवहार में अफसरों जैसा रोबदाब है। उसका स्वभाव भी बड़ा कठोर है। वह भारत पाकिस्तान के भेदभाव का समर्थक प्रतीत होता है। वह पारिवारिक संबंधों में भी भारत-पाक के भेदभाव को प्रमुखता देता है। वस्तुतः वह एक कट्टर तथा कठोर मुसलमान अफसर है। जब उसकी बहन सफ़िया भारत में लाहौरी नमक ले जाना चाहती है तो वह कहता है, “यह गैर-कानूनी है, नमक तो आपके हिस्से में बहुत ज्यादा है।” ऐसे लोगों के कारण ही भारत-पाक दूरियाँ बढ़ रही हैं। स्वभाव का कठोर होने के कारण वह संवेदनशून्य व्यक्ति है। वह सभी कस्टम अधिकारियों को अपने जैसा ही समझता है। इसलिए वह अपनी बहन को यह सलाह देता है कि वह लाहौरी नमक भारत न ले जाए यदि वह पकड़ी गई तो उसकी बड़ी बदनामी होगी।
प्रश्न 13.
सफिया ने किस प्रकार अपनी व्यवहार कुशलता द्वारा कस्टम अधिकारियों को प्रभावित कर लिया ?
उत्तर:
सफ़िया एक साहित्यकार होने के कारण एक व्यवहारकुशल नारी है। वह मानवीय रिश्तों के मर्म को अच्छी प्रकार समझती है। वह इस मनौवैज्ञानिक तथ्य से भली प्रकार परिचित है कि यदि किसी व्यक्ति के साथ भावनात्मक संबंध जोड़ लिए जाएँ या उसके समक्ष विनम्रतापूर्वक निवेदन किया जाए तो वह निश्चय से उसकी बात को मान जाएगा। उसने सर्वप्रथम पाकिस्तान के कस्टम अधिकारी से उसके वतन के बारे में पूछा और उससे व्यक्तिगत संबंध जोड़ लिया और फिर उसने दिल्ली को अपना वतन बताकर उससे गहरा संबंध जोड़ लिया। इस प्रकार वह मुहब्बत का तोहफा लाहौरी नमक पाकिस्तानी अधिकारी से साफ निकलवाकर ले गई। इसी प्रकार उसने भारतीय कस्टम अधिकारी सुनील दास गुप्त के मर्म को छुआ और वह सिख बीबी के लिए लाहौरी नमक ले जाने में कामयाब हो गई।
प्रश्न 14.
प्रस्तुत कहानी ‘नमक’ में भारत-पाक संबंधों में किस प्रकार एकता देखी जा सकती है?
उत्तर:
विभाजन से पहले भारत पाकिस्तान दोनों एक ही देश के दो भाग थे। विभाजन के बाद एक का नाम पाकिस्तान कहलाया और दूसरे का भारत। परंतु दोनों देशों के लोगों की भाषा, बोली, वेशभूषा आदि एक जैसी ही है। यही नहीं, दोनों देशों का खान-पान भी एक जैसा है। दोनों देशों में ऐसे अनेक नागरिक रहते हैं जिनकी जड़ें दूसरे देश में हैं। जो हिंदू पाकिस्तान से विस्थापित होकर भारत में आए वे पाकिस्तान को भी अपनी जन्मभूमि मानते हैं। यही स्थिति उन भारतीयों की है जो भारत से विस्थापित होकर पाकिस्तान चले गए। यदि दोनों देशों में सांप्रदायिकता को समाप्त कर दिया जाए तं सकते हैं लेकिन हमारे राजनीतिज्ञ अपने स्वार्थों को पूरा करने के लिए दोनों देशों की एकता को पनपने नहीं देते।
बहविकल्पीय प्रश्नोत्तर
1. रजिया सज्जाद जहीर का जन्म कब हुआ?
(A) 15 फरवरी, 1917 को
(B) 15 फरवरी, 1918 को
(C) 15 फरवरी, 1919 को
(D) 15 फरवरी, 1920 को
उत्तर:
(A) 15 फरवरी, 1917 को
2. रजिया सज्जाद जहीर का जन्म कहाँ हुआ?
(A) जयपुर
(B) अजमेर
(C) जोधपुर
(D) बीकानेर
उत्तर:
(B) अजमेर
3. रजिया सज्जाद जहीर ने किस विषय में एम.ए. की परीक्षा पास की ?
(A) हिंदी में
(B) अंग्रेजी में
(C) उर्दू में
(D) पंजाबी में
उत्तर:
(C) उर्दू में
4. सन् 1947 में रज़िया सज्जाद ज़हीर अजमेर छोड़कर कहाँ चली गई?
(A) आगरा
(B) मेरठ
(C) कानपुर
(D) लखनऊ
उत्तर:
(D) लखनऊ
5. रजिया सज्जाद जहीर ने किस व्यवसाय को अपनाया?
(A) व्यापार
(B) अध्यापन
(C) नौकरी
(D) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(B) अध्यापन
6. रज़िया सज्जाद ज़हीर का देहांत कब हुआ?
(A) 18 दिसंबर, 1980 को
(B) 19 दिसंबर, 1978 को
(C) 18 दिसंबर, 1979 को
(D) 18 दिसंबर, 1982 को
उत्तर:
(C) 18 दिसंबर, 1979 को
7. रज़िया सज्जाद ज़हीर को निम्नलिखित में से कौन-सा पुरस्कार प्राप्त हुआ?
(A) प्रेमचंद पुरस्कार
(B) सोवियत भूमि नेहरू पुरस्कार
(C) कबीर पुरस्कार
(D) साहित्य अकादमी
उत्तर:
(B) सोवियत भूमि नेहरू पुरस्कार
8. उत्तरप्रदेश की किस अकादेमी ने रज़िया सज्जाद ज़हीर को पुरस्कार देकर सम्मानित किया?
(A) उर्दू अकादेमी
(B) हिंदी अकादेमी
(C) ललित कला अकादेमी
(D) चित्रकला अकादेमी
उत्तर:
(A) उर्दू अकादेमी
9. रज़िया सज्जाद ज़हीर को ‘सोवियत भूमि नेहरू पुरस्कार’ तथा ‘उर्दू अकादेमी पुरस्कार’ के अतिरिक्त और कौन-सा पुरस्कार प्राप्त हुआ?
(A) अखिल भारतीय लेखिका संघ अवार्ड
(B) उत्तरप्रदेश लेखिका संघ अवार्ड
(C) दिल्ली लेखिका संघ अवार्ड
(D) उत्तर भारतीय लेखिका संघ अवार्ड
उत्तर:
(A) अखिल भारतीय लेखिका संघ अवार्ड
10. सन् 1965 में रज़िया सज्जाद जहीर की नियुक्ति कहाँ पर हुई?
(A) आकाशवाणी में
(B) साहित्य अकादेमी में
(C) उर्दू अकादेमी में
(D) सोवियत सूचना विभाग में
उत्तर:
(D) सोवियत सूचना विभाग में
11. रजिया सज्जाद जहीर के एकमात्र कहानी संग्रह का नाम क्या है?
(A) ज़र्द गुलाब
(B) पीला गुलाब
(C) नीला गुलाब
(D) काला गुलाब
उत्तर:
(A) ज़र्द गुलाब
12. रजिया सज्जाद जहीर मूलतः किस भाषा की लेखिका हैं?
(A) हिंदी
(B) उर्दू
(C) अरबी
(D) फारसी
उत्तर:
(B) उर्दू
13. ‘नमक’ कहानी की लेखिका का नाम क्या है?
(A) महादेवी वर्मा
(B) सुभद्राकुमारी चौहान
(C) रज़िया सज्जाद जहीर
(D) फणीश्वर नाथ रेणु
उत्तर:
(C) रज़िया सज्जाद जहीर
14. नमक कहानी का संबंध किससे है?
(A) हिंदुओं तथा मुसलमानों से
(B) भारतवासियों से
(C) पाकिस्तानियों से
(D) भारत-पाक विभाजन से
उत्तर:
(D) भारत-पाक विभाजन से
15. सफिया पाकिस्तान के किस नगर में गई थी?
(A) मुलतान में
(B) लाहौर में
(C) सयालकोट में
(D) इस्लामाबाद में
उत्तर:
(B) लाहौर में
16. सफिया लाहौर जाने से पहले किस कार्यक्रम में गई थी?
(A) कीर्तन में
(B) जगराते में
(C) मंदिर में
(D) मस्जिद में
उत्तर:
(A) कीर्तन में
17. सिख बीबी ने किसे अपना वतन कहा?
(A) अमृतसर को
(B) लाहौर को
(C) दिल्ली को
(D) मुलतान को
उत्तर:
(B) लाहौर को
18. कीर्तन कितने बजे समाप्त हुआ?
(A) 9 बजे
(B) 10 बजे
(C) 11 बजे
(D) 12 बजे
उत्तर:
(C) 11 बजे
19. सिख बीबी ने सफिया से क्या तोहफा लाने के लिए कहा?
(A) लाहौरी शाल
(B) लाहौरी नमक
(C) लाहौरी कीनू
(D) लाहौरी मेवा
उत्तर:
(B) लाहौरी नमक
20. सफ़िया लाहौर में किसके पास गई थी?
(A) माता-पिता के पास
(B) दोस्तों के पास
(C) पड़ोसियों के पास
(D) भाइयों के पास
उत्तर:
(D) भाइयों के पास
21. सफिया का भाई क्या था?
(A) पुलिस अफसर
(B) कस्टम अधिकारी
(C) व्यापारी
(D) सरकारी नौकर
उत्तर:
(A) पुलिस अफसर
22. सफिया ने बादामी कागज की पुड़िया में क्या बंद कर रखा था?
(A) सिंदूरी नमक
(B) सोडियम नमक
(C) सिंधी नमक
(D) लाहौरी नमक
उत्तर:
(D) लाहौरी नमक
23. कस्टमवालों के लिए क्या आवश्यक है?
(A) दिव्य ज्ञान
(B) ज्योतिष ज्ञान
(C) कर्त्तव्यपालन
(D) सहज समाधि
उत्तर:
(C) कर्त्तव्यपालन
24. ‘आखिर कस्टमवाले भी इंसान होते हैं, कोई मशीन तो नहीं होते’, यह कथन किसका है?
(A) ‘सफिया के भाई का
(B) सफ़िया का
(C) लेखिका का
(D) सुनील दास गुप्त का
उत्तर:
(B) सफ़िया का
25. आप अदीब ठहरी और सभी अदीबों का दिमाग थोड़ा-सा तो ज़रूर ही घूमा हुआ होता है। यहाँ अदीब शब्द किसके लिए प्रयोग हुआ है?
(A) सिरफिरे व्यक्ति के लिए
(B) पागल के लिए
(C) साहित्यकार के लिए
(D) सरकारी अधिकारी के लिए
उत्तर:
(C) साहित्यकार के लिए
26. सफिया के कितने सगे भाई पाकिस्तान में थे?
(A) दो
(B) पाँच
(C) चार
(D) तीन
उत्तर:
(D) तीन
27. पहले सफिया ने नमक की पुड़िया को कहाँ रखा?
(A) अपने पर्स में
(B) फलों की टोकरी की तह में
(C) फलों के ऊपर
(D) सूटकेस में
उत्तर:
(B) फलों की टोकरी की तह में
28. सुनीलदास गुप्ता को सालगिरह पर उसके मित्र ने पुस्तक कब भेंट की?
(A) 1944
(B) 1942
(C) 1946
(D) 1940
उत्तर:
(C) 1946
29. कस्टम अधिकारी सुनीलदास गुप्ता को उसके बचपन के दोस्त ने किस अवसर पर पुस्तक भेंट की थी?
(A) सालगिरह
(B) नववर्ष
(C) दीपावली
(D) जन्मदिन
उत्तर:
(A) सालगिरह
30. संतरे और माल्टे को मिलाकर कौन-सा फल तैयार किया जाता है?
(A) नींबू
(B) मौसमी
(C) कीनू
(D) चकोतरा
उत्तर:
(C) कीनू
31. सफिया के दोस्त ने कीनू देते हुए क्या कहा था?
(A) यह हमारी दोस्ती का सबूत है
(B) यह हमारे प्रेम का सबूत है
(C) यह हिंदस्तान-पाकिस्तान की एकता का मेवा है
(D) यह रसीला और ठण्डा फल है
उत्तर:
(C) यह हिंदुस्तान-पाकिस्तान की एकता का मेवा है।
32. किस रंग के कागज़ की पुड़िया में सेर भर सफेद लाहौरी नमक था?
(A) लाल
(B) सफेद
(C) बैंगनी
(D) बादामी
उत्तर:
(D) बादामी
33. “मुझे तो लाहौर का नमक चाहिए, मेरी माँ ने यही मँगवाया है।” वाक्य में सफिया ने अपनी माँ किसे कहा है?
(A) सिख बीबी
(B) सगी माँ
(C) मित्र की माँ
(D) पति की माँ
उत्तर:
(A) सिख बीबी
34. “मुहब्बत तो कस्टम से इस तरह गुज़र जाती है कि कानून हैरान रह जाता है।” यह कथन किसका है?
(A) पाकिस्तान कस्टम अधिकारी का
(B) सफ़िया का
(C) सफ़िया के भाई का
(D) सुनील दास गुप्त का
उत्तर:
(A) पाकिस्तान कस्टम अधिकारी का
35. ‘नमक’ कहानी में सबसे अच्छा डाभ कहाँ का बताया गया है?
(A) कलकत्ता का
(B) राँची का
(C) मथुरा का
(D) ढाका का
उत्तर:
(D) ढाका का
36. सफिया अपने को क्या कहती थी?
(A) मुगल
(B) पठान
(C) शेख
(D) सैयद
उत्तर:
(D) सैयद
37. सुनील दास किसे अपना वतन मानता है?
(A) भारत को
(B) पाकिस्तान को
(C) दिल्ली को
(D) ढाका को
उत्तर:
(D) ढाका को
38. सफ़िया कहाँ की रहने वाली है?
(A) कराची
(B) बंगाल
(C) जालन्धर
(D) लाहौर
उत्तर:
(D) लाहौर
39. सुनीलदास गुप्त अपने दोस्त के साथ बचपन में किन साहित्यकारों को पढ़ते थे?
(A) नजरुल और निराला
(B) नजरुल और शरतचंद्र
(C) टैगोर और शरतचंद्र
(D) नज़रुल और टैगोर
उत्तर:
(D) नज़रुल और टैगोर
40. अमृतसर में सफिया के सामान की जाँच करने वाले नौजवान कस्टम अधिकारी बातचीत और सूरत से कैसे लगते थे?
(A) गुजराती
(B) पंजाबी
(C) पाकिस्तानी
(D) बंगाली
उत्तर:
(D) बंगाली
41. ‘नमक’ पाठ के अनुसार क्या चीज़ हिंदुस्तान-पाकिस्तान की एकता का मेवा है?
(A) कीनू
(B) काजू
(C) बादाम
(D) पिस्ता
उत्तर:
(A) कीनू
42. सफिया की अम्मा सफेद बारीक मलमल का दुपट्टा कब ओढ़ा करती थी?
(A) मुहर्रम पर
(B) रमजान पर
(C) रक्षाबंधन पर
(D) ईद पर
उत्तर:
(A) मुहर्रम पर
43. “हमारा वतन तो जी लाहौर ही है” यह कथन किसका है?
(A) सिख बीबी
(B) सुनील दास गुप्त
(C) सफ़िया
(D) सफ़िया का भाई
उत्तर:
(A) सिख बीबी
44. सफिया अपने भाइयों से मिलने कहाँ जा रही थी?
(A) ढाका
(B) लाहौर
(C) कराची
(D) अमृतसर
उत्तर:
(B) लाहौर
नमक प्रमुख गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या
[1] उन सिख बीबी को देखकर सफिया हैरान रह गई थी, किस कदर वह उसकी माँ से मिलती थी। वही भारी भरकम जिस्म, छोटी-छोटी चमकदार आँखें, जिनमें नेकी, मुहब्बत और रहमदिली की रोशनी जगमगाया करती थी। चेहरा जैसे कोई खुली हुई किताब। वैसा ही सफेद बारीक मलमल का दुपट्टा जैसा उसकी अम्मा मुहर्रम में ओढ़ा करती थी। जब सफिया ने कई बार उनकी तरफ मुहब्बत से देखा तो उन्होंने भी उसके बारे में घर की बहू से पूछा। उन्हें बताया गया कि ये मुसलमान हैं। कल ही सुबह लाहौर जा रही हैं अपने भाइयों से मिलने, जिन्हें इन्होंने कई साल से नहीं देखा। लाहौर का नाम सुनकर वे उठकर सफिया के पास आ बैठी और उसे बताने लगी कि उनका लाहौर कितना प्यारा शहर है। वहाँ के लोग कैसे खूबसूरत होते हैं, उम्दा खाने और नफीस कपड़ों के शौकीन, सैर-सपाटे के रसिया, जिंदादिली की तसवीर। [पृष्ठ-130]
प्रसंग-प्रस्तुत गद्य भाग हिंदी की पाठ्यपुस्तक ‘आरोह भाग 2′ में संकलित पाठ ‘नमक’ में से लिया गया है। इसकी लेखिका रजिया सज्जाद ज़हीर हैं। ‘नमक’ उनकी एक उल्लेखनीय कहानी है, जिसमें लेखिका ने भारत-पाक विभाजन के बाद दोनों देशों के विस्थापित तथा पुनर्वासित लोगों की भावनाओं का मार्मिक वर्णन किया है। विस्थापित होकर भारत में रहने वाली सिख बीबी लाहौर को अपना वतन समझती है और वहाँ से नमक मँगवाना चाहती है, परंतु पाकिस्तान से नमक लाना गैरकानूनी है। सफ़िया जब कीर्तन में उन सिख बीबी को देखती है तो उनमें उसे अपनी माँ की झलक दिखती है। वह सिख बीबी सफिया से लाहौर और वहाँ के लोगों की अच्छाइयाँ बताती है। इसी संदर्भ में लेखिका कहती है
व्याख्या-उस सिख बीबी को देखकर सफिया हैरान हो गई कि किस प्रकार वह उसकी माँ से मिलती थी। उसका परिचय देते हुए सफ़िया कहती है कि उस सिख बीबी का शरीर भारी था, परंतु उसकी आँखें छोटी-छोटी तथा चमकदार थीं। उसकी आँखों से नेकी, प्रेम और दयालुता का प्रकाश जगमगाता था। उसका चेहरा क्या था, मानों कोई खुली हुई पुस्तक हो। उसके सिर पर श्वेत रंग का बहुत ही पतला मलमल का दुपट्टा था। इसी प्रकार का दुपट्टा उसकी माँ मुहर्रम के अवसर पर ओढ़ती थी। सफ़िया ने अनेक बार उसकी ओर प्यार से देखा। फलस्वरूप सिख बीबी ने लेखिका के बारे में घर की बहू से पूछ ही लिया।
तब उसकी बहू ने बताया कि ये महिला मुसलमान है। कल सवेरे यह अपने भाइयों से मिलने लाहौर जा रही है। इसने अपने भाइयों को कई सालों से नहीं देखा है। जब सिख बीबी ने लाहौर का नाम सुना तो वह लेखिका के पास आकर बैठ गई और कहने लगी कि उसका लाहौर बहुत प्यारा शहर है। लाहौर के निवासी बड़े सुंदर और अच्छा खाना खाने वाले होते हैं और यही नहीं सुरुचिपूर्ण कपड़े पहनने के शौकीन होते हैं। उन्हें घूमने-फिरने से भी लगाव है। लाहौर और वहाँ के निवासी उत्साह और जोश की मूर्ति दिखाई देते हैं।
विशेष-
- यहाँ लेखिका ने सिख बीबी के माध्यम से लाहौर शहर की सुंदरता और वहाँ के लोगों की सुंदरता तथा उनकी जिंदादली का यथार्थ वर्णन किया है।
- सहज, सरल तथा हिंदी-उर्दू मिश्रित भाषा का सफल प्रयोग किया गया है।
- वाक्य-विन्यास सर्वथा उचित व भावाभिव्यक्ति में सहायक है।
- नेकी, मोहब्बत, रहमदिली, रोशनी, उम्दा, नफीस, शौकीन आदि उर्दू के शब्दों का सुंदर प्रयोग किया गया है।
- वर्णनात्मक तथा संवादात्मक शैलियों का प्रयोग किया गया है।
गद्यांश पर आधारित अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर
प्रश्न-
(क) पाठ तथा लेखिका का नाम लिखिए।
(ख) सिख बीबी को देखकर सफिया हैरान क्यों रह गई?
(ग) घर की बहू ने सफिया के बारे में सिख बीबी को क्या बताया?
(घ) सिख बीबी ने लाहौर के बारे में सफिया से क्या कहा?
उत्तर:
(क) पाठ का नाम-‘नमक’, लेखिका-रज़िया सज्जाद ज़हीर।।
(ख) सिख बीबी को देखकर सफ़िया इसलिए हैरान रह गई क्योंकि उसकी शक्ल उसकी माँ से मिलती थी। सफ़िया की माँ की तरह उसका शरीर भारी-भरकम, छोटी चमकदार आँखें, जिनसे दयालुता का प्रकाश विकीर्ण हो रहा था। सिख बीबी का मुख उसकी माँ जैसा था और उसने उसकी माँ की तरह मलमल का दुपट्टा ओढ़ रखा था, जो उसकी माँ मुहर्रम पर ओढ़ा करती थी।
(ग) घर की बहू ने सिख बीबी को सफिया के बारे में यह बताया कि वह एक मुसलमान है और उसके भाई लाहौर में रहते हैं। वह पिछले कई सालों से अपने भाइयों से नहीं मिली। इसलिए वह उनसे मिलने लाहौर जा रही है।
(घ) सिख बीबी ने सफ़िया को कहा कि लाहौर बहुत ही प्यारा शहर है। वहाँ के लोग न केवल सुंदर होते हैं, बल्कि सुरुचिपूर्ण कपड़े पहनते हैं। वे घूमने-फिरने के भी शौकीन हैं। उनमें उत्साह व जोश भी बहुत है।
[2] “अरे बाबा, तो मैं कब कह रही हूँ कि वह ड्यूटी न करें। एक तोहफा है, वह भी चंद पैसों का, शौक से देख लें, कोई सोना-चाँदी नहीं, स्मगल की हुई चीज़ नहीं, ब्लैक मार्केट का माल नहीं।”
“अब आपसे कौन बहस करे। आप अदीब ठहरी और सभी अदीबों का दिमाग थोड़ा-सा तो ज़रूर ही घूमा हुआ होता है। वैसे मैं आपको बताए देता हूँ कि आप ले नहीं जा पाएँगी और बदनामी मुफ्त में हम सबकी
भी होगी। आखिर आप कस्टमवालों को कितना जानती हैं?”
उसने गुस्से से जवाब दिया, “कस्टमवालों को जानें या न जानें, पर हम इंसानों को थोड़ा-सा जरूर जानते हैं।
और रही दिमाग की बात सो अगर सभी लोगों का दिमाग हम अदीबों की तरह घूमा हुआ होता तो यह दुनिया कुछ बेहतर ही जगह हो जाती, भैया।” [पृष्ठ-131]
प्रसंग-प्रस्तुत गद्य भाग हिंदी की पाठ्यपुस्तक ‘आरोह भाग 2’ में संकलित पाठ ‘नमक’ में से लिया गया है। इसकी लेखिका रज़िया सज्जाद जहीर हैं। ‘नमक’ उनकी एक उल्लेखनीय कहानी है, जिसमें लेखिका ने भारत-पाक विभाजन के बाद दोनों देशों के विस्थापित तथा पुनर्वासित लोगों की भावनाओं का मार्मिक वर्णन किया है। विस्थापित होकर भारत में रहने वाली सिख बीबी लाहौर को अपना वतन मानती है और वहाँ से नमक मँगवाना चाहती है, परंतु पाकिस्तान से नमक मँगवाना गैर-कानूनी है। यहाँ लेखिका ने अपने और अपने भाई के वार्तालाप को प्रस्तुत किया है।
व्याख्या-लेखिका अपने पुलिस अधिकारी भाई से कहती है कि मैं यह कब कहती हूँ कि कस्टमवाले अपने कर्तव्य का पालन न करें। मैं तो मात्र एक छोटी-सी भेंट लेकर जा रही हूँ, जो थोड़े पैसों में खरीदी जा सकती है और वे इसकी अच्छी प्रकार जाँच कर सकते हैं। यह थोड़ा-सा नमक है, न सोना है, न चाँदी है। यह स्मगल की गई कोई वस्तु नहीं है, और न ही कोई काला-बाज़ारी का माल है।
लेखिका की बातों का उत्तर देते हुए उसके भाई ने कहा कि अब आपसे कौन बहस कर सकता है, क्योंकि आप एक साहित्यकार हैं और साहित्यकारों का दिमाग थोड़ा सा घूमा हुआ होता ही है। लेकिन मैं आपको यह बता दूँ कि आप यह भेंट भारत नहीं ले जा सकेंगी। इससे हम सबको अपयश अवश्य ही मिलेगा। आप कस्टम अधिकारियों के बारे में कितना जानती हैं। वह प्रत्येक वस्तु की अच्छी तरह जाँच-पड़ताल करते हैं। तब सफ़िया ने क्रोधित होकर अपने भाई से कहा कि कस्टम वालों को चाहे कोई न जाने परंतु मैं मनुष्यों को थोड़ा बहुत अच्छी तरह जानती हूँ। जहाँ तक बुद्धि का सवाल है तो हम जैसे साहित्यकारों के समान लोगों का भी दिमाग थोड़ा घूमा हुआ होता तो यह संसार बहुत उत्तम होता। लेकिन दुख इस बात का है कि लोगों के पास हम जैसा दिमाग नहीं है।
विशेष-
- यहाँ लेखिका ने इंसानियत में अपना गहरा विश्वास व्यक्त किया है।
- लेखिका यह स्पष्ट करती है कि लोगों का दिमाग साहित्यकारों जैसा हो जाए तो संसार में सुख और शांति की स्थापना हो जाए।
- सहज, सरल, बोधगम्य भाषा का प्रयोग है जिसमें उर्दू तथा अंग्रेज़ी अक्षरों का मिश्रण हुआ है।
- ड्यूटी, स्मगल, ब्लैक मार्केट, कस्टम आदि अंग्रेज़ी के शब्द हैं तथा तोहफा शौक, चीज़, अदीब, दिमाग, मुफ्त, दुनिया, इंसान आदि उर्दू के शब्द हैं।
- वाक्य-विन्यास बड़ा ही सटीक बन पड़ा है।
गद्यांश पर आधारित अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर
प्रश्न-
(क) सफिया क्या तर्क देकर पाकिस्तान से भारत में नमक ले जाना चाहती है?
(ख) सफिया का भाई अपनी बहन को अदीब कहकर साहित्यकारों पर क्या टिप्पणी करता है?
(ग) सिद्ध कीजिए कि सफ़िया मानवता पर विश्वास करती है?
(घ) सफिया के अनुसार किस स्थिति में दुनिया कुछ बेहतर हो सकती है?
(ङ) सफिया तथा उसके भाई में स्वभावगत अंतर क्या है? स्पष्ट करें।
उत्तर:
(क) सफ़िया का तर्क यह है कि नमक केवल एक भेंट है जो थोड़े-से पैसों से खरीदी जा सकती है। यह भेंट न सोना है, न चाँदी है और न ही चोरी की वस्तु है। यह तो काला बाज़ार की वस्तु भी नहीं है।
(ख) सफिया का भाई अपनी बहन को साहित्यकार कहता है तथा यह भी कहता है कि सभी साहित्यकारों का दिमाग थोड़ा-सा हिला हुआ होता है। इस पागलपन में उसकी बहन नमक तो नहीं ले जा सकेगी, पर उसकी बदनामी अवश्य होगी।
(ग) सफ़िया का मानवता पर पूर्ण विश्वास है। वह सोचती है कि सीमा शुल्क अधिकारी भी इंसान होते हैं और वे इस बात को समझेंगे कि यह नमक केवल प्रेम की भेंट है, जिसे वह सिख बीबी के लिए लेकर जा रही है।
(घ) सफ़िया का विचार है कि सभी लोगों का दिमाग अगर साहित्यकारों जैसा हो, तथा उनकी सोच भी साहित्यकारों जैसी हो तो यह संसार आज और अच्छा होता।
(ङ) सफ़िया का भाई कानून को मानने वाला इंसान है। इसलिए वह कहता है कि कस्टम अधिकारी नमक को भारत नहीं ले जाने देंगे परंतु सफिया कानून के साथ-साथ प्रेम, मुहब्बत तथा मनुष्यता को भी महत्त्व देती है। इसलिए उसका विश्वास है कि कस्टम अधिकारी भेंट के रूप में ले जाए रहे नमक को नहीं रोकेंगे।
[3] अब तक सफिया का गुस्सा उतर चुका था। भावना के स्थान पर बुद्धि धीरे-धीरे उस पर हावी हो रही थी। नमक की पुड़िया ले तो जानी है, पर कैसे? अच्छा, अगर इसे हाथ में ले लें और कस्टमवालों के सामने सबसे पहले इसी को रख दें? लेकिन अगर कस्टमवालों ने न जाने दिया! तो मज़बूरी है, छोड़ देंगे। लेकिन फिर उस वायदे का क्या होगा जो हमने अपनी माँ से किया था? हम अपने को सैयद कहते हैं। फिर वायदा करके झुठलाने के क्या मायने? जान देकर भी वायदा पूरा करना होगा। मगर कैसे? अच्छा, अगर इसे कीनुओं की टोकरी में सबसे नीचे रख लिया जाए तो इतने कीनुओं के ढेर में भला कौन इसे देखेगा? और अगर देख लिया? नहीं जी, फलों की टोकरियाँ तो आते वक्त भी किसी की नहीं देखी जा रही थीं। उधर से केले, इधर के कीनू सब ही ला रहे थे, ले जा रहे थे। यही ठीक है, फिर देखा जाएगा। [पृष्ठ-133]
प्रसंग-प्रस्तुत गद्य भाग हिंदी की पाठ्यपुस्तक ‘आरोह भाग 2′ में संकलित पाठ ‘नमक’ में से लिया गया है। इसकी लेखिका रज़िया सज्जाद ज़हीर हैं। ‘नमक’ लेखिका की एक उल्लेखनीय कहानी है, जिसमें लेखिका ने भारत-पाक विभाजन के बाद दोनों देशों के विस्थापित तथा पुनर्वासित लोगों की भावनाओं का मार्मिक वर्णन किया है। विस्थापित होकर भारत में रहने वाली सिख बीबी लाहौर से नमक मँगवाना चाहती है, परंतु पाकिस्तान से नमक मँगवाना गैर-कानूनी है। यहाँ लेखिका ने सफ़िया की मनःस्थिति का परिचय दिया है। भावना के स्थान पर बुद्धि हावी हो चुकी थी। इसलिए वह यह सोचने पर मजबूर हो जाती है कि वह नमक को भारत कैसे ले जाए।
व्याख्या-धीरे-धीरे सफ़िया का क्रोध दूर होने लगा। भावनाओं का उबाल मंद पड़ चुका था। भावनाओं के स्थान पर बुद्धि उसे सोचने पर मजबूर कर रही थी। वह सोचने लगी कि उसे नमक तो ले जाना है, पर वह नमक को किस प्रकार ले जाए। यह एक विचारणीय प्रश्न है। वह सोचती है कि यदि वह नमक को अपने हाथ में ले ले और कस्टम अधिकारियों के समक्ष इसी को प्रस्तुत कर दे, तो इसका परिणाम क्या होगा। हो सकता है कि वह उसे नमक न ले जाने दें। ऐसी स्थिति में मजबूर होकर उसे नमक वहीं छोड़ना पड़ेगा। अगले क्षण वह सोचने लगी कि उसके वचन का क्या होगा, जो उसने अपनी माँ जैसी औरत को दिया था। सफ़िया सोचती है कि हम लोग सैयद माने जाते हैं और सैयद हमेशा वादा निभाते हैं। यदि मैंने अपना वचन न निभाया तो क्या होगा। मुझे अपने प्राण देकर भी यह वचन पूरा करना चाहिए। पर यह कैसे हो, यह सोचने की बात है।
अगले ही क्षण सफ़िया सोचने लगी कि मैं कीनुओं की टोकरी के नीचे इस नमक की पोटली को रख दूँ। ऊपर कीनुओं का ढेर होगा। इन कीनुओं के नीचे कोई नमक को नहीं देख पाएगा। यदि किसी ने देख लिया तो क्या होगा? पर सफिया सोचने लगी कि ऐसा नहीं होगा। आते समय फलों की टोकरियों की जाँच नहीं हो रही थी। उधर से लोग केले ला रहे थे, इधर से कीनू ले जा रहे थे। इसलिए यही अच्छा है कि मैं नमक को कीनुओं के नीचे ही रख दूँ। जो होगा देखा जाएगा।
विशेष-
- यहाँ लेखिका ने सफिया के अंतर्द्वद्व का सफल उद्घाटन किया है।
- वह अपना वचन निभाने के लिए जैसे-तैसे अपनी माँ जैसी सिख बीबी तक पहुँचाना चाहती है।
- सहज, सरल तथा बोधगम्य हिंदी भाषा का प्रयोग है, जिसमें उर्दू तथा अंग्रेज़ी के शब्दों का मिश्रण हुआ है।
- वाक्य-विन्यास सर्वथा उचित व भावाभिव्यक्ति में सहायक है।
- आत्मचिन्तन प्रधान नई शैली का प्रयोग हुआ है।
गद्यांश पर आधारित अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर
प्रश्न-
(क) भावना के स्थान पर बुद्धि हावी होने का क्या अर्थ है?
(ख) सफिया के मन में चल रहे अंतर्द्वद्ध का उद्घाटन कीजिए।
(ग) सैयदों के बारे में सफिया ने क्या दृष्टिकोण व्यक्त किया है?
(घ) अंत में सफिया ने क्या फैसला किया?
उत्तर:
(क) भाक्ना के आवेग में सफ़िया अपने पुलिस अधिकारी भाई से तर्क-वितर्क करने लगी थी। भावनाओं के कारण वह पाकिस्तान से सिख बीबी के लिए नमक ले जाना चाहती थी। परंतु जब उसके भाई ने उसके नमक ले जाने का समर्थन नहीं दिया तो वह बुद्धि द्वारा कोई उपाय खोजने लगी, ताकि वह नमक की पुड़िया ले जा सके।
(ख) सफ़िया के मन में यह द्वंद्व चल रहा था कि वह नमक हाथ में रखकर सीमा शुल्क अधिकारियों के समक्ष रख देगी। परंतु उसे विचार आया कि यदि अधिकारी न माने तो उसे नमक वहीं पर छोड़ना पड़ेगा, परंतु उसे फिर ध्यान आया कि जो वचन वह देकर आई थी, उस वचन का क्या होगा।
(ग) सफ़िया सैयद मुसलमान थी और सैयद लोग हमेशा अपने वादे को निभाते हैं तथा सच्चा सैयद वही होता है जो अपनी जान देकर भी अपना वादा पूरा करता है। सफ़िया भी यही करना चाहती थी।
(घ) अंत में सफ़िया ने यह फैसला लिया कि वह नमक की पुड़िया को कीनुओं की टोकरी की तह में रखकर ले जाएगी। जब वह भारत से आई थी तब उसने देखा कि अधिकारी फलों की जाँच नहीं कर रहे थे। भारत से लोग केले ला रहे थे, पाकिस्तान से लोग कीनू ले जा रहे थे।
[4] उसने कीनू कालीन पर उलट दिए। टोकरी खाली की और नमक की पुड़िया उठाकर टोकरी की तह में रख दी। एक बार झाँककर उसने पुड़िया को देखा और उसे ऐसा महसूस हुआ मानो उसने अपनी किसी प्यारे को कब्र की गहराई में उतार दिया हो! कुछ देर उकईं बैठी वह पुड़िया को तकती रही और उन कहानियों को याद करती रही जिन्हें वह अपने बचपन में अम्मा से सुना करती थी, जिनमें शहजादा अपनी रान चीरकर हीरा छिपा लेता था और देवों, खौफनाक भूतों तथा राक्षसों के सामने से होता हुआ सरहदों से गुज़र जाता था। इस ज़माने में ऐसी कोई तरकीब नहीं हो सकती थी वरना वह अपना दिल चीरकर उसमें यह नमक छिपा लेती। उसने एक आह भरी। [पृष्ठ-133]
प्रसंग-प्रस्तुत गद्य भाग हिंदी की पाठ्यपुस्तक ‘आरोह भाग 2’ में संकलित पाठ ‘नमक’ में से लिया गया है। इसकी लेखिका रजिया सज्जाद ज़हीर हैं। ‘नमक’ लेखिका की एक उल्लेखनीय कहानी है, जिसमें लेखिका ने भारत-पाक विभाजन के बाद दोनों देशों के विस्थापित तथा पुनर्वासित लोगों की भावनाओं का मार्मिक वर्णन किया है। विस्थापित होकर भारत में रहने वाली सिख बीबी लाहौर से नमक मँगवाना चाहती है, परंतु पाकिस्तान से नमक मँगवाना गैर-कानूनी है। यहाँ लेखिका ने सफिया के द्वंद्व का उद्घाटन किया है। सफिया सोच नहीं पा रही थी कि वह किस प्रकार नमक को छिपाकर भारत ले जाए। अंत में उसने निर्णय किया कि वह
कीनुओं से भरी,टोकरी में नमक छिपाकर ले जाएगी।
व्याख्या-सफ़िया ने सारे कीनू कालीन पर पलट डाले और टोकरी को खाली कर दिया। अब उसने पुड़िया को उठाया तथा टोकरी की तह में रख दिया। उसने एक बार पुड़िया को देखा, तब उसे ऐसा अनुभव हुआ कि मानो अपने किसी प्रियजन को कब्र की गहराई में उतार दिया है। कुछ देर सफ़िया उकईं बैठी रही और पुड़िया को देखती रही। वह उन कहानियों को याद करने लगी, जिन्हें उसने अपनी माँ से सुना था कि एक राजकुमार ने अपनी जंघा को चीरकर उसमें एक हीरा छिपा लिया था। वह देवताओं, भयानक भूतों तथा राक्षसों के बीच होता हुआ सीमा पार चला गया था। वह सोचने लगी कि आधुनिक संसार में ऐसा कोई तरीका नहीं है जिसे अपनाकर नमक की पुड़िया को ले जाया जा सके। वह सोचती है कि काश वह अपना दिल चीरकर उसमें नमक की पुड़िया ले जाती पर वह एक निराशा की आह भरकर रह गई।
विशेष-
- यहाँ लेखिका ने सफ़िया की मनः स्थिति पर समुचित प्रकाश डाला है जो जैसे-तैसे नमक को भारत ले जाना चाहती है।
- सहज, सरल तथा बोधगम्य हिंदी भाषा का प्रयोग है, जिसमें उर्दू मिश्रित शब्दों का प्रयोग हुआ है।
- शब्द-चयन सर्वथा उचित व भावाभिव्यक्ति में सहायक है।
- वर्णनात्मक शैली का प्रयोग है।
गद्यांश पर आधारित अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर
प्रश्न-
(क) सफिया ने नमक को कहाँ छिपाया और क्यों?
(ख) कीनुओं के नीचे दबी नमक की पुड़िया सफिया को कैसे लगी?
(ग) सफिया बचपन में सुनी राजकुमारों की कहानियों को क्यों याद करने लगी?
(घ) सफिया द्वारा खौफनाक भूतों तथा राक्षसों के साथ देवों का प्रयोग करना क्या उचित है?
(ङ) सफ़िया ने राजकुमार के कारनामों को सुनकर आह क्यों भरी?
उत्तर:
(क) सफ़िया ने नमक की पुड़िया को कीनू की टोकरी की तह में छिपाया। वह सीमा शुल्क अधिकारियों की नज़र से नमक की पुड़िया को बचाना चाहती थी। उसके भाई ने बताया था कि कस्टम वाले उसे नमक नहीं ले जाने देंगे।
(ख) सफ़िया को लगा कि कीनू की टोकरी में नमक को दबाना मानो किसी प्रिय जन को कब्र की गहराई में उतारना है।
(ग) सफ़िया बचपन में सुनी राजकुमारों की कहानियों को इसलिए याद करने लगी क्योंकि वह किसी भी तरह इस भेंट को भारत ले जाना चाहती थी।
(घ) वस्तुतः सफिया को देवता शब्द का समुचित ज्ञान नहीं है। वह नहीं जानती कि देवी-देवता हिंदुओं के लिए पूजनीय होते हैं। अपनी ना-समझी के कारण खौफनाक भूतों तथा राक्षसों के साथ देवताओं का प्रयोग कर देती है जोकि अनुचित है।
(ङ) सफिया ने राजकुमार के कारनामों को सुनकर आह इसलिए भरी क्योंकि वह राजकुमारों जैसे कारनामे नहीं कर सकती थी। सफ़िया द्वारा आह भरना उसकी निराशा तथा मजबूरी का प्रतीक है।
[5] रात को तकरीबन डेढ़ बजे थे। मार्च की सुहानी हवा खिड़की की जाली से आ रही थी। बाहर चाँदनी साफ और ठंडी थी। खिड़की के करीब लगा चंपा का एक घना दरख्त सामने की दीवार पर पत्तियों के अक्स लहका रहा था। कभी किसी तरफ से किसी की दबी हुई खाँसी की आहट, दूर से किसी कुत्ते के भौंकने या रोने की आवाज, चौकीदार की सीटी और फिर सन्नाटा! यह पाकिस्तान था। यहाँ उसके तीन सगे भाई थे, बेशमार चाहनेवाले दोस्त थे, बाप की कब्र थी, नन्हे-नन्हे भतीजे-भतीजियाँ थीं जो उससे बड़ी मासूमियत से पूछते, ‘फूफीजान, आप हिंदुस्तान में क्यों रहती हैं, जहाँ हम लोग नहीं आ सकते।’ उन सबके और सफिया के बीच में एक सरहद थी और बहुत ही नोकदार लोहे की छड़ों का जंगला, जो कस्टम कहलाता था। [पृष्ठ-133-134]
प्रसंग-प्रस्तुत गद्य भाग हिंदी की पाठ्यपुस्तक ‘आरोह भाग 2’ में संकलित पाठ ‘नमक’ में से लिया गया है। इसकी लेखिका रज़िया सज्जाद ज़हीर हैं। ‘नमक’ उनकी एक उल्लेखनीय कहानी है, जिसमें लेखिका ने भारत-पाक विभाजन के बाद दोनों देशों के विस्थापित तथा पुनर्वासित लोगों की भावनाओं का मार्मिक वर्णन किया है। विस्थापित होकर भारत में रहने वाली सिख बीबी लाहौर को अपना वतन मानती है और वहाँ से नमक मँगवाना चाहती है, परंतु पाकिस्तान से नमक मँगवाना गैर-कानूनी है। यहाँ लेखिका ने प्रकृति का वर्णन करते हुए भारत-पाक विभाजन की स्थिति पर समुचित प्रकाश डाला है।
व्याख्या-रात के लगभग डेढ़ बज चुके थे। मार्च का महीना था और खिड़की की जाली में से बड़ी सुंदर और ठंडी-ठंडी हवा अंदर आ रही थी। बाहर चाँदनी स्वच्छ और ठंडी लग रही थी। खिड़की के पास चम्पा का सघन पेड़ था। सामने की दीवार पर उस पेड़ के पत्तों का प्रतिबिम्ब पड़ रहा था। चारों ओर मौन छाया था। फिर भी किसी तरफ से दबी हुई खाँसी की आवाज़ आ जाती थी। दूर से किसी कुत्ते का भौंकना या रोना सुनाई दे रहा था। बीच-बीच में चौकीदार की सीटी बजती रहती थी, फिर चारों ओर मौन का वातावरण छा जाता था। सफ़िया पुनः कहती है कि यह पाकिस्तान था जहाँ उसके तीन सगे भाई रहते थे। असंख्य प्रेम करने वाले मित्र और संबंधी थे। उसके पिता की कब्र भी यहीं थी। उसके छोटे-छोटे भतीजे और भतीजियाँ भी थीं। जो बड़े भोलेपन से पूछते थे कि आप हिंदुस्तान में क्यों रह रही हैं। जहाँ हम आ नहीं सकते अर्थात हमारा हिंदुस्तान में आना वर्जित है। सफ़िया और उनके मध्य एक सीमा बनी हुई थी जहाँ नोकदार छड़ों का जंगला बना था, जिसको सीमा शुल्क (कस्टम) विभाग कहा जाता है। यही सीमा भारत और पाकिस्तान को अलग-अलग करती है।
विशेष-
- यहाँ लेखिका ने सफिया के माध्यम से मार्च महीने की रात्रि का बड़ा ही मार्मिक वर्णन किया है।
- सफिया के भतीजे-भतीजियों के माध्यम से भारत-पाक सीमाओं पर करारा व्यंग्य किया गया है।
- सहज, सरल तथा सामान्य हिंदी भाषा का प्रयोग है जिसमें उर्दू शब्दों की बहुलता है। सुहानी, दरखत, चौकीदार, बेशुमार, कब्र, मासूमियत, फूफीजान, सरहद आदि उर्दू के शब्दों का सहज प्रयोग हुआ है।
- वाक्य-विन्यास सर्वथा उचित व भावाभिव्यक्ति में सहायक है।
गद्यांश पर आधारित अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर
प्रश्न-
(क) मार्च के महीने की रात्रिकालीन प्रकृति का वर्णन किस प्रकार किया गया है?
(ख) रात का सन्नाटा किसके कारण भंग हो रहा था?
(ग) सफिया के कौन से सगे-संबंधी पाकिस्तान में रहते थे?
(घ) सफिया के भतीजे-भतीजियों ने उससे भोलेपन में क्या पूछा?
(ङ) सफिया ने कस्टम के बारे में क्या कहा है?
उत्तर:
(क) मार्च के महीने में रात्रिकालीन प्रकृति का वर्णन करते हुए लेखिका ने कहा है कि खिड़की की जाली से सुहानी हवा आ रही थी। बाहर स्वच्छ चाँदनी थी। खिड़की के बाहर चम्पा का एक सघन वृक्ष था, जिसके पत्तों का प्रतिबिम्ब सामने की दीवार पर पड़ रहा था।
(ख) कभी किसी तरफ से दबी खाँसी की आवाज़, दूर से कुत्ते का भौंकना एवं रोना और चौकीदार की सीटी की आवाज़ रात के सन्नाटे को भंग कर रही थी।
(ग) पाकिस्तान में सफिया के तीन सगे भाई थे। असंख्य प्रिय मित्र थे, उसके पिता की कब्र थी और छोटे-छोटे भतीजे-भतीजियाँ थीं।
(घ) भतीजे-भतीजियों ने भोलेपन से सफ़िया से पूछा कि फूफीजान आप हिंदुस्तान में क्यों रहती हैं, जहाँ हम लोग नहीं आ सकते।
(ङ) सफ़िया का कहना है कि उसके सगे-संबंधियों तथा उसके बीच एक सीमा बनी थी। जहाँ नोकदार लोहे की छड़ों का जंगला लगा था, इसी को कस्टम कहा जाता था।
[6] जब उसका सामान कस्टम पर जाँच के लिए बाहर निकाला जाने लगा तो उसे एक झिरझिरी-सी आई और एकदम से उसने फैसला किया कि मुहब्बत का यह तोहफा चोरी से नहीं जाएगा, नमक कस्टमवालों को दिखाएगी वह। उसने जल्दी से पुड़िया निकाली और हैंडबैग में रख ली, जिसमें उसका पैसों का पर्स और पासपोर्ट आदि थे। जब सामान कस्टम से होकर रेल की तरफ चला तो वह एक कस्टम अफसर की तरफ बढ़ी। ज्यादातर मेजें खाली हो चुकी थीं। एक-दो पर इक्का-दुक्का सामान रखा था। वहीं एक साहब खड़े थे लंबा कद, दुबला-पतला जिस्म, खिचड़ी बाल, आँखों पर ऐनक। वे कस्टम अफसर की वर्दी पहने तो थे मगर उन पर वह कुछ अँच नहीं रही थी। सफिया कुछ हिचकिचाकर बोली, “मैं आपसे कुछ पूछना चाहती हूँ।” [पृष्ठ-135]
प्रसंग-प्रस्तुत गद्य भाग हिंदी की पाठ्यपुस्तक ‘आरोह भाग 2′ में संकलित पाठ ‘नमक’ में से लिया गया है। इसकी लेखिका रज़िया सज्जाद ज़हीर हैं। ‘नमक’ लेखिका की उल्लेखनीय कहानी है, जिसमें लेखिका ने भारत-पाक विभाजन के बाद दोनों देशों के विस्थापित तथा पुनर्वासित लोगों की भावनाओं का मार्मिक वर्णन किया है। विस्थापित होकर भारत में रहने वाली सिख बीबी लाहौर को अपना वतन मानती है और वहाँ से नमक मँगवाना चाहती है, परंतु पाकिस्तान से नमक लाना गैर-कानूनी है। यहाँ सफ़िया ने उस स्थिति का वर्णन किया, जब उसका सामान कस्टम पर जाँच के लिए बाहर निकाला जा रहा था।
व्याख्या-सफ़िया कहती है कि आखिर वह समय भी आ गया जब उसका सामान कस्टम पर जाँच के लिए बाहर निकाला जा रहा था। उस समय उसके शरीर में एक कम्पन-सा उत्पन्न हो गया। अचानक उसने निर्णय लिया कि प्रेम की इस भेंट को वह चोरी से नहीं ले जाएगी बल्कि वह कस्टम अधिकारियों को यह नमक दिखाकर ले जाएँगी। शीघ्रता से उसने नमक की पुड़िया को कीनुओं की टोकरी से निकाल लिया और हैंडबैग में रख लिया। हैंडबैग में सफिया के पैसों का बटुआ और पासपोर्ट भी था। उसका सामान कस्टम से भारत जाने वाली रेल पर चढ़ाया जाने लगा। तो वह एक सीमा शुल्क अधिकारी की ओर बढ़ने लगी। अधिकतर
मेजें अब खाली हो चुकी थीं। केवल एक-दो मेजों पर थोड़ा-बहुत सामान रखा था। वहीं एक सीमा शुल्क अधिकारी खड़ा था, जिसका कद लंबा था, परंतु शरीर दुबला-पतला था। उसके बाल आधे काले और आधे सफेद थे। उसने आँखों पर ऐनक पहन रखी थी। यद्यपि उसने शरीर पर सीमा शुल्क अधिकारी की वर्दी पहन रखी थी, परंतु वह वर्दी उसके शरीर के अनुकूल नहीं थी। सफ़िया ने थोड़ा सा साहस करके हिचकिचाते हुए कहा कि मैं आपसे कुछ पूछना चाहती हूँ।
विशेष-
- यहाँ लेखिका ने सफ़िया की मनःस्थिति का प्रभावशाली वर्णन किया है, जो यह निर्णय लेती है कि वह इस प्रेम रूपी भेंट को चोरी से नहीं ले जाएगी बल्कि कस्टमवालों को दिखाकर ले जाएगी।
- सहज, सरल, सामान्य हिंदुस्तानी भाषा का प्रयोग है जिसमें उर्दू तथा अंग्रेज़ी शब्दों का मिश्रण किया गया है।
- वाक्य-विन्यास सर्वथा उचित व भावाभिव्यक्ति में सहायक है।
गद्यांश पर आधारित अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर
प्रश्न-
(क) जब सफिया का सामान कस्टम पर जाँच के लिए बाहर निकाला गया तो उसने क्या निर्णय लिया?
(ख) जब सफिया का सामान कस्टम से होकर रेल की तरफ जा रहा था तो सफिया ने क्या किया?
(ग) सफिया ने कस्टम अधिकारी का वर्णन किस प्रकार किया है?
(घ) सफिया कस्टम अधिकारी के आगे हिचकिचाकर क्यों बोली?
उत्तर:
(क) सफ़िया ने यह निर्णय लिया कि वह प्रेम की भेंट नमक को चोरी से बाहर नहीं ले जाएगी, बल्कि वह कस्टमवालों को नमक दिखाएगी। इसलिए उसने नमक की पुड़िया निकालकर अपने हैंडबैग में रख ली।
(ख) जब सफ़िया का सामान कस्टम से रेल की तरफ जा रहा था तो वह एक कस्टम अधिकारी की ओर बढ़ी।
(ग) सफ़िया ने लिखा है कि कस्टम अधिकारी का कद लंबा था, परंतु उसका शरीर दुबला-पतला था। सिर के बाल खिचड़ी थे और आँखों पर ऐनक लगा रखी थी। भले ही उसने कस्टम अधिकारी की वर्दी पहन रखी थी पर वह उस पर जच नहीं रही थी।
(घ) क्योंकि सफिया को यह डर था कि उसके पास नमक की पुड़िया है जिसे पाकिस्तान से भारत ले जाने की आज्ञा नहीं थी। इसलिए उसने हिचकिचाकर कस्टम अधिकारी से बात की।
[7] सफ़िया ने हैंडबैग मेज़ पर रख दिया और नमक की पुड़िया निकालकर उनके सामने रख दी और फिर आहिस्ता-आहिस्ता रुक-रुक कर उनको सब कुछ बता दिया। उन्होंने पुड़िया को धीरे से अपनी तरफ सरकाना शुरू किया। जब सफिया की बात खत्म हो गई तब उन्होंने पुड़िया को दोनों हाथों में उठाया, अच्छी तरह लपेटा और खुद सफिया के बैग में रख दिया। बैग सफिया को देते हुए बोले, “मुहब्बत तो कस्टम से इस तरह गुज़र जाती है कि कानून हैरान रह जाता है।” वह चलने लगी तो वे भी खड़े हो गए और कहने लगे, “जामा मस्जिद की सीढ़ियों को मेरा सलाम कहिएगा और उन खातून को यह नमक देते वक्त मेरी तरफ से कहिएगा कि लाहौर अभी तक उनका वतन है और देहली मेरा, तो बाकी सब रफ्ता-रफ्ता ठीक हो जाएगा।” [पृष्ठ-135]
प्रसंग -प्रस्तुत गद्य भाग हिंदी की पाठ्यपुस्तक ‘आरोह भाग 2’ में संकलित पाठ ‘नमक’ में से लिया गया है। इसकी लेखिका रज़िया सज्जाद ज़हीर हैं। ‘नमक’ लेखिका की एक उल्लेखनीय कहानी है, जिसमें लेखिका ने भारत-पाक विभाजन के बाद दोनों देशों के विस्थापित तथा पुनर्वासित लोगों की भावनाओं का मार्मिक वर्णन किया है। विस्थापित होकर भारत में रहने वाली सिख बीबी लाहौर को अपना वतन मानती है और वहाँ से नमक मँगवाना चाहती है, परंतु पाकिस्तान से नमक मँगवाना गैर-कानूनी है। यहाँ लेखिका ने सफ़िया और कस्टम अधिकारी के बीच की बात का वर्णन किया है, कि प्रेम का तोहफा कभी सीमाओं की परवाह नहीं करता।।
व्याख्या-सफ़िया ने हैंडबैग कस्टम अधिकारी की मेज़ पर रख दिया और उसमें से नमक की पुड़िया निकालकर अफसर के सामने रख दी। तत्पश्चात् उसने डरते-डरते सब-कुछ बता दिया। कस्टम अधिकारी ने पुड़िया को धीरे से अपनी तरफ सरकाना आरंभ कर दिया। जब सफ़िया सारी बात कह चुकी तब कस्टम अधिकारी ने नमक की पुड़िया को अपने हाथों में ले लिया और ठीक से कागज में लपेट लिया। उसने स्वयं नमक की पुड़िया सफिया के बैग में रख दी और कहा कि प्यार सीमा शुल्क से इस प्रकार गुज़र जाता है कि कानून को पता भी नहीं चलता और कानून आश्चर्यचकित हो जाता है।
जब सफ़िया वहाँ से चलने लगी तो सीमा शुल्क अधिकारी भी खड़ा हो गया और कहता है कि दिल्ली की जामा मस्जिद की सीढ़ियों को मेरा सलाम कहना और जब उस सिख बीबी को नमक देने लगो तो मेरी तरफ से कहना कि लाहौर अभी भी उनका वतन है और दिल्ली मेरा वतन है। आज जो स्थिति बनी हुई है वह भी धीरे-धीरे ठीक हो जाएगी। एक बार पुनः पाकिस्तान और भारत के संबंध सुधर जाएँगे।
विशेष-
- यहाँ लेखिका ने यह स्पष्ट किया है कि प्रेम-मुहब्बत की भेंट सीमाओं की परवाह नहीं करती।
- लेखिका ने कस्टम अधिकारी के माध्यम से यह स्पष्ट करने का प्रयास किया है, यदि भारत-पाकिस्तान के लोगों में स्नेह-प्रेम रहेगा तो भारत-पाक संबंधों में सुधार आएगा।
- सहज, सरल बोधगम्य हिंदी भाषा का प्रयोग है। कई जगह उर्दू व अंग्रेज़ी शब्दों का मिश्रण है।
- वाक्य-विन्यास बड़ा ही सटीक व भावाभिव्यक्ति में सहायक है।
गद्यांश पर आधारित अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर
प्रश्न-
(क) सफिया ने नमक की पुड़िया कस्टम अधिकारी के सामने क्यों रखी?
(ख) कस्टम अधिकारी किस देश का था और उसने नमक की पुड़िया सफिया को क्यों लौटा दी?
(ग) ‘मुहब्बत तो कस्टम से इस तरह गुज़र जाती है कि कस्टम देखता रह जाता है’-इस पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए।
(घ) कस्टम अधिकारी ने सफिया को क्या संदेशा दिया?
(ङ) कस्टम अधिकारी किस आशा पर सब कुछ ठीक होने की बात कहता है?
उत्तर:
(क) सफ़िया प्रेम की भेंट नमक की पुड़िया को चोरी से भारत नहीं ले जाना चाहती थी, बल्कि वह कस्टम अधिकारी को दिखाकर ले जाना चाहती थी, इसलिए उसने वह पुड़िया कस्टम अधिकारी के सामने रख दी।
(ख) कस्टम अधिकारी पाकिस्तान का निवासी था, परंतु मूलतः वह दिल्ली का था। उसने नमक की पुड़िया सफिया को इसलिए लौटा दी, क्योंकि वह प्यार की भेंट थी। वह अधिकारी प्रेम-प्यार को फलते-फूलते देखना चाहता था।
(ग) कस्टम अधिकारी के कहने का भाव यह है कि प्रेम-प्यार की भेंट पर कोई कानूनी कार्रवाई नहीं चलती और न ही अधिकारी उसकी जाँच करते हैं बल्कि वे प्रेम की भेंट को प्रेमपूर्वक भिजवा देते हैं। यही कारण है कि कानून को इसका पता नहीं चलता।
(घ) कस्टम अधिकारी ने सफिया से कहा कि जामा मस्जिद की सीढ़ियों को मेरा सलाम कहना और सिख बीबी को नमक की पुड़िया देते समय कहना कि लाहौर अब भी उनका वतन है और मेरा वतन दिल्ली है। यदि इस प्रकार की मानसिकता भारत वासियों तथा पाकिस्तान में बनी रहेगी तो भारत-पाक संबंध एक दिन सुधर जाएंगे।
(ङ) कस्टम अधिकारी का विचार है कि चाहे भारतवासी हों या पाकिस्तानी हों, दोनों आपस में स्नेह और प्रेम से रहना चाहते हैं। जब लोगों की ऐसी भावना है तो निश्चय ही भारत-पाक सीमाएँ समाप्त हो जाएंगी।
[8] प्लेटफार्म पर उसके बहुत से दोस्त, भाई रिश्तेदार थे, हसरत भरी नज़रों, बहते हुए आँसुओं, ठंडी साँसों और भिचे हुए होठों को बीच में से काटती हुई रेल सरहद की तरफ बढ़ी। अटारी में पाकिस्तानी पुलिस उतरी, हिंदुस्तानी पुलिस सवार हुई। कुछ समझ में नहीं आता था कि कहाँ से लाहौर खत्म हुआ और किस जगह से अमृतसर शुरू हो गया। एक ज़मीन थी, एक ज़बान थी, एक-सी सूरतें और लिबास, एक-सा लबोलहजा और अंदाज़ थे, गालियाँ भी एक ही-सी थीं, जिनसे दोनों बड़े प्यार से एक-दूसरे को नवाज़ रहे थे। बस मुश्किल सिर्फ इतनी थी कि भरी हुई बंदूकें दोनों के हाथों में थीं। [पृष्ठ-135-136]
प्रसंग-प्रस्तुत गद्य भाग हिंदी की पाठ्यपुस्तक ‘आरोह भाग 2’ में संकलित पाठ ‘नमक’ में से लिया गया है। इसकी लेखिका रज़िया सज्जाद जहीर हैं। ‘नमक’ लेखिका की एक उल्लेखनीय कहानी है, जिसमें उन्होंने भारत-पाक विभाजन के बाद दोनों देशों के विस्थापित तथा पुनर्वासित लोगों की भावनाओं का मार्मिक चित्रण किया है। इसमें विस्थापित होकर भारत में आई सिख बीबी लाहौर को अपना वतन मानती है और वहाँ से नमक मँगवाना चाहती है, परंतु पाकिस्तान से नमक मँगवाना गैर-कानूनी है। यहाँ लेखिका ने रेलवे स्टेशन के उस प्लेटफार्म का वर्णन किया है जो पाकिस्तान की सीमा पर स्थित है।
व्याख्या-लेखिका कहती है कि सफ़िया के बहुत से दोस्त, भाई तथा सगे-संबंधी प्रेमपूर्वक दृष्टि से उसे देख रहे थे। कुछ लोग आँसू बहा रहे थे, कुछ ठंडी आँहें भरकर उसे विदाई दे रहे थे। कुछ लोग अपने होठों को भींचकर आँसुओं को रोकने का प्रयास कर रहे थे। रेलगाड़ी इन सब लोगों के बीच से गुजरकर भारत-पाक सीमा की तरफ बढ़ने लगी। अटारी स्टेशन आते ही पाकिस्तान पुलिस व उनके अधिकारी रेलगाड़ी से उतर गए और हिंदुस्तानी अधिकारी उस गाड़ी में चढ़ गए।
उस समय यह पता ही नहीं चल रहा था कि किस स्थान पर लाहौर खत्म हुआ और किस स्थान से अमृतसर शुरू हुआ। कहने का भाव यह है कि भारत-पाकिस्तान की ज़मीन वहाँ की प्रकृति और वातावरण सब कुछ एक जैसा था। लेखिका कहती भी है-एक ज़मीन थी और पाकिस्तानियों तथा भारतवासियों की एक ही जुबान थी। एक जैसी शक्लें थीं, एक ही जैसी वेशभूषा थी। यही नहीं उनकी बातचीत करने का ढंग एक जैसा था। हैरानी की बात तो यह है कि गालियाँ भी एक जैसी थीं जो दोनों एक-दूसरे को बड़े प्यार से निकाल रहे थे। कठिनाई केवल इस बात की थी कि दोनों तरफ के अधिकारियों के हाथों में बंदूकें थीं, जो लोगों में भय उत्पन्न करती थीं।
विशेष-
- यहाँ लेखिका ने भारत और पाकिस्तान की सीमा का बड़ा ही भावनापूर्ण दृश्य प्रस्तुत किया है।
- लेखिका ने यह भी स्पष्ट किया है कि भारतवासियों और पाकिस्तानियों की शक्लें, वेशभूषा, बातचीत करने का ढंग भी एक जैसा है।
- सहज, सरल, बोधगम्य हिंदी भाषा का प्रयोग है। कहीं-कहीं पर उर्दू व अंग्रेजी शब्दों का मिश्रण भी मिलता है।
- वाक्य-विन्यास सटीक व भावाभिव्यक्ति में सहायक है।
गद्यांश पर आधारित अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर
प्रश्न-
(क) सरहद की ओर बढ़ते समय प्लेटफार्म का दृश्य लिखिए। (ख) अटारी क्या है? वहाँ पर पुलिस में परिवर्तन क्यों हुआ? (ग) लाहौर और अमृतसर में अंतर क्यों प्रतीत नहीं हुआ? (घ) भारत और पाकिस्तान के निवासियों के बीच मुश्किल क्या है?
उत्तर:
(क) जब सफ़िया भारत-पाक सीमा की ओर बढ़ रही थी, तो वहाँ उसके अनेक मित्र और सगे-संबंधी थे। कोई उसे हसरत भरी नज़रों से देख रहा था, कोई रो रहा था और कोई आँखों के आँसुओं को रोकने के लिए अपने होंठ भींच रहा था। सम्पूर्ण वातावरण भावनापूर्ण था। सफ़िया की विदाई के कारण सभी के दिल भर आए थे।
(ख) अटारी एक स्टेशन का नाम है जहाँ से भारत की सीमा आरंभ होती है। यहाँ पर पाकिस्तानी पुलिस उतर जाती है और भारतीय पुलिस सवार हो जाती है। इसी प्रकार पाकिस्तान जाने वाली ट्रेन से भारतीय पुलिस उतर जाती है और पाकिस्तानी पुलिस सवार हो जाती है।
(ग) सफ़िया को लाहौर और अमृतसर में कोई अंतर प्रतीत नहीं हुआ। कारण यह था कि दोनों नगरों के लोगों की भाषा, ज़मीन, वेश-भूषा, बोलचाल, हावभाव तथा गालियाँ देने का ढंग लगभग एक जैसा था। दोनों में लोग एक-दूसरे से मिलकर बात-चीत कर रहे थे।
(घ) भारत और पाकिस्तान के निवासियों के बीच सबसे बड़ी मुश्किल है-दोनों देशों का विभाजन। जिसे लोग नहीं चाहते थे। राजनीतिक कारणों से अब दोनों अलग होकर एक-दूसरे के दुश्मन बन गए हैं। दोनों ओर की सेनाएँ हमेशा बंदूकें ताने रहती हैं।
नमक Summary in Hindi
नमक लेखिका-परिचय
प्रश्न-
रज़िया सज्जाद ज़हीर का संक्षिप्त जीवन-परिचय देते हुए उनकी साहित्यिक विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
अथवा
रज़िया सज्जाद ज़हीर का साहित्यिक परिचय दीजिए।
उत्तर:
1. जीवन-परिचयरज़िया सज्जाद जहीर का जन्म 15 फरवरी, 1917 को राजस्थान के अजमेर नगर में हुआ। उन्होंने बी०ए० तक की शिक्षा घर पर रहते हुए प्राप्त की। विवाह के बाद उन्होंने उर्दू में एम०ए० की परीक्षा उत्तीर्ण की। सन् 1947 में वे अजमेर छोड़कर लखनऊ चली आईं और वहाँ के करामत हुसैन गर्ल्स कॉलेज की प्राध्यापिका के रूप में पढ़ाने लगी। सन् 1965 में उनकी नियुक्ति सोवियत सूचना विभाग में हुई। 18 दिसम्बर, 1979 में उनका देहांत हो गया। रज़िया सज्जाद ज़हीर को सोवियत भूमि नेहरू पुरस्कार से नवाज़ा गया। बाद में उन्हें उर्दू अकादेमी ‘उत्तर प्रदेश’ से भी सम्मानित किया गया। यही नहीं, उन्हें अखिल भारतीय लेखिका संघ अवार्ड भी प्राप्त हुआ।
2. प्रमुख रचनाएँ-उनकी एकमात्र रचना का नाम है ‘ज़र्द गुलाब’। यह एक उर्दू कहानी-संग्रह है।
3. साहित्यिक विशेषताएँ मूलतः रज़िया सज्जाद ज़हीर उर्दू की प्रसिद्ध लेखिका हैं। उन्हें महिला कहानीकार कहना ही उचित होगा, क्योंकि उन्होंने केवल कहानियाँ ही लिखी हैं। उनके पास एक प्राध्यापिका का कोमल हृदय है। अतः उनकी कहानियाँ जीवन के कोमलपक्ष का उद्घाटन करती हैं। कथावस्तु, पात्र चरित्र-चित्रण, देशकाल, संवाद, भाषा-शैली तथा उद्देश्य की दृष्टि से उनकी कहानियाँ सफल कही जा सकती हैं। संवेदनशीलता उनकी कहानियों की प्रमुख विशेषता है। उन्हें हम मानवतावादी लेखिका भी कह सकते हैं।
रज़िया सज्जाद ज़हीर की कहानियों में जहाँ एक ओर सामाजिक सद्भाव और धार्मिक सहिष्णुता है, वहाँ दूसरी ओर आधुनिक संदर्भो में बदलते हुए पारिवारिक मूल्यों का वर्णन भी है। उनकी कहानियों में सामाजिक यथार्थ और मानवीय गुणों का सहज समन्वय अपनी कहानियों में मानवीय संवेदनाओं पर करारा व्यंग्य किया है। कहीं-कहीं वे मानवीय पीडाओं का सजीव चित्र प्रस्तुत करती हैं।
4. भाषा शैली-रज़िया सज्जाद ज़हीर ने मूलतः उर्दू भाषा में ही कहानियाँ लिखी हैं, परंतु उनकी उर्दू भाषा भी सहज, सरल और बोधगम्य है, जिसमें अरबी तथा फारसी शब्दों का खड़ी बोली हिंदी के साथ मिश्रण किया गया है। फिर भी उन्होंने अपनी भाषा में उर्दू शब्दावली का अधिक प्रयोग किया है। उनकी कुछ कहानियाँ देवनागरी लिपि में लिखी जा चुकी हैं और कुछ कहानियों का हिंदी में अनुवाद भी हुआ है। फिर भी उनकी भाषा सहज, सरल, तथा प्रवाहमयी कही जा सकती है। कहीं-कहीं उन्होंने मुहावरों तथा लोकोक्तियों का भी खुलकर प्रयोग किया है।
नमक पाठ का सार
प्रश्न-
रज़िया सज्जाद जहीर द्वारा रचित कहानी “नमक” का सार अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
प्रस्तुत कहानी भारत-पाक विभाजन से उत्पन्न दुष्परिणामों की कहानी है। इस विभाजन के कारण दोनों देशों के लोग विस्थापित हुए तथा पुनर्वासित भी हुए। उनकी धार्मिक भावनाओं का यहाँ वर्णन किया गया है। पाकिस्तान से विस्थापित होने वाली एक सिख बीबी लाहौर को अब भी अपना वतन मानती है। भेंट के रूप में वह लाहौर का नमक पाना चाहती हैं। इसी प्रकार एक पाकिस्तानी कस्टम अधिकारी देहली को अपना वतन कहता है, लेकिन भारतीय कस्टम अधिकारी सुनीलदास गुप्त ढाका को अपना वतन मानता हैं। अपने वतनों से विस्थापित होकर ये लोग अपने मूल जन्म स्थान को भुला नहीं पाते। रज़िया सज्जाद जहीर का कहना है कि एक ऐसा समय भी आएगा जब इन राजनीतिक सीमाओं का कोई महत्त्व नहीं रहेगा। लेखिका की आशा का पूरा होना भारत-पाकिस्तान तथा बांग्लादेश तीनों देशों के लिए कल्याणकारी है। एक बार सफिया अपने पड़ोसी सिख परिवार के घर कीर्तन में भाग लेने के लिए गई थी। वहाँ एक सिख बीबी को देखकर वह अपनी माँ को याद करने लगी, क्योंकि उनकी शक्ल-सूरत सफ़िया की माँ से मिलती थी।
सिख बीबी ने सफिया के बारे में कुछ जानकारी प्राप्त करनी चाही। तब घर की बहू ने बताया कि सफिया मुसलमान है और वह कल अपने भाई से मिलने लाहौर जा रही है। इस पर सिख बीबी ने कहा कि लाहौर तो उसका वतन है। आज भी उसे वहाँ के लोग, खाना-पीना, उनकी जिंदादिली याद है। यह कहते-कहते सिख बीबी की आँखों में आँसू आ गए। सफिया ने उसे सांत्वना दी और कहा कि क्या वह लाहौर से कोई सौगात मँगवाना चाहती है। तब सिख बीबी ने धीरे से लाहौरी नमक की इच्छा व्यक्त की। सफिया लाहौर में पन्द्रह दिनों तक रही। उसके रिशतेदारों ने उसकी खूब खातिरदारी की और उसे पता भी नहीं चला कि पन्द्रह दिन कैसे बीत गए हैं। चलते समय मित्रों और संबंधियों ने सफ़िया को अनेक उपहार दिए। उसने सिख बीबी के लिए एक सेर लाहौरी नमक लिया और सामान की पैकिंग करने लगी, परंतु पाकिस्तान से भारत में नमक ले जाना कानून के विरुद्ध था। अतः सफ़िया ने अपने भाई जो पुलिस अफसर था से सलाह की। भाई ने कहा कि नमक ले जाना कानून के विरुद्ध है। कस्टम वाले तुम्हारे सारे सामान की तालाशी लेंगे और नमक पकड़ा जाएगा, परंतु सफ़िया ने कहा कि वह उस सिख बीबी के लिए सौगात ले जाना चाहती है, जिसकी शक्ल उसकी माँ से मिलती-जुलती है। परंतु सफिया ने अपने भाई से कहा कि वह छिपा कर नहीं बल्कि दिखाकर नमक ले जाएगी। भाई ने पुनः कहा कि नमक ले जाना संभव नहीं है, इससे आपकी बदनामी अवश्य होगी। यह सुनकर सफ़िया रोने लगी।
रात होने पर सफिया सामान की पैकिंग करने लगी। सारा सामान सूटकेस तथा बिस्तरबंद में आ गया था। शेष बचे कीनुओं को उसने टोकरी में डाल दिया तथा उसके नीचे नमक की पुड़िया छुपा दी। लाहौर आते समय उसने देखा था कि भारत से आने वाले केले ला रहे थे और पाकिस्तान से जाने वाले कीनू ले जा रहे थे। कस्टमवाले इन फलों की जाँच नहीं कर रहे थे। यह सब काम करके सफ़िया सो गई। सपने में वह लाहौर के घर की सुंदरता, वहाँ के परिवेश, भाई तथा मित्रों को देखने लगी। उसे अपनी भतीजियों की भोली-भोली बातें याद आ रही थीं। सपने में उसने सिख बीबी के आँसू, इकबाल का मकबरा तथा लाहौर का किला भी देखा, परंतु अचानक उसकी आँख खुल गई, क्योंकि उसका हाथ कीनू की टोकरी पर लग गया था। उसे देते समय उसके मित्र ने कहा था कि यह पाकिस्तान और भारत की एकता का मेवा है। स्टेशन पर फर्स्ट क्लास के वेटिंग रूम में बैठी सफ़िया सोचने लगी कि मेरे आसपास कई लोग हैं, परंतु मुझे पता है कि कीनुओं की टोकरी में नीचे नमक की पुड़िया है। उसका सामान अब कस्टमवालों के पास जाँच के लिए जाने लगा। वह थोड़ी घबरा गई उसे थोड़ा-सा कम्पन हआ। तब उसने निर्णय लिया कि प्रेम की सौगात नमक को वह चोरी से नहीं ले जाएगी।
उसने नमक की पुड़िया निकालकर अपने हैंडबैग में रख ली। जब सामान जाँच के बाद रेल की ओर भेजा जाने लगा तो उसने एक कस्टम अधिकारी से इस बारे में चर्चा की। उसने अधिकारी से पूछ लिया था कि वह कहाँ का निवासी है। उसने कहा कि उसका वतन दिल्ली है। आखिर सफ़िया ने नमक की पुड़िया बैग से निकालकर अफसर की मेज पर रख दी और सारी बात बता दी। कस्टम अधिकरी ने स्वयं नमक की पुड़िया को सफ़िया के बैग में रख दिया और कहा “मुहब्बत तो कस्टम से इस तरह गुज़र जाती है कि कानून हैरान रह जाता है।” अंत में उस अधिकारी ने कहा “जामा मस्जिद की सीढ़ियों को मेरा सलाम कहिएगा और उन खातून को यह नमक देते वक्त मेरी तरफ से कहिएगा कि लाहौर अभी तक उनका वतन है और देहली मेरा, तो बाकी सब रफ्ता-रफ्ता ठीक हो जाएगा।” अंततः गाड़ी भारत की ओर चल पड़ी। अटारी स्टेशन पर पाकिस्तानी पुलिस नीचे उतर गई और हिंदुस्तानी पुलिस चढ़ गई। सफिया सोचने लगी कि कितनी विचित्र बात है कि “एक-सी जुबान, एक-सा लबोलहजा तथा एक-सा अंदाज फिर भी दोनों के हाथों में भरी हुई बंदूकें।” ।
अमृतसर पहुँचने पर भारतीय कस्टम अधिकारी फर्स्ट क्लास वालों की जाँच उनके डिब्बे के सामने ही करने लगे। सफ़िया की जाँच हो चुकी थी, परंतु सफिया ने अपना हैंडबैग खोलकर कहा कि मेरे पास थोड़ा लाहौरी नमक है तथा सिख बीबी की सारी कहानी सुना दी। अधिकारी ने सफिया की बात को ध्यान से सुना। फिर उसे एक तरफ आने के लिए कहा। उसने सफिया के सामान का ध्यान रखने के लिए एक कर्मचारी को आदेश दिया। वह सफ़िया को प्लेटफार्म के एक कमरे में ले गया। उसे आदर-पूर्वक बिठाया और चाय पिलाई। फिर एक पुस्तक उसे दिखाई, जिस पर लिखा था-“शमसुलइसलाम की तरफ से सुनील दास गुप्त को प्यार के साथ, ढाका 1946″। उसने यह भी बताया कि उसका वतन ढाका है। बचपन में वह अपने मित्र के साथ नज़रुल और टैगोर दोनों को पढ़ते थे। इस प्रकार सुनील दास ढाका की यादों में खो गया-“वैसे तो डाभ कलकत्ता में भी होता है जैसे नमक पर हमारे यहाँ के डाभ की क्या बात है! हमारी जमीन, हमारे पानी का मज़ा ही कुछ और है!” उसने पुड़िया सफ़िया के बैग में डाल दी और आगे-आगे चलने लगा। सफिया सोचने लगी-“किसका वतन कहाँ है वह जो कस्टम के इस तरफ है या उस तरफ!
कठिन शब्दों के अर्थ
कदर = प्रकार। ज़िस्म = शरीर। नेकी = भलाई। मुहब्बत = प्यार। रहमदिली = दयालुता। मुहर्रम = मुसलमानों का त्योहार। उम्दा = अच्छा। नफीस = सुरुचिपूर्ण। शौकीन = रसिया। जिन्दादिली = उत्साह और जोश। तस्वीर = मूर्ति। वतन = देश। साडा = हमारा । सलाम = नमस्कार । दुआ = प्रार्थना, शुभकामना। रुखसत = विदा। सौगात = भेंट। आहिस्ता = धीरे। जिमखाना = व्यायामशाला। खातिरदारी = मेहमान नवाजी। परदेसी = विदेशी। अज़ीज़ = प्रिय। सेर = एक किलो से थोड़ा कम। गैरकानूनी = कानून के विरुद्ध। बखरा = बंटवारा। ज़िक्र = चर्चा। अंदाज़ = तरीका। बाजी = बहन जी, दीदी। कस्टम = सीमा शुल्क। चिंदी-चिंदी बिखेरना = बुरी तरह से वस्तुओं को उलटना-पलटना। हुकूमत = सरकार। मुरौवत = मानवता। शायर = कवि। तोहफा = भेंट। चंद = थोड़ा। स्मगल = चोरी । ब्लैक मार्केट = काला बाज़ारी । बहस = वाद-विवाद । अदीब= साहित्यकार। बदनामी = अपयश। बेहतर = अच्छा। रवाना होना = विदा होना। व्यस्त = काम में लगा होना। पैकिंग = सामान बाँधना। सिमट = सहेज। नाजुक = कोमल । हावी होना = भारी पड़ना। मायने = मतलब। वक्त = समय। तह = नीचे की सतह । कब्र = मुर्दा दफनाने का स्थान। शहजादा = राजकुमार। रान = जाँघ । खौफनाक = भयानक। सरहद = सीमा। तरकीब = युक्ति। आश्वस्त = भरोसा होना। दोहर = चादर। दरख्त = वृक्ष। अक्स = प्रतिमूर्ति । लहकना = लहराना । आहट = हल्की-सी आवाज़। बेशुमार = अत्यधिक। मासूमियत = भोलापन। नारंगी = संतरिया रंग। दूब = घास। लबालब = ऊपर तक। वेटिंग रूम = प्रतीक्षा कक्ष। निगाह = नज़र। झिरझरी = सिहरन, कंपन। पासपोर्ट = विदेश जाने का पहचान-पत्र। खिचड़ी बाल = आधे सफेद आधे काले बाल। गौर = ध्यान। फरमाइए = कहिए। खातून = कुलीन नारी। रफ्ता-रफ्ता = धीरे-धीरे। हसरत = कामना। जुबान = भाषा। सूरत = शक्ल । लिबास = पहनावा । लबोलहजा = बोलचाल का तरीका। अंदाज = ढंग। नवाजना = सम्मानित करना। पैर तले की ज़मीन खिसकना = घबरा जाना। सफा = पृष्ठ। टाइटल = शीर्षक। डिवीजन = विभाजन। सालगिरह = वर्षगाँठ। डाभ = कच्चा नारिथल। फन = गर्व।