HBSE 10th Class Home Science Solutions Chapter 2 विकास पर बाहरी वातावरण का प्रभाव

Haryana State Board HBSE 10th Class Home Science Solutions Chapter 2 विकास पर बाहरी वातावरण का प्रभाव Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 10th Class Home Science Solutions Chapter 2 विकास पर बाहरी वातावरण का प्रभाव

अति लघु उत्तरीय प्रश्न –

प्रश्न 1.
बालकों के विकास पर घर के बाहर की किन-किन बातों का प्रभाव पड़ता
उत्तर :
पुस्तकों, संगीत, रेडियो, सिनेमा, टेलीविज़न, विज्ञापन आदि का।

प्रश्न 2.
खेल तथा मनोरंजन का संवेगात्मक विकास से क्या सम्बन्ध है?
उत्तर :
खेलों द्वारा बालक संवेगों का प्रकाशन तथा साथ-साथ संवेगात्मक नियंत्रण भी सीखता है।

HBSE 10th Class Home Science Solutions Chapter 2 विकास पर बाहरी वातावरण का प्रभाव

प्रश्न 3.
जिन बालकों में संवेगात्मक नियंत्रण अधिक होता है, उनमें कैसे गुण अधिक पाए जाते हैं ?
उत्तर :
सहनशीलता, त्याग, सच्चाई और सहानुभूति आदि गुण।

प्रश्न 4.
खेल का शारीरिक महत्त्व क्या है?
उत्तर :

  1. इससे बच्चों की मांसपेशियां समुचित ढंग से विकसित होती हैं।
  2. इसके द्वारा बच्चों के शरीर के सभी अंगों का व्यायाम हो जाता है।
  3. बच्चों का तनाव व चिड़चिड़ापन कम हो जाता है।

प्रश्न 5.
खेल का सामाजिक विकास की दृष्टि से क्या महत्त्व है ?
उत्तर :

  1. बच्चे अपरिचित व्यक्तियों के साथ सामाजिक सम्बन्ध स्थापित करना सीख लेते हैं।
  2. खेल-खेल में वे सहयोग करना सीख लेते हैं।
  3. बच्चों में नियम-निष्ठा की भावना आ जाती है।
  4. जो बच्चे परस्पर खेलते हैं, उनमें द्वेष की भावना नहीं रहती।
  5. बच्चे जब अपने माता-पिता या अन्य भाई-बहिनों के साथ खेलते हैं तो इससे परिवार में सौहार्द्र और स्नेह का वातावरण विकसित होता है।

प्रश्न 6.
नैतिक दृष्टि से खेल के द्वारा बच्चों में किन-किन गुणों का विकास होता
अथवा
बच्चों के नैतिक विकास में खेलों का क्या महत्त्व है ?
उत्तर :

  1. समूह के साथ खेलते हुए बच्चों में आत्म-नियन्त्रण, सच्चाई, दयानतदारी, निष्पक्षता तथा सहयोग आदि गुणों का विकास होता है।
  2. बच्चा सीखता है कि एक अच्छा खिलाड़ी हार जाने पर भी उत्साहहीन नहीं होता और न ही उसमें द्वेष का भाव आता है।
  3. खेल के द्वारा बच्चों में सहनशीलता की भावना का विकास होता है।

HBSE 10th Class Home Science Solutions Chapter 2 विकास पर बाहरी वातावरण का प्रभाव

प्रश्न 7.
टेलीविज़न का बालक (बच्चों) के लिए क्या महत्त्व है ?
उत्तर :
टेलीविज़न पर दिखाए जाने वाले शिक्षाप्रद कार्यक्रम, ऐतिहासिक घटनाएँ तथा अन्य बहुत से कार्यक्रम स्वस्थ मनोरंजन के साथ-साथ बालक के नैतिक व मानसिक विकास में सहायक होते हैं।

प्रश्न 8.
मनोरंजन के साधन बालक के लिए कब हानिकारक होते हैं ?
उत्तर :
रेडियो, टेलीविज़न, सिनेमा की ओर बालकों के बढ़ते हुए झुकाव के कारण उनकी खेलों के प्रति रुचि कम हो जाती है। परिणामस्वरूप शारीरिक विकास रुक जाता है। साथ ही उनका व्यक्तिगत और सामाजिक समायोजन बिगड़ जाता है।

प्रश्न 9.
बालकों की अभिव्यक्ति के अन्य साधन कौन-से हैं?
उत्तर :
बालकों की अभिव्यक्ति के अन्य साधन-

  • चित्रांकन
  • संगीत
  • लेखन
  • हस्तकौशल।

प्रश्न 10.
खेल के सिद्धान्त कौन-से हैं?
उत्तर :
खेल के सिद्धान्त –

  • अतिरिक्त शक्ति का सिद्धान्त
  • शक्तिवर्द्धन का सिद्धान्त
  • पुनरावृत्ति का सिद्धान्त
  • भावी जीवन की तैयारी का सिद्धान्त
  • रेचन का सिद्धान्त
  • जीवन की क्रियाशीलता।

HBSE 10th Class Home Science Solutions Chapter 2 विकास पर बाहरी वातावरण का प्रभाव

प्रश्न 11.
बालकों के खेलों की क्या विशेषताएं हैं?
अथवा
खेल की चार विशेषताएँ बताएँ।
उत्तर :
बालकों के खेलों की निम्नलिखित विशेषताएं हैं –

  • बालक स्वेच्छा से खेलता है।
  • उम्र वृद्धि के साथ-साथ बालकों के खेल में दैहिक क्रियाओं की कमी आती है।
  • बालकों के खेल का निश्चित प्रतिरूप होता है।
  • बालक प्रत्येक खेल में जोखिम उठाता है।
  • बालक के खेलों में आवृत्ति का अंश रहता है।

प्रश्न 12.
बालकों के विकास पर घर के अलावा किन चीज़ों का प्रभाव पड़ता है?
उत्तर :
पुस्तकों, संगीत, रेडियो, सिनेमा, टेलीविज़न, विज्ञापन इत्यादि।

प्रश्न 13.
खेल से संवेगात्मक विकास कैसे होता है?
उत्तर :
खेलों द्वारा बालक संवेगों का प्रसारण तथा संवेगों पर नियन्त्रण करना भी सीखता है। ऐसा बच्चा ज्यादा सहनशील, सत्यवादी और सहानुभूति प्रकट करने वाला होता है। उसके अंदर त्याग की भावना भी होती है।

HBSE 10th Class Home Science Solutions Chapter 2 विकास पर बाहरी वातावरण का प्रभाव

प्रश्न 14.
खेलों का शारीरिक विकास में क्या योगदान है?
उत्तर :
खेलों द्वारा बच्चे का व्यायाम होता है, उसकी हडियां व मांसपेशियों का विकास होता है और उसका चिड़चिड़ापन कम हो जाता है।

प्रश्न 15.
मनोरंजन के अतिरिक्त बालक के जीवन में टेलीविजन की कोई एक अन्य उपयोगिता लिखें।
उत्तर :
देखें प्रश्न 7 का उत्तर।

प्रश्न 16.
बच्चों के खेल के दो महत्त्व लिखें।
उत्तर :
देखें प्रश्न 4, 5, 6 का उत्तर।

प्रश्न 17.
किताबों का बच्चों के लिए क्या महत्त्व है ?
उत्तर :

  • इनसे बालकों को पढ़ने की प्रेरणा मिलती है,
  • इनके द्वारा बच्चों के पढ़ने की योग्यता बढ़ाई जा सकती है,
  • इनके द्वारा बच्चों को नए शब्दों का ज्ञान होता है,
  • इनके पढ़ने से ‘रेचन’ द्वारा उनके संवेगात्मक तनाव निकल जाते हैं।

HBSE 10th Class Home Science Solutions Chapter 2 विकास पर बाहरी वातावरण का प्रभाव

लघु उत्तरीय प्रश्न –

प्रश्न 1.
खेल का शैक्षिक महत्त्व क्या है?
उत्तर :

  1. बच्चे सभी प्रकार के खिलौनों से खेलते हैं। उन्हें भिन्न-भिन्न पदार्थों के आकार, रंग, भार तथा उनकी सतह का ज्ञान हो जाता है।
  2. जैसे-जैसे बच्चे बड़े होते हैं, वैसे-वैसे खेल के द्वारा उनमें कई कौशलों का विकास होता है।
  3. बच्चे खेल के द्वारा सीखते हैं कि किस प्रकार पदार्थ-विशेष की जानकारी प्राप्त की जाए तथा वस्तुओं का संग्रह किस प्रकार से किया जाए।
  4. खेल के द्वारा बच्चे अपनी तथा अपने साथियों की क्षमताओं की भली-भांति तुलना कर सकते हैं। इस प्रकार उन्हें अपने रूप का वास्तविक ज्ञान हो जाता है।

प्रश्न 2.
विकास प्रक्रिया के निर्देशन में खेल का क्या महत्व है?
उत्तर :
पहले बालक खेल के माध्यम से ही विभिन्न प्रकार के क्रियात्मक विकासों को सीखता है। इसमें वह अपने क्रियात्मक कौशलों को और शब्दों को सीखता है। यह विकास वह अन्य बालकों के साथ खेलकर सीखता है। खेल में वह विभिन्न क्रियाओं को पसन्द के आधार पर भी सीखता है। प्रारम्भ के कुछ महीनों में वह कुछ अधिक तीव्र गति से सीखता है। वह अपने हाथों, कपड़े और खिलौने आदि के साथ भी खेलता है। बालक तीन साल की अवस्था में पहुंचकर अपने खेल के साथियों को अधिक महत्त्व देने लग जाता है। अत: विकास प्रक्रिया का निर्देशन खेल द्वारा भी किया जा सकता है। .

प्रश्न 3.
बालक के सामाजिक विकास में खेल की भूमिका समझाइए।
उत्तर :
खेल एक स्वाभाविक, स्वतन्त्र, उद्देश्यहीन एवं आनन्द की अनुभूति देने वाली क्रिया है। बालक के शारीरिक विकास के साथ-साथ सामाजिक विकास में खेल की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। खेल बालक की कल्पनाओं, सहयोग की भावना तथा दयानतदारी को दर्शाता है। खेल के द्वारा बालक में नियम पालन की भावना आती है। खेल में वह अपनी व्यक्तिगत सत्ता समष्टि में लीन करता है। इस प्रकार उसमें सामाजिक भावना का विकास भी होता है। आयु वृद्धि के साथ-साथ बालक के खेल में परिवर्तन आता रहता है। बचपन में बालक-बालिकाएं साथ-साथ खेलते हैं परन्तु बाद में दोनों की रुचियों में अन्तर आ जाता है।

रुचि में अन्तर –

  • बालकों में बालिकाओं की तुलना में अधिक शारीरिक शक्ति
  • बालिकाओं में शीघ्र परिपक्वता का आ जाना तथा
  • सामाजिक प्रतिबन्ध (किशोरावस्था में दोनों का मिलना ठीक नहीं समझा जाना) आदि के कारण होता है।

बालकों के खेल के संगी-साथी के मानसिक तथा बौद्धिक स्तर एवं आर्थिक स्तर का प्रभाव भी बालकों के सामाजिक विकास पर पड़ता है। कुशाग्र बुद्धि वाला बालक अपने से बड़े बालक के साथ खेलना पसन्द करता है। इसी प्रकार मन्द बुद्धि वाला बालक अपने से छोटे बालकों के साथ खेलना पसन्द करता है।

HBSE 10th Class Home Science Solutions Chapter 2 विकास पर बाहरी वातावरण का प्रभाव

प्रश्न 4.
खेल की क्या परिभाषा है?
उत्तर :
वास्तव में खेल ऐसी एक स्वाभाविक प्रवृत्ति है जिसमें अनुकरण एवं रचनात्मक प्रवृत्तियों का सम्मिश्रण रहता है। वैलनटाइन ने इसकी परिभाषा इस प्रकार की है कि खेल वह क्रिया है जो खेल के लिए ही की जाती है। ग्यूलिक ने खेल की सुन्दर परिभाषा इस तरह की है कि जो कार्य हम अपनी इच्छा से स्वतंत्रतापूर्ण वातावरण में करते हैं, वही खेल है, यह परिभाषा सर्वमान्य है।

प्रश्न 5.
रेडियो की बच्चों के विकास में क्या भूमिका है?
उत्तर :
रेडियो की प्रसिद्धि पहले की अपेक्षा अब कम हो गई है। जबसे रंगीन टेलीविज़न आया है उसने रेडियो का स्थान ले लिया है। अब तो बच्चे रेडियो बहुत ही कम सुनते हैं। शहरों की अपेक्षा गांव के बच्चे रेडियो अधिक सुनते हैं। एक अध्ययन में यह देखा गया है कि जो बच्चे जितना अधिक समायोजित होते हैं व रेडियो उतना ही कम सुनते हैं। लगभग तीन वर्ष का बच्चा रेडियो में रुचि लेता है। रेडियो सुनने से भाषा का विकास होता है, भाषा सुधरती है, व्याकरण का ज्ञान बढ़ता है इत्यादि, पर आज रेडियो का स्थान टेलीविज़न ले चुका है।

प्रश्न 5. (A)
बच्चों के लिए रेडियो किस तरह उपयोगी हैं ?
उत्तर :
देखें प्रश्न 5 का उत्तर।

प्रश्न 6.
बच्चों पर संगीत का क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर :
संगीत के माध्यम से बच्चे अपने आप को अभिव्यक्त करते हैं। बोलना सीखने से पूर्व बच्चा गाना सीख जाता है। सभी बच्चे गाते हैं चाहे उनमें गायन सम्बन्धी क्षमता हो या ना हो। शिशु का बबलाना (babbling) उसका गायन है क्योंकि इसमें भी एक लय है। इसे सुनकर बालक बहुत प्रसन्न होता है। वह गाने के साथ अनेक शारीरिक क्रियाएँ भी करता है। जैसे-जैसे बालक थोड़ा बड़ा होता है वह छोटी व आसान कविताएं लय व ताल में गा सकता है। अच्छा संगीत बच्चे के मनोरंजन के साथ उसके विकास पर भी प्रभाव डालता है।

प्रश्न 7.
विज्ञापन का बालक के विकास पर क्या प्रभाव पड़ता है ? उदाहरण सहित वर्णन करें।
अथवा
बच्चों के जीवन पर विज्ञापनों का क्या प्रभाव पड़ता है ? उदाहरण सहित बताएं।
उत्तर :
विज्ञापन का बालकों के विकास में महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। जैसे-जैसे बालक बड़ा होता जाता है वह विभिन्न पत्रिकाओं एवं टेलीविज़न में विज्ञापनों को देखता है और उन पर अपने मन में गहरा विचार करता है। विभिन्न विद्वानों ने अपने अध्ययनों में सिद्ध कर दिया है कि विभिन्न प्रकार के विज्ञापन बालक एवं किशोर को सांसारिक वस्तुओं का परिचय करा कर उनके ज्ञान में विकास करते हैं। इस तरह बालक अपने आस-पास की वस्तुओं को बहुत सूक्ष्मता से देखता है और उन पर विचार करता है।

उदाहरण – टेलीविज़न में दिखाए जाने वाले विज्ञापनों को बहुत बढ़ा-चढ़ा कर दिखाते हैं जो कि बालक को संदेह में डाल देते हैं और उनके विकास पर उल्टा प्रभाव डालते हैं। कई बार बालक विज्ञापनों को देखकर उनकी नकल करने की कोशिश करते हैं और अपनी जान से भी हाथ धो बैठते हैं।

HBSE 10th Class Home Science Solutions Chapter 2 विकास पर बाहरी वातावरण का प्रभाव

प्रश्न 8.
बच्चों के लिए किस प्रकार के टेलीविजन कार्यक्रम बनाए जाने चाहिएं ?
उत्तर :
बच्चों के लिए निम्नलिखित प्रकार के टेलीविज़न कार्यक्रम बनाए जाने चाहिएं –

  1. कार्यक्रम मनोरंजक हो. जिन्हें देख कर बच्चों को आनन्द तथा प्रसन्नता प्राप्त हो।
  2. कार्यक्रम द्वारा बच्चों को खेल-खेल में शिक्षा प्रदान होनी चाहिए।
  3. कार्यक्रम ऐसे न हों जिन्हें देख कर बच्चे असमंजस में पड़ जाएं।
  4. कार्यक्रमों में बच्चों की अधिकता होनी चाहिए।

प्रश्न 9.
साहित्य को समाज का दर्पण क्यों कहा गया है ?
उत्तर :
साहित्य हमें जीवन को उचित ढंग से जीने का तरीका बताता है। इसमें ठीक तथा गलत का ज्ञान भी शामिल होता है। साहित्य में समाज में चल रही बातों की चर्चा होती है। साहित्य जिस भी काल में रचा गया हो उसी समय के रहन-सहन, समस्याओं, फैशन,
आदि को वर्णित करता है। इसलिए साहित्य को समाज का दर्पण कहते हैं।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न –

प्रश्न 1.
(क) व्यक्ति के विकास पर पुस्तकों, संगीत, रेडियो, सिनेमा तथा दूरदर्शन के प्रभावों की चर्चा कीजिए।
(ख) बालकों के जीवन पर टेलीविज़न व चलचित्रों का क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर :
(क) पुस्तकों का प्रभाव – पुस्तकों आदि का पढ़ना एक प्रकार का आनन्ददायक खेल है। इसमें बच्चे दूसरे की क्रियाशीलता का आनन्द लेते हैं। जब बच्चे अकेले होते हैं और शारीरिक खेल खेलने का उनका मन नहीं होता या थोड़े थके हुए होते हैं तब पुस्तकें पढ़ते हैं। घर में बच्चों को जब बाहर निकलने से मना किया जाता है या कमरे में बैठने के लिए बाध्य किया जाता है तब वे पढ़ते हैं। अध्ययनों में देखा गया है कि लड़कियां लड़कों की अपेक्षा अधिक पढ़ती हैं। एक अध्ययन में देखा गया है कि प्रतिभाशाली बच्चे अन्य बच्चों की तुलना में अधिक पढ़ते हैं। वे पढ़ने को खेल न समझकर कार्य समझते हैं। अधिकांश बच्चे परिचित व्यक्तियों और जानवरों के सम्बन्ध में कहानियां पढ़ना पसन्द करते हैं। आजकल के बच्चों में कॉमिक्स पढ़ने का बहुत शौक है।

कॉमिक्स पढ़ने से अनेक लाभ होते हैं – (i) इनसे बालकों को पढ़ने की प्रेरणा मिलती है, (ii) इनके द्वारा बच्चों के पढ़ने की योग्यता बढ़ाई जा सकती है, (iii) इनके द्वारा बच्चों को नए शब्दों का ज्ञान होता है, (iv) इनके पढ़ने से ‘रेचन’ द्वारा उनके संवेगात्मक तनाव निकल जाते हैं। अधिक कॉमिक्स पढ़ने से बच्चों को कुछ हानियां भी होती हैं, (i) बच्चे अच्छा साहित्य पढ़ने से कतराते हैं, (ii) अधिकांश कॉमिक्स में कहानियों की भाषा और शब्द निम्नकोटि के होते हैं, (iii) इनके अधिक पढ़ने से सैक्स, हिंसा व भय आदि का विकास होता है, (iv) इनके अधिक पढ़ने से बच्चे अपने वास्तविक जीवन से कुछ नीरस हो जाते हैं, (v) जो बच्चे कॉमिक्स अधिक पढ़ते हैं वे अन्य खेलों में कम रुचि लेते हैं जिससे उनके शारीरिक विकास में रुकावट आती है। अच्छा साहित्य पढ़ने से मनोरंजन के साथ-साथ बच्चों का मानसिक, बौद्धिक, चारित्रिक तथा नैतिक विकास होता है।

किशोरावस्था तक बालकों को कहानियां, उपन्यास पढ़ने का बहत शौक हो जाता है। बहुधा निम्न स्तर के उपन्यास और कहानियां किशोरों को अधिक पसन्द आते हैं। इस प्रकार की पाठ्य-सामग्री उनके नैतिक विकास को अवनति की ओर अग्रसर करने में महत्त्वपूर्ण योगदान देती है।

संगीत का प्रभाव-संगीत के माध्यम द्वारा भी बच्चे अपने आपको अभिव्यक्त करते हैं। बोलना सीखने से पूर्व ही बालक गाना सीख जाता है। सभी बच्चे गाते हैं। चाहे उनमें गायन सम्बन्धी क्षमता हो या न हो। शिशु का बबलाना उसका गायन है। बालक के बबलाने में भी एक लय होती है। इसे सुनकर बालक बड़ा प्रसन्न होता है। शुरू-शुरू में बालक गाते समय कई शारीरिक क्रियाएँ भी करता है।

4-5 वर्ष की आयु में बच्चे सरल कविताएं लय के अनुसार गा सकते हैं। वे जानते हैं कौन-सी कविता किस लय में गाई जाएगी। बड़े होते-होते बच्चों की रुचि देशभक्ति ज्ञान, लोक संगीत तथा शास्त्रीय संगीत में बढ़ती जाती है। बहुत से बच्चे धार्मिक भजनों में भी रुचि लेते हैं। फिशर का कथन है कि उच्च वर्ग तथा मध्यम वर्ग के बच्चों में संगीत की दृष्टि से कोई अन्तर नहीं पाया जाता है। संगीत मनोरंजन का साधन होने के साथ-साथ बच्चों के विकास पर भी प्रभाव डालता है।

रेडियो तथा टेलीविज़न का प्रभाव – लगभग तीन वर्ष का बालक रेडियो में थोड़ी-थोड़ी रुचि लेने लगता है। लड़के लड़कियों की अपेक्षा रेडियो अधिक सुनते हैं। प्रतिभाशाली बालक रेडियो सुनना कम पसन्द करते हैं। शहरों की अपेक्षा गांवों के बच्चे रेडियो अधिक सुनते हैं। एक अध्ययन से देखा गया है कि जो बच्चे जितने अधिक समायोजित होते हैं वे रेडियो उतना ही कम सुनते हैं। रेडियो से बच्चों को आनन्द ही प्राप्त नहीं होता है वरन् उन्हें इससे अनेक ज्ञान की बातों को सीखने का अवसर प्राप्त होता है। इसके सुनने से उनकी भाषा का विकास होता है, भाषा सुधर जाती है, उनकी व्याकरण सुधर जाती है तथा वे इससे आत्म उन्नति के लिए प्रेरित होते हैं। – रेडियो से घर बैठे हुए ही समाचार, संगीत, भाषण, चर्चा, लोकसभा या विधानसभा की समीक्षा, वाद-विवाद, नाटक, प्रहसन आदि सुनने से मनोरंजन होता है।

मनोरंजन शारीरिक व मानसिक विकास में बहुत अधिक सहायक होता है। परन्तु अधिक रेडियो सुनने से बच्चे शारीरिक खेल नहीं खेल पाते जिससे उनका शारीरिक विकास अवरुद्ध हो सकता है। विभिन्न अध्ययनों में देखा गया है कि जो बच्चे अधिक रेडियो सुनते हैं उनका व्यक्तिगत और सामाजिक समायोजन इसलिए बिगड़ जाता है कि उनका अधिकांश समय रेडियो सुनने में निकल जाता है। आज रेडियो का स्थान टेलीविज़न ने ले लिया है।

जिलने समय तक टेलीविज़न पर अच्छे-अच्छे प्रोग्राम, सीरियल आदि आते हैं, बच्चे उन्हें अवश्य ही देखना चाहते हैं। एक अध्ययन से पता लगा है कि अमेरिका में बच्चे लगभग अपने जागने के समय का लगभग 1/6 भाग टेलीविज़न देखने में व्यय करते हैं। छ: वर्ष की अवस्था तक उनमें टेलीविज़न देखने की अधिक प्रवृत्ति पाई जाती है। अधिक पढ़ने-लिखने वाले बच्चे कम टेलीविज़न देखते हैं। जो बच्चे कम समायोजित होते हैं, वे अधिक टेलीविज़न देखते हैं।

उच्च आर्थिक व सामाजिक स्तर वाले बच्चे कम टेलीविज़न देखते हैं। लड़कियों की अपेक्षा लड़के अधिक टेलीविज़न देखते हैं। कहने का तात्पर्य यह है कि कुल मिलाकर टेलीविज़न का प्रभाव बच्चों के विकास पर बहुत अधिक पड़ता है। एक ओर जहां अच्छे-अच्छे प्रोग्राम, शिक्षाप्रद कहानियां तथा देश-विदेश के समाचारों से बच्चों का मानसिक तथा चारित्रिक विकास होता है, दूसरी ओर अधिक T.V देखने से शारीरिक विकास अवरुद्ध भी होता है। इसके साथ ही वयस्कों को दिखाये जाने वाले कुछ प्रोग्राम जिन्हें वयस्क देखें या न देखें बच्चे अवश्य ही देखते हैं जिनका उनके बारित्रिक व संवेगात्मक विकास पर बुरा प्रभाव पड़ता है।

निश्चय ही आज के युग में टेलीविज़न मनोरंजन का एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण साधन है। इसका उपयोग देश की प्रगति, शिक्षा के प्रसार तथा बच्चों के चरित्र निर्माण में अधिकाधिक किया जाना चाहिए।

चलचित्र (सिनेमा) का प्रभाव-आजकल छोटे-छोटे सभी आयु के बालक सिनेमा में दिखाई देते हैं। सिनेमा देखने वालों में किशोरों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। दुराचार, अपराध, नारी सौंदर्य, प्रेम आदि की चरम सीमाएं चलचित्रों में प्रदर्शित कर लोगों को

अधिक-से-अधिक मात्रा में आकर्षित किया जाता है। यद्यपि कुछ चलचित्रों की कहानी तथा उद्देश्य सराहनीय होते हैं परन्तु बालकों व किशोरों की मानसिक योग्यता सीमित होने के कारण यह सिनेमा के उद्देश्यों और कहानी को कम समझ पाते हैं। वे सिनेमा से गन्दी बातें ही अधिक सीखते हैं। सिनेमा का स्थान अब विडियो कैसेट प्लेयर या रिकार्डर लेता जा रहा है।

(ख) देखें प्रश्न 1 (क) का उत्तर।

HBSE 10th Class Home Science Solutions Chapter 2 विकास पर बाहरी वातावरण का प्रभाव

प्रश्न 2.
खेलों को कौन-कौन से तत्त्व प्रभावित करते हैं ?
अथवा
खेलों को प्रभावित करने वाले चार कारक बताएँ।
उत्तर :
खेलों को प्रभावित करने वाले तत्त्व निम्नलिखित हैं –
1. शारीरिक स्वास्थ्य-स्वस्थ बालक में शक्ति अधिक होती है, इसलिए वे खेलों में अधिक रुचि लेते हैं।
2. ऋतु-ऋतु का खेल पर विशेष प्रभाव होता है। जैसे ग्रीष्म ऋतु में बालकों को जल विहार व तैरना अच्छा लगता है तथा बसन्त ऋतु में साइकिल पर इधर-उधर घूमना। पहाड़ों पर रहने वाले जाड़े में बर्फ में खेलते हैं।
3. वातावरण-बालक के खेल पर वातावरण का विशेष प्रभाव पड़ता है। जैसे बालक अपने घर में क्षेत्र में खेलना ज्यादा पसन्द करता है।
4. क्रियात्मक विकास-खेलों का बालक के क्रियात्मक विकास पर प्रभाव पड़ता है। गेंद वाली खेलों में वहीं बालक भाग लेते हैं जो उसे पकड़ या फेंक सकते हैं। जोन्स के मतानुसार 21 मास की अवस्था वाला बालक चीजों को खींच सकता है और 24 मास की अवस्था वाला बालक खिलौने को खींच व फेंक सकता है। 29 मास की अवस्था वाला बालक किसी चीज़ को कम-से-कम 7- फ़ीट तक धकेल सकता है।

5. लिंग-भेद-प्रारम्भ में लड़के-लड़कियों के खेल में कोई अन्तर नहीं होता, परन्तु अवस्था वृद्धि के साथ इनके खेलों में विविधता पाई जाती है।

6. बौद्धिक क्षमता-खेलों पर बौद्धिक क्षमता का भी प्रभाव पड़ता है। कुशाग्र बुद्धि वाले बालक मन्द बुद्धि बालकों की अपेक्षा ज्यादा खेला करते हैं। कुशाग्र बुद्धि बालक नाटक, रचनात्मक खेलों व पुस्तकों में ज्यादा रुचि लेते हैं। ये पहेलियां और ताश का खेल आदि पसन्द करते हैं।

7. अवकाश की मात्रा-बालक थकने पर कम श्रम वाले खेल खेलता है। धनी परिवार के बच्चों के पास काफ़ी अवकाश होता है। निर्धन परिवार के बच्चों के पास कम। अत: वे समयानुसार ही खेलना पसन्द करते हैं।

8. सामाजिक-आर्थिक स्तर-धनी परिवार के बच्चे क्रिकेट, टेनिस, बैडमिन्टन आदि खेलना पसन्द करते हैं, जबकि ग़रीब के बच्चे गेंद व कबड्डी खेलना ही पसन्द करते हैं। निम्न वर्ग के बालक जन्माष्टमी व अन्य मेलों में जाना पसन्द करते हैं। धनी वर्ग के बालक नाटक, नृत्य, कला आदि समारोहों में जाना पसन्द करते हैं।

9. खेल सम्बन्धी उपकरण-यदि बालकों को खेलने के लिए लकड़ी के टुकड़े, हथौड़ी और कील आदि दिए जाएंगे, तो उनके खेल रचनात्मक होंगे। बड़े बालकों को भी उपयुक्त उपकरणों की आवश्यकता पड़ती है। इस स्थिति में बालक अपनी खेल सम्बन्धी रुचियों को दूसरी ओर मोड़ लेता है।

10. परम्पराएँ- परम्पराओं का भी बालक के खेलों पर प्रभाव पड़ता है। भारतीय परम्परा के अनुसार लड़कियां गुड्डे-गुड़ियों का खेल तथा लड़के आँख-मिचौनी और चोर-सिपाही का खेल खेलते हैं। उच्च वर्ग की अपेक्षा मध्यम वर्ग के बालक-बालिकाएँ परम्परागत खेल अधिक खेलते हैं।

HBSE 10th Class Home Science Solutions Chapter 2 विकास पर बाहरी वातावरण का प्रभाव

प्रश्न 3.
खेलों के अतिरिक्त बालकों की अभिव्यक्ति के कौन-कौन से साधन हैं?
उत्तर :
निम्न साधन बालकों की अभिव्यक्ति में मददगार हैं –
1. चित्रांकन – यह एक बहुत अच्छा साधन है। बालक अपने मन के भाव चित्रों द्वारा अभिव्यक्त करते हैं। उनका बनाया हुआ चित्र, रंगों का चयन इत्यादि उनके भावों को बखूबी प्रदर्शित करता है। छोटे बच्चों की तो खासकर रंगों में रुचि होती है।

2. संगीत – सभी बच्चे संगीत-प्रेमी होते हैं। अच्छी लय और ताल न केवल समा बांधती है बल्कि तनाव को भी काफ़ी हद तक कम करती है। छोटे बच्चे कविता गान से संगीत सीखना शुरू करते हैं और जैसे-जैसे वह बड़े होते हैं कविताओं का स्तर भी मुश्किल हो जाता है।

3. लेखन – लेखन कला बच्चों में कुछ समय पश्चात् आती है जब उन्हें भाषा, व्याकरण की समझ आ जाती है और वह लिखना पूर्णतया सीख जाते हैं। बच्चे अपने छोटे-छोटे अनुभवों को लिपिबद्ध करने में सक्षम हो जाते हैं। समय के साथ उनके अनुभव ओर पेचीदे हो जाते हैं और वह उन्हें लिपिबद्ध करने के लिए और अच्छी भाषा व व्याकरण की मदद लेते हैं।

4. हस्तकौशल-हाथ की चीजें बनाने का एक अपना ही आनंद है। अनेक वस्तुएं जैसे मिट्टी, धागे, कागज़, थर्माकोल आदि इस्तेमाल करके सुन्दर वस्तुएं बनाई जा सकती हैं। इससे छोटी मासपेशियों का विकास तो होता ही है अपितु आंख व हाथ का समन्वय (तालमेल) भी बहुत बढ़िया हो जाता है।

प्रश्न 4.
बालक पर पुस्तकों का क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर :
कहा जाता है कि पुस्तकें व्यक्ति की सच्ची साथी होती हैं। पुस्तकों द्वारा मनोरंजन, ज्ञानवर्धन, भाषा विकास सभी कुछ सम्भव है। छोटा बच्चा जो पढ़ नहीं सकता, उसे भी माता-पिता कहानी पढ़कर सुना सकते हैं। इससे वह ध्यान लगाना सीखता है। इसके अलावा नए शब्द और ज्ञान भी सीखता है। डांटने की अपेक्षा यदि उसे कहानी द्वारा कोई बात समझाई जाए, वह उसे जल्दी समझ में आती है। थोड़े बड़े बच्चे तो स्वयं ही किताबें पढ़ सकते हैं। इसके अनेक लाभ हैं जैसे –

  1. इनसे बालकों को पढ़ने की और प्रेरणा मिलती है।
  2. बच्चों की पढ़ने के प्रति रुचि जागृत होती है।
  3. बच्चों की योग्यता अच्छी पुस्तकों द्वारा बढ़ाई जा सकती है।
  4. बच्चों का ज्ञानवर्धन होता है।
  5. उनका भाषा का विकास भी होता है।

पुस्तकों के चयन में माता-पिता का काफ़ी सहयोग है। यदि वे अपने बच्चों को सही पुस्तकें चुनकर देते हैं, तो इसका अर्थ है कि वह उसके विकास में रुचि लेते हैं। यदि वह ऐसा नहीं करते तो बच्चे कभी कभी गलत पुस्तकों का चयन कर लेते हैं जो उनके विकास में हानिकारक सिद्ध होती हैं। ऐसी किताबें सदैव उन्हें अच्छा साहित्य पढ़ने से रोकती हैं। अत: किताबों का चयन बहुत सोच समझकर करना चाहिए।

HBSE 10th Class Home Science Solutions Chapter 2 विकास पर बाहरी वातावरण का प्रभाव

प्रश्न 5.
बच्चों के विकास में टेलीविज़न का क्या स्थान है?
अथवा
बालकों के जीवन पर टेलीविज़न का क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर :
टेलीविज़न का एक बहुत महत्त्वपूर्ण स्थान है। कौन-सा घर आज ऐसा है जिसमें टेलीविज़न न हो। टेलीविज़न में अनेक तरह के शिक्षाप्रद व मनोरंजक कार्यक्रम दिखाए जाते हैं। चूंकि टेलीविज़न में न केवल आप सुनते हैं बल्कि देखते भी हैं अतः वो चीज़ आपको ज्यादा याद रहती है। केबल आने के बाद बच्चों का अधिकांश समय टेलीविज़न के आगे ही गुज़रता है । केबल द्वारा अनेक चैनल अब देखे जा सकते हैं। परन्तु यह माता-पिता का फर्ज़ है कि वह इस बात पर ध्यान दें कि उनके बच्चे कौन से चैनल ज्यादा देख रहे हैं। कुछ चैनल के कार्यक्रम केवल वयस्कों के लिए होते हैं।

यदि बच्चे उन्हें देखें, तो उनके विकास पर विपरीत असर अवश्य पड़ेगा। वैसे भी ज्यादा टेलीविज़न देखना आंखों के लिए हानिकारक है। इसके अलावा बच्चों का शारीरिक विकास रुक जाता है। अत: माता-पिता बच्चों को केवल चुने हुए चैनल ही देखने दें जो कि उनके काम के हैं। इसके अलावा कितना समय बच्चा टी० वी० देखेगा, उस पर भी नियन्त्रण रखें। वह इसीलिए क्योंकि सामूहिक विकास के लिए सभी क्रियाओं को करना अनिवार्य है।

प्रश्न 6.
बच्चों के मनोरंजन के लिए पुस्तकें तथा उनके चुनाव के बारे में बताएं।
उत्तर :
बच्चों की दुनिया अलग होती है इसलिए उनकी पढ़ने वाली पुस्तकें भिन्न तरह की होती हैं। बच्चों में पढ़ने की रुचि जागृत हो इसलिए पुस्तकों का चुनाव ध्यानपूर्वक करना चाहिए। छोटे बच्चों के लिए पुस्तकें रंगदार तस्वीरों तथा मोटी छपाई वाली होनी चाहिएं। इनकी जिल्द तथा पेज़ मज़बूत होने चाहिएं। बच्चों की पुस्तकों में कहानियां अच्छे मूल्यों को सिखाने वाली होनी चाहिए। बाल पुस्तकों में जंगली जानवरों, पौधों तथा अपने इर्द-गिर्द के लोगों के साथ मिल जुलकर रहने की शिक्षा होनी चाहिए। छोटी-छोटी शिक्षात्मक कहानियों वाली पुस्तकों का चुनाव करना चाहिए। बच्चों में पढ़ने की रुचि पैदा करनी अति आवश्यक है। इससे बच्चे की काल्पनिक शक्ति में वृद्धि होती है तथा बच्चा बुरी संगत से बचा रहता है।

प्रश्न 7.
बच्चों के मनोरंजन के लिए कहानियों तथा कविताओं के बारे में लिखें।
अथवा
तीन माह तक के बच्चों को सुनाए जाने वाले बाल गीत किस प्रकार के होने चाहिए ? इनका बच्चों पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर :
कहानियाँ तथा कविताएँ (Stories and Nursery Rhymes)-खेलों तथा पुस्तकों के अलावा बच्चे का मनोरंजन कहानियां तथा कविताओं से भी होता है। जब परिवार में माता-पिता या दादा-दादी बच्चों को कहानियां सुनाते हैं तो बच्चों की काल्पनिक शक्ति तथा याद शक्ति का विकास होता है साथ ही उन की अपने बुर्जुगों से नज़दीकी बढ़ती है। बचपन में सुनी हुई कहानियां बच्चों पर बहुत प्रभाव डालती हैं तथा बड़े होने तक याद रहती हैं।

इसी तरह माँ छोटे से बच्चे को गोद में उठा कर झूले में डाल कर झुलाती है तथा लोरी गाती है। लोरी सुनने से बच्चा शांत हो जाता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि संगीत पौधों तथा जानवरों की वृद्धि तथा विकास को भी प्रभावित करता है। बच्चा तो एक इन्सान है वह भी संगीत का आनन्द मानता है। बाल गीत खुशी का साधन होते हैं तथा बच्चे के विकास पर गहरा प्रभाव डालते हैं। बाल गीत से बच्चे का उच्चारण शुद्ध तथा सामाजिक विकास भी होता है। बच्चों को प्यार, दया, हमदर्दी तथा अपने मन के गुणों की शिक्षा प्रदान की जाती है। बाल गीत तथा कहानियां बच्चों की आयु अनुसार होने चाहिएं। बाल गीतों द्वारा बतलाई बातें बच्चे के इर्द-गिर्द के वातावरण अनुसार चाहिए।

बाल गीत गा कर बच्चा अपने मन के भावों को प्रकट करता है तथा दूसरे के जीवन को अपने जीवन से मिला कर अन्तर देखने की कोशिश करता है। इसमें कोई शंका नहीं कि यह अन्तर जलदी पता नहीं चलता क्योंकि पहली अवस्था में तो बच्चा केवल अपने आप ही उस गीत, कविता तथा छोटी-छोटी कहानियां सुनाने तथा सुनने के लिए भावुक होता है। वह बाल गीत सुना कर बहुत खुशी महसूस करता है। यह खुशी ही उसका मनोरंजन है। कुछ बाल गीत नीचे दिए गए हैं

1. चंदा मामा दूर के, पूड़े पकाए नूर के,
आप खाए थाली में, मुझे दे प्याली में,
प्याली गई टूट, मुन्ना गया रूठ।

2. Jonny, Jonny, Yes Papa
Eating Sugar, No Papa,
Open Your Mouth Ha Ha Ha

HBSE 10th Class Home Science Solutions Chapter 2 विकास पर बाहरी वातावरण का प्रभाव

प्रश्न 7. (A).
शिशु गीतों का बच्चों के लिए क्या महत्त्व है ?
उत्तर :
देखें प्रश्न 7 का उत्तर।

प्रश्न 8.
बालकों के जीवन में मनोरंजन का क्या महत्त्व है ?
उत्तर :
मनोरंजन तथा खेल का बालक के जीवन में निम्नलिखित महत्त्व है –
1. बालक संवेगों का प्रकाशन तथा नियन्त्रण सीखता है।
2. सहनशीलता, त्याग, सच्चाई तथा सहानुभूति जैसे गुण उत्पन्न होते हैं।
3. बच्चों में नियम निष्ठा की भावना आ जाती है।
4. बच्चा सीखता है कि एक अच्छा खिलाड़ी हार जाने पर भी उत्साहहीन नहीं होता और न ही उसमें द्वेष का भाव आता है।
5. टेलीविज़न तथा रेडियो आदि में आने वाले शिक्षाप्रद कार्यक्रम, ऐतिहासिक घटनाएं तथा बहुत से कार्यक्रम स्वस्थ मनोरंजन के साथ-साथ बालक के नैतिक व मानसिक विकास में सहायक होते हैं।
6. रेडियो सनने से भाषा का विकास होता है, भाषा सधरती है, व्याकरण का ज्ञान बढ़ता है।
7. संगीत के प्रभाव में बच्चे कई शारीरिक क्रियाएं करते हैं जिससे व्यायाम तथा प्रसन्नता का भाव पैदा होता है।
8. पुस्तकें पढ़ने से नए-नए शब्दों का ज्ञान होता है तथा बच्चे की काल्पनिक शक्ति में वृद्धि होती है। इस प्रकार मनोरंजन के भिन्न-भिन्न साधनों का बच्चे के जीवन में कुछ-न-कुछ प्रभाव अवश्य ही पड़ता है। परन्तु कई बार किसी विशेष प्रकार की मनोरंजन क्रिया को अधिक करने से हानि भी हो सकती है।

HBSE 10th Class Home Science Solutions Chapter 2 विकास पर बाहरी वातावरण का प्रभाव

प्रश्न 9.
बच्चों के जीवन में पुस्तकों का क्या प्रभाव पड़ता है ? बाल साहित्य कैसा होना चाहिए ?
उत्तर :
देखें प्रश्न 4 तथा 6 का उत्तर।

प्रश्न 9. (A).
बच्चों की पुस्तकें कैसी होनी चाहिए ?
उत्तर :
देखें प्रश्न 9 का उत्तर।

प्रश्न 10.
बालक के विकास में वातावरण की भूमिका का उल्लेख करें।
उत्तर :
वातावरण का भाव ऐसी बाहरी परिस्थितियों से है जिनका प्रभाव बालक पर गर्भाधान से लेकर मत्य तक पडता रहता है। वातावरण, व्यक्ति की बौद्धिक आर्थिक नैतिक, सामाजिक, संवेगात्मक क्षमतायों को प्रभावित करता है।
1. भौतिक वातावरण-गर्मी, सर्दी, भोजन, घर, स्कूल आदि ऐसे कारक हैं जो व्यक्ति के विकास को प्रभावित करते हैं।
2. सामाजिक वातावरण-माता-पिता के आपसी सम्बन्ध, बच्चे के दोस्त, परिवार के सदस्य, अध्यापक, सम्बन्धी आदि भी विकास को प्रभावित करते हैं।
3. संवेगात्मक वातावरण-बालक के मित्र, माता-पिता, अध्यापक, सम्बन्धियों के साथ सम्बन्धों के कारण बच्चों में संवेगात्मक विकास भी होता है।
4. बौद्धिक वातावरण रेडियो, टी० वी०, पुस्तकें, खिलौने, स्कूल आदि से बच्चों का बौद्धिक विकास होता है।

एक शब्द/एक वाक्य वाले प्रश्न –

(क) निम्न का उत्तर एक शब्द में दें –

प्रश्न 1.
टेलीविज़न के द्वारा मनोरंजन के साथ-साथ किसका विकास होता ?
उत्तर :
बौद्धिक विकास।

HBSE 10th Class Home Science Solutions Chapter 2 विकास पर बाहरी वातावरण का प्रभाव

प्रश्न 2.
बच्चों में बढ़िया आदतों का निर्माण कौन कर सकता है ?
उत्तर :
माँ-बाप।

प्रश्न 3. जोन्स के अनुसार कितने मास का बालक चीजों को खींच सकता
उत्तर :
21 मास।

प्रश्न 4.
बच्चों पर पुस्तकों का एक प्रभाव बताएं।
उत्तर :
भाषा का विकास।

प्रश्न 5.
सिनेमा में दिखाई जाने वाली असामाजिक बातों का किस विकास पर विपरीत प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर :
नैतिक विकास।

(ख) रिक्त स्थान भरो –
1. विज्ञापन ………….. का परिचय करवाते हैं।
2. खेलों द्वारा शरीर का ………… होता है।
3. पुस्तकें पढ़ने से बच्चों में ……….. शब्दों का ज्ञान होता है।
4. …………… से भाषा का ज्ञान होता है।
उत्तर :
1. चित्रांकन, संगीत तथा सांसारिक वस्तुओं
2. व्यायाम
3. नए
4. रेडियो सुनने।

HBSE 10th Class Home Science Solutions Chapter 2 विकास पर बाहरी वातावरण का प्रभाव

(ग) निम्न में ठीक अथवा गलत बताएं –
1. पुस्तकें पढ़ने से बच्चों में पढ़ने की रुचि नहीं रहती।
2. बालकों की अभिव्यक्ति केवल लेखन से ही होती है।
3. जो बच्चे परस्पर खेलते हैं, उनमें द्वेष की भावना नहीं रहती।
4. खेलों से चिड़चिड़ापन दूर होता है।
उत्तर :
1. गलत
2. गलत
3. ठीक
4. ठीक।

बहु-विकल्पीय प्रश्न –

प्रश्न 1.
बालक के विकास पर घर के बाहर की निम्न बातों का प्रभाव पड़ता है –
(A) पुस्तकें
(B) रेडियो
(C) टेलीविज़न
(D) उपरोक्त सभी।
उत्तर :
उपरोक्त सभी।

प्रश्न 2.
खेलों का शारीरिक विकास में निम्न महत्त्व है –
(A) बच्चे का व्यायाम होता है
(B) चिड़चिड़ापन कम होता है
(C) सहनशीलता की भावना का विकास होता है
(D) उपरोक्त सभी।
उत्तर :
उपरोक्त सभी।

HBSE 10th Class Home Science Solutions Chapter 2 विकास पर बाहरी वातावरण का प्रभाव

प्रश्न 3.
बालक के विकास पर सबसे अधिक प्रभाव किस बात का पड़ता है ?
(A) परिवार
(B) रेडियो
(C) चलचित्र
(D) संगीत।
उत्तर :
परिवार।

प्रश्न 4.
टेलीविज़न के द्वारा मनोरंजन के साथ-साथ किसका विकास होता है ?
(A) शारीरिक विकास
(B) बौद्धिक विकास
(C) मानसिक विकास
(D) उपरिलिखित सभी।
उत्तर :
बौद्धिक विकास।

प्रश्न 5.
सिनेमा में दिखाई जाने वाली असामाजिक बातों का किस विकास पर विपरीत प्रभाव पड़ता है ?
(A) नैतिक विकास
(B) शारीरिक विकास
(C) संवेगात्मक विकास
(D) सामाजिक विकास।
उत्तर :
नैतिक विकास।

HBSE 10th Class Home Science Solutions Chapter 2 विकास पर बाहरी वातावरण का प्रभाव

प्रश्न 6.
बच्चों में बढ़िया आदतों का निर्माण कौन कर सकता है ?
(A) दोस्त
(B) मां-बाप
(C) दादा-दादी
(D) चाचा-चाची।
उत्तर :
मां-बाप।

प्रश्न 7.
विज्ञापन ………….. का परिचय करवाते हैं
(A) चित्रांकन
(B) संगीत
(C) सांसारिक वस्तुओं
(D) ऊपरलिखित सभी।
उत्तर :
ऊपरलिखित सभी।

प्रश्न 8.
बच्चे में झूठ बोलने की आदत कैसे पैदा होती है ?
(A) अधिक सख़्ती
(B) अधिक लाड़-प्यार
(C) अधिक सख्ती और अधिक लाड़-प्यार
(D) कोई भी नहीं।
उत्तर :
अधिक सख्ती और अधिक लाड़-प्यार।

प्रश्न 9.
रेडियो व टेलीविज़न का बच्चों के लिए क्या उपयोग होता है ?
(A) मनोरंजन
(B) बौद्धिक विकास
(C) नैतिक विकास
(D) उपर्युक्त सभी।
उत्तर :
उपर्युक्त सभी।

HBSE 10th Class Home Science Solutions Chapter 2 विकास पर बाहरी वातावरण का प्रभाव

प्रश्न 10.
तीन साल से छोटे बच्चों की पुस्तकें कैसी होनी चाहिए ?
(A) रंग-बिरंगे चित्रों वाली
(B) पढ़ाई से सम्बन्धित
(C) यथार्थ से सम्बन्धित कहानियों वाली
(D) इनमें से कोई भी नहीं।
उत्तर :
रंग-बिरंगे चित्रों वाली।

प्रश्न 11.
बालगीत (राइम) बच्चों के ……. के लिए जरूरी है ?
(A) भाषा विकास के लिए
(B) मनोरंजन हेतु
(C) बौद्धिक विकास के लिए
(D) उपर्युक्त सभी।
उत्तर :
उपर्युक्त सभी।।

प्रश्न 12.
रेडियो तथा टेलीविज़न द्वारा बच्चों के मनोरंजन के साथ-साथ किसका विकास होता है ?
(A) भाषा विकास
(B) बौद्धिक विकास
(C) नैतिक विकास
(D) उपर्युक्त सभी।
उत्तर :
उपर्युक्त सभी।

प्रश्न 13.
बालकों की अभिव्यक्ति के क्या साधन हैं ?
(A) चित्रांकन
(B) संगीत
(C) हस्तकौशल
(D) ऊपरलिखित सभी।
उत्तर :
ऊपरलिखित सभी।

HBSE 10th Class Home Science Solutions Chapter 2 विकास पर बाहरी वातावरण का प्रभाव

प्रश्न 14.
टेलीविज़न का बालक के लिए क्या महत्त्व है ?
(A) शिक्षाप्रद
(B) ऐतिहासिक रूप से
(C) मनोरंजन
(D) ऊपरलिखित सभी।
उत्तर :
ऊपरलिखित सभी।

प्रश्न 15.
रेडियो और टेलीविजन सुनने से ……….. का विकास होता है।
(A) शरीर
(B) भाषा
(C) गत्यात्मक
(D) संवेगात्मक।
उत्तर :
भाषा।

विकास पर बाहरी वातावरण का प्रभाव HBSE 10th Class Home Science Notes

ध्यानार्थ तथ्य :

→ परिवार (घर) तथा विद्यालय के अलावा बालक के विकास पर विभिन्न बाहरी वातावरण तथा प्रक्रियाओं का भी बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है।

→ बालक के विकास पर पुस्तकों, खेलों, संगीत, रेडियो, चलचित्र (सिनेमा), टेलीविज़न तथा विज्ञापनों का बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है।

→ बाहरी खेल उचित शारीरिक विकास में सहायक होते हैं। खेलों द्वारा बालकों के संवेगों का नियंत्रण हो जाता है। बाहरी मनोरंजनों द्वारा बच्चों को हँसमुख बनाकर संवेगात्मक रचना सम्भव है।

→ रेडियो, सिनेमा, टेलीविज़न द्वारा मनोरंजन के साथ-साथ बालकों का बौद्धिक विकास भी होता है। परन्तु सिनेमा में दिखाई जाने वाली हिंसा तथा अन्य अर्थहीन तथा असामाजिक बातों से बालकों के नैतिक विकास पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।

→ टेलीविज़न पर दिखाए जाने वाले शिक्षाप्रद कार्यक्रम, ऐतिहासिक घटनाएं तथा अन्य बहुत से कार्यक्रम स्वस्थ मनोरंजन के साथ-साथ बालक के मानसिक तथा नैतिक विकास में सहायक होते हैं। आज का बालक पहले के बालकों से कहीं अधिक स्मार्ट है। यह टेलीविज़न के कार्यक्रमों की ही देन है।

HBSE 10th Class Home Science Solutions Chapter 2 विकास पर बाहरी वातावरण का प्रभाव

→ संगीत का विकास में बहुत अधिक महत्त्व है। अच्छा संगीत मनोरंजन का एक अच्छा साधन है।

→ किसी भी चीज़ की अति बुरी होती है। यही बात आज रेडियो, टेलीविज़न, सिनेमा की ओर बालकों के बढ़ते झुकाव द्वारा प्रदर्शित होती है। आज का बालक टेलीविज़न के सभी कार्यक्रम देखना चाहता है जिससे उसकी खेलों में रुचि कम होती है और परिणामस्वरूप शारीरिक विकास रुक जाता है। साथ ही उनका व्यक्तिगत और सामाजिक समायोजन बिगड़ जाता है।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *