HBSE 11th Class Geography Solutions Chapter 2 संरचना तथा भू-आकृति विज्ञान

Haryana State Board HBSE 11th Class Geography Solutions Chapter 2 संरचना तथा भू-आकृति विज्ञान Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 11th Class Geography Solutions Chapter 2 संरचना तथा भू-आकृति विज्ञान

HBSE 11th Class Geography संरचना तथा भू-आकृति विज्ञान Textbook Questions and Answers

बहुविकल्पीय प्रश्न

नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर का चयन करें-

1. करेवा भू-आकृति कहाँ पाई जाती है?
(A) उत्तरी-पूर्वी हिमालय
(B) पूर्वी हिमालय
(C) हिमाचल-उत्तराखण्ड हिमालय
(D) कश्मीर हिमालय
उत्तर:
(D) कश्मीर हिमालय

2. निम्नलिखित में से किस राज्य में ‘लोकताक’ झील स्थित है?
(A) केरल
(B) मणिपुर
(C) उत्तराखण्ड
(D) राजस्थान
उत्तर:
(B) मणिपुर

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3. अंडमान और निकोबार को कौन-सा जल क्षेत्र अलग करता है?
(A) 11° चैनल
(B) 10° चैनल
(C) मन्नार की खाड़ी
(D) अंडमान सागर
उत्तर:
(B) 10° चैनल

4. डोडाबेटा चोटी निम्नलिखित में से कौन-सी पहाड़ी श्रृंखला में स्थित है?
(A) नीलगिरि
(B) कार्डामम
(C) अनामलाई
(D) नल्लामाला
उत्तर:
(A) नीलगिरि

निम्नलिखित प्रश्नों के लगभग 30 शब्दों में उत्तर दें

प्रश्न 1.
यदि एक व्यक्ति को लक्षद्वीप जाना हो तो वह कौन-से तटीय मैदान से होकर जाएगा और क्यों?
उत्तर:
लक्षद्वीप अरब सागर में स्थित है। यह केरल तट से 280 से 480 कि०मी० की दूरी पर स्थित है। केरल तट मालाबार तट का ही भाग है। इनके बीच की दूरी 280 कि०मी० है। यदि किसी व्यक्ति को लक्षद्वीप जाना हो तो उसे मालाबार तट के मैदानी भाग से होकर जाना होगा, क्योंकि यही उसके लिए निकटतम दूरी वाला रास्ता होगा।

प्रश्न 2.
भारत में ठंडा मरुस्थल कहाँ स्थित है? इस क्षेत्र की मुख्य श्रेणियों के नाम बताएँ।
उत्तर:
भारत में ठंडा मरुस्थल कश्मीर हिमालय के उत्तरी-पूर्वी भाग में लद्दाख श्रेणी में स्थित है जो वृहत हिमालय और कराकोरम श्रेणियों के बीच स्थित है। वर्ष-भर तापमान निम्न रहने के कारण यह संपूर्ण क्षेत्र हिमाच्छादित रहता है। इसलिए यह क्षेत्र ठंडा मरुस्थल कहलाता है। इस क्षेत्र की मुख्य श्रेणियों के नाम हैं-कराकोरम श्रेणी, जास्कर श्रेणी, लद्दाख श्रेणी, पीरपंजाल श्रेणी आदि।

प्रश्न 3.
पश्चिमी तटीय मैदान पर कोई डेल्टा क्यों नहीं है?
उत्तर:
पश्चिमी तट पर बहने वाली मुख्य नदियाँ नर्मदा एवं ताप्ती हैं जो अरब सागर में गिरती हैं। ये नदियाँ डेल्टा न बनाकर ज्वारनदमुख बनाती हैं। इसलिए पश्चिमी तटीय मैदान पर कोई भी डेल्टा नहीं है। इसके मुख्य कारण निम्नलिखित हैं-

  • इन नदियों का अधिक तेजी से बहना।
  • इन नदियों के मार्ग की जल प्रवणता अधिक होना।
  • इन नदियों का एक भाग में बहना।

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 125 शब्दों में दीजिए

प्रश्न 1.
अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में स्थित द्वीप समूहों का तुलनात्मक विवरण प्रस्तुत करें।
उत्तर:
अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में स्थित द्वीप समूहों का तुलनात्मक विवरण इस प्रकार है-

अरब सागर में स्थित द्वीप समूह बंगाल की खाड़ी में स्थित द्वीप समूह
1. अरब सागर में स्थित प्रमुख द्वीप समूह हैं-लक्षद्वीप और मिनिकॉय। 1. बंगाल की खाड़ी में स्थित द्वीप समूह हैं-उत्तर में अंडमान और दक्षिण में निकोबार।
2. अरब सागर में लगभग 36 द्वीप हैं। 2. बंगाल की खाड़ी में लगभग 572 द्वीप हैं।
3. अरब सागर में स्थित द्वीप समूह 80° 12° उत्तर और 71° पूर्व से 74° पूर्व के बीच स्थित हैं। 3. बंगाल की खाड़ी में स्थित द्वीप समूह 6° उत्तर से 14° उत्तर और 92° पूर्व से 94° पूर्व के बीच स्थित हैं।
4. अरब सागर में स्थित लक्षद्वीप और मिनिकॉय का निर्माण प्रवाल निक्षेप से हुआ है। 4. बंगाल की खाड़ी में स्थित द्वीप समूह में जमग्न पर्वतों का हिस्सा है।
5. अरब सागर में स्थित द्वीप समूह पर तूफान निर्मित पुलिन हैं जिन पर अबद्ध गुटिकाएँ, शिंगिल गोलशिमकाएँ तथा गोलाश्म पूर्वी समुद्र तट पाए जाते हैं। 5. ये द्वीप असंगठित, कंकड़, पत्थरों व गोलाश्मों से बने हैं।
6. 9 डिग्री चैनल लक्षद्वीप कवरत्ती को मिनिकॉय से अलग करती है और 8 डिग्री चैनल मिनिकॉय द्वीप को मालद्वीप से अलग करती है। 6. 10 डिग्री चैनल लिटिल अण्डमान एवं कार निकोबार के बीच है। यह अण्डमान को निकोबार से अलग करती है।

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प्रश्न 2.
नदी घाटी मैदान में पाए जाने वाली महत्त्वपूर्ण स्थलाकृतियाँ कौन-सी हैं? इनका विवरण दें।
उत्तर:
नदी जब पर्वतीय भाग से उतरकर मैदानी भागों में बहती है तो कई प्रकार की स्थलाकृतियों का निर्माण करती है। अतः नदी घाटी मैदान में पाए जाने वाली महत्त्वपूर्ण स्थलाकृतियाँ इस प्रकार हैं-
1. जलोढ़ पंख तथा जलोढ़ शंकु (Alluvial Fans and Alluvial Cones) जब नदी पर्वतीय प्रदेश को छोड़कर मैदानी भाग में प्रवेश करती है तो एकदम मन्द हो जाता है जिससे जल की गति भी मन्द हो जाती है। इससे नदी की भार ढोने की शक्ति कम हो जाती है और उच्च पर्वतीय प्रदेशों से लाया हुआ तलछट वहीं पर जलोढ़ पंख जमा हो जाता है। परिणामस्वरूप नदी अपने नद-भार को पर्वतीय कंदरा के बाहर एक अर्धचन्द्राकार अथवा अर्ध वृत्ताकार रूप में फैला देती है जिसे जलोढ़ पंख कहते हैं।
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जलोढ़ पंख की चोटी (Apex) कन्दरा के मुख पर होती है। यहाँ पर नदी अपने आपको कई शाखाओं में बाँट लेती है। जलोढ़ पंखों के अनेक उदाहरण हिमालय, एण्डीज तथा आल्पस पर्वतों के गिरिपदीय क्षेत्रों में मिलते हैं। कई बार जलोढ़ पंखों पर नद-भार अधिक मात्रा में जमा हो जाता है जिससे इसका ढाल तीव्र हो जाता है। इस प्रकार की आकृति को जलोढ़ शंकु कहते हैं। जलोढ़ शंकु प्रायः अर्ध-शुष्क प्रदेशों में पाए जाते हैं।
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2. गुंफित नदी (Braided River)-नदी के निचले भाग में नदी की भार वहन क्षमता बहुत कम हो जाती है जिसके कारण नदी अपने तल पर ही निक्षेपण करने लगती है और उसकी धारा अवरुद्ध होने लगती है। इस प्रकार नदी की धारा अनेक शाखाओं में विभक्त होने लग जाती है तथा इन धाराओं का एक जाल-सा बन बिजलोट को जाता है जिसे गुंफित नदी कहा जाता है।

3. नदी विसर्प तथा गोखुर झील (River Meanders and Oxbow Lake)-जब नदी समतल मैदान में बहती है तो उसकी गति मंद हो जाती है। ऐसी स्थिति में यदि उसके रास्ते में थोड़ी-सी भी रुकावट पड़ जाए तो उसमें मोड़ पड़ जाता है। इन मोड़ों के अवतल किनारे पर नदी का वेग अधिक होता है जबकि उत्तल किनारे पर नदी अवतल किनारे पर अपरदन करती है तथा उत्तल किनारे पर निक्षेपण करती है। अतः एक बार मोड़ पड़ जाने पर उसमें वृद्धि होती रहती है। जब नदी में कई मोड़ पड़ जाते हैं तो वह साँप की भाँति बल खाती जाती है। इसलिए इसे नदी विसर्प कहा जाता है।
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गोखुर झील कालान्तर में विसर्प अधिक बड़े तथा घुमावदार हो जाते हैं और दो मोड़ों के बीच चित्र : नदी-विसर्प तथा गोखर पतली-सी ग्रीवा रह जाती है। जब पतली ग्रीवा कट जाती है तो छोड़े हुए भाग के मुख अवसादी झीलों का विकास निक्षेपण से बन्द हो जाते हैं। ऐसा छोड़ा हुआ भाग अपनी आकृति के कारण गोखुर झील कहलाता है। गंगा के मार्ग में कई गोखुर झीलें देखने को मिलती हैं।

4. प्राकृतिक तटबन्ध तथा बाढ़ का मैदान (Natural Levees and Flood Plains)-नदी का वेग किनारों पर कम तथा मध्य में अधिक होता है। अतः मैदानी भागों में नदी अपने तलछट का बहुत-सा भाग किनारों पर जमा करती है। किनारों पर निरन्तर तलछट के जमाव से वे ऊँचे हो जाते हैं और उनकी आकृति बाँधों जैसी हो जाती है। प्रकृति द्वारा बनाए गए नदी के उन बाँधों के आकार के किनारों को प्राकृतिक तटबन्ध (Natural Levees) कहते हैं। चीन की ह्वांग-हो नदी तथा संयुक्त राज्य अमेरिका की मिसीसिपी नदी के प्राकृतिक तटबन्ध विश्वविख्यात हैं।
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जब कभी वर्षा ऋतु में नदी में बाढ़ आती है तो नदी का जल प्राकृतिक तटबन्धों को पार करके या तोड़कर दूर-दूर तक फैल जाता है और अपने साथ लाई हुई सामग्री को बिछा देता है। इस प्रकार एक विस्तृत उपजाऊ मैदान का निर्माण होता है जिसे बाढ़ का मैदान (Flood Plains) कहते हैं; जैसे भारत में गंगा का मैदान तथा चीन में हांग-हो का मैदान।

5. डेल्टा (Delta)-नदी अपने मुहाने पर अपने साथ लाई हुई मिट्टी, कंकड़, पत्थर आदि जमा करती है। धीरे-धीरे उसके मुहाने पर मिट्टी की परत के ऊपर परत जमती चली जाती है और मुहाना चीरकर नई दलदली भूमि समुद्र में से बाहर निकल आती है जो डेल्टा कहलाती है।

प्रश्न 3.
यदि आप बद्रीनाथ से सुंदरवन डेल्टा तक गंगा नदी के साथ-साथ चलते हैं तो आपके रास्ते में कौन-सी मुख्य स्थलाकृतियाँ आएँगी?
उत्तर:
बद्रीनाथ उत्तराखण्ड के चमोली जिले की फूलों की घाटी के समीप है। यदि हम बद्रीनाथ से गंगा नदी के साथ-साथ सुंदरवन डेल्टा के लिए चलें तो हमें अनेक प्रकार की भू-आकृतियों से होकर जाना पड़ेगा। पर्वतीय क्षेत्रों में स्थित ऊँची-ऊँची चोटियों, गहरी घाटियों और 4 तीव्र ढाल वाले रास्तों या क्षेत्रों को पार करना पड़ेगा। रास्ते में आने वाली स्थलाकृतियाँ इस प्रकार होंगी

  • जब गंगा नदी हिमाचल पर्वत पर बहती है तो ‘V’ आकार की घाटी का निर्माण करती है।
  • जब यह नदी ‘V’ आकार की घाटी को गहरा करती है तो महाखड्ड का निर्माण करती है। इसके अतिरिक्त हिमालय पर्वत पर जल प्रपात और क्षिप्रिकाओं का भी निर्माण होता है।
  • जब गंगा नदी हिमाचल पर्वत से हरिद्वार के पास मैदानी भाग में उतरती है तो अनेक छोटे-छोटे कंकड़-पत्थर जमा करती है जिनसे जलोढ़ पंख का निर्माण होता है।
  • जैसे-जैसे यह नदी आगे बढ़ती है अपने दोनों किनारों पर अवसादों को जमा करती है जिनसे तटबंध का निर्माण होता है।
  • जब इसका बहाव कम हो जाता है तो यह टेढ़ी-मेढ़ी बहने लगती है जिससे विसर्प का निर्माण होता है। इसके अलावा रोधिका, गोखुर झीलों और गुंफित नदियों का भी निर्माण करती है।
  • जब गंगा नदी अपने मुहाने पर पहुँचती है तो विभिन्न शाखाओं में विभक्त होकर डेल्टा का निर्माण करती है।

इस प्रकार बद्रीनाथ से सुंदरवन डेल्टा तक हमें गंगा नदी द्वारा बनाई गई उपर्युक्त स्थलाकृतियाँ मिलेंगी। हरिद्वार के पास हमारा पर्वतीय मार्ग समाप्त हो जाएगा और मैदानी मार्ग आरंभ हो जाएगा। अंत में हम गंगा नदी निर्मित स्थलाकृतियों को पार कर सुंदरवन डेल्टा पहुँचेंगे।

संरचना तथा भू-आकृति विज्ञान HBSE 11th Class Geography Notes

→ अनुदैर्घ्य घाटी (Longitudinal Valley)-किसी पर्वत श्रृंखला के समानांतर एक घाटी जो शैल-स्तर के नतिलंब (Strike) के समानांतर पाई जाती है।

→ द्रोणी घाटी (Rift Valley)-भ्रंशन के उपरांत धरती के धंसाव या निकटवर्ती खंडों के उत्थान से बनी नदी घाटी।

→ उत्खंड (Horst)-पृथ्वी पर ऊपर उठा प्रखंड जो पठार के रूप में भ्रंशों के बीच से ऊपर उठता है।

→ भू-अभिनति (Syncline)-जल के उथले लंबे भाग जिसमें तलछटों का जमाव होता है।

→ वलन (Fold)-भू-पर्पटी के संपीडन बलों द्वारा उत्पन्न शैल-स्तर में एक मोड़।

→ संपीडन (Compression)-शैल-स्तरों पर विपरीत दिशाओं में पड़ने वाले बलों से उत्पन्न संकुचन।

→ भ्रंशन (Faulting)-पृथ्वी की आंतरिक हलचलों से शैलों में पड़ने वाली दरार।

→ निमज्जन (Subsidence)-भू-खंड का आन्तरिक हलचलों के कारण धंसाव।

→ विभंजन (Fracture)-तनाव या खिंचाव के कारण शैलों की परतों क टूटना।

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