HBSE 10th Class Science Solutions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव

Haryana State Board HBSE 10th Class Science Solutions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव Textbook Exercise Questions, and Answers.

Haryana Board 10th Class Science Solutions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव

HBSE 10th Class Science विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
निम्नलिखित में से कौन किसी लम्बे विद्युत धारावाही तार के निकट चुम्बकीय क्षेत्र का सही वर्णन करता है?
(a) चुम्बकीय क्षेत्र की क्षेत्र रेखाएँ तार के लम्बवत् होती हैं।
(b) चुम्बकीय क्षेत्र की क्षेत्र रेखाएँ तार के समान्तर होती हैं।
(c) चुम्बकीय क्षेत्र की क्षेत्र रेखाएँ अरीय होती हैं जिनका उद्भव तार से होता है।
(d) चुम्बकीय क्षेत्र की संकेन्द्रीय क्षेत्र रेखाओं का केन्द्र तार होता है।
उत्तर-
(d) चुम्बकीय क्षेत्र की संकेन्द्रीय क्षेत्र रेखाओं का केन्द्र तार होता है।

प्रश्न 2.
वैद्युत-चुम्बकीय प्रेरण की परिघटना
(a) किसी वस्तु को आवेशित करने की प्रक्रिया है।
(b) किसी कुंडली में विद्युत धारा प्रवाहित होने के कारण चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न करने की प्रक्रिया है।
(c) कुंडली तथा चुम्बक के बीच आपेक्षिक गति के कारण कुंडली में प्रेरित विद्युत धारा उत्पन्न करना है।
(d) किसी विद्युत मोटर की कुंडली को घूर्णन कराने की प्रक्रिया है।
उत्तर-
(c) कुंडली तथा चुम्बक के बीच आपेक्षिक गति के कारण कुंडली में प्रेरित विद्युत धारा उत्पन्न करना है।

प्रश्न 3.
विद्युत धारा उत्पन्न करने की युक्ति को कहते हैं-
(a) जनित्र
(b) गैल्वेनोमीटर
(c) ऐमीटर
(d) मोटर।
उत्तर-
(a) जनित्र।

प्रश्न 4.
किसी ac जनित्र तथा dc जनित्र में एक मूलभूत अन्तर यह है कि- .
(a) ac जनित्र में विद्युत चुम्बक होता है जबकि dc मोटर में स्थायी चुम्बक होता है।
(b) dc जनित्र उच्च वोल्टता का जनन करता है।
(c) ac जनित्र उच्च वोल्टता का जनन करता है।
(d) ac जनित्र में सी वलय होते हैं, जबकि dc जनित्र में दिक्परिवर्तक होता है।
उत्तर-
(d) ac जनित्र में सी वलय होते हैं, जबकि dc जनित्र में दिक्परिवर्तक होता है।

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प्रश्न 5.
लघुपथन के समय, परिपथ में विद्युत धारा का मान
(a) बहुत कम हो जाता है
(b) परिवर्तित नहीं होता
(c) बहुत अधिक बढ़ जाता है
(d) निरन्तर परिवर्तित होता है।
उत्तर-
(c) बहुत अधिक बढ़ जाता है।

प्रश्न 6.
निम्नलिखित प्रकथनों में कौन-सा सही है तथा कौन-सा गलत है? इसे प्रकथन के सामने अंकित कीजिए
(a) विद्युत मोटर यान्त्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में रूपान्तरित करता है।
(b) विद्युत जनित्र विद्युत चुम्बकीय प्रेरण के सिद्धान्त पर कार्य करता है।
(c) किसी लम्बी वृत्ताकार विद्युत धारावाही कुंडली के केन्द्र पर चुम्बकीय क्षेत्र समान्तर सीधी क्षेत्र रेखाएँ होता है।
(d) हरे विद्युतरोधन वाला तार प्रायः विद्युन्मय तार होता है।
उत्तर-
(a) असत्य,
(b) सत्य,
(c) सत्य,
(d) असत्य।

प्रश्न 7.
चुम्बकीय क्षेत्र के तीन स्त्रोतों की सूची बनाइए।
उत्तर-
चुम्बकीय क्षेत्र के स्रोत हैं-
(1) स्थायी चुम्बक,
(2) विद्युत धारा तथा
(3) गतिमान आवेश।

प्रश्न 8.
परिनालिका चुम्बक की भाँति कैसे व्यवहार करती है? क्या आप किसी छड़ चुम्बक की सहायता से किसी विद्युत धारावाही परिनालिका के उत्तर ध्रुव तथा दक्षिण ध्रुव का निर्धारण कर सकते हैं।
उत्तर-
धारावाही परिनालिका एक छड़ चुम्बक की भाँति ही व्यवहार करती है। इनमें निम्नलिखित समानताएँ होती हैं-

  • धारावाही परिनालिका एवं छड़ चुम्बक दोनों को स्वतन्त्रतापूर्वक लटकाए जाने पर दोनों के अक्ष उत्तर एवं दक्षिण दिशा में ठहरते हैं।
  • धारावाही परिनालिका एवं छड़ चुम्बक दोनों के समान ध्रुवों में प्रतिकर्षण एवं असमान ध्रुवों में आकर्षण होता है।
  • दोनों ही लोहे के छोटे-छोटे टुकड़ों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं तथा दिक्सूचक सुई लाने पर सुई विक्षेपित हो जाती है।

दण्ड चुम्बक की सहायता से परिनालिका के ध्रुवों का निर्धारण-दण्ड चुम्बक द्वारा परिनालिका के ध्रुवों का निर्धारण निम्न प्रकार से किया जा सकता है-

  • परिनालिका को उसके केन्द्र पर धागा बाँधकर स्वतन्त्रतापूर्वक लटका देते हैं।
  • दण्ड चुम्बक के उत्तरी ध्रुव को परिनालिका के एक सिरे के पास लाते हैं। यदि परिनालिका का यह सिरा चुम्बक की ओर आकर्षित होता है तो परिनालिका का यह सिरा दक्षिणी ध्रुव होगा तथा विपरीत सिरा उत्तरी ध्रुव होगा।
  • यदि दण्ड चुम्बक का उत्तरी ध्रुव समीप लाने पर परिनालिका विक्षेपित हो जाती है तब दण्ड चुम्बक के उत्तरी ध्रुव के सामने वाला परिनालिका का सिरा उत्तरी ध्रुव होगा तथा विपरीत सिरा दक्षिणी ध्रुव होगा।

प्रश्न 9.
किसी चुम्बकीय क्षेत्र में स्थित विद्युत धारावाही चालक पर आरोपित बल कब अधिकतम होता है?
उत्तर-
जब चालक चुम्बकीय क्षेत्र के लम्बवत् रखा गया हो तब आरोपित बल अधिकतम होता है।

प्रश्न 10.
मान लीजिए आप किसी चैम्बर में अपनी पीठको किसी एक दीवार से लगाकर बैठे हैं। कोई इलेक्ट्रॉन पुंज आपके पीछे की दीवार से सामने की ओर क्षैतिजतः गमन करते हुए किसी प्रबल चुम्बकीय क्षेत्र द्वारा आपके दाईं ओर विक्षेपित हो जाता है। चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा क्या है?
उत्तर-
फ्लेमिंग के बाएँ हाथ के नियम के अनुसार चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा ऊर्ध्वाधरतः नीचे की ओर होगी।

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प्रश्न 11.
विद्युत मोटर का नामांकित आरेख खींचिए। इसका सिद्धान्त तथा कार्यविधि स्पष्ट कीजिए। विद्युत मोटर में विभक्त वलय का क्या महत्त्व है? (CBSE 2018)
उत्तर-
विद्युत मोटर (Electric Motor) विद्युत मोटर द्वारा विद्युत ऊर्जा को यान्त्रिक ऊर्जा में बदला जाता है।
सिद्धान्त (Principle)-यदि किसी चुम्बकीय क्षेत्र में एक बन्द कुंडली रखकर उसमें विद्युत धारा प्रवाहित की जाए तो कुंडली विक्षेपित हो जाती है। यदि कुंडली में धारा का प्रवाह एक ही दिशा में होता रहे तो कुंडली भी एक दिशा में घूमती रहेगी। इस तथ्य का उपयोग विद्युत मोटर बनाने में किया जाता है। इसे विद्युत मोटर का सिद्धान्त कहा जाता है।

रचना-विद्युत मोटर के निम्नांकित मुख्य भाग होते हैं
(i) क्षेत्र चुम्बक,
(ii) आर्मेचर,
(iii) विभक्त वलय,
(iv) ब्रुश।

(i) क्षेत्र चुम्बक (Field magnet)-यह एक शक्तिशाली स्थायी चुम्बक होता है, जिसके ध्रुव खण्ड N व S हैं। इस चुम्बक के ध्रुवों के बीच उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र में आर्मेचर कुंडली घूमती है।

(ii) आर्मेचर (Armature) यह अनेक फेरों वाली एक आयताकार कुंडली ABCD होती है जो कच्चे लोहे के क्रोड पर ताँबे के पृथक्कित तार लपेटकर बनायी जाती है।

(iii) विभक्त वलय (Split rings) यह दो अर्द्ध-वृत्ताकार वलयों L व M के रूप में होता है। कुंडली के सिरे A व B इन भागों में अलग-अलग जुड़े रहते हैं। यह कुंडली में प्रवाहित होने वाली धारा की दिशा को इस प्रकार परिवर्तित करता है कि कुंडली सदैव एक ही दिशा में क्षैतिज अक्ष पर घूमती है।
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(iv) बुश (Brush) विभक्त वलय L व M धातु की बनी दो पत्तियों को स्पर्श करते हैं। इन्हें ब्रुश कहते हैं। इन ब्रुशों का सम्बन्ध दो संयोजक पेचों से कर दिया जाता है। बाह्य परिपथ से आने वाली धारा को इन्हीं पेचों से सम्बन्धित कर देते हैं।

कार्यविधि (Working)-जब बैटरी से कुंडली में विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है तब फ्लेमिंग के बाएँ हाथ के नियमानुसार, कुंडली की भुजाओं AB तथा CD पर बराबर, परन्तु विपरीत दिशा में दो बल कार्य करने लगते हैं। ये बल एक बलयुग्म का निर्माण करते हैं, जिसके कारण कुंडली दक्षिणावर्त दिशा में घूमने लगती है। आधे चक्कर के बाद कुंडली की भुजाएँ AB तथा CD अपना स्थान बदल देती हैं तथा साथ ही साथ विभक्त वलय L व M भी अपनी स्थितियाँ बदल देते हैं। इन विभक्त वलयों की सहायता से धारा की दिशा इस प्रकार रखी जाती है कि कुंडली पर बलयुग्म एक ही दिशा में कार्य करे अर्थात् कुंडली एक ही दिशा में घूमती रहे।

कुंडली के घूमने की दर निम्नलिखित उपायों से बढ़ाई जा सकती है-

  • कुंडली में प्रवाहित धारा को बढ़ाकर,
  • कुंडली में फेरों की संख्या बढ़ाकर,
  • कुंडली का क्षेत्रफल बढ़ाकर तथा
  • चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता बढ़ाकर।

प्रश्न 12.
ऐसी कुछ युक्तियों के नाम लिखिए जिनमें विद्युत मोटर उपयोग किए जाते हैं?
उत्तर-
विद्युत मोटर का उपयोग बिजली के पंखे, विद्युत मिश्रकों, वाशिंग मशीनों, कम्प्यूटरों आदि में किया जाता है।

प्रश्न 13.
कोई विद्युतरोधी ताँबे के तार की कुंडली किसी गैल्वेनोमीटर से संयोजित है। क्या होगा यदि कोई छड़ चुम्बक-
(i) कुंडली में धकेला जाता है।
(ii) कुंडली के भीतर से बाहर खींचा जाता है।
(iii) कुंडली के भीतर स्थिर रखा जाता है।
उत्तर-
(i) कुंडली में एक प्रेरित धारा उत्पन्न होगी तथा धारामापी विक्षेप प्रदर्शित करेगा।
(ii) प्रेरित धारा उत्पन्न होने से धारामापी में विक्षेप होगा, विक्षेप की दिशा पहले से विपरीत होगी।
(iii) कोई प्रेरित धारा उत्पन्न नहीं होगी, धारामापी में कोई विक्षेप नहीं आएगा।

प्रश्न 14.
दो वृत्ताकार कुंडली A तथा B एक-दूसरे के निकट स्थित हैं। यदि कुंडली A में विद्युत धारा में कोई परिवर्तन करें तो क्या कुंडली B में कोई विद्युत धारा प्रेरित होगी? कारण लिखिए।
उत्तर-
कुंडली B में धारा प्रेरित होगी। इसका कारण यह है कि जब कुंडली A में प्रवाहित धारा में बदलाव किया जाता है तो इसके चारों ओर स्थित चुम्बकीय क्षेत्र में भी परिवर्तन होता है। इस क्षेत्र की बल रेखाओं के कुंडली B से गुजरते समय बल रेखाओं की संख्या में परिवर्तन होने के कारण कुंडली B में प्रेरित धारा उत्पन्न हो जाती है।

प्रश्न 15.
निम्नलिखित की दिशा को निर्धारित करने वाला नियम लिखिए
(i) किसी विद्युत धारावाही सीधे चालक के चारों ओर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र,
(ii) किसी चुम्बकीय क्षेत्र में, क्षेत्र के लम्बवत् स्थित, विद्युत धारावाही सीधे चालक पर आरोपित बल, तथा
(iii) किसी चुम्बकीय क्षेत्र में किसी कुंडली के घूर्णन करने पर उस कुंडली में उत्पन्न प्रेरित विद्युत धारा।
उत्तर-
(i) किसी धारावाही चालक के चारों ओर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा दक्षिण-हस्त अंगुष्ठ नियम द्वारा निर्धारित होती है, इस नियम के अनुसार, “यदि दाएँ हाथ की अंगुलियों को धारावाही चालक के चारों ओर मोड़कर, अंगूठे को धारावाही चालक में प्रवाहित धारा के अनुदिश रखें तो मुड़ी हुई अंगुलियाँ चुम्बकीय बल रेखाओं की दिशा को प्रदर्शित करेंगी।”

(ii) चुम्बकीय क्षेत्र में रखे गये धारावाही चालक पर लगने वाले बल की दिशा फ्लेमिंग के बाएँ हाथ के नियम द्वारा निर्धारित की जाती है।
फ्लेमिंग का बाएँ हाथ का नियम-इस नियम के अनुसार, “यदि हम बाएँ हाथ के अंगूठे तथा पहली दो अंगुलियों को इस प्रकार फैलाएँ कि तीनों परस्पर लम्बवत् रहें तब यदि तर्जनी चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा, मध्यमा चालक में प्रवाहित धारा की दिशा को प्रदर्शित करे तो अँगूठा चालक पर लगने वाले बल की दिशा को प्रदर्शित करेगा।”

(iii) किसी चुम्बकीय क्षेत्र में किसी कुंडली की गति के कारण उसमें उत्पन्न प्रेरित धारा की दिशा फ्लेमिंग के दाएँ हाथ के नियम से ज्ञात की जाती है- फ्लेमिंग का दाएँ हाथ का नियम-इस नियम के अनुसार, “यदि दाएँ हाथ का अंगूठा, उसके पास वाली तर्जनी अंगुली तथा मध्यमा अंगुली को परस्पर एक-दूसरे के लम्बवत् फैलाकर इस प्रकार रखें कि तर्जनी अंगुली चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा में तथा अंगूठा चालक की गति की दिशा में हो तो मध्यमा अंगुली चालक में धारा की दिशा बताएगी।”

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प्रश्न 16.
नामांकित आरेख खींचकर किसी विद्युत जनित्र का मूल सिद्धान्त तथा कार्यविधि स्पष्ट कीजिए। इसमें ब्रुशों का क्या कार्य है?
उत्तर-
विद्युत जनित्र अथवा प्रत्यावर्ती धारा डायनमो (Electric Generator or Alternating Current Dynamo)- विद्युत जनित्र (डायनमो) एक ऐसा यन्त्र है जो कि यान्त्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करता है।

सिद्धान्त (Principle)-जब किसी शक्तिशाली चुम्बकीय क्षेत्र में किसी बन्द कुंडली को घुमाया जाता है, तो उसमें से होकर गुजरने वाले चुम्बकीय फ्लक्स में लगातार परिवर्तन होता रहता है, जिसके कारण कुंडली में एक विद्युत वाहक बल तथा विद्युत धारा प्रेरित हो जाती है। कुंडली को घुमाने में जो कार्य किया जाता है वह विद्युत ऊर्जा के रूप में परिणित हो जाता है।

संरचना (Construction)-इसके मुख्य भाग निम्नलिखित हैं-
(i) क्षेत्र चुम्बक,
(ii) आर्मेचर,
(iii) सपी वलय,
(iv) ब्रुश।

(i) क्षेत्र चुम्बक (Field magnet)-यह एक अति शक्तिशाली नाल चुम्बक होता है जिसके ध्रुवों के मध्य शक्तिशाली चुम्बकीय क्षेत्र में एक कुंडली को तीव्र गति से घुमाया जाता है।
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(ii) आर्मेचर या कुंडली (Armature)-यह मुलायम लोहे के एक क्रोड पर लिपटी अत्यधिक संख्या में पृथक्कृत तारों की कुंडली है जिसे चुम्बकीय क्षेत्र में तीव्र गति से घुमाया जाता है। यह सामान्य रूप से 50 चक्कर प्रति सेकण्ड की दर से चक्कर लगाती है जो प्रत्यावर्ती धारा की आवृत्ति. कहलाती है।

(iii) सी वलय (Slip rings)-कुंडली के सिरे A व D क्रमशः अलग-अलग पृथक्कृत धात्विक वलयों C, व C, से जोड़ दिए जाते हैं। ये कुंडली के साथ-साथ घूमते हैं।

(iv) बुश (Brushes)-ये कार्बन या किसी धातु की पत्तियों से बने दो ब्रुश होते हैं। इनका एक सिरा सी वलयों को स्पर्श करता है एवं शेष दूसरे सिरों को बाह्य परिपथ से सम्बन्धित कर दिया जाता है। ब्रुश कुंडली के साथ नहीं घूमते हैं।

कार्यविधि (Working)-माना कि कुंडली ABCD दक्षिणावर्त दिशा में घूम रही है, जिससे भुजा CD नीचे की ओर व भुजा AB ऊपर की ओर आ रही होती है तब फ्लेमिंग के दाएँ हाथ के नियमानुसार, इन भुजाओं में प्रेरित धारा की दिशा चित्रानुसार होगी। अतः बाह्य परिपथ में धारा B2, से जाएगी तथा B1, से वापस आएगी। जब कुंडली अपनी
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ऊर्ध्वाधर स्थिति से गुजरेगी, तब भुजा AB नीचे की ओर तथा CD ऊपर की ऊपर की ओर जाने लगेगी। इस कारण AB तथा CD में धारा की दिशाएँ पहले से विपरीत हो जाएँगी। इस प्रकार की धारा को प्रत्यावर्ती धारा (alternating current) कहते हैं, क्योंकि प्रत्येक आधे चक्कर के बाद बाह्य परिपथ में धारा की दिशा बदल जाती है।

प्रश्न 17.
किसी विद्युत परिपथ में लघुपथन कब होता
उत्तर-
जब विद्युन्मय तार एवं उदासीन तार परस्पर सम्पर्कित हो जाते हैं तो परिपथ लघुपथित हो जाता है। इस स्थिति में परिपथ का प्रतिरोध अचानक शून्य हो जाता है तथा धारा का मान अचानक बहुत अधिक बढ़ जाता है।

प्रश्न 18.
भूसंपर्क तार का क्या कार्य है? धातु के आवरण वाले विद्युत साधित्रों को भूसंपर्कित करना क्यों आवश्यक है?
उत्तर-
भूसंपर्क तार-घरेलू विद्युत परिपथ में विद्युन्मय एवं उदासीन तारों के साथ एक तीसरा तार भी लगा होता है, इस तार का सम्पर्क घर के निकट जमीन के नीचे दबी धातु के प्लेट के साथ होता है। इस तार को भूसंपर्क तार कहते हैं। धातु के साधित्रों जैसे बिजली की प्रेस, फ्रिज, टोस्टर आदि को भूसंपर्क तार से जोड़ देने पर साधित्र के आवरण से विद्युत धारा का क्षरण होने पर आवरण का विभव भूमि के बराबर हो जाता है। इससे साधित्र का उपयोग करने वाले व्यक्ति को तीव्र विद्युत आघात लगने का खतरा समाप्त हो जाता है।

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(पाठ्य-पुस्तक पृ. सं. 250)

प्रश्न 1.
चुम्बक के निकट लाने पर दिक्सूचक की सुई विक्षेपित क्यों हो जाती है?
उत्तर-
चुम्बक के समीप लाए जाने पर, चुम्बक के चुम्बकीय क्षेत्र के कारण दिक्सूचक सुई पर एक बलयुग्म कार्य करने लगता है जो सुई को विक्षेपित कर देता है।

(पाठ्य-पुस्तक पृ. सं. 255)

प्रश्न 1.
किसी छड़ चुम्बक के चारों ओर चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ खींचिए।
उत्तर-
किसी छड़ चुम्बक के चारों ओर चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ –
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प्रश्न 2.
चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं के गुणों की सूची बनाइए।
उत्तर-
चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं के निम्नलिखित गुण हैं-

  • चुम्बक के बाहर इन बल रेखाओं की दिशा उत्तरी ध्रुव से दक्षिणी ध्रुव की ओर तथा चुम्बक के अन्दर दक्षिणी ध्रुव से उत्तरी ध्रुव की ओर होती है। ये बन्द वक्र के रूप में होती हैं।
  • चुम्बकीय बल रेखा के किसी बिन्दु पर खींची गयी स्पर्श रेखा उस बिन्दु पर चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा को प्रदर्शित करती है!
  • चुम्बकीय बल रेखाएँ एक-दूसरे को कभी नहीं काटती, क्योंकि एक बिन्दु पर चुम्बकीय क्षेत्र की दो दिशाएँ सम्भव नहीं हैं।
  • एक समान चुम्बकीय क्षेत्र की चुम्बकीय बल रेखाएँ, परस्पर समान्तर एवं बराबर दूरियों पर होती हैं।

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प्रश्न 3.
दो चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ एक-दूसरे को प्रतिच्छेद क्यों नहीं करती?
उत्तर-
यदि दो चुम्बकीय बल रेखाएँ एक-दूसरे को परस्पर काटेंगी तो उस बिन्दु पर चुम्बकीय क्षेत्र की दो दिशाएँ होंगी जोकि असम्भव है।

(पाठ्य-पुस्तक पृ. सं. 256)

प्रश्न 1.
मेज के तल में पड़े तार के वृत्ताकार पाश पर विचार कीजिए। मान लीजिए इस पाश में दक्षिणावर्त विद्युत धारा प्रवाहित हो रही है। दक्षिण-हस्त अंगुष्ठ नियम को लागू करके पाश के भीतर तथा बाहर चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा ज्ञात कीजिए। .
उत्तर-
चित्र के अनुसार, यदि दाहिने हाथ की अंगुलियाँ तार के ऊपर इस प्रकार लपेटी जाएँ कि अँगूठा तार में प्रवाहित धारा की दिशा में हों, तब अंगुलियों के मुड़ने की दिशा चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा को प्रदर्शित करेगी।
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अतः पाश के भीतर चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा पाश के तल (मेज के तल) के लम्बवत् नीचे की ओर होगी, जबकि पाश के बाहर चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा पाश (मेज) के तल के लम्बवत् ऊपर की ओर होगी।

प्रश्न 2.
किसी दिए गए क्षेत्र में चुम्बकीय क्षेत्र एक समान है। इसे निरूपित करने के लिए आरेख खींचिए।
उत्तर-
एक समान चम्बकीय क्षेत्र परस्पर समान्तर बल रेखाओं द्वारा प्रदर्शित किया जाएगा जैसा कि निम्न चित्र में प्रदर्शित किया गया है।
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प्रश्न 3.
सही विकल्प चुनिए
किसी विद्युत धारावाही सीधी लम्बी परिनालिका के भीतर चुम्बकीय क्षेत्र
(a) शून्य होता है।
(b) इसके सिरे की ओर जाने पर घटता है।
(c) इसके सिरे की ओर जाने पर बढ़ता है।
(d) सभी बिन्दुओं पर समान होता है।
उत्तर-
(b) इसके सिरे की ओर जाने पर घटता है।

(पाठ्य-पुस्तक पृ. सं. 259)

प्रश्न 1.
किसी प्रोटॉन का निम्नलिखित में से कौन-सा गुण चुम्बकीय क्षेत्र में मुक्त गति करते समय परिवर्तित हो जाता है?
(a) द्रव्यमान
(b) चाल
(c) वेग
(d) संवेग।
उत्तर-
(c) वेग तथा (d) संवेग।

प्रश्न 2.
क्रियाकलाप 13.7 में, हमारे विचार से छड़ AB का विस्थापन किस प्रकार प्रभावित होगा, यदि
(a) छड़ AB में प्रवाहित विद्युत धारा में वृद्धि हो जाए
(b) अधिक प्रबल नाल चुम्बक प्रयोग किया जाए और
(c) छड़ AB की लम्बाई में वृद्धि कर दी जाए?
उत्तर-
(a) छड़ का विस्थापन बढ़ जाएगा; क्योंकि इस पर कार्यरत बल प्रवाहित विद्युत धारा के अनुक्रमानुपाती होता है।
(b) छड़ का विस्थापन बढ़ जाएगा; क्योंकि इस पर कार्यरत बल चुम्बकीय क्षेत्र के अनुक्रमानुपाती होता है।
(c) छड़ का विस्थापन बढ़ जाएगा; क्योंकि इस पर कार्यरत बल छड़ की लम्बाई के अनुक्रमानुपाती होता है।

प्रश्न 3.
पश्चिम की ओर प्रक्षेपित कोई धनावेशित कण (अल्फा-कण) किसी चुम्बकीय क्षेत्र द्वारा उत्तर की ओर विक्षेपित हो जाता है। चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा क्या
(a) दक्षिण की ओर
(b) पूर्व की ओर
(c) अधोमुखी
(d) उपरिमुखी।
उत्तर-
(d) उपरिमुखी।

(पाठ्य-पुस्तक पृ. सं. 261)

प्रश्न 1.
फ्लेमिंग का वाम हस्त नियम लिखिए।
उत्तर-
फ्लेमिंग का वाम हस्त नियम-इस नियम के अनुसार, “यदि हम अपने बाएँ हाथ के अंगूठे तथा पहली दो चुम्बकीय क्षेत्र
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अंगुलियों को इस प्रकार फैलाएँ कि तीनों परस्पर लम्बवत् रहें, तब यदि तर्जनी चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा को प्रदर्शित करे, मध्यमा चालक में प्रवाहित धारा की दिशा को प्रदर्शित करे तो अँगूठा चालक पर लगने वाले बल की दिशा को प्रदर्शित करेगा।

प्रश्न 2.
विद्युत मोटर का क्या सिद्धान्त है?
उत्तर-
विद्युत मोटर का सिद्धान्त-जब किसी कुंडली को चुम्बकीय क्षेत्र में रखकर उसमें धारा प्रवाहित की जाती है तो कुंडली पर एक बलयुग्म कार्य करता है जो कुंडली को उसकी अक्ष पर घुमाने का प्रयास करता है। यदि कुंडली अपनी अक्ष पर घूमने के लिए स्वतन्त्र हो तो वह घूमने लगती है। यही विद्युत मोटर का सिद्धान्त है।

प्रश्न 3.
विद्युत मोटर में विभक्त वलय की क्या भूमिका है?
उत्तर-
विद्युत मोटर में विभक्त वलय दिक्परिवर्तक का कार्य करता है। वह युक्ति जो परिपथ में विद्युत धारा के प्रवाह को उत्क्रमित कर देती है, उसे दिक्परिवर्तक कहते हैं।

(पाठ्य-पुस्तक पृ. सं. 264)

प्रश्न 1.
किसी कुंडली में विद्युत धारा प्रेरित करने के विभिन्न ढंग स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-

  • यदि कुंडली को स्थिर रखकर, दण्ड चुम्बक को कुण्डली की ओर लाएँ या कुण्डली से दूर ले जाएँ, तो कुंडली में प्रेरित धारा उत्पन्न की जा सकती है।
  • चुम्बक को स्थिर रखकर कुंडली को चुम्बक के समीप या उससे दूर ले जाकर कुण्डली में विद्युत धारा प्रेरित की जा सकती है।
  • कुंडली को किसी चुम्बकीय क्षेत्र में घुमाकर उसमें धारा प्रेरित की जा सकती है।
  • कुंडली के समीप रखी किसी अन्य कुण्डली में प्रवाहित धारा में परिवर्तन करके भी पहली कुंडली में विद्युत धारा प्रेरित की जा सकती है।

(पाठ्य-पुस्तक पृ. सं. 265)

प्रश्न 1.
विद्युत जनित्र का सिद्धान्त लिखिए।
उत्तर-
विद्युत जनित्र का सिद्धान्त-जब किसी बन्द कुंडली को किसी शक्तिशाली चुम्बकीय क्षेत्र में तेजी से घुमाया जाता है तब उसमें से होकर गुजरने वाले चुम्बकीय फ्लक्स में लगातार परिवर्तन होने के कारण कुंडली में एक विद्युत धारा प्रवाहित हो जाती है। कुंडली को घुमाने में किया गया कार्य ही कुंडली में विद्युत-ऊर्जा के रूप में परिणित हो जाता है।

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प्रश्न 2.
दिष्ट धारा के कुछ स्रोतों के नाम लिखिए।
उत्तर-

  1. विद्युत सेल या बैटरी तथा
  2. दिष्ट धारा जनित्र।

प्रश्न 3.
प्रत्यावर्ती विद्युत धारा उत्पन्न करने वाले स्रोतों के नाम लिखिए।
उत्तर-
प्रत्यावर्ती धारा जनित्र द्वारा प्रत्यावर्ती धारा उत्पन्न होती है।

प्रश्न 4.
सही विकल्प का चयन कीजिए-ताँबे के तार की एक आयताकार कुंडली किसी चुम्बकीय क्षेत्र में घूर्णी गति कर रही है। इस कुंडली में प्रेरित विद्युत् धारा की दिशा में कितने परिभ्रमण के पश्चात् परिवर्तन होता है।
(a) दो
(b) एक
(c) आधे
(d) चौथाई।
उत्तर-
(c) आधे।

(पाठ्य-पुस्तक पृ. सं. 267)

प्रश्न 1.
विद्युत परिपथों तथा साधित्रों में सामान्यतया उपयोग होने वाले दो सुरक्षा उपायों के नाम लिखिए।
उत्तर-
(i) विद्युत फ्यूज,
(ii) भू सम्पर्क तार ।

प्रश्न 2.
2kW शक्ति अनुमतांक का एक विद्युत तन्दूर किसी घरेलू विद्युत परिपथ (220V) में प्रचालित किया जाता है जिसका विद्युत धारा अनुमतांक 5A है, इससे आप किस परिणाम की अपेक्षा करते हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
विद्युत तन्दूर की शक्ति
P=2kW =2000w
V=220V
I = \(\frac{\mathrm{P}}{\mathrm{V}}=\frac{2000 \mathrm{~W}}{200 \mathrm{~V}}\)
=9.09A
विद्युत धारा का अनुमतांक 5A है, विद्युत तन्दूर इससे बहुत अधिक धारा ले रहा है जिससे अतिभारण हो जाएगा तथा फ्यूज गल जाएगा एवं विद्युत पथ अवरोधित हो जाएगा।

प्रश्न 3.
घरेलू विद्युत परिपथों में अतिभारण से बचाव के लिए क्या सावधानी बरतनी चाहिए?
उत्तर-
घरेलू विद्युत परिपथों में अतिभारण से बचाव के लिए मेन स्विच के पास, विद्युन्मय तार में उचित सामर्थ्य का फ्यूज तार जोड़ना चाहिए।

HBSE 10th Class Science विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव InText Activity Questions and Answers

क्रियाकलाप 13.1. (पा. पु. पृ. सं. 249)

प्रेक्षण (Observation)-दिक्सूचक सुई विक्षेपित हो जाती है, इसका अर्थ है कि ताँबे के तार से प्रवाहित विद्युत धारा ने एक चुम्बकीय प्रभाव उत्पन्न किया है। इस प्रकार यह ज्ञात होता है कि विद्युत तथा चुम्बकत्व एक दूसरे से सम्बन्धित

क्रियाकलाप 13.2. (पा. पु. पृ. सं. 250)

प्रश्न 1.
आप क्या प्रेक्षण करते हैं ?
उत्तर-
लौह-चूर्ण चित्र में दर्शाए गए पैटर्न के अनुसार व्यवस्थित हो जाते हैं।

प्रश्न 2.
यह पैटर्न क्या निर्देशित करता हैं ?
उत्तर-
लौह-चूर्ण एक बल का अनुभव करता है जो उस चुम्बक के चारों ओर होता है। इसे चुम्बकीय क्षेत्र कहते हैं।
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प्रश्न 3.
लौह-चूर्ण किस स्थान पर अधिक आकर्षित होता है ?
उत्तर-
दोनों ध्रुवों पर।

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क्रियाकलाप 13.3. (पा. पु. पृ. सं. 251)
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प्रेक्षण (Observation) चुम्बकीय क्षेत्र में परिमाण एवं दिशा दोनों होते हैं, किसी चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा वह मानी जाती है जिसके अनुदिश दिक्सूची का उत्तरी ध्रुव उस क्षेत्र के भीतर गमन करता है। अतः चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ चुम्बक के उत्तरी ध्रुव से प्रकट होती हैं तथा दक्षिणी ध्रुव पर विलीन हो जाती हैं। चुम्बक के भीतर चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं की दिशा उसके दक्षिणी ध्रुव से उत्तरी ध्रुव की ओर होती है अतः चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ एक बन्द वक्र के रूप में होती हैं।

क्रियाकलाप 13.4. (पा. पु. पृ. सं. 252)

प्रश्न 1.
दिक्-सूचक सुई के ऊपर यदि धारावाही चालक रखा जाए तो क्या होगा ?
उत्तर-
दिक्-सूचक सुई की भुजाओं में विचलन होगा। यह दिशा SNOW नियम की मदद से ज्ञात कर सकते हैं।

प्रश्न 2.
SNOW नियम क्या है ?
उत्तर-
यदि चालक में धारा की दिशा दक्षिण से उत्तर दिशा की तरफ हो तो दिक्सूचक सुई की दिशा के पश्चिम दिशा में विक्षेपण होगा।

प्रश्न 3.
क्या होगा यदि धारावाही चालक में धारा की दिशा को उल्टा कर दिया जाए ?
उत्तर-
दिक्सूचक सुई की भुजाओं में विक्षेपण की दिशा उल्टी हो जाएगी।

प्रश्न 4.
यदि सीधे तार में प्रवाहित विद्युत धारा की दिशा को उत्क्रमित कर दिया जाए, तो क्या चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं की दिशा भी उत्क्रमित हो जाएगी?
उत्तर-
हाँ, चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं की दिशा भी उत्क्रमित हो जाएगी।

क्रियाकलाप 13.5. (पा. पु. पृ. सं. 253)

प्रश्न 1.
लौह-चूर्ण किस प्रकार व्यवस्थित होते हैं? .
उत्तर-
लौह-चूर्ण संरेखित होकर तार के चारों ओर संकेन्द्री वृत्तों के रूप में व्यवस्थित होते हैं।

प्रश्न 2.
ये संकेन्द्री वृत्त क्या निरूपित करते हैं ? ।
उत्तर-
ये संकेन्द्री वृत्त, चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं को निरूपित करते हैं।

प्रश्न 3.
इस प्रकार उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा आप कैसे ज्ञात करेंगे?
उत्तर-
दिक्सूची द्वारा ज्ञात करेंगे। वृत्त के किसी बिंदु P पर दिक्सूची का उत्तर ध्रुव विद्युत धारा द्वारा उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र रेखा की दिशा बताता है।

प्रश्न 4.
विद्युत धारा की दिशा उत्क्रमित करने पर क्या होता है ?
उत्तर-
चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं की दिशा भी उत्क्रमित हो जाती है।

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प्रश्न 5.
क्या दिक्सूची के विक्षेप पर धारा के परिमाप – में वृद्धि और तार से दूरी का प्रभाव पड़ता है?
उत्तर-
हाँ, धारा के परिमाप में वृद्धि होने पर विक्षेप में भी वृद्धि होती है तथा तार के दूसरे किसी बिंदु Q पर दिक्सूची रखने पर इसका विक्षेप घट जाता है।

क्रियाकलाप 13.6. (पा. पु. पृ. सं. 256)

प्रश्न 1.
कार्ड बोर्ड को हल्के से कुछ बार थपथपाइए। कार्ड बोर्ड पर जो पैटर्न बनता दिखाई दे उसका प्रेक्षण कीजिए।
उत्तर-
दोनों छिद्रों के पास लौह-चूर्ण संकेन्द्रीय वृत्ताकार पैटर्न में व्यवस्थित हो जाते है। इसका अर्थ हुआ कि धारावाही वृत्ताकार चालक का प्रत्येक भाग चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न करता है जो संकेन्द्रीय वृत्ताकार होते हैं।

प्रश्न 2.
क्या धारावाही वृत्ताकार चालक के आस-पास चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है ?
उत्तर-
हाँ, धारावाही वृत्ताकार चालक के आसपास चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है।

प्रश्न 3.
धारावाही वृत्ताकार चालक के दो विपरीत बिन्दुओं पर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र की प्रकृति में अन्तर बताइए।
उत्तर-
दोनों ही बिन्दुओं पर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं की दिशा विपरीत होती है। इन दोनों बिन्दुओं पर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ संकेन्द्रीय वृत्ताकार होती हैं।

प्रश्न 4.
धारावाही वृत्ताकार चालक द्वारा उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र का मान सबसे अधिक कहाँ पर होता है?
उत्तर-
धारावाही वृत्ताकार चालक के केन्द्र पर चुम्बकीय क्षेत्र का मान सबसे अधिक होता है।

क्रियाकलाप 13.7. (पा. पु. पृ. सं. 257)

प्रश्न 1.
आप क्या देखते हैं ?
उत्तर-
हम देखते हैं कि विद्युत धारा प्रवाहित होते ही छड़ बाईं दिशा में विस्थापित होती है।

प्रश्न 2.
अब छड़ में प्रवाहित होने वाली विद्युत धारा की दिशा उत्क्रमित कीजिए और छड़ के विस्थापन की दिशा नोट कीजिए। अब यह दाईं ओर विस्थापित होती है। छड़ क्यों विस्थापित होती है?
उत्तर-
फ्लेमिंग के अनुसार धारावाही चालक पर चुम्बकीय क्षेत्र में बल लगता है। इसलिए धारावाही चालक की चुम्बक के ध्रुवों के बीच स्थिर रखने पर अपनी स्थिति से विस्थापित हो जाता है। इस छड़ पर लगने वाला बल छड़ पर लम्बवत दिशा में होता है।

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प्रश्न 3.
जब एक धारावाही चालक को चुम्बकीय क्षेत्र में रखा जाता है तो क्या होता है ?
उत्तर-
ज़ब धारावाही चालक को चुम्बकीय क्षेत्र में रखते हैं तो उस पर एक बल आरोपित होता है।

प्रश्न 4.
उस नियम का मात्र नाम लिखो जिसकी मदद से धारावाही चालक पर चुम्बकीय क्षेत्र में लगने वाले बल की दिशा ज्ञात करते हैं ?
उत्तर-
फ्लेमिंग का वामहस्त का नियम।

प्रश्न 5.
किन कारकों पर चालक पर आरोपित बल का मान निर्भर करता है ?
उत्तर-

  • चुम्बकीय क्षेत्र के मान पर,
  • चालक की लम्बाई पर,
  • चालक में प्रवाहित धारा के मान पर।

प्रश्न 6.
क्या होगा यदि चुम्बकीय क्षेत्र में रखे चालक में प्रवाहित धारा की दिशा को विपरीत दिशा में प्रवाहित किया जाए ?
उत्तर-
चालक पर आरोपित बल की दिशा विपरीत दिशा में हो जाती है।

क्रियाकलाप 13.8. (पा. पु. पृ. सं. 261)

प्रश्न-इस क्रियाकलाप से आप क्या निष्कर्ष निकालते हैं ? ..
उत्तर-
इस क्रियाकलाप से यह स्पष्ट होता है कि कुंडली के सापेक्ष चुंबक की गति एक प्रेरित विभवान्तर उत्पन्न करती है, जिसके कारण परिपथ में प्रेरित विद्युत धारा प्रवाहित होती है। याद रखिए गैल्वेनोमीटर एक ऐसा उपकरण है, जो किसी परिपथ में विद्युत् धारा की उपस्थिति संसूचित करता है।

क्रियाकलाप 13.9. (पा. पु. पृ. सं. 263)

प्रश्न 1.
जब एक धारावाही कुण्डली को दूसरी कुण्डली के पास लाते है तो क्या होता है ?
उत्तर-
दूसरी कुण्डली में धारा प्रेरित होती है।

प्रश्न 2.
प्राथमिक कुंडली में स्थिर धारा प्रवाहित होने पर द्वितीय कुण्डली में धारा का मान क्या होगा ?
उत्तर-
शून्य।

प्रश्न 3.
धारावाही कुंडली एवं प्रेरित धारा कुण्डली का क्या नाम है ?
उत्तर-
धारावाही कुण्डली को प्राथमिक कुण्डली एवं प्रेरित धारा कुण्डली को द्वितीयक कुण्डली कहते हैं।

प्रश्न 4.
कौन-सी कुण्डली से चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है ?
उत्तर-
प्राथमिक कुण्डली से चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है क्योंकि यह धारावाही कुण्डली होती है।

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प्रश्न 5.
कुण्डली 2 में प्रेरित धारा की प्रबलता को कौन से कारक प्रभावित करते हैं ?
उत्तर-

  1. प्राथमिक कुण्डली में धारा की प्रबलता।
  2. प्राथमिक कुण्डली में तार के फेरों की संख्या।

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