Haryana State Board HBSE 11th Class Geography Important Questions Chapter 4 महासागरों और महाद्वीपों का वितरण Important Questions and Answers.
Haryana Board 11th Class Geography Important Questions Chapter 4 महासागरों और महाद्वीपों का वितरण
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
भाग-I : सही विकल्प का चयन करें
1. महाद्वीपों की स्थिरता की विचारधारा को खारिज कर प्रतिस्थापना परिकल्पना प्रस्तुत करने वाले विद्वान् का क्या नाम था?
(A) फ्रांसिस बेकन
(B) एफ०बी० टेलर
(C) अल्फ्रेड वेगनर
(D) ओंटानियो पैलीग्रिनी
उत्तर:
(C) अल्फ्रेड वेगनर
2. पेंजिया का अर्थ है-
(A) संपूर्ण जल
(B) संपूर्ण भूमि
(C) संपूर्ण वायुमण्डल
(D) संपूर्ण जैवमण्डल
उत्तर:
(B) संपूर्ण भूमि
3. टेथिस से अभिप्राय है-
(A) पैंथालसा से बाहर निकली कटक
(B) पेंजिया के मध्य स्थित उथली भू-सन्नति
(C) अटलांटिक महासागर में स्थित अंतःसमुद्री कटक
(D) कार्बोनिफेरस युग की खारे पानी की झील
उत्तर:
(B) पेंजिया के मध्य स्थित उथली भू-सन्नति
4. किस बल के प्रभावाधीन उत्तरी अमेरिका और दक्षिणी अमेरिका यूरोप और अफ्रीका से अलग हो गए?
(A) द्रव के उछाल से
(B) ज्वारीय बल से
(C) अपकेंद्री बल से
(D) अभिकेंद्री बल से
उत्तर:
(B) ज्वारीय बल से
5. निम्नलिखित में से कौन-सी मुख्य प्लेट नहीं है?
(A) अफ्रीकी
(B) अंटार्कटिक
(C) यूरेशियाई
(D) अरेबियन
उत्तर:
(D) अरेबियन
6. टेथिस के उत्तर में स्थित लारेशिया भू-खंड में निम्नलिखित में से कौन-सा प्रदेश शामिल नहीं था?
(A) यूरेशिया
(B) ऑस्ट्रेलिया
(C) ग्रीनलैंड
(D) उत्तरी अमेरिका
उत्तर:
(B) ऑस्ट्रेलिया
7. वेगनर के अनुसार कार्बोनिफेरस युग में दक्षिणी ध्रुव कहां स्थित था?
(A) टेरा डेल फ्यूगो में
(B) सान साल्वेडोर में
(C) नेटाल (डरबन) में
(D) मेलबोर्न में
उत्तर:
(C) नेटाल (डरबन) में
8. पर्वतों और महाद्वीपीय चापों की उत्पत्ति के संबंध में निम्नलिखित में कौन-सा कथन वेगनर का नहीं है?
(A) पश्चिमी द्वीप समूह की उत्पत्ति उत्तरी अमेरिका व दक्षिणी अमेरिका के पश्चिमी प्रवाह के कारण हुई
(B) रॉकीज व एंडीज पर्वतों का जन्म प्रशांत महासागर की तली के उत्थान से हुआ
(C) एशिया महाद्वीप के पश्चिम की ओर प्रवाह के कारण क्यूराइल, जापान व फिलीपींस द्वीपों की उत्पत्ति हुई
(D) हिमालय पर्वत टेथिस भू-सन्नति में जमा जलोढ़ से बना है।
उत्तर:
(B) रॉकीज व एंडीज पर्वतों का जन्म प्रशांत महासागर की तली के उत्थान से हुआ
9. वेगनर ने अपनी प्रतिस्थापना परिकल्पना में ब्राजील के उभार को किस भू-खंड के साथ मिलाने की बात की है?
(A) बंगाल की खाड़ी से
(B) अफ्रीका में गिनी की खाड़ी से
(C) अरब प्रायद्वीप से
(D) उपर्युक्त में से कोई भी नहीं
उत्तर:
(B) अफ्रीका में गिनी की खाड़ी से
10. वेगनर ने अंटार्कटिका में कोयले के भंडारों की उपस्थिति के लिए कौन-सा साक्ष्य प्रस्तुत किया है?
(A) प्राचीनकाल में कोयले का निर्माण ठंडे प्रदेशों में भी संभव था
(B) कभी सूर्य अंटार्कटिका पर सीधा चमकता था, इसलिए वह उष्ण कटिबंध था
(C) अंटार्कटिका कभी निम्न अक्षांशों में स्थित था, बाद में ध्रुव की ओर चला गया
(D) कोयला विस्थापित होकर उष्ण कटिबंध से कटिबंध से अंटार्कटिका की ओर चला गया
उत्तर:
(C) अंटार्कटिका कभी निम्न अक्षांशों में स्थित था, बाद में ध्रुव की ओर चला गया
11. वेगनर के अनुसार महाद्वीपीय विस्थापन जिस दिशा में हुआ, वह है
(A) भूमध्य रेखा व उत्तरी ध्रुव
(B) भूमध्य रेखा व पश्चिमी ध्रुव
(C) भूमध्य रेखा व दक्षिणी ध्रुव
(D) भूमध्य रेखा व पूर्व ध्रुव
उत्तर:
(B) भूमध्य रेखा व पश्चिमी ध्रुव
12. यूनानी भाषा के शब्द ‘टेक्टोनिकोज़’ का क्या अर्थ है?
(A) भू-आकार
(B) दरार का बनना
(C) निर्माण या रचना
(D) विनाश या विध्वंस
उत्तर:
(C) निर्माण या रचना
13. निम्नलिखित में से किस विषय का अध्ययन प्लेट विवर्तनिकी में नहीं किया जाता?
(A) बाढ़ का मैदान
(B) ज्वालामुखी क्रिया
(C) वलन
(D) विभंजन
उत्तर:
(A) बाढ़ का मैदान
14. पुराचुंबकत्व के बारे में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(A) पृथ्वी एक छड़ चुंबक की तरह व्यवहार करती है; यह बात विलियम गिलबर्ट ने बताई थी
(B) उत्तर-दक्षिण रेखा तथा चुंबकीय उत्तर-दक्षिण रेखा के बीच विद्यमान दिशाकोणीय अंतर चुंबकीय दिकपात कहलाता है
(C) चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता या बल स्थायी रहता है
(D) वर्तमान में भू-चुंबकीय अक्ष पृथ्वी के परिभ्रमण अक्ष के साथ 11/2° का कोण बनाता है
उत्तर:
(C) चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता या बल स्थायी रहता है
15. महाद्वीपीय नितल के प्रसरण की संकल्पना का प्रतिपादन किसने किया था?
(A) वाहन एव मैथ्यूज़ ने
(B) हैरी एच० हैस व रॉबर्ट एस० डीज़ ने
(C) कॉक्स व डोयल ने
(D) मैसन ने
उत्तर:
(B) हैरी एच० हैस व रॉबर्ट एस० डीज़ ने
16. ‘प्लेट’ शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग किस वैज्ञानिक ने किया?
(A) पी० मककैनी
(B) आर०एल० पार्कर
(C) जे० टूजो विल्सन
(D) डीज़
उत्तर:
(C) जे० टूजो विल्सन
17. निम्नलिखित में से कौन-सा एक स्थलमण्डल का भाग नहीं है?
(A) सियाल
(B) साइमा
(C) निचला मेंटल स्तर
(D) ऊपरी मेंटल स्तर
उत्तर:
(C) निचला मेंटल स्तर
18. प्लास्टिक दुर्बलतामण्डल किसे कहा जाता है?
(A) महाद्वीपीय पटल को
(B) महासागरीय बेसाल्ट पटल को
(C) निचले मेंटल को
(D) भू-क्रोड को
उत्तर:
(C) निचले मेंटल को
19. एक-दूसरे से दूर जाने वाली प्लेटों को कहा जाता है-
(A) अभिसारी प्लेटें
(B) अपसारी प्लेटें
(C) संरक्षी प्लेटें
(D) विस्थापित प्लेटें
उत्तर:
(B) अपसारी प्लेटें
20. मृत सागर की निम्न भूमि किन सीमाओं द्वारा बनी दरार घाटी है?
(A) अपसारी सीमाओं द्वारा
(B) पारवर्ती सीमाओं द्वारा
(C) अभिसारी सीमाओं द्वारा
(D) उपर्युक्त में से कोई भी नहीं
उत्तर:
(B) पारवर्ती सीमाओं द्वारा
21. रॉकीज व एंडीज़ पर्वतों का निर्माण किस प्रकार के अभिसरण से हुआ था?
(A) महासागर →← महासागर
(B) महाद्वीप → ← महासागर
(C) महाद्वीप → ← महाद्वीप
(D) उपर्युक्त में से कोई भी नहीं
उत्तर:
(B) महाद्वीप → ← महासागर
22. प्लूम अथवा तप्त स्थल के बारे में कौन-सा कथन असत्य है?
(A) प्लूम संक्रमण क्षेत्र से 670 कि०मी० नीचे उत्पन्न होते हैं
(B) प्लूम के ऊपर प्लेट का जो भाग आता है, गर्म होने लगता है
(C) एक प्लूम 10 करोड़ वर्ष तक सक्रिय रहता है
(D) प्लूम के ऊपर स्थित प्लेट पर ज्वालामुखी उद्भेदन की संभावना समाप्त हो जाती है
उत्तर:
(D) प्लूम के ऊपर स्थित प्लेट पर ज्वालामुखी उद्भेदन की संभावना समाप्त हो जाती है
भाग-II : एक शब्द या वाक्य में उत्तर दें
प्रश्न 1.
पैंजिया का क्या अर्थ है?
उत्तर:
संपूर्ण भूमि।
प्रश्न 2.
वेगनर के अनुसार सारा विस्थापन किस महाद्वीप के संदर्भ में हुआ?
उत्तर:
अफ्रीका।
प्रश्न 3.
1912 ई० में ‘महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धांत किसने प्रस्तुत किया?
उत्तर:
जर्मन मौसमविद अल्फ्रेड वेगनर ने।
प्रश्न 4.
‘पैंथालासा’ का क्या अर्थ है?
उत्तर:
जल ही जल या संपूर्ण जल।
प्रश्न 5.
‘रिंग ऑफ फायर’ किस महासागर को कहा जाता है?
उत्तर:
प्रशांत महासागर को।
प्रश्न 6.
वेगनर के अनुसार कार्बोनिफेरस युग में दक्षिणी ध्रुव कहाँ स्थित था?
उत्तर:
नेटाल (डरबन) में।
प्रश्न 7.
यूनानी भाषा के शब्द ‘टेक्टोनिकोज़’ का क्या अर्थ है?
उत्तर:
निर्माण या रचना।
प्रश्न 8.
महाद्वीपीय नितल के प्रसरण की संकल्पना का प्रतिपादन किसने किया था?
उत्तर:
हैरी एच० हैस व रॉबर्ट एस० डीज़ ने।
प्रश्न 9.
‘प्लेट’ शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग किस वैज्ञानिक ने किया?
उत्तर:
जे० टूजो विल्सन।
प्रश्न 10.
प्लास्टिक दुर्बलतामण्डल किसे कहा जाता है?
उत्तर:
निचले मेंटल को।
प्रश्न 11.
एक-दूसरे से दूर जाने वाली प्लेटों को क्या कहा जाता है?
उत्तर:
अपसारी प्लेटें।
प्रश्न 12.
प्लेटों में गति क्यों होती है?
उत्तर:
प्लेटों का संचलन तापीय संवहन क्रिया द्वारा होता है।
प्रश्न 13.
संवहन धारा सिद्धान्त किस पर आधारित था?
उत्तर:
शैलों की रेडियोधर्मिता पर।
प्रश्न 14.
वेगनर ने महाद्वीपीय विस्थापन का सिद्धान्त कब प्रस्तुत किया?
उत्तर:
सन् 1912 में।
प्रश्न 15.
पैंजिया के भू-खण्डों का विस्थापन कब शुरू हुआ?
उत्तर:
15 करोड़ वर्ष पूर्व इयोसिन युग में।
प्रश्न 16.
प्लेट विवर्तन का सिद्धान्त किस बारे में है?
उत्तर:
महाद्वीपों और महासागरों की उत्पत्ति के बारे में है।
अति-लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
महाद्वीप किसे कहते हैं?
उत्तर:
समुद्र तल से ऊपर उठे पृथ्वी के विशाल भू-खंड महाद्वीप कहलाते हैं। विश्व में सात महाद्वीप हैं।
प्रश्न 2.
महासागर किसे कहते हैं?
उत्तर:
सीमांत सागरों; जैसे भूमध्य सागर व कैरेबियन सागर, बाल्टिक सागर इत्यादि को छोड़कर महासागरीय द्रोणियों में एकत्रित जल के विस्तार को महासागर कहते हैं।
प्रश्न 3.
अपसारी प्लेटें क्या हैं?
उत्तर:
जब दो प्लेटें एक-दूसरे से विपरीत दिशा में अलग हटती हैं, तो उन्हें अपसारी प्लेटें कहा जाता है।
प्रश्न 4.
अभिसरण क्या है?
उत्तर:
जब कुछ प्लेटें एक-दूसरे की तरफ बढ़कर निकट आती हैं और आपस में टकराती हैं तो इसे अभिसरण कहा जाता है।
प्रश्न 5.
समुद्री नितल का प्रसरण क्या होता है?
उत्तर:
महासागरीय द्रोणी का फैलना या चौड़ा होना समुद्री नितल का प्रसरण कहलाता है।
प्रश्न 6.
प्लेट सीमान्त कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर:
प्लेट सीमान्त तीन प्रकार के होते हैं-
- अपसरण सीमान्त
- अभिसरण सीमान्त तथा
- पारवर्ती सीमान्त।
प्रश्न 7.
पृथ्वी की प्रमुख प्लेटों का नाम बताइए।
उत्तर:
- प्रशान्तीय प्लेट
- यूरेशियाई प्लेट
- इण्डो-ऑस्ट्रेलियन प्लेट
- अफ्रीकन प्लेट
- उत्तरी अमेरिकन प्लेट
- दक्षिण अमेरिकन प्लेट
- अंटार्कटिक प्लेट।
प्रश्न 8.
पैंथालासा क्या था?
उत्तर:
पैंजिया के चारों तरफ एक महासागर फैला हुआ था जिसका नाम थालासा’ था। पैथालासा का अर्थ है-‘सम्पूर्ण जल’।
प्रश्न 9.
अभिसारी (अभिसरण) तथा अपसारी प्लेटों में क्या अन्तर होता है?
उत्तर:
अभिसरण प्लेट-जब कुछ प्लेटें एक-दूसरे की ओर बढ़कर निकट आती हैं और आपस में टकराती हैं, तो इसे अभिसरण कहते हैं। ऐसी प्लेटों को अभिसरण प्लेट (Convergent Plates) और उनके बीच वाले किनारों को अभिसरण किनारे कहा जाता है।
अपसरण प्लेट-प्लेटों के एक-दूसरे से दूर जाने की स्थिति को अपसरण तथा ऐसी प्लेटों को अपसारी प्लेटें (Divergent Plates) कहते हैं। इन प्लेटों के किनारों को अपसारी किनारे कहते हैं।
प्रश्न 10.
पारवर्तन क्या होता है?
उत्तर:
जब दो भू-प्लेटें ट्रांसफार्म भ्रंश के सहारे क्षैतिज दिशा में संचालित होती है, तो ऐसी प्लेटों को पारवर्ती प्लेटें और उनके किनारों को पारवर्ती किनारे कहा जाता है।
प्रश्न 11.
हिमयुग (हिमकाल) किसे कहते हैं?
उत्तर:
लाखों वर्षों तक ग्रीनलैण्ड तथा अण्टार्कटिका की तरह महाद्वीपों के अधिकतर क्षेत्र बर्फ की मोटी चादर से ढके हुए थे। पृथ्वी पर इस अवधि को हिमकाल कहते हैं। बर्फ की ये मोटी-मोटी चादरें कुछ ही हज़ार वर्ष पहले पिघल गईं तथा महासागरों के जल स्तर में वृद्धि हो गई।
प्रश्न 12.
प्लेट गति के तीन कारण कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
- संवहन धाराएँ
- गुरुत्व बल
- चट्टानों का भार।
प्रश्न 13.
प्लेटों की प्रमुख गतियाँ कौन-कौन-सी हैं?
उत्तर:
- अभिसरण
- अपसरण
- परावर्तन।
प्रश्न 14.
मल महाद्वीप का क्या नाम था? यह कब बना?
उत्तर:
मूल महाद्वीप का नाम पैंजिया था। इसका निर्माण कार्बनिक कल्प में आज से 280 मिलियन वर्ष पहले हुआ था।
प्रश्न 15.
पैंजिया से पृथक होने वाले उत्तरी तथा दक्षिणी महाद्वीपों का नाम लिखिए।
उत्तर:
उत्तरी महाद्वीप का नाम लारेशिया तथा दक्षिणी महाद्वीप का नाम गोण्डवानालैण्ड था।
प्रश्न 16.
गोण्डवानालैण्ड में कौन-कौन-से भू-खण्ड शामिल थे?
उत्तर:
गोण्डवानालैण्ड में दक्षिणी अमेरिका, अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया तथा अंटार्कटिका नामक भू-खण्ड शामिल थे।
प्रश्न 17.
महासागरीय तल का प्रसरण क्या होता है?
उत्तर:
विपरीत दिशा में जाने से प्लेटों के बीच अन्तर आ जाता है। गहरे मैन्टल से तप्त मैग्मा संवाहित होकर ऊपर उठता है और उस अन्तर में भर जाता है। इस प्रकार अपसारी सीमाओं में नवीन रचनात्मक प्लेट का निर्माण होता है और महासागरीय तल (Floor) का प्रसरण (Spreading) होता रहता है।
प्रश्न 18.
महासागरों की उत्पत्ति किस प्रकार हुई?
उत्तर:
जब पृथ्वी अपने निर्माण की आरम्भिक अवस्था में थी तब वायुमण्डल की गरम गैसों के ठण्डा होने पर उनसे घने और विशाल बादल बने। इन बादलों ने हजारों वर्षों तक पृथ्वी पर वर्षा की। वर्षा का यह जल बहकर द्रोणियों में चला गया। इस प्रकार पृथ्वी पर महासागरों की उत्पत्ति हुई।
लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
प्लेट विवर्तन सिद्धान्त (Theory of Plate Tectonics) से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
प्लेट विवर्तनिकी शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग टूज़ो विल्सन (Tuzo Wilson) ने सन् 1965 में किया था और प्लेट विवर्तन सिद्धान्त का पहली बार प्रतिपादन मोरगन ने सन् 1967 में किया था। महाद्वीपों और महासागरों की उत्पत्ति का यह सिद्धान्त वास्तव में वेगनर के महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धान्त का संशोधित रूप है। इस सिद्धान्त के अनुसार पृथ्वी सात मुख्य प्लेटों में बँटी हुई है। ये प्लेटें अर्द्ध-तरल (Semi-liquid) अधःस्तर पर तैर रही हैं, जिसके कारण इन प्लेटों में आन्तरिक गतियाँ होती हैं और प्लेटें खिसकती रहती हैं। इन्हीं प्लेटों द्वारा भू-आकृतियों का निर्माण होता है। संवहन क्रिया द्वारा ये भू-प्लेटें खिसकती हैं तथा इनके साथ-साथ महाद्वीप भी गति करते हैं।
प्रश्न 2.
प्लेटों की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
प्लेटों की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
- किसी भी प्लेट की पर्पटी महाद्वीपीय, महासागरीय अथवा दोनों प्रकार की मिश्रित भी हो सकती है।
- प्लेटें आपस में कभी दूर व कभी पास होती रहती हैं।
- प्रत्येक प्लेट का क्षेत्र उसकी मोटाई से ज्यादा होता है।
- विवर्तन की सभी घटनाएँ; जैसे भूकम्प, ज्वालामुखी तथा पर्वत निर्माण आदि इन्हीं प्लेटों के किनारों पर घटित होती हैं।
प्रश्न 3.
प्लेटों की गति के मुख्य कारण कौन-से हैं?
उत्तर:
सभी प्लेटें स्वतन्त्र रूप से पृथ्वी के दुर्बलता-मण्डल (Asthenosphere) पर भिन्न-भिन्न दिशाओं में भ्रमण (Wandering) करती रहती हैं। प्लेटों का भ्रमण पृथ्वी के आन्तरिक भागों में ऊष्मा की भिन्नता के कारण उत्पन्न होने वाली संवहन धाराओं के कारण होता है। कई विद्वान् संवहन धाराओं के साथ-साथ गुरुत्व बल (Gravity) तथा चट्टान भार (Weight of Rocks) को भी प्लेटों के संचलन का कारण मानते हैं।
प्रश्न 4.
अभिसरण (Convergence) और अपसरण (Divergence) में क्या अन्तर होता है?
अथवा
अभिसारी तथा अपसारी प्लेटों में क्या अन्तर होता है?
उत्तर:
अभिसरण-जब कुछ प्लेटे एक-दूसरे की ओर बढ़कर निकट आता ह आर आपस मट की ओर बढ़कर निकट आती हैं और आपस में टकराती हैं, तो इसे अभिसरण कहते हैं। ऐसी प्लेटों को अभिसरण प्लेट (Convergent Plates) और उनके बीच वाले किनारों को अभिसरण किनारे कहा जाता है।
अपसरण-प्लेटों के एक-दूसरे से दूर जाने की स्थिति को अपसरण तथा ऐसी प्लेटों को अपसारी प्लेटें (Divergent Plates) कहते हैं। इन प्लेटों के किनारों को अपसारी किनारे कहते हैं।
प्रश्न 5.
पारवर्तन क्या होता है और इसका क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
जब दो भू-प्लेटें ट्रांसफार्म भ्रंश के सहारे क्षैतिज दिशा में संचालित होती है, तो ऐसी प्लेटों को पारवर्ती प्लेटें और उनके किनारों को पारवर्ती किनारे कहा जाता है। ये संरक्षी अथवा निष्क्रिय (Conservative or Passive) किनारे होते हैं। इसमें नवीन स्थलों का न तो निर्माण होता है और न विनाश। हाँ, परस्पर सरकने से स्थलमण्डल में दरारें भी पड़ती हैं और भूकम्प भी आते हैं।
प्रश्न 6.
“साम्य स्थापना” पर टिप्पणी कीजिए।
उत्तर:
विश्व में जलवायु, वनस्पति और चट्टानों के वितरण के आधार पर वेगनर ने यह सिद्ध करने का प्रयास किया है कि महाद्वीप पैंजिया से टूटकर विस्थापित हुए हैं। वर्तमान महाद्वीपों को पुनः जोड़कर पैंजिया का रूप दिया जा सकता है। वेगनर ने इसे साम्य-स्थापना (Jig-saw-fit) का नाम दिया है।
(1) अटलांटिक महासागर के पूर्वी और पश्चिमी तटों के बीच चट्टानों की संरचना में अद्भुत एवं त्रुटि-रहित साम्य दिखाई देता है। दक्षिणी अमेरिका के पूर्वी तट को अफ्रीका के पश्चिमी तट से मिला दिया जाए, तो वे एकाकार दिखने लगेंगे। इसी प्रकार, उत्तरी अमेरिका के पूर्वी तट को यूरोप के पश्चिमी तट से मिलाया जा सकता है।
(2) इसी प्रकार पूर्वी अफ्रीका में इथिओपिया का उभार (Bulge) पश्चिमी भारत तथा पाकिस्तान की तट रेखा से जोड़ा जा सकता है। ऑस्ट्रेलिया भी बंगाल की खाड़ी में फिट बैठ सकता है।
प्रश्न 7.
भौतिक परिवेश भूमण्डलीय तन्त्र के रूप में संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए
उत्तर:
पृथ्वी पर स्थलमण्डल, जलमण्डल, वायुमण्डल और जैवमण्डल से ही भौतिक परिवेश का निर्माण होता है। पर्यावरण के सभी अंग ऊर्जा (Energy) तथा पदार्थ (Matter) के प्रवाह द्वारा एक-दूसरे से गहरे जुड़े हुए हैं। अतः किसी भी भौतिक तथ्य को अन्य तथ्यों से अलग करके नहीं समझा जा सकता। उदाहरणतया जल एक भौतिक तथ्य है, जो भौतिक परिवेश के सभी अंगों स्थलमण्डल, जलमण्डल, वायुमण्डल और जैवमण्डल में संचरित (Circulate) होता रहता है, अतः जल का अध्ययन सम्पूर्ण प्राकृतिक परिवेश से अलग नहीं किया जा सकता। एक सम्पूर्ण इकाई के रूप में प्रकृति अत्यन्त जटिल है। सुविधा के लिए इसका खण्डों में अध्ययन हो सकता है, परन्तु ऐसा करते समय प्राकृतिक वातावरण के रूप में पृथ्वी की अखण्डता की अनदेखी नहीं करनी चाहिए।
प्रश्न 8.
पैंजिया की उत्पत्ति कब हुई? इसमें कौन-कौन से भू-खण्ड शामिल थे? पैंजिया में ‘टूट’ की क्रिया कैसे आरम्भ हुई?
अथवा
पैंजिया का क्या अर्थ है? इसके विभिन्न भागों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
पैंजिया का अर्थ है संपूर्ण पृथ्वी। लगभग 35 करोड़ साल पहले अन्तिम कार्बोनिफ़रस युग में सभी महाद्वीप आपस में जुड़े हुए थे। इस विशाल स्थलखण्ड का नाम वेगनर ने पैंजिया रखा। मध्य जुरैसिक कल्प अर्थात् अब से लगभग 20 करोड़ वर्ष पूर्व पैंजिया दो भागों में बँट गया। इसका उत्तरी भाग लारेशिया तथा दक्षिणी भाग गोण्डवानालैण्ड कहलाया। लगभग 6.5 करोड़ वर्ष पहले अर्थात् क्रिटेशस कल्प के अन्त में गोण्डवानालैण्ड फिर से खण्डित हुआ और इससे कई महाद्वीपों; जैसे दक्षिणी अमेरिका, अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया और अण्टार्कटिका की रचना हुई। भारत इस गोण्डवानालैण्ड से टूटकर स्वतन्त्र रूप से एक अलग पथ पर उत्तर पूर्व की ओर अग्रसर हुआ।
प्रश्न 9.
प्रवालों (Corals) की उपस्थिति किस प्रकार सिद्ध करती है कि भू-खण्ड उत्तर की ओर विस्थापित हुए थे?
उत्तर:
प्रवाल एक चूना-स्रावी समुद्री पॉलिप होता है जो छिछले उष्ण कटिबन्धीय सागरों में पाया जाता है। इस लघु समुद्री जीव का कंकाल कठोर होता है जिसकी रचना समुद्र के पानी से प्राप्त कैल्शियम कार्बोनेट से होती है। उष्ण कटिबन्ध के बाहर प्रवालों का पाया जाना इस बात का सबल प्रमाण है कि प्राचीन भू-वैज्ञानिक काल में ये महाद्वीप भूमध्य रेखा के निकट स्थित थे। महाद्वीप उत्तर की ओर खिसके हैं और वे आज भिन्न जलवायु का अनुभव कर रहे हैं।
प्रश्न 10.
ध्रुवों के घूमने अथवा ‘पोलर वान्डरिंग’ से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
भू-वैज्ञानिक काल में ध्रुवों की बार-बार बदलती हुई स्थिति को ध्रुवों का घूमना (Polar Wandering) कहा जाता है। लगभग 35 करोड़ वर्ष पहले सभी महाद्वीप पैंजिया के रूप में आपस में जुड़े हुए थे। पुरा चुम्बकत्व के प्रमाण बताते हैं कि मैग्मा, लावा तथा असंगठित अवसादों में उपस्थित चुम्बकीय गुणों वाले खनिज; जैसे मैग्नेटाइट, हैमेटाइट, इल्मेनाइट और पाइरोटाइट आदि इसी गुण के कारण उस समय के चुम्बकीय क्षेत्र के समानान्तर एकत्र हो गए। यह गुण शैलों में स्थायी गुण के रूप में रह जाता है। चुम्बकीय ध्रुव की स्थिति में कालिक (Temporal) परिवर्तन होता रहा है, जो शैलों में स्थायी चुम्बकत्व के रूप में अभिलेखित किया जाता है। आज ऐसी अनेक वैज्ञानिक विधियाँ उपलब्ध हैं जो पुरानी शैलों में हुए ऐसे परिवर्तनों को उजागर कर सकती है तथा प्राचीनकाल में ध्रुवों की बदलती हुई स्थिति की जानकारी दे सकती हैं।
प्रश्न 11.
भारतीय प्लेट की प्रमुख विशेषताओं का संक्षिप्त उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
भारतीय प्लेट की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
- हिन्द महासागर के नितल पर ऊँचे पठारों और कटकों सहित नाना प्रकार की स्थलाकृतियाँ पाई जाती हैं।
- 90 ईस्ट कटक तथा चैगोस-मालदीव-लक्षद्वीप द्वीपीय कटक ज्वालामुखी क्रिया के केन्द्र हैं।
- 90 ईस्ट का उत्तरी विस्तार एक महासागरीय खाई में समाप्त हो जाता है।
- चैगोस-लक्षद्वीप कटक 5 करोड़ साल पहले आदि नूतन कल्प में कार्ल्सबर्ग कटक को दक्षिण-पूर्वी इण्डियन कटक से जोड़ती थी।
मध्य हिन्द महासागर कटक का विस्तार तेजी से अर्थात 14 से 20 सें०मी० प्रतिवर्ष हो रहा है। - कार्ल्सबर्ग तथा दक्षिण-पूर्व हिन्द महासागर कटक के जुड़ने के बाद यूरेशियम प्लेट व भारतीय प्लेट का उत्तर में टकराव हुआ जिससे हिमालय पर्वत श्रेणी का जन्म हुआ।
प्रश्न 12.
पैंजिया, पैन्थालसा और टेथीज़ के बारे में लिखें।
उत्तर:
प्रो० अलफ्रेड वेगनर ने अपने विस्थापन सिद्धान्त में यह स्पष्ट किया है कि पृथ्वी पर महाद्वीपों की जो स्थिति आज है, वह पहले ऐसी नहीं थी। इस सिद्धान्त के अनुसार, आज से लगभग 35 करोड़ वर्ष पहले कार्बोनिफरस युग में सभी महाद्वीप एक स्थल खण्ड के रूप में मिले हुए थे जिसे पैंजिया कहते थे। यह पैंजिया चारों ओर से ‘पैन्थालसा’ नामक सागर से घिरा हुआ था। पैंजिया के उत्तरी भाग में उत्तरी अमेरिका, यूरोप तथा एशिया थे जिन्हें संयुक्त रूप से लारेशिया कहा जाता था। पैंजिया के दक्षिणी भाग में दक्षिणी अमेरिका, अफ्रीका, भारतीय प्रायद्वीप, ऑस्ट्रेलिया तथा अंटार्कटिका महाद्वीप थे, जिन्हें गोण्डवानालैण्ड कहा जाता था। इन दोनों विशाल भू-खण्डों के मध्य एक संकरा महासागर था, जिसे टेथीज़ सागर कहा जाता था।
निबंधात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
वेगनर के महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धान्त का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
अथवा
महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धांत का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भूमिका महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धान्त का प्रतिपादन जर्मनी के विद्वान् अल्फ्रेड वेगनर ने सर्वप्रथम सन् 1912 में किया था, जिसका अंग्रेज़ी अनुवाद सन् 1924 में विश्व के सामने आया। उनका विचार था कि महाद्वीप एक-दूसरे से दूर खिसक रहे हैं।
सिद्धान्त की रूपरेखा-लगभग 35 करोड़ वर्ष पहले अन्तिम कार्बोनिफरस युग में सभी महाद्वीप आपस में जुड़े हुए थे। इस विशाल स्थलखण्ड का नाम वेगनर ने पैंजिया (Pangaea) रखा। पैंजिया के चारों ओर एक महासागर फैला हुआ था, जिसका नाम पैन्थालासा (Panthalasa) रखा गया। पैंजिया नामक यह विशाल स्थलखण्ड कई छोटे खण्डों में बँट गया, जो एक-दूसरे से अलग हो गए। परिणामस्वरूप महाद्वीपों और महासागरों को वर्तमान स्वरूप प्राप्त हुआ।
लगभग 15 करोड़ वर्ष पूर्व इयोसीन युग में उत्तरी तथा दक्षिणी अमेरिका, अफ्रीका और यूरेशिया से अलग होकर पश्चिम की ओर खिसक गए। इन दोनों महाद्वीपों के पश्चिम की ओर खिसकने के कारण इन महाद्वीपों के पश्चिमी तट पर नीचे की तली से रगड़ के कारण रॉकी व एण्डीज़ पर्वत-श्रेणियों का निर्माण हो गया अर्थात् साइमा (Sima) द्वारा सियाल (Sial) परत पर रुकावट पैदा होने से इन मोड़दार पर्वतों का जन्म हुआ। उत्तरी एवं दक्षिणी अमेरिका तथा अफ्रीका एवं यूरेशिया के बीच पैदा हो गए गर्त में अटलांटिक महासागर प्रकट हो गया।
अंटार्कटिका, ऑस्ट्रेलिया, मेडागास्कर तथा प्रायद्वीपीय भारत भी आपस में जुड़े हुए थे और एक खण्ड के रूप में अफ्रीका के दक्षिणी छोर के पास स्थित थे। लगभग 5-6 करोड़ साल पहले पूर्व प्लीस्टोसिन युग में, ये चारों भू-भाग भी आपस में अलग-थलग होकर अपनी वर्तमान स्थिति में पहुंच गए और इनके बीच हिन्द महासागर का अवतरण हुआ। प्रायद्वीपीय भारत के उत्तर की ओर सरकने में टेथीज़ सागर में पड़े अवसाद में वलन पड़ गए। इससे हिमालय और आल्पस पर्वतों का निर्माण हुआ।
सिद्धान्त के पक्ष में प्रमाण-वर्तमान महाद्वीपों को पुनः जोड़कर पैंजिया का रूप दिया जा सकता है। वेगनर ने इसे साम्य स्थापना (Jig-saw-fit) का नाम दिया है।
(1) अटलांटिक महासागर के पूर्वी और पश्चिमी तटों के आकार में आश्चर्यजनक समानता पाई जाती है। दक्षिणी अमेरिका के पूर्वी तट को अफ्रीका के पश्चिमी तट से मिला दिया जाए, तो वे एकाकार दिखने लगेंगे। इसी प्रकार, उत्तरी अमेरिका के पूर्वी तट को यूरोप के पश्चिमी तट से मिलाया जा सकता है।
(2) इसी प्रकार पूर्वी अफ्रीका में इथिओपिया का उभार (Bulge) पश्चिमी भारत तथा पाकिस्तान की तट रेखा से जोड़ा जा सकता है। ऑस्ट्रेलिया भी बंगाल की खाड़ी में फिट बैठ सकता है।
(3) अटलांटिक महासागर के दोनों तटों पर पाई जाने वाली चट्टानों की संरचना, उनकी आयु तथा चट्टानों के बीच पाए जाने वाले जीवावशेषों (Fossils) में समानता पाई जाती है जो इंगित करती है कि कभी ये दोनों तट मिले हुए थे।
प्रवाहित करने वाले बल-वेगनर के अनुसार, महाद्वीपों का प्रवाह दो बलों द्वारा सम्भव हुआ-
- भू-खण्डों का भूमध्य रेखा की ओर प्रवाह गुरुत्व बल और प्लवनशीलता के बल (Force of buoyancy) के कारण हुआ।
- महाद्वीपों का पश्चिम की ओर प्रवाह सूर्य व चन्द्रमा के ज्वारीय बल के कारण हुआ।
सिद्धान्त की पुष्टि आरम्भ में, अनेक वैज्ञानिक वेगनर के इस सिद्धान्त से असहमत थे, क्योंकि भू-भौतिकी के उस समय उपलब्ध ज्ञान के आधार पर उन्हें महाद्वीपों का विस्थापन असम्भव लगता था, लेकिन विगत कुछ वर्षों में पृथ्वी के पुरा-चुम्बकीय अध्ययन तथा महासागरीय नितल की नई खोजों ने वेगनर की इस प्रवाह संकल्पना को बल दिया है।
आलोचना-वेगनर के सिद्धान्त की आलोचना निम्नलिखित आधारों पर की गई है-
- अफ्रीका तथा गिन्नी तट का पूर्ण रूप से न सटना अर्थात् (Jig-saw-fit) पूर्ण रूप से ठीक न होना।
- ज्वारीय शक्ति का कम होना।
- बहाव दिशा का सही न होना।
- मध्यवर्ती अन्धमहासागर में कटक (Ridge) की उत्पत्ति।
प्रश्न 2.
प्लेट विवर्तन के सिद्धान्त का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
अथवा
प्लेट विवर्तन के सिद्धान्त के बारे में आप क्या जानते है? इसके महत्त्व का वर्णन करें।
उत्तर:
विवर्तनिकी का अभिप्राय पृथ्वी के आन्तरिक बलों के फलस्वरूप हुए पटल विरूपण से है, जो स्थलमण्डल पर अनेक प्रकार के भू-आकारों को जन्म देता है। प्लेट विवर्तनिकी शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग टूजो विल्सन (Tuzo Wilson) ने सन् 1965 में किया था और प्लेट विवर्तन सिद्धान्त का पहली बार प्रतिपादन डब्ल्यूजे० मोरगन (W.J. Morgan) ने सन् 1967 में किया था।
महाद्वीपों और महासागरों की उत्पत्ति का यह सिद्धान्त वास्तव में महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धान्त का संशोधित रूप है।
सिद्धान्त की रूपरेखा पृथ्वी का बाह्य भाग जो हमें ऊपर से एक दिखाई देता है, वास्तव में कई दृढ़ खण्डों के संयोजन से बना है। इन दृढ़ खण्डों को प्लेट कहते हैं। अन्य शब्दों में, पृथ्वी का स्थलमण्डल अनेक प्लेटों में बँटा हुआ है।
प्लेटों की विशेषताएँ-
- किसी भी प्लेट की पर्पटी महाद्वीपीय, महासागरीय अथवा दोनों प्रकार की मिश्रित भी हो सकती है।
- प्लेटें आपस में कभी दूर व कभी पास होती रहती हैं।
- प्रत्येक प्लेट का क्षेत्र उसकी मोटाई से ज्यादा होता है।
- विवर्तन की सभी घटनाएँ; जैसे भूकम्प, ज्वालामुखी तथा पर्वत निर्माण आदि, इन्हीं प्लेटों के किनारों पर घटित होती हैं।
स्थलमण्डल की प्लेटे-ला पिचोन (La Pichon) ने सन् 1968 में पृथ्वी को 6 बड़ी और 9 छोटी प्लेटों में बाँटा था बड़ी प्लेटें (Major Plates)-
- अफ्रीकी प्लेट
- अमेरिकी प्लेट
- अंटार्कटिक प्लेट
- ऑस्ट्रेलियाई प्लेट
- यूरेशियाई प्लेट
- प्रशान्तीय प्लेट।
छोटी प्लेटें (Minor Plates)-
- अरेबियन प्लेट
- बिस्मार्क प्लेट
- कैरीबियन प्लेट
- कैरोलीना प्लेट
- कोकोस प्लेट
- जुआन डी प्यूका प्लेट
- नाज़का या पूर्वी प्रशांत प्लेट
- फ़िलीपीन्स प्लेट
- स्कोशिया प्लेट।।
प्लेट गति के कारण-सभी प्लेटें स्वतन्त्र रूप से पृथ्वी के दुर्बलता-मण्डल (Asthenosphere) पर भिन्न-भिन्न दिशाओं में भ्रमण (Wandering) करती रहती हैं। प्लेटों का भ्रमण पृथ्वी के आन्तरिक भागों में ऊष्मा की भिन्नता के कारण उत्पन्न होने वाली संवहन धाराओं के कारण होता है। कई विद्वान् संवहन धाराओं के साथ-साथ गुरुत्व बल (Gravity) तथा चट्टान भार (Weight of Rocks) को भी प्लेटों के संचलन का कारण मानते हैं।
प्लेट गति के प्रकार-प्लेटें तीन प्रकार से गति करती हैं-
(1) अभिसरण-जब कुछ प्लेटें एक-दूसरे की ओर बढ़कर निकट आती हैं और आपस में टकराती हैं, तो इसे अभिसरण कहते हैं। ऐसी प्लेटों को अभिसरण प्लेट (Converging Plates) और उनके बीच वाले किनारों को अभिसरण किनारे कहा जाता है। प्लेटों के टकराने पर दो दशाएँ उत्पन्न होती हैं
- किसी एक प्लेट का दूसरी प्लेट के नीचे धंसना।
- किसी भी प्लेट का नीचे न धंसना।
(a) जब एक महासागरीय (Oceanic) प्लेट किसी महाद्वीपीय (Continental) प्लेट से टकराती है, तो महाद्वीपीय प्लेट भारी घनत्व की चट्टानों से बनी होने के कारण हल्की चट्टानों से बनी महाद्वीपीय प्लेट के नीचे धंस जाती है। अधिक गहराई में जाने पर इस धंसती हुई प्लेट का कुछ भाग पिघलकर मैग्मा बन जाता है। ऊपर की चट्टानों का दबाव भी भीतरी ऊष्मा को बढ़ाता है। पिघला हुआ मैग्मा महाद्वीपीय प्लेट के किनारे के निकट ऊपर उमड़कर ज्वालामुखी पर्वतों का निर्माण करता है। अगर ज्वालामुखी पर्वत न बने तो विकल्प के रूप में एक गहरी खाई बन जाती है। पेरू की खाई नाजका महासागरीय प्लेट तथा दक्षिणी अमेरिकी महाद्वीपीय प्लेट के टकराव का परिणाम है। इसी कारण अभिसरण प्लेटों के सीमान्तों (Margins) को विनाशात्मक सीमान्त (Destructive Margins) कहा जाता है।
(b) जब दो प्लेटें एक-दूसरे के निकट आती हैं और उनके टकराने पर कोई भी प्लेट नीचे नहीं धंसती, तो उनके बीच स्थित अवसाद में वलन की प्रक्रिया आरम्भ हो जाती है। इससे मोड़दार (Fold) पर्वतों का निर्माण होता है। हिमालय तथा आल्पस जैसे वलित पर्वतों का निर्माण प्लेटों के अभिसरण का परिणाम है।
(2) अपसरण-प्लेटों के एक-दूसरे से दूर जाने की स्थिति को अपसरण तथा ऐसी प्लेटों को अपसारी प्लेटें कहते हैं। इन प्लेटों के किनारों को अपसारी किनारे कहते हैं। विपरीत दिशा में जाने से प्लेटों के बीच गैप आ जाता है। गहरे मैन्टल से तप्त मैग्मा संवाहित होकर ऊपर उठता है और उस गैप में भर जाता है। इस प्रकार अपसारी सीमाओं में नवीन रचनात्मक प्लेट का निर्माण होता है और महासागरीय नितल (Floor) का प्रसरण (Spreading) होता रहता है।
(3) पारवर्तन-जब दो भू-प्लेटें ट्रांसफार्म भ्रंश के सहारे क्षैतिज दिशा में संचलित होती है, तो ऐसी प्लेटों को पारवर्ती प्लेटें और उनके किनारों को पारवर्ती किनारे कहा जाता है। ये संरक्षी अथवा निष्क्रिय (Conservative or Passive) किनारे होते हैं। इसमें नवीन स्थलों का न तो निर्माण होता है और न विनाश। हाँ, परस्पर सरकने से स्थलमण्डल में दरारें भी पड़ती हैं और भूकम्प भी आते हैं।
प्लेट विवर्तन सिद्धान्त का महत्त्व – जो स्थान जीव विज्ञान में उविकास सिद्धान्त (Theory of Evolution) का है, वही स्थान भू-गर्भ विज्ञान में प्लेट विवर्तन के सिद्धान्त का है। इस क्रान्तिकारी सिद्धान्त ने 20वीं सदी के भू-विज्ञानों (Earth Sciences) के उस हर प्रश्न का उत्तर देने का प्रयास किया है, जो सदियों से आज तक दुनिया के सामने पहेली (Puzzle) बने खड़े थे।
- महासागरों की चौड़ाई कहीं बढ़ रही है तो कहीं घट रही है। प्लेट विवर्तन के सिद्धान्त का यह तथ्य महाद्वीपीय विस्थापन की पुष्टि करता है।
- यह सिद्धान्त मोड़दार पर्वतों की रचना की व्याख्या करता है।
- प्लेट विवर्तन का सिद्धान्त ही अच्छी तरह से स्पष्ट करता है कि विश्व में द्वीपीय पर्वतों (Island Mountains) तथा द्वीप तोरणों (Island Festoons) की रचना कैसे हुई?
- ज्वालामुखी क्यों फूटते हैं? भूकम्प क्यों आते हैं? कहाँ आते हैं? इन प्रश्नों की वैज्ञानिक और तार्किक व्याख्या प्लेट विवर्तनिकी से ही सम्भव हो पाई है।
- प्लेट विवर्तन के सिद्धान्त ने ही यह रहस्योदघाटन किया है कि पैंजिया टूटकर बिखरते और बिखरकर फिर जुड़ते रहे हैं। जिस पैंजिया के बिखरे भू-खण्डों पर आज हम बैठे हैं, उससे पहले भी एक पैंजिया था।