Haryana State Board HBSE 11th Class Geography Important Questions Chapter 5 प्राकृतिक वनस्पति Important Questions and Answers.
Haryana Board 11th Class Geography Important Questions Chapter 5 प्राकृतिक वनस्पति
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
भाग-I : सही विकल्प का चयन करें
1. भारत का कितना क्षेत्रफल वनों के अंतर्गत आता है?
(A) 12.50%
(B) 15.49%
(C) 19.39%
(D) 33.25%
उत्तर:
(C) 19.39%
2. भारत में कुल कितने जीवमंडल निचय हैं?
(A) 9
(B) 12
(C) 14
(D) 16
उत्तर:
(C) 14
3. भारत में एक सींग वाले गैंडे कहाँ मिलते हैं?
(A) ओडिशा (उड़ीसा) में
(B) मध्य प्रदेश में
(C) असम में
(D) गुजरात में
उत्तर:
(C) असम में
4. भारत के सबसे बड़े क्षेत्र में किन वनों का फैलाव है?
(A) उष्ण कटिबंधीय पर्णपाती वनों का
(B) कंटीले वनों का
(C) उष्ण कटिबंधीय वर्षा वनों का
(D) डेल्टाई वनों का
उत्तर:
(A) उष्ण कटिबंधीय पर्णपाती वनों का
5. उष्ण कटिबंधीय पर्णपाती वनों के वृक्ष हैं
(A) सागोन
(B) साल
(C) नीम
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी
6. मैंग्रोव वन किन क्षेत्रों में पाए जाते हैं?
(A) डेल्टाई क्षेत्रों में
(B) पर्वतीय क्षेत्रों में
(C) मैदानी क्षेत्रों में
(D) मरुस्थलीय क्षेत्रों में
उत्तर:
(A) डेल्टाई क्षेत्रों में
7. कंटीली झाड़ियाँ किन क्षेत्रों में पाई जाती हैं?
(A) डेल्टाई क्षेत्रों में
(B) पर्वतीय क्षेत्रों में
(C) मैदानी क्षेत्रों में
(D) मरुस्थलीय क्षेत्रों में
उत्तर:
(D) मरुस्थलीय क्षेत्रों में
8. सुंदरवन जीव मंडल निचय किस राज्य में स्थापित है?
(A) पश्चिमी बंगाल में
(B) उत्तराखंड में
(C) मध्य प्रदेश में
(D) उत्तर प्रदेश में
उत्तर:
(A) पश्चिमी बंगाल में
9. भारत में पाई जाने वाली वनस्पति में बोरियल वनस्पति का अनुपात कितना है?
(A) 20%
(B) 30%
(C) 35%
(D) 40%
उत्तर:
(D) 40%
10. उष्ण कटिबंधीय सदाबहार वन क्षेत्रों में वर्षा की कितनी मात्रा पाई जाती है?
(A) 75 cm से कम
(B) 100 cm
(C) 150 cm
(D) 200 cm से अधिक
उत्तर:
(D) 200 cm से अधिक
11. भारत में बाघ विकास कार्यक्रम परियोजना की शुरुआत की गई
(A) सन् 1973 में
(B) सन् 1974 में
(C) सन् 1975 में
(D) सन् 1976 में
उत्तर:
(A) सन् 1973 में
12. गिर वन किस प्राणी की शरणस्थली है?
(A) मोर
(B) हाथी
(C) शेर
(D) बाघ
उत्तर:
(C) शेर
13. भारत का राष्ट्रीय पशु है-
(A) मोर
(B) हाथी
(C) शेर
(D) बाघ
उत्तर:
(D) बाघ
14. भारत का राष्ट्रीय पक्षी है
(A) मोर
(B) हाथी
(C) शेर
(D) बाघ
उत्तर:
(A) मोर
15. भारतीय वन्य जीवमंडल का गठन कब किया गया-
(A) सन् 1952 में
(B) सन् 1965 में
(C) सन् 1972 में
(D) सन् 1999 में
उत्तर:
(A) सन् 1952 में
16. वन्य जीव संरक्षण अधिनियम बनाया गया-
(A) सन् 1952 में
(B) सन् 1965 में
(C) सन् 1972 में
(D) सन् 1999 में
उत्तर:
(C) सन् 1972 में
17. हरा सोना कहा जाता है-
(A) कोयले को
(B) वृक्षों को
(C) पर्वतों को
(D) सागर को
उत्तर:
(B) वृक्षों को
18. महोगिनी उदाहरण है
(A) डेल्टाई वन का
(B) मरुस्थलीय वन का
(C) उष्ण कटिबंधीय सदाबहार वन का
(D) उष्णकटिबंधीय शुष्क वन का
उत्तर:
(C) उष्ण कटिबंधीय सदाबहार वन का
भाग-II : एक शब्द या वाक्य में उत्तर दें
प्रश्न 1.
नंदा देवी जीवमंडल निचय किस प्रांत में स्थित है?
उत्तर:
उत्तराखंड।
प्रश्न 2.
भारत में वन्य प्राणी अधिनियम कब पारित हुआ?
उत्तर:
सन् 1972 में।
प्रश्न 3.
भारतीय वन्य जीवमंडल का गठन कब किया गया?
उत्तर:
1952 में।
प्रश्न 4.
भारत में देशज अथवा स्थापित अथवा मौलिक वनस्पति कहाँ पाई जाती है?
उत्तर:
हिमालय तथा प्रायद्वीपीय क्षेत्र के अधिकांश भागों में।
प्रश्न 5.
भारत में चीनी-तिब्बती क्षेत्र से आने वाली वनस्पति को क्या कहा जाता है?
उत्तर:
बोरियल वनस्पति।
प्रश्न 6.
भारत में उष्ण कटिबन्धीय प्रदेशों से प्राप्त हुई वनस्पति को क्या कहा जाता है?
उत्तर:
पुराउष्ण कटिबन्धीय जात।
प्रश्न 7.
बाघ परियोजना कब आरंभ की गई?
उत्तर:
1973 में।
प्रश्न 8.
उष्ण कटिबन्धीय सदाबहार वन हमेशा हरे क्यों दिखाई पड़ते हैं?
उत्तर:
विभिन्न जातियों के वृक्षों के पत्ते गिरने का समय अलग-अलग होने के कारण।
प्रश्न 9.
उष्ण कटिबन्धीय पर्णपाती अथवा मानसूनी वन किन जलवायविक दशाओं में उगते हैं?
उत्तर:
वार्षिक वर्षा 100 से 200 सें०मी० तथा सारा वर्ष ऊँचा (24°C) तापमान।
प्रश्न 10.
भारत में पाई जाने वाली वनस्पति में बोरियल वनस्पति का अनुपात कितना है?
उत्तर:
40 प्रतिशत।
प्रश्न 11.
हिमालय में वनस्पति के प्रकार को सर्वाधिक प्रभावित करने वाला कारक कौन-सा है?
उत्तर:
ऊँचाई।
प्रश्न 12.
प्राकृतिक वनस्पति का दूसरा नाम क्या है?
उत्तर:
प्राकृतिक वनस्पति का दूसरा नाम अक्षत वनस्पति है।
प्रश्न 13.
वनस्पति जगत का क्या अर्थ है?
उत्तर:
वनस्पति जगत का अर्थ किसी विशेष क्षेत्र में किसी समय में पौधों की उत्पत्ति से है।
प्रश्न 14.
मरुस्थल में किस प्रकार की वनस्पति पाई जाती है?
उत्तर:
मरुस्थल में कांटेदार झाड़ियाँ पाई जाती हैं।
प्रश्न 15.
पर्वत की ढलानों पर किस प्रकार के वन पाए जाते हैं?
उत्तर:
पर्वत की ढलानों पर शंकुधारी वन पाए जाते हैं।
प्रश्न 16.
पर्वतीय वन कहाँ पाए जाते हैं?
उत्तर:
हिमाचल प्रदेश, उत्तराँचल तथा जम्मू और कश्मीर।
प्रश्न 17.
एक सींग वाले गैंडे कहाँ मिलते हैं?
उत्तर:
असम तथा पश्चिमी बंगाल के दलदल वाले क्षेत्रों में।
प्रश्न 18.
भारत में सबसे बड़े क्षेत्र पर कौन-से वन फैले हैं?
उत्तर:
भारत में सबसे बड़े क्षेत्र पर उष्ण कटिबंधीय पर्णपाती वन फैले हैं।
प्रश्न 19.
खजूर तथा नागफनी किस प्रकार के वनों की वनस्पति है?
उत्तर:
खजूर तथा नागफनी कंटीले वनों की वनस्पति है।
प्रश्न 20.
सिमलीपाल जीव मंडल निचय कौन-से राज्य में स्थित है?
उत्तर:
ओडिशा में।
प्रश्न 21.
भारत में हाथी कहाँ पाए जाते हैं?
उत्तर:
भारत में हाथी असम, कर्नाटक तथा केरल में पाए जाते हैं।
प्रश्न 22.
भारत में जंगली गधे कहाँ मिलते हैं?
उत्तर:
भारत में जंगली गधे कच्छ के रन में मिलते हैं।
प्रश्न 23.
भारत में याक कहाँ पाए जाते है?
उत्तर:
भारत में याक लद्दाख की बर्फीली ऊँचाइयों पर पाए जाते हैं।
अति-लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
भारत का कितना क्षेत्रफल वनों के अन्तर्गत आता है?
उत्तर:
19.39 प्रतिशत अथवा 637.3 लाख हैक्टेयर।
प्रश्न 2.
वन किन भौगोलिक कारकों की देन होते हैं?
उत्तर:
जलवायु (धूप एवं वर्षा), समुद्र तल से ऊँचाई तथा भू-गर्भिक संरचना।
प्रश्न 3.
उष्ण कटिबन्धीय सदाबहार वनों के कुछ प्रमुख वृक्षों के नाम बताओ।
उत्तर:
ताड़, महोगनी, रबड़, बाँस, बेंत तथा आबनूस।
प्रश्न 4.
डेल्टाई वनों के अन्य नाम बताइए।
उत्तर:
दलदली वन, ज्वारीय वन, मैंग्रोव वन।
प्रश्न 5.
डेल्टाई वनों के कुछ प्रमुख वृक्षों के नाम बताइए।
उत्तर:
ताज, ताड़, बेंत, नारियल, रोज़ोफरोश, सोनेरिटा व फीनिक्स इत्यादि।
प्रश्न 6.
प्राकृतिक वनस्पति किसे कहते हैं?
उत्तर:
वह वनस्पति जो बिना मनुष्य की सहायता के किसी प्रदेश में अपने-आप उग आती है।
प्रश्न 7.
औषधि देने वाले पाँच पौधों के नाम लिखें।
उत्तर:
- नीम
- तुलसी
- आंवला
- सर्प गंधा
- जामुन।
प्रश्न 8.
उष्ण कटिबंधीय वर्षा वनों के तीन वृक्षों के नाम लिखें।
उत्तर:
उष्ण कटिबंधीय वर्षा वनों के तीन वृक्षों के नाम महोगनी, रोजवुड और रबड़ है।
प्रश्न 9.
देशज वनस्पति किसे कहते हैं?
उत्तर:
वह वनस्पति जो मूलरूप से भारतीय हो, उसे देशज वनस्पति कहते हैं।
प्रश्न 10.
विदेशज वनस्पति किसे कहते हैं?
उत्तर:
जो वनस्पति विदेशों से भारत में आई है, उसे विदेशज वनस्पति कहते हैं।
प्रश्न 11.
हिमरेखा के पास वनस्पति के विकास की दशाएँ कैसी होती हैं?
उत्तर:
भारी ठण्ड के कारण वृक्षों में गाँठे पड़ जाती हैं और उनका विकास अवरुद्ध हो जाता है।
प्रश्न 12.
वृक्षों को ‘हरा सोना’ क्यों कहा जाता है?
उत्तर:
उनके आर्थिक, औद्योगिक एवं पर्यावरणीय महत्त्व के कारण।
प्रश्न 13.
पारिस्थितिक तंत्र किसे कहते हैं?
उत्तर:
प्राकृतिक वातावरण एवं उसमें रहने वाले जीव आपस में घुल-मिलकर रहते हैं। इसी व्यवस्था को पारिस्थितिक तंत्र कहते हैं। मनुष्य भी इस पारिस्थितिक तंत्र का अभिन्न अंग है।
प्रश्न 14.
भारत के चार ‘जीवमण्डल निचय’ के नाम लिखिए।
उत्तर:
- नीलगिरी जीवमण्डल निचय
- मानस जीवमण्डल निचय
- सुंदरवन जीवमण्डल निचय
- नंदा देवी जीवमण्डल निचय।।
प्रश्न 15.
भारत में पादपों तथा जीवों का वितरण किन तत्त्वों द्वारा निर्धारित होता है?
उत्तर:
- धरातल
- मृदा
- तापमान
- वर्षण
- सूर्य का प्रकाश।
प्रश्न 16.
कोई दो वन्य प्राणियों के नाम बताइए जो कि उष्ण कटिबंधीय वर्षा और पर्वतीय वनस्पति में मिलते हैं?
उत्तर:
- उष्ण कटिबंधीय वर्षा वन-हाथी और बंदर
- पर्वतीय वन बारहसिंगा और याक।
प्रश्न 17.
संकटमयी जातियों तथा दुर्लभ जातियों में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
1. संकटमयी जातियाँ इस श्रेणी में वे जातियाँ आती हैं जो चारों ओर से खतरों से घिरी हुई हैं, उनके विलुप्त होने की पूरी सम्भावना है।उनकी संख्या बहुत थोड़ी रह गई है और उनका आवास भी काफी नष्ट हो चुका है।
2. दुर्लभ जातियाँ ये वे जातियाँ हैं जो संख्या में बहुत कम हैं और कुछ ही आवासों में जीवित हैं। उनके जीवन को तुरन्त कोई खतरा नहीं है, किन्तु उनके नष्ट होने की पूरी सम्भावना है।
लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
संकटापन्न जीवों के संरक्षण के लिए क्या उपाय किए जा रहे हैं? संकटापन्न जातियों के कुछ उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
भारत में संकटापन्न जातियों के संरक्षण के लिए विशेष उपाय किए जा रहे हैं। इसके लिए वन्य प्राणियों की गणना की जाती है तथा उन जीवों की नवीनतम स्थिति और प्रवृत्ति का अनुमान लगाया जाता है। बाघ संरक्षण के लिए टाइगर प्रोजैक्ट योजना चलाई गई है जिसमें बाघों के आवास को बचाया जाता है तथा उनकी संख्या के स्तर को बनाए रखा जाता है। संकटापन्न जातियाँ-बाघ, गैण्डा, समुद्री गाय।
प्रश्न 2.
वन्य-जीवन के महत्त्व पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
उत्तर:
1. आर्थिक महत्त्व-वन्य-जीवन से हमें अनेक उत्पादों की प्राप्ति होती है। अनेक जानवरों का उपयोग खेती, परिवहन तथा बोझा ढोने में किया जाता है।
2. पारिस्थितिक तन्त्र का नियमन वन्य-जीवन (पौधे और प्राणी) अपनी संख्या सन्तुलित तो रखते ही हैं, बल्कि खाद्य-शृंखला तथा प्राकृतिक चक्रों को भी नियमित करते हैं।
3. जीन बैंक के रूप में वन्य-जीवन में कुछ बहुत उपयोगी जीन होते हैं। फसलों की उत्तम जातियाँ उत्पन्न करने के लिए वैज्ञानिकों को उत्तम जीन वाले पौधों की ज़रूरत होती है। इसी प्रकार रोग-प्रतिरोधी पौधे उत्पन्न करने के लिए भी उत्तम जीनों की आवश्यकता होती है।
4. अनुसन्धान-पौधे तथा जन्तु बायो मेडिकल अनुसन्धान के अभिन्न अंग हैं।
5. मनोरंजनात्मक महत्त्व प्राणियों के व्यवहार को प्राकृतिक वातावरण में देखना अच्छा लगता है। पक्षी शरणस्थल तथा बड़े-बड़े एक्वेरियम मनुष्य का मन मोह लेते हैं। इससे मनुष्य का मनोरंजन होता है तथा पर्यटन का भी विकास होता है।
प्रश्न 3.
वन्य-जीव (संरक्षण) अधिनियम का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर:
सन् 1972 में वन्य-जीव (संरक्षण) अधिनियम बनाया गया जिसके अन्तर्गत-
- वन्य जीवन को वैधानिक संरक्षण
- वन्य प्राणियों के शिकार पर प्रतिबन्ध
- चोरी से शिकार करने वालों को कठोर दण्ड का प्रावधान
- शेर, बाघ, गेंडे व हाथियों के शिकार को दण्डनीय अपराध घोषित करना
- दुर्लभ व समाप्त हो रही प्रजातियों के व्यापार पर रोक (शाहतूश की शालों के व्यापार पर रोक)
- वन्य जीवों की सुरक्षा के लिए समिति गठित करना जैसे प्रावधान किए गए।
प्रश्न 4.
वनस्पति जात और वनस्पति में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
वनस्पति जात और वनस्पति में निम्नलिखित अन्तर हैं-
वनस्पति ज्ञात | वनस्पति |
1. किसी विशिष्ट प्रदेश अथवा युग के पेड़-पौधों की विभिन्न जातियाँ, जिन्हें एक वर्ग में रखा जा सकता है, ‘बनस्पति जात’ कहलाती हैं। | 1. किसी विशिष्ट पर्यावरण में पनपने वाले पेड़-पौधों की विभिन्न जातियों के समूह को ‘वनस्पति’ कहते हैं। |
2. पर्यावरण में भिन्नता के कारण पेड़-पौधों की विभिन्न जातियाँ उगती और बढ़ती हैं। | 2. एक जैसे पर्यावरण में पाये जाने वाले विभिन्न पेड़-पौधे एक दूसरे के साहचर्य में पनपते हैं। |
3. परस्पर मिलती-जुलती पेड़-पौधों की विभिन्न जातियों को एक वर्ग में रखा जाता है और उस वर्ग का एक विशेष नाम होता है; जैसे भारत में पाए जाने वाले चीनी-तिब्बती क्षेत्र से प्राप्त पेड़-पौधों की जातियों के वर्ग को बोरियल कहते हैं। | 3. वनस्पति एक प्रदेश में विविध दृश्यावली प्रस्तुत करती है, जैसे-घास-भूमि, वनस्थली व झाड़ियाँ इत्यादि। |
प्रश्न 5.
“मैंग्रोव वन सम्पन्न पारिस्थितिक तन्त्र हैं।” संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
मैंग्रोव अपने आप में समृद्ध और सम्पन्न पारिस्थितिक तन्त्र (Eco-system) हैं। अत्यधिक नमी, पर्याप्त धूप, गले-सड़े जैव पदार्थों से प्राप्त पोषक तत्त्व, नदियों के बहते जल से प्राप्त खनिजांश की बहुतायत के कारण ये वन जीवन के अनेक रूपों के पैदा होने, फलने व बढ़ने की अनकल प्राकृतिक दशाएँ प्रदान करते हैं। घने पत्तों (Foliage) की छाय में उलझी हुई मज़बूत जड़ों की सुरक्षा के कारण ये वृक्ष असंख्य जीव-जन्तुओं, कीड़े-मकौड़ों, मछलियों, झींगों व अन्य जलीय जीवों के विकास, विशेष रूप से उनके प्रजनन काल में आश्रय-स्थली का काम करते हैं। ज्वारीय जल के संचरण के समय ये वृक्ष अपनी जड़ों के जाल से मुलायम कीचड़ को रोककर मिट्टी के पोषक तत्त्वों को कार्य समुद्र में न जाने देकर मृदा-संरक्षण में अनूठी भूमिका निभाते हैं।
प्रश्न 6.
चिड़ियाघर (Z00) तथा राष्ट्रीय उद्यान (National Park) में अंतर बताइए।
उत्तर:
चिड़ियाघर-चिड़ियाघर वह स्थान है, जहाँ पर जंगली पशु तथा पक्षी रखे जाते हैं। इन्हें पिंजरों में बंद रखा जाता है और नियमित समय पर भोजन दिया जाता है। राष्ट्रीय उद्यान-इसमें वनस्पति तथा पशु-पक्षियों को संरक्षित रखा जाता है। इसमें वन्य-प्राणियों को प्राकृतिक वातावरण में जीवन-निर्वाह करने दिया जाता है। इसमें पशु-पक्षी अपने भोजन की व्यवस्था उन्हीं सीमाओं में स्वयं करते हैं, जहाँ उन्हें संरक्षण प्रदान किया जाता है।
प्रश्न 7.
वनस्पति और वन में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
वनस्पति और वन में निम्नलिखित अन्तर हैं-
वनस्पति | वन |
1. किसी विशिष्ट पर्यावरण में पनपने वाले पेड़-पौधों की विभिन्न जातियों के समूह को ‘वनस्पति’ कहते हैं। | 1. पेड़-पौधों से ढके हुए विशाल प्रदेश को ‘बन’ कहा जाता है। |
2. एक जैसे पर्यावरण में पाए जाने वाले विभिन्न पेड़-पौधे एक दूसरे के साहचर्य में पनपते हैं। | 2. वन से तात्पर्य परस्पर निकट उगने वाले पेड़ों से है। |
3. बनस्पति एक प्रदेश में विविध दृश्यावली प्रस्तुत करती है, जैसे-घास-भूमि, वनस्थली व झाड़ियाँ इत्यादि। | 3. वन सामान्यतः एक ही प्रकार के पेड़ों की दृश्यावली प्रस्तुत करते हैं; जैसे-पर्णपाती वन, शंकु-धारी वन, सदाबहार वन इत्यादि। |
प्रश्न 8.
घास और झाड़ियों में क्या अन्तर हैं?
उत्तर:
घास और झाड़ियों में निम्नलिखित अन्तर हैं-
घास | झाड़ियाँ |
1. यह आर्द्र उष्ण कटिबन्ध तथा मानसून प्रदेशों में उगती है। | 1. ये मरुस्थलीय क्षेत्रों में उगती हैं। |
2. यह पशुओं के लिए चारे के रूप में प्रयोग होती है। | 2. आर्थिक दृष्टि से इनका कोई विशेष महत्त्व नहीं होता। |
3. घास के मैदान कृषि की दृष्टि से उपजाऊ होते हैं। | 3. झाड़ियों वाले मरुस्थलीय क्षेत्रों में कृषि सम्भव नहीं है। |
4. यह हरी-भरी होती है। | 4. ये प्रायः कांटेदार होती हैं। |
5. इसकी ऊँचाई कुछ सें०मी० से लेकर कुछ मीटरों तक होती है। | 5. इनकी ऊँचाई प्रायः मीटरों में मापी जा सकती है। |
प्रश्न 9.
सदाबहार तथा डेल्टाई वन में अन्तर बताइए।
उत्तर:
सदाबहार तथा डेल्टाई वन में निम्नलिखित अन्तर हैं-
सदाबहार वन | डेल्टाई वन |
1. ये बन पश्चिमी तटीय मैदान, असम, मेघालय, नगालैण्ड, मणिपुर तथा पश्चिमी बंगाल में पाए जाते हैं। | 1. ये बन गंगा, ब्रह्मपुत्र, महानदी, गोदावरी, कृण्गा तथा कावेरी आदि नदियों के डेल्टा प्रदेशों में पाए जाते हैं। |
2. ये अधिक वर्षा वाले क्षेत्र में पाए जाते हैं। | 2. ये उपजाऊ डेल्टाई मिट्टी के प्रदेशों में पाए जाते हैं। |
3. इन वनों में ताड़, महोगनी तथा सिनकोना वृक्ष अधिक मिलते हैं। | 3. इनमें सुन्दरी, नारियल तथा मैंग्रोव वृक्ष अधिक हैं। |
4. इन वनों में उपयोगी वृक्ष कम होते हैं। | 4. ये वन उपयोगी होते हैं। |
प्रश्न 10.
वनों का आर्थिक महत्त्व बताइए।
उत्तर:
भारत के वनों के आर्थिक महत्त्व का वर्णन निम्नलिखित प्रकार से है-
1. वन्नों की मुख्य उपजें-वनों से ईंधन तथा इमारती लकडी प्राप्त होती है। इन वनों में साल, सागवान तथा देवदार की लकडी इमारतों के काम के लिए महत्त्वपूर्ण समझी जाती है।
2. वनों की सामान्य उपजें वनों से अनेक वस्तुएँ प्राप्त होती हैं। वृक्षों की छाल से चमड़ा रंगने का काम लिया जाता है। चंदन की लकड़ी से सुगंधित तेल प्राप्त होता है। वनों से अनेक प्रकार की जड़ी-बूटियाँ प्राप्त होती हैं। कुनैन तथा रबड़ जैसी उपयोगी वस्तुएँ भी वनों से प्राप्त होती हैं।
3. माँस, खाल तथा सींगों की प्राप्ति-वन प्रदेश शिकार के लिए उत्तम स्थान होते हैं, जहाँ शिकारी लोग शिकार करने जाते हैं। इनमें माँस, खाल, सींग इत्यादि वस्तुएँ प्राप्त होती हैं।
4. वनों पर निर्भर उद्योग-वन संबंधी उद्योग भारत की अर्थव्यवस्था के अंग हैं। भारतीय वनों पर आधारित मुख्य उद्योग; जैसे रेशम के कीड़े पालना, कागज़ उद्योग, लाख इकट्ठा करना, दियासलाई उद्योग, नारियल संबंधी उद्योग, प्लाईवुड उद्योग, रेयान उद्योग, खेल का सामान बनाना, फर्नीचर बनाना तथा औषधि आदि हैं।
निबंधात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
भारत में पाई जाने वाली प्राकृतिक वनस्पति (वनों) का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए। [B.S.E.H. March, 2017]
अथवा
भारत के मानचित्र पर पाँच प्रकार के वनों का वर्णन करें।
उत्तर:
भारत में मुख्यतः पाँच प्रकार के वन पाए जाते हैं जिनका वर्णन निम्नलिखित है-
1. उष्ण कटिबंधीय वर्षा वन-ये वन पश्चिमी घाटों के अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों, अंडमान और निकोबार द्वीप, लक्षद्वीप समूहों, असम के ऊपरी भागों और तमिलनाडु के तट तक सीमित हैं। ये उन क्षेत्रों में भली-भाँति विकसित हैं जहाँ 200 सें०मी० से अधिक वर्षा के साथ कुछ समय के लिए शुष्क ऋतु पाई जाती है। क्योंकि ये क्षेत्र साल भर गर्म और आर्द्र रहते हैं, इसीलिए यहाँ हर प्रकार की वनस्पति-झाड़ियाँ, वृक्ष व लताएँ उगती हैं और वनों में इनकी विभिन्न ऊँचाइयों से कई स्तर देखने को मिलते हैं। वृक्षों में पतझड़ होने का कोई निश्चित समय नहीं होता। अतः ये वन साल भर हरे-भरे लगते हैं। इन वनों में पाए जाने वाले व्यापारिक महत्त्व के कुछ वृक्ष आबनूस (एबोनी), महोगनी, रोजवुड, रबड़ और सिंकोना हैं।
2. उष्ण कटिबंधीय पर्णपाती वन-ये वन भारत में सबसे अधिक क्षेत्र में फैले हुए हैं। इन वनों को मानसूनी वन भी कहते हैं और ये उन क्षेत्रों में विस्तृत हैं जहाँ 70 सें०मी० से 200 सें०मी० तक वर्षा होती है। इन वनों के वृक्ष शुष्क ग्रीष्म ऋतु में छः से आठ सप्ताह के लिए अपनी पत्तियाँ गिरा देते हैं।
देश के पूर्वी भागों, उत्तरी-पूर्वी राज्यों, हिमालय के गिरिपद प्रदेशों, पश्चिमी ओडिशा (उड़ीसा), छत्तीसगढ़, झारखंड तथा पश्चिमी घाटों के पूर्वी ढालों तक ये वन पाए जाते हैं। सागोन इन वनों की अधिक प्रमुख वृक्ष प्रजाति है। वर्ब, अर्जुन, साल, शीशम, बांस, रवैर, कुसुम, चंदन, तथा शहतूत के वृक्ष व्यापारिक महत्त्व वाले हैं।
3. कंटीले वन तथा झाड़ियाँ-जिन क्षेत्रों में वर्षा 70 सेंमी० से भी कम होती है, वहाँ प्राकृतिक वनस्पति में कंटीले वन और झाड़ियाँ पाई जाती हैं। इस प्रकार की वनस्पति देश के उत्तरी-पश्चिमी भागों में पाई जाती है जिनमें छत्तीसगढ़, गुजरात, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश तथा हरियाणा के अर्द्ध-शुष्क क्षेत्र सम्मिलित हैं। अकासिया, खजूर (पाम), यूफोरबिया तथा नागफनी (कैक्टाई) यहाँ के पौधों की मुख्य प्रजातियाँ हैं।
4. पर्वतीय वन-
(i) आई शीतोष्ण कटिबंधीय वन-ये वन 1000 मी० से 2000 मी० तक की ऊँचाई वाले क्षेत्रों में पाए जाते हैं। इन वनों में चौड़ी पत्ती वाले ओक तथा चेस्टनट वृक्ष पाए जाते हैं।
(ii) शंकुधारी वन-ये वन 1500 मी० से 3000 मी० की ऊँचाई वाले क्षेत्रों में पाए जाते हैं। चीड़, देवदार, सिल्वर-फर, स्यूस, सीडर इन वनों में पाए जाने वाले मुख्य वृक्ष हैं।
(ii) शीतोष्ण कटिबंधीय वन एवं घास के मैदान ये वन और घास के मैदान 3000 मी० से 3600 मी० की ऊँचाई तक के प्रदेशों में पाए जाते हैं।
(iv) अल्पाइन वन-3600 मी० से अधिक ऊंचाई पर इस प्रकार के वन पाए जाते हैं। सिल्वर-फर, जूनिपर, पाइन व बर्च इन वनों के मुख्य वृक्ष हैं।
5. मैंग्रोव वन-यह वनस्पति तटवर्तीय क्षेत्रों, जहाँ ज्वार-भाटा आते हैं, की महत्त्वपूर्ण वनस्पति है। मिट्टी एवं बालू रित) इन तटों पर एकत्रित हो जाती है। मैंग्रोव एक प्रकार की ऐसी वनस्पति है जिसमें पौधों की जड़ें पानी में डूबी रहती हैं। ये वन ब्रह्मपुत्र, गंगा, गोदावरी, महानदी, कावेरी तथा कृष्णा नदियों के डेल्टा प्रदेशों में पाए जाते हैं। सुंदरवन इस प्रकार के वनों का प्रमुख उदाहरण है। इस वन में सुंदरी नामक वृक्ष पाया जाता है। इसलिए इस वन को सुंदरवन के नाम से जाना जाता है। यह वन गंगा-ब्रह्मपुत्र नदियों के डेल्टा प्रदेश में स्थित है।
प्रश्न 2.
भारतीय वन्य जीवों की विविधता पर भौगोलिक टिप्पणी कीजिए।
उत्तर:
अपनी विशिष्ट भौगोलिक स्थिति, जलवायु के प्रकारों तथा विविध स्थलाकृतियों के कारण भारत में बड़ी संख्या में नाना प्रकार के वन्य-जीव पाए जाते हैं। अब तक विश्व में ज्ञात जीव-जन्तुओं की एक-तिहाई प्रजातियाँ भारत में विद्यमान हैं।
1. स्तनपायी जीव (Mammals) भारत के स्तनपायी जीवों में हाथी का महत्त्वपूर्ण स्थान है। हाथी मुख्यतः केरल, कर्नाटक तथा असम में पाया जाता है। यह उष्ण व आर्द्र जलवायु का जीव है। इसके अतिरिक्त गोर (Indian Bison) भारतीय भैंस, नील गाय, ऊँट, चौ सिंगा, भारतीय जंगली गधा, काला हिरण तथा एक सींग वाला गैंडा इत्यादि अन्य महत्त्वपूर्ण स्तनपायी जीव हैं जो भारत में पाए जाते हैं। हिरण की यहाँ अनेक जातियाँ पाई जाती हैं; जैसे कस्तूरी मृग, हांगुल, दलदली हिरण, चीतल, शामिन तथा पिसूरी।
2. माँसाहारी जीव (Carnivores)-माँसाहारी जीवों में एशियाई सिंह (Asiatic Lion), बाघ (चीता), तेंदुआ, लमचीता या बदली तेंदुआ, साह (Showleopard) तथा छोटी बिल्लियाँ प्रमुख हैं। शेर (सिंह) मुख्यतः गुजरात के गिर (Gir) वन क्षेत्र में पाया जाता है। संसार में अफ्रीका के बाहर पाया जाने वाला यह एकमात्र स्थान है जहाँ शेर पाए जाते हैं। अपनी शान (Majesty) और शक्ति (Power) के लिए प्रसिद्ध बाघ (Tiger) को राष्ट्रीय पशु होने का गौरव हासिल है। दुनिया में पाई जाने वाली बाघ की आठ प्रजातियों में बंगाल के सुन्दरवन क्षेत्र में पाया जाने वाला ‘बंगाल टाइगर’ की बात ही कुछ और है।
3. बन्दर (Monkeys)-भारत में बन्दर की अनेक प्रजातियाँ पाई जाती हैं जिनमें लंगूर प्रमुख है। भारत का एकमात्र कपिहुलक गिब्बन उत्तरी-पूर्वी भारत के वर्षा वनों (Rain Forests) में पाया जाता है। शेर जैसी पूँछ वाला बन्दर जिसके चेहरे पर बालों का एक घेरा होता है, दक्षिण भारत में पाया जाता है।
4. हिमालय के जीव-जन्तु (Himalayan Wild Life)-हिमालय में वास करने वाले प्राणियों में जंगली भेड़, पहाड़ी बकरी, बड़े सींगों वाली पहाड़ी बकरी (Ibeso), मार खोर, छबूंदर, तापिर, साह तथा छोटा पांडा उल्लेखनीय हैं।
5. पक्षी (Birds) भारत में अनेक प्रकार के रंग-बिरंगे पक्षी पाए जाते हैं। मोर हमारा राष्ट्रीय पक्षी है। अन्य पक्षी तीतर, कोयल, बटेर, बत्तख, तोते, कबूतर, सारस, धनेश, शकरखोरा, बैया, चकोर तथा दर्जी पक्षी इत्यादि हैं।
6. अन्य प्राणी भारत में अनेक प्रकार के सरीसृप व उभयचर पाए जाते हैं। जलचरों में मछलियाँ, कछुए, मगरमच्छ व घड़ियाल प्रमुख हैं। घड़ियाल केवल भारत में पाए जाते हैं। गिरगिट, अनेक प्रकार की छिपकलियाँ, जहरीले नाग, अत्यन्त विषैले करेल तथा विषहीन धामिन जैसे साँप, भारत के वन्य-जीवन की विविधता को बढ़ाते हैं। बिना रीढ़ वाले प्राणियों में एक कोशिका वाले प्रोटोजोआ से लेकर कंटक देही प्राणी तक शामिल हैं। कीड़े, मकौड़ों व मोलस्क के भी यहाँ अनेक प्रकार पाए जाते हैं।
प्रश्न 3.
वन्य जीव संरक्षण के लिए राष्ट्रीय स्तर पर क्या कदम उठाए गए हैं? वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारत में वन्य प्राणियों के बचाव की परिपाटी बहुत प्राचीन है। पंचतन्त्र और जंगल बुक इत्यादि की कहानियाँ हमारे । वन्य प्राणियों के प्रति प्रेम का उदाहरण प्रस्तुत करती हैं।
स्वतन्त्रता-प्राप्ति के पश्चात् देश में वन्य जीवन संरक्षण के लिए अनेक प्रभावी कदम उठाए गए-
(1) सन् 1952 में भारतीय वन्य जीवमण्डल (Indian Board for Wild Life-IBWL) का गठन किया गया।
(2) सन् 1972 में वन्य जीव (संरक्षण) अधिनियम बनाया गया जिसके अन्तर्गत-
(i) वन्य जीवन को वैधानिक संरक्षण
(ii) वन्य प्राणियों के शिकार पर प्रतिबन्ध
(iii) चोरी से शिकार करने वालों को कठोर दण्ड का प्रावधान
(iv) शेर, बाघ, गेंडे व हाथियों के शिकार को दण्डनीय अपराध घोषित करना
(v) दुर्लभ व समाप्त हो रही प्रजातियों के व्यापार पर रोक (शाहतूश की शालों के व्यापार पर रोक)
(vi) वन्य जीवों की सुरक्षा के लिए समिति गठित करना जैसे प्रावधान किए गए। इस अधिनियम को 1991 में पूर्णतया संशोधित कर दिया गया जिसके अन्तर्गत कठोर सजा का प्रावधान किया गया है। इसमें कुछ पौधों की प्रजातियों को बचाने तथा संकटापन्न प्रजातियों के संरक्षण का प्रावधान है।
(vii) सन् 1980 में वन (संरक्षण) विधेयक द्वारा केन्द्रीय शासन की अनुमति के बिना किसी भी जंगल का किसी भी कार्य के लिए विनाश वर्जित किया गया।
(viii) अत्यधिक संकटापन्न जातियों के पुनर्वास के लिए विशेष परियोजनाएँ चलाई गईं; जैसे बाघ परियोजना, हिमचीता परियोजना, गेंडा परियोजना, लाल पांडा परियोजना, घड़ियाल प्रजनन तथा पुनर्वास परियोजना, गिर शेर शरण स्थल परियोजना, कस्तूरी मृग परियोजना, हंगुल परियोजना, मणिपुर थामिन परियोजना इत्यादि। लखनऊ के निकट कुकरैल के जंगल में बारहसिंघों, जंगली कुत्तों तथा लोमड़ी आदि के लिए पुनर्वास केन्द्र स्थापित किया गया है।
इन परियोजनाओं का मुख्य उद्देश्य भारत में इन प्राणियों की जनसंख्या का स्तर बनाए रखना है जिससे वैज्ञानिक, सौन्दर्यात्मक, सांस्कृतिक और पारिस्थितिक मूल्य बनाए रखे जा सकें। इससे प्राकृतिक धरोहर को भी संरक्षण मिलेगा। भारत में ‘वन्य जीवन’ की सुरक्षा के लिए जीव आरक्षित क्षेत्र स्थापित किए गए हैं। देश में लगभग 103 नेशनल पार्क और 535 वन्य प्राणी अभयवन हैं।
प्रश्न 4.
वनों के प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष लाभ क्या हैं?
उत्तर:
प्रत्यक्ष लाभ-वनों के प्रत्यक्ष लाभ निम्नलिखित हैं-
- वनों से ईंधन के लिए लकड़ी प्राप्त होती है।
- वनों से हमें इमारती तथा फर्नीचर बनाने के लिए लकड़ी मिलती है।
- वनों से भेड़-बकरियाँ पाली जाती हैं।
- वनों से बहुत-से लोगों को रोजगार मिलता है; जैसे लकड़ी काटना, चीरना तथा ढोना आदि।
- वनों से अनेक प्रकार की जड़ी-बूटियाँ प्राप्त होती हैं।
- वनों से सरकार को भी आय होती है।
- वनों से बहुत-सी उपयोगी वस्तुएँ; जैसे गोंद, सुपारी, तारपीन का तेल, लाख तथा मोम आदि प्राप्त होती हैं।
- अनेक प्रकार के उद्योग-धंधे; जैसे खेल का सामान, कागज़ बनाने का सामान, रेयान कपड़ा, प्लाईवुड आदि वनों पर आधारित हैं।
अप्रत्यक्ष लाभ-वनों के अप्रत्यक्ष लाभ निम्नलिखित हैं-
- वन वर्षा लाने में सहायक होते हैं।
- वन पर्यावरण को शुद्ध रखते हैं।
- वन बाढ़ की भयंकरता को कम करते हैं।
- वन प्राकृतिक सौंदर्य को बढ़ाते हैं।
- वन भूमि कटाव को रोकने में सहायक होते हैं।
- वन भूमि की उर्वरता को बनाए रखने में सहायक होते हैं।
- वन कहीं-कहीं पर दो देशों की प्राकृतिक सीमा भी बनाते हैं; जैसे भारत और बर्मा की सीमा।
प्रश्न 5.
प्रमुख जीव-मण्डल निचय के नामों को भारत के मानचित्र में दर्शाएँ।
अथवा
भारत के मानचित्र पर पाँच प्रकार के जीवमंडल निचय प्रदर्शित करें।
उत्तर:
प्रमुख जीव-मण्डल निचय के नाम निम्नलिखित तालिका में स्पष्ट किए गए हैं-
कम सें | जीव-मण्डल निचय का नाम | स्थिति (प्रदेश/राज्य) |
1. | नीलगिरी | बायनाद, नगरह्नेल, बांदीपुर, मुदुमलार्इ, निलंबूर, सायलेंट वैली और सिरुवली पहाड़ियाँ (तमिलनाडु, केरल और कर्नाटक)। |
2. | नंदा देवी | चमोली, पिथौरागढ़ और अल्मोड़ा जिलों के भाग (उत्तराखंड)। |
3. | मानस | कोकराझार, बोगाई गांव, बरपेटा, नलबाड़ी कामरूप व दारांग जिलों के हिस्से (असम) । |
4. | सुंदरवन | गंगा-व्रह्मपुत्र नदी तंत्र का डेल्टा व इसका हिस्सा (पश्चिम बंगाल)। |
5. | नोकरेक | गारो पहाड़ियों का हिस्सा (मेघालय)। |
6. | मन्नार की खाड़ी | भारत और श्रीलंका के बीच स्थित मन्नार की खाड़ी का भारतीय हिस्सा (तमिलनाह)। |
7. | ग्रेट निकोबार | अंडमान-निकोबार के सुदूर दक्षिणी द्वीप (अंडमान निकोबार द्वीप समूह)। |
8. | कच्छ | गुजरात राज्य के कच्छ, राजकोट, सुरेन्द्रनगर और पाटन ज़िलों के भाग। |
9. | कोल्ड डेज़र्ट | हिमाचल प्रदेश में स्थित पिनवैली राष्ट्रीय पार्क और आस-पास के क्षेत्र, चंद्रताल, सारचू और किब्यर वन्यजीव अभयारण्य। |
10. | अचनकमर-अमरकटंक | मध्य प्रदेश में अनुपुर और दिन दोरी जिलों के भाग और छत्तीसगढ़ में बिलासपुर जिले का भाग। |
11. | सिमिलीपाल | मयूरभंज जिले के भाग (ओडिशा)। |
12. | डिन्नू-साईकोवा | डित्रूगढ़ और तिनसुकिया जिलों के भाग (असम)। |
13. | दिहांग-देबांग | अरुणाचल प्रदेश में सियांग और देबांग जिलों के भाग। |
14. | कंचनजंचा | उत्तर और पश्चिम सिक्किम के भाग। |
15. | पंचमड़ी | बेनूल, होशंगाबाद और छिंदवाड़ा जिलों के भाग (मध्य प्रदेश)। |
16. | अगस्त्यमलाई | केरल में अगस्त्यथीमलाई पहाड़ियाँ। |