HBSE 11th Class Practical Work in Geography Solutions Chapter 6 वायव फोटो का परिचय

Haryana State Board HBSE 11th Class Geography Solutions Practical Work in Geography Chapter 6 वायव फोटो का परिचय Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 11th Class Practical Work in Geography Solutions Chapter 6 वायव फोटो का परिचय

बहुविकल्पीय प्रश्न

1. पहली बार वायव फोटो खींचने के लिए वायुयान का प्रयोग कब हुआ?
(A) सन् 1902 में
(B) सन् 1905 में
(C) सन् 1907 में
(D) सन् 1909 में
उत्तर:
(D) सन् 1909 में

2. भारत में वायव फोटो चित्र का सर्वप्रथम उपयोग कब हुआ?
(A) सन् 1908 में
(B) सन् 1912 में
(C) सन् 1915 में
(D) सन् 1916 में
उत्तर:
(D) सन् 1916 में

HBSE 11th Class Practical Work in Geography Solutions Chapter 6 वायव फोटो का परिचय

3. मापनी के आधार पर वायव फोटो को कितने प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है?
(A) तीन
(B) चार
(C) पाँच
(D) छः
उत्तर:
(A) तीन

4. वायव फोटोग्राफी की कितनी विधियाँ हैं?
(A) दो
(B) तीन
(C) चार
(D) पाँच
उत्तर:
(A) दो

5. भारत में कितनी उड्डयन एजेंसी ही सरकारी अनुमति से वायव फोटो ले सकती हैं?
(A) दो
(B) तीन
(C) चार
(D) पाँच
उत्तर:
(B) तीन

अति-लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
फोटोग्राममिति किसे कहा जाता है?
उत्तर:
वायव फोटो चित्रों से धरातलीय एवं अन्य सूचनाओं के मापन और चित्रण की कला और विज्ञान को फोटोग्राममिति कहा जाता है।

प्रश्न 2.
भारत में वायव फोटो चित्र का सर्वप्रथम उपयोग किसने किया था?
उत्तर;
मेजर सी.पी. गुंडुर (1916) ने।

प्रश्न 3.
राष्ट्रीय सुदूर संवेदी संस्था कहाँ स्थित है?
उत्तर:
हैदराबाद में।

प्रश्न 4.
‘नत फोटोग्राफ’ किसे कहते हैं?
उत्तर:
ऊर्ध्वाधर अक्ष से प्रकाशीय अक्ष में 3° से अधिक विचलन वाले फोटोग्राफ को ‘नत फोटोग्राफ’ कहा जाता है।

HBSE 11th Class Practical Work in Geography Solutions Chapter 6 वायव फोटो का परिचय

प्रश्न 5.
ऊर्ध्वाधर अक्ष किसे कहते हैं?
उत्तर:
कैमरा लैंस केन्द्र से धरातलीय तल पर बने लंब को ऊर्ध्वाधर अक्ष कहा जाता है।

प्रश्न 6.
बृहत मापनी फोटोग्राफ किसे कहते हैं?
उत्तर:
जब एक वायव फोटो की मापनी 1:15,000 तथा इससे बड़ी होती है, तो इस प्रकार को फोटोग्राफ के बृहत मापनी फोटोग्राफ कहते हैं।

प्रश्न 7.
वायव फोटो चित्रों में दर्ज भौतिक तथा मानवीय लक्षणों की पहचान किस आधार पर की जा सकती है?
उत्तर:
आभा एवं आकृति के आधार पर।

प्रश्न 8.
विश्व का पहला फोटोग्राफिक सर्वेक्षण कब और किसने किया था?
उत्तर:
विश्व का पहला फोटोग्राफिक सर्वेक्षण सन् 1840 में फ्राँस के ल्यूसिडा (Laussedat) ने किया था।

प्रश्न 9.
उपग्रह द्वारा इमेजरी प्राप्त करने का प्रचलन कब से शुरू हुआ?
उत्तर:
1970 के दशक से।

प्रश्न 10.
स्टीरियोस्कोप कितने प्रकार का होता है?
उत्तर:
दो प्रकार का-

  1. लैंस स्टीरियोस्कोप
  2. दर्पण स्टीरियोस्कोप।

प्रश्न 11.
वाय फोटो चित्रों में स्वच्छ जल कैसा दिखाई देता है?
उत्तर:
काला या धूसर।

प्रश्न 12.
वायु फोटो चित्रों में रेतीले इलाके का रंग कैसा दिखाई देता है?
उत्तर:
सफेद।

प्रश्न 13.
वायव फोटो का क्या अर्थ है?
उत्तर:
वायुयान में लगे कैमरे द्वारा वायुमण्डल से खींची गई फोटो को वायव फोटो कहा जाता है। वायव फोटो भू-तल का विहंगम दृश्य प्रस्तुत करता है जिसकी सहायता से स्थलाकृतिक मानचित्रों को बनाने में सहायता मिलती है।

लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
वायव फोटो के महत्त्वपूर्ण उपयोग कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
वायव फोटो के उपयोग निम्नलिखित हैं-

  1. वायव फोटो हमें बड़े क्षेत्रों का विहंगम दृश्य प्रस्तुत करता है जिनसे पृथ्वी की सतह की स्थलाकृतियों को उनके स्थानिक सन्दर्भ में देखा जा सकता है।
  2. वायव फोटो का उपयोग ऐतिहासिक अवलोकन में किया जाता है।
  3. वायव फोटो से पृथ्वी के धरातलीय दृश्यों का त्रिविम स्वरूप प्राप्त किया जा सकता है।
  4. वायुयान की ऊँचाई के आधार पर विभिन्न मापनियों पर आधारित वायुफोटो चित्रों को प्राप्त किया जा सकता है।

प्रश्न 2.
वायव फोटो के लक्षणों की पहचान किस प्रकार की जाती है?
उत्तर:
वायव फोटो की व्याख्या करने के लिए निम्नलिखित आधारों का सहारा लेना पड़ता है-
1. आभा (Tone) सामान्यतः वायु फोटो में ब्लैक एण्ड व्हाइट चित्र लिए जाते हैं जिनमें धूसर रंग की अनेक आभाएँ होती हैं जो धरातल द्वारा परावर्तित प्रकाश की मात्रा पर निर्भर करती है। धरातल के जिस भाग से प्रकाश का अधिक परावर्तन होता है, वायु फोटो में उस भाग की आभा हल्की होगी और पृथ्वी का जो भाग प्रकाश का कम परावर्तन करेगा उस भाग की आभा वायु फोटो पर गहरी होगी। उदाहरणस्वरूप स्वच्छ जल धूसर या काला दिखाई देगा जबकि सड़कों और रेल मार्गों की आभा हल्की होती है।

2. आकृति (Shape)-सामान्यतः प्राकृतिक लक्षण अनियमित आकार के होते हैं तथा मानवीय लक्षणों का आकार नियमित होता है; जैसे नदियों, तालाबों, पर्वतों तथा मरुस्थलों की आकृति अनियमित होती है जबकि मानवकृत भवन, खेत, सड़कें, रेलें आदि नियमित आकार प्रदर्शित करते हैं।

3. आकार (Size) धरातलीय लक्षणों की पहचान उनके आकार से भी की जा सकती है। उदाहरणतया नहर पतली व सीधी दिखाई देती है तथा नदी बड़ी व टेढ़ी-मेढ़ी दिखाई देती है।

4. त्रिविमीय प्रतिरूप (Stereoscopic Pattern)-अतिव्यापन वाले दो वायव फोटो की सहायता से त्रिविमीय स्वरूप देखकर प्रदर्शित तथ्यों की पहचान आसानी से की जा सकती है।

प्रश्न 3.
फोटोग्राफिक सर्वेक्षण का संक्षिप्त इतिहास बनाते हुए वायु फोटो के उपयोगों की चर्चा कीजिए।
उत्तर:
विश्व का पहला फोटोग्राफिक सर्वेक्षण सन् 1840 में फ्रांस के ल्यूसिडा (Laussedat) ने किया था। वायु फोटोग्राफी का वास्तविक विकास द्वितीय विश्व युद्ध में आरम्भ हुआ। आजकल तो वायु फोटो का उपयोग स्थलाकृतिक सर्वेक्षण (Tapographical Survey), भू-विज्ञान (Geology), जल विज्ञान (Hydrology), वानिकी (Forestry), पुरातत्व विज्ञान (Archeology), मृदा अपरदन के नियन्त्रण, यातायात नियन्त्रण तथा अनेक प्रकार के खोज कार्यों में किया जाने लगा है।

प्रश्न 4.
वायु फोटोग्राफी के तेजी से उभरने के कारण और उद्देश्य क्या हैं?
उत्तर:
वायु फोटोग्राफी के तेजी से उभरने के प्रमुख कारण और उद्देश्य निम्नलिखित हैं-

  1. इनकी सहायता से अगम्य (Inaccessible) क्षेत्रों का चित्रण बहुत ही आसान हो गया है।
  2. जो सर्वेक्षण साधारण विधियों द्वारा कई-कई महीनों में तैयार होता था, वायु फोटो द्वारा वह अत्यन्त थोड़े समय में तैयार हो जाता है और वह भी बिना किसी त्रुटि के।
  3. यद्यपि इस विधि का प्रारम्भिक व्यय अधिक है किन्तु अन्ततः इसका कुल व्यय साधारण विधियों की अपेक्षा कम ही पड़ता है।

HBSE 11th Class Practical Work in Geography Solutions Chapter 6 वायव फोटो का परिचय

प्रश्न 5.
उपग्रहीय इमेजरी क्या होती है? इन चित्रों से किस प्रकार की सहायता मिलती है?
उत्तर:
अन्तरिक्ष में उच्च तकनीक से युक्त संवेदनशील उपकरणों से सुसज्जित उपग्रहों को स्थापित करके उनके द्वारा लिए गए चित्रों को उपग्रहीय इमेजरी कहा जाता है। इन चित्रों से दूर संवेदन में सहायता मिलती है। दूर संवेदन के लिए उपग्रह द्वारा इमेजरी प्राप्त करने का प्रचलन 1970 के दशक में आरम्भ हुआ।

प्रश्न 6.
उपग्रहीय इमेजरी वायु फोटोग्राफी से क्यों बेहतर है?
उत्तर:
उपग्रहीय इमेजरी वायु फोटोग्राफी से निम्नलिखित कारणों से बेहतर है-

  1. उपग्रह इमेजरी से अपेक्षाकृत विस्तृत क्षेत्रों के भौतिक तथा मानवीय तत्त्वों का अवलोकन किया जा सकता है।
  2. सार अवलोकन (Synoptic Coverage) के लिए उपग्रह द्वारा इमेजरी वायु फोटो की अपेक्षा अधिक सार्थक एवं कारगर है।
  3. उपग्रह द्वारा चित्रण और उनकी पुनरावृत्ति (Repetition) अत्यन्त शीघ्र होती है। इसमें क्षण भर में उतनी जानकारी प्राप्त हो जाती है जितनी रूढ़ चित्रण (Conventional Contact Prints) द्वारा कई घण्टों तक प्राप्त नहीं हो सकती द्वारा इतनी जानकारी जुटाने में अनेक वर्ष लग सकते हैं।
  4. यदि उपग्रह ध्रुवीय कक्षा में स्थिति हो तो इसमें सम्पूर्ण पृथ्वी का भी चित्रण किया जा सकता है।

प्रश्न 7.
लैंस स्टीरियोस्कोप पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
लैंस स्टीरियोस्कोप-यह एक साधारण-सा उपकरण होता है जिसमें दो जुड़वा टाँगों वाले स्टैण्ड पर एक फ्रेम फिट किया गया होता है। इस क्षैतिज फ्रेम पर निश्चित दूरी के अन्तर पर दो लैंस लगे होते हैं। इन लैंसों के एकदम निकट आँख रखकर स्टीरियोस्कोप के नीचे रखे गए अतिव्यापित (Overlapped) फोटो चित्रों का अध्ययन किया जा सकता है। वायु फोटो के अतिव्यापन का एक तरीका होता है। सबसे पहले मेज पर स्टीरियोस्कोप के नीचे एक फोटो चित्र रखा जाता है। इसके ऊपर दूसरा फोटो चित्र इस प्रकार रखा जाता है कि उनके अतिव्यापित भाग ठीक एक-दूसरे के ऊपर आ जाएँ। अब ऊपर वाले वायु फोटो को दायीं ओर 5 सें०मी० सरकाइए। ऐसा करते समय ध्यान रहे कि निचले वायु फोटो के सन्दर्भ में ऊपरी वायु फोटो का अनुस्थान बिगड़ न जाए। ऐसी स्थिति में जब हम स्टीरियोस्कोप में से देखेंगे तो हमें अतिव्यापित फोटो चित्रों में धरातल का त्रि-विस्तारीय (Three Dimensional) स्वरूप दिखाई देगा।

प्रश्न 8.
सार सर्वेक्षण अथवा अवलोकन से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
इस सर्वेक्षण में केवल अपेक्षित विषय के बारे में सूचनाएँ एवं चित्र इकट्ठे किए जाते हैं न कि समस्त क्षेत्र के। उदाहरणतया यदि हम भारत के पूर्वी एवं पश्चिमी तटों पर स्थिति लैगून झीलों का सर्वेक्षण करते हैं, सम्पूर्ण तटीय प्रदेश का नहीं, तो इसे सार सर्वेक्षण कहा जाएगा।

प्रश्न 9.
मानचित्र तथा वायव फोटों में अन्तर बताइए।
उत्तर:
मानचित्र तथा वायव फोटो में अन्तर निम्नलिखित है-

मानचित्र फोटो वायव फोटो
1. इनकी रचना लम्बकोणीय प्रक्षेप पर होती है। 1. इनकी रचना केन्द्रीय प्रक्षेप पर होती है।
2. इसमें मापनी एक समान होती है। 2. इसमें मापनी एकसमान नहीं होती है।
3. अगम्य तथा अवास्य क्षेत्रों में मानचित्र बनाना अत्यधिक कठिन है। 3. वायव फोटो अगम्य तथा अवास्य क्षेत्रों के लिए भी उपयोगी है।
4. इसमें दिकमान शुद्ध होता है। 4. इसमें दिक्मान अशुद्ध होता है।
5. मानचित्र पर धरातल के लक्षण अदृश्य होते हैं। 5. वायव फोटो में धरातलीय लक्षणों को पहचाना जा सकता है।

निबंधात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
वायव फोटो के प्रकारों का विस्तार से वर्णन कीजिए।
उत्तर:
वायव फोटो का वर्गीकरण-वायव फ़ोटो का वर्गीकरण अनेक आधारों पर किया जा सकता है; जैसे कैमरा अक्ष, मापनी, व्याप्ति क्षेत्र के कोणीय विस्तार एवं उसमें उपयोग में लाई फिल्म के आधार पर किया जाता है। लेकिन वायव फोटो का प्रचलित वर्गीकरण, कैमरा अक्ष की स्थिति और मापनी के आधार पर किया जाता है।
1. कैमरा अक्ष की स्थिति के आधार पर वायव फोटो के प्रकार कैमरा अक्ष की स्थिति के आधार पर वायव फोटो को निम्नलिखित प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है-

  • ऊर्ध्वाधर फोटोग्राफ
  • अल्प तिर्यक फोटोग्राफ
  • अति तिर्यक फोटोग्राफ।

(1) ऊर्ध्वाधर फोटोग्राफ (Vertical Photograph)-वायव फोटो को खींचते समय कैमरा लैंस के केंद्र से दो विशिष्ट अक्षों की रचना होती है

  • धरातलीय तल की ओर
  • फोटो के तल की ओर।

कैमरा लैंस केंद्र से धरातलीय तल पर बने लंब को ऊर्ध्वाधर अक्ष (Vertical Axis) कहा जाता है, जबकि लैंस के केंद्र से .. फ़ोटो की सतह पर बनी साहुल रेखा को फोटोग्राफी ऑप्टीकल अक्ष (Optical Axis) कहा जाता है। जब फोटो की सतह को धरातलीय सतह के ऊपर, उसके समांतर रखा जाता है, तब दोनों अक्ष एक-दूसरे से मिल जाते हैं। इस प्रकार, प्राप्त फोटो को ऊर्ध्वाधर वायव फोटो कहते हैं (चित्र 7.1)। यद्यपि, दोनों सतहों के बीच समांतरता प्राप्त करना काफ़ी कठिन होता है, क्योंकि वायुयान पृथ्वी की वक्रीय सतह (Curved surface) पर गति करता है। इसलिए फोटोग्राफ के अक्ष ऊर्ध्वाधर अक्ष से विचल
HBSE 11th Class Practical Work in Geography Solutions Chapter 6 वायव फोटो का परिचय 1
(Deviate) हो जाते हैं। यदि इस प्रकार का विचलन धनात्मक या ऋणात्मक 3° के भीतर होता है, तो लगभग ऊर्ध्वाधर वायव फ़ोटो प्राप्त होते हैं। ऊर्ध्वाधर अक्ष से प्रकाशीय अक्ष में 3° से अधिक विचलन वाले फोटोग्राफ को नत फोटोग्राफ कहा जाता है।

(2) अल्प तिर्यक फोटोग्राफ (Low Oblique Photograph)-ऊर्ध्वाधर अक्ष से कैमरा अक्ष में 150 से 30° के अभिकल्पित विचलन (Designed Deviation) के साथ लिए गए वायव फ़ोटो को अल्प तिर्यक फ़ोटोग्राफ़ कहा जाता है (चित्र 7.2)। इस प्रकार के फोटोग्राफ का उपयोग प्रायः प्रारंभिक सर्वेक्षणों में होता है।
HBSE 11th Class Practical Work in Geography Solutions Chapter 6 वायव फोटो का परिचय 2

(3) अति तिर्यक फोटोग्राफ़ (High Oblique Photography)-ऊर्ध्वाधर अक्ष से कैमरे की धुरी को लगभग 60° झुकाने पर एक अति तिर्यक फोटोग्राफ प्राप्त होता है (चित्र 7.3)। इस प्रकार की फ़ोटोग्राफी भी प्रारंभिक सर्वेक्षण में उपयोगी होती है।
HBSE 11th Class Practical Work in Geography Solutions Chapter 6 वायव फोटो का परिचय 3

2. मापनी के आधार पर वायव फोटो के प्रकार मापनी के आधार पर वायव फ़ोटो को तीन प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है
(1) बृहत मापनी फोटोग्राफ (Large Scale Photograph)-जब एक वायव फोटो की मापनी 1:15,000 तथा इससे बड़ी होती है, तो इस प्रकार को फोटोग्राफ के बृहत मापनी फ़ोटोग्राफ़ कहते हैं (चित्र 7.4)।
HBSE 11th Class Practical Work in Geography Solutions Chapter 6 वायव फोटो का परिचय 4

(2) मध्यम मापनी फोटोग्राफ (Medium Scale Photograph)-ऐसे वायव फोटो की मापनी 1:15,000 से 1:30,000 के बीच होती है (चित्र 7.5)।
HBSE 11th Class Practical Work in Geography Solutions Chapter 6 वायव फोटो का परिचय 5

(3) लघु मापनी फोटोग्राफ़ (Small Scale Photograph)-1:30,000 से लघु मापक वाले फ़ोटोग्राफ़ को लघु मापनी फोटोग्राफ़ कहा जाता है (चित्र 7.6)।
HBSE 11th Class Practical Work in Geography Solutions Chapter 6 वायव फोटो का परिचय 6

प्रश्न 2.
वायव फोटो में लक्षणों की पहचान किस प्रकार की जाती है?
उत्तर:
वायव फ़ोटो पर प्रदर्शित तथ्यों के बारे में विवरण नहीं दिया गया होता और न ही उन पर किसी संकेत या रूढ़ चिह्न का प्रयोग किया जाता है। वायु फ़ोटो में वृत्तों एवं पट्टियों पर कुछ प्रारंभिक सूचनाएँ अंकित होती हैं, जिनसे कुछ सामान्य प्रारंभिक जानकारी ही प्राप्त हो पाती है। अतः वायु फोटो चित्रों पर प्रदर्शित तथ्यों का विश्लेषण करने के लिए निम्नलिखित चीज़ों की आवश्यकता होती है-

  • जिस क्षेत्र के वायव फोटो का विश्लेषण करना है, वहां का मानचित्र और स्थलाकृतिक मानचित्र होना चाहिए ताकि बिंबों (Images) को पहचाना जा सके।
  • वायव चित्र में दिखाए गए क्षेत्र की भौतिक एवं मानवीय विशेषताओं की जानकारी विश्लेषणकर्ता को होनी चाहिए।

किसी क्षेत्र के वायु फोटो चित्रों में दर्ज भौतिक तथा मानवीय लक्षणों की पहचान आभा एवं आकृति के आधार पर की जा सकती है।
1. आभा (Tone)-यूं तो आजकल रंगीन हवाई चित्रों का चलन हो गया है किंतु सामान्यतया वायु फोटोग्राफ़ी में ब्लैक एंड व्हाइट चित्र ही लिए जाते हैं। ब्लैक एंड व्हाइट वायु चित्रों में धूसर रंग की अनेक आभाएं होती हैं जो धरातल द्वारा परावर्तित (Reflected) प्रकाश की मात्रा पर निर्भर करती हैं।

धरातल के जिस भाग से प्रकाश का परावर्तन ज्यादा होता है, वायु फ़ोटो में उस भाग की आभा हल्की (Light) होती है। इसके विपरीत धरती का जो भाग प्रकाश का कम मात्रा में परावर्तन करता है उस भाग की वायु फ़ोटो पर आभा गहरी होती है। अतः स्पष्ट है कि वायु फोटो चित्र पर भिन्न-भिन्न गहराई की आभाएं पाई जाती हैं। इन आभाओं के गहरेपन के आधार पर ही विभिन्न लक्षणों की पहचान की जा सकती है। देखिए कुछ उदाहरण-

  • स्वच्छ जल ऊर्ध्वाधर फ़ोटो (Vertical Photo) में घूसर या काला दिखाई देता है।
  • रेतीले इलाके का रंग सफेद दिखाई देता है।
  • गंदला जल हल्का भूरा दिखाई पड़ता है।
  • नमी वाली भूमि शुष्क भूमि की अपेक्षा गहरे रंग की प्रतीत होती है।
  • खेतों की आभा का गहरापन फसलों की लंबाई पर निर्भर करता है।
  • गेहूं की पकी हुई फसल हल्के रंग की आभा देती है।
  • हरियाली गहरे भूरे से काले रंग के बीच की आभा होती है।
  • सड़कों की आभा रेलमार्गों की आभा से हल्की होती है।

2. आकृति (Shape)-वस्तुओं के आकार की पहचान कर पाना वायु फ़ोटो चित्रों के अध्ययन में सबसे महत्त्वपूर्ण होता है। आमतौर पर प्राकृतिक लक्षणों की अनियमित(Irregular) तथा मानवीय लक्षणों की आकृति नियमित होती है। उदाहरणतया नदियों, नालों, वनों, तालाबों, झीलों, मरुस्थलों, पर्वतों तथा तट रेखाओं आदि प्राकृतिक लक्षणों की आकृति अनियमित होती है जबकि मानवकृत वस्तुओं; जैसे भवन, खेत, सड़कें, नहरें, खेल के मैदान आदि नियमित आकार के होते हैं लेकिन इसके अपवाद भी हो सकते हैं। उदाहरणतः युद्ध की स्थिति में बैरकों, बंकरों, वाहनों, युद्ध सामग्रियों तथा जवानों को अनियमित रूप दे दिया जाता है जिसे छद्मावरण(Camouflage) कहते हैं ताकि वायुयान में बैठे शत्रु को सैनिक ठिकानों का आभास न हो सके।

3. आकार (Size)-तथ्यों के सापेक्षिक आकार से भी उनकी पहचान की जा सकती है। उदाहरणतः नहर पतली व सीधी दिखाई देती है जबकि नदी अपेक्षाकृत बड़ी और टेढ़ी-मेढ़ी दिखाई देती है। इसी प्रकार कारखाने लंबाकार व आवासीय भवन अपेक्षाकृत छोटे होते हैं।

4. गठन (Texture)-परती एवं बंजर भूमि सपाट व कहीं-कहीं धब्बों ये युक्त भूरे रंग की होती है। कृषि क्षेत्र की पहचान खेतों के आकार, मेढ़ तथा नहरों की स्थिति से की जा सकती है।

5. साहचर्य (Association)-तथ्यों के आस-पास स्थित अन्य तथ्यों से उनके संबंध के आधार पर भी तथ्यों की पहचान की जा सकती है। उदाहरणतः मानव अधिवास के क्षेत्र में सड़कें, गलियां एवं बाहर की ओर कृषि क्षेत्र मिलेगा। कृषि क्षेत्र में नहरों के होने की संभावना हो सकती है। पर्वतीय क्षेत्रों, वनों व नदियों और झीलों में भी साहचर्य पाया जाता है।

6. त्रिविमीय प्रतिरूप (Stereoscopic Pattern)-अतिव्यापन (Overlapping) वाले दो वायव फ़ोटो की सहायता से त्रिविमीय स्वरूप देखकर प्रदर्शित तथ्यों की पहचान आसानी से की जा सकती है। यह एक महत्त्वपूर्ण पान जाताना स का जा सकती है। यह एक महत्त्वपूर्ण विधि है, जिससे विवरणों की पहचान और विश्लेषण किया जा सकता है।

HBSE 11th Class Practical Work in Geography Solutions Chapter 6 वायव फोटो का परिचय

वायव फोटो का परिचय HBSE 11th Class Geography Notes

→ वायव फोटो (Air Photo) वायुयान अथवा हैलीकॉप्टर में लगे कैमरे द्वारा वायुमण्डल से खींची गई फोटो को वायव फोटो कहा जाता है।

→ फोटोग्राममिति (Photogrammetry)-वायव फोटो चित्रों से धरातलीय एवं अन्य सूचनाओं के मापन और चित्रण की कला और विज्ञान को फोटोग्राममिति कहा जाता है।

→ प्रतिबिंब निर्वचन (Imagery Interpretation) यह वस्तुओं के स्वरूपों को पहचानने तथा उनके सापेक्षिक महत्त्व से निर्णय लेने की प्रक्रिया है।

→ लम्बकोणीय प्रक्षेप (Orthogonal Projection) यह समान्तर प्रक्षेप की विशेष स्थिति है जिसमें मानचित्र, धरातल एवं लम्बकोणीय प्रक्षेप होते हैं।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *