Haryana State Board HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 12 भौगोलिक परिप्रेक्ष्य में चयनित कुछ मुद्दे एवं समस्याएँ Important Questions and Answers.
Haryana Board 12th Class Geography Important Questions Chapter 12 भौगोलिक परिप्रेक्ष्य में चयनित कुछ मुद्दे एवं समस्याएँ
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
A. नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर को चुनिए
1. प्रदूषकों के परिवहित एवं विसरित होने के माध्यम के आधार पर प्रदूषण को निम्नलिखित प्रकार में वर्गीकृत किया जाता है-
(A) वायु प्रदूषण
(B) जल प्रदूषण
(C) भूमि प्रदूषण
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी
2. भारत में जल का कितने प्रतिशत (%) भाग प्रदूषित हो चुका है?
(A) लगभग 20%
(B) लगभग 40%
(C) लगभग 70%
(D) लगभग 90%
उत्तर:
(C) लगभग 70%
3. गंगा और उसकी सहायक नदियों में प्रतिदिन कितने लीटर मल-जल डाला जाता है?
(A) 4 अरब लीटर
(B) 6 अरब लीटर
(C) 8 अरब लीटर
(D) 10 अरब लीटर
उत्तर:
(B) 6 अरब लीटर
4. किस नगर में वाहनों से कार्बन मोनोक्साइड अधिक पैदा होती है?
(A) शिमला में
(B) दिल्ली में
(C) कुल्लू में
(D) अमृतसर में
उत्तर:
(B) दिल्ली में
5. निम्नलिखित में से मानव-जनित प्रदूषक का उदाहरण है-
(A) बैक्टीरिया
(B) ज्वालामुखी राख
(C) खनन
(D) उल्कापात
उत्तर:
(C) खनन
6. निम्नलिखित में से नैसर्गिक प्रदूषक का उदाहरण है
(A) ज्वालामुखी राख
(B) खनन
(C) परमाणु विस्फोट
(D) रासायनिक प्रक्रियाएँ
उत्तर:
(A) ज्वालामुखी राख
7. अम्लीय वर्षा जल का pH मान होता है
(A) 5 से 2.5
(B) 5 से 7.5 के बीच
(C) 7.5 से अधिक
(D) 7.5 से कम
उत्तर:
(A) 5 से 2.5
8. विश्व जैव-विविधता दिवस प्रतिवर्ष कब मनाया जाता है? ।
(A) 22 अप्रैल
(B) 25 जून
(C) 22 मई
(D) 1 दिसम्बर
उत्तर:
(C) 22 मई
9. ओजोन परत के क्षरण के लिए सर्वाधिक उत्तरदायी गैस है-
(A) कार्बन-डाइऑक्साइड
(B) ऑक्सीजन
(C) क्लोरो-फ्लोरो कार्बन
(D) सल्फर-डाइऑक्साइड
उत्तर:
(C) क्लोरो-फ्लोरो कार्बन
10. डेसीबल इकाई है-
(A) वायुताप की
(B) वायुदाब की
(C) शोर के स्तर की
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(C) शोर के स्तर की
11. हमारे वायुमंडल में कितने प्रतिशत कार्बन-डाइऑक्साइड गैस विद्यमान है?
(A) 21 प्रतिशत
(B) 78 प्रतिशत
(C) 0.01 प्रतिशत
(D) 0.03 प्रतिशत
उत्तर:
(D) 0.03 प्रतिशत
12. वायु प्रदूषण के प्रमुख स्रोत हैं-
(A) उद्योग व कारखाने
(B) खनन
(C) जीवाश्म ईंधन का दहन
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी
13. किस प्रकार के प्रदूषण के कारण श्वसन व तंत्रिका प्रणाली संबंधी अनेक बीमारियाँ होती हैं?
(A) भू-प्रदूषण
(B) शोर-प्रदूषण
(C) वायु-प्रदूषण
(D) जल-प्रदूषण
उत्तर:
(C) वायु-प्रदूषण
14. कोहरा मानव स्वास्थ्य के लिए ……………… सिद्ध होता है
(A) लाभकारी
(B) अत्यंत घातक
(C) हानिकारक एवं लाभकारी दोनों
(D) न हानिकारक, न लाभकारी
उत्तर:
(B) अत्यंत घातक
15. ध्वनि प्रदूषण को बढ़ावा देने वाले स्रोत हैं
(A) सायरन
(B) लाउडस्पीकर
(C) तीव्र चालित मोटर-वाहन
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी
16. भारत के कई बड़े शहरों एवं महानगरों में कौन-सा प्रदूषण अधिक खतरनाक हैं?
(A) जल प्रदूषण
(B) भू-प्रदूषण
(C) ध्वनि प्रदूषण
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(C) ध्वनि प्रदूषण
17. धूम्र कुहरा संबंधित होता है-
(A) जल प्रदूषण से
(B) भू प्रदूषण से
(C) वायु प्रदूषण से
(D) शोर प्रदूषण से
उत्तर:
(C) वायु प्रदूषण से
18. वायु प्रदूषण से वायुमंडल में किस गैस की मात्रा बढ़ती है?
(A) ऑक्सीजन की
(B) नाइट्रोजन की
(C) कार्बन-डाइऑक्साइड की
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(C) कार्बन-डाइऑक्साइड की
19. कृषि/खेती में रासायनिक पदार्थों को डालने से किस प्रदूषण को बढ़ावा मिलता है?
(A) भू-प्रदूषण को
(B) शोर-प्रदूषण को
(C) वायु प्रदूषण को
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(A) भू-प्रदूषण को
20. किस नगर में वाहनों से कार्बन मोनोक्साइड अधिक पैदा होती है?
(A) शिमला में
(B) दिल्ली में
(C) कुल्लू में
(D) अमृतसर में
उत्तर:
(B) दिल्ली में
21. निम्नलिखित में से मानव-जनित प्रदूषक का उदाहरण है-
(A) बैक्टीरिया
(B) ज्वालामुखी राख
(C) खनन
(D) उल्कापात
उत्तर:
(C) खनन
22. निम्नलिखित में से नैसर्गिक प्रदूषक का उदाहरण है-
(A) ज्वालामुखी राख
(B) खनन
(C) परमाणु विस्फोट
(D) रासायनिक प्रक्रियाएँ
उत्तर:
(A) ज्वालामुखी राख
B. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक शब्द में दें
प्रश्न 1.
ओजोन परत को पतला करने वाली गैस कौन-सी है?
उत्तर:
क्लोरो-फ्लोरो कार्बन।
प्रश्न 2.
शोर का स्तर मापने की इकाई क्या है?
अथवा
ध्वनि की उच्चता मापने की इकाई का क्या नाम है?
उत्तर:
डेसीबल।
प्रश्न 3.
अम्लीय वर्षा किस प्रदूषण से होती है?
उत्तर:
वायु प्रदूषण से।
प्रश्न 4.
मदा लवणता का मुख्य कारण क्या है?
उत्तर:
नहरी सिंचाई का अत्यधिक उपयोग।
प्रश्न 5.
पर्यावरण दिवस प्रतिवर्ष कब मनाया जाता है?
उत्तर:
5 जून को।
प्रश्न 6.
ओज़ोन गैस के कारण कौन-सी झिल्ली नष्ट हो जाती है?
उत्तर:
श्लेष्मिक झिल्ली।
प्रश्न 7.
वायुमंडल में ऑक्सीजन कितने प्रतिशत होती है?
उत्तर:
लगभग 21 प्रतिशत।
प्रश्न 8.
वायुमंडल में नाइट्रोजन की मात्रा कितने प्रतिशत होती है?
उत्तर:
लगभग 78 प्रतिशत।
प्रश्न 9.
वायु में सबसे अधिक प्रतिशत में कौन-सी गैस होती है?
उत्तर:
नाइट्रोजन।
प्रश्न 10.
हम श्वसन क्रिया में कौन-सी गैस छोड़ते हैं?
उत्तर:
कार्बन-डाइऑक्साइड।
प्रश्न 11.
पृथ्वी का सुरक्षा कवच किसे कहा जाता है?
उत्तर:
ओजोन परत को।
प्रश्न 12.
विश्व की किसी एक प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण संस्था का नाम बताएँ।
उत्तर:
संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP)।
प्रश्न 13.
विश्व ओजोन दिवस प्रतिवर्ष कब मनाया जाता है?
उत्तर:
16 दिसम्बर को।
प्रश्न 14.
भोपाल गैस त्रासदी दिवस प्रतिवर्ष कब मनाया जाता है?
उत्तर:
2 दिसम्बर को।
प्रश्न 15.
वायु प्रदूषण के स्रोतों को कितने भागों में बाँटा जाता है?
उत्तर:
दो भागों में।
प्रश्न 16.
हमारे चारों ओर जो प्राकृतिक, भौतिक व सामाजिक आवरण है, क्या कहलाता है?
उत्तर:
पर्यावरण।
प्रश्न 17.
कौन-सी गैस अम्लीय वर्षा का प्रमुख कारण है?
उत्तर:
सल्फर डाइऑक्साइड।
प्रश्न 18.
रेफ्रिजरेटर एवं एयर कंडीशनर्स के प्रयोग से वायुमण्डल में किस गैस की मात्रा बढ़ती है?
उत्तर:
क्लोरो-फ्लोरो कार्बन की।
प्रश्न 19.
भूमि के गुणों का हास होना क्या कहलाता है?
उत्तर:
भू-निम्नीकरण।
प्रश्न 20.
वायु प्रदूषण के दो स्रोतों के नाम लिखिए।
उत्तर:
- कोयला, पेट्रोल व डीजल का जलना
- घरेलू कूड़ा-कर्कट।
प्रश्न 21.
विश्व पर्यावरण संरक्षण दिवस प्रतिवर्ष कब मनाया जाता है?
उत्तर:
26 नवम्बर को।
प्रश्न 22.
एक प्रमुख ग्रीनहाउस गैस का नाम लिखें।
उत्तर:
कार्बन-डाइऑक्साइड (CO)।
प्रश्न 23.
हमारे आसपास का वातावरण कैसा होना चाहिए?
उत्तर:
हमारे आसपास का वातावरण स्वच्छ व शांतिमय होना चाहिए।
प्रश्न 24.
वायु-प्रदूषण का कोई एक प्राकृतिक स्रोत बताएँ।
उत्तर:
ज्वालामुखी।
प्रश्न 25.
ध्वनि प्रदूषण का कोई एक प्राकृतिक स्रोत बताएँ।
उत्तर:
आसमान में बिजली का कड़कना।
प्रश्न 26.
झबआ जिला किस राज्य में स्थित है?
उत्तर:
मध्य प्रदेश।
अति-लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
वायु का संघटन लिखिए।
अथवा
हमारे वायुमंडल में कौन-कौन-सी मुख्य गैसें उपस्थित हैं?
उत्तर:
भौतिक दृष्टि से वायु विभिन्न गैसों का सम्मिश्रण है। वायु के संघटन में निम्नलिखित प्रमुख गैसें होती हैं-
गैसें | आयतन (% में) | गैसें | आयतन (% में) |
नाइट्रोजन | 78.03 | नियोन | 0.0018 |
ऑक्सीजन | 20.99 | हीलियम | 0.0005 |
ऑर्गन | 0.93 | क्रिप्टॉन | 0.0001 |
कार्बन-डाइऑक्साइड | 0.03 | जेनॉन | 0.000005 |
हाइड्रोजन | 0.01 | ओजोन | 0.0000001 |
प्रश्न 2.
पर्यावरण कितने प्रकार के होते हैं? नाम बताएँ।
उत्तर:
पर्यावरण मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं-
- प्राकृतिक या भौतिक पर्यावरण इसमें हमारे चारों ओर की वस्तुएँ; जैसे भूमि, नदियाँ, पेड़-पौधे, पशु-पक्षी, मौसम, जलवायु आदि शामिल होते हैं।
- सामाजिक पर्यावरण-इसमें घर, गलियाँ, स्कूल, रीति-रिवाज, परंपराएँ, कानून, व्यापारिक प्रतिष्ठान आदि शामिल होते हैं।
प्रश्न 3.
वायु-प्रदूषण (Air Pollution) क्या है?
उत्तर:
जब वायु में निश्चित मात्रा में अधिक विषैली और हानिकारक गैसें तथा धूलकण मिल जाते हैं, तो उसे वायु-प्रदूषण (Air Pollution) कहते हैं।
प्रश्न 4.
ध्वनि-प्रदूषण क्या है?
उत्तर:
जब ध्वनि अवांछनीय हो या कानों और मस्तिष्क में हलचल करे, तो उसे ध्वनि-प्रदूषण कहते हैं। यह एक ऐसा अवांछनीय परिवर्तन है जो मानव के जीवन पर हानिकारक प्रभाव डालता है।
प्रश्न 5.
जल-प्रदूषण कितने प्रकार का होता है?
उत्तर:
जल-प्रदूषण मुख्यतः पाँच प्रकार का होता है-
- पृथ्वी तल पर जल-प्रदूषण
- पृथ्वी के अन्दर जल-प्रदूषण
- नदी जल-प्रदूषण
- झीलों, झरनों व तालाबों का जल-प्रदूषण
- समुद्रीय जल-प्रदूषण।
प्रश्न 6.
मृदा-प्रदूषण के कोई दो कारण लिखें।
उत्तर:
मृदा-प्रदूषण के दो कारण निम्नलिखित हैं-
- भूमि में रासायनिक पदार्थों; जैसे जस्ता, कीटनाशक, रासायनिक खाद को डालने से मृदा प्रदूषित हो जाती है।
- उद्योगों के कूड़े-कर्कट में बहुत-से हानिकारक रासायनिक तत्त्व होते हैं, जो वायु के द्वारा मिट्टी में पहुँचकर उसे प्रदूषित कर देते हैं।
प्रश्न 7.
भू-निम्नीकरण के क्या कारण हैं?
उत्तर:
- अति-पशुचारण
- अत्यधिक खनन क्रिया
- अत्यधिक सिंचाई क्रिया।
प्रश्न 8.
ध्वनि प्रदूषण से क्या-क्या हानियाँ होती हैं?
उत्तर:
- मस्तिष्क पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
- चिड़चिड़ापन, बहरापन, तनाव व सिर दर्द के लक्षण दिखाई देने लगते हैं।
- श्रवण क्षमता स्थायी रूप से समाप्त हो जाती है।
प्रश्न 9.
जल-प्रदूषण के स्रोत कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
- औद्योगिक अपशिष्ट
- घरेलू वाहित जल
- कृषि अपशिष्ट
- तापीय दूषित जल
- रेडियोधर्मी अपशिष्ट
- खनिज तेल का रिसाव
- वायुमण्डलीय कण आदि।।
प्रश्न 10.
पर्यावरण संरक्षण से संबंधित भारत की किन्हीं तीन संस्थाओं (संस्थानों) के नाम लिखें।
उत्तर:
- भारतीय वन्यजीव संस्थान, देहरादून-1986
- राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी शोध संस्थान (NEERI), नागपुर 1958
- वन शोध संस्थान, देहरादून-1906।
प्रश्न 11.
ग्रीन हाउस प्रभाव से आपका क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
ग्रीन हाउस प्रभाव एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा पृथ्वी के वातावरण में उपस्थित कार्बन-डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन .. ऑक्साइड तथा मीथेन जैसी ग्रीन हाउस गैसें पृथ्वी के तापमान को बढ़ाती हैं।
प्रश्न 12.
अम्लीय वर्षा से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
औद्योगिक इकाइयों की विभिन्न उत्पादन क्रियाओं से निकली गैसों; जैसे कार्बन-डाइऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड आदि का जलवाष्प के साथ मिलकर वर्षा के रूप में गिरना अम्लीय वर्षा कहलाती है।
प्रश्न 13.
धूम्र कुहरा क्या है?
उत्तर:
नगरीय एवं औद्योगिक क्षेत्रों में वायुमण्डल की निचली परत में भारी मात्रा में विद्यमान प्रदूषित गैसें और प्रदूषक तत्त्व जब सामान्य रूप से पड़ने वाले कोहरे से मिल जाते हैं तो धूम्र कुहरा पैदा हो जाता है जोकि मानव स्वास्थ्य के लिए अत्यंत घातक सिद्ध होता है।
प्रश्न 14.
वायु-प्रदूषण के अप्राकृतिक स्रोत कौन-कौन से होते हैं?
उत्तर:
- जीवाश्म ईंधन का दहन
- खनन
- औद्योगिक प्रक्रम
- परिवहन या यातायात के साधन
- धूम्रपान
- रेडियोधर्मिता आदि।
प्रश्न 15.
ग्रीन हाउस प्रभाव को कम करने के उपाय बताएँ।
उत्तर:
- जीवाश्म ईंधन का कम उपयोग करना
- अधिक से अधिक पौधे रोपण करना
- क्लोरो-फ्लोरो कार्बन के प्रयोग को प्रतिबंधित करना
- पर्यावरण संतुलन बनाए रखने हेतु सहयोग करना या पर्यावरण के प्रति जागरूक रहना।
प्रश्न 16.
भौतिक वातावरण (Physical Environment) से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
भौतिक वातावरण को प्राकृतिक वातावरण भी कहते हैं, क्योंकि इसमें हमारे चारों ओर उपस्थित घटकों या वस्तुओं को शामिल किया जाता है। जैसे-हवा, पानी, भूमि, पेड़-पौधे, मौसम, जलवायु, आकाश, अशु-पक्षी, जीव-जन्तु आदि।
प्रश्न 17.
प्रदूषक (Pollutants) किसे कहते हैं?
उत्तर:
जब पर्यावरणीय तत्त्वों; जैसे पानी, हवा, भूमि आदि में कुछ अवांछनीय पदार्थ मिल जाते हैं तो इन अवांछनीय पदार्थों से पर्यावरणीय तत्त्व प्रदूषित हो जाते हैं। इन पर्यावरणीय तत्त्वों को दूषित करने वाले अवांछनीय पदार्थों को प्रदूषक कहा जाता है। उदाहरण के लिए, कारखानों से निकलने वाले अपशिष्ट पदार्थ, घरेलू कूड़ा-कर्कट और वाहनों से निकलने वाला धुआँ आदि।
प्रश्न 18.
जल प्रदूषण क्या है?
उत्तर:
सारे जीव-जंतुओं के जीवित रहने के लिए जल का लगातार मिलते रहना बहुत आवश्यक है। जल में घुलनशील व अघुलनशील अशुद्धियों या पदार्थों के मिल जाने से जल का दूषित होना जल-प्रदूषण कहलाता है।
प्रश्न 19.
प्रदूषण की कोई दो परिभाषाएँ लिखें।
उत्तर:
1. ई०पी० ओडम के अनुसार, “प्रदूषण से अभिप्राय हमारे जल, हवा और जमीन में भौतिक, रासायनिक और जीव-विज्ञान में आने वाले परिवर्तन हैं जो कि जीवन और आवश्यक नस्लों पर हानिकारक प्रभाव डालते हैं।”
2. टी० जी० मैक्लालिन के अनुसार, “मनुष्य ने व्यर्थ पदार्थ और अतिरिक्त ऊर्जा का जो सिलसिला वातावरण में । आरम्भ किया है, वह प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर मनुष्य और वातावरण को हानि पहुँचाने वाला है।”
प्रश्न 20.
पर्यावरण प्रदूषण को कितने वर्गों में बाँटा गया है?
उत्तर:
पर्यावरण प्रदूषण मुख्यतः दो वर्गों में बाँटा गया है-
- प्रत्यक्ष पर्यावरण प्रदूषण-यह वह प्रदूषण है जिसका प्रभाव पेड़-पौधों, प्राणी और जीव-जन्तुओं (जैवमंडल) पर प्रत्यक्ष रूप से पड़ता है।
- अप्रत्यक्ष पर्यावरण प्रदूषण-यह वह प्रदूषण है जिसका प्रभाव जैवमंडल पर अप्रत्यक्ष रूप से पड़ता है।
प्रश्न 21.
मृदा-प्रदूषण क्या है?
उत्तर:
मनुष्य के हस्तक्षेप एवं दुरुपयोग द्वारा जब मृदा में ऐसे भौतिक, जैविक एवं रासायनिक परिवर्तन हो जाएँ जिनसे उसकी वास्तविक गुणवत्ता एवं उत्पादकता का ह्रास हो जाए, तो उसे भूमि या मृदा-प्रदूषण कहते हैं।
लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
वातावरण को प्रदूषित होने से बचाने के साधनों या उपायों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
वातावरण को प्रदूषित होने से बचाने के साधन या उपाय निम्नलिखित हैं-
- फैक्ट्रियों की चिमनियाँ काफी ऊँची होनी चाहिएँ ताकि धुआँ और कई अन्य गैसें वातावरण को प्रदूषित न कर सकें।
- कारों, बसों, ट्रकों आदि से निकलने वाले धुएँ को रोकने के लिए इनमें नए यन्त्र लगाकर वातावरण को प्रदूषित होने से रोका जा सकता है।
- गंदगी के ढेरों को इकट्ठे नहीं होने देना चाहिए, क्योंकि इनमें से निकलती हुई बदबू वातावरण को प्रदूषित करती है।
- औद्योगिक स्थान आबादी से दूर होने चाहिएँ ताकि लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ने से रोका जा सके।
- घनी जनसंख्या में सफाई का ध्यान रखना चाहिए ताकि वातावरण को दूषित होने से बचाया जा सके।
- पेड़-पौधे अधिक-से-अधिक लगाए जाने चाहिएँ।
- मनुष्य और जीव-जंतुओं के मृतक शरीरों को जलाने का ठीक प्रबंध करना चाहिए।
प्रश्न 2.
अम्लीय वर्षा के क्या कारण हैं?
उत्तर:
कोयला तथा खनिज तेल जैसे जीवाश्म ईंधनों के जलने से उत्पन्न धुएँ में 3 से 4 प्रतिशत तक गंधक की मात्रा होती है। चिमनियों से धुएँ के रूप में जब यह गंधक वायुमंडल में मिलती है तो सल्फ्यूरिक एसिड बनकर वायु को प्रदूषित करती है। ये ईंधन पूरी तरह से नहीं जलते उनसे कार्बन मोनोऑक्साइड निकलती है जो जल को प्रदूषित करती है। कारखानों से निकलकर सल्फ्यूरिक एवं नाइट्रोजन ऑक्साइड वायु में उपस्थित जलवाष्प से मिलकर क्रमशः सल्फ्यूरिक एवं नाइट्रिक एसिड में बदल जाते हैं। फिर यही एसिड अम्ल वर्षा (Acid Rain) के रूप में पुनः धरातल पर पहुँच जाते हैं।
प्रश्न 3.
गरीबी का भूख से क्या रिश्ता है? वर्णन करें।
उत्तर:
गरीबी-यह वह मजबूरी है जिसमें व्यक्ति अपने या अपने परिवार के लिए दो वक्त का खाना नहीं जुटा पाता। योजना आयोग राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर गरीबी के विस्तार का आकलन करता रहा है। गरीबी का स्वरूप गाँव या शहर में एक जैसा होता है। गरीबी एक अभिशाप है जिसमें जीवन जीना भी एक अभिशाप जैसा होता है। यह एक ऐसा चक्रव्यूह है जिसके दलदल में फँसने पर बाहर निकलने के लिए व्यक्ति हाथ-पैर मारता रहता है।
भूख-स्वस्थ रहने के लिए दो वक्त की रोटी न मिल पाना भूख कहलाती है। गरीबी और भूख एक सिक्के के दो पहलू हैं, क्योंकि गरीबी के अनुपात और भूखे लोगों के प्रतिशत में विशेष अंतर नहीं होता, क्योंकि जिस आय से गरीबी रेखा का निर्धारण किया जाता है वह न्यूनतम जरूरतें पूरी करती हो। ऐसा आवश्यक था परन्तु अब खाद्यान्न के प्रति व्यक्ति की बढ़ती हुई उपलब्धता से भी गरीबी और भूख के कम होने का पता चलता है।
प्रश्न 4.
ध्वनि प्रदूषण को रोकने के कोई चार उपाय बताएँ।
उत्तर:
ध्वनि प्रदूषण को रोकने के कोई चार उपाय निम्नलिखित हैं-
- रिहायशी बस्तियों की तरफ मोटरों, कारों और ट्रकों का यातायात बन्द कर देना चाहिए।
- जहाँ शोर-प्रदूष। हो वहाँ रिहायशी बस्तियाँ नहीं बनने देनी चाहिएँ। बस्तियों में और सड़कों के साथ-साथ नीम और अशोक वृक्ष लगाने चाहिएँ।
- ध्वनि-प्रदूषण को कम करने के लिए कानून बनाना चाहिए ताकि इस तरह से प्रदूषण पैदा करने वाले को कानून के दायरे में सजा दी जा सके।
- बड़े-बड़े उद्योग, रेलवे स्टेशन और हवाई अड्डे आवासीय क्षेत्रों से संतुलित दूरी पर होने चाहिएँ।
प्रश्न 5.
मृदा अपरदन के प्रमुख कारणों का वर्णन करें।
उत्तर:
मृदा अपरदन के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं-
- वर्षा ऋतु में नदियों में बाढ़ आने से उनका जल-स्तर बढ़ जाता है तथा नदियों का जल, कृषि और पशुचारण के क्षेत्र में प्रवेश कर मिट्टी का अपरदन करता है।
- ढालू भूमि में पानी का बहाव तीव्र होने के कारण मिट्टी की ऊपरी सतह बह जाती है।
- वनस्पति-विहीन क्षेत्रों में हवा के कारण मिट्टी का उत्तरी आवरण बह जाता है या हवा द्वारा उड़ा लिया जाता है।
- अधिक पशुचारण के कारण पशुओं द्वारा वनस्पति या घास की जड़ें कमजोर होकर उन्हें हानि पहुँचाती हैं, जिससे मिट्टी खोखली होकर बह जाती है।
- एक खेत में बार-बार एक ही फसल बोने से मिट्टी के आवश्यक खनिज तत्त्व नष्ट हो जाते हैं और मिट्टी असन्तुलित हो जाती है।
- स्थानान्तरी कृषि में जंगलों को साफ करके कृषि करने से भी मिट्टी के कटाव को बढ़ावा मिलता है।
प्रश्न 6.
ध्वनि प्रदूषण के प्राकृतिक व मानवीय स्रोत बताएँ।
अथवा
ध्वनि प्रदूषण के अप्राकृतिक स्रोत कौन-कौन से हैं?
अथवा
शोर प्रदूषण के कौन-कौन से स्रोत हैं?
उत्तर:
ध्वनि प्रदूषण के स्रोत दो प्रकार के हैं-
- प्राकृतिक स्त्रोत-ध्वनि के प्राकृतिक स्रोतों से अभिप्राय ज्वालामुखी फटना, बिजली कड़कना, बादलों का गरजना, आंधी-तूफान, लहरों की आवाज, तेज गति की पवनें इत्यादि शामिल हैं।
- मानवीय स्रोत-औद्योगिक मशीनें, स्वचालित वाहन, डाइनामाइट विस्फोट, युद्धाभ्यास, पुलिस द्वारा चलाई गोलियाँ, लाउडस्पीकर्स, रेडियो, बैंड-बाजे, आतिशबाजी, भवन निर्माण इत्यादि मानवीय स्रोत को दर्शाता है।
प्रश्न 7.
अम्लीय वर्षा के क्या दुष्प्रभाव हैं?
उत्तर:
अम्तीय वर्षा के दुष्प्रभाव निम्नलिखित हैं-
- मिट्टी में अम्लीयता बढ़ जाती है।
- मिट्टी के खनिज व पोषक तत्त्व समाप्त हो जाते हैं।
- मिट्टी की उत्पादकता कम हो जाती है।
- पेय जल भण्डार दूषित हो जाते हैं।
- आँखों में जलन, श्वसन एवं त्वचा संबंधी अनेक रोग उत्पन्न हो जाते हैं।
- इसका वनों पर भी बुरा असर पड़ता है।
प्रश्न 8.
जल-प्रदूषण के प्रमुख दुष्प्रभाव या दुष्परिणाम बताएँ।
अथवा
जल-प्रदूषण से क्या-क्या हानि हो सकती है?
उत्तर:
जल-प्रदूषण के दुष्प्रभाव या दुष्परिणाम निम्नलिखित हैं-
- दूषित जल पीने से हमें पीलिया, हैजा, मियादी बुखार आदि अनेक बीमारियाँ हो जाती हैं।
- दूषित जल में जल-जीवों के लिए खुराक की कमी होने के कारण इनकी संख्या में कमी आ जाती है।
- वनस्पति एवं कृषि पर भी जल-प्रदूषण का प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। दूषित जल पेड़-पौधों की जड़ों को नष्ट कर देता है और उनका विकास रुक जाता है।
- जल-प्रदूषण से जैव-विविधता का संकट व पारिस्थितिकीय असंतुलन उत्पन्न होता है। इससे विभिन्न जीवों की भोज्य श्रृंखला प्रभावित होती है।
प्रश्न 9.
हमारा वातावरण किन-किन कारणों से प्रदूषित हो रहा है?
अथवा
पर्यावरण प्रदूषण के मुख्य कारणों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
पर्यावरण प्रदूषण के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं-
- आवश्यकता से अधिक प्राकृतिक संसाधनों का दोहन।
- बढ़ती जनसंख्या।
- शहरीकरण एवं औद्योगीकरण।
- रासायनिक खादों व कीटनाशक दवाइयों का अधिक मात्रा में प्रयोग।
- वनों की निरंतर कटाई।
- बढ़ती प्राकृतिक आपदाएँ।
- पर्यावरण संतुलन के प्रति लोगों में जागरुकता का अभाव आदि।
प्रश्न 10.
वायु-प्रदूषण के प्रमुख कारणों का वर्णन कीजिए।
अथवा
वायु को अशुद्ध करने वाले कारण लिखें।
उत्तर:
वायु-प्रदूषण के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं-
- तंबाकू का उपयोग विभिन्न प्रकार से धूम्रपान करने के लिए किया जाता है। धूम्रपान से वायुमंडल में धुआँ लगातार फैलता रहता है जो वायु को प्रदूषित करता है।
- कारखानों एवं वाहनों द्वारा छोड़े गए धुएँ के कारण वायु प्रदूषित होती है।
- कीटनाशक तथा उर्वरक पदार्थ वायु में मिल जाते हैं और लटकते कणों के रूप में वहीं मौजूद रहते हैं। ये भी वायु को प्रदूषित करते हैं।
- खुले में घरेलू कूड़ा फेंकने से भी वायु प्रदूषित होती है।
- ‘लकड़ी, ईंधन, कूड़ा, पटाखे और अन्य पदार्थों को जलाने से वायु-प्रदूषण को बढ़ावा मिलता है।
- तेलशोधक, धातुशोधक तथा रासायनिक उद्योगों आदि से निकलने वाली जहरीली गैसें वायु को दूषित करती हैं।
प्रश्न 11.
प्रदूषित जल की रोकथाम के किन्हीं चार उपायों का वर्णन कीजिए। अथवा जल को प्रदूषित होने से कैसे रोका जा सकता है?
उत्तर:
प्रदूषित जल की रोकथाम के उपाय निम्नलिखित हैं-
(i) प्रकृति प्रदूषित जल को धूप, हवा और गर्म मौसम द्वारा साफ करती है। घरेलू और औद्योगिक जल एक तालाब में इकट्ठा कर लिया जाता है। इसमें काई और बैक्टीरिया पैदा हो जाते हैं, जो जहरीले पदार्थों को खा जाते हैं। यह जल प्रयोग करने के योग्य हो जाता है। इस जल को बिना किसी खतरे के कृषि में प्रयोग किया जा सकता है। जल में रहने वाली मछलियाँ भी जल को शुद्ध करने में सहायता करती हैं।
(ii) रासायनिक पदार्थ; जैसे फिटकरी, चूना और पोटैशियम परमैंगनेट, क्लोरीन आदि का प्रयोग करके जल को प्रदूषित होने से रोका जा सकता है। फिटकरी अशुद्ध जल को नीचे बिठा देती है। चूना जल के भारीपन को दूर करता है। पोटैशियम परमैंगनेट, क्लोरीन जल के सूक्ष्म जीवाणुओं को समाप्त कर देती हैं।
(iii) कीटनाशक दवाइयों और खादों को समय के अनुसार प्रयोग में लाकर और कम-से-कम मात्रा में प्रयोग करके जल को प्रदूषित होने से रोका जा सकता है।
(iv) जल को प्रदूषित होने से रोकने के लिए सख्त कानून का होना बहुत जरूरी है। इसके साथ-साथ सामाजिक और औद्योगिक इकाइयाँ बहते हुए जल में व्यर्थ पदार्थ न फेंकें, जिससे जल को प्रदूषित होने से रोका जा सकता है।
प्रश्न 12.
पर्यावरण के बचाव (संरक्षण) हेतु हमारी क्या भूमिका होनी चाहिए?
अथवा
पर्यावरण संरक्षण के मुख्य उपाय बताएँ।
अथवा
वातावरण को प्रदूषित होने से बचाने के उपायों का वर्णन करें।
उत्तर:
पर्यावरण का बचाव करना किसी एक व्यक्ति का दायित्व न होकर संपूर्ण मानव जाति का दायित्व है। इसके बचाव या संरक्षण हेतु हमें निम्नलिखित उपाय करने चाहिएँ-
- हमें घरेलू कूड़े-कर्कट को कूड़ेदान या उचित स्थान पर ही डालना चाहिए।
- हमें पॉलिथीन के लिफाफों का उपयोग कम-से-कम करना चाहिए।
- जंगलों और वन्य-जीवों के संरक्षण हेतु हमें वृक्षों को नहीं काटना चाहिए।
- हमें पानी को व्यर्थ में बहने नहीं देना चाहिए।
- वातावरण से मेल रखने वाले उत्पादों को ही उपयोग में लाना चाहिए।
- अधिक-से-अधिक वृक्षारोपण कर पर्यावरण के संरक्षण हेतु योगदान देना चाहिए।
- जीव-जन्तुओं के मृतक शरीरों को दबाने के लिए उचित स्थान का प्रबंध करना चाहिए।
- फैक्ट्रियों की चिमनियाँ काफी ऊँची होनी चाहिएँ, ताकि धुआँ और अन्य विषैली गैसें वातावरण को प्रदूषित न कर सकें।
- पर्यावरण के संरक्षण हेतु लोगों को जागरूक करना चाहिए।
दीर्घ-उत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
जल-प्रदूषण (Water Pollution) की विस्तृत व्याख्या कीजिए।
अथवा
भारत में जल-प्रदूषण पर एक टिप्पणी लिखिए।
अथवा
जल-प्रदूषण क्या है? इसके कारण तथा रोकथाम के उपायों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
जल-प्रदूषण (Water Pollution)-सारे जीव-जंतुओं के जीवित रहने के लिए जल का साफ-सुथरा और लगातार मिलते रहना बहुत आवश्यक है। जल में घुलनशील व अघुलनशील अशुद्धियों या चीजों के मिल जाने से जल का दूषित होना जल-प्रदूषण कहलाता है।
जल-प्रदूषण के कारण (Causes of Water Pollution)-जल-प्रदूषण के कारण निम्नलिखित हैं-
(i) मल प्रवाह और घर के कूड़ा-कर्कट से लगभग 75% जल प्रदूषित होता है। बहते हुए जल की अपेक्षा खड़ा जल जल्दी प्रदूषित होता है। इसमें से बदबू आनी शुरू हो जाती है।
(ii) उद्योगों के फालतू रासायनिक पदार्थों को बहते हुए जल में बहा दिया जाता है ताकि इनसे छुटकारा पाया जा सके। ये रासायनिक पदार्थ जल को जहरीला बनाते हैं और जल में रह रहे जानवरों के लिए खतरा पैदा करते हैं।
(iii) कीटनाशक दवाइयाँ तेज रसायन पदार्थ होती हैं, जो कीड़े मारने के लिए प्रयोग में लाई जाती हैं। साधारणतया किसानों द्वारा इनका प्रयोग आवश्यकता से अधिक किया जाता है। खेतों का जल जिसमें कीटनाशक दवाइयाँ मिली होती हैं, बहकर झीलों, तालाबों, नहरों और नदियों में चला जाता है और उनके जल को प्रदूषित कर देता है।
(iv) मैल निवारक से अभिप्राय उस चीज से है, जो सफाई का कार्य करती है, जिसमें साधारण साबुन भी आ जाता है। मैल निवारक में फॉस्फोरस होने के कारण जल प्रदूषित होता है।
(v) आज के युग में खेती की पैदावार को बढ़ाने के लिए किसानों द्वारा प्रायः रासायनिक खादों का प्रयोग किया जाता है। इन खादों में नाइट्रेट और फॉस्फोरस की मात्रा अधिक होती है। खेतों में सिंचाई और वर्षा के कारण ये खादें बहकर। नदियों और तालाबों में मिल जाती हैं और उनके जल को दूषित कर देती हैं।
प्रदूषित जल की रोकथाम के उपाय (Control Measures of Water Pollution)-जल को दूषित होने से रोकने के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं-
(i) प्रकृति प्रदूषित जल को धूप, हवा और गर्म मौसम द्वारा साफ करती है। कर का जल और औद्योगिक जल एक तालाब में इकट्ठा कर लिया जाता है। इसमें काई और बैक्टीरिया पैदा हो जाते हैं, जो जहरीले पदार्थों को खा जाते हैं। यह जल प्रयोग करने के योग्य हो जाता है। इस जल को बिना किसी खतरे के कृषि में प्रयोग किया जा सकता है। जल में रहने वाली मछलियाँ भी जल को शुद्ध करने में सहायता करती हैं।
(ii) रसायन पदार्थ; जैसे फिटकरी, चूना और पोटैशियम परमैंगनेट, क्लोरीन आदि का प्रयोग करके जल को प्रदूषित होने से बचाया जा सकता है। फिटकरी अशुद्ध जल को नीचे बिठा देती है। चूना जल के भारीपन को दूर करता है। – पोटैशियम रोगों के रोगाणओं को नष्ट करती है। क्लोरीन द्वारा भी जल को साफ किया जा सकता है।
(iii) कीटनाशक दवाइयों और खादों को समय के अनुसार प्रयोग में लाकर और कम-से-कम मात्रा में प्रयोग करके जल को प्रदूषित होने से रोका जा सकता है।
(iv) जल को प्रदूषित होने से रोकने के लिए सख्त कानून का होना जरूरी है। इसके साथ-साथ नगरपालिकाएँ और औद्योगिक इकाइयाँ बहते हुए जल में कम-से-कम व्यर्थ पदार्थ फेंकें, जिससे जल को प्रदूषित होने से रोका जा सकता है।
प्रश्न 2.
ध्वनि या शोर प्रदूषण (Noise Pollution) पर विस्तृत नोट लिखें।
अथवा
ध्वनि प्रदूषण (Noise Pollution) क्या है? इसके प्रभावों तथा रोकथाम के उपायों का वर्णन कीजिए।
अथवा
शोर प्रदूषण के कारण, प्रभाव और उपायों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
ध्वनि या शोर प्रदूषण (Noise Pollution)-शोर शब्द लेटिन भाषा में से लिया गया है जिसको “Nausea” कहते हैं जिसका अर्थ पेट की परेशानी के कारण उल्टी का आना है। परन्तु आजकल न चाहने वाली आवाज, जिसका कोई मूल्य न हो और असीमित आवाज जैसे नामों के साथ इसकी व्याख्या की जाती है। शोर चाहे थोड़ा हो या ज्यादा, यह मनुष्य के संवेग और व्यवहार पर प्रभाव डालता है। जब ध्वनि अवांछनीय हो या कानों और मस्तिष्क में हलचल करे, तो उसे ध्वनि-प्रदूषण कहते हैं। यह एक ऐसा अवांछनीय परिवर्तन है, जो मानव के जीवन पर हानिकारक प्रभाव डालता है।
ध्वनि-प्रदूषण के कारण (Causes of Noise Pollution)-ध्वनि-प्रदूषण के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं-
- कारखानों में मशीनें बहुत अधिक ध्वनि पैदा करती हैं जिससे शोर-प्रदूषण फैलता है।
- यातायात वाहनों (मोटरगाड़ियों, रेलों, जहाजों) के द्वारा शोर प्रदूषण होता है।
- शादियों, पर्यों में उपयोग किए जाने वाले लाउडस्पीकर एवं पटाखे आदि शोर प्रदूषण के कारण हैं।
ध्वनि-प्रदूषण के प्रभाव (Effects of Noise Pollution)-ध्वनि-प्रदूषण के प्रमुख प्रभाव निम्नलिखित हैं
1. सुनने की शक्ति पर प्रभाव-ध्वनि-प्रदूषण के कारण मनुष्य की सुनने की शक्ति कम हो जाती है। विशेषतौर पर बुनाई वाले कर्मियों पर इसका सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ता है।
2. स्वास्थ्य पर प्रभाव-ध्वनि-प्रदूषण के कारण केवल सुनने पर ही प्रभाव नहीं पड़ता, बल्कि कई प्रकार की मानसिक बीमारियाँ . भी लग जाती हैं; जैसे कि परेशानी, तनाव, नींद का न आना, मानसिक थकावट, दिमाग आदि पर प्रभाव पड़ता है।
ध्वनि-प्रदूषण की रोकथाम के उपाय (Control Measures of Noise Pollution)-आज के युग में ध्वनि-प्रदूषण एक समस्या बन गई है। इसकी आम रोकथाम तभी हो सकती है यदि साधारण लोगों को इससे होने वाले शारीरिक और मानसिक नुकसान की जानकारी दी जाए। ध्वनि-प्रदूषण को निम्नलिखित तरीकों से रोका जा सकता है
- रिहायशी बस्तियों की तरफ मोटरों, कारों और ट्रकों का यातायात बन्द कर देना चाहिए।
- जहाँ शोर-प्रदूषण हो वहाँ रिहायशी बस्तियाँ नहीं बनने देनी चाहिएँ। बस्तियों में और सड़कों के साथ-साथ नीम और
- ध्वनि प्रदूषण को कम करने के लिए कानून बनाना चाहिए ताकि इस तरह से प्रदूषण पैदा करने वाले को कानून के दायरे में सजा दी जा सके।
- बड़े-बड़े उद्योग, रेलवे स्टेशन और हवाई अड्डे आवासीय क्षेत्रों से संतुलित दूरी पर होने चाहिएँ।
- समाचार-पत्रों, रेडियो, टी.वी. आदि के माध्यम से लोगों को ध्वनि-प्रदूषण के दुष्परिणामों से अवगत करवाना चाहिए।
प्रश्न 3.
वायु-प्रदूषण (Air Pollution) पर विस्तृत नोट लिखें। अथवा वायु-प्रदूषण (Air Pollution) क्या है? वायु-प्रदूषण के कारणों एवं रोकथाम के उपायों का उल्लेख कीजिए।
अथवा
वायु-प्रदूषण के कारणों एवं प्रभावों का वर्णन करें।
उत्तर:
वायु-प्रदूषण (Air Pollution)-जब वायु में निश्चित मात्रा में अधिक विषैली और हानिकारक गैसें तथा धूलकण मिल जाते हैं, तो उसे वायु-प्रदूषण कहते हैं।
वाय-प्रदूषण के कारण (Causes of Air Pollution) वायु निम्नलिखित कारणों से प्रदूषित होती है-
- तेज हवाओं से ऊपर उठी धूल, गलियों और सड़कों को साफ करने से उठे धूलकण हवा में लटकते रहते हैं।
- कारखानों एवं मोटरगाड़ियों द्वारा छोड़े गए धुएँ के कारण वायु प्रदूषित होती है।
- कीटनाशक तथा उर्वरक पदार्थ वायु में मिल जाते हैं और लटकते कणों के रूप में वहीं मौजूद रहते हैं। ये भी वायु को प्रदूषित करते हैं।
- खुले में घरेलू कूड़ा फेंकने से वायु प्रदूषित होती है।
- लकड़ी, ईंधन, कूड़ा, पटाखे और अन्य चीज़ों को जलाने से वायु-प्रदूषण को बढ़ावा मिलता है।
वायु-प्रदूषण के प्रभाव (Effects of Air Pollution)-वायु-प्रदूषण के प्रभाव निम्नलिखित हैं
1. स्वास्थ्य पर प्रभाव-वायु के बिना मनुष्य का जीवित रहना असंभव है। वायु द्वारा ऑक्सीजन हमारे शरीर में पहुँचती है और शरीर की क्रियाएँ जारी रहती हैं, इसलिए शुद्ध वायु स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी है। परन्तु जब कई प्रकार की गैसें और धूल-कण वायु में मिलते हैं तो वायु प्रदूषित हो जाती है, जो मनुष्य के लिए हानिकारक होती है। इसका मनुष्य के सभी तंत्रों पर बुरा प्रभाव पड़ता है जिसके कारण मनुष्य का स्वास्थ्य खराब हो जाता है।
2. भीषण रोग-प्रदूषित वायु के कारण मनुष्य दमा और फेफड़ों के कैंसर जैसी बीमारियों का शिकार हो जाता है। भिन्न-भिन्न स्रोतों से निकला हुआ रासायनिक पदार्थ कई प्रकार की अन्य बीमारियाँ पैदा करता है; जैसे कार्बन मोनोऑक्साइड मनुष्य के दिल को प्रभावित करती है। सल्फर डाइऑक्साइड साँस लेने में कठिनाई पैदा करती है। नाइट्रिक एसिड और सल्फर एसिड साँस की बीमारियाँ पैदा करते हैं।
3. पौधों पर प्रभाव प्रदूषित वायु फसलों तथा पौधों पर भी बहुत प्रभाव करती है। ओज़ोन (Ozone) विशेषतौर पर पत्तों वाली सब्जियों, चारे की फसलों और जंगली पौधों के लिए हानिकारक है।
4. जलवायु पर प्रभाव-शहरों में फैक्ट्रियाँ ज्यादा होने के कारण ठोस कण बादलों की आकृति बनाए रखते हैं, जिसके कारण धुंध और कोहरा उन स्थानों से ज्यादा पड़ता है जहाँ फैक्ट्रियाँ कम होती हैं। कणों के कारण तापमान और वायु के बहाव में परिवर्तन आता रहता है।
वायु-प्रदूषण की रोकथाम के उपाय (Control Measures of Air Pollution) वायु-प्रदूषण की रोकथाम के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं-
- शहर या गाँव के आस-पास प्रदूषण उत्पन्न करने वाले कारखानों को लगाने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।
- प्रदूषण को कम करने के लिए कारखानों की चिमनियाँ ऊँची होनी चाहिएँ, क्योंकि ये अधिक प्रदूषण फैलाती हैं।
- कारखानों और मोटरगाड़ियों द्वारा छोड़े जाने वाले धुएँ को नियंत्रित करना चाहिए।
- कीटनाशक एवं उर्वरकों से वायु प्रदूषित होती है। इसलिए इनका उपयोग कम-से-कम करना चाहिए।
- घरेलू कूड़े-कर्कट को खुले में न फेंककर किसी गड्ढे आदि में फेंकना चाहिए।
प्रश्न 4.
मृदा अपरदन (Soil Erosion) पर संक्षिप्त नोट लिखें।
अथवा
मृदा अपरदन (Soil Erosion) क्या है? इसको नियंत्रित करने के उपायों का वर्णन करें।
उत्तर:
मृदा अपरदन (Soil Erosion)-मृदा के कटाव के कारण उसमें निहित आवश्यक उपजाऊ तत्त्व जो ऊपरी परत में विद्यमान होते हैं, वे समाप्त हो जाते हैं। उसकी उर्वरा शक्ति कम हो जाती है, जिससे वह फसलों तथा वनस्पति के उगाने योग्य नहीं। रहती। आर्द्र जलवायु वाले प्रदेशों (जहाँ वर्षा अधिक होती है) में अपक्षालन की प्रक्रिया से मिट्टी के आवश्यक तत्त्व घुलकर निचली परतों में चले जाते हैं, जिससे मृदा की उर्वरा शक्ति कम हो जाती है। मरुस्थलीय तथा अर्द्ध-मरुस्थलीय प्रदेशों में मृदा की ऊपरी परत हवा द्वारा एक स्थान से उड़ाकर दूसरे स्थान पर ले जाई जाती है, जिससे भूमि कटाव होता है और मिट्टी की पैदावार करने की क्षमता का ह्रास होता है।
मृदा अपरदन को रोकने के उपाय (Measures to Prevent Soil Erosion) मृदा के संरक्षण एवं प्रबन्धन में मृदा संसाधनों के दीर्घकालीन उपयोग हेतु मृदा के कटाव को नियन्त्रित करना, उसकी उर्वरता को बनाए रखना तथा उसमें सुधार कर उर्वरता में वृद्धि करना सम्मिलित हैं। मृदा के संरक्षण या मृदा अपरदन को रोकने के लिए निम्नलिखित विधियाँ अपनानी चाहिएँ-
1. सम्मोच रेखीय जुताई (Contour Ploughing)-इसमें पहाड़ी ढालों के अनुरूप जुताई की जाती है। ढलानों को कई भागों में बाँटा जाता है, जिससे मिट्टी के कटाव की दर कम हो सके। इस प्रकार की जुताई में कतारों में फसलों को बोकर वर्षा के जल का अवशोषण अधिकतम किया जाता है।
2. फसलों का हेर-फेर (Shifting of Cultivation)-किसी भी खेत या क्षेत्र में एक ही फसल को दो साल से अधिक नहीं बोना चाहिए, क्योंकि इससे मिट्टी की उर्वरा शक्ति कम हो जाती है तथा आवश्यक खनिज तत्त्व समाप्त हो जाते हैं। यदि किसी खेत में दो साल तक गेहूँ की फसल बोई जाती है तो उसके बाद चना या सरसो बोनी चाहिए।
3. नियन्त्रित पशुचारण (Controlling Animal Grazing)-पशुचारण पर प्रतिबन्ध या नियन्त्रण लगाना चाहिए। कुछ चुने हुए स्थानों या क्षेत्रों में पशुचारण होना चाहिए, जिससे मिट्टी का कटाव सीमित रहे।
4. वृक्षारोपण (Tree Plantation)-जिन क्षेत्रों में मिट्टी के कटाव की समस्या है, वहाँ अधिक-से-अधिक वृक्ष लगाने चाहिए। वृक्षों की कटाई पर रोक लगानी चाहिए। जिन क्षेत्रों में मरुस्थल है, वहाँ लम्बी-लम्बी कतारों में वृक्षारोपण करना चाहिए।
5. मेंडबन्दी (Plugging)-जो क्षेत्र प्रतिवर्ष बाढ़ग्रस्त हो जाते हैं, वहाँ अवनालिका अपरदन द्वारा बड़े-बड़े गड्ढे बन जाते हैं। इसलिए खेतों के चारों ओर मेंडबन्दी कर देनी चाहिए तथा अवनालिका अपरदन वाले क्षेत्रों में लम्बी-लम्बी दीवारें बना देनी चाहिए।
इनके अतिरिक्त मृदा अपरदन को रोकने के उद्देश्य से सिंचाई के साधनों का विकास किया जाना चाहिए। वर्षा ऋतु में अतिरिक्त जल के संचयन की व्यवस्था जिसको शुष्क ऋतु में प्रयोग में लाया जा सके, की जानी चाहिए। पहाड़ी क्षेत्रों में मेंड्युक्त खेतों से भी मृदा अपरदन को नियन्त्रित किया जा सकता है।
प्रश्न 5.
भू-निम्नीकरण पर एक नोट लिखिए।
अथवा
भू-निम्नीकरण से आपका क्या तात्पर्य है? इसके कारणों और इसको नियंत्रित करने के उपायों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
भू-निम्नीकरण-भू-निम्नीकरण से तात्पर्य स्थायी अथवा अस्थायी तौर पर भूमि की उत्पादकता में कमी है। मृदा अपरदन, लवणता एवं भू-क्षरता के कारण भू-निम्नीकरण होता है।
भू-निम्नीकरण के कारण-भू-निम्नीकरण मुख्यतः दो कारणों से संभव होता है-
1. प्राकृतिक कारण वैसे तो सभी निम्न कोटी भूमि क्षेत्र व्यर्थ नहीं होता, लेकिन भूमि पर होने वाली अनियंत्रित प्रक्रियाएँ इसको व्यर्थ भूमि क्षेत्र में बदल देती है। इन प्रक्रियाओं के आधार पर इनको वर्गीकृत किया जा सकता है प्राकृतिक खड्डे, मरुस्थलीय व रेतीली भूमि, तटीय भूमि, बंजर व चट्टानी भूमि, तीव्र ढाल वाली भूमि एवं हिमानी क्षेत्र आदि।
2. मानवीय या अप्राकृतिक कारण-मानवजनित प्रक्रियाओं ने भूमि की उत्पादकता एवं उर्वरता को बहुत अधिक प्रभावित किया है। जैसे मृदा (भूमि) का कुप्रबंधन, भूमि का अविरल उपयोग, भूमि अपरदन को प्रोत्साहन देने वाली क्रियाएँ, जलाक्रांतता, सारीयता में वृद्धि आदि। इन क्रियाओं से भू-निम्नीकरण को बहत अधिक बढ़ावा मिला है। खनन और अति सिंचाई भी इसका कारण है।
भू-निम्नीकरण को नियंत्रित करने के उपाय भू-निम्नीकरण को नियंत्रित करने के उपाय निम्नलिखित हैं-
- जो भूमि मानवीय क्रियाओं के कारण बंजर या व्यर्थ हुई है उसको कृषि योग्य बनाने के लिए नई प्रौद्योगिकी का प्रयोग करना चाहिए।
- रेतीली, मरुस्थलीय व तटीय भूमि को उर्वरकों, कम्पोस्ट एवं सिंचाई की सुविधाओं के माध्यम से उपयोगी एवं कृषि योग्य बनाया जा सकता है।
- जनाकांत भूमि व दलदली भूमि को कुशल प्रबंधन के द्वारा उपजाऊ बनाया जा सकता है।
- भू-निम्नीकरण की समस्या को सरकारी एवं गैर-सरकारी संगठनों की सहायता से सुलझाया जा सकता है।
प्रश्न 6.
मृदा-प्रदूषण (Soil Pollution) पर विस्तारपूर्वक नोट लिखें।
अथवा
मृदा-प्रदूषण किसे कहते हैं? इसके मुख्य कारण क्या हैं? इसे नियंत्रित करने के उपाय बताइए।
अथवा
मृदा-प्रदूषण किसे कहते हैं? कौन-कौन से प्राकृतिक व भौतिक कारक मृदा को प्रदूषित करते हैं? इसे नियन्त्रित करने के उपाय समझाइए।
अथवा
भूमि-प्रदूषण से क्या अभिप्राय है? भूमि-प्रदूषण के प्रभावों व रोकथाम के उपायों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भूमि/मृदा-प्रदूषण का अर्थ (Meaning of Land or Soil Pollution)-मनुष्य के हस्तक्षेप एवं दुरुपयोग द्वारा जब मृदा में ऐसे भौतिक, जैविक एवं रासायनिक परिवर्तन हो जाएँ जिनसे उसकी वास्तविक गुणवत्ता एवं उत्पादकता का ह्रास हो, तो उसे भूमि या मृदा-प्रदूषण कहते हैं।
मृदा-प्रदूषण के कारण (Causes of Soil Pollution)-मृदा-प्रदूषण के निम्नलिखित कारण हैं-
- भूमि में रासायनिक पदार्थों; जैसे जस्ता, कीटनाशक, दवाइयाँ, रासायनिक खाद आदि अधिक मात्रा में डालने से मृदा-प्रदूषण होता है।
- उद्योगों से निकलने वाले कूड़े-कर्कट में बहुत से हानिकारक रासायनिक तत्त्व होते हैं जो वायु व पानी के माध्यम से मिट्टी में पहुँचकर उसे प्रदूषित कर देते हैं।
- बढ़ती जनसंख्या की प्राथमिक आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु वनों की कटाई लगातार बढ़ती जा रही है जिसका दुष्परिणाम यह है
- कि भूक्षरण की समस्याएँ निरंतर बढ़ रही हैं।
- भूमि का जल-स्तर कम होने से भूमि प्रदूषित होती है।
- दूषित जल को जब सिंचाई के काम में उपयोग किया जाता है तो इससे भूमि की गुणवत्ता पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
- घरेलू कूड़ा-कर्कट भूमि को निरंतर प्रदूषित कर रहा है, क्योंकि घरेलू कूड़े में काँच, प्लास्टिक व पॉलिथीन आदि पदार्थ भूमि के लिए हानिकारक होते हैं।
- अम्लीय वर्षा के कारण भी मृदा का अपक्षय होता है।
- कृषि में रासायनिक पदार्थों व खनन गतिविधियों से भी भूमि प्रदूषण को बढ़ावा मिलता है।
मृदा-प्रदूषण के प्रभाव (Effects of Soil Pollution)-मृदा-प्रदूषण के प्रभाव निम्नलिखित हैं-
- दूषित भूमि के बैक्टीरिया मानव शरीर में पहुँचकर अनेक बीमारियाँ; जैसे पेचिश, हैजा, टायफाइड आदि फैलाते हैं।
- भूमि में कीटनाशक दवाइयों के प्रयोग से फसलों या अनाजों में भी अनेक विषैले तत्त्व पैदा हो जाते हैं जो हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं।
- मृदा-प्रदूषण से भूमि की गुणवत्ता एवं उपजाऊ शक्ति लगातार कम होती जाती है।
- मृदा-प्रदूषण से भूक्षरण की समस्याएँ निरंतर बढ़ती जाती हैं।
मृदा-प्रदूषण की रोकथाम/नियंत्रण के उपाय (Measures of Prevention/Control of Soil Pollution)-मृदा प्रदूषण की रोकथाम के लिए निम्नलिखित उपाय किए जाने चाहिएँ-
- मृदा-प्रदूषण को रोकने के लिए वायु-प्रदूषण एवं जल-प्रदूषण को रोकना चाहिए।
- भूमि में रासायनिक पदार्थों (उर्वरकों व कीटनाशकों) का कम-से-कम उपयोग करना चाहिए। इनके स्थान पर जैव नियंत्रण विधि अपनानी चाहिए।
- ठोस पदार्थों; जैसे टिन, ताँबा, लोहा, काँच आदि को मृदा में नहीं दबाना चाहिए।
- ठोस पदार्थों को गलाकर या चक्रीकरण द्वारा नवीन उपयोगी वस्तुएँ बनानी चाहिएँ।
- खेती वाली भूमि में गोबर से बनी खाद का प्रयोग करना चाहिए।
- वनों (जंगलों) के संरक्षण हेतु सख्त कानून बनाए जाने चाहिएँ, ताकि वनों की अवैध कटाई पर रोक लगाई जा सके।
- वृक्षारोपण को अधिक-से-अधिक बढ़ावा दिया जाना चाहिए।