HBSE 12th Class Geography Solutions Chapter 4 मानव बस्तियाँ

Haryana State Board HBSE 12th Class Geography Solutions Chapter 4 मानव बस्तियाँ Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Geography Solutions Chapter 4 मानव बस्तियाँ

अभ्यास केन प्रश्न

नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर को चुनिए

1. निम्नलिखित में से कौन-सा नगर नदी तट पर अवस्थित नहीं है?
(A) आगरा
(B) पटना
(C) भोपाल
(D) कोलकाता
उत्तर:
(C) भोपाल

2. भारत की जनगणना के अनुसार निम्नलिखित में से कौन-सी एक विशेषता नगर की परिभाषा का अंग नहीं है?
(A) जनसंख्या घनत्व 400 व्यक्ति प्रति वर्ग कि०मी०
(B) नगरपालिका, निगम का होना
(C) 75% से अधिक जनसंख्या का प्राथमिक खंड में संलग्न होना
(D) जनसंख्या आकार 5000 व्यक्तियों से अधिक
उत्तर:
(C) 75% से अधिक जनसंख्या का प्राथमिक खंड में संलग्न होना

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3. निम्नलिखित में से किस पर्यावरण में परिक्षिप्त ग्रामीण बस्तियों की अपेक्षा नहीं की जा सकती?
(A) गंगा का जलोढ़ मैदान
(B) हिमालय की निचली घाटियाँ
(C) राजस्थान के शुष्क और अर्ध-शुष्क प्रदेश
(D) उत्तर-पूर्व के वन और पहाड़ियाँ
उत्तर:
(A) गंगा का जलोढ़ मैदान

4. निम्नलिखित में से नगरों का कौन-सा वर्ग अपने पदानुक्रम के अनुसार क्रमबद्ध है?
(A) बृहन मुंबई, बंगलौर, कोलकाता, चेन्नई
(B) कोलकाता, बृहन मुंबई, चेन्नई, कोलकाता
(C) दिल्ली, बृहन मुंबई, चेन्नई, कोलकाता
(D) बृहन मुंबई, कोलकाता, दिल्ली, चेन्नई
उत्तर:
(D) बृहन मुंबई, कोलकाता, दिल्ली, चेन्नई

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए

प्रश्न 1.
गैरिसन नगर क्या होते हैं? उनका क्या प्रकार्य होता है?
उत्तर:
सुरक्षा की दृष्टि से विकसित छावनी नगर गैरिसन नगर कहलाते हैं; जैसे अम्बाला, जालंधर, महू, बबीना, उधमपुर, मेरठ आदि। इन नगरों का विकास ब्रिटिशकाल में सुरक्षा सेवाओं की छावनी के रूप में हुआ था। इनका प्रमुख कार्य सुरक्षा प्रदान करना है।

प्रश्न 2.
किसी नगरीय संकुल की पहचान किस प्रकार की जा सकती है?
उत्तर:
नगरीय संकुल निम्नलिखित तीन में से कोई एक हो सकता है-

  1. नगर तथा उससे जुड़ा विस्तार।
  2. विस्तार सहित या विस्तार रहित दो या दो से अधिक सटे नगर।
  3. एक नगर या एक-से-अधिक संटे नगर और उनके क्रमिक विस्तार।

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प्रश्न 3.
मरुस्थली प्रदेशों में गाँवों की अवस्थिति के कौन से मुख्य कारक होते हैं?
उत्तर:
गाँवों की अवस्थिति में अनेक भौतिक कारक प्रभाव डालते हैं; जैसे धरातल, जल की सुविधा, जलवायु, मिट्टी आदि। मरुस्थलीय प्रदेशों में जहाँ पानी मिलता है, वहाँ बस्तियाँ शीघ्रता से बढ़ने व बसने लगती हैं। इसके अतिरिक्त सुरक्षा कारक भी गाँवों की अवस्थिति में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

प्रश्न 4.
महानगर क्या होते हैं? ये नगरीय संकुलों से किस प्रकार भिन्न होते हैं?
उत्तर:
जिन नगरों की जनसंख्या 10 से 50 लाख तक होती है, उन्हें महानगर कहा जाता है। महानगरों की अपेक्षा नगरीय संकुल अधिक बड़े होते हैं, क्योंकि इनमें आस-पास के नगरीय विस्तार को भी जोड़ा जाता है।

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 150 शब्दों में दीजिए

प्रश्न 1.
विभिन्न प्रकार की ग्रामीण बस्तियों के लक्षणों की विवेचना कीजिए। विभिन्न भौतिक पर्यावरणों में बस्तियों के प्रारूपों के लिए उत्तरदायी कारक कौन-से हैं?
उत्तर:
विभिन्न प्रकार की ग्रामीण बस्तियाँ हैं गुच्छित, अर्ध-गुच्छित, पल्लीकृत एवं परिक्षिप्त बस्तियाँ। इन बस्तियों के मुख्य लक्षण या विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

गुच्छित या संकुलित बस्तियों के लक्षण-

  • गुच्छित बस्तियों में मकान छोटे और एक-दूसरे से सटे हुए होते हैं।
  • ये बस्तियाँ नदी, घाटियों और जलोढ़ उपजाऊ मैदानों में पाई जाती हैं।
  • इन बस्तियों में पानी की निकासी की उचित व्यवस्था नहीं होती।

अर्ध-गुच्छित या विखंडित बस्तियों के लक्षण-

  • अर्ध-गुच्छित बस्तियों में मकान एक-दूसरे से दूर होते हैं परंतु एक ही बस्ती में होते हैं।
  • इनमें बस्तियाँ अनेक पुरवों में बँटी होती हैं।
  • निम्न कार्यों में संलग्न लोग इन बस्तियों में रहते हैं।

पल्लीकृत बस्तियों के लक्षण-

  • पल्लीकृत बस्तियों में मकान अधिक सटे होते हैं।
  • इन बस्तियों को देशों के विभिन्न भागों में स्थानीय स्तर पर पान्ना, पाड़ा, पाली, नगला, ढाँणी आदि कहा जाता है।
  • इन बस्तियों का विस्तार अपेक्षाकृत बड़े क्षेत्र में होता है।

परिक्षिप्त बस्तियों के लक्षण-

  • परिक्षिप्त बस्तियों में मकान बड़े और एक-दूसरे से दूर-दूर होते हैं।
  • ये बस्तियाँ उच्च भूमि, पर्वतीय क्षेत्रों और मरुस्थलीय क्षेत्रों में पाई जाती हैं।
  • इन बस्तियों में पानी की निकासी की अच्छी व्यवस्था होती है।

प्रारूपों के लिए उत्तरदायी कारक-ग्रामीण बस्तियों के प्रारूपों को प्रभावित करने वाले कारक निम्नलिखित हैं-
1. भौतिक कारक बस्तियों के आकार तथा विस्तार पर अनेक भौतिक कारक; जैसे धरातल की बनावट, मिट्टी, जल-स्तर, जलवायु, ढलान, अपवाह तंत्र आदि गहरा प्रभाव डालते हैं। पहाड़ी भागों में विरल तथा मरुस्थलीय भागों में किसी तालाब के चारों ओर बस्तियों का विकास होता है।

2. सांस्कृतिक कारक-एक ही जाति या जनजाति या धर्म के लोग एक ही गाँव में रहते हैं। बस्ती के मध्य में गाँव के मुखिया या ज़मींदारों के मकान होते हैं तथा बाहर की ओर सेवा करने वाले समुदायों के मकान या झोंपड़े होते हैं। हरिजनों के घर बस्ती से दूर बसाए जाते हैं।

3. ऐतिहासिक कारक-मध्य युग में बाहर से होने वाले आक्रमणों तथा सेना के आतंक से बचने के लिए संहत बस्तियाँ बनाई जाती थीं। इनमें सुरक्षा और इकट्ठा रहने की स्थिति बनती थी।

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प्रश्न 2.
क्या एक प्रकार्य वाले नगर की कल्पना की जा सकती है? नगर बहप्रकार्यात्मक क्यों हो जाते हैं?
उत्तर:
एक प्रकार्य वाले नगर की कल्पना नहीं की जा सकती। कोई भी नगर कोई एक काम नहीं करता। सभी नगरों में थोड़ा या बहुत प्रशासनिक, औद्योगिक, व्यापारिक, शैक्षणिक तथा परिवहन से संबंधित काम होता है। अतः उसके प्रधान व्यवसाय के आधार पर ही नगर का वर्गीकरण किया जा सकता है; जैसे कुरुक्षेत्र एक धार्मिक नगर है और रोहतक एक शैक्षणिक नगर है, लेकिन यह वर्गीकरण एक सामान्य अवलोकन है। वैज्ञानिक विश्लेषण पर आधारित तथ्य-परक अवलोकन नहीं है।

अपने केंद्रीय स्थान की भूमिका के अतिरिक्त अनेक शहर और नगर विशेषीकृत सेवाओं का निष्पादन करते हैं। कुछ शहरों और नगरों को कुछ निश्चित प्रकार्यों में विशिष्टता प्राप्त होती है और उन्हें कुछ विशिष्ट क्रियाओं, उत्पादनों अथवा सेवाओं के लिए जाना जाता है। फिर भी प्रत्येक नगर अनेक प्रकार्य करता है। उनके प्रमुख या विशेषीकृत कार्य के आधार पर उसका वर्गीकरण किया जाता है; जैसे जो नगर उच्चतर क्रम में प्रशासनिक मुख्यालय होते हैं उन्हें प्रशासनिक नगर कहते है; जैसे चंडीगढ़, दिल्ली, जयपुर आदि। मुम्बई, सेलम, मोदीनगर, हुगली आदि औद्योगिक नगरों के रूप में प्रसिद्ध हैं। नैनीताल, मसूरी, शिमला, जोधपुर, माऊंट आबू, पर्यटन नगरों के रूप में विकसित हैं।

विशेषीकृत नगर भी महानगर बनने पर बहुप्रकार्यात्मक नगर बन जाते हैं, जिनमें उद्योग, व्यवसाय, प्रशासन, परिवहन आदि महत्त्वपूर्ण हो जाते हैं। ये प्रकार्य इतने अंतर्ग्रथित हो जाते हैं कि नगर को किसी विशेष प्रकार्य वर्ग में वर्गीकृत नहीं किया जा सकता।

मानव बस्तियाँ HBSE 12th Class Geography Notes

→ बस्ती या अधिवास (Settlements) : मानव निवास की मूलभूत इकाई को घर कहते हैं। एक क्षेत्र के घरों के समूह को बस्ती कहते हैं। इसमें 6 से 12 झोंपड़ियाँ हो सकती हैं या सैकड़ों घरों का एक बड़ा गांव हो सकता है। ये नगरों तथा शहरों की तरह घरों के बड़े समूह हो सकते हैं। इनका एक अभिन्यास प्लान होता है। बस्ती में आवासीय भवन तथा विभिन्न आवश्यक वस्तुओं के भंडार-गृह होते हैं।

→ ग्रामीण बस्ती (Rural Settlement) : इन बस्तियों में मकानों तथा गलियों का योग पाया जाता है तथा इनके चारों ओर खेत होते हैं। ये विभिन्न ढंग की होती हैं।

→ ग्रामीण बस्तियों के प्रकार (Types of Rural Settlements):

  • गुच्छित अथवा केंद्रीकृत बस्ती
  • अर्द्ध-गुच्छित अथवा विखंडित बस्ती
  • पल्लीकृत बस्ती
  • परिक्षिप्त अथवा एकाकी बस्ती।

→ शहरी/नगरीय बस्ती (Urban Settlement) : ग्रामीण बस्तियों के विपरीत नगरीय बस्तियाँ सामान्यतया संहत एवं विशाल आकार की होती हैं। नगरीय क्षेत्रों में जीवन का ढंग जटिल और तीव्र होता है और सामाजिक संबंध भी औपचारिक व व्यक्तिगत होते हैं। ये बस्तियाँ द्वितीयक एवं तृतीयक क्रियाओं में विशेषीकृत होती हैं।

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→ प्रशासनिक नगर (Administration Towns) : इस प्रकार के नगर प्रशासनिक कार्यों के लिए विकसित होते हैं। देश की राजधानी तथा राज्यों की राजधानियाँ इन नगरों के अंतर्गत आती हैं। चंडीगढ़, दिल्ली, शिमला, भोपाल तथा शिलांग आदि ऐसे नगरों के उदाहरण हैं।

→ औद्योगिक नगर (Industrial Towns) : अनेक प्रकार के उद्योगों की अवस्थिति ही ऐसे नगरों की प्रेरक-शक्ति होती है; जैसे मुंबई, कोयंबटूर, भिलाई, हुगली, जमशेदपुर, सेलम तथा फरीदाबाद इत्यादि।

→ परिवहन नगर (Transport Towns) : ये नगर मुख्य रूप से आयात और निर्यात की गतिविधियों के कार्यों में सक्रिय रहते हैं; जैसे कांडला, कोच्चि, विशाखापट्टनम तथा कालीकट इत्यादि। कुछ नगर आंतरिक परिवहन के केंद्र भी होते हैं; जैसे आगरा, मुगलसराय, इटारसी तथा कटनी आदि।

→ छावनी/गैरिसन नगर (Cantt/Garrison Towns) : सुरक्षा की दृष्टि से विकसित छावनी नगर गैरिसन नगर कहलाते हैं; जैसे अम्बाला, जालंधर, महू, बबीना, उधमपुर, मेरठ आदि। इन नगरों का विकास ब्रिटिशकाल में सुरक्षा सेवाओं की छावनी के रूप में हुआ था। इनका मुख्य कार्य सुरक्षा प्रदान करना है।

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