HBSE 12th Class Geography Solutions Chapter 12 भौगोलिक परिप्रेक्ष्य में चयनित कुछ मुद्दे एवं समस्याएँ

Haryana State Board HBSE 12th Class Geography Solutions Chapter 12 भौगोलिक परिप्रेक्ष्य में चयनित कुछ मुद्दे एवं समस्याएँ Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Geography Solutions Chapter 12 भौगोलिक परिप्रेक्ष्य में चयनित कुछ मुद्दे एवं समस्याएँ

अभ्यास केन प्रश्न

नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर को चुनिए

1. निम्नलिखित में से सर्वाधिक प्रदूषित नदी कौन-सी है?
(A) ब्रह्मपुत्र
(B) यमुना
(C) सतलुज
(D) गोदावरी
उत्तर:
(B) यमुना

2. निम्नलिखित में से कौन-सा रोग जल जन्य है?
(A) नेत्रश्लेष्मला शोथ
(B) श्वसन संक्रमण
(C) अतिसार
(D) श्वासनली शोथ
उत्तर:
(C) अतिसार

3. निम्नलिखित में से कौन-सा अम्ल वर्षा का एक कारण है?
(A) जल प्रदूषण
(B) शोर प्रदूषण
(C) भूमि प्रदूषण
(D) वायु प्रदूषण
उत्तर:
(B) शोर प्रदूषण

HBSE 12th Class Geography Solutions Chapter 12 भौगोलिक परिप्रेक्ष्य में चयनित कुछ मुद्दे एवं समस्याएँ

4. प्रतिकर्ष और अपकर्ष कारक उत्तरदायी है-
(A) प्रवास के लिए
(B) गंदी बस्तियाँ
(C) भू-निम्नीकरण के लिए
(D) वायु प्रदूषण
उत्तर:
(A) प्रवास के लिए

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दें

प्रश्न 1.
प्रदूषण और प्रदूषकों में क्या भेद है?
उत्तर:
प्रदूषण और प्रदूषक में भेद निम्नलिखित है-

प्रदूषण (Pollution) प्रदूषक (Pollutant)
मानवीय क्रियाकलापों से उत्पन्न अपशिष्ट उत्पादों से कुछ पदार्थ और ऊर्जा निकलती है जिससे प्राकृतिक पर्यावरण में कुछ हानिकारक परिवर्तन होते हैं जिसे प्रदूषण कहा जाता है। पारितंत्र में विद्यमान प्राकृतिक संतुलन में ह्नास और प्रदूषण उत्पन्न करने वाली ऊर्जा या पदार्थ के किसी रूप को प्रदूषक कहा जाता है।

प्रश्न 2.
वायु प्रदूषण के प्रमुख स्रोतों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
वायु-प्रदूषण के प्रमुख स्रोत निम्नलिखित हैं-

  1. प्राकृतिक स्रोत-ज्वालामुखी जन्य पदार्थ, धूलभरी आँधियाँ व तूफान, दावानल आदि।
  2. मानवीय स्रोत-औद्योगिक प्रक्रम, ठोस कचरा निपटान, वाहित जल निपटान, परिवहन के साधन, रेडियोधर्मी पदार्थ, पेट्रोल व डीजल का दहन, रसायनों का उपयोग आदि।

प्रश्न 3.
भारत में नगरीय अपशिष्ट निपटान से जुड़ी प्रमुख समस्याओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
भारत में नगरीय अपशिष्ट निपटान से जुड़ी प्रमुख समस्याएँ निम्नलिखित हैं-

  1. नगरीय वातावरण का दूषित होना
  2. कूड़ा-कचरा संग्रहण सेवाओं की अपर्याप्त व्यवस्था
  3. औद्योगिक अपशिष्टों का जल स्रोतों में प्रवाहित करना
  4. मानव मल के सुरक्षित निपटान का अभाव।

प्रश्न 4.
मानव स्वास्थ्य पर वायु प्रदूषण के क्या प्रभाव पड़ते हैं?
उत्तर:
प्रदूषित वायु का सेवन करने से हमारे फेफड़े नष्ट हो जाते हैं। यही गैस तथा प्रदूषित कण रक्त में मिलकर हमारे शरीर के विभिन्न भागों में पहुँचकर उन अंगों को नष्ट करने लगते हैं। वायु प्रदूषण के कारण हमें श्वसन तंत्रीय, तंत्रिका तंत्रीय और रक्त संचारतंत्र संबंधी अनेक बीमारियाँ हो जाती हैं। औद्योगिक भट्टियों में जलने वाले कोयले के धुएँ से कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी भी हो सकती है।

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 150 शब्दों में दें

प्रश्न 1.
भारत में जल प्रदूषण की प्रकृति का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
वायु की तरह जल भी प्राकृतिक रूप से तथा मनुष्यों के क्रियाकलापों से प्रदूषित होता है। जल प्रदूषण जल की गुणवत्ता में हास लाता है। जल प्रदूषण के प्राकतिक कारण हैं अपरदन, भस्खलन, पेड-पौधों और मत जीव-जंतओं जबकि मनुष्य द्वारा जल को घरेलू बहिस्राव, नगरीय बहिस्राव, औद्योगिक तथा कृषि एवं सिंचाई के कार्यों आदि के माध्यम से प्रदूषित किया जाता है। प्रदूषित जल में बैक्टीरिया तथा कार्बनिक पदार्थों की अधिकता होती है।

औद्योगिक बहिस्रावों में अपशिष्ट पदार्थ, विषैली गैसें, रासायनिक अपशिष्ट तथा अनेक विपत्तिजनक पदार्थ प्रवाहित जल में बहा दिए जाते हैं जिसके परिणामस्वरूप विषैले तत्त्व जलाशयों, नदियों तथा अन्य जल भंडारों में पहुँचकर जल की गुणवत्ता का ह्रास करते हैं और इसके जैव तंत्र को नष्ट कर देते हैं। जल को प्रदूषित करने वाले प्रमुख उद्योग हैं-चमड़ा उद्योग, लुगदी और कागज उद्योग, वस्त्र तथा रसायन उद्योग। गंगा और यमुना नदी के किनारों पर स्थित प्रमुख नगरों में औद्योगीकरण के परिणामस्वरूप भारी मात्रा में अपशिष्ट पदार्थ नदियों में बहाया जा रहा है। एक अध्ययन के अनुसार इन नदियों का 75 प्रतिशत जल प्रदूषित हो चुका है।

उदाहरण के लिए, भारत में गंगा और यमुना नदियों में प्रदूषण के स्रोत का निम्नलिखित तालिका द्वारा वर्णन किया गया है-

नदी और राज्य प्रदूषित भाग प्रदूषण का स्वरूप या प्रकृति अतिशोषण द्वारा प्रमुख प्रदूषक
गंगा (उत्तर प्रदेश, (i) कानपुर के नीचे का भाग (i) कानपुर जैसे नगरों से औद्योगिक प्रदूषण कानपुर, इलाहाबाद, वाराणसी, पटना और कोलकाता जैसे नगरों से घरेलू अपशिष्ट नदी में बहा दिए जाते हैं।
बिहार और पश्चिमी बंगाल) (ii) वाराणसी के नीचे (ii) नगरीय केंद्रों से घरेलू अपशिष्ट और नदी में मृत जीव-जंतुओं का विसर्जन।
यमुना (उत्तर प्रदेश, और दिल्ली) (iii) फरक्का बाँध से इलाहाबाद तक
(a) दिल्ली से चंबल के संगम तक
(b) मथुरा और आगरा
(iii) नदी में लाशों का प्रवाह
(a) हरियाणा और उत्तर प्रदेश द्वारा सिंचाई के लिए जल की निकासी
(b) कृषीय अपवाह के परिणामस्वरूप यमुना में सूक्ष्म प्रदूषकों का उच्च स्तर
(c) दिल्ली के घरेलू और औद्योगिक अपशिष्टों का नदी में प्रवाह करना।
दिल्ली नगर अपना घरेलू अपशिष्ट यमुना में प्रवाहित करता है।

इनके अतिरिक्त वर्तमान में उच्च नस्ल के अन्न की पैदावार के लिए खाद एवं कीटनाशकों का प्रयोग बढ़ता जा रहा है। अधिक उर्वरक और कीटनाशकों के प्रयोग से इनके रसायन रिसकर भूतल में या सिंचाई जल वर्षा या बाढ़ द्वारा बहकर भूमिगत जल में ही मिल जाते हैं, इससे जल प्रदूषित हो जाता है। भारत में पृष्ठीय जल के लगभग सभी स्रोत संदूषित तथा मानव के उपयोग के अयोग्य हैं।

संदूषित जल से अनेक भयानक बीमारियाँ फैलती हैं। भारत में एक-चौथाई संक्रामक रोग प्रदूषित जल से ही पैदा होते हैं। दूषित जल से उत्पन्न होने वाली प्रमुख बीमारियाँ हैं-अतिसार, रोहा तथा पीलिया आदि।

प्रश्न 2.
भारत में गंदी बस्तियों की समस्याओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
जनसंख्या वृद्धि के कारण भारत जैसे विकासशील देश में रोजगार व औद्योगीकरण के कारण लोग गाँव से नगरों में प्रवास करते हैं, जिससे वहाँ कई प्रकार की सामाजिक व आर्थिक समस्याएँ पैदा होती हैं। नगरीकरण और औद्योगीकरण से नगरों में मलिन या गंदी बस्तियों व झोंपड़-पट्टी का विस्तार होता है। भारत के महानगरों में एक तरफ तो अच्छी सुविधाओं से युक्त बस्तियाँ हैं तो वहीं दूसरी ओर झुग्गी-झोंपड़ी और मलिन बस्तियाँ हैं। इनमें वे लोग रहते हैं जिन्हें ग्रामीण क्षेत्रों से नगरीय क्षेत्रों में आजीविका की खोज में रहने के लिए मजबूर होना पड़ता है, क्योंकि वे ऊँचे किराए और जमीन की महँगी कीमत होने के कारण अच्छे घरों में नहीं रह पाते।

इसलिए वे लोग पर्यावरण की दृष्टि से बेमेल और निम्नीकृत क्षेत्रों पर कब्जा करते रहते हैं। मलिन बस्तियाँ न्यूनतम वांछित आवासीय क्षेत्र होते हैं, जहाँ जीर्ण-शीर्ण मकान, स्वास्थ्य की निम्न सुविधाएँ, खुली हवा का अभाव, पेयजल, प्रकाश तथा शौच जैसी आवश्यक सुविधाओं का अभाव पाया जाता है। संक्षेप में, मलिन बस्तियों की समस्याएँ निम्नलिखित हैं-
(i) मलिन बस्तियों में अधिक जनसंख्या रहती है और यहाँ निम्न आय वाले लोग रहते हैं, जो रोजगार की तलाश में गाँवों से नगरों में आते हैं। यहाँ इन्हें अनेक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है, क्योंकि इन बस्तियों के आस-पास गंदगी का विशाल ढेर फैला होता है।

(ii) ये बस्तियाँ निम्नीकृत क्षेत्रों पर बसी हुई हैं। ये क्षेत्र बहुत-ही भीड़-भाड़, पतली-संकरी गलियों तथा आग जैसे गंभीर खतरों के जोखिम से युक्त होते हैं।

(iii) इन बस्तियों में मकान जीर्ण-शीर्ण, स्वास्थ्य की निम्न सुविधाएँ, पीने के पानी की कमी, प्रकाश और शौच जैसी सुविधाओं का अभाव पाया जाता है।

(iv) ये लोग अल्प-पोषित होते हैं। इनमें विभिन्न रोग होने की संभावना बनी रहती है।

(v) गरीबी, बेरोज़गारी व अभावग्रस्त वातावरण में रहने के कारण ये लोग नशीली दवाओं, शराब, अपराध, गुडांगर्दी आदि की ओर उन्मुख हो जाते हैं। नगरों के अधिकांश अपराध यहीं पनपते हैं।

HBSE 12th Class Geography Solutions Chapter 12 भौगोलिक परिप्रेक्ष्य में चयनित कुछ मुद्दे एवं समस्याएँ

प्रश्न 3.
भू-निम्नीकरण को कम करने के उपाय सुझाइए।
उत्तर:
भू-निम्नीकरण से अभिप्राय स्थायी या अस्थायी तौर पर भूमि की उत्पादकता की कमी है। भू-निम्नीकरण को कम करने के उपाय निम्नलिखित हैं

  1. मृदा को क्षरण, लवणीकरण और अन्य प्रकार के क्षरण से बचाने के लिए भूमि व जल प्रबंधन को एकीकृत करना।
  2. ठोस कचरे के उत्पादन में कमी लाना और उसको पुनः प्रयोग में लाना। ठोस कचरे का उचित प्रबंध करना।
  3. उद्योगों से निकलने वाले व्यर्थ पदार्थों को खाली भूमि पर न फेंकना।
  4. बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण या वनीकरण व चराई का उचित प्रबंधन।।
  5. बंजर भूमि का उचित प्रबंधन।
  6. औद्योगिक अपशिष्ट का पूर्ण निरावेशन व नष्ट करना।
  7. खनन प्रक्रिया और अति सिंचाई नियंत्रित करना।
  8. चरागाहों पर बढ़ते दबाव का प्रबंधन।
  9. कृषि में नई प्रौद्योगिकी एवं तकनीक का प्रयोग करना।
  10. रेतीली, मरुस्थलीय, तटीय भूमि को उर्वरकों एवं कम्पोस्ट और सिंचाई की सुविधाओं से योग्य बनाना आदि।

भौगोलिक परिप्रेक्ष्य में चयनित कुछ मुद्दे एवं समस्याएँ HBSE 12th Class Geography Notes

→ प्रदूषण (Pollution) : मानवीय क्रियाकलापों से उत्पन्न अपशिष्ट उत्पादों से कुछ पदार्थ और ऊर्जा निकलती है जिससे प्राकृतिक पर्यावरण में कुछ हानिकारक परिवर्तन होते हैं जिसे प्रदूषण कहा जाता है।

→ प्रदूषक (Pollutant) : पारितंत्र में विद्यमान प्राकृतिक संतुलन में ह्रास और प्रदूषण उत्पन्न करने वाली ऊर्जा या पदार्थ के किसी रूप को प्रदूषक कहा जाता है।

→ पर्यावरण प्रदूषण (Environmental Pollution) : पर्यावरण का ह्रास होना पर्यावरण प्रदूषण कहलाता है।

→ जल प्रदूषण (Water Pollution) : सारे जीव-जंतुओं के जीवित रहने के लिए जल का साफ-सुथरा और लगातार मिलते रहना बहुत आवश्यक है। जल में घुलनशील व अघुलनशील अशुद्धियों या चीजों के मिल जाने से जल का दूषित होना जल-प्रदूषण (Water Pollution) कहलाता है।

→ वाय प्रदूषण (Air Pollution): जब वायु में निश्चित मात्रा में अधिक विषैली और हानिकारक गैसें तथा धूलकण मिल जाते हैं, तो उसे वायु-प्रदूषण (Air Pollution) कहते हैं।

→ ध्वनि प्रदूषण (Noise Pollution) : जब ध्वनि अवांछनीय हो या कानों और मस्तिष्क में हलचल करे, तो उसे . ध्वनि-प्रदूषण कहते हैं। यह एक ऐसा अवांछनीय परिवर्तन है जो मानव के जीवन पर हानिकारक प्रभाव डालता है।

→ भू निम्नीकरण (Land Degradation): भू-निम्नीकरण का अभिप्राय स्थायी या अस्थायी तौर पर भूमि की उत्पादकता की कमी है। कृषि योग्य भूमि पर दबाव का कारण केवल सीमित उपलब्धता ही नहीं, बल्कि इसकी गुणवत्ता में कमी भी इसका कारण है। मृदा अपरदन, लवणता तथा भू-क्षारता से भू-निम्नीकरण होता है।

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