HBSE 12th Class Economics Important Questions Chapter 1 व्यष्टि अर्थशास्त्र : एक परिचय

Haryana State Board HBSE 12th Class Economics Important Questions Chapter 1 व्यष्टि अर्थशास्त्र : एक परिचय Important Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Economics Important Questions Chapter 1 व्यष्टि अर्थशास्त्र : एक परिचय

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

A. नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही विकल्प चुनिए

1. व्यष्टि अर्थशास्त्र का संबंध है
(A) व्यक्तिगत इकाइयों से
(B) सामूहिक कार्यों से
(C) एक फ़र्म से
(D) एक उद्योग से
उत्तर:
(A) व्यक्तिगत इकाइयों से

2. उत्पादन के संसाधनों पर सरकार का स्वामित्व किस अर्थव्यवस्था में होता है?
(A) बाज़ार अर्थव्यवस्था में
(B) योजनाबद्ध अर्थव्यवस्था में
(C) बंद अर्थव्यवस्था में
(D) खुली अर्थव्यवस्था में
उत्तर:
(B) योजनाबद्ध अर्थव्यवस्था में

3. यदि एक देश में साधनों की कार्यकुशलता बढ़ जाए तो उत्पादन संभावना वक्र (PPC) की क्या स्थिति होगी?
(A) उत्पादन संभावना वक्र दायीं ओर ऊपर को खिसक जाएगा
(B) उत्पादन संभावना वक्र बायीं ओर नीचे को खिसक जाएगा
(C) उत्पादन संभावना वक्र में कोई परिवर्तन नहीं होगा
(D) उपर्युक्त सभी ठीक हैं
उत्तर:
(A) उत्पादन संभावना वक्र दायीं ओर ऊपर को खिसक जाएगा

4. अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का अध्ययन किसमें होता है? .
(A) व्यष्टि अर्थशास्त्र में
(B) समष्टि अर्थशास्त्र में
(C) लोक प्रशासन में
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(B) समष्टि अर्थशास्त्र में

5. उत्पादन संभावना वक्र मूल बिंदु की ओर होता है
(A) उन्नतोदर
(B) नतोदर.
(C) सीधी रेखा
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(B) नतोदर

6. यदि उत्पादन संभावना वक्र एक सीधी रेखा है तो यह बताती है
(A) वस्तुओं की स्थिर सीमांत प्रतिस्थापन दर को
(B) वस्तुओं की बढ़ती हुई सीमांत प्रतिस्थापन दर को
(C) वस्तुओं की घटती हुई सीमांत प्रतिस्थापन दर को
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(A) वस्तुओं की स्थिर सीमांत प्रतिस्थापन दर को

7. निम्नलिखित में से कौन-सा व्यष्टि अर्थशास्त्र का अध्ययन है?
(A) राष्ट्रीय आय
(B) समग्र माँग
(C) व्यापार चक्र
(D) माँग का सिद्धान्त
उत्तर:
(D) माँग का सिद्धान्त

8. किस अर्थव्यवस्था में आर्थिक निर्णय कीमत-तंत्र द्वारा लिए जाते हैं?
(A) केंद्रीकृत योजनाबद्ध अर्थव्यवस्था में
(B) बाज़ार अर्थव्यवस्था में
(C) पूँजीवादी अर्थव्यवस्था में
(D) बंद अर्थव्यवस्था में
उत्तर:
(B) बाज़ार अर्थव्यवस्था में

9. ‘क्या होना चाहिए’ की विषय-वस्तु है-
(A) वास्तविक विज्ञान
(B) आदर्शात्मक विज्ञान
(C) प्राकृतिक विज्ञान
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(B) आदर्शात्मक विज्ञान

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10. आवश्यकताएँ होती हैं-
(A) असीमित
(B) सीमित
(C) शून्य
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(A) असीमित

11. साधन होते हैं-
(A) असीमित
(B) नगण्य
(C) सीमित
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(C) सीमित

12. यदि एक देश में साधनों की कार्यकुशलता घट जाए तो उत्पादन संभावना वक्र (PPC) की क्या स्थिति होगी?
(A) उत्पादन संभावना वक्र बायीं ओर नीचे को खिसक जाएगा।
(B) उत्पादन संभावना वक्र दायीं ओर ऊपर को खिसक जाएगा।
(C) उत्पादन संभावना वक्र में कोई परिवर्तन नहीं होगा।
(D) उपर्युक्त सभी ठीक हैं।
उत्तर:
(A) उत्पादन संभावना वक्र बायीं ओर नीचे को खिसक जाएगा।

13. निम्नलिखित में से कौन-सा समष्टि अर्थशास्त्र का अध्ययन है?
(A) व्यापार चक्र
(B) उपभोक्ता संतुलन
(C) फर्म का संतुलन
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(A) व्यापार चक्र

14. अवसर लागत का अर्थ है
(A) अगले वैकल्पिक प्रयोग की लागत
(B) वास्तविक लागत
(C) कुल लागत
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(A) अगले वैकल्पिक प्रयोग की लागत

15. आर्थिक समस्या का संबंध है-
(A) गरीबी से
(B) बेरोजगारी से
(C) काले धन से
(D) सीमित साधनों के चुनाव से
उत्तर:
(D) सीमित साधनों के चुनाव से

B. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

1. आर्थिक समस्या के उत्पन्न होने का प्रमुख कारण संसाधनों का …………………. होना है। (सीमित/असीमित)
उत्तर:
सीमित

2. उत्पादन संभावना वक्र की आकृति मूल बिंदु की ओर …………………. होती है। (उन्नतोदर/नतोदर)
उत्तर:
नतोदर

3. दुर्लभता का अर्थ …………………. (माँग > पूर्ति/पूर्ति > माँग)
उत्तर:
माँग > पूर्ति

4. यदि समूचे चीनी उद्योग की जाँच की जाए तो यह …………………. विश्लेषण कहलाएगा।(व्यष्टिपरक/समष्टिपरक)
उत्तर:
समष्टिपरक

5. सूती वस्त्र उद्योग का अध्ययन …………………. का अध्ययन है। (समष्टि अर्थशास्त्र/व्यष्टि अर्थशास्त्र)
उत्तर:
व्यष्टि अर्थशास्त्र

6. व्यष्टि अर्थशास्त्र का संबंध …………………. इकाइयों से है। (सामूहिक/व्यक्तिगत)
उत्तर:
व्यक्तिगत

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C. बताइए कि निम्नलिखित कथन सही हैं या गलत

  1. व्यष्टि अर्थशास्त्र आय प्रमुख है जबकि समष्टि अर्थशास्त्र कीमत प्रमुख है।
  2. व्यष्टि अर्थशास्त्र मजदूरी दर निर्धारण से संबंधित है।
  3. उत्पादन सम्भावना वक्र को उत्पादन सीमा वक्र नहीं कहा जा सकता।
  4. उत्पादन सम्भावना वक्र मूल बिंदु की ओर उन्नतोदर (Convex) होती है।
  5. अंग्रेज़ी भाषा का ‘Micro’ शब्द ग्रीक के माइक्रोस (Mikros) से लिया गया है।
  6. साधन कीमत के सिद्धांत का अध्ययन समष्टि अर्थशास्त्र में किया जाता है।
  7. आय तथा रोज़गार का अध्ययन समष्टि अर्थशास्त्र में किया जाता है।
  8. ‘चयन की समस्या’ अथवा ‘निर्णय लेने की समस्या आर्थिक समस्या कहलाती है।
  9. आर्थिक समस्या का मुख्य कारण आवश्यकताओं की सीमितता है।
  10. एक पूँजीवादी अर्थव्यवस्था की केंद्रीय समस्याओं का समाधान केंद्रीय अधिकारी द्वारा किया जाता है।
  11. “क्या उत्पादन किया जाए तथा कितना उत्पादन किया जाए” यह वितरण से संबंधित समस्या है।
  12. एक उद्योग का विश्लेषण व्यष्टि अर्थशास्त्र के अंतर्गत आता है।
  13. व्यष्टि अर्थशास्त्र का संबंध व्यक्तिगत अर्थव्यवस्था से है।
  14. समष्टि अर्थशास्त्र का संबंध रोज़गार के स्तर से है।।
  15. उत्पादन संभावना वक्र का आकार सीधी रेखा होता है।
  16. ‘Principles of Economics’ 1896 में प्रकाशित हुई थी।

उत्तर:

  1. गलत
  2. सही
  3. गलत
  4. गलत
  5. सही
  6. गलत
  7. सही
  8. सही
  9. गलत
  10. सही
  11. गलत
  12. सही
  13. सही
  14. सही
  15. गलत
  16. गलत।

अति-लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
अर्थव्यवस्था क्या है? अर्थव्यवस्था के मुख्य प्रकार बताएँ।
उत्तर:
अर्थव्यवस्था लोगों के समूह अर्थात् किसी राज्य या देश की वह व्यवस्था है जिसमें आर्थिक समस्याओं का समाधान किया जाता है। (1) केंद्रीकृत योजनाबद्ध अर्थव्यवस्था, (2) बाज़ार अर्थव्यवस्था तथा (3) मिश्रित अर्थव्यवस्था आदि अर्थव्यवस्था के मुख्य प्रकार हैं।

प्रश्न 2.
व्यष्टि अर्थशास्त्र (Micro Economics) क्या है?
उत्तर:
व्यष्टि अर्थशास्त्र (Micro Economics) आर्थिक सिद्धांत की वह शाखा हैं जिसमें अर्थव्यवस्था की व्यक्तिगत इकाइयों का अध्ययन किया जाता है।

प्रश्न 3.
बाज़ार अर्थव्यवस्था से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
बाज़ार अर्थव्यवस्था से अभिप्राय उस अर्थव्यवस्था से है जिसके अंतर्गत सभी आर्थिक क्रियाकलापों का निर्धारण बाज़ार की स्थितियों के अनुसार होता है। इसमें केंद्रीय समस्याओं का हल कीमत-तंत्र द्वारा किया जाता है।

प्रश्न 4.
केंद्रीकृत योजनाबद्ध अर्थव्यवस्था से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
केंद्रीकृत योजनाबद्ध अर्थव्यवस्था से अभिप्राय उस अर्थव्यवस्था से है जिसके अंतर्गत सरकार उस अर्थव्यवस्था की सभी महत्त्वपूर्ण क्रियाओं को पूरा करती है। इसमें केंद्रीय समस्याओं का हल केंद्रीय अधिकारी अथवा नियोजन-तंत्र द्वारा किया जाता है।

प्रश्न 5.
चयन की समस्या क्या होती है?
उत्तर:
हमारी आवश्यकताएँ अनंत हैं किंतु उनकी संतुष्टि के साधन सीमित हैं जिसके कारण हमें यह चयन करना पड़ता है कि किस आर्थिक आवश्यकता की संतुष्टि करें और किस आवश्यकता का त्याग करें या स्थगित कर दें। अतः चयन दुर्लभता का प्रतिफल है। चयन से अभिप्राय उपलब्ध सीमित विकल्पों में से चुनने की प्रक्रिया है।

प्रश्न 6.
‘क्या उत्पादन किया जाए?’ की समस्या का क्या अर्थ है?
उत्तर:
‘क्या उत्पादन किया जाए’ की समस्या के अंतर्गत यह पता चलता है कि उत्पादन प्रक्रिया में किन वस्तुओं तथा सेवाओं का उत्पादन हो, जिससे लोगों की अधिकतम आवश्यकताओं को संतुष्ट किया जा सके।

प्रश्न 7.
‘कैसे उत्पादन किया जाए?’ की समस्या में किस प्रकार का चुनाव निहित है?
उत्तर:
कैसे उत्पादन किया जाए’ की समस्या में उत्पादन तकनीक (श्रम-प्रधान तकनीक अथवा पूँजी-प्रधान तकनीक) का चुनाव निहित है।

प्रश्न 8.
‘किसके लिए उत्पादन किया जाए?’ की समस्या से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
किसके लिए उत्पादन किया जाए’ की समस्या से अभिप्राय उस केंद्रीय समस्या से है जिसके अंतर्गत यह निर्णय किया जाता है कि उत्पादन को उत्पादन के साधनों में किस प्रकार वितरित किया जाए।

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प्रश्न 9.
सकारात्मक आर्थिक विश्लेषण से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
सकारात्मक आर्थिक विश्लेषण से हमारा अभिप्राय उस अध्ययन से है जिसका संबंध वास्तविक आर्थिक घटनाओं से होता है। सकारात्मक आर्थिक विश्लेषण के अंतर्गत हम यह अध्ययन करते हैं कि विभिन्न कार्यविधियाँ किस प्रकार कार्य करती हैं। सकारात्मक आर्थिक विश्लेषण ‘साध्य’ के प्रति तटस्थ होता है।

प्रश्न 10.
संसाधन क्या होते हैं?
उत्तर:
संसाधनों से अभिप्राय उन वस्तुओं या सेवाओं से है, जो किसी वस्तु का उत्पादन करने में प्रयोग में लाए जाते हैं; जैसे श्रम, भूमि, पूँजी तथा उद्यमी।।

प्रश्न 11.
अवसर लागत क्या होती है?
उत्तर:
किसी वस्तु की अवसर लागत अगले उत्तम विकल्प त्यागने के मूल्य के बराबर मानी जाती है। एक वस्तु (X) की अवसर लागत दूसरी वस्तु (Y) की वह मात्रा है जिसे X वस्तु की एक इकाई उत्पन्न करने के लिए त्यागना पड़ता है।

प्रश्न 12.
सीमांत अवसर लागत को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
उत्पादन संभावना वक्र पर कार्यरत किसी वस्तु की सीमांत अवसर लागत, दूसरी वस्तु की वह मात्रा है जो पहली वस्तु की एक अतिरिक्त इकाई उत्पन्न करने के लिए त्यागी जाती है।

प्रश्न 13.
वस्तुओं से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
वस्तुओं से अभिप्राय उन भौतिक अथवा मूर्त पदार्थों से है जिनका उपयोग लोगों की इच्छाओं तथा आवश्यकताओं की संतुष्टि के लिए किया जाता है; जैसे खाद्य पदार्थ, वस्त्र आदि।

प्रश्न 14.
सेवाओं से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
सेवाओं से अभिप्राय उन अभौतिक अथवा अमूर्त वस्तुओं से है जिनमें मानवीय आवश्यकताओं को संतुष्ट करने की शक्ति निहित होती है; जैसे एक चिकित्सक द्वारा किया गया उपचार, एक अध्यापक का अध्यापन कार्य ।

प्रश्न 15.
उत्पादन संभावना वक्र (PPC) क्या होती है?
उत्तर:
उत्पादन संभावना वक्र दो वस्तुओं के उन विभिन्न संयोगों को दर्शाती है जिन्हें दिए गए निश्चित साधनों तथा तकनीकों उत्पन्न किया जा सकता है। इस वक्र से हमें उत्पादन की अधिकतम सीमाओं का भी पता चलता है। इसलिए इसे उत्पादन संभावना सीमा भी कहा जाता है।

प्रश्न 16.
सामूहिक आवश्यकताएँ क्या होती हैं?
उत्तर:
सामूहिक आवश्यकताएँ ऐसी वस्तुओं के लिए होती हैं जो वस्तुएँ अनेक उपयोगों में एक साथ प्रयुक्त हो सकती हैं। उदाहरण के लिए, बिजली की आवश्यकता सामूहिक आवश्यकता कहलाएगी क्योंकि बिजली की आवश्यकता घर में रोशनी करने, पंखा चलाने, टी.वी. चलाने, कारखाने चलाने, रेलगाड़ी चलाने, ट्यूबवैल चलाने आदि अनेक उपयोगों के लिए होती है। अतः बिजली की आवश्यकता सामूहिक आवश्यकता कहलाएगी।

प्रश्न 17.
अर्थशास्त्र की धन संबंधी परिभाषा दीजिए।
उत्तर:
अर्थशास्त्र एक ऐसा विज्ञान है जिसमें हम धन का अध्ययन करते हैं। एडम स्मिथ के अनुसार, “अर्थशास्त्र राष्ट्रों के धन की प्रकृत्ति तथा कारणों की खोज है।”

प्रश्न 18.
संसाधनों की वृद्धि के दो उदाहरण दें।
उत्तर:

नई व बेहतर तकनीक का उपलब्ध होना और
प्रशिक्षित व साधारण श्रमिकों की संख्या में वृद्धि होना।

प्रश्न 19.
किन कारकों से PP वक्र का स्थान परिवर्तित हो सकता है?
उत्तर:

  1. उपलब्ध संसाधनों में परिवर्तन होने से
  2. दी हुई तकनीक में परिवर्तन होने से PP वक्र का स्थान परिवर्तित हो सकता है।

प्रश्न 20.
तकनीकी प्रगति या संसाधनों की संवृद्धि के कारण PP वक्र दाहिनी ओर क्यों खिसक जाता है?
उत्तर:
क्योंकि इनसे उत्पादन क्षमता बढ़ जाती है और फलस्वरूप अर्थव्यवस्था के कुल उत्पादन में वृद्धि हो जाती है।

प्रश्न 21.
PP वक्र दाईं नीचे की ओर क्यों ढालू होता है?
उत्तर:
क्योंकि संसाधनों के पूर्ण उपयोग की स्थिति में एक वस्तु का उत्पादन बढ़ाने के लिए दूसरी वस्तु की कुछ मात्रा का उत्पादन घटाना (या त्यागना) पड़ता है।

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प्रश्न 22.
PP वक्र मूल बिंदु की ओर अवतल/नतोदर (Concave) क्यों दिखाई देता है?
उत्तर:
बढ़ती हुई सीमांत अवसर लागत के कारण अर्थात् एक वस्तु की अतिरिक्त इकाई का उत्पादन करने के लिए दूसरी वस्तु की बढ़ती हुई इकाइयों का त्याग करना पड़ता है।

प्रश्न 23.
PP वक्र का दाईं ओर (या ऊपर) खिसकाव क्या दर्शाता है?
उत्तर:
यह संसाधनों में वृद्धि या उत्पादन तकनीक में सुधार से उत्पादकता में वृद्धि दर्शाता है।

प्रश्न 24.
PP वक्र के नीचे किसी बिंदु पर उत्पादन क्या दर्शाता है?
उत्तर:
PP वक्र के नीचे किसी बिंदु पर उत्पादन संसाधनों का अल्प या अकुशल उपयोग दर्शाता है।

प्रश्न 25.
किसी PP वक्र पर बढ़ती हुई सीमांत अवसर लागत का क्या अर्थ है?
उत्तर:
इसका अर्थ है दूसरी वस्तु की त्याग की दर बढ़ती जा रही है जिसके फलस्वरूप PP वक्र का आकार नतोदर (Concave) होता जाता है।

प्रश्न 26.
क्या उत्पादन PP वक्र पर ही होता है?
उत्तर:
यह जरूरी नहीं कि उत्पादन सदैव उत्पादन संभावना वक्र पर ही हो। यह तभी संभव होता है जब अर्थव्यवस्था में संसाधनों का पूर्ण तथा कुशलतापूर्वक उपयोग हो रहा हो। इसके विपरीत, जब संसाधनों का अपूर्ण व अकुशल उपयोग हो रहा हो, तो उत्पादन क्षमता कम हो जाने से उत्पादन PP वक्र के नीचे होगा।

प्रश्न 27.
सीमांत अवसर लागत क्यों बढ़ती है?
उत्तर:
सीमांत अवसर लागत इसलिए बढ़ती है, क्योंकि दूसरी वस्तु की एक अतिरिक्त इकाई के उत्पादन के लिए वस्तु की किए जाने वाले त्याग की मात्रा भी बढ़ती है।

प्रश्न 28.
अर्थशास्त्र की दुर्लभता सम्बन्धी परिभाषा दें।
उत्तर:
अर्थशास्त्र की दुर्लभता संबंधी परिभाषा रोबिन्स ने 1932 में अपनी प्रकाशित पुस्तक “An Essay on the Nature and Significance of Economic Science” में दी है। प्रसिद्ध अर्थशास्त्री रोबिन्स के अनुसार, “अर्थशास्त्र वह विज्ञान है जो विभिन्न उपयोगों वाले सीमित साधनों तथा उद्देश्यों से संबंध रखने वाले मानवीय व्यवहार का अध्ययन करता है।”

प्रश्न 29.
अर्थशास्त्र की भौतिक कल्याण सम्बन्धी परिभाषा दीजिए।
उत्तर:
भौतिक कल्याण संबंधी परिभाषा डॉ० मार्शल ने 1890 में अपनी प्रकाशित पुस्तक ‘Principles of Economics’ में दी है। इस परिभाषा के अनुसार अर्थशास्त्र में उन कार्यों का अध्ययन किया जाता है जिन्हें सामाजिक मनुष्य अपना कल्याण बढ़ाने वाले भौतिक पदार्थों को प्राप्त करने तथा उनका उपयोग करने के लिए करते हैं।

लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
एक सामान्य अर्थव्यवस्था (Simple Economy) से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
अर्थव्यवस्था वह प्रणाली है जिसमें लोग अपनी जीविका (रोज़ी) कमाते हैं और आवश्यकताओं की संतुष्टि करते हैं। लोग रोजी या आय इसलिए कमाते हैं ताकि वे अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए वस्तुओं व सेवाओं को खरीद सकें। इन से होता है। अतः अर्थव्यवस्था एक ऐसी प्रणाली है जो (i) वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन में सहायक होती है और (ii) लोगों को वस्तुएँ और सेवाएँ खरीदने के लिए आय कमाने के अवसर प्रदान करती है। अन्य शब्दों में, रोज़गार देने वाली या उत्पादन करने वाली सभी संस्थाओं का सामूहिक नाम अर्थव्यवस्था है। इसमें वे सभी उत्पादन इकाइयाँ आती हैं, जो बाज़ार में बिक्री के लिए उत्पादन करती हैं; जैसे खेत-खलिहान, कल-कारखाने, बैंक, दुकानें, दफ़्तर, सिनेमा, रेल, स्कूल, कॉलेज, अस्पताल आदि। यहाँ लोग उत्पादन में योगदान देते हैं और रोज़ी कमाते हैं। इस प्रकार अर्थव्यवस्था एक निर्धारित भौगोलिक क्षेत्र में स्थित सब उत्पादन इकाइयों का समूह है; जैसे भारत की अर्थव्यवस्था से अभिप्राय भारत की घरेलू सीमा में स्थित समस्त उत्पादन इकाइयों के समूह से है। पुनः जिस अर्थव्यवस्था का अन्य देशों या शेष संसार से संबंध नहीं होता, उसे बंद अर्थव्यवस्था (Closed Economy) कहते हैं, जबकि जिस अर्थव्यवस्था का अन्य देशों से आर्थिक संबंध होता है, उसे खुली अर्थव्यवस्था (Open Economy) कहते हैं।

प्रश्न 2.
एक उदाहरण की सहायता से “क्या उत्पादन किया जाए?” की समस्या समझाइए।
उत्तर:
प्रत्येक अर्थव्यवस्था में संसाधनों के बँटवारे से संबंधित पहली प्रमुख समस्या यह है कि कौन-कौन-सी वस्तुओं तथा सेवाओं का उत्पादन किया जाए, जिससे लोगों की अधिकतम आवश्यकताओं को संतुष्ट किया जा सके। इस संबंध में यह निर्णय लेना पड़ता है कि उपभोक्ता वस्तुओं; जैसे चीनी, कपास, गेहूँ, घी आदि का अधिक उत्पादन किया जाए अथवा पूँजीगत वस्तुओं; जैसे मशीनों, ट्रैक्टरों आदि का। उपभोक्ता वस्तुओं का अधिक उत्पादन करने के लिए पूँजीगत वस्तुओं का त्याग करना पड़ेगा, क्योंकि उत्पादन के साधन सीमित हैं। इस समस्या का एक पहलू यह भी है कि कौन-सी वस्तुओं का कितनी मात्रा में उत्पादन किया जाए?

उदाहरण के लिए, एक अर्थव्यवस्था में उपलब्ध साधनों से गेहूँ और कपास के निम्नलिखित मिश्रणों का उत्पादन किया जा सकता है

उत्पादन संभावनाएँ गेहूँ का उत्पादन कपास का उत्पादन
a 0 150
b 10 140
c 20 120
d 30 100
e 40 50
f 50 0

अर्थव्यवस्था को इन संभावनाओं में से ही किसी एक संभावना का चुनाव करना होगा।

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प्रश्न 3.
‘उत्पादन कैसे किया जाए?’ की समस्या को समझाइए। यह समस्या क्यों उत्पन्न होती है?
उत्तर:
प्रत्येक अर्थव्यवस्था की एक मुख्य समस्या यह है कि उत्पादन कैसे किया जाए? इसका अर्थ यह है कि उत्पादन के लिए कौन-सी तकनीक को अपनाया जाए? जिससे कम-से-कम समय तथा लागत में अधिकतम उत्पादन हो सके। उत्पादन की सामान्यतया दो तकनीकें होती हैं

  • श्रम-प्रधान तकनीक
  • पूँजी-प्रधान तकनीक।

श्रम-प्रधान तकनीक वह तकनीक है जिसमें उत्पादन करने में श्रम-शक्ति का प्रयोग अधिक मात्रा में किया जाता है, जबकि पूँजी-प्रधान तकनीक में पूँजी का अधिक मात्रा में उपयोग किया जाता है। वास्तव में तकनीक के चुनाव की समस्या का साधनों की उपलब्ध मात्रा तथा पहली समस्या “क्या उत्पादन किया जाए?” के साथ संबंध है। यदि देश में पूँजी की अधिकता है तो पूँजी-प्रधान तकनीक को अपनाया जाएगा और यदि देश में श्रम की अधिकता है तो श्रम-प्रधान तकनीक को अधिक अपनाया जाएगा। इसके अतिरिक्त यदि उत्पादक पदार्थों के उत्पादन का निर्णय लिया जाता है, तो अधिकतर पूँजी-प्रधान तकनीक को अपनाया जाएगा।

परंतु यदि उपभोक्ता पदार्थ उत्पन्न करने का निर्णय लिया जाता है, तो श्रम-प्रधान तकनीक को अपनाया जाएगा। ‘कैसे उत्पादन किया जाए?’ की समस्या इसलिए उत्पन्न होती है क्योंकि एक अर्थव्यवस्था में संसाधनों की मात्रा मानवीय आवश्यकताओं की तुलना में सीमित है। यदि संसाधन सीमित या दुर्लभ नहीं होते तो उत्पादन के लिए कौन-सी तकनीक को अपनाया जाए? यह प्रश्न ही नहीं उठता।

प्रश्न 4.
‘किसके लिए उत्पादन किया जाए?’ की केंद्रीय समस्या को उदाहरण के साथ समझाइए।
उत्तर:
किसके लिए उत्पादन किया जाए?’ की केंद्रीय समस्या का संबंध राष्ट्रीय आय के वितरण से है। इस समस्या के दो पहलू हैं-

  • व्यक्तिगत वितरण
  • कार्यात्मक वितरण।

जहाँ तक व्यक्तिगत वितरण का प्रश्न है, समस्या यह है कि समाज में विभिन्न वर्गों के बीच राष्ट्रीय उत्पादन का वितरण किस प्रकार किया जाए? जहाँ तक कार्यात्मक वितरण का प्रश्न है, समस्या यह है कि राष्ट्रीय उत्पादन को उत्पादन के साधनों; जैसे भूमि, श्रम, पूँजी व उद्यम में किस प्रकार वितरित किया जाए। किसके लिए उत्पादन किया जाए? समस्या का समाधान अधिकतम सामाजिक कल्याण के संदर्भ में किया जाता है।

प्रश्न 5.
बाज़ार अर्थव्यवस्था के गुणों तथा दोषों की गणना कीजिए।
उत्तर:
बाज़ार अर्थव्यवस्था के गुण-

  • कीमत-तंत्र द्वारा केंद्रीय समस्याओं का स्वतः समाधान
  • उत्पादन की न्यूनतम लागत
  • नव-प्रवर्तन और अनुसंधान को प्रोत्साहन
  • पूँजी निर्माण को प्रोत्साहन
  • लोकतांत्रिक स्वरूप
  • उद्यम की भावना को बढ़ावा।

बाज़ार अर्थव्यवस्था के दोष-

  • आय की असमानताएँ
  • कीमतों में उतार-चढ़ाव
  • अमीरों द्वारा गरीबों का शोषण
  • बेरोज़गारी
  • एकाधिकार की प्रवृत्ति।

प्रश्न 6.
केंद्रीकृत योजनाबद्ध अर्थव्यवस्था के गुणों तथा दोषों की गणना कीजिए।
उत्तर:
केंद्रीकृत योजनाबद्ध अर्थव्यवस्था के गुण-

  • समाज का संतुलित विकास
  • आय का न्यायपूर्ण वितरण
  • व्यापार चक्रों और आर्थिक अस्थिरता का निराकरण
  • वर्ग-संघर्ष का निराकरण
  • सामाजिक सुरक्षा
  • संसाधनों का पूर्ण उपयोग।

केंद्रीकृत योजनाबद्ध अर्थव्यवस्था के दोष-

  • उपभोक्ताओं की संप्रभुता का ह्रास
  • प्रेरणा का अभाव
  • व्यावसायिक स्वतंत्रता का अभाव
  • आर्थिक प्रणाली का केंद्रीयकरण
  • अफ़सरशाही के दोष
  • उत्पादन क्षमता व उत्पादकता का ह्रास।

प्रश्न 7.
मिश्रित अर्थव्यवस्था की विशेषताओं को संक्षेप में समझाइए।
उत्तर:
मिश्रित अर्थव्यवस्था की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
1. सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों की उपस्थिति-मिश्रित अर्थव्यवस्था में सार्वजनिक व निजी क्षेत्र का सह-अस्तित्व पाया जाता है। निजी क्षेत्र लाभ के लिए कार्य करता है और सार्वजनिक क्षेत्र सामाजिक कल्याण के लिए कार्य करता है।

2. कीमत-तंत्र-मिश्रित अर्थव्यवस्था में कीमत-तंत्र कार्य करता है, परंतु यह कीमत-तंत्र सरकार द्वारा नियंत्रित होता है।

3. नियोजन मिश्रित अर्थव्यवस्था में आर्थिक नियोजन का महत्त्वपूर्ण योगदान होता है। सरकार निजी क्षेत्र को प्रोत्साहन देकर नियोजन के उद्देश्यों को पूरा कराती हैं।

4. वैयक्तिक स्वतंत्रता सामान्यतया लोगों को उपभोग और व्यवसाय करने की स्वतंत्रता होती है।

प्रश्न 8.
व्यष्टि अर्थशास्त्र (Micro Economics) क्या है? इसके एक-दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
व्यष्टि अर्थशास्त्र (Micro Economics) व्यष्टि अर्थशास्त्र आर्थिक सिद्धांत की वह शाखा है जिसके अंतर्गत अर्थव्यवस्था की व्यक्तिगत इकाइयों का अध्ययन किया जाता है, जैसे व्यक्तिगत उपभोक्ता, व्यक्तिगत उत्पादक या उद्योग, व्यक्तिगत वस्तु या साधन का कीमत-निर्धारण, व्यक्तिगत आय आदि का अध्ययन। वैकल्पिक रूप में यूँ भी कह सकते हैं कि व्यष्टि अर्थशास्त्र का संबंध उपभोक्ता व उत्पादक जैसी आर्थिक इकाई को पेश आने वाली दुर्लभता (Scarcity) और चयन (Choice) की समस्याओं के विश्लेषण से है। यह चयन के पीछे कार्यरत सिद्धांतों का विवेचन करता है। इस प्रकार व्यष्टि अर्थशास्त्र के अंतर्गत व्यक्तिगत आर्थिक इकाइयों की समस्याओं का अध्ययन किया जाता है यथा उपभोक्ता का संतुलन, फर्म व उद्योग का संतुलन आदि।

एक उपभोक्ता अपनी सीमित आय से कैसे अधिकतम संतुष्टि प्राप्त कर सकता है अथवा एक फर्म (उत्पादक) कैसे अपना लाभ अधिकतम कर सकती है या श्रमिक की मजदूरी कैसे निर्धारित होती है; जैसे प्रश्नों का विश्लेषण व्यष्टि अर्थशास्त्र का विषय है। चूँकि कीमत-निर्धारण इसका महत्त्वपूर्ण अंग है, इसलिए व्यष्टि अर्थशास्त्र को कभी-कभी ‘कीमत सिद्धांत’ भी कहा जाता है। व्यष्टि अर्थशास्त्र ‘क्या, कैसे, किसके लिए उत्पादन’ की केंद्रीय समस्याओं का अध्ययन करता है। व्यष्टि आर्थिक अध्ययन के उदाहरण हैं व्यक्तिगत आय, व्यक्तिगत बचत, एक फर्म का उत्पाद, व्यक्तिगत व्यय, वस्तु की कीमत का निर्धारण, साधन की कीमत का निर्धारण आदि। उपमा देनी हो तो व्यष्टि अर्थशास्त्र संपूर्ण आर्थिक वन का अध्ययन करने की बजाय इसके वृक्षों अर्थात् व्यक्तिगत अंगों का अध्ययन करता है।

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प्रश्न 9.
आर्थिक समस्या से आप क्या समझते हैं?
अथवा
आर्थिक समस्या किस प्रकार की चयन की समस्या से उत्पन्न होती है? अथवा “अर्थशास्त्र का संबंध दुर्लभता की अवस्था में चयन करने से है।” समझाइए।
उत्तर:
अर्थशास्त्र दुर्लभता (Scarcity) की स्थिति में चयन (Choice) से संबंधित व्यवहार का अध्ययन है। कैसे? संसार में मानवीय आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए साधनों व चीज़ों का अभाव है। साधनों की दुर्लभता के कारण चयन करने की समस्या पैदा होती है कि कैसे सीमित साधनों से असीमित आवश्यकताओं को पूरा किया जाए। यदि साधन प्रचुर मात्रा (Plenty) में उपलब्ध होते तो चयन की आवश्यकता नहीं होती, क्योंकि तब जो भी चीज़ चाहते मिल जाती। परंतु वास्तविक जीवन में यह सच नहीं है।

संसार में अमीर-से-अमीर व्यक्ति को भी किसी-न-किसी कमी (या अभाव) का सामना करना पड़ता है और कुछ नहीं तो व्यक्ति, जिसे अनेक काम करने होते हैं, के पास समय की कमी तो रहती ही है और उसे भी समय का चयन करना पड़ता है। इसी प्रकार प्रत्येक देश में रोटी, कपड़ा, मकान, पेयजल, शिक्षा व चिकित्सा जैसी अनेक वस्तुओं व सेवाओं की पूर्ति सीमित है। साधनों की कमी या दुर्लभता के कारण चयन करने को हमें मजबूर होना पड़ता है। दूसरे शब्दों में, दुर्लभता और चयन का संबंध अटूट है, क्योंकि चयन की समस्या पैदा ही तब होती है जब साधनों व चीज़ों की कमी का अभाव होता है। इन्हीं चयन संबंधी समस्याओं से जुड़े व्यवहार का अध्ययन ही अर्थशास्त्र की विषय-वस्तु है।

संक्षेप में, “अर्थशास्त्र दुर्लभता जनित चयन की समस्याओं से संबंधित व्यवहार का अध्ययन है।” यह चयन संबंधी व्यवहार चाहे व्यक्तिगत या सामाजिक स्तर पर हो अथवा राष्ट्रीय या अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हो अर्थशास्त्र किसी-न-किसी सिद्धांत के रूप में वहाँ उपस्थित हो जाता है।

प्रश्न 10.
आर्थिक समस्या किसे कहते हैं? इसके कारणों की व्याख्या कीजिए।
अथवा
आर्थिक समस्या को उत्पन्न करने वाले तीन कारकों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर:
आर्थिक समस्या (Economic Problem) मानवीय आवश्यकताएँ असीमित हैं, साधन सीमित हैं जिनके वैकल्पिक प्रयोग संभव हैं। अतः प्रत्येक व्यक्ति को चुनाव करना पड़ता है। यह चुनाव की समस्या मुख्य रूप से आर्थिक समस्या है। लेफ्टविच (Leftwitch) के अनुसार, “आर्थिक समस्या का संबंध मनुष्य की वैकल्पिक आवश्यकताओं के लिए सीमित साधनों के उपयोग से है।” – आर्थिक समस्या को उत्पन्न करने वाले तीन कारक/कारण निम्नलिखित हैं
(i) असीमित आवश्यकताएँ-मानवीय आवश्यकताएँ अनंत हैं और आवश्यकताएँ संतुष्ट होने के बाद पुनः उत्पन्न हो जाती हैं। एक दिए गए समय पर मनुष्यों की आवश्यकताएँ असंतुष्ट रहती हैं।

(ii) सीमित साधन-मानवीय आवश्यकताओं की संतुष्टि के साधन सीमित हैं।

(iii) साधनों के वैकल्पिक प्रयोग-साधनों के वैकल्पिक प्रयोग संभव हैं जिससे चयन की समस्या उत्पन्न होती है।

प्रश्न 11.
किसी अर्थव्यवस्था की केंद्रीय समस्याएँ कौन-सी हैं? ये क्यों उत्पन्न होती हैं?
उत्तर:
एक अर्थव्यवस्था की तीन केंद्रीय समस्याएँ निम्नलिखित हैं
1. क्या उत्पादन किया जाए और कितनी मात्रा में?-संसाधन दुर्लभ है अतः उनके वैकल्पिक प्रयोग किए जा सकते हैं। इसलिए पहली केंद्रीय समस्या यह है कि क्या उत्पादन किया जाए और कितनी मात्रा में?

2. उत्पादन कैसे किया जाए?-साधारणतया वस्तुओं का उत्पादन एक से अधिक तरीकों से किया जा सकता है। इसलिए दूसरी केंद्रीय समस्या यह है कि उत्पादन कैसे करें। उत्पादन तकनीक पूँजी-प्रधान हो सकती है अथवा श्रम-प्रधान।

3. किसके लिए उत्पादन किया जाए?-उत्पादन के बाद वस्तुओं का वितरण उत्पादन के साधनों में किस प्रकार किया जाए, यह भी अर्थव्यवस्था की केंद्रीय समस्या है। इसे क्रियात्मक वितरण का सिद्धांत कहते हैं।

ये समस्याएँ मानवीय आवश्यकताओं की तुलना में साधनों की कमी के कारण उत्पन्न होती हैं। मानव की आवश्यकताएँ अनंत हैं पर इन आवश्यकताओं की संतुष्टि के साधन सीमित हैं। इसलिए समाज के सामने आवश्यकताओं के चयन और उनकी पूर्ति के लिए साधनों के चयन की समस्या उत्पन्न होती है। इस प्रकार साधनों की दुर्लभता या सीमितता से ये केंद्रीय समस्याएँ उत्पन्न होती हैं।

प्रश्न 12.
एक उत्पादन संभावना वक्र खींचिए और इसकी परिभाषा दीजिए। उत्पादन संभावना वक्र अक्ष केंद्र की ओर नतोदर (Concave) क्यों दिखाई देता है?
उत्तर:
एक उत्पादन संभावना वक्र निम्नलिखित प्रकार से खींचा जाता है-
HBSE 12th Class Economics Important Questions Chapter 1 व्यष्टि अर्थशास्त्र एक परिचय 1
एक उत्पादन संभावना वक्र से अभिप्राय उस वक्र से है जो अर्थव्यवस्था में उपलब्ध संसाधनों से प्राप्त होने वाली दो वस्तुओं की उत्पादन संभावनाओं को दिखाता है। एक अर्थव्यवस्था अपने दिए हुए साधनों और उत्पादन तकनीक की सहायता से वस्तुओं और सेवाओं को एक निश्चित मात्रा में ही उत्पादन कर सकती है। यदि अर्थव्यवस्था में किसी एक वस्तु विशेष का उत्पादन अधिक किया जाता है तो उसे दूसरी वस्तु के उत्पादन में कमी करनी होगी। त्याग की गई मात्रा की दर हर अतिरिक्त इकाई के साथ बढ़ती रहती है। इस कारण उत्पादन संभावना वक्र अक्ष के केंद्र की ओर नतोदर दिखाई देता है।

प्रश्न 13.
एक रेखाचित्र में, उत्पादन संभावना वक्र की सहायता से निम्नलिखित स्थितियाँ दर्शाइए-
(i) संसाधनों का पूर्ण उपयोग
(ii) संसाधनों का अल्प उपयोग तथा
(iii) संसाधनों का विकास।
उत्तर:
HBSE 12th Class Economics Important Questions Chapter 1 व्यष्टि अर्थशास्त्र एक परिचय 2
(i) उत्पादन संभावना वक्र PP संसाधनों का पूर्ण उपयोग दर्शाता विकास है। (X-बिंदु)

(ii) उत्पादन संभावना वक्र P0P0 संसाधनों का अल्प उपयोग दर्शाता है। (Y-बिंदु)

(iii) उत्पादन संभावना वक्र PP, संसाधनों का विकास प्रदर्शित करता है। (Z-बिंदु)

प्रश्न 14.
एक उत्पादन संभावना वक्र बनाइए। इस वक्र के नीचे कोई बिंदु क्या दर्शाता है?
अथवा
एक अर्थव्यवस्था में संसाधनों के अकुशल और कुशल प्रयोग की स्थितियाँ एक रेखाचित्र की सहायता से समझाइए।
उत्तर:
HBSE 12th Class Economics Important Questions Chapter 1 व्यष्टि अर्थशास्त्र एक परिचय 3
एक उत्पादन संभावना वक्र दो वस्तुओं के अधिकतम उत्पादन के उन विभिन्न संयोगों को दर्शाती है जिनका उत्पादन अर्थव्यवस्था में दिए गए साधनों से किया जा सकता है। अर्थव्यवस्था को अपनी उत्पादन संभावना वक्र अकुशल प्रयोग पर स्थित दो वस्तुओं के विभिन्न संयोगों के बीच चुनाव करना पड़ता है। यदि एक अर्थव्यवस्था इन संयोगों में से किसी एक संयोग बिंदु पर कार्य कर रही है तो इसे हम संसाधनों के कुशल प्रयोग की स्थिति कहेंगे। यदि एक अर्थव्यवस्था वस्तु-X किसी ऐसे संयोग का उत्पादन करती है जो उसकी उत्पादन संभावना वक्र के नीचे बाईं ओर स्थित है तो इसे हम. संसाधनों के अकुशल प्रयोग की स्थिति कहेंगे। निम्नलिखित रेखाचित्र में K बिंदु अकुशल प्रयोग की स्थिति में और a, b, c,d,e,f बिंदु कुशल प्रयोग की स्थिति दिखाते हैं।

प्रश्न 15.
संसाधनों के विकास और संसाधनों (या उत्पादन क्षमता) में गिरावट के तीन-तीन उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
संसाधनों  के विकास के तीन उदाहरण निम्नलिखित हैं-

  • नए उपकरणों व मशीनरी की प्राप्ति
  • साधारण व प्रशिक्षित श्रमिकों की संख्या में वृद्धि
  • उत्पादन की नई व बेहतर तकनीक की उपलब्धि।

संसाधनों में गिरावट के तीन उदाहरण निम्नलिखित हैं-

  • मशीनरी की टूट-फूट व चलन से बाहर हो जाना
  • उत्पादन तकनीक का पुराना या अप्रचलित हो जाना
  • किसी प्राकृतिक संसाधन का समाप्त हो जाना।

HBSE 12th Class Economics Important Questions Chapter 1 व्यष्टि अर्थशास्त्र : एक परिचय

प्रश्न 16.
उत्पादन संभावना वक्र की मान्यताएँ बताइए।
उत्तर:
उत्पादन संभावना वक्र की मान्यताएँ निम्नलिखित हैं-

  1. संसाधनों की मात्रा दी हुई है
  2. संसाधनों का पूर्ण तथा कुशलतापूर्वक उपयोग किया जा रहा है
  3. उत्पादन तकनीक स्थिर और अपरिवर्तित है
  4. संसाधन सब प्रकार की वस्तुओं के उत्पादन में एक समान कुशल नहीं हैं।

प्रश्न 17.
‘अर्थव्यवस्थाएँ सदैव उत्पादन संभावना वक्र पर कार्य करती हैं, इसके भीतर नहीं’ पक्ष या विपक्ष में तर्क दें।
उत्तर:
HBSE 12th Class Economics Important Questions Chapter 1 व्यष्टि अर्थशास्त्र एक परिचय 4
एक उत्पादन संभावना वक्र (PPC) उत्पादन की केवल विभिन्न संभावनाओं को प्रकट करता है। यह इस बात को स्पष्ट नहीं करता कि एक अर्थव्यवस्था किस बिंदु पर उत्पादन करेगी। यदि एक अर्थव्यवस्था उत्पादन संभावना वक्र पर कार्य करती है तो इसका अर्थ यह है कि संसाधनों का पूर्ण एवं कुशल उपयोग हो रहा है। यह एक आदर्श स्थिति है। एक अर्थव्यवस्था का PPC पर ही उत्पादन करना या इसके भीतर उत्पादन करना व्यक्तियों की रुचि और पसंद पर निर्भर करता है। यदि एक अर्थव्यवस्था में बेरोज़गारी हो अथवा संसाधनों का पूर्ण उपयोग नहीं हो रहा हो अथवा हड़ताल के कारण उत्पादन बंद हो रहा हो तो ऐसी स्थिति में उत्पादन PPC के भीतर किसी बिंदु पर होगा। जैसाकि रेखाचित्र में बिंदु ‘K’ द्वारा दिखाया गया है।

प्रश्न 18.
तकनीकी प्रगति या संसाधनों की संवृद्धि के कारण उत्पादन संभावना वक्र दाहिनी ओर क्यों खिसक जाता है?
उत्तर:
HBSE 12th Class Economics Important Questions Chapter 1 व्यष्टि अर्थशास्त्र एक परिचय 5
उत्पादन संभावना वक्र की यह मान्यता है कि तकनीकी प्रगति और अर्थव्यवस्था में उपलब्ध संसाधन स्थिर व दिए हए हैं लेकिन तकनीकी प्रगति या संसाधनों की संवृद्धि से वर्तमान उत्पादन संभावना वक्र अपने दायीं ओर खिसक जाती है। ऐसा इसलिए होता है कि तकनीकी प्रगति या संसाधनों की संवृद्धि के फलस्वरूप अर्थव्यवस्था में दोनों वस्तुओं का उत्पादन पहले से अधिक हो सकता है। इसे हम संलग्न रेखाचित्र द्वारा दिखा सकते हैं।

प्रश्न 19.
‘क्या उत्पादन किया जाए?’ की समस्या को एक उत्पादन संभावना वक्र की सहायता से समझाइए।
उत्तर:
उत्पादन संभावना वक्र उन विभिन्न संभावनाओं को बताता है जिसमें एक अर्थव्यवस्था अपने सीमित साधनों से उत्पादन कर सकती है। निम्नलिखित तालिका में X वस्तु और Y वस्तु की विभिन्न उत्पादन संभावनाओं को दिखाया गया है-

उत्पादन संभावनाएँ वस्तु-X का उत्पादन वस्तु-Y का उत्पादन
a 0 15
b 5 10
c 10 7
d 13 5
e 15 3
f 16 0

‘क्या उत्पादन किया जाए?’ की समस्या के अंतर्गत प्रत्येक अर्थव्यवस्था को उत्पादन संभावना वक्र पर दिए गए विभिन्न बिंदुओं में से किसी एक का चुनाव करना पड़ेगा। यह अर्थव्यवस्था की आवश्यकताओं की तीव्रता पर निर्भर करेगा कि वह X वस्तु अथवा Y वस्तु में से किसका अधिक मात्रा में उत्पादन करेगी।
HBSE 12th Class Economics Important Questions Chapter 1 व्यष्टि अर्थशास्त्र एक परिचय 6
यदि अर्थव्यवस्था में उपलब्ध समस्त संसाधनों का प्रयोग Y वस्तु के निर्माण के लिए किया जाता है तो अर्थव्यवस्था में X वस्तु का उत्पादन बिल्कुल नहीं होगा। इसी प्रकार यदि अर्थव्यवस्था में उपलब्ध समस्त संसाधनों का प्रयोग X वस्तु के लिए किया जाता है तो Y वस्तु का उत्पादन बिल्कुल नहीं होगा। सामान्यतया अर्थव्यवस्था b, c,d और e बिंदुओं में से किसी एक पर उत्पादन करेगी।

प्रश्न 20.
बाज़ार अर्थव्यवस्था की मुख्य विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
बाज़ार अर्थव्यवस्था की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

  1. निजी स्वामित्व उत्पादन संसाधनों पर लोगों का स्वामित्व होता है। लोगों को उत्तराधिकार का अधिकार प्राप्त होता है।
    उद्यम की स्वतंत्रता-लोगों को अपना व्यवसाय चुनने की पूर्ण स्वतंत्रता होती है।
  2. उपभोग की स्वतंत्रता-बाज़ार अर्थव्यवस्था में एक उपभोक्ता “राजा” होता है। उत्पादन की सभी क्रियाएँ उपभोक्ता की इच्छा के अनुकूल ही चलती हैं।
  3. कीमत-तंत्र-बाज़ार अर्थव्यवस्था में सभी आर्थिक निर्णय कीमत-तंत्र (प्रक्रिया) द्वारा लिए जाते हैं। कीमत-तंत्र सभी आर्थिक समस्याओं का समाधान करता है।
  4. लाभ का उद्देश्य-बाज़ार अर्थव्यवस्था में सभी आर्थिक क्रियाओं का उद्देश्य अपने निजी लाभ को अधिकतम करना होता है।

प्रश्न 21.
एक केंद्रीकृत योजनाबद्ध अर्थव्यवस्था से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
एक केंद्रीकृत योजनाबद्ध अर्थव्यवस्था वह नियोजित अर्थव्यवस्था है जिसमें उत्पादन, उपभोग व वितरण संबंधी सभी महत्त्वपूर्ण निर्णय सरकार या केंद्रीय सत्ता द्वारा आर्थिक योजना के अनुसार लिए जाते हैं। ऐसी अर्थव्यवस्था में प्रमुख विचार या उद्देश्य सामाजिक कल्याण (Social Welfare) होता है। नियोजित अर्थव्यवस्था में सभी केंद्रीय समस्याएँ योजना-तंत्र द्वारा हल की जाती हैं।

प्रश्न 22.
केंद्रीकृत योजनाबद्ध अर्थव्यवस्था की किन्हीं चार विशेषताओं का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर:
केंद्रीकृत योजनाबद्ध अर्थव्यवस्था की चार विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

  1. उत्पादन संसाधनों का सरकारी स्वामित्व केंद्रीकृत योजनाबद्ध अर्थव्यवस्था में उत्पादन संसाधनों पर सरकार का स्वामित्व होता है। उत्पादन संसाधनों पर निजी स्वामित्व नहीं होता।
  2. नियोजन केंद्रीकृत योजनाबद्ध अर्थव्यवस्था में सरकार केंद्रीकृत रूप से निर्णय लेने के लिए आर्थिक नियोजन तकनीक अपनाती है। नियोजन में बाज़ार शक्तियों के स्थान पर सरकार की प्राथमिकताओं के आधार पर आर्थिक कार्यक्रम बनाए जाते हैं।
  3. सामाजिक कल्याण केंद्रीकृत योजनाबद्ध अर्थव्यवस्था में निजी लाभ के स्थान पर सामाजिक कल्याण का स्थान सर्वोपरि होता है।
    आर्थिक समानताएँ-केंद्रीकृत योजनाबद्ध अर्थव्यवस्था में आय और संपत्ति की असमानताएँ बहुत कम होती हैं।

प्रश्न 23.
बाज़ार अर्थव्यवस्था में केंद्रीय समस्याओं का समाधान कैसे होता है?
उत्तर:
बाज़ार अर्थव्यवस्था में केंद्रीय समस्याओं का समाधान कीमत-तंत्र द्वारा होता है। वस्तु की बाज़ार कीमत ही यह निर्धारित करती है कि क्या, कैसे व किसके लिए उत्पादन किया जाए? एक उत्पादक उन्हीं वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन करेगा जिसका लाभ उत्पादक को सबसे अधिक होगा। उपभोक्ताओं की प्राथमिकताएँ भी कीमत-तंत्र में दिखाई पड़ती हैं। कीमत-तंत्र की सहायता से संसाधनों के उपयोग को नियंत्रित किया जाता है। कीमत-तंत्र ही साधन-सेवाओं की कीमत का निर्धारण करती है।

प्रश्न 24.
एक योजनाबद्ध अर्थव्यवस्था में केंद्रीय समस्याओं का समाधान किस प्रकार किया जाता है?
उत्तर:
एक योजनाबद्ध अर्थव्यवस्था में आर्थिक संसाधनों पर सरकार का स्वामित्व होता है। सरकार आर्थिक नियोजन द्वारा यह निर्णय लेती है कि इन संसाधनों का उपयोग किस प्रकार किया जाए। आर्थिक नियोजन में बाज़ार शक्तियों का कोई स्थान नहीं होता। क्या उत्पादन करना है, कितनी मात्रा में करना है, किन संसाधनों की सहायता से करना है आदि निर्णय अर्थव्यवस्था के व्यापक सर्वेक्षण तथा सामाजिक कल्याण के आधार पर किया जाता है। आर्थिक नियोजन में व्यक्तिगत स्वतंत्रता व लाभ का अभाव होता है।

प्रश्न 25.
एक मिश्रित अर्थव्यवस्था में केंद्रीय समस्याओं का समाधान किस प्रकार किया जाता है?
उत्तर:
मिश्रित अर्थव्यवस्था बाज़ार अर्थव्यवस्था और योजनाबद्ध अर्थव्यवस्था का मिश्रण है। इसलिए मिश्रित अर्थव्यवस्था में केंद्रीय समस्याओं का समाधान आर्थिक नियोजन तथा कीमत-तंत्र के मिश्रण से किया जाता है। सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के लिए उत्पादन और निवेश के लक्ष्य निर्धारित करती है। निजी क्षेत्र के उद्यम अपने निर्णय स्वयं लेने के लिए स्वतंत्र होते हैं लेकिन सरकार मौद्रिक, राजकोषीय व अन्य उपायों द्वारा निजी क्षेत्र के निर्णयों को प्रभावित कर सकती है। इस प्रकार मिश्रित अर्थव्यवस्था में निजी क्षेत्र नियंत्रित कीमत-तंत्र के अंतर्गत कार्य करते हैं।

प्रश्न 26.
सकारात्मक (वास्तविक) आर्थिक विश्लेषण (Positive Economic Analysis) से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
सकारात्मक (वास्तविक) आर्थिक विश्लेषण में ‘जैसा है वैसा’ (As itis) का विश्लेषण किया जाता है। यह ‘वास्तविक अर्थात् यथार्थ’ का अध्ययन करता है, न कि ‘ऐसा होना चाहिए’ का अध्ययन। इसमें क्या था? (What was ?) व क्या है? (What is ?) या क्या होगा? (What would be ?) जैसे वास्तविक कथनों का विश्लेषण सत्यता के आधार पर किया जाता है कि कथन कहाँ तक ठीक या गलत है। अन्य शब्दों में, यह विश्लेषण किसी भी आर्थिक घटना के कारण-परिणाम की निष्पक्ष जाँच करता है परंतु उसकी अच्छाई-बुराई के पचड़े में नहीं पड़ता। ऐसे विश्लेषण के उदाहरण हैं भारत में जनसंख्या विस्फोट की स्थिति है, भारत मुद्रास्फीति (कीमतों में निरन्तर वृद्धि) से ग्रस्त है, देश में गरीबी व बेरोज़गारी बढ़ रही है आदि।

प्रश्न 27.
आदर्शक आर्थिक विश्लेषण (Normative Economic Analysis) से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
आदर्शक आर्थिक विश्लेषण में ‘क्या होना चाहिए?’ (What ought to be?) से संबंधित विश्लेषण किया जाता है। यह सुझाता है कि कोई आर्थिक समस्या कैसे हल की जानी चाहिए। यह आर्थिक निर्णयों के गलत-ठीक, उचित-अनुचित होने की परख करता है और लक्ष्य निर्धारित करने के साथ-साथ उन्हें प्राप्त करने के सुझाव भी देता है। उदाहरण के लिए देश में से आय की असमानताओं को दूर करने के उद्देश्य से अमीर लोगों पर अधिक कर (Tax) लगाने चाहिएँ, गरीबों को मुफ्त शिक्षा व स्वास्थ्य सेवाएँ उपलब्ध की जानी चाहिएँ, निर्धन किसानों को ब्याज मुक्त ऋण दिया जाना चाहिए आदि।

HBSE 12th Class Economics Important Questions Chapter 1 व्यष्टि अर्थशास्त्र : एक परिचय

प्रश्न 28.
सकारात्मक (वास्तविक) आर्थिक विश्लेषण और आदर्शक आर्थिक विश्लेषण में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
केंद्रीय आर्थिक समस्याओं के समाधान की विभिन्न कार्यविधियाँ (Mechanism) हैं जिनके परिणाम भी विभिन्न हो सकते हैं। संभावित परिणामों का विश्लेषण दो तरीकों सकारात्मक(वास्तविक) आर्थिक विश्लेषण या आदर्शक आर्थिक विश्लेषण से किया जा सकता है। पहली कार्यविधि के अंतर्गत होने वाले कार्यों (Functions) का पता लगाया जाता है, जबकि दूसरी कार्यविधि में मूल्यांकन (Evaluation) पर जोर दिया जाता है। सकारात्मक (वास्तविक) आर्थिक विश्लेषण में ‘जैसा है वैसा’ (As it is) का अर्थात् ‘क्या है’, ‘क्या था’ या ‘क्या होगा’ आदि का विश्लेषण किया जाता है, जबकि आदर्शक आर्थिक विश्लेषण में ‘क्या होना चाहिए?’ (What ought to be ?) से संबंधित विश्लेषण किया जाता है।

सकारात्मक आर्थिक विश्लेषण के अंतर्गत हम यह अध्ययन करते हैं कि विभिन्न क्रियाविधियाँ किस प्रकार कार्य करती हैं, जबकि आदर्शक आर्थिक विश्लेषण में हम यह समझने का प्रयास करते हैं कि ये विधियाँ हमारे अनुकूल हैं भी या नहीं। सकारात्मक तथा आदर्शक विषय केंद्रीय आर्थिक समस्याओं के अध्ययन में निहित वे सकारात्मक और आदर्शक प्रश्न हैं जो एक-दूसरे से अत्यंत निकटता से संबंधित हैं तथा इनमें से किसी की पूर्णतया उपेक्षा करके दूसरे को ठीक से समझ पाना संभव नहीं है। वास्तव में, अर्थशास्त्र में दोनों प्रकार के विश्लेषण की आवश्यकता है तभी अधिकतम सामाजिक कल्याण का उद्देश्य पूरा हो सकता है।

दीर्घ-उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
उत्पादन संभावना वक्र क्या है? इसकी मान्यताएँ क्या हैं?
उत्तर:
उत्पादन संभावना वक्र (Production Possibility Curve)-एक PP वक्र केंद्रीय समस्या क्या उत्पादन करना है? को स्पष्ट करने की रेखाचित्रिय विधि है? यह निर्णय लेने के लिए कि क्या उत्पादन करना है और कितनी मात्रा में करना है, पहले यह जानना आवश्यक है कि क्या प्राप्य (Obtainable) है। PP वक्र प्राप्य संभावना को प्रदर्शित करता है।

मान्यताएँ-प्राप्य क्या है? निम्नलिखित मान्यताओं पर आधारित है-

  • उपलब्ध संसाधनों की मात्रा स्थिर एवं दी हुई है।
  • उत्पादन तकनीक स्थिर और अपरिवर्तित है।
  • संसाधनों का पूर्ण तथा कुशलतम उपयोग किया जा रहा है।
  • संसाधन सभी प्रकार की वस्तुओं के उत्पादन में एक-समान कुशल नहीं है।

चित्रमय प्रदर्शन उत्पादन संभावना वक्र को प्रो० सैम्युअलसन के एक प्रसिद्ध उदाहरण (बंदूकें तथा मक्खन) द्वारा स्पष्ट किया गया है- कल्पना कीजिए कि अर्थव्यवस्था में उत्पादन के साधनों (भूमि, श्रम, पूँजी) की कुछ मात्रा है (जिसमें परिवर्तन संभव नहीं) जिनकी सहायता से दो वस्तुओं मक्खन या बंदूकों का उत्पादन किया जा सकता है। बंदूकें रक्षा-सामग्री की प्रतीक हैं, जबकि मक्खन उपभोक्ता वस्तु का प्रतीक है। इन साधनों के प्रयोग से दोनों वस्तुओं की विभिन्न उत्पादन संभावनाओं को निम्नांकित तालिका द्वारा दर्शाया गया है।

उत्पादन संभावना तालिका

उत्पादन संभावनाएँ मक्खन का उत्पादन
(हजार किलोग्राम)
बंदूकों का उत्पादन
(हज़ार (000) में)
परिवर्तन की सीमांत दर = ∆बंदूक/∆ मक्खन
a 0 + 10 ___
b 1 + 9 1 मक्खन : 1 बंदूक
c 2 + 7 1 मक्खन : 2 बंदूक
d 3 + 4 1 मक्खन : 3 बंदूक
e 4 + 0 1 मक्खन : 4 बंदूक

उपरोक्त तालिका में 5 उत्पादन संभावनाएँ हैं जो उत्पादन साधनों के विभिन्न प्रयोग करके प्राप्त होती हैं। पहली व पाँचवीं चरम सीमा की संभावनाएँ हैं जिनसे केवल एक ही वस्तु प्राप्त होती है, दूसरी नहीं। बाकी तीन अन्य संभावनाएँ हैं जिनमें दोनों वस्तुओं का उत्पादन किया जाता है। जैसे-जैसे हम मक्खन का उत्पादन बढ़ाते जाते हैं तो बंदूकों के उत्पादन में तेजी के साथ कमी होती जाती है। दूसरी अवस्था में, मक्खन का उत्पादन 1 हज़ार किलो बढ़ाने पर बंदूकों का उत्पादन 1 हज़ार गिरता है। तीसरी संभावना में 2 हज़ार तथा चौथी संभावना में 3 हज़ार और अंतिम संभावना में बंदूकों का उत्पादन 4 हज़ार गिरता है।

यहाँ एक बात ध्यान देने योग्य है कि जैसे-जैसे हम एक संभावना से दूसरी संभावना पर आते हैं, वैसे-वैसे बंदूकों के स्थान पर मक्खन प्राप्त नहीं करते, बल्कि उत्पादन के साधनों को बंदूकों के उत्पादन से हटाकर मक्खन के उत्पादन में लगाते हैं। यदि कोई साधन एक वस्तु से हटाकर दूसरी वस्तु में लगाया जाता है तो कुशलता गिर जाती है और लागत बढ़ जाती है। परिवर्तन की सीमांत दर (Marginal Rate of Transformation) इस लागत का माप है। जैसे-जैसे मक्खन का उत्पादन बढ़ता है, यह दर बढ़ती चली जाती है।

परिवर्तन की सीमांत दर-एक वस्तु की अतिरिक्त इकाई का उत्पादन करने पर दूसरी वस्तु की जितनी मात्रा का त्याग करना पड़ता है, वह परिवर्तन की सीमांत दर कहलाती है। बंदूक और मक्खन के हमारे उदाहरण के अनुसार, यह मक्खन की एक अतिरिक्त इकाई प्राप्त करने के लिए बंदूकों की त्यागी गई मात्रा का अनुपात है। सूत्र के रूप में,
HBSE 12th Class Economics Important Questions Chapter 1 व्यष्टि अर्थशास्त्र एक परिचय 7
हमारे उदाहरण में इस दर में वृद्धि हो रही है। इसका अर्थ है कि हर बार मक्खन की एक अतिरिक्त इकाई प्राप्त करने के लिए बंदूकों का त्याग बढ़ती दर से करना पड़ता है।

उत्पादन संभावना वक्र:
HBSE 12th Class Economics Important Questions Chapter 1 व्यष्टि अर्थशास्त्र एक परिचय 8
उत्पादन संभावना तालिका को चित्रित करने पर उत्पादन संभावना वक्र प्राप्त हो जाता है। यह उत्पादन संभावना वक्र दो वस्तुओं के उन विभिन्न संयोगों को दर्शाती है जिन्हें दिए गए निश्चित साधनों तथा तकनीकों की. सहायता से उत्पन्न किया जा सकता है। रेखाचित्र में X-अक्ष पर मक्खन और Y-अक्ष पर बंदूकों के उत्पादन को दर्शाया गया है। a, b, c,d,e विभिन्न बिंदु हैं जो विभिन्न उत्पादन संभावनाओं को बताते हैं। इन विभिन्न बिंदुओं को मिलाने से जो वक्र बनता है, उसे उत्पादन संभावना वक्र कहते हैं। इस वक्र से पता चलता है कि दिए गए साधनों तथा तकनीकी ज्ञान से अर्थव्यवस्था में दो वस्तुओं के उत्पादन की विभिन्न संभावनाएँ क्या हैं?

इस वक्र से हमें उत्पादन की अधिकतम सीमाओं का भी पता चलता है। इसलिए इसे उत्पादन संभावना सीमा (Production Possibility Frontier or Boundary) भी कहा जाता है। रेखाचित्र के अनुसार अर्थव्यवस्था में अधिकाधिक संभव उत्पादन ae वक्र तक ही हो सकता है। यदि अर्थव्यवस्था ae के बाहर के बिंदु (जैसा कि ‘T’ बिंदु) को प्राप्त करना चाहे तो वह केवल दो दशाओं में ही इसे प्राप्त कर सकती है। (i) साधनों में वृद्धि होने से तथा (ii) तकनीकी विकास या कार्यकुशलता में वृद्धि होने से। इसके अतिरिक्त यदि उत्पादन किसी ऐसे बिंदु पर किया जाता है जो वक्र के अंदर है (जैसे कि बिंदु ‘U’) तो इसका अर्थ होगा कि अर्थव्यवस्था में या तो साधनों या जा रहा है या अर्थव्यवस्था में साधन बेरोज़गार हैं। इस अवस्था में बिना साधनों में वृद्धि किए दोनों वस्तुओं के उत्पादन को बढ़ाया जा सकता है।

उत्पादन संभावना वक्र की विशेषताएँ-उत्पादन संभावना वक्र की दो मुख्य विशेषताएँ हैं
1. बाएँ से दाएँ नीचे की ओर झुकती है-उत्पादन संभावना वक्र इस बात को स्पष्ट करता है कि समाज को यदि किसी वस्तु की अतिरिक्त मात्रा चाहिए तो उसे दूसरी वस्तु का उत्पादन कम करना होगा।

2. मूल बिंदु की ओर नतोदर-PP वक्र के मूल बिंदु की ओर नतोदर होने का कारण परिवर्तन की सीमांत दर (MRT) का निरंतर बढ़ना है अथवा बढ़ती हुई सीमांत अवसर लागत है।

प्रश्न 2.
सीमांत अवसर लागत से क्या अभिप्राय है? इसके बढ़ने के कारणों का वर्णन करें।
उत्तर:
सीमांत अवसर लागत का अर्थ उत्पादन संभावना वक्र पर कार्यरत किसी वस्तु की सीमांत अवसर लागत दूसरी वस्तु की वह मात्रा है जिसका पहली वस्त की एक अतिरिक्त इकाई उत्पन्न करने के लिए त्याग किया जाता है। गेहँ और दाल के संदर्भ में सीमांत अवसर लागत (MOC) को हम यूँ भी परिभाषित कर सकते हैं कि किसी वस्तु (जैसे गेहूँ) की सीमांत अवसर लागत दूसरी वस्तु (जैसे दालों) की त्याग की मात्रा है जब पहली वस्तु का उत्पादन बढ़ाया जाता है। त्याग की यह दर बढ़ाई गई वस्तु की सीमांत अवसर लागत (Marginal Opportunity Cost) कहलाती है।

सीमांत अवसर लागत को निम्नलिखित तालिका द्वारा स्पष्ट किया गया है-
तालिका : उत्पादन संभावना वक्र पर कार्यरत सीमांत अवसर लागत

उत्पादन संभावनाएँ (संयोजन) गेहूँ (लाख टन में) दालें (लाख टन में) गेहूँ की सीमांत अवसर लागत (दालों में)
a 0 15 ___
b 1 14 15 – 14 = 1
c 2 12 14 – 12 = 2
d 3 9 12 – 9 = 3
e 4 5 9 – 5 = 4
f 5 0 5 – 0 = 5

दी गई तालिका में एक निष्कर्ष स्पष्ट है कि जैसे-जैसे गेहूँ का उत्पादन बढ़ाया जाता है, वैसे-वैसे गेहूँ की सीमांत अवसर लागत दर दालों में कमी के रूप में बढ़ती जाती है, जैसाकि अंतिम कॉलम से स्पष्ट है। यथा संयोजन (Combination) a से संयोजन b में जाने पर 1 लाख टन गेहूँ का उत्पादन करने के लिए 1 लाख टन दालों का उत्पादन त्यागना पड़ता है अर्थात् 1 लाख टन गेहूँ की सीमांत अवसर लागत (MOC) 1 लाख टन दालें हैं। इसी प्रकार संयोजन c में 1 लाख टन गेहूँ का अतिरिक्त उत्पादन करने के लिए 2 (14-12) लाख टन दालों का उत्पादन छोड़ना पड़ता है अर्थात् 1 लाख टन गेहूँ की MOC अब 2 लाख टन दालें हैं। इसी रीति से संयोजन d,e,f में 1 लाख टन अतिरिक्त गेहूँ का उत्पादन करने की सीमांत अवसर लागत (MOC) क्रमशः 3, 4 और 5 लाख टन दालें हैं।

संक्षेप में, अतिरिक्त गेहूँ उत्पादन करने के लिए दालों के रूप में सीमांत अवसर लागत क्रमशः बढ़ती जाती है। बढ़ती हुई सीमांत अवसर लागत के फलस्वरूप उत्पादन संभावना वक्र का आकार मूल बिंदु की तरफ नतोदर (Concave) हो जाता है।

सीमांत अवसर लागत बढ़ने के कारण-सीमांत अवसर लागत बढ़ने के कारण हैं-
(1) PP वक्र ह्रासमान प्रतिफल नियम (अर्थात् वर्धमान लागत नियम) पर आधारित है। इसके अनुसार जब किसी वस्तु का उत्पादन बढ़ाया जाता है तो इसे उत्पादित करने वाले साधनों की सीमांत उत्पादकता कम होती जाती है। फलस्वरूप वस्तु का उत्पादन बढ़ाने के लिए साधन की अधिक इकाइयाँ जुटानी पड़ती हैं अर्थात् उत्पादन लागत बढ़ती जाती है। इसे हम यूँ भी कह सकते हैं कि एक वस्तु का उत्पादन बढ़ाने के लिए दूसरी वस्तु की अधिक इकाइयों का त्याग करना पड़ता है।

(2) सीमांत अवसर लागत तब भी बढ़ जाती है जब एक विशेष वस्तु (जैसे दालों) के उत्पादन में लगे निपुण साधनों (श्रमिकों) को हटाकर दूसरी वस्तु (जैसे गेहूँ) के उत्पादन में स्थानांतरित किया जाता है जहाँ के लिए वे इतने योग्य नहीं होते। इसका अर्थ है दूसरी वस्तु की अतिरिक्त इकाइयों के उत्पादन के लिए स्थानांतरित साधनों का अधिक मात्रा में प्रयोग करना अर्थात् उत्पादन लागत का अप्रत्यक्ष बढ़ना।

संख्यात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्नलिखित PP अनुसूची से वस्तु-X की रूपांतरण की सीमांत दर (MRT) की गणना कीजिए।

उत्पादन संभावनाएँ a b c d e
वस्तु-X का उत्पादन (इकाइयाँ) 0 1 2 3 4
वस्तु-Y का उत्पादन (इकाइयाँ) 14 13 11 8 3

हल :
HBSE 12th Class Economics Important Questions Chapter 1 व्यष्टि अर्थशास्त्र एक परिचय 9

वस्तु-X (इकाइयाँ) वस्तु-Y (इकाइयाँ) MRT = ∆Y/∆X
0 14 __
1 13 1 : 1 (1-0 = 1, 14-13 = 1)
2 11 1 : 1
3 8 2 : 1
4 3 3 : 1

HBSE 12th Class Economics Important Questions Chapter 1 व्यष्टि अर्थशास्त्र : एक परिचय

प्रश्न 2.
मान लो कि एक अर्थव्यवस्था अपने संसाधनों और उपलब्ध प्रौद्योगिकी से दो वस्तुओं मशीनों और गेहूँ का उत्पादन करती है। अग्रलिखित तालिका में मशीनों तथा गेहूँ की उत्पादन संभावनाओं को दिखाया गया है। भिन्न-भिन्न संयोगों पर मशीनों की सीमांत अवसर लागत ज्ञात करें।

उत्पादन संभावना मशीनों का उत्पादन
(हज़ार)
गेहूँ का उत्पादन
(लाख टन)
a 0 75
b 1 70
c 2 62
d 3 50
e 4 30
f 5 0

हल :
HBSE 12th Class Economics Important Questions Chapter 1 व्यष्टि अर्थशास्त्र एक परिचय 10

उत्पादन संभावना मशीनों का उत्पादन (हज़ार) गेहूँ का उत्पादन
(लाख टन)
मशीनों की सीमांत अवसर लागत (लाख टन)
a 0 75 ___
b 1 70 5 वृद्धिमान
c 2 62 8 सीमांत
d 3 50 12 अवसर
e 4 30 20 लागत
f 5 0 30

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